गुरु चंडाल योग (राहू और गुरु की युति) के प्रभाव एवं समाधान

गुरु चंडाल योग (राहू और गुरु की युति) के प्रभाव एवं समाधान 
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ज्योतिष शास्त्र बहुत ही गूढ़ शास्त्र है| यह व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्टों का बहुत ही सूक्षम अध्ययन कर सकता है| बस आवश्यकता है इसके सही ज्ञान और सही विशलेषण की| अक्सर हमने देखा है कि विपत्ति के समय बड़े से बड़ा विद्वान व्यक्ति की भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है| और कई बार हमने लोगों को कहते भ सुना है कि जब किसी पर बुरा समय आता है तो उसका नसीब तो साथ छोड़ ही देता है साथ में उसकी बुद्धि भी साथ नही देती|

तो ऐसा क्या कारण है कि भाग्य साथ न देने से बुद्धि भी साथ छोड़ देती है| क्यों व्यक्ति बुरे समय में अपनी बुद्धि से काम नही ले पाता है| आइये इसे ज्योतिष के हिसाब से समझते है| ज्योतिष के अनुसार ज्ञान, बुद्धि, मष्तिष्क के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? इसके लिए गुरु यानि बृहस्पति सबसे अधिक जिम्मेदार है| बृहस्पति (गुरु) यह देवताओं का भी गुरु है| गुरु की ज्ञान का कारक है| जब गुरु किसी दुष्ट ग्रह के प्रभाव में आ जाता तो यह बुद्धि सम्बन्धी कार्यों में बहुत अड़चन पैदा करने लगता है| यहाँ हम बात करेंगे गुरु और राहू की युति के बारे में| जी हाँ जब राहू गुरु किसी जातक की कुंडली में एक साथ हों तो यह बन जाता है गुरु चंडाल योग| और ये दोनों कुंडली के जिस भाव में बैठे हों उस भाव से सम्बंधित कार्य इतनी बुरी तरह से प्रभावित होते हैं कि आप सोच भी नही सकते| और एक बात ओर जो आपको जान लेनी आवश्यक है कि ऐसा नहीं है कि दिमाग बिलकुल नहीं चलेगा, चलेगा बहुत चलेगा लेकिन नेगेटिव, नकारात्मक कार्यों में चलेगा| जो व्यक्ति को बहुत जल्द मुसीबत में डाल देगा| पल भर जेल तक की हवा खिला सकता है|

यहाँ हम गुरु-राहू युति का कुंडली के चार भावों 1, 2, 6 और 10 का संक्षिप्त फलादेश करेंगे-:

१. प्रथम भाव में राहू और गुरु की युति यदि किसी जातक की कुंडली में है तो व्यक्ति अपने शरीर का स्वम् विनाश करने लगता है| खुद की मूर्खतापूर्ण हरकतों के कारण अपने को मानसिक तनाव में डालेगा| नशा, परस्त्रीगमन, हस्तमैथुन जैसी बुरी आदतें उस व्यक्ति में पनपने लगेंगी|  अस्वस्थ रहेगा, झगड़ालू प्रवृति, बदसूरती और सबसे बड़ा लक्षण कि अमुक जातक किसी दुसरे व्यक्ति से मिलने में भी घबराएगा| बाहर निकलने में संकोच करेगा| घर पर ही घुसा रहेगा| और अपनी ही धुन में रहेगा| हमेशा खुद को श्रेष्ट साबित करने की सोचेगा|

२.  दुसरे भाव में राहू और गुरु की युति यदि किसी जातक की कुंडली में है तो वह कभी भी सम्पति नही जोड़ पायेगा| वाणी में नीरसता रहेगी| दान देने की प्रवृति नही रहेगी| पड़ोसियों से भी झगडा ज्यादा रहेगा| ऐसे व्यक्ति का जिव्हा पर कोई नियंत्रण नही रहेगा|

३. छठे भाव में गुरु-राहू की युति बिना किसी खास कारण के ऐसे ही बहुत से शत्रु पैदा कर देती है| व्यक्ति चिंता, रोग, अपयश और मुकदमेबाजी में निरंतर फंसता चला जाता है|

४. दशवें भाव में राहू-गुरु की युति व्यक्ति के लिए सबसे कष्टकारक होती है ऐसा व्यक्ति ज्यादातर अपने पैतृक धन-सम्पत्ति का बहुत बड़ा हिस्सा गवां देता है| कारण या बहाना कोई भी हो सकता है जैसे- नशा, कारोबार में घाटा, दुर्घटना, मुकदमेबाजी, परस्त्रीगमन आदि|

उपाय-: गुरु चंडाल योग के उपाय करने से पहले किसी योग्य ज्योतिषी से सलाह ज़रूर ले लेनी चाहिए| क्योंकि हर हर एक जातक की कुंडली और दशा अलग-अलग होती है| फिर भी कुछ सामान्य उपाय हम आपको यहाँ बता रहे हैं|

१. जातक को भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए|
२. हल्दी का तिलक लगाना चाहिए और एक हल्दी की माला भी धारण की जा सकती है|
३. हमेशा माता-पिता और गुरुओं का सम्मान करना चाहिए|
४. यदि व्यापार, कारोबार या धन सम्बन्धी समस्या आ रही है तो महालक्ष्मी गौमती यंत्र या महालक्ष्मी कौड़ी यंत्र सिद्ध करवाकर घर के लोकर या पूजाघर में स्थापित करना चाहिए|
५. किसी गरीब कन्या की शादी में उसे साड़ी दान करें|
६. गौमाता को आनाज और चारा अपने हाथों से खिलाएं|

ये हैं कुछ सामान्य उपाय जो कोई भी जातक कर सकता है| और अधिक उपाय व्यक्ति को अपनी कुंडली का विश्लेष्ण करवाकर ही करने चाहिए| गुरु चांडाल योग में सही उपाय जातक का जीवन बदल सकता है। और रंक से राजा बनते देर नहीं लगती। बस इंतज़ार है तो केवल उचित मार्गदर्शन और समय पर सही उपाय का।


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