बृहस्पति

💐💐 ज्योतिष के इस ग्रूप में सभी सदस्यों का स्वागत है !!

💐विशोंत्री महादशा  फल के ""क्रम "" में आज चर्चा करते है ## व्रहस्पति ## ग्रह के  महादशा -अंतर  दशा के विषय पर !

💐ज्योतिष के सभी 9 ग्रहों में  व्रहस्पति को सबसे शुभ  ग्रह माना गया है इन्हें देवगुरु का दर्जा प्राप्त है । कुंडली का दूसरा, पांचवां, नौवां, दसवां और ग्यारहवां भाव देव गुरु के कारक भाव कहे गए हैं । लग्न भाव में गुरु को दिशाबाल प्राप्त है

💐  व्रहस्पति दो राशियों का स्वामी है इसकी मुख्य  राशि धनु है तथा दूसरी राशि मीन है " कर्क " राशि मे गुरु उच्च राशि के व मकर राशि मे  नीच के होते है

💐गुरू की दशा अपने आप में कई तरह के परिणाम देने वाली होती है। कुण्‍डली में गुरु की  स्थितियों के अनुसार ही फल प्रदान करती है

💐  विशोंत्री दशा क्रम में  जन्म से 6th दशा अशुभ फल देती है

💐 अगर व्रहस्पति नवम भाव का स्वामी होकर सप्तम भाव मे  हो तो ऐसे व्रहस्पति की  दशा में अपने पुरुषार्थ  से धन अर्जित करता है

💐 यदि किसी जातक किकुण्डली में शनि और व्रहस्पति का आपस मे सम्बंद हो तो शनि की दशा योग कारक होती है !

💐 यदि कुंडली मे व्रहस्पति  व चन्द्रमा का सम्बन्द्ध हो तो चन्द्रमा की दशा योग  कारक होती है और व्रहस्पति कि दशा मध्यम फल देती है

💐 किसी जातक की कुंडली मेयदि कुंडली में बृहस्पति करक हो,उच्च राशी,मूल त्रिकोण राशी,स्वर राशी या मित्र राशी में स्थित हो,शुभ ग्रह से युक्त अथवा दुष्ट हो तथा केंद्र अथवा त्रिकोण में स्थित हो तो अपनी दशा में जातक को बहुत शुभ फल प्रदान करता है

💐बृहस्पति की शुभ दशा में जातक के घर में अनेक मंगल कार्य होते है । देह में निरोगता व् मन में प्रसन्नता बनी रहती है । पुत्रोत्सव से मन में हर्ष होता है, घर में सुख-शान्ति बनी रहती है और पत्नी का विशेष अनुग्रह प्राप्त होता है । शत्रु परास्त होते है वाद-विवाद में विजय मिलती है

💐व्रहस्पतिशुभ ग्रह होने के बावजूद हमेशा गुरु शुभ फल नहीं देता। बल्कि अशुभ ग्रहों के प्रभाव में आने पर उसके बुरे प्रभाव से रोग, नौकरी या कारोबार में परेशानी, माता-पिता से विवाद और कन्या के विवाह में दिक्कतें पैदा होती है।

💐यदि किसी जातक की कुंडली मे व्रहस्पति अशुभ भाव का स्वामी है तो जातक निम्न  समस्याएं देता है 

👍ऋण के कारण परेशानी होती है ।

👍शिक्षा बीच में ही रुक जाती है अथवा शिक्षा प्राप्ति में बाधाएं आती हैं ।

👍जातिकाओं के विवाह में विलम्ब की स्थिति उत्पन्न हो जाती है 
👍मकान, वाहन, जमीन सम्बन्धी मामलों से परेशानी बढ़ती है 
👍शुभ कार्यों में विलम्ब होगा ।

👍संतान प्राप्ति में बाधा आती है 
👍माता पिता का स्वास्थ्य खराब रहता है 
👍दाम्पत्य जीवन में परेशानियां आती हैं ।

👍व्यय बढ़ जाते हैं ।

👍अचानक हानि होती है 
👍कीर्ति को बट्टा लगता है ।

👍मकान, वाहन, जमीन के सुख में कमी आती है ।
💐 इस तरह से # व्रहस्पति  # जातक को जीवन के शिखर पर भी ओर धरातल पर भी लेजाते है  

💐ॐ नमो व्रहस्पति  !!

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