मित्रो आज सोमवार है, आज हम आपको भगवान शिव के रूद्राभिषेक के बारे में बतायेगे

मित्रो आज सोमवार है, आज हम आपको भगवान शिव के रूद्राभिषेक के बारे में बतायेगें!!!!!!!

मित्रों, महादेव को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय है रुद्राभिषेक, शास्त्रों के जानकारों की मानें तो सही समय पर रुद्राभिषेक करके आप शिवजी से मनचाहा वरदान पा सकते हैं, क्योंकि शिवजी के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है अभिषेक, भोलेनाथ सबसे सरल उपासना से भी प्रसन्न होते हैं, लेकिन रुद्राभिषेक उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है।

कहते हैं कि रुद्राभिषेक से शिवजी को प्रसन्न करके आप असंभव को भी संभव करने की शक्ति पा सकते हैं, तो आप भी सही समय पर रुद्राभिषेक करियें और शिवजी की कृपा के भागी बनियें, रुद्र रूप भगवान भोलेनाथ का ही प्रचंड रूप हैं, शिवजी की कृपा से सारे ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता हैं।

शिवलिंग पर मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहा जाता है, रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं, सावन में तो रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ होता है, रुद्राभिषेक करने से मनोकामनायें जल्दी पूरी होती हैं, रुद्राभिषेक कोई भी कष्ट या ग्रहों की पीड़ा दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है।

अलग-अलग शिवलिंगों और अलग-अलग स्थानों पर रुद्राभिषेक करने का फल भी अलग होता है, आप पढ़िये और समझियें कि कौन से शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना ज्यादा फलदायी होता है, मंदिर के शिवलिंग पर रुद्राभिषेक करना बहुत उत्तम होता है, इसके अलावा घर में स्थापित शिवलिंग पर भी अभिषेक कर सकते हैं।

रुद्राभिषेक घर से ज्यादा मंदिर में, नदी तट पर और सबसे ज्यादा पर्वतों पर फलदायी होता है, शिवलिंग न हो तो अंगूठे को भी शिवलिंग मानकर उसका अभिषेक कर सकते हैं, रुद्राभिषेक में मनोकामना के अनुसार अलग-अलग वस्तुओं का प्रयोग किया जाता है, ऋषि मानते हैं कि जिस वस्तु से रुद्राभिषेक करते हैं, उससे जुड़ी मनोकामना ही पूरी होती है।

तो आप भी जानिये कि कौन सी वस्तु से रुद्राभिषेक करने से पूरी होगी आपकी मनोकामनायें, घी की धारा से अभिषेक करने से वंश बढ़ता है, इक्षुरस (गन्ना) से अभिषेक करने से दुर्योग नष्ट होते हैं, और मनोकामनाएं पूरी होती हैं, शक्कर मिले दूध से अभिषेक करने से इंसान विद्वान हो जाता है, शहद से अभिषेक करने से पुरानी बीमारियां नष्ट हो जाती हैं।

गाय के दूध से अभिषेक करने से आरोग्य मिलता है, शक्कर मिले जल से अभिषेक करने से संतान प्राप्ति सरल हो जाती हैं, भस्म से अभिषेक करने से इंसान को मुक्ति और मोक्ष की प्राप्ति होती है, कुछ विशेष परिस्थितियों में तेल से भी शिव जी का अभिषेक होता है, कोई भी धार्मिक काम करने में समय और मुहूर्त का विशेष महत्व होता है, रुद्राभिषेक के लिए भी कुछ उत्तम योग बनते हैं।

हम जानते हैं कि कौन सा समय रुद्राभिषेक करने के लिए सबसे उत्तम होता है, रुद्राभिषेक के लिए शिव जी की उपस्थिति देखना बहुत जरूरी है, शिव जी का निवास देखे बिना कभी भी रुद्राभिषेक न करें, बुरा प्रभाव होता है, शिव जी का निवास तभी देखें, जब मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक करना हो, शिव जी का निवास कब मंगलकारी होता है?

देवों के देव महादेव ब्रह्माण्ड में घूमते रहते हैं, महादेव कभी माँ गौरी के साथ होते हैं, तो कभी-कभी कैलाश पर विराजते हैं, ज्योतिषाचार्याओं की मानें तो रुद्राभिषेक तभी करना चाहिये जब शिवजी का निवास मंगलकारी हो, हर महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया और नवमी को शिवजी माँ गौरी के साथ रहते हैं।

हर महीने कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और अमावस्या को भी शिवजी माँ गौरी के साथ रहते हैं, कृष्ण पक्ष की चतुर्थी और एकादशी को महादेव कैलाश पर वास करते हैं, शुक्ल पक्ष की पंचमी और द्वादशी तिथि को भी महादेव कैलाश पर ही रहते हैं, कृष्ण पक्ष की पंचमी और द्वादशी को शिवजी नंदी पर सवार होकर पूरा विश्व भ्रमण करते हैं।

शुक्ल पक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी तिथि को भी शिव जी विश्व भ्रमण पर होते हैं, रुद्राभिषेक के लिए इन तिथियों में महादेव का निवास मंगलकारी होता है, यह भी जानना अति आवश्यक है कि शिवजी का निवास कब अनिष्टकारी होता है? शिव आराधना का सबसे उत्तम तरीका है रुद्राभिषेक, लेकिन रुद्राभिषेक करने से पहले शिव के अनिष्‍टकारी निवास का ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

कृष्णपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भगवान शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं, शुक्लपक्ष की प्रतिपदा, अष्टमी और पूर्णिमा को भी शिव श्मशान में समाधि में रहते हैं, कृष्ण पक्ष की द्वितीया और नवमी को महादेव देवताओं की समस्यायें सुनते हैं, शुक्लपक्ष की तृतीया और दशमी में भी महादेव देवताओं की समस्यायें सुनते हैं।

कृष्णपक्ष की तृतीया और दशमी को नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं, शुक्लपक्ष की चतुर्थी और एकादशी को भी नटराज क्रीड़ा में व्यस्त रहते हैं, कृष्णपक्ष की षष्ठी और त्रयोदशी को रुद्र भोजन करते हैं, शुक्लपक्ष की सप्तमी और चतुर्दशी को भी रुद्र भोजन करते हैं, इन तिथियों में मनोकामना पूर्ति के लिए अभिषेक नहीं किया जा सकता है।

कुछ व्रत और त्योहार रुद्राभिषेक के लिए हमेशा शुभ ही होते हैं, उन दिनों में तिथियों का ध्यान रखने की जरूरत नहीं होती है, शिवरात्री, प्रदोष और सावन के सोमवार को शिव के निवास पर विचार नहीं करते,सिद्ध पीठ या ज्योतिर्लिंग के क्षेत्र में भी शिव के निवास पर विचार नहीं करते।

रुद्राभिषेक के लिए ये स्थान और समय दोनों हमेशा मंगलकारी होते हैं, शिव कृपा से आपकी सभी मनोकामना जरूर पूरी होंगी, आपके मन में जैसी कामना हो, वैसा ही रुद्राभिषेक करियें और अपने जीवन को शुभ ओर मंगलमय बनाइयें।

जय महादेव!
ओऊम् नमः शिवाय्!

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