महाशिवरात्रि - लुप्त पुण्य भी होते हैं जागृत

🌹महाशिवरात्रि - लुप्त पुण्य भी होते हैं जागृत

🌹शिवरात्रि का जागरण अपने-आप में बड़ा महत्त्वपूर्ण है। जैसे एकादशी का व्रत नहीं करने से पाप लगता है, ऐसे ही शिवरात्रि का व्रत नहीं करने से पाप लगता है और करने से बड़ा भारी पुण्य होता है, ऐसा शास्त्र कहते हैं। भगवान राम, भगवान, कृष्ण, भगवान वामन, भगवान नरसिंह – इनकी जयंतियाँ और एकादशी व शिवरात्रि – ये सभी व्रत विशेष करने योग्य हैं। इनको करने से आदमी पूर्णता की तरफ बढ़ता है और इन व्रतों को ठुकराने वाला आदमी ठुकराया जाता है, चौरासी लाख योनियों में भटकाया जाता है।

🌹इस पुण्यदायी शिवरात्रि का पूरा फायदा उठायें। शिवरात्रि का व्रत न करने से पाप लगता है लेकिन करने से ऐसी बुद्धि होती है जैसी सतयुग, त्रेता और द्वापर के लोगों की बुद्धि होती थी और वही पुण्यलाभ प्राप्त होता है जो उस काल में मिलता था क्योंकि काल के प्रभाव से जो पुण्य लुप्त हो गये हैं, वे शिवरात्रि के दिन पूर्णतः विद्यमान होते हैं। ब्रह्माजी और वसिष्ठजी ने शिवरात्रि के व्रत की भूरि-भूरि प्रशंसा की है। सौ यज्ञों से भी अधिक पुण्य पंचाक्षर मंत्र से पूजन करने से होता है। और उससे भी अधिक पुण्यलाभ अंतरात्मा शिव का एकांत में चिंतन करने व ध्यानमग्न होने से होता है। यह जीव को ऐसी ऊँची दशा देता है कि जो कभी न मरे उस अकाल आत्मा में उसकी स्थिति हो जाती है।

🌹शिवरात्रि का स्वास्थ्य लाभ

🌹'बंʹ शिवजी का बीजमंत्र है। जिनको भी गठिया या वायुसंबंधी तकलीफ हो, वे शिवरात्रि पर ʹૐ बं बं….ʹ का सवा लाख जप करें। वायु संबंधी 80 प्रकार की तकलीफों से छुट्टी मिल जायेगी। इसका जप करने वाले ऐसे कई लोगों को मैंने चलते-फिरते अपनी इन्हीं आँखों से देखा, जिनको बिस्तर से उठना, बैठना, चलना मुश्किल था। जिनको वायु संबंधी तकलीफ हो, वे एक लीटर पानी में एक काली मिर्च और तीन बेल-पत्ते मसल के डालकर उसे पौना लीटर होने तक उबालें। वह पानी पीने लायक ठंडा हो जाये तो दिन में वही पियें। इससे भी वायु संबंधी तकलीफें कम हो जायेंगी।

🌹शिवरात्रि का मधुमय संदेश

🌹शिवरात्रि की एक रात पहले संकल्प करना कि ʹकल मैं ૐ नमः शिवायʹ का जप करूँगा, शांत होऊँगा।ʹ तीन बिल्वपत्र अगर मिल सकें तो शिवजी को चढ़ा दिये, उसी से शिवजी संतुष्ट हो जाते हैं। शिव की मूर्तिपूजा के लिए ʹૐ नमः शिवाय ʹ व शिवजी के लिंग या आत्मलिंग की पूजा के लिए ʹૐʹ मंत्र का प्रयोग किया जाता है।

🌹बाह्य वासना मिटते-मिटते अंदर की शांति, माधुर्य, सुख, जो सारों का सार है उसमें विश्रांति पाने का पक्का इरादा करना। ૐ….ૐ….ૐ…. शिवरात्रि का फायदा लेना उपवास करके। एकांत में ૐकार का गुंजन करोगे तो अल्लाह कहो, गॉड कहो, शिव कहो, उसका बहुत कुछ आपको ऐसा मिलेगा कि फिर वहाँ शब्द नहीं हैं। दुनिया का लाभ वास्तव में लाभ है ही नहीं, दो कौड़ी का भी नहीं है। कर-करके छोड़ के मरो, फिर जन्मो-मरो…. हानि है, समय बर्बाद करता है। सच्चा लाभ तो आत्मशिव की प्राप्ति हैं।

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