शनि मंगल युति को विस्फोटक योग & द्वंद्व योग , संघर्ष योग के नाम से जाना जाता है ।
शनि मंगल युति को विस्फोटक योग & द्वंद्व योग , संघर्ष योग के नाम से जाना जाता है ।
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वैदिक ज्योतिष में शनि और मंगल को एक-दूसरे के शत्रु ग्रह माना गया हैं। जिस जातक की कुंडली में ये दोनों ग्रह एक ही भाव में होते हैं या एक दूसरे से सप्तम भाव में होते है उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो दूसरी तरह ये जातक को अच्छा योद्धा , बनने अच्छा तकनीकी ज्ञान देने , कर्मठ बनने में सहायक है ऐसा जातक हार में हर ना मनने की संकल्प शक्ति होती है यही युति अच्छी शिक्षा के माध्यम से जातक को डॉक्टर इंजिनियर बनने में सहायक है मैकेनिकल और निर्माण संबंधी योग्यता देने में सहायक है ।
( हेमन्त थरेजा )
इस युति को द्वंद्व योग संघर्ष योग के नाम से भी जाना जाता है। द्वंद्व का अर्थ है लड़ाई , शनि मंगल का योग कुंडली में करियर के लिए संघर्ष देने वाला होता है
अब ये संघर्ष घर में होगा युद्ध के मैदान पर या ऑफिस & कारखाने में होगा ये कुण्डली में मंगल शनि किस भाव में इस पर निर्भर और कुण्डली में अन्य योग पर निर्भर है
💥शनि मंगल युति शुभ रिजल्ट 👇👇
✍️मंगल शनि की युति शुभ हो तो जातक को आर्मी ऑफिसर , पुलिस ऑफिसर , डॉक्टर सर्जन , इंजिनियर , कंस्ट्रक्शन कॉन्ट्रैक्टर , बिल्डर बना सकती है वहीं उचित शिक्षा के अभाव में एक अच्छा मेकेनिक बना सकती ये ये युति टेक्निकल कर्यो के लिए शानदार है
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अगर युति खराब स्थिति में हो तो निम्न परिणाम मिल सकते है
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१ - मंगल शनि युति प्रतियुति अगर द्वादश भाव में हो तो नींद उड़ा देती है स्त्री पुरुष पति पत्नी रिश्ते में कड़वाहट देती है
२- शनि मंगल का योग यदि कुंडली के छठे या आठवे भाव में हो तो स्वास्थ में कष्ट उत्पन्न करता है। शनि मंगल का योग जॉइंट्स पेन और एक्सीडेंट जैसी समस्याएं दे सकती है ।
३- लग्न में शनि-मंगल के होने से व्यक्ति अहंकारी या झगड़ालू और जिद्दी प्रवृति का हो सकता है जिस कारण वह अपने जीवन में हमेशा ऊट-पटांग निर्णय लेकर खुद को या परिवार को समस्या में डाल सकता है
४ - मंगल शनि युति में अगर दोनों में से कोई एक ग्रह वक्रीय हो तो बहुत खराब रिजल्ट मिल सकते है ।
५ - मंगल शनि युति में दोनों ग्रह मंगल शनि वक्रीय हो तो शनि मंगल के कारक तत्व में असामनता और अस्थिरता अति है ये दोनों ग्रह जिन भावो के स्वामी हो उनके रिजल्ट मै भी अस्थिरता बन जाती है ।
( हेमन्त थरेजा ) ज्योतिष मार्गदर्शक
💥 आकस्मिकता देती है शनि-मंगल की युति में घटनाएं
अचानक घटित होती है ये शुभ-अशुभ दोनों प्रकार की हो सकती है
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शनि और मंगल दोनों की गिनती पाप ग्रहों में होती है। कुंडली में इनकी अशुभ स्थिति भाव फल का नाश कर व्यक्ति को परेशानियों में डाल सकती है, वहीं शुभ होने पर वे व्यक्ति को सुख भी देती है ( हेमन्त थरेजा )
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इस युति के जातक कभी पूर्ण स्थायित्व प्राप्त नहीं करते, सफलता असफलता अचानक मिलती है इस युति के जातक किसी के सामने झुकते नहीं और क्रोधी स्वभाव के होते है जिसके कारण कार्य छेत्र में समस्या का सामना करना पड़ता है
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लग्न ,सप्तम , चतुर्थ, अष्टम , द्वादश भाव में यह युति हानिकारक परिणाम देती है। मंगल के कारण तनाव-विवाद बनता है मगर शनि आसानी से अलगाव नहीं होने देता। जीवनसाथी के स्वास्थ्य में कष्ट बना रहता है जातक की वाणी कटु होती है जातक जिद्दी हठी होने पर तालमेल के अभाव में वैवाहिक जीवन खराब हो सकता है
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