आज मैंने सोचा कि आप सबको मैं अपने मसाले बनाना बताऊं

आज मैंने सोचा कि आप सबको मैं अपने मसाले बनाना बताऊं जो कि मैं स्वयं बनाती हूं और बाहर में कोई भी आता है तो यह स्वाद में सबसे अलग होता है जैसा उन्होंने खाया होता है कुछ को यह उनकी नानी के घर का कुछ को यह उनकी दादी के घर का लगता है और सबसे अनोखा संस्मरण इस मसाले की वजह से जो हुआ मुझे वह संस्मरण मैं यहां आप सबसे साझा करूंगी पर पहले मसाले की रेसिपी इसमें से जो ना हो वह आप छोड़ भी सकती हैं, हल्दी इसमें नहीं डली है वह अलग से डाल सकते है


सामग्री
१-धनिया एक पाव
२-लाल मिर्च सौ ग्राम
३-मेथी पच्चीस ग्राम
४-हींग एक डिबिया बड़ी
५-अजवाइन पच्चीस ग्राम
६-जीरा पचास ग्राम
७-पीली सरसोंपचीस ग्राम
८-काली सरसों पचीस ग्राम
९-काली इलायची पांच बड़ी
१०-दालचीनी चार बड़े टुकड़े श्री लंका वाली दालचीनी
११-तेज पत्ता दस
१२-सौंफ पच्चीस ग्राम
१३-जायफल एक बड़ा
१४-कमर कस चार टुकड़े
१५-गुलाब पंखुड़ियां एक मुठ्ठी
१६-लौंग दस
१७-मगरैल दो चम्मच
१८-मीठी नीम पत्ती चार मुठ्ठी
१९-पुदीना पत्ती एक मुठ्ठी
१९- नींबू पत्ते पांच
२०-तिल सफेद एक चम्मच
२१-तिल काला एक चम्मच
२२-तीसी दो चम्मच (अलसी)
२३-पालक पत्ते एक पाव ताजा लेकर सुखा लें चूर्ण बना लें
२४-चुकंदर पत्ते -एक पाव
२५-अदरक कद्दूकस किया हुआ और खूब सुखाया हुआ। सौ ग्राम
सफेद इलायची-दस
सब मसालों को खूब साफ सुथरा करके सुखा लें  पत्ते सब अलग अलग करके खूब हाथों से मसलकर चूर्ण बना लें अब सारे मसाले पीस लें बहुत महीन नहीं इनको बंद करके रख लें जब रसेदार सब्जी बनायें तो प्याज लहसुन टमाटर जब पीसें उस के साथ इसको भी डाल दें  और जिस मसाले का स्वाद ज्यादा पसंद हो उसे और मिला दें जैसे मुझे काली मिर्च बहुत पसंद हैं तो मैं इसको अलग से डाल देती हूं।
जब भी सूखी सब्जी बनायें तो इसे तेल जब गर्म हो जाए तो उसमें डाल कर तुरंत सब्जी डाल दें दम आलू और चटपटे आलू में इसको ऊपर से डालें और फिर अमचूर या इमली डालें आप इसको दालों में भी डाल सकतीं हैं यहीं मसाला आप सांभर में परिवर्तित कर सकतीं हैं भुना चना दाल और भुनी उडद‌ दाल पीसकर मिला लें धनिया लाल मिर्च मेथी इसको भूनकर पीसकर और डाल दें इमली या अमचूर डालें ,आप इसको भूनकर अमचूर पाउडर काला नमक डालकर अपने साथ हमेशा रख लीजिए सफर आदि में चावल और घी या सरसों का तेल डालकर खा
 सकतीं हैं दक्षिण भारत में मैंने कई लोगों को इस तरह मसाला भात खाते देखा जब हम चारों धाम करने गये थे तो उत्तर काशी में हम उन लोगों से मिले वह सब दही चावल और मसाला भात खूब खाते उनकी पूरी एक बस थी और वह अपने सिलेंडर रखें हुए थे सब बात बनाते और तरह तरह के मसाले रखें हुए थे वह उसी के साथ खूब घी डालकर खाते एक और मसाला कल जरूर शेयर करूंगी।
मेरा संस्मरण
मैं सालों पहले जब ब्याह कर इनके साथ गई तो पाया कि इनका सरकारी आवास गांवों के बीचोबीच है वहां और सारे आवास लगभग लगभग-लगभग खाली थे लम्बे लम्बे यूकेलिप्टस के पेड़ों के बीच हमारा घर जो व्यक्ति इनका भोजन बनाता था वह एक बड़ी सी थाली सजाकर मेज पर रख गया और कहा बहूजी आइए आपका खाना हम रात में पहुंचे थे मैं खाना खाना नहीं चाहती थी बेहद थकी हुई थी खाना वहीं रखवा कर सबको भेज दिया बाहर निकल कर सोचा कि अब यह खाना क्या करूं कोई गाय वगैरह दिखे पर गाय नहीं एक जगह आग जलती दिखी लाईट उस वक्त नहीं थी गोंडा में हलधरमऊ की जगह थी हमारा सोलर पैनल की ट्यूब लाइट थी मैं वहां गई तो देखा रात के बारह बजे हमारे चौकीदार साहब रोटी सेंक रहे हैं किससे खायेंगे पता चला थोड़ा सा दूध है उसी से वह रोज ही ऐसे खाते थे एक पाव दूध में दो वक्त खाली सफेद धोती जून महीने में बारह बजे मैं बहुत परेशान हो गई खाना उन्हें दिया जबरदस्ती और चली आई दूसरे दिन वह सुबह सुबह आये और कहा बहूजी इसमें बहुत मसाला था हमारी तबियत गड़बड़ हो गई मैंने खाना खाया नहीं था पर खाना खूब मसाले का था सबने चुपचाप खा लिया था पर मैंने सबको रसोई का काम करने को को मना कर दिया और पूरे दिन लगकर धीरे धीरे दस लोगों का भोजन रात को बनाया मसाला अपना स्वयं बनाया सब्जी जब बन रही थी तभी चारों तरफ़ खूब सोंधी महक फैला गई सबने खाना खूब मन से खाया मैंने सबको खाना देने के बाद अपने चौकीदार बारी को बुलाया वह बहुत खुश था कहा बहूजी सब जगह गांव की सब्जी वाली महक आ रही है ऐसी महक हमारी मां जब भोजन बनातीं थी तब आती थी और वह उस समय लगभग लगभग-लगभग ५९साल के थे कहकर उनकी आंखों में पानी भर गया उसके बाद हम एक साल वहां रहे णसाले की महक सबको खींच लाती हम साल भर तक लगभग रोज ही सात आठ लोगों का खाना बनाते सब मिलकर खाते अंताक्षरी खेलते चौकीदार ने और हमारे कुक ने फिर खाना नहीं बनाया और सब काम वह करते सबको मेरे खाने का इंतजार रहता साल भर बाद हम वहां से चले गए और चौकीदार जिसे हम बारी कहते थे वह बेहद उदास मुझे एक दिन फोन पर कहा बहूजी इंहा कै महकिया चलि गई आप जबसे गई।
तो आज पूरियां हैं बुकुनी मसाला है लाल मिर्च साथ चटनी है।
आप सबका धन्यवाद ईश्वर को धन्यवाद आप सब आमंत्रित हैं।
एक जरूरी बात
आप अपने भोजन में मिर्च कमसकम एक जरूर रखें लाल मिर्च या हरी यह पाचन क्रिया को तेज कर देती है सुस्त पड़े तंत्र में जान फूंकती है।

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