विष योग
जय श्रीराम ।।
कुंडली में विष योग
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ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर कई तरह के शुभ-अशुभ योग बनते हैं। शुभ योगों का फल भी शुभ ही होता है और अशुभ योगों के कारण जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं । इसे विष योग भी कहते हैं।
मृत्युतुल्य कष्ट देता है विष-योग
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यह योग मृत्यु, भय, दुख, अपमान, रोग, दरिद्रता, दासता, बदनामी, विपत्ति, आलस और कर्ज जैसे अशुभ योग उत्पन्न करता है तथा इस योग से जातक (व्यक्ति) नकारात्मक सोच से घिरने लगता है और उसके बने बनाए कार्य भी काम बिगड़ने लगते हैं।
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में विष कुंभ योग होता है, उसे कदम-कदम पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में सफलता मिलते-मिलते रह जाती है।
1. शनि और चंद्रमा की जब युति होती है तब यह योग बनता है। कुंडली में विष योग शनि और चंद्रमा के कारण बनता है। चंद्रमा के लग्न स्थान में एवं चन्द्रमा पर शनि की 3,7 अथवा 10वें घर से दृष्टि होने की स्थिति में इस योग का निर्माण होता है।
2. कर्क राशि में शनि पुष्य नक्षत्र में हो और चन्द्रमा मकर राशि में श्रवण नक्षत्र का रहे अथवा चन्द्र और शनि विपरीत स्थिति में हों और दोनों अपने-अपने स्थान से एक दूसरे को देख रहे हों तो तब भी विष योग की स्थिति बन जाती है।
3. यदि कुण्डली में आठवें स्थान पर राहु मौजूद हो और शनि (मेष, कर्क, सिंह, वृश्चिक) लग्न में हो तो इस योग का निर्माण होता है।
विष योग से परेशानियां
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- जिस व्यक्ति की कुंडली में ये अशुभ योग होता है, उसका मन दुखी रहता है। परिजनों के निकट होने पर भी उसे अकेलापन महसूस होता है।
- जीवन में सच्चे प्रेम की कमी रहती है। माता का प्यार चाहकर भी नहीं मिल पाता या अपनी ही कमी के कारण वह ले नहीं पाता है।
- व्यक्ति गहरी निराशा में डूबा रहता है, मन कुंठित रहता है। माता के सुख में कमी के कारण व्यक्ति उदास रहता है।
- विष योग के कारण व्यक्ति को मृत्यु, डर, दुख, अपयश, रोग, गरीबी, आलस और कर्ज झेलना पड़ता है।
- इस योग से ग्रसित व्यक्ति के मन में नकारात्मक विचार रहते हैं और उसके काम बनते-बनते बिगड़ने लगते हैं।
- शनि तथा चन्द्रमा का किसी भी प्रकार से सम्बन्ध यानी विषकुंभ योग माता की आयु को भी कम करता है।
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