कुंडली के केंद्र भाव मे ग्रहो का प्रभाव

🌹कुंडली के केंद्र भाव मे ग्रहो का प्रभाव🌹
    
कुंडली में चार केंद्र स्थान यानी मध्य भाव होते हैं कुंडली में केंद्र स्थान किसी भी व्यक्ति के जीवन पर बहुत अधिक प्रभाव डालता  है. कुंडली में प्रथम, चतुर्थ, सप्तम एवं दशम, भाव को केंद्र भाव माना गया है.

पहले भाव को स्वयं के तन का, चौथे भाव को सुख का, सप्तम भाव को वैवाहिक जीवन का
और दसवें भाव को कर्मभाव माना गया है यदि इन चारों भाव में कोई शुभ ग्रह हो तो व्यक्ति धनवान होता है वहीं केंद्र में उच्च के पाप ग्रह बैठे हो तो व्यक्ति बहुत धनवान होने पर भी गरीब हो सकता है.

👉🏻बुध के केंद्र में होने से व्यक्ति अध्यापक 
👉🏻 गुरु के केंद्र में होने से व्यक्ति ज्ञानी होता है.

👉🏻शुक्र के केंद्र में होने पर धनवान तथा विद्यावान होता है 👉🏻शनि के केंद्र में होने से व्यक्ति बुरे लोगों की सेवा करने वाला होता है.

यदि केंद्र में उच्च का सूर्य हो तथा गुरु केंद्र में चौथे भाव में बैठा हो तो व्यक्ति सभी सुख और मान-सम्मान प्राप्त करता है.

सूर्य के केंद्र में होने से व्यक्ति राजा का सेवक,
चंद्रमा ! केद्र में हो तो व्यापारी, मंगल केंद्र में हो तो व्यक्ति सेना में काम करता है.

अगर केंद्र में कोई ग्रह न हो तो ऐसी कुंडली को शुभ नहीं माना जाता है ऐसा व्यक्ति जीवन में कर्ज से हमेशा परेशान रहता है.
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सभी कुंडली पर लागू हो यह जरूरी नहीं है 
🌹🌹 जय श्री महाकाल 🌹🌹

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