आत्महत्या योग
आत्महत्या योग
आत्महत्या करना सबसे बड़ा पाप है, इसकी माफी के लिए कोई भी प्रायश्चित नहीं है, क्योंकि यह जीवन परमपिता परमेश्वर का दिया हुआ है, इसलिए इसे खत्म करने का अधिकार हमें नहीं है, आत्महत्या करने के बाद हमारी योनि युगो- युगो तक कर्मानुसार प्रेत योनि में भटकती है, जिसमें मृत्यु तुल्य कष्ट प्राप्त होते हैं, लेकिन इसके बावजूद, सब कुछ जानने के बावजूद भी, कई बार ऐसी परिस्थितियां पैदा हो जाती हैं कि, अपना ही जीवन व्यर्थ लगने लगता है और आदमी आत्महत्या करने का निर्णय ले लेता है, इस जीवन को कोई भी खत्म कर नहीं करना चाहता, चाहे वह जानवर हो या इंसान आत्महत्या का कदम बहुत मजबूरी में उठाया जाता है, जब जीने का कोई विकल्प नहीं बचता अत्यंत मजबूरी में यह कदम उठाया जाता है ! आइए जाने, आखिर इसके लिए कौन सी परिस्थितियां और ग्रह जिम्मेदार हैं !
*जन्मकुंडली में आठवां स्थान मृत्यु का स्थान::->*
किसी भी जन्मकुंडली में आठवां स्थान मृत्यु का स्थान कहलाता है। इस भाव में मौजूद विभिन्न् ग्रह स्थितियों को देखकर पता लगाया जा सकता है कि व्यक्ति की मृत्यु किन कारणों से और कैसे होगी।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार चंद्रमा मन का प्रतिनिधि ग्रह है। यह मनुष्य के विचारों को नियंत्रित करता है।
बुध मनुष्य की निर्णय लेने की क्षमता को नियंत्रित करता है। कौन व्यक्ति किस मुद्दे पर क्या निर्णय लेगा यह बुध से तय होता है। बुध यदि किसी पापी ग्रह से पीड़ित है तो यह व्यक्ति को भ्रमित करता है और इससे निर्णय क्षमता प्रभावित होती है। कई मामलों में यह व्यक्ति को आत्महत्या तक के लिए उकसाता है।
*व्यक्ति का अस्तित्व धरती पर कितने समय तक:-->*
शनि से यह तय होता है कि व्यक्ति का अस्तित्व धरती पर कितने समय तक रहेगा। यदि शनि आठवें भाव से संबद्ध है तो व्यक्ति दीर्घायु होता है। लेकिन यदि शनि कमजोर है तो व्यक्ति बीमारियों से घिरा रहता है और कम आयु में ही उसकी मृत्यु हो जाती है।
केवल सूर्य एकमात्र ऐसा ग्रह है, जो व्यक्ति को कभी गलत कार्य करने के लिए नहीं उकसाता। खासकर आत्महत्या जैसे कदम सूर्य नहीं उठाने देता है। जिस व्यक्ति की जन्मकुंडली में सूर्य मजबूत है उसमें भरपूर आत्मविश्वास होता है और उसमें कभी भी कोई नकारात्मक विचार, दुखी करने वाले विचार नहीं आते।
*आठवें भाव में बुध की विभिन्न् ग्रहों से युति के कारण आत्महत्या:-->*
जैसा कि ऊपर बताया बुध व्यक्ति की निर्णय क्षमता को प्रभावित करता है। यदि बुध पापी ग्रहों से घिरा हुआ है तो व्यक्ति निश्चित रूप से आत्महत्या करता है। आइए जानते हैं बुध की किन दूषित ग्रहों से युति होने का क्या असर होता है और व्यक्ति की मौत किन परिस्थितियों में होती है
केतु की युति या दृष्टि संबंध
*बुध के साथ राहु : -->*
बुध के साथ राहु की युति होने पर व्यक्ति जहर खाकर अपनी जान दे देता है। जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध और राहु की युति हो रही हो वह जहरीला पदार्थ पी लेता है। कीटनाशकों का सेवन कर अपनी जान दे देता है या फिर किसी ऊंची बिल्डिंग से छलांग लगा देता है।
*बुध के साथ केतु : --->*
किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में बुध के साथ केतु की युति या दृष्टि संबंध बन रहा हो तो ऐसा व्यक्ति किसी तीर्थ स्थल पर आत्महत्या करता है। ऐसा व्यक्ति नींद की अधिक गोलियां खाकर या कोई केमिकल पीकर आत्महत्या कर बैठता है।
*बुध के साथ शनि: -->*
शनि का संबंध वाहनों से है, इसलिए कुंडली में शनि और बुध की युति हो तो व्यक्ति तेज गति से वाहन चलाकर खुद की मौत का जिम्मेदार बनता है। ऐसा व्यक्ति रेलवे पटरी पर लेटकर जान दे देता है, खुद पर चाकू से वार कर लेता है या फांसी लगा लेता है।
मंगल का संबंध हथियारों से है
*बुध के साथ शुक्र : -->*
इन दोनों ग्रहों की युति के कारण व्यक्ति मौत का ऐसा रास्ता चुनता है जिसमें उसे अधिक तकलीफ न हो। जैसे जहर पीकर या नींद की गोलियां खाकर सो जाता है।
*बुध के साथ गुरु : -->*
इन दोनों ग्रहों की युति जिन लोगों की कुंडली में होती है ऐसे व्यक्ति की मौत योगाभ्यास के दौरान होती है। ऐसा व्यक्ति योग के दौरान जीव समाधि या प्राणायाम प्रक्रिया करके मौत को गले लगा लेता है।
*बुध के साथ मंगल :-->*
मंगल का संबंध हथियारों से है। जिस व्यक्ति की कुंडली में मंगल के साथ बुध की युति हो या दृष्टि संबंध हो तो वह तेज धारदार हथियार से खुद की गर्दन, कलाई काट लेता है या पिस्टल से गोली मार लेता है। ऐसा व्यक्ति आत्मदाह कर लेता है या बिजली का करंट लगा लेता है।
*बुध के साथ चंद्र : -->*
चंद्र का संबंध जल से है, इसलिए जिस व्यक्ति की कुंडली में बुध और चंद्र की युति हो रही हो वह तालाब, नदी, कुएं या समुद्र में डूबकर जान दे देता है
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