ग्रह_संबंधों_और_वस्तुओं_के_कारक
#ग्रह_संबंधों_और_वस्तुओं_के_कारक -
सूर्य - पिता, व्यवसाय, रोजगार
चन्द्रमा - मन, माता
मंगल - भाई और बहिन ( सहोदर )
बुध - वाक् शक्ति, शिक्षा, भाषणपटु, ज्ञानार्जन, शिक्षण और स्वकुटुंबी व्यक्ति ( माता की तरफ के जन )
बृहस्पति - धन, सन्तान, बड़े भाई और बहिन, अध्यापक, प्रवक्ता आदि
शुक्र - पत्नी, वाहन, घर आदि
शनि - आयु, नौकर, नौकरी आदि
#भावों_के_कारक_हैं -
प्रथम भाव - सूर्य
द्वितीय भाव - बृहस्पति, बुध
तृतीय भाव - मंगल, शनि
चतुर्थ भाव - चन्द्र, शुक्र, बुध
पंचम भाव - बृहस्पति
षष्ठ भाव - मंगल, शनि, बुध
सप्तम भाव - शुक्र
अष्टम भाव - शनि
नवम भाव - बृहस्पति, सूर्य
दशम भाव - बुध, सूर्य, शनि, बृहस्पति, मंगल
एकादश भाव - बृहस्पति
द्वादश भाव - शनि, शुक्र
बुध को वाणी, भाषण-पटुता और शिक्षा का कारक, शनि को आयु का कारक, शुक्र को वाहन और जीवन का कारक, मंगल को पराक्रम, तकनीकी शिक्षा का, प्रतियोगिता की भावना का कारक माना गया है |
#प्रथम_भाव से स्वास्थ्य देखते हैं | भाव की मजबूती के लिए उसमें बैठे ग्रह और उनकी दृष्टि देखते हैं | लग्नेश की स्थिति देखेते हैं | फिर सूर्य, चन्द्रमा, मंगल की स्थिति देखते हैं | सूर्य आत्मा का कारक है ,आयु बढ़ाता है | सूर्य से आभामंडल देखते हैं सकारात्मक है या नकारात्मक हैं | चन्द्रमा से शरीर की बनावट, कोई व्याधि, चर्म रोग तो नहीं है, शरीर में चमक है या नहीं यह चन्द्रमा से देखेंगे | मंगल से शरीर में ऊर्जा है या नहीं पता चलता है | मंगल की अच्छी स्थिति है तो जातक ऊर्जावान रहता है, अगर मंगल कमजोर है तो जातक का ऊर्जा का स्तर कम होता है |
#दूसरे_भाव से कुटुंब, वाणी, जुड़ा धन-संपत्ति, खाने पीने की आदतें, भोजन देखते हैं |शुक्र परिवार का कारक है, शुक्र देखेंगे, वाणी के लिए बुध की स्थिति देखेंगे | धन-संपत्ति, जुड़े धन के लिए गुरु देखेंगे | 2 और 12. वें भाव से आँखें देखते हैं इसलिए सूर्य और चन्द्रमा भी देखते हैं |
#तीसरा_भाव पराक्रम, साहस, संवाद का है | बुध से संचार, पत्रकारिता देखते हैं | शनि से मेहनत देखते हैं कई बार मेहनत बहुत ज्यादा करनी पड़ती है परिणाम उतना नहीं मिलता है | कुछ लोगों को कम मेहनत करके अच्छे परिणाम मिल जाते हैं | अगर शनि बहुत अच्छा है तो मेहनत करके बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे | मंगल से साहस, पराक्रम देखते हैं | छोटे बहन-भाई भी मंगल से देखते हैं |
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