काले घोड़े की नाल

शनिदेव को लोहे से बनी धातु की चीजें बहुत प्रिय होती है। शनि की दशा या साढ़े साती होने पर भी इसका प्रयोग किया जाता है। जिस किसी की कुंडली में शनि की महादशा और अन्तर्दशा चल रही हो उसे तमाम तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

 ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, धातुओं और ग्रहों का आपस में बहुत गहरा संबंध होता है। यदि ग्रह विपरीत हो, तो व्यक्ति के जीवन पर नकारात्मक असर होता है। ग्रह संबंधी धातु धारण करने से यह शांत हो जाते हैं।

काले घोड़े की नाल का आकार अंग्रेजी के U अक्षर के जैसा होता है। यह मजबूत लोहे की बनी होती है। इसका प्रमुख कार्य घोड़े के पैर को सुरक्षा प्रदान करना है। साथ ही कहा जाता है कि जिस तरह घोड़े की नाल घोड़े के पैर की सुरक्षा करती है

 उसी तरह यह घर की भी सुरक्षा करती है। यही कारण है कि लोग इसे अपने मुख्य द्वार पर लगाते हैं। और इसके लगाने से घर में किसी प्रकार की नाकारात्मक उर्जा प्रवेश नहीं कर पाती है। 

जिस प्रकार छोटे बच्चों को बुरी नजर से बचाने के लिए उनके मां-बाप, दादा-दादी उन्हें काला टिक्का लगाते हैं, ठीक उसी तरह मकान, दुकान, प्रॉपर्टी और व्यापार आदि को लोगों की बुरी नजर से बचाने के लिए काले घोडे की नाल को विशेष रूप से उपयोग में लाया जाता है।

घोड़े की नाल के छल्ले का उपयोग हर क्षेत्र में बहुत ही शुभ माना जाता है। सामान्यतया इसका प्रयोग शनि के दुष्प्रभावों और बुरी आत्माओं से बचने के लिए किया जाता है। इसलिए इसे शनि का छल्ला भी कहा जाता है। इसे दाहिने हाथ की माध्यम अंगुली में धारण करना अच्छा माना जाता है। क्योंकि इसी उंगली के नीचे शनि पर्वत होता है। जो व्यक्ति इसे धारण करता है उसके जीवन में सुख संपत्ति और समृद्धि आती है।


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