कुंडली के अष्टम भाव में सप्तमेश का प्रभाव
कुंडली के अष्टम भाव में सप्तमेश का प्रभाव
✔️कुंडली के अष्टम भाव में सप्तमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम सप्तम भाव और अष्टम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। सप्तम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से दूसरे स्थान में स्थित है, इसलिए प्रथम भाव के स्वामी का दूसरा भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे।
✔️ यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित है और एक दूसरे से द्वि द्वादश संबंध स्थापित करता है, जो कि एक उत्तम संबंध नहीं माना जाता है। साथ ही सप्तम भाव मार्क भाव होता है। सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब कुंडली के निशान का प्रभाव होता है। यदि सप्तमेश अष्टम भाव में अकारक ग्रह के संबंध में हो जातक अल्पायु या मध्यम आयु का भी व्यक्ति हो सकता है।
✔️ सप्तम भाव जातक की पत्नी से संबंध रखता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक की पत्नी से विवाह बंधन में परेशानी का कारण बन सकता है। जातक की पत्नी की सेहत कमजोर हो सकती है। जातक और जातक की पत्नी के मध्य विवाद या जातियां हो सकती हैं। जातक और जातक की पत्नी एक दूसरे का आदर नहीं करतीं। जातक और पत्नी के मध्य या तलाक की संभावना भी हो सकती है। यदि सप्तमेश अष्टम भाव में बुरी तरह पीड़ित हो तब जातक की पत्नी की मृत्यु की भी संभावना होती है।
✔️सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक लंबी चलने वाली बीमारी से परेशान हो सकते हैं सप्तम भाव और अष्टम भाव गुप्ताओं से संबंधित होते हैं इसलिए सप्तमेश अष्टम भाव में स्थित हो तब और शुक्र में शुक्र भी पीड़ित हो तब जातक को गुप्तांगों से संबंधित परेशानी या रोग होने की संभावना होती है।
✔️अष्टम भाव आरोप या बदनामी से संबंधित है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक को महिला से कमतर होने की संभावना होती है। जातक सेक्सुअल प्रॉब्लम के कारण कमनीयता का सामना करता है। जातक की स्त्री का चरित्र भी आशंकाओं में हो सकता है।
✔️ सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक मानसिक तनाव का सामना कर सकता है। जातक को सरकार द्वारा नुकसान की संभावना हो सकती है। जातक को अपने पेशेवर जीवन में भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है। जातक को वाहन के दुर्घटनाग्रस्त होने की भी संभावना हो सकती है।
✔️ स्त्री की कुंडली में अष्टम भाव को मांगलिक स्थान माना जाता है अर्थात महिला की कुंडली में अष्टम भाव जाति को विवाह के बाद मिलने वाले सुख का परिचायक होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में शुभ स्थिति में हो तब स्त्री को विवाह के बाद उत्तम सुख की सुविधा प्राप्त होती है। जातक का पति धनी और समृद्ध होगा। जाति का शारीरिक रूप से सक्षम होगा। शादी के बाद उनके पति के धनधान्य में भी देखा जाएगा। लेकिन यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में पीड़ित हो तब शुभ प्रभाव कम होगा और बुरा प्रभाव बढ़ जाएगा।
✔️सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में द्विविवाह का भी कारण हो सकता है, क्योंकि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में तलाक की भी संभावना होती है।
✔️सप्तम भाव जन्म स्थान से दूर के स्थान से संबंधित होता है और अष्टम भाव मृत्यु से संबंधित होता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक की मृत्यु विदेश में हो सकती है या जातक की जन्म स्थान से बहुत दूर हो सकती है।
✔️कभी भी सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव के स्वामी के साथ अष्टम भाव में स्थित हो तब यह जातक के लिए और जातक की पत्नी के लिए मार्क हो सकता है। जातक को अपनी यात्रा के दौरान अरबों लोगों का सामना करना पड़ सकता है या उसकी यात्रा का फल उसे प्राप्त नहीं होता है। जातक को अपनी पत्नी से तलाक या समलैंगिकता का सामना करना पड़ सकता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में शुभ स्थिति में हो तब जातक देनदारी और अवैध कार्य से उत्तम धन अनायास करता है। साथ ही जातक की पत्नी भी जातक के कार्यों में सहायक होती है।
✔️ किसी जातक के सप्तम भाव और अष्टम भाव में संबंध बन रहा है और उसका दांपत्य जीवन भी अच्छा चल रहा है ऐसा कोई है तो अपने अनुभव शेयर करें🙏🙏🙏🙏🙏
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