कर्तरी_योग

#कर्तरी_योग

शुभ कर्तरी योग
पाप कर्तरी योग

#शुभ_कर्तरी_योग- 

कुंडली के बारह भावों में जब किसी भी भाव के दोनों ओर अर्थात किसी भी भाव के आगे और पीछे वाले भाव में यदि शुभ ग्रह स्थित हो तो इसे शुभ कर्तरी योग कहते हैं। इसमें भाव दो शुभ ग्रहों के बीच में आ जाता है। जिससे उस भाव की शुभता बढ़ जाती है। इसलिये इसे शुभ कर्तरी योग कहते हैं। इस योग को भाव की वृद्धि करने वाला माना गया है।

शुभ कर्तरी में जब दो ग्रह आगे पीछे बैठेंगे तो वह अच्छा योग है ऐसे योग में व्यक्ति को ऐसा साथ मिलता है जिससे उसकी प्रतिभा और निखर जाती है यह योग बहुत अच्छा माना गया है। यह योग और अच्छा हो जाएगा अगर वह स्वयं भी बलि है और साथ भी अच्छों का मिल रहा है। यदि ग्रह कमजोर भी है लेकिन साथ अच्छों का मिल रहा है तो वह आपको ऊपर उठा देंगे शुभ ग्रहों के साथ की वजह से ग्रहया भाव की कमजोरी दूर हो जाती है।

#पाप_कर्तरी_योग

जब किसी ग्रह या भाव से दूसरे भाव और बारहवें भाव में शनि, सूर्य, मंगल, राहु अथवा केतु हो तो कुंडली में पाप कर्तरी योग बनता है यह योग व्यक्ति के जीवन में कष्टकारी होता है। जिस भाव में पाप कर्तरी योग बनता है उस भाव में शुभता में कमी और संघर्ष आता है।

कर्तरी का मतलब है कैची अच्छी वाली कैंची काटेगी नहीं यानी शुभ कर्तरी होगा। बुरी वाली कैंची जो काटेगी यानी पाप कर्तरी योग। 

दो शुभ ग्रहों के बीच में आने से भाव की शुभता बढ़  जाती है। अतः शुभ कर्तरी योग कहा जाता है यह योग भाव में वृद्धि करने वाला कहा जाता है।

जब भाग 12 पाप ग्रहों के बीच में आ जाता है तब भावकी शुभता में कमी और संघर्ष आ जाता है अगर भाव में ग्रह ना हो तब भी

दशम भाव यदि पाप कर्तरी में हो तो कार्य क्षेत्र में समस्याएं आती है सहयोग नहीं मिलता है। यदि पंचम भाव पाप कर्तरी में हो तो संतान प्राप्ति में परेशानी आती है। सप्तम भाव में प्राप्त कतरी बने तो विवाह आसानी से नहीं होगा।

पाप कर्तरी ग्रहों के बल को क्षीण करता है।अगर वहां कोई पाप है बैठा है और वह जिस भाव का स्वामी है वह भी पाप कर्तरी के प्रभाव में आ जाता है मान लीजिए यदि धन के स्वामी के दोनों और एक एक क्रूर ग्रह बैठा है तो धन प्राप्ति में बाधा के योग आएंगे क्योंकि धनेश पाप कर्तरी योग में आ गया है।

यदि यदि धनेश के दानों और एक-एक क्रूर ग्रह बैठा हो तो धन प्राप्ति में बाधा के योग बनते हैं क्योंकि धनेश पाप कर्तरी योग में आ गया है।

#पाप_कर्तरी_के_नियम

जब पाप कर्तरी बने तो यह देखे कोई ग्रह वक्री तो नहीं है जिस भाव या ग्रह से पाप कर्तरी बन रहा है उससे अगले भाग में स्थित ग्रह वक्री हो जाए और पिछले भाव का ग्रह मार्गी हो जाए यह स्थिति भयावह और चुनौतीपूर्ण होती है।

कर्तर शब्द का अर्थ है कर्तर यानी काटना कैंची के दोनों भुजाएँ जब पास आती है तब कोई चीज कटती है।

इसी प्रकार 12वें भाव का ग्रह वक्री हो जाये और अगले भाव का ग्रह मार्गी हो तो वह कर्तर में न आकर खुल रहा है। पीछे वाला पीछे जा रहा है और आगे वाला आगे बढ़ रहा है। ऐसे में कर्तरी का प्रभाव कम हो जायेगा।

अगर दोनों ग्रह मार्गी है तो औसत पाप कर्तरी है।

#पाप_कर्तरी_का_प्रभाव_कब_ज्यादा_होगा-

यदि ग्रह सक्षम, दिग्बली,स्वराशि का पाप कर्तरी में तो वह पकड़ और गिरफ्त में आने वाला नहीं है। बली होने के कारण झेल लेगा और परिणाम देकर दिखायेगा। अगल-बगल से फर्क नहीं पड़ेगा ग्रह अपने आप पर केन्द्रित रखेगा।

यदि क्षीण होकर पाप कर्तरी में है तब परेशानी है। न तो ग्रह के पास बल है दोनों तरफ पाप ग्रह बैठे हैं तब वह बुरा फल देगा। लेकिन यदि गर्ह बली है तो मुश्किल से प्राप्ति होगी लेकिन हो जायेगी।

यदि ग्रह क्षीण, नीच या अस्त है या पाप दृष्टियों में है ऐसी स्थिति में पाप कर्तरी का प्रभाव बहुत ज्यादा होता है।

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