विपरित राजयोग
#विपरीत_राजयोग
6 8 12 के स्वामी अच्छे नहीं माने जाते हैं। योगों में कुछ अच्छाई भी है या बुराई भी है। अगर 6 8 12 के स्वामी 6 8 12 में बैठ जाए तो राजयोग बनाते हैं इन्हें विपरीत राजयोग कहते हैं।
यह योग छठे आठवें और बारहवें भावों के स्वामियों के एक दूसरे की राशियों में एक साथ या भाव परिवर्तन के साथ बैठने पर बनता है। इसके परिणास्वरूप जातक व्यक्तिगत वस्तुओं को संभालता है। नौकरी करने में प्रवृत्त श्रेष्ठ कार्य करने वाला दीर्घायु लाभ निपुण ख्याति प्राप्तहोता है।
अशुभ भावों के स्वामी यदि एक साथ हुो या एक दूसरे को देखे या एक दूसरे की राशियों में बैठे और साथ ही साथ किसी अन्य ग्रह से युत या दृष्ट हो तो जातक जीवन में उन्नति करता है।राजा के समान बनता है और विशाल धन-संपत्ति का सामी होता है ऐसा योग है जो पहले पतन फिर उत्थान देता हैl
#हर्ष_योग
यदि 6 8 12 भाव के स्वामी छठे भाव में बैठ जाए तो हर्ष नामक विपरीत राजयोग बनता है। इसमें जातक सुखी और उत्तम भाग्य वाला होता है शरीर सुडौल होता है। पाप कर्मों से दूर रहेगा, शत्रुओं पर विजयी होगा। उच्च पदाधिकारियों की संगति में रहता है। जातक धनी वैभवशाली, प्रसिद्ध होगा और मित्रों तथा पुत्रों से सुखी रहेगा।
जातक अपनी ही नहीं किसी भी व्यक्तिगत वस्तुओं को संभालता है जब आठवें का स्वामी छठे में आता है तो लंबी बीमारी देता है जैसे ब्लड शुगर, बीपी, थायराइड।
लेकिन जीवन में तरक्की भी बहुत होती है हर्ष योग यानी हर्षित होना खुश होना 6ठे का स्वामी यदि त्रिक में बैठता है तब बनता है षष्ठेश छठे भाव में हो साथ में शुभ ग्रह हो या अशुभ ग्रह से दृष्ट हो तो हर्ष योग बनता है
#सरल_योग
यदि 6 8 या 12 वें भाव के स्वामी अष्टम में स्थित हो तो सरल नामक विपरीत राजयोग बनता है। जातक दीर्घजीवी, दृढ़निश्चयी, भयरहित,समृद्ध, विद्वान, धनी तथा बच्चों वाला होगा। सभी उद्यमों में सफल तथा शत्रुओं पर विजयी होगा। प्रसिद्ध होगा। वहीं ज्ञानी, धनवान, प्रसिद्ध पुत्रों का व मित्रों से खुशियां समृद्धशाली व कृतसंकल्प बनाता है।
#विमल_योग
इस योग का संबंध द्वादश भाव से यदि 6 8 12 भावों के स्वामी 12वें हो तो विमल नामक विपरीत राजयोग बनेगा।
ऐसा जातक धन की बचत करने में चतुर होगा। कंजूसी से व्यय करेगा, दूसरों के प्रति उत्तम व्यवहार करेगा, वह सुखी होगा, सम्मानित व्यवसाय करेगा। उसका आचरण उत्तम होगा। वह स्वतंत्र तथा अपने गुणों के लिए प्रसिद्ध होगा।
धन संपत्ति का संचय करने वाला सबका प्यारा, स्वतंत्र, खुश रहने वाला, सम्मानीय व्यवसाय खर्चा करने में मितव्ययी, अच्छा व्यवहार व आचरण अच्छे गुणों के लिए प्रसिद्ध बनाता है।
विपरीत राजयोग का फल
विपरीत राजयोग में पहले बहुत ज्यादा कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। बाद में बढ़िया फल आते हैं अतः लग्नेश का बली होना जरूरी है अगर लग्नेश बली नहीं है तो वह कठिनाइयों का सामना नहीं कर पाएगा तो फल कैसे मिलेगा। कठिनाइयों को पार करने के बाद बहुत अच्छा फल मिलता है। इसलिए लग्नेश का बली होना जरूरी है पहले पतन होता है फिर उन्नति होती है।
विपरीत राजयोग में जातक को शुभ फल मिलता है विपरीत राजयोग में दु:स्थान के स्वामी दु:स्थान में बैठकर किस प्रकार अशुभ स्वामित्व के कारण बुरे प्रभावों पर काबू पा लेते हैं। वास्तविक व्यवहार में अतिसुखद फल विपरीत फल देते हैं।
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