वैदीक ज्योतिष के अनुसार कैसे बनता है जन्मकुंड़ली में अकाल मृत्यु लोग आइये विस्तार से जानें

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वैदीक ज्योतिष के अनुसार कैसे बनता है जन्मकुंड़ली में अकाल मृत्यु लोग आइये विस्तार से जानें
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मृत्यु जीवन का अंतिम सत्य माना जाता है। यह एक ऐसा सच है जिसका सामना धरती पर मौजूद हर प्राणी को करना होता है। वहीं इसके लिए कोई उपाय, दवा आदि नही बनी है जिसकी सहायता से व्यक्ति इससे बच सकता है। साथ ही कोई भी व्यक्ति इस सच से किनारा नही कर सकता है। जिस जातक ने इस धरती पर जन्म लिया है उस जातक की मौत अवश्य ही होगी। यह सृष्टि का नियम है जिससे कोई अलग नही है। लेकिन कई बार कुछ लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो जाते है, जिसके कारण उनके सभी परिजनों का इस बात पर यकीन कर पाना बेहद मुश्किल होता है।

आपको बता दें कि ईश्वर ने सभी को एक तय उम्र दी है। और जिसमें आप अच्छे कर्म करके जन्म-जन्मांतर के चक्र से मुक्ती पा सकते है। साथ ही मौत जीवन का अटल सच है, जो कभी टाला नही जा सकता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है। इसके लिए आपको कुछ ज्योतिष की मदद लेनी चाहिए। चलिए जानते है ज्योतिष शास्त्र के उपायों से कैसे अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है-

ज्योतिष शास्त्र और मृत्यृ

ज्योतिष में मौत से जुडे कई प्रावधान है। आपको बता दें कि ऐसा माना जाता है कि जो व्यक्ति इस धरती पर रहकर अच्छे कर्म करता है, तो उसे मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। साथ ही वह जातक जन्म-जन्मांतर के चक्र से भी छुटकारा पा लेता है। और वह ईश्वर को पा लेता है। 

साथ ही किसी भी जातक की जन्म कुंडली को देखकर उस जातक के रोग एवं उसकी मृत्यु के बारे में अंदाजा लगाया जा सकता है। वहीं उस जातक की मृत्यु किस रोग से होगी। इस बात का अंदाजा भी ज्योतिष शास्त्र के माध्यम से लगाया जा सकता है। आपको बता दें कि ज्योतिष शास्त्र में कुंडली में छठा भाव रोग तथा आठवाँ भाव मृत्यु और बारहवाँ भाव शारीरिक व्यय व पीड़ा का भाव माना जाता है।

जातक की कुंड़ली में अकाल मृत्यु के कारण

आपको बता दें कि जिस जातक की जन्मकुंडली के लग्न में मंगल हो और उस पर सूर्य या शनि की दृष्टि होती है, तो किसी दुर्घटना में मृत्यु होने की आशंका अधिक रहती है।

वहीं राहु और मंगल ग्रह की युति अथवा दोनों का समसप्तक होकर एक-दूसरे को देखना भी जातक की कुंड़ली में दुर्घटना से अकाल मृत्यु होने की संभावना होती है।

साथ ही जन्म कुंड़ली के छठे भाव का स्वामी पापग्रह से युक्त होकर छठे या आठवे भाव में होता है, तो दुर्घटना में मृत्यु होने का भय बना रहता है।

वहीं ज्योतिष के मुताबिक लग्न भाव, दूसरे भाव तथा बारहवें भाव में अशुभ ग्रह की स्थिति हत्या का कारण होती है।

आपको बता दें कि दसवे भाव की नवांश राशि का स्वामी राहु अथवा केतु के साथ स्थित होता है, तो जातक की मृत्यु अस्वभाविक होती है।

साथ ही लग्नेश तथा मंगल की युति छठे, आठवें या बारहवें भाव में होता है, तो जातक की मृत्यु शस्त्र वार से हो सकती है।

इसी के साथ मंगल दूसरे, सातवें या आठवें भाव में हो और उस पर सूर्य की पूर्ण दृष्टि होती है, तो जातक की मौत आग से होने की संभावना होती है।

अकाल मृत्यु योग का फल

आपको बता दें कि जब यह योग किसी जातक की कुंड़ली में बनता है, तो जातक को कई दुर्घटना का सामना करना पड़ता है। वहीं व्यक्ति को मौत का डर भी सताता है।इस योग के कारण जातक बिना किसी बीमारी के मौत का शिकार हो जाता है। और उसके कारण उस जातक के परिजनों को काफी परेशानी का भार उठाना पड़ता है।

इस योग के कारण जातक की अकाल मृत्यु होती है। इसलिए इसे घातक योग माना जाता है। इसके अलावा जातक को जीवन के कई क्षेत्रों में परेशानी का भी सामना करना पड़ता है। इस तरह के व्यक्ति किसी ना किसी तरह की दुर्घटना के शिकार होते रहते है। जो इनके जीवन के लिए बिल्कुल भी सही नही होता है।

अकाल मृत्यु से बचने के उपाय
शिव जी की करें पूजा

अगर किसी जातक की कुंडली में अकाल मृत्‍यु का योग होता है, तो उस जातक को भोलेनाथ की पूजा करनी चाह‍िए।

साथ ही श‍िव जी की पूजा करने से अकाल मृत्‍यु योग से जातक को छुटकारा मिलता है।

वहीं अकाल मृत्‍यु का भय हो, तो जातक को जल में तिल और शहद मिलाकर भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।इससे काफी लाभ होगा।

इसी के साथ आपको महामृत्युंजय मंत्र और ओम नम: शिवाय मंत्र का जप करना चाहिए।
साथ ही आपको यह उपाय हर शनिवार को करना चाह‍िए। इससे आपको काफी शुभ परिणाम प्राप्त होंगे।
वहीं जातक को पूरी आस्‍था और श्रद्धा से सभी उपाय करने चाहिए। अन्‍यथा इस उपाय का कोई फल जातक को नहीं म‍िलेंगा।

मंगलवार और शनिवार

यदि क‍िसी व्यक्ति को अकाल मृत्‍यु का भय होता है, तो उसको मंगलवार और शन‍िवार को काले तिल और जौ का आटा तेल में गूंथकर एक मोटी रोटी पका लेंनी चाहिए।
उसके बाद गुड़ और तेल में वह रोटी म‍िला लें, फ‍िर जिस भी जातक की अकाल मृत्‍यु की आशंका हो उसके सिर से 7 बार उस रोटी को उतारें।
इसके बाद आपको उसे भैंस को खिला देंना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि इससे अकाल मृत्‍यु का भय खत्म हो जाता है।

चील या कौए

साथ ही अगर क‍िसी जातक को अकाल मृत्‍यु का भय सता रहा हो, तो गुड़ और आंटे के गुलगुले बना लेंने चाहिए।
इसके बाद उन गुलगुलों को व्यक्ति के स‍िर से सात बार उतारकर चील या कौए को खिला देना चाहिए।
साथ ही ऐसा माना जाता है क‍ि यह उपाय जातक को अकाल मृत्‍यु के भय से बचाता है।
वहीं यह उपाय जातक को मंगलवार, शनिवार या रविवार को करना चाह‍िए।

शन‍िवार के उपाय

ज्‍योत‍िषशास्‍त्र के मुताबिक अकाल मृत्‍यु से बचने के ल‍िए जातक को शन‍िदेव की पूजा करनी चाह‍िए।
वहीं हर शनिवार को शन‍िदेव की पूजा के अलावा लोहे की वस्‍तुए, शन‍ि चालीसा, जूते-चप्‍पल, काले वस्‍त्र और सरसों के तेल का दान करना चाहिए।
साथ ही ऐसा करने से शनिदेव की कृपा जातक पर बनी रहती है।
वहीं इस उपाय से अकाल मृत्‍यु का योग भी टल जाता है।

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