#गुप्तनवरात्रि पूजा विधि
गुप्तनवरात्रि मुहूर्त
भक्त अपने अपने तरीके से करते रहते हैं आपको जो भी तरीका उचित लगे आप उसे ही करें, हम यहाँ दो तीन तरीके शेयर कर रहे हैं, जो सिद्धियाँ पाना चाहते हैं वो हर वैदिक नियम का पालन करे, और माता की 10 गुप्त शक्तियों की पूजा करें
चैत्र महीने में पड़ने वाली नवरात्रि में नौ दिनों
के पूजा-व्रत संपन्न होने के बाद अब आषाढ़
महीने में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी।
बता दें कि 19 जून 2023 से आषाढ़ गुप्त
नवरात्रि की शुरुआत होगी, जिसका समापन 28 जून 2023 को होगा। इसमें 10
महाविद्याओं की उपासना की जाती है।
19 जून को घटस्थापना की जाएगी,
जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 06:05 बजे से
08:04 बजे तक है।
पूजा विधि
1. गुप्त नवरात्रों में माँ काली और महादेव की पूजा की जाती है।
2. प्रातःकाल स्नानादि कर कलश की स्थापना करें।
3. कलश में गंगाजल, लौंग, सुपारी, इलाइची, हल्दी, चन्दन, अक्षत, मौली, रोली और पुष्प डालें।
4. आम, पीपल आदि के पत्तों से कलश को सजाएँ।
5. अब चावल या जौ भरी कटोरी को कलश पर रख पानी वाला नारियल लाल कपड़ें में लपेटकर उसपर रखें।
6. इसके बाद उत्तर पूर्व दिशा में चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर महादेव और माँ काली की प्रतिमा को रखें।
7. माँ काली के बाएं तरह उनके पुत्र श्री गणेश की प्रतिमा भी विराजित करें।
8. इसके उपरान्त धरती माता पर 7 प्रकार के अनाज, नदी की रेत और जौं डाले।
9. फिर अखंड ज्योति को जलाएं और पूरे नौ दिन उसके प्रज्जवलित रहने का ध्यान रखें।
10. माँ काली को शृंगार सामान, लाल चुन्नी अर्पित करने से वे प्रसन्न होती हैं।
11. इसके बाद स्वयं आसन पर बैठकर दुर्गा सप्तशती का पाठ करें और मंत्र का 108 बार जाप करें।
”ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे”
12. पूरे नौ दिन श्रद्धा भाव से सुबह-शाम इसी तरह पूजन करें आपकी मनोकामना अवश्य पूर्ण होगी।
गुप्त नवरात्रि साधना कैसे करें? ( Gupt Navratri Sadhana kaise karen? )
1. गुप्त नवरात्रि के दौरान साधना के लिए उत्तर दिशा में मुख करके आसन पर बैठ जाएं।
2. इसके बाद देवी दुर्गा की प्रतिमा को चौकी पर लाल वस्त्र बिछाकर रखें और तेल के 9 दीपक जला लें
3. जब तक साधना करें तब तक वे दीपक जलते रहने चाहिए।
4. नीचे दिए गए मन्त्रों का उनके दिनों के हिसाब से 108 बार जाप करें।
गुप्त नवरात्रि साधना मंत्र
प्रथम दिन गुप्त नवरात्रि मंत्र : क्रीं ह्रीं काली ह्रीं क्रीं स्वाहा। ऊँ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा।
द्वितीय दिन गुप्त नवरात्रि माँ तारा मंत्र : ऊँ ह्रीं स्त्रीं हूं फट।
तृतीय दिन गुप्त नवरात्रि माँ त्रिपुरसुंदरी मंत्र : ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:।
चतुर्थ दिन गुप्त नवरात्रि माँ भुवनेश्वरी मंत्र : ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:। ऊं ऐं ह्रीं श्रीं नम:।
पंचम दिन गुप्त नवरात्रि माँ छिन्नमस्ता मत्र : श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा।
षष्टम दिन गुप्त नवरात्रि माँ त्रिपुर भैरवी मंत्र : ऊँ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा।
सप्तम दिन गुप्त नवरात्रि माँ धूमावती मंत्र : धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा।
अष्टम गुप्त नवरात्रि माँ बगलामुखी मंत्र : ऊँ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा।
नवम दिन गुप्त नवरात्रि माँ मातंगी मंत्र : क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा।
गुप्त नवरात्रि में क्या करना चाहिए?
1. गुप्त नवरात्रि में विधि पूर्वक देवी दुर्गा की प्रतिमा और कलश स्थापित कर नौ दिनों तक दुर्गा सप्तशती का पाठ करना चाहिए।
2. माँ काली को प्रसन्न करने के लिए सुबह और शाम दोनों ही समय दुर्गा सप्तशती का पाठ और मंत्र का 108 बार उच्चारण करें।
3. नौकरी की समस्या से निजात पाने के लिए 9 दिनों तक देवी दुर्गा को लौंग और बताशे अर्पित करें।
4. मुकदमें और शत्रुओं से छुटकारा पाने के लिए 9 दिनों तक गुग्गल का धूप जलाएं।
5. अखडं दीप जलाने से व्यक्ति को अपनी हर समस्या से छुटकारा मिलेगा।
गुप्त नवरात्रि में क्या नहीं करना चाहिए? ( Gupt Navratri me kya nahi karna chahiye? )
1. सात्विक भोजन ग्रहण करें और ब्रह्मचर्य का पालन करें।
2. लड़ाई-झगड़ा और अपशब्द कहने से बचें।
3. जीव-जंतु को सताएं नहीं और न ही उन्हें नुकसान पहुंचाएं।
4. तामसिक भोजन, मांस मदिरा घर में न लाएं।
5. काले वस्त्र न पहनें और चमड़े की वस्तु का प्रयोग न करें।
6. बाल, दाढ़ी और नाख़ून काटना वर्जित है।
7. किसी कन्या या स्त्री का अपमान न करें।
8. खुले स्थान पर रात में पूजा-अर्चना न करें।
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