रह्यू मंगल

राहु और मंगल सातवें घर में 

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के सातवें घर से विवाह ,पति-पत्नी, सेक्स, पार्टनरशिप , लीगल कॉन्ट्रैक्ट आदि का विचार किया जाता है |इस भाव को केंद्र स्थान और मारक भाव भी कहा जाता है 

कुंडली के सातवें घर में राहु और मंगल का बलवान योग व्यक्ति को स्वतंत्र बनाता है | ये स्थिति करियर के लिए बहुत अच्छी हो सकती है व्यक्ति सरकार में उच्च अधिकारी हो सकता है। अक्सर देखने में आया है कि अगर कुंडली में बुध और शनि की दृष्टि इन पर हो या इनमे से किसी ग्रह का साथ मिल रहा हो तो कुशल व्यापारी बना सकता है तथा व्यवसाय से अथाह धन सम्पदा बना सकता है क्योंकि बुध या शनि व्यक्ति को व्यापारिक बुद्धि देते हैं और राहु और मंगल एक कुशल नेगोसिएटर बनाते है। ये कॉम्बिनेशन व्यक्ति को व्यापार में सफलता दिला देता है। ये योग व्यक्ति में अद्भुत नेतृत्व क्षमता दे सकता है एक चुम्बकीय व्यक्तित्व का धनी बना सकता है,जनता उसकी फॉलोवर बन जाती है ,उसके इशारे पर काम करती है। पार्टनरशिप या लीगल डाक्यूमेंट्स में ऐसा व्यक्ति बहुत ही चतुर हो सकता है एक कुशल नेगोसिएटर हो सकता है| ये योग आक्रामक नेता पैदा करता है उसके पास गजब की इच्छा शक्ति और सकारात्मक विचारों की पूँजी हो सकती है अगर बाकी ग्रहों की स्थिति भी अच्छी हो तो महान योजनाकार और मजबूत प्रशासक का जन्म होता है। 

लेकिन दूसरे लोगों के विचारों को बहुत ज्यादा अहमियत नहीं देता चाहे वो बिज़नेस पार्टनर हो या लाइफ पार्टनर | ऐसे में वाद विवाद होने की स्थिति बनी रह सकती है और रिश्तों का एक दुखद अंत हो सकता है। विवाह के मामले में  ये अच्छा नहीं माना जा सकता | उसके साथ धोखा हो सकता है । प्रेम प्रसंगों या एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर्स के चलते ऐसा व्यक्ति अपना धन गँवा सकता है| हालाँकि व्यापार के लिए ये स्थिति अच्छी मानी जाती है । अगर कुंडली में शुक्र और चन्द्रमा की स्थिति अच्छी हो तो अच्छा जीवन साथी मिल सकता है ।व्यक्ति को असंतुष्ट बना सकता है| इसलिए व्यक्ति बहुत सारी ऊर्जा अपने ऊपर ही लगा देता है और बाकी रिश्ते अलग थलग पड़ सकते हैं जिसमे बच्चे भी शामिल हैं| परिवार और कुटुंब में तनाव बना रह सकता है विरासत के लिए झगड़ा हो सकता है , ऐसे व्यक्ति कठोर वाणी बोलकर सबको नाराज कर सकते है। 

राहु और मंगल का कमजोर योग व्यक्ति को प्रेम की अभिव्यक्ति के नाम पर वासना में डुबो सकता है, उसका पूरा जीवन अपने दैहिक सुख के लिए ही बन जाता है। खुद को असहाय,पंगु और पश्चाताप से घिरा हुआ महसूस कर सकता है ,असामाजिक कार्यों में लिप्त हो सकता है बात बात पर झगड़ने वाला और पलायनवादी हो सकता है ,एक तरह से बेचारगी की स्थिति में चला जाता है। पारिवारिक जीवन अस्त-व्यस्त हो सकता है और बुरे व्यसनों में लिप्त हो सकता है। विवाह जैसी संस्था में उसका भरोसा न के बराबर होता है। ऐसा व्यक्ति सिर्फ अपने सुख के लिए जीता है। ऐसे व्यक्ति अपनी छवि को लेकर बहुत कौन्सियस हो सकते हैं | अपनी छवि की चिंता करें लेकिन दूसरों का भी ध्यान रखें ।आप खुद पर यानि व्यक्तिवाद पर भरोसा कर सकते हैं | इसलिए कई बार दूसरों को गलत समझने के कारण अच्छे साझीदार को खो सकते हैं ।

आपके लिए सन्देश है कि आपको अपने बड़ों खासकर दादा दादी की सेवा करनी चाहिए , हो सकता है उनकी विरासत आपको मिल जाये |आपको पलायनवाद छोड़कर जीवन की वास्तविकता से सामना करना सीखना होगा । आपको अपने कुछ शौक और आदतों का बलिदान करना होगा या छोड़ना होगा । ऐसा व्यक्ति विवाह के लिए उपयुक्त पार्टनर की तलाश में गुप्त रूप से लगा रहता है |

संक्षेप में कहें तो आप अपनी कुशल बुद्धि से धन कमा सकते हैं और आत्मनिर्भर बन सकते हैं ।आत्मनिर्भरता , आत्मविश्वास को जन्म देती है और यही आत्मविश्वास जब "मैं" बन जाता है तो ईगो का जन्म होता है| सभी रिश्ते इससे प्रभावित होते हैं इसलिए आपको अपनी ईगो को दूर रखना होगा| रिश्तों को संभालना होगा , नहीं तो आप हमेशा संशय , संदेह और निराशा के जाल में पड़े रहेंगे| अकेले पड़ जायेंगे और अपने अंदर एक असंतुष्टता का अनुभव करेंगे एक खालीपन महसूस करेंगे ।

अकेले राहु और मंगल की युति के आधार पर अंतिम निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए उसके लिए पूरी कुंडली का विश्लेषण जरुरी है। 


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