सूर्य
ओम शान्ति
हम बात करेंगे कि कर्क राशि क्या है और सूर्ये इस राशि मे फल कैसा देते है । चलो शुरू करते है ओर सबसे पहले जानते है कर्क राशि के सम्बंद मे ।
कर्क राशि का स्वामी चन्दर है और यह काल पुरुष की कुंडली मे 4th हाउस का प्रतिनिधित्व करती है । माँ का ,माँ द्वारा किया जाने वाला पालन पोषण है , माँ के साथ कैसा रिश्ता है । घर आपका मकान है आपका घर मे आराम कितना वो बताता है । आपकी भावनाओं का , आपके इमोशन का है । आपकी मानसिक शान्ति का है और कर्क राशि जो 4th हाउस का प्रतिनिधित्व करती है वो भी आपकी भावनाओं माता का स्नेह ,माता सुख ,घर मकान के सुख को दर्शाती है ।
कर्क राशि का चिन्ह एक केंकड़ा है और जिस तरह केंकड़ा किसी चीज को पकड़ लेता है और उसी तरह कर्क राशि को भावनायें है । जो एक बार जुड़ जाए जल्दी अलग नही होती है । यह नदी का बहता हुआ पानी है । जो चलता रहता हैं । उसी तरह इस राशि के लोगो का विचार बदलते रहते है
अब बात आती है सूर्ये की सूर्ये , सूर्ये हमारा सिर्फ व्यक्त्वि नही है बल्कि यह हमारे पिता का कारक है हमारी आत्मा है हमारे पिता क्या करेंगे इस जन्म में उसको बताता है ,पिता से हमारे रिश्ते कैसे होंगे यह बताता है ,हमारे career को बताता है गवर्मेंट है हमारा दसवा घर है ।हमारी हडियॉ ओर हमारी आँखों का कारक है हमारी ताकत है । इसलिए सूर्य इतनी सारी चीजों का कारक है । सूर्ये हमारी पेरसोंलिटी का एक हिस्सा है पर पूरी तरह से हमारा अस्तित्व नही है । क्यों इसके लिए आपके लगन ओर चन्दर साइन को भी देखना होता है । क्योंकि लगनः चन्दर ओर सूर्ये तीनो मिल कर आपके अस्तित्व का निर्माण करते है । सिर्फ सूर्ये कर्क राशि मे होने से आप कर्क के गुण नही धारण कर लोगे इसके लिए लगनः ओर चन्दर को देखना भी जरूरी है ।
अब बात करते है सूर्ये का कर्क राशि मे फल कर्क राशि में सूर्य बैठा हो तो वह जातक जन्म से ही बहुत भावुक होता है और पिता से बेहद attache होता है । ऐसे लोगो पर पिता का बहुत प्रभाव होता है और यह पिता से ही फैमिली वैल्यू ओर इमोशन वैल्यू को सीखते है । पर इसके नकरात्मक पक्ष भी है । क्योंकि पिता द्वारा किया जाने वाला कार्ये ही बताएगा कि आप मे भावनाओं को पैदा करेगा या उसको ख़त्म करेगा । ऐसे लोगो के पिता लोकल गवर्मेन्ट ,होमगार्ड ,स्कूल, हॉस्पिटल,या किसी होटल में बो सकते है काम करते जहा किसी का पालन पोषण का काम हो । अब बात आती है इमोशन को समझने और उसको अप्लाई करने मे फर्क है
कैसे आपका सूर्ये कर्क मे है और अपने एक कुते को देखा जो बीमार पड़ा अगर लगनः ओर चन्दर ने सपोर्ट किया तो आप उसको खाना खिलाएंगे या उनकी देख भाल करेंगे मगर अगर सूर्ये कर्क मे है मगर लगनः ओर चन्दर सपोर्ट नही कर रहा तो ऐसे मे आप बस इमोशन को जताएंगे मगर उसको खाना या देखभाल नही करेंगे ।
क्योंकि सूर्ये चन्दर के घर मे है तो कुंडली मे चन्दर की स्थिति को देखना भी जरूरी है । जैसे सूर्ये अगर कर्क मे है और चन्दर उच्च का हुआ तो ऐसे लोग बैलेंस होंगे इमोशन मे यह कभी रोएंगे नही बस कुत्ते को उठाएंगे खाना खिला कर उसको शेल्टर भी देंगे मगर भावनाओं पर कंट्रोल होगा । वही अगर सूर्ये कर्क मे है और चन्दर नीच का है तो ऐसे लोग बहुत ज्यादा भावुक हो जायेंगे । और कुत्ते की देखभाल मे खो जायेगे । इनकी हर एक चीज से भवनाये जुड़ी होंगी । यह नही की सूर्ये कर्क मे है तो सब भावुक होंगे नही चन्दर की स्थिति को भी देखे अगर चन्दर पाप कतरी मे हुआ तो ऐसे मे लोगो के अन्दर भावनाओ की कमी होगी ।
अब बात आती है नक्षत्र की हर राशि के पीछे सवा दो नक्षत्र होते है । कर्क राशि मे भी सवा तीन नक्षत्र होते है । पुनर्वसु ,पुष्य ओर अश्लेषा । नक्षत्र के कारण भी प्रभाव मे कमी देखने को मिलती है ।
1,जब सूर्य कर्क राशि मे पुनर्वसु नक्षत्र में हो यह गुरु का नक्षत्र है सूर्ये भी जब इसमें हो तो जात्ताक बहुत दयालु भावुक ,समाज मे सन्मान पाने वाला। दूसरों का हित चाहने वाला । किसी का बुरा न करने वाला देखने मे क्रोधी मगर अन्दर से मुलायम नारियल की तरह ।
2, जब सूर्ये कर्क राशि मे पुष्य नक्षत्र में हो यह है तो शनि का नक्षत्र मगर इसके देवता देवगुरु है तो ऐसे जात्ताक रिचर्स करने वाले होते है सत्यवादी ,सबका हित करने वाला ,सुशील ,संघर्ष से सफलता पाने वाला क्योंकि इस नक्षत्र का अर्थ है पोषण करने वाला बस थोड़ा संशय प्रविर्ती का होगा ।
3, जब सूर्ये कर्क राशि मे अश्लेषा नक्षत्र में हो ।तो कोई खास अच्छा प्प्रभाव नही होगा बुध का यह नक्षत्र है । ऐसे लोगो के घर परिवार से संबन्द अछे नही होंगे । क्रोधी होगा अपना हित सोचने वाला बातों से लोगो को बांध लेगा मगर बाद मे लोग इसकी बुराई करेंगे ।
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