घर जमाई बनने के योग
🌟 *घर जमाई बनने के योग – ज्योतिषीय विश्लेषण* 🌟
🔹 *मुख्य योग:*
# चतुर्थ भाव दुर्बल हो या पाप ग्रहों से पीड़ित हो — जातक अपने घर में टिक नहीं पाता।
# सप्तमेश या शुक्र चतुर्थ भाव में हो — पत्नी के घर निवास का योग बनता है।
# शुक्र और चंद्रमा बलवान, तथा सूर्य, गुरु, मंगल निर्बल हों — स्त्री पक्ष प्रभावी होता है।
# नवम (पिता भाव) और दशम भाव (कर्म स्थान) दुर्बल हों — जातक ससुराल पर निर्भर रहता है।
🔸 *विशेष योग:*
# गृहत्याग योग – चतुर्थ और सप्तम दोनों पीड़ित हों।
# पराश्रय योग – लग्नेश निर्बल हो, जबकि चंद्र-शुक्र प्रभावी हों।
📜 सूत्र:
*"चतुर्थे सप्तमे शुक्रे चंद्रे वा, ससुरे वास एव च॥"*
👉 निष्कर्ष:
जब चतुर्थ-सप्तम भाव पीड़ित हों और शुक्र-चंद्रमा प्रभावी हों, तो जातक घर जमाई बनने की ओर प्रवृत्त होता है।
🎯 *ग्रहों की डिग्री आधारित भूमिका*
✅ शुभ स्थितियाँ:
* शुक्र उच्च (मीन 27°) या चतुर्थ/सप्तम में हो
* चंद्र उच्च (वृषभ 3°)
* सप्तमेश का चतुर्थ में होना – घर जमाई योग को बल देता है
❌ दुर्बल स्थितियाँ:
* सूर्य नीच (तुला 10°) – आत्मबल कमजोर
* गुरु नीच (मकर 5°) – निर्णय क्षमता कमजोर
* मंगल नीच (कर्क 28°) – घर में स्थायित्व नहीं
🌙 *नक्षत्र जो घर जमाई योग को बल देते हैं:*
🌸 रोहिणी (चंद्रमा का नक्षत्र)
विलासी, भौतिक सुख प्रिय, ससुराल से जुड़ाव
💗 रेवती (बुध का नक्षत्र)
सेवा, समर्पण, ससुराल में टिकने की प्रवृत्ति
🌙 स्वाति (राहु का नक्षत्र)
घर से दूरी, ससुराल या दूर स्थान में निवास
🧬 पूर्वा फाल्गुनी (शुक्र का नक्षत्र)
विलास, दांपत्य प्रेम, पत्नी के घर रहने का योग
🌀 हस्त (चंद्र का नक्षत्र)
समाज में तालमेल, ससुराल प्रभाव में रहना
🚫 जो नक्षत्र इस योग को कमजोर करते हैं:
* कृत्तिका – स्वाभिमानी, घर छोड़ना पसंद नहीं करता
* उत्तराषाढ़ा – कुल परंपरा से जुड़ाव
* मघा – वंश पर गर्व, ससुराल में नहीं बसता
* श्रवण – पारंपरिक, मूल निवास में रहना पसंद करता है
⚔️ *घर जमाई योग का नाश*
✅ बलवान चतुर्थेश या शुभ दृष्टि – जातक अपने घर में निवास करता है
✅ मजबूत लग्नेश (केंद्र/त्रिकोण में) – आत्मबल से निर्णय लेने की क्षमता
✅ सप्तमेश नीच या पाप दृष्टि में – ससुराल सुख में कमी
✅ सूर्य और गुरु उच्च स्थिति में – पारिवारिक गौरव, मूल निवास में रहने की इच्छा
✅ नीच भंग योग – यदि नीच ग्रहों पर शुभ दृष्टि हो
📍 उदाहरण:
चतुर्थेश मंगल नीच (कर्क 28°) हो लेकिन गुरु की दृष्टि से — योग नष्ट हो सकता है
🧘♂️ संक्षिप्त सूत्र:
*बलवान चतुर्थेशो लग्नस्थो वा शुभदृष्टितः।*
*पत्नीगृहं न याति स, स्वगृहे सुखभाजनम्॥*
Comments
Post a Comment