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सूर्य ग्रह

सूर्य ग्रह जन्म कुंडली में सूर्य ग्रह अशुभ हो जाए तो जातक को अत्‍यंत प्रयास करने के बाद भी अपने कार्यों में सफलता हासिल नहीं हो पाती है। नौकरी और करियर या बिजनेस में तरक्‍की पाने के लिए तो सूर्य का शुभ होना अत्‍यंत जरूरी है।  सूर्य को अनुकूल कुंडली में सूर्य का प्रभाव यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में सूर्य शुभ प्रभाव दे रहा है तो व्‍यक्‍ति आत्‍मविश्‍वासी बनता है और समाज को एक नई दिशा देता है। वहीं अगर सूर्य अशुभ स्‍थान में बैठा हो तो जातक निराशा की ओर चलने लगता है और उसे हड्डी से संबंधित रोग से ग्रस्‍त होकर ही अपना पूरा जीवन काटना  पड़ता है। 1.पहले भाव में सूर्य  पहले भाव में बैठकर सूर्य अशुभ फल दे रहा हो तो उस व्‍यक्‍ति को अपने जीवन में सत्‍य का साथ देना चाहिए। सूर्य योग के लिए अपनी आय का एक हिस्‍सा जरूरतमंदों की सहायता में खर्च करें। इससे जातक के जीवन के कष्‍ट कम हो जाएंगे। 2.दूसरे भाव में सूर्य  जन्‍मकुंडली के दूसरे भाव में सूर्य अशुभ प्रभाव दे तो जातक को झगड़ालू बनाता है और अपनी तीखी बातों से अपना पतन कर लेता है। जाता को अपनी वाणी पर नियं‍त्रण रखना चाहिए। धार्मिक...

शुक्र ग्रह की प्रसन्नता के उपाय

शुक्र ग्रह की प्रसन्नता के उपाय 1. कनकधारा महालक्ष्मी का दैनिक पाठ करना चाहिए।  2. वस्त्र स्वच्छ पहनने चाहिए I  3. पत्नी का सम्मान करना चाहिए।  4. गोमाता की सेवा तथा गोशाला में गुड़, चरी हराचारा, चने की दाल गायों को खिलाएं।  5. विशेषरूप से श्रीविद्या का पूजन कराएं।  6. एकाक्षी ब्राह्मण को कांशी के कटोरे में खीर खिलाकर दक्षिणा देकर आशीर्वाद प्राप्त करें।  7. विशेष परिस्थिति में रोग हो तो मृत संजीवनी का मंत्र जप कराएं।  8. संयम से रहें।  9. व्यसनों से बचें।  ✍️क्या घर के देवताओं को बांधा जा सकता है ?** **घर पर हुए तांत्रिक प्रयोग या बंधन , धीरे धीरे उजाड़ देते हैं !!!** कुछ लोगों के प्रश्नं हैं , घर के देवता बंधन में हैं, यह कैसे पता चलेगा? वे बंधन मुक्त कैसे हो सकते हैं? पितरों को खोलने का मंत्र , कुलदेवी को खोलने का मंत्र क्या है। इस लेख में सबका विस्तार से उत्तर दिया है। घर की कुलदेवी देवता, इष्ट देवता ,पितृ देव आदि सहायक आत्माएं है , जो हमारी रक्षा करती है ,परिवार में तरक्की ,खुशहाली लाती हैं । जिस तरह से उन्हें पूजा ,भोग मान्यता इत्यादि से...

बुध का जातक के जीवन पर प्रभाव

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बुध का जातक के जीवन पर प्रभाव 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ बुध ग्रह और जन्मपत्रिका 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ज्योतिष में सूर्य को ग्रहों का राजा पिता चन्द्रमा को ग्रहों की रानी और मंगल को ग्रहों का सेनापति और भाई का कारक माना गया है। बुध को युवराज/युवराज्ञी और बहन माना गया है। बुध ग्रह मिथुन राशि और कन्या राशि का स्वामी है बुध कन्या में उच्च और मीन राशि में नीच होता है मिथुन राशि इसकी अपनी राशि है। तुला राशि में यह सबसे अधिक प्रसन्न रहता है। साल में लगभग यह 24 दिन वक्री रहता है। युवराज या युवराज्ञी इसलिए माना जाता है कि जब इसकी दशा/अन्तरदशा आती है तब यह तत्काल फल देता है यह ग्रह बचपन में भी जल्दी प्रभावी हो जाता है इसलिए इसे युवराज्ञी की संज्ञा दिया जाता है। बुध की महादशा 17 साल की होती है इसका रंग हरा और रत्न पन्ना है। आकृति गोल है और स्वाद मिश्रित खट्टा- मीठा, नमकीन 21 से 30 दिन तक रहता है। प्रचीन ज्योतिष के हिसाब से देवता विष्णु भगवान और लाल किताब के हिसाब से दुर्गा माता मानी जाती है इसकी दिशा उत्तर है और दृष्टि तिरछी है यह जिस घर में बैठा है उससे सप्तम दृष्टि से देखता है। विद्या, बुद्...

नक्षत्र

💁  मित्रों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि, हमारी ज्योतिष *गणना*  का आधार सर्वथा  *सिर्फ और सिर्फ नक्षत्र*  ही रहे हैं...........  आज, इन सभी 27 नक्षत्रों के *प्रभाव* को जानने का एक छोटा सा प्रयास करते हैं  ! *** *हर्षल* और *प्लूटो*, की जानकारी विस्तृत रूप से, अगली पोस्ट में प्रेषित की जाएगी !  ***  नक्षत्र और उनके स्वामी. 1. अश्विनी : केतु : ज्योतिष शास्त्र में सबसे प्रमुख और सबसे प्रथम अश्विन नक्षत्र को माना गया है। जो व्यक्ति इस नक्षत्र में जन्म लेता है वह बहुत ऊर्जावान होने के सथ-साथ हमेशा सक्रिय रहना पसंद करता है। इनकी महत्वाकांक्षाएं इन्हें संतुष्ट नहीं होने देतीं। ये लोग रहस्यमयी प्रकृत्ति के इंसान होने के साथ-साथ थोड़े जल्दबाज भी होते हैं जो पहले काम कर लेते हैं और बाद में उस पर विचार करते हैं। ये लोग अच्छे जीवनसाथी और एक आदर्श मित्र साबित होते हैं। 2. : भरणी : शुक्र : इस नक्षत्र का स्वामी शुक्र ग्रह होता है, जिसकी वजह से इस नक्षत्र में जन्में लोग आराम पसंद और आलीशान जीवन जीना चाहते हैं। ये लोग काफी आकर्षक और सुंदर होते हैं, इनका स्वभाव लोगों...

मन्त्र की शक्ति

मन्त्र की शक्ति 〰️🔸🔸〰️ मंत्र क्या है ?क्या होती है मंत्र शक्ति ? भगवान राम ने भी शबरी को नवधाभक्ति का उपदेश देते समय कहा था। मंत्र जाप मम दृढ़ विस्वासा। मंत्र शब्दों का संचय होता है, जिससे इष्ट को प्राप्त कर सकते हैं और अनिष्ट बाधाओं को नष्ट कर सकते हैं । मंत्र इस शब्द में ‘मन्’ का तात्पर्य मन और मनन से है और ‘त्र’ का तात्पर्य शक्ति और रक्षा से है । अगले स्तर पर मंत्र अर्थात जिसके मनन से व्यक्ति को पूरे ब्रह्मांड से उसकी एकरूपता का ज्ञान प्राप्त होता है । इस स्तर पर मनन भी रुक जाता है मन का लय हो जाता है और मंत्र भी शांत हो जाता है । इस स्थिति में व्यक्ति जन्म-मृत्यु के फेरे से छूट जाता है । मंत्रजप के अनेक लाभ हैं, उदा. आध्यात्मिक प्रगति, शत्रु का विनाश, अलौकिक शक्ति पाना, पाप नष्ट होना और वाणी की शुद्धि। मंत्र जपने और ईश्वर का नाम जपने में भिन्नता है । मंत्रजप करने के लिए अनेक नियमों का पालन करना पडता है; परंतु नामजप करने के लिए इसकी आवश्यकता नहीं होती । उदाहरणार्थ मंत्रजप सात्त्विक वातावरण में ही करना आवश्यक है; परंतु ईश्वर का नामजप कहीं भी और किसी भी समय किया जा सकता है । मंत्रजप ...

बिल्व पत्र की विशेषता

बिल्व पत्र की विशेषता 〰️〰️🌼🌼🌼〰️〰️ भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र यानी बेल पत्र का विशेष महत्व है। महादेव एक बेलपत्र अर्पण करने से भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए तो उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है। बिल्व तथा श्रीफल नाम से प्रसिद्ध  यह फल बहुत ही काम का है। यह जिस पेड़ पर लगता है वह शिवद्रुम भी कहलाता है। बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है।  बेल के पत्ते शंकर जी  का आहार माने गए हैं, इसलिए भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें महादेव के ऊपर चढ़ाते हैं। शिव की पूजा के लिए बिल्व-पत्र बहुत ज़रूरी माना जाता है। शिव-भक्तों का विश्वास है कि पत्तों के त्रिनेत्रस्वरूप् तीनों पर्णक शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। भगवान शंकर का प्रिय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ भगवान शंकर को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं। भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। शिवरात्रि के अवसर पर बिल्वपत्रों से विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, किंतु कुछ ऐसे बिल्व पत्र भी होते हैं जो दुर्लभ पर चमत्कारिक और अद्भ...

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र यजुर्वेद में वर्णित यह मंत्र सूर्यदेव को समर्पित है और कलयुग में भी उतना प्रभावी है जितना बीते युगों में था, "शायद" कोई मंत्र कलयुग में इतनी जल्दी प्रभाव न दिखाए जितना जल्दी प्रभाव यह मंत्र दिखाता है,इस मंत्र के लाभ का तो कहना ही क्या अगर किसी को राजा जैसा पद चाहिए या राजा ही बनना है तो यह मंत्र एकदम सटीक है, परंतु इस मंत्र के नियम भी उतने ही प्रभावी है जितने बीते युगों में थे, अगर इस मंत्र के नियम का पालन नहीं किया तो लेने के देने पड़ जाते है ऐसे उदाहरण बहुत है,क्योंकि कलयुग में नियम कायदे का पालन करना मुश्किल है, न ही ज्ञान है न परिस्थिति है। परंतु फिर भी कलयुग के हिसाब से कुछ छूट दी गई है,वो में आपको बताता हूं, और कोन इस मंत्र का लाभ उठा सकता है और कोन इसका जाप नहीं कर सकता यह भी बताता हूं। जो झूठ नही बोलते, लोगों को गुमराह करके पैसा नहीं कमाते,या गैर जरूरी लाभ नहीं कमाते हो,ईमानदार रहते हो अपने प्रति भी और दूसरो के प्रति भी, गुस्सा नहीं करते जब तक बहुत आवश्यकता न हो, आलोचना या बुराई नहीं करते, गैर जरूरी कामुकता से बच के रहते हो उन्हें ही गायत्री मंत्र जप करन...