सूर्य दसवें घर में
वैदिक ज्योतिष के अनुसार दसवें घर को कर्म स्थान भी कहा जाता है | जय, यश, इज्जत, जीवन यापन का क्षेत्र , रुचियाँ , आचार, हुकूमत का विचार दसवें घर से किया जाता है | इसे केंद्र स्थान भी कहा जाता है | वंही सूर्य ग्रह को ऊर्जा, पिता, आत्मा का कारक माना जाता है। सभी ग्रहों का राजा भी सूर्य है। व्यक्तित्व ,पिता,वैद,प्रतिष्ठा , सोना, ताम्बा ,युद्ध में विजय,सुख,राजसेवक,ताक़त,देवस्थान, जंगल,पहाड़, पित्त प्रकृति आदि का विचार सूर्य से किया जाता है | जातक की कुंडली में जब सूर्य की स्थिति मजबूत होती है तो उसे बहुत से फायदे मिलते हैं। उसे अच्छी नौकरी, सम्मान और उच्च पद प्राप्त होता है। वह जन्मजात लीडर होता है । कुंडली के दसवें घर में बैठा बलवान सूर्य व्यक्ति को राजनीति, सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र में उच्च पद दिला सकता है। सूर्य का यंहा सबसे अच्छा प्लेसमेंट कहा जा सकता है क्योंकि ये घर करियर से सम्बन्ध रखता है। दसवें घर का बलवान सूर्य व्यक्ति के लिए वरदान साबित हो सकता है उसके लिए आशीर्वाद है। यंहा का सूर्य व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाने के साथ साथ व्यक्तित्व में चुम्बकीय आकर्षण देता है।
कुंडली के दसवें घर में बैठा सूर्य वास्तव में व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं को विस्तार देता है इसलिए ऐसा व्यक्ति नेतृत्व करने में आगे रहता है। सार्वजनिक कामों में हिस्सा ले सकता है , रिसर्च के कामों में रूचि ले सकता है , एक अच्छा शिक्षक या मोटिवेशनल गुरु बन सकता है। राजनीति के शिखर पर जा सकता है क्योंकि इनकी कार्यशैली बहुत ही कमाल की होती है और लोगों को प्रभावित करती है , लोग इनकी तरफ खींचे चले आते हैं। सरकार का हिस्सा बन सकते हैं या एडमिनिस्ट्रेशन में उच्च पद की शोभा बन सकते हैं। अगर प्राइवेट क्षेत्र मे हैं तो सीईओ जैसे पद तक पहुँच जाते हैं।
कुंडली के दसवें घर में कमजोर सूर्य के नकारात्मक परिणामों की बात करें तो नौकरी के लिए जगह जगह भटकना पड़ सकता है या बार बार नौकरी बदल सकता है। नौकरी में असंतुष्टता बनी रह सकती है या कोई आरोप लग सकता है।सरकार से परेशानी हो सकती है। सहकर्मियों के साथ वाद विवाद हो सकता है। कठिन परिश्रम के बावजूद काम का श्रेय दूसरे लोग ले जा सकते हैं। अपमानित होना पड़ सकता है। माता का स्वास्थ्य ख़राब रह सकता है या पिता पुत्र में अनबन बनी रह सकती है। कुंडली में सूर्य मेष राशि में 10 अंश तक उच्च और तुला राशि में नीच का होता है | सूर्य का रत्न माणिक्य होता है | सूर्य ग्रह के शुभ परिणाम तभी मिलते हैं जब कुंडली में दूसरे ग्रहों का साथ मिल रहा हो। सूर्य ग्रह के अशुभ परिणाम भी तभी मिलते हैं जब कुंडली में दूसरे ग्रहों का साथ नहीं मिल रहा हो। हम अपने मन के तल पर कुछ बदलावों और उपायों से सूर्य ग्रह के नेगेटिव इफेक्ट्स को कम कर सकते हैं |
अकेले सूर्य ग्रह की स्थिति के आधार पर अंतिम निर्णय नहीं करना चाहिए इसके लिए पूरी कुंडली का विश्लेषण जरुरी है ।
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