Posts

Showing posts from June, 2021

राहु उपाय

राहु  ग्रह शांति के उपाय :- 1. अपने पास सफेद चन्दन अवश्य रखना चाहिए। सफेद चन्दन की माला भी धारण की जा सकती है। प्रतिदिन सुबह चन्दन का टीका भी लगाना चाहिए। अगर हो सके तो नहाने के पानी में चन्दन का इत्र डाल कर नहाएं। 2. राहु की शांति के लिए श्रावण मास में रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करना सर्वोत्तम है। 3. शनिवार को कोयला, तिल, नारियल, कच्चा दूध, हरी घास, जौ, तांबा बहती नदी में प्रवाहित करें। 4. बहते पानी में शीशा अथवा नारियल प्रवाहित करें। 5. नारियल में छेद करके उसके अन्दर ताम्बे का पैसा डालकर नदी में बहा दें | 6. बहते पानी में तांबे के 43 टुकड़े प्रवाहित करें। 7. नदी में लकड़ी का कोयला प्रवाहित करें। 8. नदी में पैसा प्रवाहित करें। 9. एक नारियल + 11 बादाम (साबुत) काले वस्त्र में बांधकर जल में प्रवाहित करें। 10. हर बुधवार को चार सौ ग्राम धनियां पानी में बहाएं। 11. कुष्ठ रोगी को मूली का दान दें। 12. काले कुत्ते को मीठी रोटियां खिलाएं। 13. मोर व सर्प में शत्रुता है अर्थात सर्प, शनि तथा राहू के संयोग से बनता है। यदि मोर का पंख घर के पूर्वी और उत्तर-पश्चिम दीवार में या अपनी जेब व डायरी में रखा हो

Saturn is a karmic planet

Saturn is a karmic planet which gives results based on your deeds in this birth as well as from your past lives Saturn in 1st house: Help yourself first before helping others; construct your home first then give it to others (example in leo; before giving authority to others, take it yourself) Saturn in 2nd house: Donate for Constructing Storehouse or warehouse where people can place their resources; especially where people can have food in future. Saturn 3rd house: Donate for construction of a water source outside your house or any place where people can sit and drink the water; Native should leave his parking place for someone else. Saturn in 4th house: Validate people; reach out the people who are outside society like; Construct something for them. Saturn in 5th house: Donation for Construction of a temple  or school. Saturn in 6th house: Donate for Construction for hospitals. Saturn in 7th house= Donate for Construct marriage hall; community hall. Saturn in 8th house = Donate in cr

How to Please Nine planets.

Find out, How to Please Nine planets.  Some Basic Remedies For All Planets. Everyone is unique in its own sense, We all have same planets in our chart but with different roles & missions. But one thing is common, all planets have some basic nature & duties & they r framed & bound to give their results as per our own actions & attention given to them, if we properly follow their rules & guideline, they gonna surely listen us & can alter their results... But The Main fight is how to take favour frm planets in case of having malefic effects in our chart... We have been listening a lot abt remedies, like Donation, Mantra chanting, Puja Rituals, Gem stones etc etc & All have their own way of working & giving relief to us, Bt do u know, there is one more remedy which comes under Human Behavioural Remedy, Yes,  Key factor of this remedy is, The planets in our chart is directly related to our own behavior,  that start with the self efforts, So it's bette

श्रेष्ठ जीवन के छ: सूत्र

.            * श्रेष्ठ जीवन के छ: सूत्र *    * पहला सूत्र :  ध्यान ब्रम्ह मुहूर्त का समय सुबह  तीन बजकर चालीस मिनट से लेकर साढ़े चार बजे तक का होता है, प्रत्येक व्यक्ति को स्वास्थ्य की दृष्टि से सूर्योदय से पहले उठ ही जाना चाहिए, मै यह नहीं कहता कि आप साढ़े तीन बजे उठ जाएं या पांच बजे उठ जाएं, आपकी इच्छा है, जब भी चाहें उठकर सबसे पहले बिस्तर पर  बैठकर ध्यान में उतरने की शुरुआत करें, कोई अन्य कार्य न करें, प्रतिदिन एक ही समय पर उठें, यानी यदि आज आप 6 बजकर 10 मिनट पर उठे हैं तो इस समय का अलार्म लगा लें, ध्यान का जरा सा स्वाद भी आपको शीघ्र उठने पर मजबूर कर देगा,  ब्रम्ह मुहूर्त  के बड़े गहरे अर्थ हैं, किन्तु मै एक लाइन में कहूं कि उस समय अस्तित्व या ब्रह्मांडीय या दैवीय ऊर्जा प्रत्येक प्राणी मेे प्रवेश करती है सुखासन मेे अर्थात पालथी लगाकर बैठ जाएं, रीढ़ को सीधा रखें, तनकर न बैठें, शरीर को ढीला छोड़ दें, दोनों कान में मोबाइल का खराब पड़ा हुआ ईयर प्लग लगा लें ताकि बाहर की आवाजें कम सुनाई पड़े, इससे भी अच्छा कोई तरीका है तो वह करें शरीर में कोई हलचल न करें, शांत बैठें, किसी भी तरह का कोई वि

Decodes Rahu Energy (Part2)

✨Decodes Rahu Energy (Part2) Many people asked me how to read Rahu instead from a different perspective as the continuous application of concepts I shared in Part1 of the Rahu series. I encourage you to read the first part if you haven't. In this article, the focus will be divided into 4 parts of the zodiac element: Fire, Earth, Air, and Water element. Rahu in Fire Signs  Fire signifies ignition of life, a new beginning, and when the Lord Brahma had a desire to create, the existence born from Fire. It’s natural Dharma in the Kalapursha belt that translates as soul desire in this lifetime. Rahu here can be a bit overwhelmed in a sense huge amount of energy stored within but can manifest good results too. Rahu can be unstoppable in a fire sign. Rahu here has a desire to create, evolve, impact and leave a legacy before the soul departs. There is an energy of “No matter what happens, I’ll always be focused to achieve my dream”, and those desires can be unlimited. Such people are dedica

कहानी

बहुत समय पहले की बात है , एक राजा को उपहार में किसी ने बाज के दो बच्चे भेंट किये ।  वे बड़े ही अच्छी नस्ल के थे और राजा ने कभी इससे पहले इतने शानदार बाज नहीं देखे थे।  राजा ने उनकी देखभाल के लिए एक अनुभवी आदमी को नियुक्त कर दिया।   जब कुछ महीने बीत गए तो राजा ने बाजों को देखने का मन बनाया और उस जगह पहुँच गए जहाँ उन्हें पाला जा रहा था।   राजा ने देखा कि दोनों बाज काफी बड़े हो चुके थे और अब पहले से भी शानदार लग रहे थे ।  राजा ने बाजों की देखभाल कर रहे आदमी से कहा, ” मैं इनकी उड़ान देखना चाहता हूँ , तुम इन्हें उड़ने का इशारा करो ।  “ आदमी ने ऐसा ही किया।   इशारा मिलते ही दोनों बाज उड़ान भरने लगे , पर जहाँ एक बाज आसमान की ऊंचाइयों को छू रहा था , वहीँ दूसरा , कुछ ऊपर जाकर वापस उसी डाल पर आकर बैठ  गया जिससे वो उड़ा था।   ये देख ,राजा को कुछ अजीब लगा.“ क्या बात है जहाँ एक बाज इतनी अच्छी उड़ान भर रहा है वहीँ ये दूसरा बाज उड़ना ही नहीं चाह रहा ?”,राजा ने सवाल किया।  ” जी हुजूर ,इस बाज के साथ शुरू से यही समस्या है , वो इस डाल को छोड़ता ही नहीं।” राजा को दोनों ही बाज प्रिय थे और वो अपने दूसरे बाज को भी उस

नोकरी योग

अक्सर मन में सवाल उठता है कि व्यापार करना चाहिए अथवा नौकरी. ज्योतिष विधान के अनुसार अगर कुण्डली में द्वितीय, पंचम, नवम, दशम और एकादश भाव और उन में स्थित ग्रह कमजोर हैं तो आपको नौकरी करनी पड़ सकती है. इन भावों में अगर ग्रह मजबबूत हैं तो आप व्यापार सकते हें. —–जातक का लग्न यदि स्थिर राशि [2, 5, 8, 11] का है, तो व्यक्ति स्थिर आमदनी वाला व्यवसाय करता है। बलवान लग्नेश शारीरिक शक्ति, हिम्मत, जोश से व्यवसाय कराता है। बलवान सूर्य आत्म विश्वास की क्षमता बढ़ाता है। बुध बलवान होकर कार्य क्षमता में उन्नति के विचार की शक्ति देता है। स्थिर राशि का चंद्र स्थिर व्यापार कराने में विशेष सहायक होता है। ——-चर राशि के चंद्रमा वाले लोग बार-बार व्यवसाय व्यापार में पैसा फंसाकर व्यवसाय बदलते हैं। राशि [3, 7, 11] लग्न वाले लोगों को जनसंपर्क वाले व्यवसाय नहीं करने चाहिए, क्योंकि ऎसे व्यक्ति को जल्दी गुस्सा आता है। ——–इसी प्रकार जल तत्व राशि [4, 8, 12] लग्न वाले व्यक्ति को भी व्यवसाय के झंझट में नहीं फंसना चाहिए, क्योंकि ऎसा व्यक्ति अपने व्यवहार के कारण व्यवसाय में नाकाम रहता है। व्यवसाय की सफलता तब ही संभव होती

दरिद्र योग

दरिद्र योग के प्रभाव में जातक को धन संचय में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। उसे वित्त से संबधित कई क्षेत्रों में असफलताओं का सामना करना पड़ सकता है। हालांकि कुंडली में इस योग के कारण ऐसा नहीं कहा जा सकता कि इसके प्रभाव में आदमी पैसे-पैसे को मोहताज हो जाता है। लेकिन दरिद्र योग के प्रभाव में उसे सदैव आर्थिक परेशानियों का सामना करना पड़ेगा। इसमें सबसे बड़ी परेशानी यह है कि इस योग के कारण आय व्यय से कम होती जाती है। यदि दरिद्र योग के प्रभावों के बाद भी जातक आय बढ़ाने में सफल भी हो जाता है तो उसे धन संचय में मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है।  धनहीनता के ज्योतिष योग धनहानि किसी को भी अच्छी नहीं लगती है। आज उन ज्योतिष योगों की चर्चा करेंगे जो धनहानि या धनहीनता कराते हैं। कुछ योग इस प्रकार हैं-  🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼🌼 *मूलत- धनेश, लाभेश, दशमेश, लग्नेश एवं भाग्येश निर्बल हो तो धनहीनता का योग बनता है।उक्त धनहीनता के योग योगकारक ग्रहों की दशान्तर्दशा में फल देते हैं। फल कहते समय दशा एवं गोचर का विचार भी कर लेना चाहिए। 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 १. धनेश छठे, आठवें एवं बारहवें भ

शुभ अशुभ ग्रह

शास्त्रकारों ने जन्म कुंडली में ग्रहों को मुख्यतः दो श्रेणियों में विभाजित किया है। एक को शुभ ग्रह कहा तथा दूसरे को पाप ग्रहा इसी प्रकार शुभ भाव और पाप भाव, शुभ स्थिति तथा पाप स्थिति इन बातों का आधार मान कर ही फलाफल करने की प्रथा प्रचालित हुई। विद्वानों ने मंगल, राहु, केतु शनि तथा कुछ ने सूर्य को भी नैसर्गिक पापी माना। बुध, शुक्र तथा गुरू को सौभ्य या शुभग्रह माना। चन्द्रमा के विषय में कोई विशेष धारणा व्यक्त नहीं की गई। क्षीण चन्द्र का फल अशुभ पाया गया है। क्षीण चन्द्र का तात्पर्य कुण्डली में सूर्य ग्रह से 72 डिग्री के अन्दर आगे या पीछे माना है। उसके आगे पीछे चन्द्रमा क्षीण नहीं होता। ग्रहों के विषय में शुभ या अशुभ का माप दण्ड क्या है? मैं अब तक समझ नहीं पाया। पापी ग्रह हम किसे कहेगें? सूर्य ग्रह आत्मा का कारक है। आत्मा को हम क्रूर या पापी की संज्ञा कैसे देगे? चन्द्रमा मन का घोतक है। शनि ग्रह सूर्य के पुत्र हैं। बुध ग्रह चन्द्रमा की संतान है | इसे क्या पापी कहेंगे? मंगल भूमि पुत्र कहा गया है। राहु-केतु तो एक छाया ग्रह है। इसकी अपनी शक्ति कहां? अपने अनुभव में हमने शुरू जैसे शुभ ग्रह को क

गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी

गाय से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी । 1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं । 2. गौ माता में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है । 3. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं । 4. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है । 5. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है । 6. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते । 7. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है । 8. गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है । 9. गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। 10. गौ माता के एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है । 11. गाय इस धरती पर साक्षात देवता है । 12. गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है । मनोकामना पूर्ण करने वाली है । 13. गौ माता के दुध मे सुवर

पाप ग्रह और नंग

शास्त्रकारों ने जन्म कुंडली में ग्रहों को मुख्यतः दो श्रेणियों में विभाजित किया है। एक को शुभ ग्रह कहा तथा दूसरे को पाप ग्रहा इसी प्रकार शुभ भाव और पाप भाव, शुभ स्थिति तथा पाप स्थिति इन बातों का आधार मान कर ही फलाफल करने की प्रथा प्रचालित हुई। विद्वानों ने मंगल, राहु, केतु शनि तथा कुछ ने सूर्य को भी नैसर्गिक पापी माना। बुध, शुक्र तथा गुरू को सौभ्य या शुभग्रह माना। चन्द्रमा के विषय में कोई विशेष धारणा व्यक्त नहीं की गई। क्षीण चन्द्र का फल अशुभ पाया गया है। क्षीण चन्द्र का तात्पर्य कुण्डली में सूर्य ग्रह से 72 डिग्री के अन्दर आगे या पीछे माना है। उसके आगे पीछे चन्द्रमा क्षीण नहीं होता। ग्रहों के विषय में शुभ या अशुभ का माप दण्ड क्या है? मैं अब तक समझ नहीं पाया। पापी ग्रह हम किसे कहेगें? सूर्य ग्रह आत्मा का कारक है। आत्मा को हम क्रूर या पापी की संज्ञा कैसे देगे? चन्द्रमा मन का घोतक है। शनि ग्रह सूर्य के पुत्र हैं। बुध ग्रह चन्द्रमा की संतान है | इसे क्या पापी कहेंगे? मंगल भूमि पुत्र कहा गया है। राहु-केतु तो एक छाया ग्रह है। इसकी अपनी शक्ति कहां? अपने अनुभव में हमने शुरू जैसे शुभ ग्रह को क

कुंडली

अक्सर मन में सवाल उठता है कि व्यापार करना चाहिए अथवा नौकरी. ज्योतिष विधान के अनुसार अगर कुण्डली में द्वितीय, पंचम, नवम, दशम और एकादश भाव और उन में स्थित ग्रह कमजोर हैं तो आपको नौकरी करनी पड़ सकती है. इन भावों में अगर ग्रह मजबबूत हैं तो आप व्यापार सकते हें. —–जातक का लग्न यदि स्थिर राशि [2, 5, 8, 11] का है, तो व्यक्ति स्थिर आमदनी वाला व्यवसाय करता है। बलवान लग्नेश शारीरिक शक्ति, हिम्मत, जोश से व्यवसाय कराता है। बलवान सूर्य आत्म विश्वास की क्षमता बढ़ाता है। बुध बलवान होकर कार्य क्षमता में उन्नति के विचार की शक्ति देता है। स्थिर राशि का चंद्र स्थिर व्यापार कराने में विशेष सहायक होता है। ——-चर राशि के चंद्रमा वाले लोग बार-बार व्यवसाय व्यापार में पैसा फंसाकर व्यवसाय बदलते हैं। राशि [3, 7, 11] लग्न वाले लोगों को जनसंपर्क वाले व्यवसाय नहीं करने चाहिए, क्योंकि ऎसे व्यक्ति को जल्दी गुस्सा आता है। ——–इसी प्रकार जल तत्व राशि [4, 8, 12] लग्न वाले व्यक्ति को भी व्यवसाय के झंझट में नहीं फंसना चाहिए, क्योंकि ऎसा व्यक्ति अपने व्यवहार के कारण व्यवसाय में नाकाम रहता है। व्यवसाय की सफलता तब ही संभव होती

सूर्य और सात घोड़े.....🌞

🌞सूर्य और सात घोड़े.....🌞 🌞 अद्भुत है सूर्य रथ के सात घोड़ों से जुड़ा विज्ञान !! 🌞 रोचक तथ्य हिन्दू धर्म में देवी-देवताओं तथा उनसे जुड़ी कहानियों का इतिहास काफी बड़ा है या यूं कहें कि कभी ना खत्म होने वाला यह इतिहास आज विश्व में अपनी एक अलग ही पहचान बनाए हुए है। विभिन्न देवी-देवताओं का चित्रण, उनकी वेश-भूषा और यहां तक कि वे किस सवारी पर सवार होते थे यह तथ्य भी काफी रोचक हैं। 🌞 सूर्य रथ हिन्दू धर्म में विघ्नहर्ता गणेश जी की सवारी काफी प्यारी मानी जाती है। गणेश जी एक मूषक यानि कि चूहे पर सवार होते हैं जिसे देख हर कोई अचंभित होता है कि कैसे महज एक चूहा उनका वजन संभालता है। गणेश जी के बाद यदि किसी देवी या देवता की सवारी सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है तो वे हैं सूर्य भगवान। 🌞 क्यों जुते हैं सात घोड़े सूर्य भगवान सात घोड़ों द्वारा चलाए जा रहे रथ पर सवार होते हैं। सूर्य भगवान जिन्हें आदित्य, भानु और रवि भी कहा जाता है, वे सात विशाल एवं मजबूत घोड़ों पर सवार होते हैं। इन घोड़ों की लगाम अरुण देव के हाथ होती है और स्वयं सूर्य देवता पीछे रथ पर विराजमान होते हैं। 🌞 सात की खास संख्या लेकिन सूर्य देव द्वारा स

कहानी

एक आदमी ने नारदमुनि से पूछा मेरे भाग्य में कितना धन है... : नारदमुनि ने कहा - भगवान विष्णु से पूछकर कल बताऊंगा... : नारदमुनि ने कहा- 1 रुपया रोज तुम्हारे भाग्य में है... : आदमी बहुत खुश रहने लगा... उसकी जरूरते 1 रूपये में पूरी हो जाती थी... : एक दिन उसके मित्र ने कहा में तुम्हारे सादगी जीवन और खुश देखकर बहुत प्रभावित हुआ हूं और अपनी बहन की शादी तुमसे करना चाहता हूँ... : आदमी ने कहा मेरी कमाई 1 रुपया रोज की है इसको ध्यान में रखना... इसी में से ही गुजर बसर करना पड़ेगा तुम्हारी बहन को... : मित्र ने कहा कोई बात नहीं मुझे रिश्ता मंजूर है... : अगले दिन से उस आदमी की कमाई 11 रुपया हो गई... : उसने नारदमुनि को बुलाया की हे मुनिवर मेरे भाग्य में 1 रूपया लिखा है फिर 11 रुपये क्यो मिल रहे है...?? : नारदमुनि ने कहा - तुम्हारा किसी से रिश्ता या सगाई हुई है क्या...?? : हाँ हुई है... : तो यह तुमको 10 रुपये उसके भाग्य के मिल रहे है... इसको जोड़ना शुरू करो तुम्हारे विवाह में काम आएंगे... : एक दिन उसकी पत्नी गर्भवती हुई और उसकी कमाई 31 रूपये होने लगी... : फिर उसने नारदमुनि को बुलाया और कहा है मुनिवर मेरी

दशमेश

जय श्री बालाजी दसम भाव और ग्रह दसम भाव कर्म भाव के रूप में मुख्यतया जाना जाता है। कर्म जो हम करने के लिए पैदा हुए है। कर्म जिनके किये बिना हम एक क्षण भी नही रह सकते। दसम भाव जिसका सीधा प्रभाव लग्न पे होगा। दसम भाव जो बताएगा कि आप किस तरह के कर्मो के लिए पैदा हुए हो। दसम भाव को 4 ग्रह दिए गए है। बुध, गुरु, सूर्य, शनि। सूर्य तो आत्मविश्वास और मान सम्मान का कारक वैसे ही है। बुध जो वाणी और धन और ग्रहण करने की क्षमता है जो बताएगा कि आप अपने कर्म क्षेत्र में कितने दक्ष हो। गुरु तो समझदारी ओर सोचने की क्षमता है उसके बिना आप कर्म कैसे करोगे। शनि तो कर्म है ही। गंभीरता है ही। तो इस तरह इन चारों ग्रहों को दसम का कारकत्व दे दिया गया। दसम में सूर्य मंगल दिग्बली होते है। दोनो ही बड़ा शुभ फल देते है। मंगल कुलदीपक योग बनाता है। सूर्य तो मान सम्मान राज्य कृपा दिलाने की पूरी कोशिश करता है।   दसम भाव मे राहु बड़ा गजब फल देता है। मिथुन कन्या का तो सुपर डुपर।  तो इस तरह दसम भाव बाहत सारे ग्रहों का प्रभाव दर्शाता है। केंद्र में सबसे बलि होता है। शायद इसलिए इसकी इतनी महत्ता गाई गयी है। यही दसम भलव मृत्यु का व