मंगल दोष
✍️ मांगलिक होना और मंगल दोष होना ये दोनों अलग अलग चीजें है बहुत सारे लोग मांगलिक और मंगल दोष को एक ही समझ लेते है जिससे भ्रांति बनती है कोई भी व्यक्ति जिससे पता लगता है वो मांगलिक है उसके मन में फालतू भय बन जाता है की वैवाहिक जीवन में परेशानी बनेगी तो आइये आज चर्चा करके भ्रांति को दूर करने का प्रयास करते है ।
💎 कुण्डली के 1 4 7 8 12 भाव में मंगल विराजमान हो तो जातक मांगलिक होता है
💥 मांगलिक दोष केवल केवल तभी बनता है जब मंगल पीड़ित हो मंगल 1 4 7 8 12 भाव में शनि /राहु/केतु के साथ युति में हो या अलगाववादी ग्रहों से दृष्टा होकर पीड़ित हो या मंगल कुण्डली के 6 8 12 भाव के स्वामी से बुरी तरह पीड़ित हौ या मंगल अपने नैसर्गिक शत्रु के साथ बैठ कर पीड़ित हो या मंगल 1 4 7 8 12 भाव में नीच या वक्री होकर पीड़ित हो ।
✍️ मंगल की कंडीशंन को D9 और D60 वर्ग कुण्डली मैं जरूर देखना चाहिए ।
🦚 कुछ कुण्डली में दूसरे भाव में बैठा मंगल भी वैवाहिक जीवन में कुछ तनाव से देता है अगर पीड़ित हो तो कारण मंगल की सातवीं दृष्टि अष्टम भाव पर होती है मंगल वाणी भाव से ससुराल भाव पर दृष्टि डालकर पीड़ित कर सकता है साउथ इंडियन ज्योतिष धन भाव के मंगल को भी मांगलिक योग में जोड़ देते है
🔱 मांगलिक दोष भंग के नियम ✍️
(1) मंगल 1 4 7 8 12 भाव में स्वराशि या उच्च राशि में हो और शुभ गृह से दृष्टा हो तो मांगलिक योग भंग हो जाता है
(2) मंगल पर स्ट्रॉंग बृहस्पति की दृष्टि मांगलिक योग को भंग करती है ।
(3) केन्द्र में शुभ गृह हो और मंगल पीड़ित ना हो तो मांगलिक योग भंग हो जाता है
(4) मंगल के साथ बृहस्पति युति में हो तो मांगलिक योग भंग हो जाता है
(5) सिंहे लगन और कर्क लगन में भी मांगलिक योग भंग हो जाता है धनु मीन राशि सिंह राशि में भी मांगलिक योग रद हो जाता है ।
(6 ) - मंगल पुष्कर पीड़ित ना हो और पुष्कर नवमांश में हो तो भी शुभ फल देता है
💎 यहां ध्यान देने योग्य बात ये है की मांगलिक योग और मंगल दोष दोनों अलग अलग है मांगलिक योग भंग हो जाता है केवल मंगल दोष होने से ही वैवाहिक जीवन में परेशानियां आती है मांगलिक योग 42 % जातक की कुण्डली में मिल जाता है लेकिन मंगल दोष केवल 5 ℅ से 8 % जातकों की कुंडलियों में ही पाया जाता है जो वैवाहिक जीवन को खराब कर सकत है आता स्पष्ट है मांगलिक होने मात्र से आपका वैवाहिक जीवन खराब नहीं होता है ।
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