धनतेरस

#धनतेरस

कार्तिक माह की कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन समुद्र मंथन के समय भगवान धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे इसीलिए इस तिथि को धनतेरस या धनत्रयोदशी के नाम से जाना जाता है।

जैन आगम में धनतेरस को ध्यानतेरस के नाम से भी जाना जाता है भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिए योग निरोध के लिए चले गए थे 3 दिन ध्यान के बाद योग निरोध करते हुए दीपावली के दिन निर्वाण को प्राप्त हुए तभी से यह दिन धन्य तेरस के नाम से प्रसिद्ध हुआ।

हिंदू धर्म में धनतेरस के दिन कुछ नया खरीदने की परंपरा है इसका विशेष कारण है इस दिन कुछ खास ग्रहों के योग बनते है। इस दिन खरीदारी करना विशेष शुभ माना जाता है धनतेरस के दिन सोना या चांदी खरीदना शुभ माना जाता है।
पीतल का कोई भी बर्तन खरीदे। पीतल के कलश में चावल भरकर लाना शुभ माना जाता है।

साबुत धनिया के दाने इन्हें आप दिवाली की लक्ष्मी पूजा में पूजा स्थान पर रखें। और अगली सुबह इन धनिए के दानों के तीन भाग करें। एक भाग गमले की मिट्टी में डालकर उगाए दूसरे भाग को रसोई में इस्तेमाल करें और तीसरे भाग को अपने पैसों की तिजोरी में लाल कपड़े में बांधकर रखें। यह धन प्राप्ति का बहुत अच्छा उपाय है।

चावल और चीनी से दिवाली के दिन मां लक्ष्मी को भोग लगाने के लिए खीर बनाएं। और घर के सभी सदस्य यह प्रसाद खाएं।

इस दिन घर में रुद्राक्ष लाना शुभ फल देने वाला होता है।

धनतेरस के दिन घर में झाड़ू जरूर लानी चाहिए। क्योंकि झाड़ू हमारे घर की दरिद्रता को बाहर निकालती है। और इसी से हमारे घर में स्वच्छता आती है स्वच्छता में मां लक्ष्मी प्रसन्न होकर वास करती है। धनतेरस के दिन झाड़ू की पूजा करके अगले दिन से इस्तेमाल करनी चाहिए व झाड़ू हमेशा छुपाकर  रखनी चाहिए।

धनतेरस पर क्या खरीदना अशुभ माना जाता है:

धनतेरस पर लोहा ,कांच और एलुमिनियम के बर्तन नहीं खरीदना चाहिए। कांच और लोहे आदि धातु क्रूर ग्रह राहु के कारक होते हैं। और धनतेरस के दिन लोहे व कांच आदि को खरीदना अशूभ माना जाता है।

त्रयोदशी तिथि 22 अक्टूबर 2022 को शाम 6:02 पर शुरू हो रही है 23 अक्टूबर को शाम 6:03 तक त्रयोदशी तिथि रहेगी ऐसे में दोनों दिन धनतेरस का त्यौहार मनाया जाएगा धनतेरस पर लक्ष्मी कुबेर का पूजन 22 अक्टूबर सांयकाल को किया जाएगा लेकिन खरीदारी व शुभ कार्य 23 अक्टूबर को किए जाएंगे भगवान धन्वंतरि का पूजन भी 23 अक्टूबर को किया जाएगा रूप चतुर्दशी भी 23 अक्टूबर को मनाई जाएगी।

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