सूर्य

जन्म कुंडली में सूर्य का प्रभाव और उसकी महादशा का संपूर्ण फल

सूर्य ग्रहो का राजा है,

 सूर्य तेज है, उर्जा है, सूर्य में लीडरशिप है, अब सूर्य की कहानी को इस तरह समझें.....

जब सूर्योदय होता है तो लोग नंगी आंखों से सूर्य को देख सकते हैं, पर दोपहर के वक्त जब वही सूर्य पूरे शबाब पर होता है, तो लोग उस से आंख मिलाने की हिम्मत तक नहीं कर पाते...

 जब सूर्य पुरे शबाब पर हो तो न तो चांद नजर आते हैं, और ना ही तारे नजर आते हैं...

यहां तक कि सूर्य के निकट भी कोई आए तो वो अस्त हो जाता है..

सुर्य सिंह लग्न का स्वामी है, मेष राशि में उच्च का.. और तुला में नीच का होता है..

जिन लोगों कि कुंडली में सूर्य उच्च का हो, लग्न में या सातवें घर में बैठा हो, तो उनके स्वभाव में सूर्य के गुण आ जाते हैं

 सिंह राशि चिन्ह शेर है, आपने सुना होगा कि शेर कभी घास नहीं खाता, यही प्रवृत्ति सिंह राशि वालों की होती है

ऐसे जातक spicy food के शौकीन होते हैं जिसके कारण से एसिडिटी संबंधित समस्या होती है

सूर्य अधिकार का कारक है इसलिए जिनका सूर्य मजबूत हो उनको सरकारी सुख अवश्य प्राप्त होता है

सभी प्रकार के राजनीतिक क्षेत्र में या उच्च पद को प्राप्त करने के लिए सूर्य का विचार अवश्य किया जाता है

लग्न में सूर्य या फिर सातवें घर में सूर्य हो तो इसकी दृष्टि लग्न में होती है, ऐसी परिस्थिति में जातक इतना स्वाभिमानी होता है कि  उसका तकरार कभी-कभी उसके घर वाले पत्नी बच्चे माता पिता से भी हो जाता है

ऐसा जातक अपने स्वाभिमान के कारण कभी कभी तनहा जीवन जीता है

गर्दन कट जाए पर गर्दन झुके नहीं यह मिसाल लग्न में बैठे सुर्य या जब सूर्य लग्न को देख रहा हो यानी सातवें घर में हो तो होता है

सिर्फ अपनी प्रतिष्ठा के कारण ऐसे लोग जीवन जीते हैं उन्हें धन से ज्यादा अपने मान प्रतिष्ठा की फिक्र होती है

सूर्य की महादशा में सूर्य की अंतर्दशा - अगर कुंडली में सूर्य अच्छा हो तो इस समय में जातक को पद प्रतिष्ठा या सरकारी सुख अवश्य प्राप्त होता है, विवाहित लोगों को पुत्र संतान की प्राप्ति होती है, या ऐसे लोग जो किसी प्रकार की नौकरी में जुड़े हैं तो उनको पदोन्नति अवश्य होती है, ऐसे जातक जो सरकारी नौकरी की तैयारी कर रहे हैं, उनको सरकारी नौकरी प्राप्त होती है, या ऐसे लोग जो राजनीति के क्षेत्र में अपना भाग्य आजमा रहे हैं उन्हें सत्ता सुख प्राप्त होता है

सूर्य की महादशा में चंद्रमा का अंतर्दशा - यह समय में जातक तमाम सुख-सुविधाओं को भोग रहा होता है चूंकि सूर्य बहुत तेजी से चलने वाला ग्रह है इसलिए अपनी महादशा में बहुत तेजी से सफलता दिलाता है

सूर्य की महादशा में मंगल की अंतर्दशा - यह दौर जीवन का स्वर्णिम काल होता है पद प्रतिष्ठा सुख मान सम्मान सब की प्राप्ति होती है

सूर्य की महादशा में राहु की अंतर्दशा - 

क्योंकि सूर्य और राहु आपस में परस्पर शत्रु हैं और ग्रहण दोष बनाते हैं इसलिए यह समय जातक के लिए कठिन दौर होता है कोई आरोप लगता है राजनीतिक दंड प्राप्त होती है या नौकरी में हो तो उसे नौकरी में नुकसान की प्राप्ति होती है

सूर्य की महादशा में गुरु की अंतर्दशा - जातक के जीवन का सबसे अच्छा समय होता है और उसे पुनः पदोन्नति की प्राप्ति होती है या फिर राजनीतिक में उसका परचम दूर-दूर तक फैलता है

सूर्य की महादशा में शनि की अंतर्दशा - यह समय मिला जुला समय रहता है जातक को किसी से वैचारिक मतभेद की संभावना होती है या फिर किसी न किसी तनाव के कारण परेशान रहता है

सूर्य की महादशा में बुध की अंतर्दशा - जातक को बाहरी क्षेत्रों से लाभ प्राप्त होता है और जातक का आय का स्त्रोत एक से ज्यादा हो जाता है

सूर्य की महादशा में केतु की अंतर्दशा - यह काल छोटे समय का होता है किंतु जबरदस्त मानसिक तनाव का कारक होता है कोई भी नया कार्य नहीं करना चाहिए

सूर्य की महादशा में शुक्र की अंतर्दशा - चुकी सूर्य अपने अंतिम चरण पर होता है तो अपनी पूरी ताकत जातक को सफल होने में लगा देता है सूर्य की महादशा केवल सफलता लिए ही आती है, अगर कुंडली में सूर्य कारक ग्रह हो

 तमाम नवग्रहों में सूर्य की महादशा सबसे छोटी होती है, इसकी महादशा 6 वर्षों की होती है,

 सूर्य सबसे तेज चलने वाला ग्रह है इसलिए 6 वर्ष की महादशा में है वह तमाम सुख दे देता है, जो 20 वर्षों में शुक्र, और 19 वर्षों में शनि ना दे सके, क्योंकि वह मंद गति से चलने वाला ग्रह है, जबकि सूर्य बहुत तेज चलता है, इसलिए अपनी महादशा में भी फल बहुत जल्दी-जल्दी देता है

 अगर कुंडली में सूर्य बलवान हो तो माणिक रत्न अवश्य धारण करके रखना चाहिए


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