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Showing posts from December, 2023

चाण्डाल योग

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 यदि जातक की कुंडली में है चाण्डाल योग, तो जातक को लगती है नाकामी हाथ, जानें उपाय 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 ज्योतिष शास्त्र में गुरु चंडाल योग को बहुत ही अशुभ योग बताया गया है। अगर कुंडली में यह योग हो तो मनुष्य को हर क्षेत्र में नाकामी हाथ लगती है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में अशुभ योग का निर्माण होता है तो उसके जीवन से सुख शांति का नाश हो जाता है। जॉब और व्यापार में परेशानी बनी रहती है। करीबी लोगों से संबंध खराब हो जाते है और व्यक्ति को भटकना पड़ता है यदि कुंडली में शुभफल की संख्या अधिक है तो साधारण परिस्थितियों में भी जन्म लेने वाला व्यक्ति भी धनी, सुखी और पराक्रमी बनता है, लेकिन यदि अशुभ योग प्रबल हैं तो व्यक्ति लाख प्रयास के बाद भी परेशानियों से घिरा रहता है। वैसे तो ज्योतिष शास्त्र में कई प्रकार के शुभ और अशुभ योगों का वर्णन है, लेकिन हम आज बात करने जा रहे हैं गुरु चाण्डाल योग के बारें में। जिसको सुनकर जातक के मन में भय और चिंता पैदा हो जाती है, जबकि ऐसा बिल्कुल नहीं है।  आज हम आपको कुछ ऐसे उपाय बताएंगे जिनको करने से

नक्षत्र

पीपल द्वारा नवग्रह दोष दूर करने के उपाय वैदिक दृष्टिकोण से 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ भारतीय संस्कृतिमें पीपल देववृक्ष है, इसके सात्विक प्रभाव के स्पर्श से अन्त: चेतना  पुलकित और प्रफुल्लित होती है।स्कन्द पुराणमें वर्णित है कि अश्वत्थ (पीपल) के मूल  में विष्णु, तने में केशव, शाखाओं में नारायण, पत्तों में श्रीहरि और फलों में सभी देवताओं  के साथ अच्युत सदैव निवास करते हैं।पीपल भगवान विष्णु का जीवन्त और पूर्णत: मूर्तिमान स्वरूप है। भगवानकृष्णकहते हैं- समस्त वृक्षों में मैं पीपल का वृक्ष हूँ। स्वयं भगवान ने उससे अपनी उपमा देकर पीपल के देवत्व और दिव्यत्व को व्यक्त  किया है। शास्त्रों में वर्णित है कि पीपल की सविधि पूजा-अर्चना करने से सम्पूर्ण देवता  स्वयं ही पूजित हो जाते हैं।पीपल का वृक्ष लगाने वाले की वंश परम्परा कभी विनष्ट  नहीं होती। पीपल की सेवा करने वाले सद्गति प्राप्त करते हैं। अश्वत्थ सुमहाभागसुभग प्रियदर्शन।  इष्टकामांश्चमेदेहिशत्रुभ्यस्तुपराभवम्॥  प्रत्येक नक्षत्र वाले दिन भी इसका विशिष्ट गुण भिन्नता लिए हुए होता है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में कुल मिला कर 28 नक्षत्रों कि ग

पितृदोष

#पितृदोष कलयुग में लोगो को बहुत बुरी तरीके से मारता है। लोग समझ ही नही पाते है।जब तक उनकी आंख खुलती है तब तक पितृदोष उनकी जिंदगी को तहस नहस कर चुका होता है। पितृदोष कभी भी पूरे घर परिवार को अपनी चपेट में लेता है।इसका प्रभाव घर के सभी सदस्यों के ऊपर पड़ता है और पितृदोष के प्रभाव के कारण पूरा घर बुरी तरीके से प्रभावित होता है। जीवन में कोई भी उपाय काम न करे तो समझ लेना चाहिए की जिंदगी अब पितृदोष से घिर चुकी है। इसलिए पितृदोष को ठीक करने के लिए सबसे पहले घर का इलाज करना जरूरी होता है।जब तक घर का इलाज नहीं किया जाता है तब तक आप चाहे कितने भी उपाय कर लीजिए पितृदोष अपना दुष्प्रभाव नहीं छोड़ता है। घर का इलाज वास्तु उपायों से करना होता है,जब तक घर की वास्तु व्यवस्था न बिगड़े तब तक पितृदोष अपना कोई विशेष दुष्प्रभाव घर में नही डाल पाता है। अगर अपने घर की व्यवस्था को वास्तु से मजबूत किया जाए तो पितृदोष निष्क्रिय हो जाता है और अपना प्रभाव नहीं दे पाता है। इसलिए हमारे शास्त्रों में वास्तु का बहुत अधिक महत्व बताया गया है। घर का वास्तु जितना मजबूत होगा,घर की किलाबंदी उतनी ही पावरफुल रहेगी। याद रखिए प

सरकारी नोकरी

सरकारी जॉब योग- 1. जन्म-कुंडली में दशम स्थान- जन्म-कुंडली में दशम स्थानको (दसवां स्थान) को तथा छठे भाव को जॉब आदि के लिए जाना जाता है। सरकारी नौकरी के योग को देखने के लिए इसी घर का आकलन किया जाता है। दशम स्थान में अगर सूर्य, मंगल या ब्रहस्पति की दृष्टि पड़ रही होती है साथ ही उन का सम्बन्ध छठे भाव से हो तो सरकारी नौकरी का प्रबल योग बन जाता है। कभी-कभी यह भी देखने में आता है कि जातक की कुंडली में दशम में तो यह ग्रह होते हैं लेकिन फिर भी जातक को संघर्ष करना पड़ रहा होता है तो ऐसे में अगर सूर्य, मंगल या ब्रहस्पति पर किसी पाप ग्रह (अशुभ ग्रह) की दृष्टि पड़ रही होती है तब जातक को सरकारी नौकरी प्राप्ति में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। अतः यह जरूरी है कि आपके यह ग्रह पाप ग्रहों से बचे हुए रहें। 2. जन्म कुंडली में जातक का लग्न- जन्म कुंडली में यदि जातक का लग्न मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, वृष या तुला है तो ऐसे में शनि ग्रह और गुरु (वृहस्पति) का एक-दूसरे से केंद्र या त्रिकोण में होना, सरकारी नौकरी के लिए अच्छा योग उत्पन्न करते हैं। 3. जन्म कुंडली में यदि केंद्र में अगर चन्द्रमा, ब्रहस्पति

सूर्य

ओम शान्ति  हम बात करेंगे कि कर्क राशि क्या है और सूर्ये इस राशि मे फल कैसा देते है । चलो शुरू करते है ओर सबसे पहले जानते है कर्क राशि के  सम्बंद मे । कर्क राशि का स्वामी चन्दर है और यह काल पुरुष की कुंडली मे 4th हाउस का प्रतिनिधित्व करती है । माँ का ,माँ द्वारा किया जाने वाला पालन पोषण है , माँ के साथ कैसा रिश्ता है । घर आपका मकान है आपका घर मे आराम कितना वो बताता है । आपकी भावनाओं का , आपके इमोशन का है । आपकी मानसिक शान्ति का है और कर्क राशि जो 4th हाउस का  प्रतिनिधित्व करती है वो भी आपकी भावनाओं माता का स्नेह ,माता सुख ,घर मकान के सुख को दर्शाती है । कर्क राशि का चिन्ह एक केंकड़ा है और जिस तरह केंकड़ा किसी चीज को पकड़ लेता है और उसी तरह कर्क राशि को भावनायें है । जो एक बार जुड़ जाए जल्दी अलग नही होती है । यह नदी का  बहता हुआ पानी है । जो चलता रहता हैं । उसी तरह इस राशि के लोगो का विचार बदलते रहते है  अब बात आती है सूर्ये की  सूर्ये , सूर्ये हमारा सिर्फ व्यक्त्वि नही है बल्कि यह हमारे पिता का कारक है हमारी आत्मा है हमारे पिता क्या करेंगे इस जन्म में उसको बताता है ,पिता से हमारे रिश्ते कैस

rahu

राहु - अंधेरा , पुराना घर , इलेक्ट्रॉनिक कूड़ा कबाड़ा स्टोर , रात को नहाने का पानी , शराब , सिगरेट , मोबाइल की स्क्रीन , कांच का सामान , काले कपड़े , A+ ब्लड ग्रुप।  यदि राहु शुभ हो - विलक्षण तर्क क्षमता , दार्शनिक , बाल की खाल उधेड़ने वाला , विनाशकारी हतियार बनाने का ज्ञाता , तंत्र एवं काला जादू का माहिर , सर्कस , जादूगर , आयुर्वेद एवं बायोकेमिस्ट्री का ज्ञाता ,  अपने मन की करने वाला , घुमक्कड़ , शराब पी कर काव्य का सृजन करने वाला , वैराग्य का भाव , गहन शोध में रत । राहु यदि अशुभ हो - मानसिक तनाव , डरपोक लेकिन घर में अत्यंत क्रोधी , माँ ,बाप , भाई , बहन किसी से ना बनना , दिन में स्वप्न देखने वाला , लेकिन कार्य के प्रति उदासीन , कोई भी कार्य शुरुवात में जोश के साथ शुरू करने वाला लेकिन मध्य में हार मान लेना , रात को नहाने का शौकीन , मोबाइल स्क्रीन बार बार टूटना , रात को देर तक जागना , सुबह देर तक सोना , अस्त व्यस्त दिनचर्या , कपड़े अथवा पहनावा गंदा या काला और नीरस , पागलपन में कुछ भी कह देना , ससुराल के साथ अनबन , अनैतिक मानसिक सोच , नारी के प्रति कामुकता किन्तु प्रकट ना करना , माइंड में नकार

लग्न अनुसार अशुभ शुक्र से मिलने वाले फल

  आज हम लग्न अनुसार अशुभ शुक्र की चर्चा करेंगे जिससे आप स्वयं ही अपनी पविका में शुक्र की स्थिति देख सकें। इसमें आप केवल इस योग के आधार पर ही शुक्र को एकदम अशुभ न समझ ले अपितु अन्य योग भी देखें जिनकी में पिछले लेखों में चर्चा कर चुका हूं व शुक्र के साथ बैठे ग्रह को देखे। शुक्र पर कौनसा ग्रह दृष्टि डाल रहा है, वह मित्र है अथवा शत्रु है, इसके बाद ही निष्कर्ष निकालें कि शुक्र कितना अशुभ अथवा शुभ है। लग्न अनुसार अशुभ शुक्र से मिलने वाले फल मेष लग्न👉  इस लग्न का स्वामी मगल है जो शुक्र का सम ग्रह है फिर भी शुक्र इस लग्न में तृतीय, सप्तम, नवम व एकादश भाव में बहुत ही अशुभ फल देता है। वृषभ लग्न👉 इस लग्न का स्वामी स्वयं शुक्र है, इसलिये शुक्र इस लग्न में तृतीय, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम, एकादश व द्वादश भाव में अशुभ होता है। मिथुन लग्न👉 इस लग्न का स्वामी स्वयं बुध होता है, इसलिये शुक्र यहां धन भाव, तृतीय, षष्ठम, अष्टम, नवम भाव व दशम भाव में अशुभ फल देता है। कर्क लग्न👉 इस लग्न का स्वामी चन्द्र है जो शुक्र का शत्रु है फिर भी शुक्र तृतीय, चतुर्थ, सप्तम, नवम व आय भाव में अशुभ होता है। सिह लग्न👉  इस लग