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यन्त्र पर . . अपने प्रश्न को सोचते हुए अपने आराध्य

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=  यन्त्र पर . . अपने प्रश्न को सोचते हुए अपने आराध्य इष्ट का ध्यान करके ऊँगली या सलाई रखें .  जो नंबर हो उससे उत्तर प्राप्त कर लें. . .   .  1= प्रश्न उत्तम है, कार्य की सफलता पूर्ण लाभ देगी, विजय मिलेगी, यश प्राप्त होगा, शत्रु पराजित होंगे. 2= आपका प्रश्न अशुभ है, सफलता नहीं मिलेगी, विवाह संभव है. 3= प्रयास करने और भटकने के बाद यदि हताश नहीं हुए तो कार्य हो सकता है, किन्तु प्रतिपल सावधान रहे. 4= यथाशीघ्र कार्य पूर्ण होने का योग है, सफलता मिलेगी, हो सकता है कोई अधिकारी या मित्र सहायता भी करे. 5=  उत्तम है, धन मिलेगा, आर्थिक योजना सफल होगी, मन की चिंता दूर होगी, प्रियजनों से मिलन होगा. 6=  उत्तर अशुभ है, कार्य में संदेह है, कोई अपना ही आपको छल सकता है, धोखा दे सकता है  .  7= फल मिश्रित होगा, कुछ स्तर तक काम बनेगा, परन्तु पूर्ण होने में विलम्ब हो सकता है, शत्रु से सावधान रहे. 8= शत्रुओं से सावधान रहे, प्रश्न अनुचित है, कार्य सिद्धि में बाधा होगी, धन का दुरुपयोग होगा, विपत्ती आ सकती है. 9=  कार्य की सफलता में संदेह न करें, प्रश्न उत्तम है,...

चतुर्थ भाव

चतुर्थ भाव से हम सरकारी संस्थान और कृषि, खाद्यान्न, गृहस्थ सुख, हृदय, दमा, श्वास, क्षय, जननी, सुख, बंधु, मन, यान, गृह मंदिर, विद्यापीठ, भूमि, वाहन, भावना, मैदान, खेत, कोष या भण्डार, श्वसुर, मानसिक शांति, जनता, बुद्धिमत्ता, शॉप स्थान बगीचा, इष्ट, गड़ा हुआ धन, तालाब, बावड़ी, कुआं, गौ, रखैल, कंधा, दूध का व्यवसाय, जन-विभाग, नगर पालिका, वनस्पति शाख, मोटर कारखाने, तेल, खनिज, खान, फलव्यवसाय जायदाद, हस्तान्तरण सम्बन्धी कानून का अध्ययन किया जाता है।  चतुर्थ भाव से भूमि एवं लोकप्रियता का सफल राजनीतिज्ञों पर गहरा प्रभाव पड़ता है। रति क्रीड़ा स्थल का निर्देश, चतुर्थ भाव स्थित ग्रह द्वारा होता है और उस पर पड़ने वाली दृष्टि, युति के प्रभाव से करते हैं। चतुर्थ भाव चंद्र पर क्रूर ग्रहों के प्रभाव से जातक निर्मम होता है। चतुर्थ भाव, कारकेश, चतुर्थेश, सूर्य या लग्न क्रूर प्रभाव में हो तो जातक की मृत्यु हृदय रोग से होती है। 4 10 12 भाव में पाप ग्रह होने पर जातक माता-पिता के मर जाने से घर छोड़ कर चला जाता है। चतुर्थ भाव से रखैल स्त्रियों तथा अवैध संबंध व चतुर्थ से पंचम यानि अष्टम भाव से अवैध संतानों का...

अस्त ,नीच, पीड़ित ग्रहों में अंतर

अस्त ,नीच, पीड़ित ग्रहों में अंतर  __________________________ तीनो ही परिस्थित जातक के लिए ठीक नही होता है, लेकिन सभी के अलग अलग तरीके से फलित होता है।। 1]अस्त ग्रह =  जब सूर्य के काफी करीब ग्रह होते हैं तो अस्त ग्रह कहलाते हैं अस्त ग्रह होने पर उसके कारकत्व में कमी रह जाता  है| आप उसके कारकत्व के क्षेत्र में  नाम नही हो पाता है  आप गुमनाम रहा जाते है। जो उन्नति देना चाहिए वह उन्नति नहीं मिल पाता है। आपके कार्यक्षेत्र में आपसे ज्यादा कर्मठ लोग हो रहते हैं जिसकी तुलना में आप उनसे पीछे रह जाते हैं अस्त ग्रह समर्पण करता है यदि अस्त ग्रह वक्री हो जाए तो यह नियम नहीं लगता है क्योंकि वक्री ग्रह अपना हार नहीं मानता और उस कार्य में निरंतर लगा रहता है। 2]नीच ग्रह=   नीच ग्रह कमजोर हो जाता है ऐसा कई लोगों का मानना है लेकिन मेरा मानना ऐसा नहीं है क्योंकि कभी-कभी ग्रह अपने मित्र के राशि में नीच के होते हैं और मित्र के राशि में कोई ग्रह शुभ ही फल देता है जैसे मंगल चंद्रमा की राशि में नीच का हो जाता है लेकिन चंद्रमा मंगल के मित्र है उसी प्रकार शुक्र बुध के घर में जा...

मंगल

(४) मंगल दोष पर यह चोथी पोस्ट है (१) उदाहरण कुन्डली पर पहली पोस्ट 👉 १. साधारण मांगलिक  --------------------------------- यह तो आप सभी लोग जानते होगे और पिछली पोस्ट में बता भी चुके हैं कि १-४-७-८-१२ भाव मे मंगल बैठे हो तो कुन्डली मांगलिक कहलाती  🌺पर साधारण मंगल या सिंगल मांगलिक क्या है  जव इन्ही भाव १-४-७-८-१२ मे मंगल हो पर सप्तम भाव सप्तमेश और मंगल किसी भी पापी ग्रह से पीड़ित ना हो तव कुन्डली सिंगल या साधरण मांगलिक कहलाती है 👉 २. डबल मांगलिक :- ------------------------------ जव इन्ही भाव १,२,४,७,८,१२ मे कर्क का मंगल हो अथवा किसी एक पापी ग्रह से सप्तम भाव सप्तमेश या मंगल पीड़ित हो तो डबल मांगलिक कहलाती है 👉 चलो इसे उदाहरण से समझते हैं जिसके लिए नीचे उदाहरण कुन्डली कि पिक्चर लगाईं है उसमे समझाते हैं👇 👉 यह कुन्डली स्व० श्रीमती इंदिरा गांधी की पुत्रवधु की है मंगल चोथे भाव मे और द्वितीय भाव मे सिंह के शनि जो तीसरी दृष्टि मे मंगल को देख रहे है जिससे मंगल पीड़ित होने से कुन्डली डबल मांगलिक हुई है राहु की महादशा मे ठीक २९ वर्ष की आयु में २२-६-१९८० को इनके पती की मृत्यु एक ह...

મહાભારતના યુદ્ધ પછી શ્રીકૃષ્ણએ

મહાભારતના યુદ્ધ પછી શ્રીકૃષ્ણએ દ્રૌપદીને જે સમજાવ્યું તે આપણે દરેકે સમજવાની જરૂર છે, જાણો દુઃખનું કારણ, 18 દિવસના યુદ્ધે દ્રૌપદીની ઉંમરને 80 વર્ષ જેવી કરી દીધી હતી… શારીરિક રૂપથી પણ અને માનસિક રૂપથી પણ. નગરમાં દરેક જગ્યાએ વિધવાઓ જ હતી. પુરુષો માત્ર થોડા જ વધ્યા હતા. અનાથ બાળકો આજુબાજુ ફરતા દેખાઈ રહ્યા હતા અને તે બધાની મહારાણી દ્રૌપદી હસ્તિનાપુરના મહેલમાં અચેત થઈને બેઠી હતી અને શૂન્યતા તરફ જોઈ રહી. એટલામાં જ શ્રીકૃષ્ણ ઓરડામાં પ્રવેશે છે. દ્રૌપદી શ્રીકૃષ્ણને જુએ છે અને દોડીને તેમને ભેટી પડે છે. શ્રીકૃષ્ણ તેના માથા પર હાથ મુકે છે અને તેને રડવા દે છે. થોડી વાર પછી, તે તેણીને પોતાનાથી અલગ કરે છે અને તેને બાજુના પલંગ પર બેસાડે છે. દ્રૌપદી : આ શું થઈ ગયું સખા? આવું તો મેં વિચાર્યું નહોતું. શ્રીકૃષ્ણ : નિયતિ બહુ ક્રૂર હોય છે પાંચાલી… તે આપણા વિચારો પ્રમાણે ચાલતી નથી. તે આપણા કર્મોને પરિણામોમાં રૂપાંતરિત કરે છે. તું વેર લેવા માંગતી હતી અને તું સફળ થઈ, દ્રૌપદી! તારું વેર પૂરું થયું… માત્ર દુર્યોધન અને દુશાસન જ નહીં, બધા કૌરવો સમાપ્ત થઈ ગયા, તારે તો ખુશ થવું જોઈએ! દ્રૌપદી : સખા, તમે મારા ઘા સાજા ...

गरुड़ पुराण

*🚩🕉️गरुड़ पुराण: जब होने लगे ये 9 बातें तो समझ लें भगवान की कृपा है आपपर *🚩🌹कुछ लोगों पर भगवान की विशेष कृपा होती है और उन्हें भविष्य में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं का आभास होने लगता है।*   *🚩🌹देवी-देवताओं की मनाने के लिए सभी लोग पूजा-पाठ करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, उपाय करते हैं, लेकिन कुछ ही लोगों को भगवान की प्रसन्नता मिल पाती है।  कुछ ऐसी बातें जो भगवान की प्रसन्नता का संकेत देती हैं। जानिए ये संकेत कौन-कौन से हैं...* *1. 🚩🌹जिन लोगों पर भगवान की कृपा होती हैं, उन्हें पूर्वाभास होने लगता है। ऐसे लोगों को भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है।* *2. 🚩🌹अगर कोई व्यक्ति शिक्षित है और अपनी शिक्षा से पैसा कमा पा रहा है तो ये शुभ संकेत है, क्योंकि बहुत कम लोग अपनी शिक्षा का सही उपयोग कर पाते हैं।* *3. 🚩🌹जिन लोगों का स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है, वे भाग्यशाली होते हैं और ये भी भगवान की प्रसन्नता का ही संकेत है।* *4. 🚩🌹सुयोग्य जीवन साथी मिलना भी भगवान की कृपा का ही संकेत है।* *5. 🚩🌹अगर किसी व्यक्ति की संतान आज्ञाकारी है तो समझ लेना चाहिए उस ...

कुंडली में बनने वाले कुछ मुख्य राजयोगआगे की जानकारी

कुंडली में बनने वाले कुछ मुख्य राजयोग आगे की जानकारी सरस्वती योग यदि किसी कुंडली में बृहस्पति, शुक्र और बुध ग्रह का आपस में प्रबल संबंध हो अर्थात एक दूसरे के साथ युति कर रहे हों या कुंडली के केंद्र भावों में स्थित होकर एक दूसरे से संबंधित हों तो सरस्वती योग का निर्माण होता है जो कि एक अत्यंत ही शुभ योग कहलाता है।  उदाहरण कुंडली में बृहस्पति, शुक्र और बुध तीनों ही ग्रह आपस में युति कर रहे हैं और कुंडली के केंद्र भाव अर्थात चतुर्थ भाव में एक साथ विराजमान हैं। इस प्रकार उपरोक्त कुंडली में सरस्वती योग निर्मित हो रहा है।  यदि किसी जातक की कुंडली में सरस्वती योग का निर्माण हो रहा है तो उसे मां सरस्वती का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है। ऐसे लोग संगीत, कला, लेखन, अभिनय और शिक्षा के क्षेत्र में बहुत नामचीन होते हैं। समाज में काफी लोकप्रिय होते हैं और इनका अपना एक अलग मुकाम होता है। इनकी गिनती समाज के सफल लोगों में होती है।  नृप योग किसी जातक की कुंडली में कम से कम तीन या उससे अधिक ग्रह अपनी उच्च राशि में स्थित हों तो कुंडली में नृप योग का निर्माण होता है।  उदाहरण कुंडली में द...