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Showing posts from July, 2019

पितृदोष

पितृदोष का जीवन पर प्रभाव और संकेत                                                                                                    ***********************************                                                                                                                बार-बार मिलने वाली पीड़ा व्यक्ति को पितृदोष या पितृश्राप के बारे में सोचने पर मजबूर कर देती है।अधिकांश जातक पितृदोष या पितृश्राप के कारण अनेक प्रकार की समस्याओ से घिरे रहते है, जीवन में सुख कम होकर कष्टो में वृद्धि होती रहती है।जो जातक पितृदोष से पीड़ित रहता है वह यदि स्वयं का व्यवसाय करे तो उसमे निरन्तर हानि होती रहती है या कोई उन्नति उसमे नही मिलती।जातक नोकरी करता है तो अनेक आरोप लगते रहते है।घर में यदि विवाह योग्य बेटा या बेटी है तो उनके समय पर विवाह नही होते है।जीवन में आगे बढ़ने के रास्ते बाधित रहते है।जातक यह नही सोच पाता कि वह क्या करे और क्या नही करे?जो व्यक्ति परेशानियो को भोग रहे है उन्हें संयम से काम करना चाहिए।किसी व्यक्ति को कष्ट न पहुचाएं, धर्म-कर्म और दान की तरफ विशेष ध्यान दे।इसके साथ-साथ ज्योतिष

गुरु चांडाल योग

||#गुरु_चांडाल_योग_कब_शुभ_कब_अशुभ?||                                              गुरु चांडाल योग वेसे तो एक अशुभ योग है लेकिन इसके अशुभ परिणाम ही होंगे या शुभ भी यह निर्भर करता है गुरु चांडाल योग में गुरु राहु केतु की स्थिति क्या है आदि।।                                                                                              कई जातक अपनी कुंडली में गुरु चांडाल योग को देखकर उसके बारे में अशुभ फलो की गणना कर लेते है जो कि हर स्थिति में ठीक नही होता।गुरु की युति राहु या केतु से होने पर ही गुरु चांडाल योग बनता है।अब गुरु चांडाल योग शुभ फल कब देगा इसके बारे में पहले बात करते है।जन्मकुंडली में गुरु जिन भी भावो का स्वामी होकर जहा भी बैठा है तो पहले गुरु की स्थिति है या अशुभ इस को देखना जरूरी होता है फिर राहु/ केतु की युति गुरु के साथ कैसी है यह सब देखा जाता है इसने यह स्थिति जरूरी होती है कि गुरु जिन भी भावो का स्वामी होता है उन भावो पर राहु या केतु की दृष्टि न हो या राहु/केतु की युति गुरु के साथ धनु/ मीन राशि में न हो क्योंकि यह गुरु की ही रशिया(कुंडली में घर होंगे) तब गुरु चांडाल योग

गौ माता

jaishreeradhe 1. 🌳गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं ।       2.🌳 जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस जगह देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं । 3. 🌳गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है । 4.🌳 जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है । 5.🌳 गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते । 6.🌳 गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है । 7.🌳 गौ माता कि एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है । 8. 🌳गौ माता के दुध मे सुवर्ण तत्व पाया जाता है जो रोगों की क्षमता को कम करता है। 9. 🌳गौ माता की पूंछ में हनुमानजी का वास होता है । किसी व्यक्ति को बुरी नजर हो जाये तो गौ माता की पूंछ से झाड़ा लगाने से नजर उतर जाती है । 10.🌳 गौ माता की पीठ पर एक उभरा हुआ कुबड़ होता है , उस कुबड़ में सूर्य केतु नाड़ी होती है । रोजाना सुबह आधा घंटा गौ माता की कुब
Bolo jai shiri Krishna      एक समय की बात है गंगा नदी के किनारे पीपल का एक पेड़ था. पहाड़ों से उतरती गंगा पूरे वेग से बह रही थी कि अचानक पेड़ से दो पत्ते नदी में आ गिरे। एक पत्ता आड़ा गिरा और एक सीधा। जो आड़ा गिरा वह अड़ गया, कहने लगा, “आज चाहे जो हो जाए मैं इस नदी को रोक कर ही रहूँगा…चाहे मेरी जान ही क्यों न चली जाए मैं इसे आगे नहीं बढ़ने दूंगा.” वह जोर-जोर से चिल्लाने लगा – रुक जा गंगा ….अब तू और आगे नहीं बढ़ सकती….मैं तुझे यहीं रोक दूंगा! पर नदी तो बढ़ती ही जा रही थी…उसे तो पता भी नहीं था कि कोई पत्ता उसे रोकने की कोशिश कर रहा है. पर पत्ते की तो जान पर बन आई थी..वो लगातार संघर्ष कर रहा था…नहीं जानता था कि बिना लड़े भी वहीँ पहुंचेगा जहाँ लड़कर..थककर..हारकर पहुंचेगा! पर अब और तब के बीच का समय उसकी पीड़ा का…. उसके संताप का काल बन जाएगा। वहीँ दूसरा पत्ता जो सीधा गिरा था, वह तो नदी के प्रवाह के साथ ही बड़े मजे से बहता चला जा रहा था। यह कहता हुआ कि “चल गंगा, आज मैं तुझे तेरे गंतव्य तक पहुंचा के ही दम लूँगा…चाहे जो हो जाए मैं तेरे मार्ग में कोई अवरोध नहीं आने दूंगा….तुझे सागर तक पहुंचा ही दूंगा।
एक महान आविष्कार: रसोई में हमेशा आटे का एक थैला (आटा) रखना चाहिए और सभी को यह पता होना चाहिए कि वह कहाँ है। *कृपया अंत तक पूरा पढ़े* यह एक महिला का सच्चा जीवन अनुभव है, जो गलती से जल गई थी.. कुछ समय पहले, मैं मक्की उबाल रही थी और उबलते पानी में कुछ ठंडा पानी डालना था । गलती से मैंने अपना हाथ उबलते पानी में डुबो दिया .... !! मेरा एक दोस्त जो वियतनामी पशु चिकित्सक था, घर आया था।  जैसा कि मैं दर्द से कराह रही थी,उसने मुझसे पूछा कि क्या मेरे पास घर पर (गेहूं) के आटे का एक पाउच है। मैंने थोड़ा सा आटा निकाला और उसने मुझे आटे में हाथ डालने का कहा और मुझे लगभग 10 मिनट तक इंतजार करने को कहा। उन्होंने मुझे बताया कि वियतनाम में एक लड़का था जो एक बार जल गया था। किसी ने आग बुझाने की कोशिश में उसके शरीर पर आटे की एक बोरी डाल दी थी.....वह न केवल बुझ गया बल्कि उस पर  जलने का कोई निशान नहीं था !!!! अपने स्वयं के मामले में, मैंने 10 मिनट के लिए आटा के बैग में अपना हाथ रखा, और फिर इसे हटा दिया और मुझे उसके बाद जलने के लाल निशान नहीं दिखाई दिया।  इसके अलावा, बिल्कुल कोई दर्द नहीं। आज मैं आटे

नोकरी योग

नौकरी या व्यवसाय और ग्रह: ज्योतिषशास्त्र के अनुसार आपके ग्रह आपकी नौकरी और उसके स्वरूप, स्थिरता को बहुत महत्वपूर्ण तरीके से प्रभावित करते हैं। आपके कुंडली में कैसे ग्रह मौजूद है, नौकरी से संबंधित भाव पर किस ग्रह की कैसी दृष्टि है ये बात आपकी जॉब के स्वरूप को निर्धारित करती है। सूर्य: ज्योतिषशास्त्र के अंतर्गत सूर्य को मान-सम्मान से संबंधित ग्रह माना जाता है। जिस जातक की कुंडली में सूर्य की स्थिति अच्छी होती है उसे ऐसी नौकरी मिलती है जो उसे सामाजिक रूप से सम्मान दिलवाता है। बुध और बृहस्पति: कुंडली में अगर सूर्य के साथ-साथ बुध और बृहस्पति भी बलवान स्थिति में बैठे हों तो ऐसे व्यक्ति को भले ही प्राइवेट जॉब मिले या सरकारी, उसे एक ऊंचा पद अवश्य प्राप्त होता है। सूर्य और शनि: कुंडली में अगर सूर्य के साथ-साथ शनि भी बलवान अवस्था में हो तो ऐसे व्यक्ति के अधीन बहुत से लोग कार्य करते हैं, वह कोई बड़ा अफसर या मैनेजर बनता है। मंगल की स्थिति: अगर मंगल की स्थिति खराब हो तो ऐसे जातक को अपनी जॉब बनाए रखने के लिए बहुत मेहनत करनी पड़ती है। वह अत्याधिक परिश्रम करता है लेकिन उसे वेतन वृद्धि बहुत ही म

सुक्र राशि परिवर्तन

शुक्र का कर्क राशि में गोचर, आपके जीवन पर पड़ेगा इसका सीधा प्रभाव कर्क राशि में शुक्र ने की सूर्य, बुध और मंगल संग युति, बना योग।  शुक्र का कर्क राशि में गोचर ज्योतिष शास्त्र में सभी ग्रहों में से गुरु ग्रह के बाद शुक्र ग्रह को भी शुभ ग्रह का दर्जा प्राप्त होता है। जो सभी ग्रहों में से सबसे ज़्यादा चमकदार भी होता है और इसी कारण इसे पृथ्वी से बेहद आसानी से देखा जा सकता है। इसे संध्या और भोर का तारा भी कहा जाता है। ज्योतिषी के साथ-साथ वैज्ञानिक दावों में भी ये माना गया है कि शुक्र से निकलने वाली किरणों और इसके स्थान परिवर्तन का प्रत्येक जातक के शरीर और जीवन पर निश्चय रूप से प्रभाव पड़ता है। शुक्र ग्रह का कुंडली पर प्रभाव वैदिक ज्योतिष की माने तो शुक्र ग्रह का विशेष महत्व होता है। जिसे स्त्री, विवाह, प्रमाद, वैभव, विलास, राग-रंग, कला, कल्चर, साहित्य, संतान आदि का कारक माना जाता है। कुंडली में शुक्र ग्रह की अशुभ स्थिति के कारण व्यक्ति के जीवन में स्त्री, वाहन और धन सुख का आभाव रहता है। कई लोग शुक्र ग्रह को स्त्री ग्रह भी कहते हैं। परन्तु ज्योतिष विशेषज्ञ इस बात को गलत बताते हुए ये मानते