..... Dedicated To All Females હું પહોર છું ગુલાબી, હું રાત છું અંધીયારી, હું બાર બપોર છું ને હું સમી સાંજ છું, પણ એ નથી ખબર કે કોની છું હું... નાનપણ ની ગમ્મત છું, યોવન ની કાયા છું, કેટલાક ને મન તો હું મોહ માયા છું, પણ એ નથી ખબર કે કોની છુ હું... જીર્ણ થયેલી યાદ દાસ્ત છું, કોઈ પ્રેમી ની યાદ પણ છું, એના દુ:ખ માં બધા ને યાદ છું, મારા દુ:ખ માં જ બાદ છું, પણ એ નથી ખબર કે કોની છુ હું... માવતર માટે પારકી થાપણ છું, સાસરામાં લક્ષ્મી છું, જનમ સમયે જલેબી ને વિદાય વેળા યે કરીયાવર છું, પણ એ નથી ખબર કે કોની છુ હું... હું રસોઈ ની રાણી છું, ને ઘર કામ મા શાણી છું, કોઈ પણ ઉંમરે સહેલી છું, ના સમજો તો પહેલી છું, પણ એ નથી ખબર કે કોની છુ હું... મજધારે અટકેલી નાવ છું, અને પેલે પાર ક્ષિતિજ છું, જીવાય ગઇ જે બીજા ના નામ પર હું એ જિંદગી છું, પણ એ નથી ખબર કે કોની છુ હું... સંબંધો માં હું સરહદ છું, તો સૌ ને જોડતો તાતણો છું, કોઈ ની અરધાંગીની છું, ને કોઇ નો ભુલાયેલો અંશ છું, પણ એ નથી ખબર કે કોની છુ હું... દુનિયા ની ભીડ મા એકલી છું, સમજે કોઇ તો મૈત્રી છું,
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Showing posts from December, 2019
रामचरित्र मानस दोहे
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सती का भ्रम, श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद * रामकथा ससि किरन समाना। संत चकोर करहिं जेहि पाना॥ ऐसेइ संसय कीन्ह भवानी। महादेव तब कहा बखानी॥4॥ भावार्थ:- श्री रामजी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संत रूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने किया था, तब महादेवजी ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था॥4॥ दोहा : * कहउँ सो मति अनुहारि अब उमा संभु संबाद। भयउ समय जेहि हेतु जेहि सुनु मुनि मिटिहि बिषाद॥47॥ भावार्थ:- अब मैं अपनी बुद्धि के अनुसार वही उमा और शिवजी का संवाद कहता हूँ। वह जिस समय और जिस हेतु से हुआ, उसे हे मुनि! तुम सुनो, तुम्हारा विषाद मिट जाएगा॥47॥ चौपाई : * एक बार त्रेता जुग माहीं। संभु गए कुंभज रिषि पाहीं॥ संग सती जगजननि भवानी। पूजे रिषि अखिलेस्वर जानी॥1॥ भावार्थ:- एक बार त्रेता युग में शिवजी अगस्त्य ऋषि के पास गए। उनके साथ जगज्जननी भवानी सतीजी भी थीं। ऋषि ने संपूर्ण जगत् के ईश्वर जानकर उनका पूजन किया॥1॥ * रामकथा मुनिबर्ज बखानी। सुनी महेस परम सुखु मानी॥ रिषि पूछी हरिभगति सुहाई। कही संभु अधिकारी पाई॥2॥ भावार्थ:- मुनिवर अगस्त्यजी ने रामकथा विस्तार से कही, जिसक
मसाला spices names in hindi
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BY WHATSAPP FOODIES 🍴 Very Important post for all cooking lovers👇 👉 मसाला(spices)👉 anise seed — छोटी सौंफ़ asafoetida — हींग basil, sweet — तुलसी bay leaf — तेज पत्ता cardamom —बड़ी इलायची carom —अजवाइन cassia — जंगली दालचीनी cayenne pepper —लाल मिर्च cilantro — धनिया पत्ता cinnamon —दालचीनी cloves — लौंग coriander seeds —धनिया cumin seeds — जीरा curry leaf — मीठा नीम पत्ता fennel — मोटी सौंफ़ fenugreek leaves, dried — कसूरी मेथी fenugreek seeds — मेथी garlic — लहसुन ginger, fresh — अदरक ginger dried — सोंठ illaichi — छोटी इलायची jaggery sugar cane — गुड़ mace — जवित्री mango powder — आमचूर mustard seeds — सरसों/राई nigella — कलौंजी nutmeg — जायफल onion —प्याज paprika — देगी मिर्च peppercorn — काली मिर्च pomegranate seeds — अनार-दाना poppy seeds — खसखस sage — कमरकस saffron — केसर salt — नमक sugar — चीनी tamarind — इमली turmeric — हल्दी thyme — अजवाइन के फूल 👉 फल सूखा वा सुपारी👉 apricot, dried — खुमानी almonds — बादाम cantaloupe seed — खरबूजा के बीज cashews — काजू dates — खज
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✅ રામાયણ વિષે અણજાણ્યુ જ્ઞાન ✅ તમારા બાળકને જરુર જણાવો. ✍🏻 રઘુપતિ રાઘવ રાજારામ પતિત પાવન સીતારામ આ ધૂન કોણે બનાવી હતી? *શ્રી ગુરુ નાનજી* ✍🏻 વાલ્મિકી ઋષિ કોના પુત્ર હતા? *મુનિશ્રી પ્રચેતાના દસમા પુત્ર* ✍🏻 શ્રી રામના બહેન અને બનેવીનું નામ જણાવો. *શાંતા-ઋષ્યશૃંગ* ✍🏻 એવો કયો ગ્રંથ છે જેમાં રામ શબ્દ ૨૫૩૩ વાર આવે છે? *આદિગ્રંથ* ✍🏻 શ્રવણના માતા-પિતાનું નામ શું હતું? *સોમવતી-શાંતનુ* ✍🏻 અનુષ્ઠાન એટલે શું? *કોઈ પણ મંત્રના સવા લાખ જાપ* ✍🏻 ભગવાન શ્રી રામના ઈષ્ટ દેવતા કોણ હતા? *શિવ* ✍🏻 કૈકયીએ કયા યુદ્ધમાં દશરથ રાજાની ખૂબ મદદ કરી બે વરદાન મેળવ્યા હતા? *શંબરાસુર* ✍🏻 શબરીનું સાચું નામ શું હતું? *શ્રમણા* ✍🏻 રામાયણની પંચાયતમાં કોનો કોનો સમાવેશ થાય છે? *રામ,સીતા,ભરત,લક્ષમણ, હનુમાનજી* ✍🏻 પંચવટીમાં કયા કયા વૃક્ષો મુખ્ય હતા? *વડ,પીપળો,આંબલી, બિલી, અશોક* ✍🏻 સુંદરકાંડમાં રામ,હનુમાન અને સુંદર શબ્દ કેટલી વખત આવે છે? *રામ-૫૧,હનુમાન-૨૧,સુંદર-૯* ✍🏻 બનાવટી સોનાનુ મૃગ બનાવનાર મરિચના માતા-પિતાનું નામ જણાવો? *તાટકા અને સુંદ* ✍🏻 લંકા નગરીના અધિષ્ઠાત્રી દેવી કોણ હતા? *લંકિની* ✍🏻 મંદોદરી કોની પુત્રી હતા? *
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BY WHATSAPP FOODIES 🍴 Very Important post for all cooking lovers👇 👉 मसाला(spices)👉 anise seed — छोटी सौंफ़ asafoetida — हींग basil, sweet — तुलसी bay leaf — तेज पत्ता cardamom —बड़ी इलायची carom —अजवाइन cassia — जंगली दालचीनी cayenne pepper —लाल मिर्च cilantro — धनिया पत्ता cinnamon —दालचीनी cloves — लौंग coriander seeds —धनिया cumin seeds — जीरा curry leaf — मीठा नीम पत्ता fennel — मोटी सौंफ़ fenugreek leaves, dried — कसूरी मेथी fenugreek seeds — मेथी garlic — लहसुन ginger, fresh — अदरक ginger dried — सोंठ illaichi — छोटी इलायची jaggery sugar cane — गुड़ mace — जवित्री mango powder — आमचूर mustard seeds — सरसों/राई nigella — कलौंजी nutmeg — जायफल onion —प्याज paprika — देगी मिर्च peppercorn — काली मिर्च pomegranate seeds — अनार-दाना poppy seeds — खसखस sage — कमरकस saffron — केसर salt — नमक sugar — चीनी tamarind — इमली turmeric — हल्दी thyme — अजवाइन के फूल 👉 फल सूखा वा सुपारी👉 apricot, dried — खुमानी almonds — बादाम cantaloupe seed — खरबूजा के बीज cashews — काजू dates — खज
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Tips सब्जियां बनाने के शानदार टिप्स: ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ ★ पत्ता गोभी के पूरी तरह से बनने के बाद उसमें मूँगफली के दानों को सेंककर मिला दें तो आप पाएँगी कि पत्ता गोभी का स्वाद जरा बढ़िया है. ★ टमाटर पर तेल लगाकर सेंकें इससे छिल्का आसानी से उतर जाएगा. भजिया-पकोड़ा, आलू बड़ा सर्व करते समय चाट मसाला छिड़कें व तली हरी मिर्च के साथ सर्व करें. मजा दोगुना हो जाएगा. ★ मेथी के साग की कड़वाहट हटाने के लिये उसे काटकर नमक मिलाकर थोड़ी से के लिए अलग रख दें और बाद में इसे पानी से अच्छी तरह धोकर सब्जी बनाएं. ★ पालक को पकाते समय उसमें एक चुटकी चीनी मिला दी जाए तो उसका रंग और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं. ★ पालक पनीर बनाने से पहले पालक की पत्तियों को एक चम्मच चीनी वाले पानी में आधे घंटे तक भिगोकर रखें, अधिक स्वादिष्ट बनेगा. ★ फूलगोभी की सब्जी बनाने से पहले फूलगोभी के टुकड़ों को पानी में डालकर उसमें एक चम्मच विनेगार डाल दें और इन्हें तकरीबन 15 मिनट तक के लिए रख दें. इससे न सिर्फ गोभी की गंदगी दूर होगी बल्कि जो बारीक कीड़े हो जाते हैं, वे भी खत्म हो जाएंगे. ★ फूलगोभी या बंदगोभी बनाते वक्त उसमें एक चम्मच मिल्क य
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ग्रहों की उच्चादि राशि स्थिति इस प्रकार है —- ग्रह उच्च राशि नीच राशि स्वग्रह राशि 1 सूर्य,मेष तुला सिंह 2 चन्द्रमा, वृषभ वृश्चिक कर्क 3 मंगल, मकर कर्क मेष, वृश्चिक 4 बुध, कन्या मीन मिथुन, कन्या 5 गुरू, कर्क मकर धनु, मीन 6 शुक्र, मीन कन्या वृषभ, तुला 7 शनि, तुला मेष मकर, कुम्भ 8 राहु, धनु मिथुन 9 केतु मिथुन धनु उपर की तालिका में कुछ ध्यान देने वाले बिन्दु इस प्रकार हैं - 1 ग्रह की उच्च राशि और नीच राशि एक दूसरे से सप्तम होती हैं। उदाहरणार्थ सूर्य मेष में उच्च का होता है जो कि राशि चक्र की पहली राशि है और तुला में नीच होता है जो कि राशि चक्र की सातवीं राशि है। 2 सूर्य और चन्द्र सिर्फ एक राशि के स्वामी हैं। राहु एवं केतु किसी भी राशि के स्वामी नहीं हैं। अन्य ग्रह दो-दो राशियों के स्वामी हैं। 3 राहु एवं केतु की अपनी कोई राशि नहीं होती। राहु-केतु की उच्च एवं नीच राशियां भी सभी ज्योतिषी प्रयोग नहीं करते हैं। सभी ग्रहों के बलाबल का राशि और अंशों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। एक राशि में 30ए अंश होते हैं। ग्रहों के सूक्ष्म विश्लेषण के लिए ग्रह किस राशि में कितने अंश पर है य
राहु केतु
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राहु-केतु दोनों ही शाया ग्रह हैं। कुंडली में यह सूर्य एवं चंद्र के साथ ग्रहण योग बनाते हैं। राहु भ्रम और केतु चिंताओं एवं कुल की वृद्धि का सूचक है। कुंडली में इनकी स्थिति जातक के जीवन को बहुत प्रभावित करती है। यह दोनों ग्रह सदैव पीड़ा करक नहीं होते। कुंडली में कुछ भावों और ग्रहों के साथ यह जातक को विशेष शुभ फल प्रदान करते हैं। आइए जानते हैं कैसे राहु और केतु की स्थिति जातक के जीवन को प्रभावित करती है। राहू की बिभिन्न ग्रहों से युति के विशेष फल : राहू-बुध की युति – संकुचित सोच और झूठ बोलने की प्रवृति। राहू-शुक्र की युति – अति कामुक। राहू-शनि से युति – तंत्र मंत्र का जानकार किन्तु दरिद्र। राहू-गुरू से युति – हठ योगी या योग अभ्यास में कुशल। राहू-मंगल से युति – खतरनाक कार्यों को करने वाला। राहू-सूर्य – खराब आचरण वाला। राहू-चन्द्रमा से युति – जीवनभर मानसिक तनावों से परेशान रहने वाला। केतु की बिभिन्न ग्रहों से युति के विशेष फल : केतु-बुध की युति – लाइलाज बीमारी देता है। पागल, सनकी, चालाक, कपटी, चोर एवं धर्म विरुद्ध आचरण बनाता है। केतु-शुक्र की युति – जातक दूसरों की स्त्रियों या पर प
रामचरित्र मानस दोहे
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सती का भ्रम, श्री रामजी का ऐश्वर्य और सती का खेद * रामकथा ससि किरन समाना। संत चकोर करहिं जेहि पाना॥ ऐसेइ संसय कीन्ह भवानी। महादेव तब कहा बखानी॥4॥ भावार्थ:- श्री रामजी की कथा चंद्रमा की किरणों के समान है, जिसे संत रूपी चकोर सदा पान करते हैं। ऐसा ही संदेह पार्वतीजी ने किया था, तब महादेवजी ने विस्तार से उसका उत्तर दिया था॥4॥ दोहा : * कहउँ सो मति अनुहारि अब उमा संभु संबाद। भयउ समय जेहि हेतु जेहि सुनु मुनि मिटिहि बिषाद॥47॥ भावार्थ:- अब मैं अपनी बुद्धि के अनुसार वही उमा और शिवजी का संवाद कहता हूँ। वह जिस समय और जिस हेतु से हुआ, उसे हे मुनि! तुम सुनो, तुम्हारा विषाद मिट जाएगा॥47॥ चौपाई : * एक बार त्रेता जुग माहीं। संभु गए कुंभज रिषि पाहीं॥ संग सती जगजननि भवानी। पूजे रिषि अखिलेस्वर जानी॥1॥ भावार्थ:- एक बार त्रेता युग में शिवजी अगस्त्य ऋषि के पास गए। उनके साथ जगज्जननी भवानी सतीजी भी थीं। ऋषि ने संपूर्ण जगत् के ईश्वर जानकर उनका पूजन किया॥1॥ * रामकथा मुनिबर्ज बखानी। सुनी महेस परम सुखु मानी॥ रिषि पूछी हरिभगति सुहाई। कही संभु अधिकारी पाई॥2॥ भावार्थ:- मुनिवर अगस्त्यजी ने रामकथा विस्तार से कही, जिसक
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*✏✏વાંચવા જેવી સ્ટોરી✏✏* એક છોકરીના લગ્ન થયા. છોકરીની સાસુએ નવી આવેલી વહુને નાકમાં પહેરવાનો સાચા હીરાનો એક કિંમતી દાણો ભેટમાં આપ્યો. દાણો ખુબ સરસ હતો અને હીરાની ચમક અદભૂત હતી એટલે વહુ તો ખુશ થઈ ગઈ. સાસુમાનો આવી સુંદર ભેટ બદલ આભાર વ્યક્ત કર્યો. સાસુએ કહ્યું, " બેટા, મારી અંગત બચતમાંથી આ દાણો લીધો છે એટલે એને નિયમિત પહેરજે અને બરોબર સાચવજે." સાસુમા તરફથી મળેલી આ ભેટને વહુ જીવની જેમ સાચવતી હતી. એકવખત બહેનપણીઓ સાથે ફરવા ગયેલી અને ત્યાં નાકનો દાણો ખોવાઈ ગયો. હવે શું કરવું એની ચિંતા વહુને હતી. ઘરમાં સાસુને મો ના બતાવે અને સાસુથી દૂર દૂર જ રહે. જો ભૂલથી સાસુ સામે આવી જાય તો ચૂંદડીથી મોઢું ઢાંકી દે. વહુ બહુ મૂઝાતી હતી અને આ વાત સાસુને કેમ કરાવી તે સમજ નહોતી પડતી. પતિ પણ કોઈ કામ સબબ અમુક દિવસો માટે બહારગામ ગયો હતો એટલે બીજા કોને આ પીડા કહે ? એકદિવસ સવારમાં સાસુએ વહુને બોલાવી. વહુ માથે ચૂંદડી ઓઢીને આવી. સાસુએ એક નાની ડબલી વહુના હાથમાં મુક્તા કહ્યું, " આમાં બીજો એક દાણો છે એ પહેરી લેજો. દાણા વગરનું નાક સારું નથી લાગતું." વહુ રડી પડી અને સાસુને ભેટી પડી. એણે પૂછ્યું, " બા,
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राशियों में परिभ्रमण करते समय ग्रह अपनी मित्र व शत्रु तथा उच्च व नीच राशियों में प्रवेश करते हैं। इसके साथ ही कई बार जन्म कुंडली में विभिन्न भावों (घर) से संचरित होते हुए अन्य ग्रहों से युति संबंध बनाते हैं। ग्रहों की उक्त स्थिति में गतिशीलता जीवन को अच्छे व बुरे दोनों रूप में प्रभावित करती है। राशि में सूर्य के साथ अन्य ग्रह आने पर वे अस्तगत (अस्त होना) हो जाते हैं, इस कारण उस ग्रह का प्रभाव समाप्त हो जाता है। सूर्य के समीप चंद्र 2 डिग्री, मंगल 17, बुध 13, गुरु 11, शुक्र 9 व शनि 15 डिग्री का होने पर अस्त हो प्रभावहीन हो जाते हैं। इसमें भी खास यह है कि जन्मकुंडली के माने गए अच्छे भाव यानी पंचम, सप्तम, नवम, दशम व एकादश भावों में अस्तगत ग्रह अपना मूल प्रभाव नहीं देता है। इसलिए जन्मकुंडली में ज्योतिष विचार करते समय ग्रहों की उपरोक्त स्थितियों का गंभीरता से विचार कर ही फलादेश करना चाहिए। साथ ही नवमांश, दशमांश व अन्य कुंडलियों में स्थित ग्रहों का भी अवलोकन किया जाना चाहिए। ज्योतिषीय आकलन में जन्मकुंडली में स्थित ग्रहों की उच्च व नीच राशियों का भी बड़ा महत्व है। हर ग्रह अलग-अलग डिग्री पर उच्च
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-यदि चंद्र बुरे प्रभाव का हो तो सोमवार को चांदी का दान किया जाय। यदि यह नहीं हो पाता है तो सोमवार के दिन खिरनी की जड़ धारण की जाय। 2-मंगल मंदा हो और अच्छा फल न दे रहा हो तो मीठी रोटियां जानवरों को खिलाई जायं। मंगलवार के दिन मीठा भोजन दान किया जाय अथवा बतासा नदी में बहाया जाय या अनंतमूल की जड़ लाल डोरे में मंगलवार को धारण की जाय। 3-यदि शुक्र अशुभ फल दे रहा हो तो गाय का दान अथवा पशु आहार का दान किया जाय, पशु आहार को नदी में बहाया जाय या सरपोंखा की जड़ सफेद धागे में शुक्रवार को धारण किया जाय। 4-यदि बुध मंदा है तो साबूत मूंग बुधवार को नदी या बहते पानी में बहाई जाय अथवा विधारा की जड़ हरे धागे में बुधवार को धारण किया जाय। 5-यदि बृहस्पति ग्रह कुफल दे रहा है तो गुरुवार को केसर नाभि या जिह्वा पर लगाई जाय अथवा केसर का भोजन में सेवन करें अथवा नारंगी या केले की जड़ पीले धागे में गुरुवार को धारण की जाय। 6-यदि शनि ग्रह बुरा है तो काले उड़द को शनिवार को नदी में बहाया जाय या शनिवार को तेल का दान किया जाय। शनिवार के दिन बिच्छू की जड़ काले धागे में धारण करने से शनिकृत दोष समाप्त होता है। 7-यदि राहु मंदा
शुक्र के उपाय
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शुक्र ग्रह के उपाय— शुक्र ग्रह के उपाय—- 01.शुक्र की वस्तुओं से स्नान —– ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना उपायों के अन्तर्गत आता है. शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है . इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है. स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है. तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है। यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है। इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है। 02.शुक्र की वस्तुओं का दान —- शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी व चावन का दान किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोगविलास के कारक ग्रह है। इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है। बनाव -श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है । दान क्रिया में दान करने वाले व्यक्ति में श्रद्धा व विश्वास होना आवश्यक है। तथा यह दान व्यक्ति को अपने हाथ