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Showing posts from July, 2020

kavita

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कविता ...(मस्त फ़क़ीर ) चला दीवाना फ़क़ीर बनकर दुनिया की अन्तराओ से , न जाने कहाँ - कहाँ नही भटका दुनिया की इस चकाचौंध में। जन्म लिया तब सोंचा था कि हरि नाम के दूजा न कोई किसीसे नाता है , ..पड़ा इस दुनियादारी में ..की हर छोड़कर जऱ पर नियत लगी है।  जवानी में जब हरि से प्रेम का सोंचा था ..लेकिन..दीवाना ने खोजी एक दीवानी है,  ...जब कोई मिला इस दीवाने को गुरुवंश का कोई गुरु है तब समझ आया कि दीवानगी हरि प्रेम में लगानी है। चला दीवाना फ़क़ीर बनकर दुनिया की अन्तराओ से , हरि प्रेम का दीवाना बनकर भटकी दुनिया जानी है ।

मंगल दोष

जाने बारह भाव में मंगल गृह लाल किताब के अनुसार फल और उसके उपाय   पहले भाव में फल=> पहले घर में स्थित मंगल ग्रह जातक को उम्र के 28 वर्ष से अच्छे स्वभाव वाला, सच्चा और अमीर बनाता है। उसे सरकार से सहयोग मिलता है और वह अधिक प्रयास के बिना दुश्मनों पर जीत हासिल करता है। जातक शनि से संबंधित व्यवसायों जैसे लोहा, लकडी और मशीनरी आदि के माध्यम से खूब धनार्जन करता है और शनि से संबंधित रिश्तेदार जैसे, भतीजे, पोते, मामा/चाचा आदि के लिए ऐसे जातक से मिला सहज श्राप कभी बेकार नहीं जाता। शनि और मंगल की युति जातक को शारीरिक कष्ट देती है।   उपाय: (1) मुफ्त के उपहार या दान स्वीकार नहीं करना चाहिए। (2) बुरे कामों और झूठ से बचें। (3) संतों और फकीरों की संगति बहुत हानिकारक साबित होगी,अत: उनसे बचें। (4) हाथीदांत की चीजें बहुत प्रतिकूल प्रभाव देंगी, अतः उनसे बचाव करें।                                        दूसरे भाव में फल=> दूसरे भाव में स्थित मंगल वाला जाता आमतौर पर अपने माता पिता की बडी संतान होता है अन्यथा उसके साथ बडे के जैसे बर्ताव किया जाएगा। लेकिन रहने एक छोटे भाई की तरह रहना और बर्ताव करना जातक

हिन्दू धर्म

अगर आप घर पर सपरिवार के साथ हैं तो अपने बेटे एवं बेटी को अपने पोते एवं पोती को यह सब सिखाएं क्योंकि उन्हें हिंदू धर्म के विषय में ज्ञान होगा ××××××××01 ×××× *दो लिंग :* नर और नारी । *दो पक्ष :* शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष। *दो पूजा :* वैदिकी और तांत्रिकी (पुराणोक्त)। *दो अयन :* उत्तरायन और दक्षिणायन। *xxxxxxxxxx 02 xxxxxxxxxx* *तीन देव :* ब्रह्मा, विष्णु, शंकर। *तीन देवियाँ :* महा सरस्वती, महा लक्ष्मी, महा गौरी। *तीन लोक :* पृथ्वी, आकाश, पाताल। *तीन गुण :* सत्वगुण, रजोगुण, तमोगुण। *तीन स्थिति :* ठोस, द्रव, गैस । *तीन स्तर :* प्रारंभ, मध्य, अंत। *तीन पड़ाव :* बचपन, जवानी, बुढ़ापा। *तीन रचनाएँ :* देव, दानव, मानव। *तीन अवस्था :* जागृत, मृत, बेहोशी। *तीन काल :* भूत, भविष्य, वर्तमान। *तीन नाड़ी :* इडा, पिंगला, सुषुम्ना। *तीन संध्या :* प्रात:, मध्याह्न, सायं। *तीन शक्ति :* इच्छाशक्ति, ज्ञानशक्ति, क्रियाशक्ति। *xxxxxxxxxx 03 xxxxxxxxxx* *चार धाम :* बद्रीनाथ, जगन्नाथ पुरी, रामेश्वरम्, द्वारका। *चार मुनि :* सनत, सनातन, सनंद, सनत कुमार। *चार वर्ण :* ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र। *चार निति :* साम,

ગુજરાતી વાર્તા

એક સુખી પરિવાર ની વાત છે. પતિ અને પત્ની બંને ના લગ્ન થયાને લગભગ ૧૨ વર્ષ જેટલો સમય થઈ ગયો હતો. તેઓને સંતાનમાં એક દીકરી હતી. પતિ પત્ની દીકરી અને દીકરીના દાદા એમ કુલ મળીને ચાર સભ્યો ઘરમાં રહેતા હતા. પતિ નોકરી કરી રહ્યો હતો નોકરીમાંથી તેને શનિ અને રવિ એમ બે દિવસની રજા પણ મળતી હતી. અને આ રજાઓમાં પરિવાર રાખો સાથે રહીને આનંદ કરતો. એક દિવસની આ વાત છે દીકરાએ તેના પપ્પાને કહ્યું કે પપ્પા હું મારી પત્ની અને દીકરીને લઈને મોલ જઈ રહ્યો છું તમે ઘરનું ધ્યાન રાખજો અને સંભાળજો. પિતાએ જવાબમાં કહ્યું ઠીક છે બેટા તું જઈ આવ આમ પણ મારા પગમાં થોડો દુખાવો થઈ રહ્યો છે તો હું મોલમાં આવવા ઇચ્છતો નથી. તમે બધા લોકો જઈ આવો અને આનંદ કરી આવો. 10 વર્ષની દીકરીએ તેના દાદાને કહ્યું દાદા તમારે તો મોલમાં આવવું જ પડશે. હજી તો દાદા કંઈ જવાબ આપે તે પહેલાં જ વહુ ને જવાબ આપતા કહ્યું બેટા તારા દાદા મોલમાં પગથિયાં ચડી શકે. અને તેઓને એસ્કેલેટર પર ચડવાનું પણ નથી આવડતું. અને હા મોલમાં કોઈ મંદિર હોતું નથી એટલા માટે દાદાને મોલમાં જવામાં કોઇ રસ નથી નહીંતર મંદિર હોય તો તરત જ જતા રહે કારણ કે તેઓને મંદિરે જવામાં જ રસ છે. દાદાએ વહુ નો જવાબ

महाभारत में चक्रव्यूह क्या था

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महाभारत में चक्रव्यूह क्या था, इस युद्ध मे और कितने प्रकार के व्यूहों का उपयोग हुआ? आइये बताते हैं :-- चक्रव्यूह का उल्लेख हिन्दू पौराणिक ग्रंथ महाभारत में हुआ है। इस व्यूह की रचना गुरु द्रोणाचार्य ने युद्ध के तेरहवें दिन की थी। अर्जुन के अतिरिक्त और कोई भी चक्रव्यूह भेदन नहीं जानता था। युधिष्ठिर को बंदी बनाने के लिए चक्रव्यूह की रचना की गयी थी। दुर्योधन इस चक्रव्यूह के बिलकुल मध्य में था। इस व्यूह में बाकी सात महारथी व्यूह की विभिन्न परतों में थे। व्यूह के द्वार पर जयद्रथ था। अभिमन्यु ही इस व्यूह को भेदने में सफल हो पाया पर वह भी अंतिम द्वार(यानी परत) को पार नहीं कर सका तथा बाद में सात महारथियों द्वारा उसकी हत्या कर दी गयी। महाभारत युद्ध में पांडवों और कौरवों द्वारा कुछ और व्यूह रचे गए थे जो निम्न हैं :- महाभारत ग्रंथ के अनुसार व्यूह-रचना  1.   गरुड़-व्यूह 2.   क्रौंच व्यूह 3.   श्येन व्यूह 4.   सुपर्ण(गरुड़) व्यूह 5.   सारंग व्यूह 6.   सर्प व्यूह 7.   खड्ग सर्प व्यूह 8.   शेषनाग व्यूह  9.   मकर व्यूह,  10. कुर्मा(कछुआ) व्यूह,     11. वर

घर की नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिय उपाय

घर की नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिय उपाय 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ जैसा की आप जानते है की हर घर में कोई  न  कोई वास्तु दोष अवश्य मिलता है ऐसे में घर में कोई न कोई समस्या बनी रहती है। वास्तु  दोष से घर में नकारात्मक उर्जा भी इकट्ठी होती रहती है जो घर में कलह का कारण बन  जाती है तो साथ ही परिवार के सदस्यों को  स्वास्थ्य की हानी पैसे के बचत न होने आदि समस्या उत्पन्न कर देती है। आज कुछ उपाय  पोस्ट कर रहा हूँ जिससे आप घर में नकारात्मक उर्जा को खत्म कर  सके। 1.  एक कटोरी में जल लेकर उसे तीन से चार  घंटे के लिए सूर्य की रौशनी में रख दें और फिर उसे भगवान का स्मरण करते हुए पुरे घर  में आम या अशोक के पतों से छिडक दें। इसकेलिये आप गौमूत्र या गंगाजल का भी  प्रयोग कर सकते है। 2. घर में आप गुग्गूल की धुप जलाकर  किसी भी मन्त्र का जप करते हुये पुरे घर में भुमाये ये  भी नकारात्मक ऊर्जा को घर से बाहर करने  का उत्तम उपाय  है। 3. शाम के समय घर के सभी कोनो में नमक बिखरा दें और सुबह उस नमक को बाहर फेंक दें कोनों की सफाई करके। नमक को नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने  वाला माना गया है। आप पोछा लगाते समय पानी मे

betiya

पिता :- कन्यादान नहीं करूंगा जाओ ,                  मैं नहीं मानता इसे , क्योंकि मेरी बेटी कोई चीज़ नहीं ,जिसको दान में दे दूँ ; मैं बांधता हूँ बेटी तुम्हें एक पवित्र बंधन में ,        पति के साथ मिलकर निभाना तुम , मैं तुम्हें अलविदा नहीं कह रहा ,  आज से तुम्हारे दो घर ,जब जी चाहे आना तुम ,   जहाँ जा रही हो ,खूब प्यार बरसाना तुम , सब को अपना बनाना तुम ,पर कभी भी   न मर मर के जीना ,न जी जी के मरना तुम , तुम अन्नपूर्णा , शक्ति , रति सब तुम ,         ज़िंदगी को भरपूर जीना तुम , न तुम बेचारी , न अबला ,        खुद को असहाय कभी न समझना तुम , मैं दान नहीं कर रहा तुम्हें ,         मोहब्बत के एक और बंधन में बाँध रहा हूँ , उसे बखूबी निभाना तुम ................. *एक नयी सोच एक नयी पहल*सभी बेटियां के लिए 🔰🚥🚥🔰 🌿➖बोये जाते हैं बेटे.. 🌿➖पर उग जाती हैं            बेटियाँ.. 🌿➖खाद पानी बेटों को.. 🌿➖पर लहराती हैं बेटियां. 🌿➖स्कूल जाते हैं बेटे.. 🌿➖पर पढ़ जाती हैं           बेटियां.. 🌿➖मेहनत करते हैं बेटे.. 🌿➖पर अव्वल आती हैं           बेटियां.. 🌿➖रुलाते हैं जब खूब बेटे. 🌿➖तब हंसाती हैं बेटि

व्यपार के योग

. यदि लग्न सप्तम, दशम भाव का कार्येश हो तब जातक को कारोबार के द्वारा धनार्जन होगा और यदि षष्ठ और दशम का कार्येश हो तो नौकरी से धन अर्जित करेगा।   2. तृतीय भाव का कार्येश हो तो लेखन, छपाई, एजेंसी, कमीशन एजेंट, रिपोर्टर, सेल्समैन और संस्‍थाओं से धन प्राप्त होगा। मतलब यह कि वह इस क्षेत्र में अपना करियर बनाएगा।     3. अगर द्वितीय और पंचम का कार्येश हो तो जमीन, घर, बगीचे, वाहन और शिक्षा संस्थानों से धन प्राप्त करेगा। इसके अतिरिक्त नाटक, सिनेमा, ढोल, रेस, जुआ, मंत्र, तंत्र और पौरोहित्य कर्म से धन अर्जित करेगा।   4. यदि द्वितीय और सप्तम का कार्येश हो तो विवाह, विवाह मंडल, पार्टनरशिप और कानूनी सलाहकार के कार्य से धन अर्जित करेगा।   5. यदि दशम भाव में एक से अधिक ग्रह हों और उसमें से जो ग्रह सबसे अधिक बलवान होगा, जातक उसके अनुसार ही व्यापार करेगा। जैसे दशम भाव में मंगल बलवान हो तो जातक प्रॉपर्टी, निवेश आदि का व्यवसाय करेगा अथवा पुलिस या सेना में जाएगा।     6. यदि दशम भाव में कोई ग्रह न हो तो दशमेश यानी दशम भाव के स्वामी के अनुसार व्यापार तय होगा। यदि दशम भाव में शुक्र हो तो व्यक्ति कॉस्मेटिक्स,

घर की नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिय उपाय

घर की नकारात्मक ऊर्जा हटाने के लिय उपाय 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ जैसा की आप जानते है की हर घर में कोई  न  कोई वास्तु दोष अवश्य मिलता है ऐसे में घर में कोई न कोई समस्या बनी रहती है। वास्तु  दोष से घर में नकारात्मक उर्जा भी इकट्ठी होती रहती है जो घर में कलह का कारण बन  जाती है तो साथ ही परिवार के सदस्यों को  स्वास्थ्य की हानी पैसे के बचत न होने आदि समस्या उत्पन्न कर देती है। आज कुछ उपाय  पोस्ट कर रहा हूँ जिससे आप घर में नकारात्मक उर्जा को खत्म कर  सके। 1.  एक कटोरी में जल लेकर उसे तीन से चार  घंटे के लिए सूर्य की रौशनी में रख दें और फिर उसे भगवान का स्मरण करते हुए पुरे घर  में आम या अशोक के पतों से छिडक दें। इसकेलिये आप गौमूत्र या गंगाजल का भी  प्रयोग कर सकते है। 2. घर में आप गुग्गूल की धुप जलाकर  किसी भी मन्त्र का जप करते हुये पुरे घर में भुमाये ये  भी नकारात्मक ऊर्जा को घर से बाहर करने  का उत्तम उपाय  है। 3. शाम के समय घर के सभी कोनो में नमक बिखरा दें और सुबह उस नमक को बाहर फेंक दें कोनों की सफाई करके। नमक को नकारात्मक ऊर्जा को खत्म करने  वाला माना गया है। आप पोछा लगाते समय पानी मे

शनि केतु का प्रभाव मानव जीवन पर

शनि केतु का प्रभाव मानव जीवन पर  ज्योतिष शास्त्र मे शनि और केतु का योग को अच्छा नही माना जाता चाहे तब वो किसी भी भाव मे हो जातक का जीवन  बहुत संघर्षपूर्ण हो जाता है इस योग को श्रापित योग माना गया है कुंडली में यदि शनि और केतु एक साथ हों तो ऐसे में व्यक्ति समस्या औ मे ही घिरा रहता है बहुत उपाय करने के बाद भी हाथ कुछ नही आता हर किसी जातक कि कुण्डली मे ये योग अलग अलग भावो मे अलग श्राप का कारण बनता है अब अगर ये पता लग जाए की ये किस श्राप का निर्माण कुण्डली मे कर रहा है तो उपाय करके जातक अपनी समस्याओं से बाहर आ जाता है जानते हैं इस योग के बारे मे कि ये जातक के जीवन को किस  तरह से प्रभावित करता है   आजीविका या करियर बहुत संघर्ष पूर्ण होता है व्यक्ति को पूरी मेहनत करने पर भी आपेक्षित परिणाम नहीं मिलते, कई बार व्यक्ति अपनी आजीविका का क्षेत्र बदलने पर मजबूर हो जाता है,  इस योग के कारण  भाईयो मे  जमीन जायदादके लिए झगडा और कोर्ट के चक्कर लगने शुरू हो जाते हैं  ऐसी स्थिति हो जाती है कि जातक को घर चलाने के लिए अपनी जमीन जायदाद बेचकर और ऊपर से  कर्जा भी चड जाता है  बडे से बडा व्यापार बन्द हो जाता है

શિવલિંગ પર કઈ વસ્તુ ચઢાવાએ

🔯શિવલિગ ઉપર આ વસ્તુઓ અર્પણ કરવાથી થાય છે શિવજી નારાજ. આજ કેટલીક એવી વસ્તુ વિશે જણાવવા જઇ રહ્યાં છે જે તમે ભુલથી પણ શિવજી પર ચઢાવશો તો શિવજી ખુશ થવાની જગ્યા પર નારાજ થઇ જશે. શિવજી જ નહી વિષ્ણુજી અને લક્ષ્મીજી પણ પરસ્પર નારાજ થઇ જશે એટલા માટે ક્યારે પણ આ વસ્તુને ભગવાન શિવ પર ચઢાવવું જોઇએ નહી. 🔯શંખ ધ્વારા કોઈ પણ અભિષેક કરવો નહિ. 🔯તુલસી પાન, હળદર, કંકુ, સિંદુર, ઉકાળેલું દૂધ, (સુકા) શ્રીફળ નું પાણી, કેતકીનું ફૂલ તથા લાલ રંગ નું ફૂલ અર્પણ કરવું નહિ. 🔯સફેદ તલ અને તેની બનાવેલ વસ્તુ અર્પણ કરવી નહિ. ( તલ તે ભગવાન વિષ્ણુ ના મેલમાંથી ઉત્પન થયેલ છે માટે વર્જિત છે ) 🔯દૂધ ને તાંબાના લોટામાં, ડાયરેક્ટ કોથળી થી કે પ્લાસ્ટિક ની બોટલમાંથી ચઢાવવું જોઈએ નહિ. કાંસુ કે ચાંદી નું પાત્ર શ્રેષ્ઠ છે. 🔯શિવજીની પ્રદક્ષિણા ચંદ્રકળા જેવી, એટલે સોમસૂત્રી હોય છે. શાળુંકાથી ઉત્તર દિશા ભણી, એટલે સોમની દિશા ભણી, મંદિરના વિસ્તારના છેડા સુધી (આંગણાં સુધી) જે સૂત્ર, એટલે નાનો વહેળો જાય છે, તેને સોમસૂત્ર કહે છે. પ્રદક્ષિણા કરતી વેળાએ ડાબા  જવું અને અભિષેકના પાણીનો સ્રોત જે નીકમાંથી વહે છે (શાળુંકાનો આગળ લઈ જવાયેલો સ્રો

कहानी

🌸🌸*एक अजीब फैसला*🌸🌸 *••••••••••••••••••* *एक आठ साल का लड़का स्टोर से ब्रेड और पनीर चोरी करता हुआ पकड़ा गया ।* *गार्ड ने पकड़ कर पुलिस को, और पुलिस ने बाल न्यायालय में पेश कर दिया!* *जज ने जुर्म सुना और लड़के से पूछा तुमने क्या सचमुच कुछ चुराया था।*               *हाँ* *ब्रैड और पनीर का पैकेट, लड़के ने सहमते हुए नीचे नज़रें कर के जवाब दिया।जज - क्यों ?* *मुझे बहुत ज़रूरत थी जज खरीद लेते लड़का पैसे नहीं थे* *घर वालों से ले लेते।* *घर में सिर्फ मां है बीमार और बेरोज़गार है, ब्रैड और पनीर भी उसी के लिए चुराई थी।* *तुम कुछ काम नहीं करते ?* *करता था कार वाश गेराज़ में, मां की देखभाल के लिए एक दिन की छुट्टी की थी। तो मुझे काम से निकाल दिया गया।* *तुम किसी से मदद मांग लेते मैं सुबह से घर से निकला था करीब बीस लोगों के पास गया भीख की तरह मांगा, बिल्कुल आख़री में ये क़दम उठाया।* *जिरह ख़त्म हुई जज ने फैसला सुनाना शुरू किया - चोरी और वो भी सिर्फ ब्रैड की चोरी बहुत बड़ा जुर्म है और इस जुर्म के हम सब ज़िम्मेदार हैं ।* *अदालत में मौजूद हर शख़्स मेरे सहित हम सब मुजरिम हैं !* *इसलि

રુદ્રાભિષેક કરવાથી થી શુ લાભ થાય?*

*રુદ્રાભિષેક કરવાથી થી શુ લાભ થાય?* શિવમહાપુરણ ને આધાર ગણી  શિવ મહાપુરાણ અનુસાર ક્યાં દ્રવ્યથી અભિષેક કરવાથી કરવાથી કયા ફળની પ્રાપ્તિ થાય અથવા આપ જે ઉદ્દેશ્યની પૂર્તિ માટે રુદ્રાભિષેક કરી રહ્યા છો એનાં માટે ક્યાં દ્રવ્યનો ઉપયોગ કરવો જોઈએનો ઉલ્લેખ શિવ પુરાણમાં કરવામાં આવ્યો છે એનું સવિસ્તાર વર્ણન પ્રસ્તુત કરી રહ્યો છુ.આશા છે આપને એ મુજબ રુદ્રાભિષેક કરાવવાથી પૂર્ણ લાભ પ્રાપ્ત થશે. श्लोक *जलेन वृष्टिमाप्नोति व्याधिशांत्यै कुशोदकै* *दध्ना च पशुकामाय श्रिया इक्षुरसेन वै*। *मध्वाज्येन धनार्थी स्यान्मुमुक्षुस्तीर्थवारिणा*। *पुत्रार्थी पुत्रमाप्नोति पयसा चाभिषेचनात*।। *बन्ध्या वा काकबंध्या वा मृतवत्सा यांगना*। *जवरप्रकोपशांत्यर्थम् जलधारा शिवप्रिया*।। *घृतधारा शिवे कार्या यावन्मन्त्रसहस्त्रकम्*। *तदा वंशस्यविस्तारो जायते नात्र संशयः*। *प्रमेह रोग शांत्यर्थम् प्राप्नुयात मान्सेप्सितम*। *केवलं दुग्धधारा च वदा कार्या विशेषतः*। *शर्करा मिश्रिता तत्र यदा बुद्धिर्जडा भवेत्*। *श्रेष्ठा बुद्धिर्भवेत्तस्य कृपया शङ्करस्य च!* *सार्षपेनैव तैलेन शत्रुनाशो भवेदिह!* *पापक्षयार्थी मधुना निर्व्याधिः सर्पिषा तथ

શિવલિંગ પર કઈ વસ્તુ ચઢાવાએ

🔯શિવલિગ ઉપર આ વસ્તુઓ અર્પણ કરવાથી થાય છે શિવજી નારાજ. આજ કેટલીક એવી વસ્તુ વિશે જણાવવા જઇ રહ્યાં છે જે તમે ભુલથી પણ શિવજી પર ચઢાવશો તો શિવજી ખુશ થવાની જગ્યા પર નારાજ થઇ જશે. શિવજી જ નહી વિષ્ણુજી અને લક્ષ્મીજી પણ પરસ્પર નારાજ થઇ જશે એટલા માટે ક્યારે પણ આ વસ્તુને ભગવાન શિવ પર ચઢાવવું જોઇએ નહી. 🔯શંખ ધ્વારા કોઈ પણ અભિષેક કરવો નહિ. 🔯તુલસી પાન, હળદર, કંકુ, સિંદુર, ઉકાળેલું દૂધ, (સુકા) શ્રીફળ નું પાણી, કેતકીનું ફૂલ તથા લાલ રંગ નું ફૂલ અર્પણ કરવું નહિ. 🔯સફેદ તલ અને તેની બનાવેલ વસ્તુ અર્પણ કરવી નહિ. ( તલ તે ભગવાન વિષ્ણુ ના મેલમાંથી ઉત્પન થયેલ છે માટે વર્જિત છે ) 🔯દૂધ ને તાંબાના લોટામાં, ડાયરેક્ટ કોથળી થી કે પ્લાસ્ટિક ની બોટલમાંથી ચઢાવવું જોઈએ નહિ. કાંસુ કે ચાંદી નું પાત્ર શ્રેષ્ઠ છે. 🔯શિવજીની પ્રદક્ષિણા ચંદ્રકળા જેવી, એટલે સોમસૂત્રી હોય છે. શાળુંકાથી ઉત્તર દિશા ભણી, એટલે સોમની દિશા ભણી, મંદિરના વિસ્તારના છેડા સુધી (આંગણાં સુધી) જે સૂત્ર, એટલે નાનો વહેળો જાય છે, તેને સોમસૂત્ર કહે છે. પ્રદક્ષિણા કરતી વેળાએ ડાબા  જવું અને અભિષેકના પાણીનો સ્રોત જે નીકમાંથી વહે છે (શાળુંકાનો આગળ લઈ જવાયેલો સ્રો

शुक्रवार

शुक्रवारः आज के दिन करें ये काम तो हो जायेंगे मालामाल, मां लक्ष्मी का मिलेगा वरदान - शुक्रवारः आज के दिन करें ये काम तो हो जायेंगे मालामाल, मां लक्ष्मी का मिलेगा वरदान सनातन हिन्दू धर्म में शुक्रवार (Friday) का दिन लक्ष्मी और वैभव-विलास का दिन माना जाता है। आज के दिन मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) को प्रसन्न करने के लिए कुछ टोने-टोटके भी किए जाते हैं। आज हम आपको कुछ टोटकों के बारे में बताने जा रहे हैं जिससे बहुत सारा धन (Wealth) आपके पास आ सकता है। आइए जानते हैं। * कहते हैं घर (Home) में किसी भी समय लक्ष्मी जी (Lakshmi Ji) आ सकती है लेकिन शाम का समय ऐसा होता है, जिस समय लक्ष्मी जी का आना संभव होता है इसलिए शाम के समय सारे घर की लाइट जला कर पूरे घर में रोशनी कर देना चाहिए। *  कहा जाता है मां लक्ष्मी (Maa Lakshmi) के समक्ष मोगरे का इत्र अर्पित करना चाहिए और रति और कामसुख के लिए गुलाब का इत्र चढ़ाना चाहिए। इसी के साथ देवी लक्ष्मी के सामने केवड़े का इत्र अर्पित करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है। * कहा जाता है शुक्रवार के दिन सुबह के समय गो-माता को ताज़ी रोटी खिलाना चाहिए क्योंकि ऐसा करने

શિવલિંગ પર કઈ વસ્તુ ચઢાવાએ

🔯શિવલિગ ઉપર આ વસ્તુઓ અર્પણ કરવાથી થાય છે શિવજી નારાજ. આજ કેટલીક એવી વસ્તુ વિશે જણાવવા જઇ રહ્યાં છે જે તમે ભુલથી પણ શિવજી પર ચઢાવશો તો શિવજી ખુશ થવાની જગ્યા પર નારાજ થઇ જશે. શિવજી જ નહી વિષ્ણુજી અને લક્ષ્મીજી પણ પરસ્પર નારાજ થઇ જશે એટલા માટે ક્યારે પણ આ વસ્તુને ભગવાન શિવ પર ચઢાવવું જોઇએ નહી. 🔯શંખ ધ્વારા કોઈ પણ અભિષેક કરવો નહિ. 🔯તુલસી પાન, હળદર, કંકુ, સિંદુર, ઉકાળેલું દૂધ, (સુકા) શ્રીફળ નું પાણી, કેતકીનું ફૂલ તથા લાલ રંગ નું ફૂલ અર્પણ કરવું નહિ. 🔯સફેદ તલ અને તેની બનાવેલ વસ્તુ અર્પણ કરવી નહિ. ( તલ તે ભગવાન વિષ્ણુ ના મેલમાંથી ઉત્પન થયેલ છે માટે વર્જિત છે ) 🔯દૂધ ને તાંબાના લોટામાં, ડાયરેક્ટ કોથળી થી કે પ્લાસ્ટિક ની બોટલમાંથી ચઢાવવું જોઈએ નહિ. કાંસુ કે ચાંદી નું પાત્ર શ્રેષ્ઠ છે. 🔯શિવજીની પ્રદક્ષિણા ચંદ્રકળા જેવી, એટલે સોમસૂત્રી હોય છે. શાળુંકાથી ઉત્તર દિશા ભણી, એટલે સોમની દિશા ભણી, મંદિરના વિસ્તારના છેડા સુધી (આંગણાં સુધી) જે સૂત્ર, એટલે નાનો વહેળો જાય છે, તેને સોમસૂત્ર કહે છે. પ્રદક્ષિણા કરતી વેળાએ ડાબા  જવું અને અભિષેકના પાણીનો સ્રોત જે નીકમાંથી વહે છે (શાળુંકાનો આગળ લઈ જવાયેલો સ્રો

यह चीजें कभी भी न चढ़ाएं शिवलिंग पे

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यह चीजें कभी भी न चढ़ाएं शिवलिंग पर 1.  केतकी के फूल-   कहते हैं कि भगवान शिव ने ब्रह्मा के झूठ में साथ देने पर केतकी के फूल को भी श्राप दिया था और कहा था कि उनके शिवलिंग पर कभी केतकी के फूल को अर्पित नहीं किया जाएगा। तबसे शिव को केतकी के फूल अर्पित किया जाना अशुभ माना जाता है। 2.  तुलसी -  शिवपुराण के अनुसार असुर जालंधर की पत्नी तुलसी के मजबूत पतिधर्म की वजह से उसे कोई भी देव हरा नहीं सकता था। इसलिए भगवान विष्णु ने तुलसी के पतिव्रत को ही खंडित करने की सोची। वह जालंधर का वेष धारण कर तुलसी के पास पहुंच गए, जिसकी वजह से तुलसी का पतिधर्म टूट गया और भगवान शिव ने असुर जालंधर का वध कर उसे भस्म कर दिया। इस पूरी घटना ने तुलसी को बेहद निराश कर दिया उन्होंने स्वयं भगवान शिव को अपने अलौकिक और दैवीय गुणों वाले पत्तों से वंचित कर दिया। 3.  नारियल पानी -   कहते हैं शिवलिंग पर नारियल अर्पित किया जाता है लेकिन कभी भी शिवलिंग पर नारियल के पानी से अभिषेक नहीं करना चाहिए। देवताओं को चढ़ाया जाने वाला प्रसाद ग्रहण करना आवश्यक होता है लेकिन शिवलिंग का अभिषेक जिन पदार्थों से होता है उन्हें ग्रहण नहीं किया जा

शिव उपासना

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भगवान आशुतोष का अभिषेक कई प्रकार के द्रव्यों से किया जाता है, हर द्रव्य से अभिषेक का अपना अलग फल होता है। इसके अलावा भगवान शिव की उपासना के दौरान चढ़ाए जाने वाले फूल व पत्ते भी अलग-अलग पुण्य देने वाले होते हैं। सावन में भगवान शंकर को प्रसन्न करने के वैसे तो कई तरीके हमें ज्ञात होते हैं, लेकिन किस अभिषेक से भोलेनाथ कौन सा फल देंगे, इस बारे में कई लोगों को मालूम नहीं होता। इस कारण वे कई बार अपनी कामना पूर्ति के लिए भगवान आशुतोष का अभिषेक तो करते हैं, लेकिन किसी ऐसी चीज से जिसका उनकी कामनापूर्ति से कोई तारत्मय नहीं बैठता। फिर भी भोलेनाथ तो भोले ही ठहरे श्रृद्धा से अभिषेक करने वाले की कई बार कामना को जानकर पूरा भी कर देते हैं। पंडितों के अनुसार लेकिन हर कोई इतना भाग्यवान नहीं होता इसीलिए कामना के अनुरूप ही भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए। कामना की प्राप्ति के द्रव्यों से अभिषेक 1 - जल की धारा भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है, अत: शुद्ध जल से भगवान शिव का अभिषेक करने पर भरपूर जलवृष्टि होती है। इसके अतिरिक्त जल से अभिषेक करने से तेज ज्वर भी शांत हो जाता है।  2 - लक्ष्मी प्राप्ति के लि

इतिहास का सच

इतिहाश में छुपाया गया एक सच ....👇 45 साल के महात्मा गाँधी 1915 में भारत आते हैं, 2 दशक से भी ज्यादा दक्षिण अफ्रीका में बिता कर। इससे 4 साल पहले 28 वर्ष का एक युवक अंडमान में एक कालकोठरी में बन्द होता है। अंग्रेज उससे दिन भर कोल्हू में बैल की जगह हाँकते हुए तेल पेरवाते हैं, रस्सी बटवाते हैं और छिलके कूटवाते हैं। वो तमाम कैदियों को शिक्षित कर रहा होता है, उनमें राष्ट्रभक्ति की भावनाएँ प्रगाढ़ कर रहा होता है और साथ ही दीवालों कर कील, काँटों और नाखून से साहित्य की रचना कर रहा होता है।  उसका नाम था- विनायक दामोदर सावरकर।  वीर सावरकर। उन्हें आत्महत्या के ख्याल आते। उस खिड़की की ओर एकटक देखते रहते थे, जहाँ से अन्य कैदियों ने पहले आत्महत्या की थी। पीड़ा असह्य हो रही थी। यातनाओं की सीमा पार हो रही थी। अंधेरा उन कोठरियों में ही नहीं, दिलोदिमाग पर भी छाया हुआ था। दिन भर बैल की जगह खटो, रात को करवट बदलते रहो। 11 साल ऐसे ही बीते। कैदी उनकी इतनी इज्जत करते थे कि मना करने पर भी उनके बर्तन, कपड़े वगैरह धो देते थे, उनके काम में मदद करते थे। सावरकर से अँग्रेज बाकी कैदियों को दूर रखने की कोशिश करते थे। अंत

कहानी

झेन परंपरा में चित्रकारी की एक बहुत पुरानी कला है। एक झेन सदगुरु के पास एक शिष्य वह चित्रकला सीख रहा था और निश्चित ही इस कला के माध्यम से वह वास्तव में ध्यान ही सीख रहा था। वह शिष्य बांसों के प्रति बहुत आकर्षित था, लगभग पागलपन की हद तक। वह सदैव बांस का ही चित्र बनाकर उसमें रंग भरता रहता था। ऐसा कहा जाता है कि एक दिन झेन सदगुरु ने उस शिष्य से कहा : ‘जब तक तुम स्वयं एक बांस नहीं हो जाते, तब तक कुछ भी नहीं होगा।’ दस वर्षों तक वह शिष्य बांसों के ही चित्र बनाता रहा। वह इतना अधिक कुशल हो गया था कि वह आंखें बंद करके, अंधेरी रात में भी बांस का अद्भुत चित्र बना सकता था। उसके द्वारा बनाए गए बांस के चित्र आदर्श थे और जीवंत प्रतीत होते थे। लेकिन उसके सदगुरु उन चित्रों को स्वीकार नहीं करते थे। वे सदैव उससे यही कहते : ‘जब तक तुम एक बांस ही न बन जाओ, तुम कैसे बांस का चित्र बना सकते हो? तुम पृथक बने रहते हो, तुम एक देखने वाले, दर्शक बने रहते हो। ऐसा इसलिए है कि तुमने अभी तक बांस को बाहर से जाना है, लेकिन वह तो केवल उसकी परिधि है, वह बांस की आत्मा नहीं है। जब तक तुम उसके साथ एक नहीं हो जाते, जब तक तुम

मौन की महत्ता

*मौन की महत्ता*   *एक मछलीमार कांटा डाले तालाब के किनारे बैठा था। काफी समय बाद भी कोई मछली कांटे में नहीं फँसी, ना ही कोई हलचल हुई तो वह सोचने लगा... कहीं ऐसा तो नहीं कि मैने कांटा गलत जगह डाला है, यहाँ कोई मछली ही न हो !*     *उसने तालाब में झाँका तो देखा कि उसके कांटे के आसपास तो बहुत-सी मछलियाँ थीं। उसे बहुत आश्चर्य हुआ कि इतनी मछलियाँ होने के बाद भी कोई मछली फँसी क्यों नहीं !*     *एक राहगीर ने जब यह नजारा देखा तो उससे कहा-- "लगता है भैया, यहाँ पर मछली मारने बहुत दिनों बाद आए हो! अब इस तालाब की मछलियाँ कांटे में नहीं फँसती।"*     *मछलीमार ने हैरत से पूछा-- "क्यों, ऐसा क्या है यहाँ ?*     *राहगीर बोला-- "पिछले दिनों तालाब के किनारे एक बहुत बड़े संत ठहरे थे। उन्होने यहाँ मौन की महत्ता पर प्रवचन दिया था। उनकी वाणी में इतना तेज था कि जब वे प्रवचन देते तो सारी मछलियाँ भी बड़े ध्यान से सुनतीं। यह उनके प्रवचनों का ही असर है कि उसके बाद जब भी कोई इन्हें फँसाने के लिए कांटा डालकर बैठता है तो ये मौन धारण कर लेती हैं। जब मछली मुँह खोलेगी ही नहीं तो कांटे में फँसेगी कैसे ? इस

एक साधु

*यह भी नहीं रहने वाला*   🙏🌹          एक साधु देश में यात्रा के लिए पैदल निकला हुआ था। एक बार रात हो जाने पर वह एक गाँव में आनंद नाम के व्यक्ति के दरवाजे पर रुका। *आनंद ने साधू  की खूब सेवा की। दूसरे दिन आनंद ने बहुत सारे उपहार देकर साधू को विदा किया।* साधू ने आनंद के लिए प्रार्थना की  - "भगवान करे तू दिनों दिन बढ़ता ही रहे।"        *साधू की बात सुनकर आनंद हँस पड़ा और बोला - "अरे, महात्मा जी! जो है यह भी नहीं रहने वाला ।" साधू आनंद  की ओर देखता रह गया और वहाँ से चला गया ।*       दो वर्ष बाद साधू फिर आनंद के घर गया और देखा कि सारा वैभव समाप्त हो गया है । पता चला कि आनंद अब बगल के गाँव में एक जमींदार के यहाँ नौकरी करता है । साधू आनंद से मिलने गया। *आनंद ने अभाव में भी साधू का स्वागत किया । झोंपड़ी में फटी चटाई पर बिठाया । खाने के लिए सूखी रोटी दी । दूसरे दिन जाते समय साधू की आँखों में आँसू थे । साधू कहने लगा - "हे भगवान् ! ये तूने क्या किया ?"*      आनंद पुन: हँस पड़ा और बोला - "महाराज  आप क्यों दु:खी हो रहे है ? महापुरुषों ने कहा है कि भगवान्  इन्सान क

कविता प्रसंग

🥗 प्रेरक प्रसंग 🥗             ➖➖➖➖➖ अद्भुत संदेश है इस कहानी में  ✅ ➖➖➖➖➖➖➖➖                        एक बार एक व्यक्ति की उसके बचपन के टीचर से मुलाकात होती है । वह उनके चरण स्पर्श कर अपना परिचय देता है। वे बड़े प्यार से पुछती है, 'अरे वाह, आप मेरे विद्यार्थी रहे है, अभी क्या करते हो, क्या बन गए हो ?' ' मैं भी एक टीचर बन गया हूं ' वह व्यक्ति बोला,' और इसकी प्रेरणा मुझे आपसे ही मिली थी जब में 7 वर्ष का था।' उस टीचर को बड़ा आश्चर्य हुआ, और वे बोली कि,' मुझे तो आपकी शक्ल भी याद नही आ रही है, उस उम्र में मुझसे कैसी प्रेरणा मिली थी ??' वो व्यक्ति कहने लगा कि .... 'यदि आपको याद हो, जब में चौथी क्लास में पढ़ता था, तब एक दिन सुबह सुबह मेरे सहपाठी ने उस दिन उसकी महंगी घड़ी  चोरी होने की आपसे शिकायत की थी।  आपने क्लास का दरवाज़ा बन्द करवाया और सभी बच्चो को क्लास में पीछे एक साथ लाइन में खड़ा होने को कहा था। फिर आपने सभी बच्चों की जेबें टटोली थी। मेरे जेब से आपको घड़ी मिल गई थी जो मैंने चुराई थी। पर चूंकि आपने सभी बच्चों को अपनी आंखें बंद रखने को कहा था तो किसी को प

एक साधु

*यह भी नहीं रहने वाला*   🙏🌹          एक साधु देश में यात्रा के लिए पैदल निकला हुआ था। एक बार रात हो जाने पर वह एक गाँव में आनंद नाम के व्यक्ति के दरवाजे पर रुका। *आनंद ने साधू  की खूब सेवा की। दूसरे दिन आनंद ने बहुत सारे उपहार देकर साधू को विदा किया।* साधू ने आनंद के लिए प्रार्थना की  - "भगवान करे तू दिनों दिन बढ़ता ही रहे।"        *साधू की बात सुनकर आनंद हँस पड़ा और बोला - "अरे, महात्मा जी! जो है यह भी नहीं रहने वाला ।" साधू आनंद  की ओर देखता रह गया और वहाँ से चला गया ।*       दो वर्ष बाद साधू फिर आनंद के घर गया और देखा कि सारा वैभव समाप्त हो गया है । पता चला कि आनंद अब बगल के गाँव में एक जमींदार के यहाँ नौकरी करता है । साधू आनंद से मिलने गया। *आनंद ने अभाव में भी साधू का स्वागत किया । झोंपड़ी में फटी चटाई पर बिठाया । खाने के लिए सूखी रोटी दी । दूसरे दिन जाते समय साधू की आँखों में आँसू थे । साधू कहने लगा - "हे भगवान् ! ये तूने क्या किया ?"*      आनंद पुन: हँस पड़ा और बोला - "महाराज  आप क्यों दु:खी हो रहे है ? महापुरुषों ने कहा है कि भगवान्  इन्सान क

mata माँ

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🙏કાળજુ કઠણ કરીને વાંચવું 🙏 *માતાની  વ્યથા*🙏🏻 એક દંપતી દિવાળી ની ખરીદી કરવા જઇ રહ્યું હતું પતિ એ કહ્યું જલ્દી કર મારી પાસે ટાઈમ નથી એટલું કહીને બેડરૂમ માથી બહાર નીકળી ગયો ત્યારે બહાર બેઠેલી તેની મા ઉપર તેની નજર ગઈ..! કઈ વિચાર કરીને પાછો રૂમમાં  આવ્યો અને તેની પત્ની ને કીધુ કે શાલું તે માને પૂછ્યું તેમને કઈ દિવાળી ઉપર લેવું હોય તો..! શાલીની કહે નથી પૂછ્યું અને *આ ઉંમરમાં એમને લેવાનું પણ શું હોય બે ટાઈમ ખાવાનું અને બે જોડી કપડા મળે એટલે બહુ થઈ ગયું*....! એ વાત નથી શાલું મા પહેલી વાર દિવાળી ઉપર આપણા ઘરે આવી છે નહી તો દરેક વખતે ગામમાં જ નાના ભાઈ પાસે હોય છે..! અરે એટલો બધો પ્રેમ  "મા" ઉપર ઉભરાઈ છે તો ખુદ જઇને પૂછી લો ને ...?  આટલું કહી ને શાલીની ખમ્ભે બેગ લગાવીને બહાર નીકળી ગઈ...! સૂરજ  માની પાસે જઈને કહ્યું કે મા અમેં દિવાળીની ખરીદી કરવા જઈએ છીએ તારે કઈ મંગાવવું છે...? મા કહે મારે કંઈ નથી જોઈતું બેટા....! વિચારી લો  'મા' અગર કઈ લેવું હોય તો કહી દેજો..! સૂરજેે બહુ જોર દઈને કીધું એટલે મા કહે ઉભો રહે બેટા હું લખી ને આપૂ છું તમે ખરીદીમાં ભૂલી નો જાવ એટલે , એટલું કહીને માં

कृष्ण स्टोरी

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प्रभु श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ बहुत-सी लीला की हैं। श्री कृष्ण गोपियों की मटकी फोड़ते और माखन चुराते और गोपियां श्री कृष्ण का उलाहना लेकर यशोदा मैया के पास जातीं। ऐसा बहुत बार हुआ।   #एक बार की बात है कि यशोदा मैया प्रभु श्री कृष्ण के उलाहनों से तंग आ गई और छड़ी लेकर श्री कृष्ण की ओर दौड़ी। जब प्रभु ने अपनी मैया को क्रोध में देखा तो वह अपना बचाव करने के लिए भागने लगे।   #भागते-भागते श्री कृष्ण एक कुम्हार के पास पहुंचे। कुम्हार तो अपने मिट्टी के घड़े बनाने में व्यस्त था। लेकिन जैसे ही कुम्हार ने श्री कृष्ण को देखा तो वह बहुत प्रसन्न हुआ। कुम्हार जानता था कि श्री कृष्ण साक्षात् परमेश्वर हैं। तब प्रभु ने कुम्हार से कहा कि 'कुम्हार जी, आज मेरी मैया मुझ पर बहुत क्रोधित है। मैया छड़ी लेकर मेरे पीछे आ रही है। भैया, मुझे कहीं छुपा लो।' #तब कुम्हार ने श्री कृष्ण को एक बडे से मटके के नीचे छिपा दिया। कुछ ही क्षणों में मैया यशोदा भी वहां आ गईं और कुम्हार से पूछने लगी - 'क्यूं  रे,कुम्हार! तूने मेरे कन्हैया को कहीं देखा है, क्या?' #कुम्हार ने कह दिया - 'नहीं, मैय