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Showing posts from January, 2021

अट्ठारह पुराण

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💐💐 अट्ठारह पुराण 💐आज हम सभी अट्ठारह पुराणों के कुछ पहलुओं को संक्षिप्त में समझने की कोशिश करेंगे,  पुराण शब्द का अर्थ ही है प्राचीन कथा, पुराण विश्व साहित्य के सबसे प्राचीन ग्रँथ हैं, उन में लिखित ज्ञान और नैतिकता की बातें आज भी प्रासंगिक, अमूल्य तथा मानव सभ्यता की आधारशिला हैं, वेदों की भाषा तथा शैली कठिन है, पुराण उसी ज्ञान के सहज तथा रोचक संस्करण हैं।  उन में जटिल तथ्यों को कथाओं के माध्यम से समझाया गया है, पुराणों का विषय नैतिकता, विचार, भूगोल, खगोल, राजनीति, संस्कृति, सामाजिक परम्परायें, विज्ञान तथा अन्य बहुत से विषय हैं, विशेष तथ्य यह है कि पुराणों में देवी-देवताओं, राजाओं, और ऋषि-मुनियों के साथ साथ जन साधारण की कथाओं का भी उल्लेख किया गया हैं,  जिस से पौराणिक काल के सभी पहलूओं का चित्रण मिलता है। महृर्षि वेदव्यासजी ने अट्ठारह पुराणों का संस्कृत भाषा में संकलन किया है, ब्रह्मदेव,श्री हरि विष्णु भगवान् तथा भगवान् महेश्वर उन पुराणों के मुख्य देव हैं, त्रिमूर्ति के प्रत्येक भगवान स्वरूप को छः पुराण समर्पित किये गये हैं,  इन अट्ठारह पुराणों के अतिरिक्त सोलह उप-पुराण भी

स्वप्न फल विचार

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✍️स्वप्न फल विचार 🙏🙏🏻 1- सांप दिखाई देना- धन लाभ 2- नदी देखना- सौभाग्य में वृद्धि 3- नाच-गाना देखना- अशुभ समाचार मिलने के योग 4- नीलगाय देखना- भौतिक सुखों की प्राप्ति 5- नेवला देखना- शत्रुभय से मुक्ति 6- पगड़ी देखना- मान-सम्मान में वृद्धि 7- पूजा होते हुए देखना- किसी योजना का लाभ मिलना 8- फकीर को देखना- अत्यधिक शुभ फल 9- गाय का बछड़ा देखना- कोई अच्छी घटना होना 10- वसंत ऋतु देखना- सौभाग्य में वृद्धि 11- स्वयं की बहन को देखना- परिजनों में प्रेम बढऩा 12- बिल्वपत्र देखना- धन-धान्य में वृद्धि 13- भाई को देखना- नए मित्र बनना 14- भीख मांगना- धन हानि होना 15- शहद देखना- जीवन में अनुकूलता 16- स्वयं की मृत्यु देखना- भयंकर रोग से मुक्ति 17- रुद्राक्ष देखना- शुभ समाचार मिलना 18- पैसा दिखाई- देना धन लाभ 19- स्वर्ग देखना- भौतिक सुखों में वृद्धि 20- पत्नी को देखना- दांपत्य में प्रेम बढ़ना 21- स्वस्तिक दिखाई देना- धन लाभ होना 22- हथकड़ी दिखाई देना- भविष्य में भारी संकट 23- मां सरस्वती के दर्शन- बुद्धि में वृद्धि 24- कबूतर दिखाई देना- रोग से छुटकारा 25- कोयल देखना- उत्तम स्वास्थ्य की प्र

तुलसी पर दीया जलाने के नियम

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तुलसी पर दीया जलाने के नियम ************************* रोज शाम को तुलसी पर दीया जलाने से न केवल धनलाभ होता है बल्कि घर में सुख और समृद्धि का भी वास होता है। लेकिन शास्त्रों में दीया जलाने के कुछ नियम भी बताए गए हैं।  हिंदू धर्म में तुलसी को विशेष महत्व दिया जाता है। तुलसी को मां के समान माना गया है और प्रत्येक शुभ कामों में तुलसी का प्रयोग भी किया जाता है। तुलसी के बिना भगवान विष्णु की भी पूजा अधूरी है। माना जाता है कि जिस घर में तुलसी की पूजा की जाती है। उस घर में कभी भी दरिद्रता नहीं आती। रोज शाम को तुलसी में दीपक जलाने से न केवल धनलाभ होता है। बल्कि घर में सुख और समृद्धि का भी वास होता है। लेकिन शास्त्रों में दीपक जलाने के कुछ नियम भी बताए गए हैं अगर आप उन नियमों के बारे में नहीं जानते तो आज हम आपको इसके बारे में बताएंगे तो चलिए जानते हैं तुलसी में दीया जलाने के नियमों के बारे में... तुलसी का पौधा अगर आपके घर में लगा हो तो यह आपके एवं परिवार के लिए बहुत ही लाभकारी रहता है। तुलसी के पौधे में देवी लक्ष्मी का निवास माना जाता है और नियमित रूप से तुलसी के पौधे का पूजन करने से

जानिए की किस मन्त्र के जाप से किस दिशा का होगा वास्तु दोष( प्रभाव )

जानिए की किस मन्त्र के जाप से किस दिशा का होगा वास्तु दोष( प्रभाव ) आजकल शायद ही कोई ऐसा घर हो जो वास्तु दोष से मुक्त हो। वास्तु दोष का प्रभाव कई बार देर से होता है तो कई बार इसका प्रभाव शीघ्र असर दिखने लगता है। इसका कारण यह है कि सभी दिशाएं किसी न किसी ग्रह और देवताओं के प्रभाव में होते हैं। जब किसी मकान मालिक ( जिसके नाम पर मकान हो) पर ग्रह विशेष की दशा चलती है तब जिस दिशा में वास्तु दोष होता है उस दिशा का अशुभ प्रभाव घर में रहने वाले व्यक्तियों पर दिखने लगता है। आज में आपको सभी दिशाओं के दोष को दूर करने का सबसे आसान तरीका बता रहा हूँ।। इन मंत्र जप के प्रभाव स्वरूप (फलस्वरूप) आप काफी हद तक अपने वस्तुदोषो से मुक्ति प्राप्त कर पायेंगें ।। ऐसा मेरा विश्वास हें।। ध्यान रखें मन्त्र जाप में में आस्था और विश्वास अति आवश्य हैं। यदि आप सम्पूर्ण भक्ति भाव और एकाग्रचित्त होकर इन मंत्रो को जपेंगें तो निश्चित ही लाभ होगा।। देश- काल और मन्त्र सधाक की साधना(इच्छा शक्ति) अनुसार परिणाम भिन्न भिन्न हो सकते हैं।। तर्क कुतर्क वाले इनसे दूर रहें।। इनके प्रभाव को नगण्य मानें।। ईशान दिशा इस दिशा के स्वामी

कुण्डली दिखाये भी आप जान सकते कौन सा ग्रह है कमजोर!!

बिना किसी ज्योतिषि को कुण्डली दिखाये भी आप जान                   सकते कौन सा ग्रह है कमजोर!! अपनी छोटी-छोटी आदतों पर ध्यान दिया जाए तो हम यह पता कर सकते हैं कि हमारी कुंडली का कौन-सा ग्रह कमजोर है। आप अपनी पसंद के खाने से जान सकते हैं कि आपका कौन सा ग्रह कमजोर है,                                           जैसे 1.जिस व्यक्ति का गुरु कमजोर होता है उसे पीली चीजें अधिक पसंद आती हैं। ऐसा व्यक्ति चने की दाल, सोनपापड़ी, बेसन के लड्डू एवं हल्दी खाना अधिक पसंद करता है। 2. कमजोर मंगल वाले व्यक्ति की पसंद मसूर की दाल, शहद एवं लाल मिर्च होती है। इन्हें मीठा भी काफी पसंद होता है। 3. जिनकी कुंडली में सूर्य कमजोर होता है, ऐसे लोग नमकीन भोजन के शौकीन होते हैं। इन्हें तेज नमक खाना पसंद होता है। 4. चंद्रमा और शुक्र दोनों का रंग सफेद है। जिनकी जन्मपत्री में चन्द्र या शुक्र कमजोर होता है, वे दूध, दही, चावल, मिश्री एवं आइसक्रीम के दीवाने होते हैं। 5. उड़द, तिल, खिचड़ी, सरसों तेल आदि का कारक शनि माना जाता है। कमजोर शनि वाले व्यक्तियों को तैलीय चीजें काफी पसंद आती हैं। शनि की दशा में तैलीय चीजें अधिक मात्रा

परिवार में शांति बनाए रखने के लिए वशीकरण

परिवार में शांति बनाए रखने के लिए वशीकरण बुधवार को मिट्टी के बने एक शेर को उसके गले में लाल चुन्नी बांधकर और लाल टीका लगाकर  माता के मंदिर में रखें और माता को अपने परिवार की सभी समस्याएं बताकर उनसे शांति बनाए रखने की विनती करें। यह क्रिया निष्ठापूर्वक करें, परिवार में शांति कायम होगी।

धन का ठहराव

धन का ठहराव =========== आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टप–टप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है ! रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व11बार हनुमान चालीसा का पाठ करें ! प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें ! अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें

नजर बाधा दूर करने के लिए वशीकरण

नजर बाधा दूर करने के लिए वशीकरण मिर्च, राई व नमक को पीड़ित व्यक्ति के सिर से वार कर आग में जला दें। चंद्रमा जब राहु से पीड़ित होता है तब नजर लगती है। मिर्च मंगल का, राई शनि का और नमक राहु का प्रतीक है। इन तीनों को आग (मंगल का प्रतीक) में डालने से नजर दोष दूर हो जाता है। यदि इन तीनों को जलाने पर तीखी गंध न आए तो नजर दोष समझना चाहिए। यदि आए तो अन्य उपाय करने चाहिए।  शादी विवाह में विघ्न न पडने देने के लिये टोटका शादी वाले दिन से एक दिन पहले एक ईंट के ऊपर कोयले से ""बाधायें"" लिखकर ईंट को उल्टा करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख दीजिये,और शादी के बाद उस ईंट को उठाकर किसी पानी वाले स्थान पर डाल कर ऊपर से कुछ खाने का सामान डाल दीजिये,शादी विवाह के समय में बाधायें नहीं आयेंगी।  वैवाहिक सुख के लिए वशीकरण कन्या का विवाह हो जाने के बाद उसके घर से विदा होते समय एक लोटे में गंगाजल, थोड़ी सी हल्दी और एक पीला सिक्का डालकर उसके आगे फेंक दें, उसका वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा।

रोग से छुट कारा पाने के लिए वशीकरण

रोग से छुट कारा पाने के लिए वशीकरण • यदि बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ भी नहीं हो पा रहा हो, तो सात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल कर छान लें। छने व उबले अनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल कर कीकर (देसी बबूल) की जड़ में डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे भैरव स्थल पर चढ़ा दें। • बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूर का तिलक करें। • पानी पीते समय यदि गिलास में पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें नहीं, गिलास में ही रहने दें। फेंकने से मानसिक अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारक है।  मानसिक परेशानी दूर करने के लिए वशीकरण रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ करें ! प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें ! अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें !  दिमाग से चिन्ता हटाने का टोटका अधिकतर पारिवारिक कारणों से दिमाग बहुत ही उत्तेजना में आजाता है,परिवार की किसी समस्या से या लेन देन से,अथवा किसी रिस्तेनाते को लेकर दिमाग एक दम उद्वेलित होने लगता है,ऐस

व्यवसाय या पद के अनुसार रुद्राक्ष धारण

व्यवसाय या पद के अनुसार रुद्राक्ष धारण ============================ रुद्राक्ष पद और व्यवसाय के अनुसार धारण करना अधिक लाभप्रद रहता है ,आवश्यकता के अनुसार विभिन्न गुणों का प्रतिनिधित्व करने वाले रुद्राक्ष धारण से सफलता बढ़ सकती है ,जो इनके मुखो के अनुसार विशिष्ट होता है | सांसद ,विधायक ,नेता : एक मुखी ,चौदहमुखी प्रशासनिक अधिकारी : एकमुखी ,तेरहमुखी कोषाध्यक्ष :आठ्मुखी ,बारहमुखी न्यायाधीश [जज] : दोमुखी ,चौदहमुखी अधिवक्ता [वकील] : चारमुखी ,तेरहमुखी पुलिस / सेनाकर्मी : चारमुखी ,नौमुखी बैंकिंग सेवा : चारमुखी ,ग्यारहमुखी चिकित्सक [सामान्य ] : नौमुखी ,ग्यारहमुखी चिकित्सक [सर्जन ] : चारमुखी ,चौदहमुखी चिकित्सक [फिजिसियन ] : दशमुखी ,ग्यारहमुखी कम्पाउण्डर / नर्स : तींनमुखी , चारमुखी दवा विक्रेता : चारमुखी इंजिनीयर [मैकेनिकल ] : दसमुखी ,ग्यारहमुखी इंजीनियर [सिविल ] : आठ्मुखी ,चौदहमुखी अध्यापक /धर्मप्रचारक : छःमुखी ,चौदहमुखी लेखक ,क्लर्क ,टाइपिस्ट : आठ्मुखी ,ग्यारहमुखी कवी /संगीतकार : नौ मुखी ,तेरहमुखी बस /ट्रक /रेल चालक : सातमुखी ,दसमुखी वायुयान चालक : दसमुखी ,ग्यारहमुखी जलयान चालक : आठ्मुखी ,बारहमुख

रात्रि कहानी*

*रात्रि कहानी*  *ईश्वर बहुत ही दयालु है*  ✍एक राजा का एक विशाल फलों का बगीचा था। उसमें तरह-तरह के फल लगते थे। उस बगीचे की सारी देख-रेख एक किसान‌‌ अपने परिवार के साथ करता था। और वो किसान हर दिन बगीचे के ताजे फल लेकर राजा‌ के राजमहल में जाता था। एक दिन किसान ने पेड़ों पर देखा, कि नारियल, अनार, अमरूद और अंगूर आदि पक कर‌‌ तैयार हो रहे हैं। फिर वो किसान सोचने लगा- कि आज कौन सा फल‌ राजा को अर्पित करूं? और उसे लगा कि आज राजा को अंगूर अर्पित करने चाहिएं, क्योंकि वो बिल्कुल पक कर तैयार हैं। फिर उसने अंगूरों की टोकरी भर ली और राजा को देने चल पड़ा। किसान जब राजमहल में पहुंचा, तो राजा किसी दूसरे ख्याल में खोया हुआ था और थोड़ी सा नाराज भी लग रहा था। किसान ने रोज की तरह मीठे रसीले अंगूरों की टोकरी राजा के सामने रख दी, और थोड़ी दूरी पर बैठ गया। अब राजा उसी ख्यालों में टोकरी में से अंगूर उठाता, एक खाता और एक खींचकर किसान के माथे पर निशाना साधकर फेंक देता। राजा का अंगूर जब भी किसान के माथे या शरीर पर लगता था, तो किसान कहता- ईश्वर बड़ा ही दयालु है। राजा फिर और जोर से अंगूर फेंकता था, और किसान फिर वही कहता-

शुक्र

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जय श्री बालाजी शुक्र   शुक्र सबसे चमकीला ग्रह। कहा जाता है कि शुक्र का रत्न हीरा जिसकी चमक कभी कम नही होती। हीरे का पावर कभी कम नही होता। हीरा आप जिंदगी भर के लिए पहन सकते हो। शुक्र प्रभावी आदमी कोई भी कार्य कर सकता है। शुक्र की महादशा में जातक में जातक एक से ज्यादा कार्य करता है। शुक्र एक आकर्षण है। शुक्र ऐसा ग्रह है जो जातक को सब कुछ दिलाता है। ज्ञान, सुख, ऐश्वर्य, प्रसिद्धि आदि सब कुछ। कुंडली मे शुक्र का शुभ होना बहुत जरूरी। अब ये देखिये की लग्न के दोनों तरफ ओर सामने शुक्र का पूर्ण तरह प्रभाव रहता है। काल पुरुष की कुंडली मे 2 भाव शुक्र का अपना घर है वृषभ राशि का। 7 भाव तुला राशि का। 12 भाव जहां शुक्र उच्च का। अब आप लोग देख लीजिए शुक्र जातक के चारो तरफ मंडराता रहता है। ज्योतिष का, डॉक्टर का, नेतागिरी का, धन का, पत्नी का, ऐश्वर्य का, गायन का, नृत्य का आदि सब का कारक शुक्र है। मतलब जिसको ज्ञान के साथ भौतिक जीवन की चाह है उसका शुक्र का बलवान होना बहुत जरूरी। नेता हो या अभिनेता किसी की भी कुंडली देख लीजिए शुक्र बलि मिलेगा ही। लेकिन यही शुक्र यदि जातक खराब कर ले टी जातक किसी क

श्री गणेश

जो तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है, इतनी प्रिय कि भगवान विष्णु के ही एक रूप शालिग्राम का विवाह तक तुलसी से होता है वही तुलसी भगवान गणेश को अप्रिय है, इतनी अप्रिय कि भगवान गणेश के पूजन में इसका प्रयोग वर्जित है। पर ऐसा क्यों है इसके सम्बन्ध में एक पौराणिक कथा है :    एक बार श्री गणेश गंगा किनारे तप कर रहे थे। इसी कालावधि में धर्मात्मज की नवयौवना कन्या तुलसी ने विवाह की इच्छा लेकर तीर्थ यात्रा पर प्रस्थान किया। देवी तुलसी सभी तीर्थस्थलों का भ्रमण करते हुए गंगा के तट पर पंहुची। गंगा तट पर देवी तुलसी ने युवा तरुण गणेश जी को देखा जो तपस्या में विलीन थे। शास्त्रों के अनुसार तपस्या में विलीन गणेश जी रत्न जटित सिंहासन पर विराजमान थे। उनके समस्त अंगों पर चंदन लगा हुआ था। उनके गले में पारिजात पुष्पों के साथ स्वर्ण-मणि रत्नों के अनेक हार पड़े थे। उनके कमर में अत्यन्त कोमल रेशम का पीताम्बर लिपटा हुआ था। तुलसी श्री गणेश के रुप पर मोहित हो गई और उनके मन में गणेश से विवाह करने की इच्छा जाग्रत हुई। तुलसी ने विवाह की इच्छा से उनका ध्यान भंग किया। तब भगवान श्री गणेश ने तुलसी द्वारा तप भंग करने को

जन्म कुंडली में चौथे घर को चतुर्थ भाव कहा जाता है । इसके स्वामी को चतुर्थेश कहते है

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💢जन्म कुंडली में चौथे घर को चतुर्थ भाव कहा जाता है । इसके स्वामी को  चतुर्थेश कहते है 👉चतुर्थ भाव से माता , भूमि , भवन  , जमीन -  जायदा , वाहन सुख ,  घरेलू सुख ,  जन्म स्थान से  दूर निवास  , जन सेवा , सीने (छाती ) से संबंधित बीमारी के बारे में विचार किया जाता है । 👉चंद्रमा , बुध एवं शुक्र को इसका कारक ग्रह माना जाता है । 👉जब कुंडली में चतुर्थ भाव का स्वामी , चतुर्थ भाव एवं इसके कारक चंद्रमा पीड़ित हो जाते हैं तो इस भाव से  संबंधित समस्या ज्यादा  होती है ।  मन में भय भी बना रहता है । घरेलू सुख में अशांति बानी रहती है । 👉यदि चतुर्थ भाव , चतुर्थेश , चंद्र तथा कर्क राशि इन सब पर पाप प्रभाव पड़ रहा हो तो ऐसे में छाती के रोग जैसे निमोनिया खासी तपेदिक आदि होने की संभावना रहती है । 👉चतुर्थ भाव पर राहु केतु जैसे क्रूर ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो या वहां विराजमान हो तो ऐसे व्यक्ति को मातृभूमि का वियोग सहना पड़ता है मतलब उनको जन्म स्थान से दूर निवास करना पड़ता है । 👉शनि राहु के साथ द्वादशेश का  भी प्रभाव हो तो ऐसे व्यक्ति को बार-बार अपना रहने का स्थान बदलते रहना पड़ता है । यदि

तीन शिक्षाएँ

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*💐"तीन शिक्षाएँ"*💐 एक गाँव में एक निर्धन व्यक्ति रहता था। बचपन में उसे पढ़ने-लिखने का अवसर नहीं मिला। उसके दूसरे साथी पढ़-लिख गए। जब वह जवान हुआ तो उसे अपने साथियों को देखकर बहुत दुख हुआ। वह सोचने लगा कि यदि वह पढ़ा होता तो आज दूसरे लोगों की भाँति विचारवान होता। एक दिन वह व्यक्ति गाँव के शिक्षक के पास गया । शिक्षक को दंडवत्‌ प्रणाम करके बोला, “गुरुजी, मैं बचपन में पढ़-लिख नहीं सका, अतः मूर्ख रह गया हूँ। अब आप ही मुझे ज्ञान दीजिए ।” गुरुजी बोले, “ज्ञान हमेशा सुपात्र को ही दिया जाता है। मैं तुम्हारी परीक्षा लूँगा। तुम एक साल तक मेरे घर में रहो और खेती का काम करो ।” निर्धन व्यक्ति ने गुरुजी की बात मान ली। वह साल-भर तक गुरुजी की सेवा में लगा रहा । गुरुजी उससे बहुत प्रसन्‍न हुए। साल बीत जाने पर उन्होंने उसे अपने पास बुलाया और कहा, “शिष्य, मैं तुमसे बहुत प्रसन्‍न हूँ। मैं तुम्हें तीन शिक्षाएँ देता हूँ--" निर्धन व्यक्ति ने कहा, “गुरुजी, आप कृपा करके अवश्य ही वे शिक्षाएँ दीजिए।” गुरुजी ने उस आदमी को शिक्षाएँ देते हुए कहा, “शिष्य, पहली शिक्षा यह है कि घी बहुत सारवान

दुर्गा_द्वात्रिंशनामावली

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.       *🌹ll दुर्गा_द्वात्रिंशनामावली ll🌹* *यदि कोई व्यक्ति कभी किसी घोर संकट में फंस गया हो उसको सभी मदद के दरवाजे बंद नजर आ रहे हो अगर उसकी खुद की परछाई भी उसका साथ ना दे पा रही हो ऐसे सर्वथा विपरीत परिस्तिथि में भी अगर वह माँ भगवती के शरण में चला जाये और यह उनकी दुर्गा द्वात्रिंशन्नाममाला अर्थात माँ दुर्गा के अति शक्तिशाली 32 नामों का जप नियमपूर्वक करें तो उसकी निश्चित ही सभी शत्रुओ से रक्षा हो जाती है ।*  *इस उपाय के बारे में स्वयं माँ दुर्गा ने कहा है की ’’जो मानव नित्य मेरे इन नामों का उच्चारण करेगा वह हर शत्रु हर प्रकार के भय से हमेशा मुक्त रहेगा। "* *माँ दुर्गा के इन नामो का जप पूर्ण श्रद्धा से करना चाहिए और मन में किसी भी प्रकार की शंका नहीं होनी चाहिए ।*     *माँ दूर्गा के ३२ नाम* *1-  दूर्गा* *2-  दुर्गातिश्मनी* *3-  दुर्गापद्धिनिवारिणी* *4-  दुर्गमच्छेदिनी* *5-  दुर्गसाधिनी* *6-  दुर्गनाशिनी* *7-  दुर्गतोद्वारिणी* *8-  दुर्गनिहन्त्री* *9-  दुर्गमापहा* *10- दुर्गमज्ञानदा* *11- दुर्गदैत्यलोकदाव्नला* *12- दुर्गमा* *13- दुर्गमालोका* *14- दुर्ग्मात्मस्वरुपिणी*

कुछ_जरूरी_टिप्स_जो_आपके_जीवन_भर_काम_आयेंगे

#कुछ_जरूरी_टिप्स_जो_आपके_जीवन_भर_काम_आयेंगे ❗ और आपकी समस्याओं को अवश्य कम करेगें l 💥 1. गाय को प्रतिदिन रोटी देने से घर की परेशानी दूर होती है l 💥2.पंछीयों  को दाना डालने से व्यापार रोजगार में उन्नति होती है l 💥3.  कुत्तों को प्रतिदिन रोटी देने से  दुश्मनोँ से छुटकारा मिलता है l 💥4. चीटियों को भोजन देने से पितृ दोष दूर होता है l  💥5.  माता पिता बुर्जुर्गों की सेवा करने से यश कीर्ति बढ़ती है l  💥6.  मच्छलियों को आटे की गोली खिलाने से सुख समृद्धि बढ़ती है l  💥7. भूखे को भोजन कराने से भगवान प्रसन्न होते हैं तथा धन की वृद्धि होती है l  💥8. यदि आपके परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तो अगर संभव हो तो उसे सोमवार को डॉक्टर को दिखाएँ और उसकी दवा की पहली खुराक भगवान शिव को अर्पित करके कुछ राशी भी चड़ा दें और रोगी व्यक्ति के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की प्रार्थना करें , व्यक्ति के बहुत जल्दी ही ठीक हो जाने की सम्भावना बन जाती है ।  💥9. घर में सुबह सुबह कुछ देर के लिए भजन अवशय लगाएं । 💥10. घर में कभी भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखें, उसे पैर नहीं लगाएं, न ही उसके ऊपर से गुजरे अन्यथा घर में बरकत क

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ૐ નું ઉચ્ચારણ કરવાથી શરીરને 12 મહત્વના ફાયદા થાય છે તે પણ મફતમાં* *ૐ ના જાપથી ગળામાં વાઈબ્રેશન થવાથી થાઈરોઈડ પ્રોબ્લેમ દૂર થાય છે* *ૐ ના જાપથી ગભરામણ જેવી સમસ્યા દૂર થાય છે* *ૐ ના જાપથી માનસિક શાંતિ,ટ્રેસ અને ટેનશનમાંથી કાયમી મુક્તિ મળે છે* *ૐ ના જાપથી બોડીમાં બ્લડસર્ક્યુલેશન યોગ્ય રીતે થાય છે* *ૐ ના જાપથી બીપી નોર્મલ રહેછે જેથી હાર્ટ એટેકથી બચી શકાય છે* *ૐ ના જાપથી પેટમાં વાઈબ્રેશન થાય છે જેથી પાચનશક્તિ મજબૂત બને છે* *ૐ ના જાપથી ફેફસાને વધારે ઓક્સીઝન મળવાથી એનર્જી સારી મળે છે* *ૐ ના જાપથી થાક દૂર થાય છે જેથી ફ્રેશનેસનો અનુભવ થાય છે* *ૐ નોસુતા પહેલા ઉચ્ચારણ કરવાથી ઊંઘ તરત ને સારી આવે છે* *ૐ ના જાપથી શરીરમાં લંગ્સ ની ક્ષમતામાં વધારો થવાથી બોડીમાં ઓક્સિજન વધારે મળે છે* *ૐ ના ઉચ્ચારણથી સ્પાઈનલ કોર્ડમાં વાઈબ્રેશન થાય છે જેથી કરોડરજ્જુ મજબૂત બને છે જેના કારણે કમરની તકલીફ દૂર થાય* *ૐ ના ઉચ્ચારણથી બ્રેઇનમાં વાઈબ્રેશન થાય છે જેથી એકાગ્રતા વધે છે અને માઈન્ડ પાવર વધે જેથી યાદશક્તિ વધે છે* *આમ રેગ્યુલર ૐ નો સતત જાપ કે ઊંડા શ્વાસ લઈને જો ઉચ્ચારણ કરવામાં આવે તો આપ ઘણાબધા રોગ મફતમાં દૂર

पूजा से सम्बंधित तीस आवश्यक नियम अवश्य पढ़ें और अनुसरण करें।

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पूजा से सम्बंधित तीस आवश्यक नियम अवश्य पढ़ें और अनुसरण करें। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️🌼  सुखी और समृद्धिशाली जीवन के लिए देवी-देवताओं के पूजन की परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है। आज भी बड़ी संख्या में लोग इस परंपरा को निभाते हैं। पूजन से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, लेकिन पूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन भी किया जाना चाहिए।  अन्यथा पूजन का शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हो पाता है। यहां 30  ऐसे नियम बताए जा रहे हैं जो सामान्य पूजन में भी ध्यान रखना चाहिए। इन बातों का ध्यान रखने पर बहुत ही जल्द शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। ये नियम इस प्रकार हैं… 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 1👉 सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए। इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।                                                                                                                                                                                     

भोजन करने सम्बन्धी 24 जरुरी नियम

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भोजन करने सम्बन्धी 24 जरुरी नियम -------------------------------------------------- १ पांच अंगो ( दो हाथ , २ पैर , मुख ) को अच्छी तरह से धो कर ही भोजन करे ! २. गीले पैरों खाने से आयुमें वृद्धि होती है ! ३. प्रातः और सायं ही भोजनका विधान है ! किउंकि पाचन क्रिया की जठराग्नि सूर्योदय से 2 घंटे बादतक एवं सूर्यास्त से 2 -3 घंटे पहले तक प्रवल रहती है ४. पूर्व और उत्तर दिशा कीओर मुह करके ही खाना चाहिए ! ५. दक्षिण दिशा की ओर कियाहुआ भोजन प्रेत को प्राप्त होता है ! ६ . पश्चिम दिशा की ओर किया हुआ भोजन खाने से रोग की वृद्धि होती है ! ७. शैय्या पर , हाथ पर रख कर , टूटे फूटे वर्तनो मेंभोजन नहीं करना चाहिए ! ८. मल मूत्र का वेग होने पर,कलह के माहौल में,अधिक शोर में,पीपल,वट वृक्ष के नीचे,भोजन नहीं करना चाहिए ! ९ परोसे हुए भोजन की कभी निंदा नहीं करनी चाहिए ! १०. खाने से पूर्व अन्न देवता , अन्नपूर्णा माता की स्तुति कर के , उनका धन्यवाद देते हुए , तथा सभी भूखो को भोजन प्राप्त हो इस्वर से ऐसी प्राथना करके भोजन करना चाहिए ! ११. भोजन बनने वाला स्नान करके ही शुद्ध मन से, मंत्र जप करते हुए ही रसोई