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Showing posts from April, 2021

संतान प्राप्ति के उपाय

संतान प्राप्ति के उपाय • वास्तु शास्त्र में कुछ ऐसे प्रमुख दोष बताये गए है जिनके कारण संतान की प्राप्ति नहीं होती या वंश वृद्धि रुक जाती है | इस समस्या के पीछे की वास्तविकता..क्या है इसका शास्त्रीय और ज्योतिषीय आधार क्या है ये आप अपनी जन्म कुंडली के द्वारा जानकारी प्राप्त कर सकते है … इसके लिए आप हरिवंश पुराण का पाठ या संतान गोपाल मंत्र का जाप करे • पति-पत्नी दोनों सुबह स्नान कर पूरी पवित्रता के साथ इस मंत्र का जप तुलसी की माला से करें। संतान गोपाल मंत्र “ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं देवकीसुत गोविन्द वासुदेव जगत्पते देहि मे तनयं कृष्ण त्वामहं शरणं गतः ।” • इस मंत्र का बार रोज 108 जाप करे और मंत्र जप के बाद भगवान से समर्पित भाव से निरोग, दीर्घजीवी, अच्छे चरित्रवाला, सेहतमंद पुत्र की कामना करें। • अपने कमरे में श्री कृष्ण भगवान की बाल रूप की फोटो लगाये या लड्डू गोपाल को रोज माखन मिसरी की भोग अर्पण करे। • कई बार प्रायः देखने में आया है की विवाह के वर्षो बाद भी गर्भ धारण नहीं हो पाता या बार-बार गर्भपात हो जाता है, ज्योतिष में इस समस्या या दोष का एक प्रमुख कारण पति या पत्नी की कुंडली में संतान

पूर्णिमा के उपाय

*पूर्णिमा के उपाय / पूर्णिमा के टोटके-* 🔸🔸🔹🔸🔸🔸🔸🔹🔸🔸 पूर्णिमा या पूनम के दिन चंद्रमा अपने पूर्ण आकर में होते है। शास्त्रों के अनुसार इस दिन चंद्रमा का विशेष प्रभाव होता हैं। साथ ही यह दिन माता लक्ष्मी को भी विशेष प्रिय होता है। पूर्णिमा के दिन किये गए उपायों का विशेष और शीघ्र प्रभाव होता है। शास्त्रों में पूर्णिमा को करने योग्य बहुत से उपाय और टोटके बताए गए हैं। आइए जानते है  कुछ ऐसे ही उपाय – 1. शास्त्रों के अनुसार प्रत्येक पूर्णिमा के दिन सुबह-सुबह पीपल के वृक्ष पर मां लक्ष्मी का आगमन होता है। इसलिए यदि आप धन की इच्छा रखते हैं तो तो इस दिन सुबह उठकर नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पीपल के पेड़ के नीचे मां लक्ष्मी का पूजन करें और लक्ष्मी को घर पर निवास करने के लिए आमंत्रित करें। इससे लक्ष्मी की कृपा आप पर सदा बनी रहेगी। 2. पूर्णिमा की रात में घर में महालक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु की पूजा करें। पूजा किसी ब्राह्मण से करवाएंगे तो ज्यादा बेहतर रहेगा। 3. प्रत्येक पूर्णिमा के दिन चंद्रमा के उदय होने के बाद साबूदाने की खीर मिश्री डालकर बनाकर माँ लक्ष्मी जी का भोग लगाकर उसे प्रसाद के रूप

फिटकरी के ये 5 सरल उपाय*

*घर का वास्तु दोष दूर करने में कारगर हैं    फिटकरी के ये 5 सरल उपाय*  खड़े नमक की तरह दिखने वाली फिटकरी सेंधा नमक की तरह चट्टानों से मिलती है। इसके कई तरह के औषधीय उपयोग हैं। औषधीय उपयोग के अलावा ज्योतिषियों अनुसार फिटकरी के कुछ और भी प्रयोग होते हैं जिनको करने से जीवन में लाभ प्राप्त किया जा सकता है। आओ जानते हैं 5 उपाय। 1. वास्तु दोष मुक्ति : आपके मकान में कमरे की खिड़की, दरवाजा या बॉलकनी ऐसी दिशा में खुले, जिस ओर कोई खंडहरनुमा मकान स्थित हो। या वहां कोई उजाड़ जमीन या प्लाट पड़ा हो या फिर बरसों से बंद पड़ा मकान हो, श्मशान या कब्रिस्तान स्थित हो, तो यह अत्यंत अशुभ है।   ऐसे मकान में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह सुनिश्चित करने के लिए किसी शीशे की प्लेट में कुछ छोटे-छोटे फिटकरी के टुकड़े आदि खिड़की या दरवाजे या बालकनी के पास रख दें तथा उन्हें हर महीने नियम से बदलते रहें, तो वास्तुदोष से मुक्ति मिलती है। इसके अलावा 50 ग्राम फिटकरी का टुकड़ा घर के प्रत्येक कमरे में तथा कार्यालय के किसी कोने में रख देने से वहां का वास्तु दोष कुछ हद तक कम हो जाता है। बाथरूम में खड़े नमक या फिटकरी से भरा एक कटोरा रखे

दुर्घटनाओं से बचने के हैं सरल उपाय ।।

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।। दुर्घटनाओं से बचने के हैं सरल उपाय ।।  • हनुमान मंदिर में मिट्‍टी के दीये में चमेली के तेल का दीपक जलाएं। • पक्षियों को लाल मसूर खिलाएं। • हनुमान मंदिर से कलाई पर मौली बंधवाएं। • हनुमानजी के मंदिर में गुड़-चने का प्रसाद बांटें। • विधवा महिलाओं की इच्छा अनुसार मिठाई बांटें। • घर की छत पर लाल पताका (झंडा) लगाएं। • हनुमानजी के चित्र पर लाल फूल चढ़ाएं। कर्पूर जलाएं। • नारियल पर मौली लपेटकर हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।  • दुर्घटनाओं से बचने का अचूक उपाय है सिद्ध मंगल यंत्र अपने पास रखे  इन उपायो से किसी दूसरे का कोई अहित कभी नही होता।

यदि कुंडली मे सूर्य बली होतो जातक

यदि कुंडली मे सूर्य बली होतो जातक सामान्य कद काठी वाला,प्रभावी,सात्विक,सम्मानित परंतु चिड़चिड़े स्वभाव का होता हैं। यदि चन्द्र बली होतो जातक मीठा बोलने वाला,वात स्वभाव का रजोगुणी होता हैं। मंगल बली होतो साहसी,लड़ाकू,अस्थिर मानसिकता वाला,लाल आँखों वाला तमोगुणी होता हैं। बुध बली होतो जातक मनोहर रंग रूप वाला,बातुनी,बुद्दिमान,अच्छी याददाश्त वाला,पढ़ा लिखा व ज्योतिष से प्रेम करने वाला किन्तु तमोगुणी होता हैं। गुरु बली होतो जातक धार्मिक विचारो वाला,सदाचारी,वेदपाठी,पढ़ा लिखा व अच्छे चरित्रवाला सदगुणी होता हैं। शुक्र बली होतो जातक सांसारिक वस्तुओ व सांसारिक कलाओ की चाह रखने वाला,शौकीन मिजाज व रजोगुणी होता हैं। शनि बली होने पर जातक पतला,आलसी,क्रूर,खराब दाँतो वाला,रूखा,जिद्दी,निष्ठुर,तमोगुणी होता हैं। सूर्य व मंगल के प्रभाव मे होने पर जातक बात करते समय ऊपर की और देखता हैं। शुक्र व बुध के प्रभाव मे जातक बात करते समय इधर उधर देखता हैं। गुरु व चन्द्र के प्रभाव मे होने पर जातक साधारण दृस्टी से देखने वाला होता हैं। शनि राहू केतू की प्रभाव मे होने पर जातक आधी आँखें खोलकर अपनी बाते करते हैं। लग्नेश सिद्धान्

दूसरे भाव में बृहस्पति

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🌹दूसरे भाव में बृहस्पति 🌕🌹 यहां बृहस्पति का मस्तिष्क(brain) से संबंधों को दर्शाया जा रहा है,ये निम्नलिखित भावों में बैठकर जातक के मस्तिष्क पर विशेष प्रभाव डालते हैं। हम अलग-अलग पोस्ट में सभी ग्रहों के बारे में लिखने का प्रयास कर रहे हैं अगर आपने अभी तक  पिछला पोस्ट नहीं पड़ा है तो अवश्य पढ़ ले। 👉• यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में गुरु द्वितीय भाव में हो तो वह जातक के मस्तिष्क के द्वितीय भाग के केंद्र के स्पंदनों को प्रभावित करता है जिसके कारण जातक के अंदर प्रणय शक्ति का विकाश होता है। गुरु जातक की आयु के 36 वर्ष बाद प्रणय का विभाग संभालता है। है और मस्तिष्क के द्वितीय भाग के केंद्र के स्पंदन के द्वारा ही 70 वर्ष की आयु तक काम-वासनाओं को तरंगित करते रहते हैं। इस अवस्था में जातक के अंदर विवाह-इच्छा शक्ति प्रबल होती है और कामवासना का प्रवाह शरद सरिता के समान निर्मल और संयत होता है, जिसके कारण अस्सी वर्ष की आयु तक भी जीवन में मधुरता बनी रहती है। 👉• यदि किसी जातक की जन्मकुंडली में गुरु द्वितीय भाव में हो तो वह जातक के मस्तिष्क के अड़तालीसवें भाग के केंद्र के स्पंदनों को भी प

panacea in Kali Yuga

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Very few people are aware of this rare item, but with whom it comes, its fate is opened, all its troubles are removed. It is said that. This item is a panacea in Kali Yuga. Due to less availability, it does not operate much, but in our old scriptures it is described. Let me discuss this with you. Friends, this rare item is the middle gem. it is said . This gem is obtained from fish. . It is considered very auspicious. If you lack money, your business is not growing. If your child is getting a bad eye repeatedly or you are surrounded by problems in your home, Vaastu dosha is the biggest and if you are having Mahadasha of Rahu on you then you will see miraculous results as soon as you wear it. You should wear it for the Mahadasha of friends Rahu. For this you have to get the middle gem first which we have. Tested from lab and we deliver to you with full authenticity. If Mahadasha of Rahu is going on you, then soak it in sea salt the night before and after washing

Jupiter And Saturn conjunction in birth chart.

  Jupiter And Saturn conjunction in birth chart. 🌻 Native Having Jupiter And Saturn Conjunction Are Very Helpful In Nature To Anybody ,No Caste , Religion Matter For Them . 🌻 These People Use To Give Many Example While They Communicate With Anybody . Even When They Teach Somebody Also.   🌻 By Birth These People Having Good Qualities To Teach Others. 🌻 12 Years From Birth Is Really Hard For Them As point of Health And Even Loss Of Any Person In Family . 🌻 After Age Of 14 These People Start Thinking Very Small Ideas For Earning And Some Time Start Small Earning Work . Teaching Tuition Also. 🌻 These people even Talked Very Practical And Very disciplined in their life .whenever  the follow discipline there life would be better to better And When they don't follow any Routine in life for any work specially professional they suffered Alot. 🌻I saw in some cases these people having some Healing Power By Birth From Any Ancestors Blessing. 🌻They Can Become Good Reiki Healer, Astrolog

मकान भूमि वास्तु

हर व्यक्ति चाहता है कि उसके पास उसका खुद का भवन और जमीन हो। किन्तु कुछ व्यक्ति ऐसे भी है जो दिन रात अपना घर बनाने के लिए मेहनत करते है, फिर भी उनकी मेहनत रंग नही लाती और वो निराश हो जाते है। जिसका उनकी शारीरिक और मानसिक स्थिति दोनों पर प्रभाव पड़ता है। और कभी कभी तो ऐसी स्तिथि होती हैं कि हम समर्थ होते हुए भी जिस जमीन की हमें इच्छा हैं, किसी कारणवश नहीं ले पाते। आज हम आपको आपकी इसी परेशानी से मुक्त होने के उपाय बता रहे है, इन उपायों को अपनाकर आप जल्द ही अपनी पसंद की भूमि प्राप्त कर सकते हो। * जिस जमीन या मकान को आप खरीदना चाहते हैं उस स्थान की थोड़ी सी मिट्टी लाकर एक कांच की शीशी में उसे डालें, उसमे गंगा जल और कपूर डाल कर अपनी पूजा में जौ के ढेर पर स्थापित करें, नवरात्र भर उस शीशी के आगे नवार्ण मन्त्र "ऐं हीं क्लीं चामुण्डाय विच्चे" की पांच माला जप करें और जौ में रोज गंगा जल डालें। नवमी के दिन थोड़े से अंकुरित जौ निकाल लें और ले जाकर मन चाही जगह पे डाल दें, शेष सामग्री को नदी में डाल दें। कृपा कांच की शीशी को नदी में न डालें। आपको मनचाहा घर मिल जायेगा। * एक मिट्टी की कोरी हांड

कर्ज के योग-*

*कर्ज के योग-* *ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार मंगलवार को कर्ज लेना निषेध माना गया है। वहीं  बुधवार को कर्ज देना अशुभ है क्योंकि बुधवार को दिया गया कर्ज कभी नही मिलता। मंगलवार को कर्ज लेने वाला जीवनभर कर्ज नहीं चुका पाता तथा उस व्यक्ति की संतान भी इस वजह परेशानियां उठाती हैं।जन्म कुंडली के छठे भाव से रोग, ऋण, शत्रु, ननिहाल पक्ष, दुर्घटना का अध्ययन किया जाता है| ऋणग्रस्तता के लिए इस भाव के आलावा दूसरा भाव जो धन का है, दशम-भाव जो कर्म व रोजगार का है, एकादश भाव जो आय का है एवं द्वादश भाव जो व्यय भाव है, का भी अध्ययन किया जाता है| इसके आलावा ऋण के लिए कुंडली में मौजूद कुछ योग जैसे सर्प दोष व वास्तु दोष भी इसके कारण बनते हैं| इस भाव के कारक ग्रह शनि व मंगल हैं|* *दूसरे भाव का स्वामी बुध यदि गुरु के साथ अष्टम भाव में हो तो यह योग बनता है| जातक पिता के कमाए धन से आधा जीवन काटता है या फिर ऋण लेकर अपना जीवन यापन करता है| सूर्य लग्न में शनि के साथ हो तो जातक मुकदमों में उलझा रहता है और कर्ज लेकर जीवनयापन व मुकदमेबाजी करता रहता है| 12 वे

कर्ज के योग-*

*कर्ज के योग-* *ज्योतिष शास्त्र के अनुसार मंगल ग्रह को कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। शास्त्रों के अनुसार मंगलवार को कर्ज लेना निषेध माना गया है। वहीं  बुधवार को कर्ज देना अशुभ है क्योंकि बुधवार को दिया गया कर्ज कभी नही मिलता। मंगलवार को कर्ज लेने वाला जीवनभर कर्ज नहीं चुका पाता तथा उस व्यक्ति की संतान भी इस वजह परेशानियां उठाती हैं।जन्म कुंडली के छठे भाव से रोग, ऋण, शत्रु, ननिहाल पक्ष, दुर्घटना का अध्ययन किया जाता है| ऋणग्रस्तता के लिए इस भाव के आलावा दूसरा भाव जो धन का है, दशम-भाव जो कर्म व रोजगार का है, एकादश भाव जो आय का है एवं द्वादश भाव जो व्यय भाव है, का भी अध्ययन किया जाता है| इसके आलावा ऋण के लिए कुंडली में मौजूद कुछ योग जैसे सर्प दोष व वास्तु दोष भी इसके कारण बनते हैं| इस भाव के कारक ग्रह शनि व मंगल हैं|* *दूसरे भाव का स्वामी बुध यदि गुरु के साथ अष्टम भाव में हो तो यह योग बनता है| जातक पिता के कमाए धन से आधा जीवन काटता है या फिर ऋण लेकर अपना जीवन यापन करता है| सूर्य लग्न में शनि के साथ हो तो जातक मुकदमों में उलझा रहता है और कर्ज लेकर जीवनयापन व मुकदमेबाजी करता रहता है| 12 वे

पत्रिका में गुरु, शनि और राहू की स्थिति*

*पत्रिका में गुरु, शनि और राहू की स्थिति*  *आत्माओं का सम्बन्ध पूर्व कर्म के कर्मो से प्राप्त फल या प्रभाव।* *1.गुरु यदि लग्न में होतो पूर्वजों की आत्मा का आशीर्वाद या दोष दर्शाता है। अकेले में या पूजा करते वक्त उनकी उपस्थिति का आभास होता है। ऐसे व्यक्ति कों अमावस्या के दिन दूध का दान करना चाहिए।* *2.दूसरे अथवा आठवें स्थान का गुरु दर्शाता है कि व्यक्ति पूर्व जन्म में सन्त या सन्त प्रकृति का या और कुछ अतृप्त इच्छाएं पूर्ण न होने से उसे फिर से जन्म लेना पड़ा। ऐसे व्यक्ति पर अदृश्य प्रेत आत्माओं के आशीर्वाद रहते है। अच्छे कर्म करने तथा धार्मिक प्रवृति से समस्त इच्छाएं पूर्व होती हैं। ऐसे व्यक्ति सम्पन्न घर में जन्म लेते है। उत्तरार्ध में धार्मिक प्रवृत्ति से पूर्ण जीवन बिताते हैं। उनका जीवन साधारण परंतु सुखमय रहता है और अन्त में मौत को प्राप्त करते है।* *3.गुरु तृतीय स्थान पर हो तो यह माना जाता है कि पूर्वजों में कोई स्त्री सती हुई है और उसके आशीर्वाद से सुखमय जीवन व्यतीत होता है किन्तु शापित होने पर शारीरिक, आर्थिक और मानसिक परेशानियों से जीवन यापन होता है। कुल देवी या मॉ भगवती की आराधना

अंक 6

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अंक ज्योतिष के अनुसार किसी भी महीने की 6 15 24 इन तारीखों में जन्मे लोगों की मूलांक 6 शुक्र को दर्शाता है यह व्यक्ति आकर्षक बुद्धिमान घर का प्यार कलात्मक और रचनात्मक होते हैं यह लोग कला प्रेमी सौंदर्य प्रेमी और स्व भोगी रहते हैं यह व्यक्ति सुख के बाद दौड़ते हैं ऐश्वर्य और भौतिक सुख अच्छा मिलता है सुंदरता के प्रतीक हमेशा खींचे चले जाते हैं फिजिकली सुंदर होते हैं इनमें एक प्रकार का आकर्षण होता है अपनी बातें दूसरों तक पहुंचाना अच्छी तरह से आता है झूठ बोलने की कला रहती है घर परिवार में अच्छे सलाहकार के रूप में जाने जाते हैं हर समस्या का हल यह लोग ढूंढ लेते हैं जुगाड़ करने में मास्टरमाइंड होते हैं घूमना फिरना बहुत ज्यादा अच्छा लगता है

तलाक-पुनर्विवाह समस्या का ज्योतिष समाधान-

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.    तलाक-पुनर्विवाह समस्या का ज्योतिष समाधान- आजकल के ज़माने में वैवाहिक जीवन का सफल हो पाना बेहद मुश्किल हो गया है। आजकल पति-पत्‍नी छोटी-छोटी बातों पर भी तलाक लेने जितना बड़ा फैसला ले बैठते हैं।  लेकिन कई बार शादी के बंधन में बंधे दो लोगों में से अन्‍य साथी तलाक लेने के लिए राज़ी नहीं होता एवं वह अपने शादी के अटूट रिश्‍ते को बचाना चाहता है।  आज हम आपको बता रहें हैं कि ऐसे ही परिस्थिति से कैसे निपटना चाहिए एवं कुंडली के किस योग में किसी जातक को तलाक लेना पड़ता है।  तलाक-पुनर्विवाह की समस्या के समाधान के लिए कोई भी साधक गुरु जी से परामर्श कर अपने जीवन में किसी भी समस्या को हटा सकता है। •  कुंडली में पुनर्विवाह-तलाके के योग: सूर्य, राहु और शनि तथा बारहवें स्‍थान का मालिक तलाक की स्थिति उत्‍पन्‍न करते हैं।  कुंडली का सप्‍तम भाव, सप्‍तम भाव का स्‍वामी और सप्‍तम स्‍थान का कारक ग्रह वैवाहिक सुख का संकेत देते हैं कुंडली के सातवें भाव में सूर्य विराजमान हो तो पार्टनर के अहंकार और अपनी बात को सर्वश्रेष्‍ठ ठहराने के कारण अलगाव की स्थिति उत्‍पन्‍न होती है।  ज्‍यादातर सप्‍तम में बैठा

सर्दियों में होने वाले जायफल के चमत्कारी फायदे...

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सर्दियों में होने वाले जायफल के चमत्कारी फायदे... सर्दियों के मौसम ज्यादातर लोगों को सर्दी – जुकाम की परेशानी शुरू हो जाती है। जिसके बाद डॉक्टर के चक्कर लगने लगते हैं। लेकिन, अगर घर के बुजुर्गों का कहा माने तो हम इन बीमारियों से घर की रसोई में मौजूद चीजों से ही छुटकारा पा सकते है। दादी या नानी अक्सर सर्दियों के मौसम जायफल का प्रयोग करने के लिए कहती हैं। इसे हम मसाले में तो प्रयोग करते हैं, लेकिन इसके और क्या-क्या औषधीय गुण हैं, इनको भी जानना जरूरी है। मिरिस्टिका नामक वृक्ष से जायफल तथा जावित्री प्राप्त होती है. चलिए जानते हैं जयफल के फायदे... मुहांसों में फायदेमंद मुहांसे होने पर जायफल को दूध में घिसकर चेहरे पर लेप लगाने से मुहांसे समाप्त हो जाते हैं। पाचन तंत्र आमाशय के लिए उत्तेजक होने से आमाशय में पाचक रस बढ़ता है, जिससे भूख लगती है। आंतों में पहुंचकर वहां से गैस हटाता है। सर्दी-खांसी सुबह-सुबह खाली पेट आधा चम्मच जायफल चाटने से गैस्ट्रिक, सर्दी-खांसी की समस्या नहीं सताती है। पेट में दर्द होने पर चार से पांच बूंद जायफल का तेल चीनी के साथ लेने से आराम मिलता है। सिर दर्द सि

EXALTATION & DEBILITATION OF MARS ☸️

🕉 EXALTATION & DEBILITATION OF MARS ☸️ 🔱 Mars is Commander-in-chief in astrology. ⚜️ Mars represents tan(तन) younger siblings, land, courage, strength, passion, war aggression, action, energy, stamina, assertion. 🔴 Mars is fiery planet rule over two sign of zodiac, Aries and Scorpio. 🌍  Mars is also called Bhumi putra (son of mother Earth) and Lohitank. ♈  Mars mooltrikon sign is Aries. 👉 Now question is where Mars exalt and why....? 🤔  🔥 Mars is fiery planet very bold and courageous, ready to fight, very loyal to King.  🗡️ Mars is as so much loyal to King as even he can behead Queen also for King .  ⚕️ When Mars is in Firey sign especially aries and leo he becomes more bold, extreme aggressive and lose self control due to more fire influence.  Have little self control in sagittarius as it is sign of jupiter, though firey sign but but like any holy lamp....not like volcano of aries.  👑  No planets exalt in leo it is King's house and how anyone can exalt in King's h

अंक 9

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अंक ज्योतिष के अनुसार किसी भी महीने की 9,18 ,27 इन तारीखों में जन्मे व्यक्तियों का मूलांक 9 मंगल को दर्शाता है . एडवेंचरस प्रेरणादायक समझदार और मानवतावादी होते हैं. इनमें स्पोर्टी नेचर होता है. यह अच्छे प्रेरक और दयालु होते हैं .बहुत ही इंटेलीजेंट होते हैं. यह लोग पावरफुल किस्म के होते हैं इनमें ईगो बहुत होता है दानवीर कर्ण होते हैं देंगे तो सब कुछ और लेने पर आए तो कपड़े भी उतार लेंगे इन लोगों का मूड अलग टाइप का होता है कब प्यार करें और कब झगड़ा पता नहीं अगर इनके ईगो को कोई ठेस न पहुंचाते रहे तो यह बहुत अच्छे होते हैं यह लोग हमेशा युद्ध में लड़ने के लिए तैयार रहते हैं खुद को सबसे अच्छा समझते हैं इन्हें अपने ईगो पर काबू करना चाहिए.

ज्योतिष में राहु की महादशा

ज्योतिष में राहु की महादशा राहु की महादशा केतु की तरह ही, राहु महादशा 18 वर्ष तक चलती है। राहु एक छाया ग्रह है और इसे नकारात्मक माना जाता है। हालाँकि, इसकी दशा जीवन में सकारात्मक बदलाव भी लाती है। ज्योतिषाचार्य के मुताबिक आत्म-निर्भर होने के लिए ऊर्जा और उत्साह का अनुभव करते हैं, अपने स्वयं के पैरों पर खड़े होते हैं और स्वयं के प्रयासों से एक छवि बनाते हैं। राहु निर्णय लेने की एक नई क्षमता देता है। हालाँकि, यह भ्रम का ग्रह भी है। दशा के दौरान, यह आपकी कल्पना के साथ खेलता है और जीवन के प्रमुख क्षेत्रों जैसे करियर, विवाह और परिवार में बहुत भ्रम पैदा करता है। इस अवधि के दौरान जीवन में एक प्रकार की बेचैनी बनी रहती है। स्वास्थ्य मुद्दे भी पैदा करता है, ज्यादातर अपने कार्यों के परिणामस्वरूप। सकारात्मक स्तर पर, राहु महादशा जातक को अधिकार और शक्ति भी दे सकती है। सरकारी क्षेत्र में लाभ और वृद्धि भी संभव है लेकिन पत्रिका में इसके स्थान पर बहुत कुछ निर्भर करता है। यहाँ राहु महादशा के अंतर्गत विभिन्न ग्रहों के अन्तर्दशा का प्रभाव है। राहु की महादशा में अन्य ग्रहों की अंतर्दशा यहां हम आपको राहु की

माँगलिक दोष के बारे में:-

🔔कैसा भी हो मंगल दोष, ये हैं सबसे सटिक उपाय! ❇️विवाह से लेकर किसी भी मामले में आ रहा हो मंगल का दोष, तो बस अपनाएं उपाय 🌳ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी जातक की जन्म कुंडली में मंगल ग्रह प्रथम, चतुर्थ, सप्तम, अष्टम और द्वादश भाव में बैठा हो तो यह स्थिति कुंडली में मांगलिक दोष का निर्माण करती है। 🌳वहीं वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है। मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है।  🌳यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है। वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा, चित्रा और धनिष्ठा नक्षत्र का स्वामी होता है।  🌳गरुण पुराण के अनुसार मनुष्य के शरीर में नेत्र मंगल ग्रह का स्थान है। 🔔ज्योतिष में कुछ ग्रहों को विशेष दर्ज प्राप्त है। इनमें शुक्र को राक्षसों का गुरु व भाग्य का कारक ग्रह माना गया है। वहीं गुरु को देवताओं का गुरु व विद्या का कारक माना जाता है। इसी प्रकार मंगल को देवों का सेनापति व रक्त का कारक माना जाता है। 🌳इनमें से आज हम आपको मंगल के संबंध में विशेष बताने जा रहे है, दरअसल मंगल हमें कई तरह से प्र

पितृदोष का असर, जानिये लक्षण

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पितृदोष का असर, जानिये लक्षण पितृदोष के संबंध में ज्योतिष और पुराणों की अलग अलग धारणा है लेकिन यह तय है कि यह हमारे पूर्वजों और कुल परिवार के लोगों से जुड़ा दोष है। पितृदोष के कारण हमारे सांसारिक जीवन में और आध्यात्मिक साधना में बाधाएं उत्पन्न होती हैं। हमारे पूर्वजों का लहू, हमारी नसों में बहता है। हमारे पूर्वज कई प्रकार के होते हैं, क्योंकि हम आज यहां जन्में हैं तो कल कहीं ओर।  पितृ दोष के कई कारण और प्रकार होते हैं। पूर्वजों के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट ही पितृदोष माना गया है ऐसा नहीं है और भी कई कारणों से यह दोष प्रकट होता है। इसे पितृ ऋण भी कह सकते हैं। आओ जानते हैं कि पितृदोष और ऋण क्या होता है। जानने में ही समाधान छुपा हुआ है। ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसे व्यक्ति अपने मातृपक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृपक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि को कष्ट व दुख देता है और उनकी अवहेलना व तिरस्कार करता है। जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वा

सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल विशेष

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सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल विशेष 〰️〰️🌼〰️〰️🌼🌼〰️〰️🌼〰️〰️ सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवार चंद्र देवता कों समर्पित दिन है,भगवन चंद्र को मन का कारक माना जाता है अतः इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है की यह दिन मन सम्बन्धित दोषो को दूर करने के लिए उत्तम है। हमारे शास्त्रो में चंद्रमा को ही दैहिक, दैविक और भौतिक कष्टो का कारक माना जाता है,अतः यह पूरे वर्ष में एक या दो बार ही पड़ने वाले पर्व का बहुत अधिक महत्त्व माना जाता है। विवाहित स्त्रियों के द्वारा इस दिन पतियों की दीर्घ आयु के लिये व्रत का विधान है। सोमवती अमावस्या कलयुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक है, लेकिन सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक मानने के पीछे भी पौराणिक एवं शास्त्रीय कारण है। सोमवार को भगवान शिव एवं चंद्र का दिन माना जाता है। सोम यानि चन्द्रमा अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा यानि सोमांश या अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है। शास्त्रो के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन चन्द्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक पड़ता है। अमावस्या अमा और वस्या  दो शब्दों से मि