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Showing posts from September, 2021

ketu

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Ketu : Understanding Is An Art, Not Everyone is An Artist Lesson of Ketu in 12th House Some Facts of Ketu . Life complications can only be understood by Ketu, One need An Eye of Hawk to understand the true essence of living. Where the ultimate learning is, Focus on ur Actions not on ur results. (Karm karo, phal ki chinta mat karo) is the wisest message the Bhagwad Gita gives us.  This is what we learnt,  Do favors and don’t expect anything in return. Fact is, Nature is on a rhythm we don’t control. We adjust accordingly. But when it comes to every other part of our lives, we spend copious amounts of energy trying to control the uncontrollable. We have an inner world of reactions, responses, emotions and thoughts. But, we’re paradoxically always trying to change the inner world in an effort to control our outer world. This creates a lot of unnecessary suffering, robbing us of the peace that’s available when we can remain detached from outcomes. It's Ketu, Who acts like i

સરગવાના પાન

🍀 અતિ ઉપિયોગી,તંદુરસ્તી માટે ઉત્તમ, સરગવાના પાન નો ઊપિયોગ આપણે રોજિંદી રસોઈ માં કરીએ તો એનો મહત્તમ લાભ મેળવી શકાય છે.આપ સહુ ને આ માહિતી ઉપીયોગી થાય એ આશય થી અહીંયા શેયર કરું છું  🍀સરગવાના નાં પાન નો ઉપયોગ..            સરગવા નાં પાન ધોઈને ઘરમાં સુકવીયા(તડકા માં ન સૂકવવા)પછી બરાબર સુકાય જાય એટલે મિક્સરમાં એનો પાવડર કરી નાખવો .આ પાવડર  આપણે દાળ, શાક,(બની ગયા પછી 1 ચમચી જેટલોઉમેરવો) થેપલા,પરાઠા મા  અને ભજીયા,ગોટા કરીયે એમાં મિક્સ કરીને ખાવાથી ઘર નાં બધા સભ્યો ની તંદુરસ્તી જળવાઈ રહે છે અને સ્વાદ માં પણ કઈ ફરક પડતો નથી. સરગવા ની સિંગો નો તો આપણે શાક બનાવવા માં અને અન્ય રીતે ઉપિયોગ કરીએ જ છીએ.. પણ એના પાન પણ ખુબ જ ઉપિયોગી છે.    🍀 સરગવાના પાનમાં રહેલ ગુણો.. નિયમિત સરગવાના પાનના ચૂર્ણ નું સેવન કરવાથી થતાં ફાયદા.. - સ્નાયુઓ તેમજ સાંધાના દુઃખાવામાં રાહત મળે છે. - ડાયાબિટીસમાં સુગર નિયંત્રિત કરે છે. - બ્લડ પ્રેશર તથા કોલેસ્ટેરોલ નિયંત્રિત કરે છે. - પાચનક્રિયા સુધારી ગેસ, એસિડિટી અને કબજિયાત જેવા પેટનાં રોગોમાં રાહત મળે છે. - આંખ અને કાનનાં ઈન્ફેક્શનમાં ફાયદો થાય છે. - માથાનો દુઃખાવો અને અનિંદ્

रुद्राक्ष रह्स्य Rudraksha Rahashaya

रुद्राक्ष रह्स्य Rudraksha Rahashaya रुद्राक्ष रह्स्य RUDRAKSHA RAHASHAYA रुद्राक्ष संस्कृत भाषा का एक यौगिक शब्द है जो रुद्र (संस्कृत: रुद्र) और अक्सा (संस्कृत: अक्ष) नामक शब्दों से मिलकर बना है।“रुद्र” भगवान शिव के वैदिक नामों में से एक है और “अक्सा” का अर्थ है ' अश्रु की बूँद' अत: इसका शाब्दिक अर्थ भगवान रुद्र (भगवान शिव) के आसुं से है। भारत और नेपाल में रुद्राक्ष के माला पहनने की एक पुरानी परंपरा है विशेष रूप से शैव मतालाम्बियों में जो उनके भगवान शिव के साथ उनके सम्बन्ध को दर्शाता है । भगवान शिव खुद रुद्राक्ष माला पहनते हैं एवं ओम नमः शिवाय मंत्र का जाप भी रुद्राक्ष माला का उपयोग करके दोहराया जाता है । यद्यपि महिलाओं के रुद्राक्ष पहनने पर कोई विशिष्ट प्रतिबंध नहीं है, लेकिन महिलाओं के लिए मोती जैसे अन्य सामग्रियों से बने मोती पहनना आम बात है। यह माला हर समय पहना जा सकता है, केवल स्नान करते समय इसको उतार देते हैं पानी रुद्राक्ष बीज को हाइड्रेट कर सकते हैं। संस्कृत में मुखी (संस्कृत: मुखी) का मतलब चेहरा होता है इसलिए मुखी का अर्थ रुद्राक्ष का मुख है, एक मुखी रुद्राक्ष का अर्थ

बंसी वट आज भी सुनाई देती है कृष्ण की बंसी की तान

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बंसी वट आज भी  सुनाई देती है कृष्ण की बंसी की तान यह वह स्थान है जहां भगवान कृष्ण गोपीनाथ ने (गोपी के भगवान के रूप में) शरद पूर्णिमा (पूर्णिमा की रात) के शुभ दिन पर महारास नृत्य की लीला की। वंशी का अर्थ है बांसुरी और वट का अर्थ बरगद वृक्ष है। श्री कृष्ण अपनी बांसुरी बरगद के वृक्ष के नीचे बजा रहे हैं, इसे वंशी वट के नाम से जाना जाता है। दिव्य बांसुरी सुनने पर, गोपी भावनात्मक रूप से असहाय हो गयी और वंशी वट की तरफ दौड़ आयी। यहां श्री कृष्ण नित्य ही बांसुरी बजाते हैं। श्री कृष्ण ने गोपियों के लिए कई रूपों को धारण किया। यह वंशी वट की लीला 5500 वर्ष पुरानी है। भगवान शिव इस स्थान पर महारास के दौरान एक गोपी के रूप में आए और इसलिए श्री कृष्ण ने उन्हें "गोपीश्वर महादेव" नाम दिया। यह भी उल्लेख किया गया है कि "वृंदावन की तरह कोई जगह नहीं है, नंद गांव जैसा कोई गांव नहीं है, वंशी वट की तरह कोई बरगद का वृक्ष नहीं है, और राधा कृष्ण की तरह कोई नाम नहीं है"। श्री कृष्ण के लिए गोपियों का इतना गहरा प्रेम था कि उन्होंने श्री कृष्ण की इच्छा के लिए अपने बच्चों, पतियों और घरों क

Key word for 27 Nakshatra

 Key word for 27 Nakshatra, request member to add more and  words which you related to Nakshatra.   1. Ashwini 👉 starting point, Creation, center of the centre, brain of anything, healing, following instructions, futuristic and forward looking  2. Bharani 👉 Restrain, holder of secrets, womb, hiding in safe house,  duty bound, eternal struggle, struck in past, punisher.  3. Kritikka 👉Cutting, separation,  purification, penance, protection, cooking.  4. Rohini 👉creativity, enjoyment, temptations,  possessiveness,  growth and continuation.  5. Mrigashera 👉 Searching, fickleness, futuristic, unpredictable,  energetic,  perceptive.  6. Ardhra 👉Thinking,  brainstorming, ideas, arranging,  Grief or tears, cruel to achieve results.  7.  Punarvasu 👉 Repeat, RE-DO, renewal, change, optimisism, kindness  8. Pushya 👉Taking care, Nourishment, productivity,  unconditional love, growing, development, advisory.   9. Ashlesha 👉 Focus, observation, attachment, waiting, protection, giving safety

वराह अवतार जन्मोत्सव 9 सितम्बर विशेष

वराह अवतार जन्मोत्सव 9 सितम्बर विशेष 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ वराह अवतार हिंदू धर्म ग्रंथों के अनुसार  भगवान विष्णु के दस अवतारों में से तृतीय अवतार हैं जो भाद्रपद में शुक्ल पक्ष की  तृतीया को अवतरित हुए। पौराणिक कथाओं व मान्यताओं के अनुसार इस दिन श्री हरि ने एक हिरण्याक्ष दैत्य का वध करने के लिए वराह अवतार में जन्म लिया था। इसी के उपलक्ष्य में वराह जयंती का पर्व मनाया जाता है। वराह अवतार की कथा 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु ने जब दिति के गर्भ से जुड़वां रूप में जन्म लिया, तो पृथ्वी कांप उठी। आकाश में नक्षत्र और दूसरे लोक इधर से उधर दौड़ने लगे, समुद्र में बड़ी-बड़ी लहरें पैदा हो उठीं और प्रलयंकारी हवा चलने लगी। ऐसा ज्ञात हुआ, मानो प्रलय आ गई हो। हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु दोनों पैदा होते ही बड़े हो गए। दैत्यों के बालक पैदा होते ही बड़े हो जाते है और अपने अत्याचारों से धरती को कपांने लगते हैं। यद्यपि हिरण्याक्ष और हिरण्यकशिपु दोनों बलवान थे, किंतु फिर भी उन्हें संतोष नहीं था। वे संसार में अजेयता और अमरता प्राप्त करना चाहते थे। ब्रह्माजी का वरदान 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ हिरण्याक्ष और

राधा रानी ने पूछा :- गोपाल जी ये क्या कर रहे हो* ?

ठाकुर जी एक कटोरे में मिट्टी लेकर उससे खेल रहे थे*। *राधा रानी ने पूछा :- गोपाल जी ये क्या कर रहे हो* ? *ठाकुर जी कहने लगे :- मूर्ति बना रहा हूँ।* *राधा ने पूछा :- किसकी* ? *"उन्होंने मुस्कुराते हुए उनकी ओर देखा। और कहने लगे :- एक अपनी और एक तुम्हारी*। *राधा भी देखने के उद्देश्य से उनके पास बैठ गयी ।* *अब ठाकुर जी ने कुछ ही पल में दोनों मूर्तियाँ तैयार कर दी।और राधा रानी से पूछने लगे :- बताओं कैसी बनी है ?* *मूर्ति इतनी सुंदर मानों अभी बोल पड़ेंगी।परन्तु राधा ने कहा:- मजा नहीं आया।इन्हें तोड़ कर दुबारा बनाओ*। *अब ठाकुर जी अचरज भरी निगाहों से राधा की ओर देखने लगें।और सोचने लगे कि मेरे बनाए में इसे दोष दिखाई दे रहा हैं*। *परन्तु उन्होंने कुछ नहीं कहा।और दोबारा उन मूर्तियों को तोड़कर उस कटोरे में डाल दिया।और उस मिट्टी को गुथने लगें*। *अब उन्होंने फिर से मूर्तियाँ बनानी शुरू की।और हुबहू पहले जैसी मूर्तियाँ तैयार की*। *अबकी बार प्रश्न चिन्ह वाली दृष्टि से राधे की ओर देखा* ? *राधा ने कहा:- ये वाली पहले वाली से अधिक सुंदर है।* *ठाकुर जी बोले :- तुम्हें कोई कला की समझ वमझ हैं भी के नहीं।इ

शुक्र मणि पहनने के लाभ

शुक्र मणि पहनने के लाभ ज्‍योतिष के अनुसार मनुष्‍य के जीवन में ग्रहों का बहुत महत्‍व होता है। नौ ग्रहों में से एक शुक्र ग्रह को भी बहुत लाभकारी और शुभ माना गया है। यह व्‍यक्‍ति को सभी प्रकार के भौतिक सुख प्रदान करता है और सुख-सुविधाएं देता है। शुक्र ग्रह का भाग्‍य रत्‍न डायमंड होता है जो कि बहुत महंगा आता है। इस वजह से हर कोई डायमंड नहीं पहन पाता है और शुक्र देव की कृपा से वंचित रह जाता है। ऐसे में शुक्र मणि धारण कर आप अपने जीवन में शुक्र देव का आशीर्वाद पा सकते हैं। जिन लोगों का जन्‍म अप्रैल के महीने में हुआ है, उन्‍हें शुक्र मणि जरूर धारण करना चाहिए। यह स्‍टोन हर तरह की बीमारियों एवं विकारों के इलाज में मदद करता है। मानसिक और शारीरिक व्‍याधियों से शुक्र मणि स्‍टोन आपको रक्षा प्रदान कर सकता है। यह बीमारी पैदा करने वाली ऊजाओं और नकारात्‍मकता को सोख लेता है और उन्‍हें पर्यावरण में छोड़ने में भी मदद करता है। चमत्‍कारिक शुक्र मणि सभी तरह की बुरी शक्‍तियों और ऊजाओं को नष्‍ट करता है। अगर कोई आपकी सफलता से जलता है या ईर्ष्‍या करता है तो शुक्र मणि ऐसे लोगों से आपकी रक्षा कर सकता है।

विवाह में देरी/रुकावट कहीं आपकी कुंडली में ये दोष तो नहीं

💕💕विवाह में देरी/रुकावट कहीं आपकी कुंडली में ये दोष तो नहीं 💕।                💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕💕 💕कुंडली के ये दोष बनते हैं विवाह में रुकावट/देरी की वजह  यह सारा खेल जन्म-कुंडली में स्थित ग्रह योगों व दशाओं का होता है। कहा जाता है कि, यदि किसी भी जातक की जन्म-कुंडली का सप्तम घर किसी अशुभ ग्रहों से ग्रसित हो तो ऐसे जातकों का दांपत्य जीवन का सुख कम और उनके विवाह में विलम्ब होने लगता है।  🌹कुंडली में पितृ दोष होने के कारण। 🌹ग्रहों के सप्तम भाव में युति होने के कारण। 🌹जन्म-कुंडली में मांगलिक दोष होने के कारण। 🌹सातवें घर का स्वामी नीच ग्रह के साथ अशुभ भाव में बैठा हो तो शादी होने में विलम्ब होता है। 🌹यदि किसी भी जातक की जन्म-कुंडली में सप्तम भाव में मंगल, शनि व शुक्र के साथ युति कर रहा हो तो विवाह बड़ी उम्र (विलम्ब) में होता है। 🌹यदि कन्या की कुंडली में लग्न में मंगल, सूर्य व बुध हो और गुरु द्वादश भाव में हो तो कन्या का विवाह देरी से होता है। 🌹सप्तम भाव में नीच का सूर्य हो तो शादी विलम्ब से होती है या बार-बार बात बनते-बनते बिगड़ जाती है। 🌹नवमांस कुंडली के लग्न या सप्तम

गज लक्ष्मी योग

#गज लक्ष्मी योग । #हस्तरेखाओं की बनावट के बीच कुछ ऐसे विशेष संयोग होते हैं जो व्‍यक्ति को समाज में एक अलग पहचान दिलवाते हैं।  व्‍यक्ति जीवन में खूब नाम कमाता है और धन दौलत अर्जित कर लेता है।  यह योग बहुत ही दुर्लभ होते हैं और कुछ विशेष राजनेताओं, अमीर व्‍यक्तियों और अभिनेताओं के हाथ में होते हैं।  ज्‍योतिष में इन योगों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। जिस मनुष्‍य के दोनों हाथों में भाग्‍य रेखा मणिबंध से प्रारंभ होकर सीधी शनि पर्वत पर जा रही हो और सूर्य पर्वत विकसित होने के साथ-साथ उस पर सूर्य रेखा भर पतली, लंबी और लालिमा लिए हो और उसके साथ ही मस्तिष्‍क रेखा, स्‍वास्‍थ्‍य रेखा और आयु रेखा पुष्‍ट हों तो यह सभी विशेषताएं गजलक्ष्‍मी योग कहलाता है।  ऐसे लोग साधारण घराने में जन्‍म लेकर भी उच्‍चस्‍तरीय सम्‍मान प्राप्‍त करते हैं।  अपने माता-पिता का नाम रोशन करते हैं।  आर्थिक और भौतिक रूप से भी इनके जीवन में कोई कमी नहीं रहती।🙏

भगवती #महालक्ष्मी का #नारायण के श्री #चरण में #निवास करने का #ज्योतिषीय तथा #सामाजिक संदर्भ!

भगवती #महालक्ष्मी का #नारायण के श्री #चरण में #निवास करने का #ज्योतिषीय तथा #सामाजिक संदर्भ! सुख,भोग,ऐश्वर्य, वैभव,समृद्धि,धन इत्यादि के कारक शुक्र हैं और शुक्र को भगवती लक्ष्मी का ही स्वरूप माना जाता है और शुक्र से संबंधित ईष्ट का निर्धारण भगवती लक्ष्मी से होता है।         दूसरी ओर भगवान नारायण हरि श्री विष्णु जो कारक हैं धर्म,कर्म,न्याय,सन्यास,मोक्ष इत्यादि  के और शनि को भी इन्ही चीजो का कारक माना गया है और शनि देव के ईष्ट स्वयं श्री कृष्ण ही हैं जिनके ध्यान में शनि देव निरंतर रहते हैं और मानव शरीर की बात करें तो शनि पैर को निरूपित करते हैं।      मानव के लिए चार पुरुषार्थ बताये गए हैं,#धर्म,#अर्थ,#काम और #मोक्ष।यहां धर्म तो भगवान श्री विष्णु के आराधना से प्राप्त होता है जोकि अर्थ और कामना यानी लक्ष्मी की प्राप्ति कराता है और ये लक्ष्मी का निवास स्थान भगवान नारायण के चरण में होता है और भगवान नारायण का चरण ही मोक्ष देता है इसका प्रमाण गया का #श्रीविष्णु #पद(चरण) मंदिर है जहां पितरों के मोक्ष के लिए तर्पण किया जाता है।         एक बात और ध्यान देने योग्य है, भगवती लक्ष्मी यानी शुक्र से स

भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य के पास आती हैं यह शक्तियाँ!!!!!!

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भगवान शिव की आराधना करने से मनुष्य के पास आती हैं यह शक्तियाँ!!!!!! 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️   👉इस कलयुग के समय में अगर किसी व्यक्ति से बोला जाए कि भगवान शिव की पूजा किया कर तो वह साफ़ बोलता है कि कुछ मिलना तो है नहीं, इसलिए हम बिना पूजा किये हुए ही सही हैं। |  👉लेकिन आपको बता दें कि भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के पास कई तरह की शक्तियां आ जाती हैं किन्तु उन शक्तियों को बहुत ही कम लोग अनुभव कर पाते हैं। |  👉आपको बताते हैं कि भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के पास कौन-सी शक्तियां आ जाती हैं.....     👉व्यक्ति का मृत्यु डर खत्म हो जाता है... 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ हर इंसान अपनी मृत्यु से डरता है. जीवन के अंतिम समय से हर कोई डरता है. आप खुद एक बार को सोचिये कि आपको भी एक दिन मरना है और यही सोचते ही आप डरने लगेंगे. लेकिन जो शिव का भक्त होता है उसको कभी भी मृत्यु का डर नहीं लगता है. यह खास शक्ति आज के समय में कुछ ही लोगों के पास होती है। |  👉सफलता कदम चूमने लगती है..... 〰️〰️〰️👉〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ऐसा व्यक्ति जो शिव का परम भक्त होता है उसके पास ऐसी शक्ति होती है

रुद्राक्ष वैदिक तत्व

रुद्राक्ष वैदिक तत्व👇👇👇👇👇👇👇👇 रुद्राक्ष को धारण करना तो शुभ माना जाता है लेकिन बहुत कम लोग ही जानते हैं कि कुछ विशेष और कई मुख वाले रुद्राक्ष धारण करने वाले जातक की किस्मत को भी बदल सकते हैं। आइए जानें रुद्राक्ष और उनके मुखों से जुडी खास जानकारियां- एक मुखी रुद्राक्ष : पौराणिक मान्यताओके अनुसार एकमुखी रुद्राक्ष साक्षात शिवस्वरुप माना जाता है। इसके निरंतर सानिध्य से एवं ध्यान धारणा से, धारणकर्ता – वैश्विकज्ञान, उच्चतम चेतनावस्था पाते हुए त्रिकालदर्शी हो जाता है। भगवान शिव और की कृपा और पवित्र कर्मों के फलस्वरुप कुछ गिने चुने भाग्यशाली व्यक्तियों को ही यह दुर्लभ मनी धारण करने का अवसर मिलता है। इसे धारण करने से व्यक्ति के मन की इच्छाएं पूर्ण होती हैं और पूरी दुनिया को मुट्ठी में रखने की क्षमता प्राप्त करता है।  दो मुखी रुद्राक्ष: दो मुखी रुद्राक्ष शिव का अर्धनारीश्वर स्वरुप है। ईससे पति-पत्नि, पिता-पुत्र, मित्र एव्ं व्यावसायिक संबंधोमे सौहार्द आता है। एकता बनाए रखनेवाला यह मणी आत्मिक शांति और पुर्णता प्रदान करता है। चंद्रमा की प्रतिकुलता से उत्पन्न दोषों का निवारण यह करता है।🌱🌱🌱

લગ્ન પ્રસંગે થતી વિવિધ વિધિઓ આપણે નિહાળીયે છીએ

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