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Showing posts from October, 2021

कुंडली

किसी भी कुंडली की मजबूती के लिए लग्न स्वामी अथवा लग्नेश का मजबूत होना ज़रूरी होता हैं लग्नेश का 3,6,8,12 भावो मे होना अशुभ माना जाता हैं क्यूंकी यह भाव हमेशा अशुभता प्रदान करते हैं लग्नेश भले ही पाप ग्रह हो उसका इन अशुभ भावो मे होना अशुभ ही होता हैं जबकि पाप ग्रहो का इन भावो मे होना शुभ माना जाता हैं लग्नेश का किसी भी प्रकार से 3,6,8,12 भावो से अथवा उनके स्वामियों से संबंध अशुभ ही होता हैं | यदि कुंडली मे सूर्य बली होतो जातक सामान्य कद काठी वाला,प्रभावी,सात्विक,सम्मानित परंतु चिड़चिड़े स्वभाव का होता हैं | यदि चन्द्र बली होतो जातक मीठा बोलने वाला,वात स्वभाव का रजोगुणी होता हैं | मंगल बली होतो साहसी,लड़ाकू,अस्थिर मानसिकता वाला,लाल आँखों वाला तमोगुणी होता हैं | बुध बली होतो जातक मनोहर रंग रूप वाला,बातुनी,बुद्दिमान,अच्छी याददाश्त वाला,पढ़ा लिखा व ज्योतिष से प्रेम करने वाला किन्तु तमोगुणी होता हैं | गुरु बली होतो जातक धार्मिक विचारो वाला,सदाचारी,वेदपाठी,पढ़ा लिखा व अच्छे चरित्रवाला सदगुणी होता हैं | शुक्र बली होतो जातक सांसारिक वस्तुओ व सांसारिक कलाओ की चाह रखने वाला,शौकीन मिजाज व रजोगुणी होता ह

राहु का भावफल〰️〰️〰️〰️〰️

राहु का भावफल 〰️〰️〰️〰️〰️ धन (द्वितीय भाव मे) राहु का फल 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ पिछले लेख में हमने राहु के प्रथम भाव मे हिने पर मिलने वाले फलों के विषय मे चर्चा की थी आज के लेख में हम राहु के दूसरे धन भाव मे होने पर मिलने वाले फलों के विषय मे चर्चा करेंगे कुण्डली का दूसरा भाव धन भाव होने के साथ-साथ  विवेक, दाहिना नेत्र, परिवार, (कुटुंब का सुख), स्वर विचार गुणज्ञता, वचन-वाणी, विद्या, भोजन, सौंदर्य, यात्रा, सुवर्ण रत्नादि कोष, लाक्षाधिपति तथा विपुल धन संपदा आदि का भी न्यूनाधिक रूप से विचार किया जाता है राहु के यहां बैठने पर जातक को उस भाव के अनुसार क्या फल मिलेंगे इसके बारे में इस लेख में संक्षिप रूप से वर्णन किया जा रहा है। कुण्डली के द्वितीय (दूसरे) भाव ने राहु के होने पर जातक भाग्यशाली होता है। उसे मांस, मछली, अंडे, खाल, चमड़ा अथवा जूट के व्यापार से लाभ होने की सम्भवना बढ़ती है। ऐसे कई जातक महिलाओं के शोषण, डकैती, ठगी आदि से भी धन पाते है। इस भाव मे मेष, वृष या कर्क राशि का राहु मुस्लिम या ईसाई की सेवा-सहायता से धन दिलाता है। सिंह या कन्या राशि का राहु पाप की कमाई का संकेत देता है।, मिथ

सफर और #हमसफ़र

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#सफर और #हमसफ़र ट्रेन चलने को ही थी कि अचानक कोई जाना पहचाना सा चेहरा जर्नल बोगी में आ गया। मैं अकेली सफर पर थी। सब अजनबी चेहरे थे। स्लीपर का टिकिट नही मिला तो जर्नल डिब्बे में ही बैठना पड़ा। मगर यहां ऐसे हालात में उस शख्स से मिलना। जिंदगी के लिए एक संजीवनी के समान था।  जिंदगी भी कमबख्त कभी कभी अजीब से मोड़ पर ले आती है। ऐसे हालातों से सामना करवा देती है जिसकी कल्पना तो क्या कभी ख्याल भी नही कर सकते ।  वो आया और मेरे पास ही खाली जगह पर बैठ गया। ना मेरी तरफ देखा। ना पहचानने की कोशिश की। कुछ इंच की दूरी बना कर चुप चाप पास आकर बैठ गया। बाहर सावन की रिमझिम लगी थी। इस कारण वो कुछ भीग गया था। मैने कनखियों से नजर बचा कर उसे देखा। उम्र के इस मोड़ पर भी कमबख्त वैसा का वैसा ही था। हां कुछ भारी हो गया था। मगर इतना ज्यादा भी नही।  फिर उसने जेब से चश्मा निकाला और मोबाइल में लग गया। चश्मा देख कर मुझे कुछ आश्चर्य हुआ। उम्र का यही एक निशान उस पर नजर आया था कि आंखों पर चश्मा चढ़ गया था। चेहरे पर और सर पे मैने सफेद बाल खोजने की कोशिश की मग़र मुझे नही दिखे।  मैंने जल्दी से सर पर साड़ी का पल्ल

दीपावली स्पेशल

🙏दीपावली स्पेशल 🙏 ********************** (१)-दीपावली पूजन में 11 कोड़ियां, 21 कमलगट्टा, 25 ग्राम पीली सरसों लक्ष्मीजी को चढ़ाएं (एक प्लेट में रखकर अर्पण करें)। अगले दिन तीनों चीजें लाल या पीले कपड़े में बांधकर तिजौरी में या जहां पैसा रखते हों वहां , रख दें। (२)- दीपावली के दिन अशोक वृक्ष की जड़ का पूजन करने से घर में धन-संपत्ति की वृद्धि होती है। (३)- दीपावली के दिन पानी का नया घड़ा लाकर पानी भरकर रसोई में कपड़े से ढंककर रखने से घर में बरक्कत और खुशहाली बनी रहती है। (४)- धनतेरस के दिन हल्दी और चावल पीसकर उसके घोल से घर के मुख्य दरवाजे पर ऊँ बनाने से घर में लक्ष्मीजी (धन) का आगमन बना ही रहता है। (५)- नरक चतुर्दशी छोटी दीपावली को प्रात:काल अगर हाथी मिल जाए तो उसे गन्ना या मीठा जरूर खिलाने से अनिष्ठों, जटिल मुसीबतों से मुक्ति मिलती हह्य। अनहोनी से सदेव रक्षा होती है। (६)- दीपावली के पूजन के बाद शंख और डमरू बजाने से घर की दरिद्रता दूर होती है और लक्ष्मीजी का आगमन बना रहता है । (७)- दीपावली के दिन पति-पत्नी सुबह लक्ष्मी-नारायण विष्णु मंदिर जाएं और एक साथ लक्ष्मी-नारायणजी को वस्त्र अर्पण क

राहु ग्रह के दुष्प्रभाव (भाग

राहु ग्रह के दुष्प्रभाव (भाग 2) 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ भारतीय ज्योतिष अनुसार जल्दबाजी -उतावलापन और स्वार्थीपन का काम राहु जी महाराज की ही देन मानी गयी है। राहु ग्रह के प्रभाव के कारण जातक जल्दबाजी और शॉर्टकट रास्ते अपनाने की आदत से मजबूर होता है इसलिए सट्टा जुआ/लाटरी और अचानक घटनाओं का कारक राहु को माना गया है मैंने अनुभव में देखा है कि जिसके कुण्डली में राहु का प्रभाव अधिक होता है वह हर काम में जल्दबाजी करता है जल्दबाजी में काम खराब ही होता है जैसे अगर बहुत तेज वाहन चलाओगे तो दुर्घटना भी अधिक होगी इसलिए सड़क के किनारे पर लिखा होता है कि दुर्घटना की अपेक्षा विलम्ब अच्छा है जो व्यक्ति बहुत जल्दबाजी करता है उसका परिणाम नुकसानदायक ही होता है राहु ऐसे व्यक्ति को सही के तरफ लगने नही देता है ऐसा शास्त्र में लिखा है कि जल्दबाजी का काम शैतान का होता है व्यक्ति बहुत ही जल्दबाजी करता है उसके अन्दर शैतान आ जाता है। आज लोग जल्दी कामयाबी लेने के लिए गैर कानूनी कार्य करके कमाने से सुख कम दुख अधिक प्राप्त होता है। गलत काम करने से ग्रह खराब हो जाते हैं और सुख से अधिक दुख देना शुरु कर देते है। जिन्दगी में

शनि

शनि का नाम सुनकर ही जातक भयभीत/चिंताग्रस्त हो जाते हैं, जबकि ऐसा सोचना हमेशा सत्य नहीं होता. शनि देव को भगवान शिव ने न्यायाधीश का पद दिया है और उसका दायित्व शनिदेव पूर्ण निष्ठा से व बिना किसी दुराग्रह के संपादित करते हैं. साढ़ेसाती व ढैय्या के समय जरूर कष्ट प्रदान करते हैं परंतु पूर्ण समय तक नहीं, उसमें भी प्रभाव मित्र राशि में है या शत्रु राशि में तथा उन पर किसी शुभ ग्रह का प्रभाव है या अशुभ ग्रह का, तदनुसार शुभ-अशुभ फल प्राप्त होते हैं.  शनि से बनने वाले विभिन्न योगों का क्रमानुसार वर्णन इस प्रकार हैः 1. शशयोग: अगर शनि देव केंद्र स्थानों में स्वराशि का होकर बैठे हां (मकर, कुंभ) तो यह योग बनता है. इस योग में जन्म लेने वाला जातक नौकरों से अच्छी तरह काम लेता है, किसी संस्थान समूह या कस्बे का प्रमुख और राजा होता है एवं वह सब गुणों से युक्त सर्वसंपन्न होता है.  2. राजयोग: अगर वृष लग्न में चंद्रमा हो, दशम में शनि हो, चतुर्थ में सूर्य तथा सप्तमेश गुरु हो तो यह योग बनता है. ऐसा जातक सेनापति/पुलिस कप्तान या विभाग का प्रमुख होता है.   3. दीर्घ आयु योग: लग्नेश, अष्टमेश, दशमेश व शनि केंद्र त्रिक

चंद्र

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जय श्री बालाजी  चन्द्रमा चन्द्र .....भारतीय वैदिक ज्योतिष का सबसे मुख्या गृह.....पृथ्वी का उपग्रह...पृथ्वी के चारो और चक्कर लगाने वाला गृह....लग्न कुंडली या चन्द्र कुंडली में सी कौन सी कुंडली देखनी चाहिए ये अभी भी एक रहस्य है.....सबसे तेज़ गति से चलने वाला गृह...२४ घंटे में एक नक्षत्र पूरा करने वाला गृह.....महीने भी इसी की वजह से बने.....लगभग सारा फलादेश इसी चन्द्र की वजह से चल रहा है हमारा....सबसे चंचल गृह..रोमांस का कारक गृह...मन..माता...का कारक गृह...पार्वती माता...सबसे कोमल गृह...किसी से कोई दुश्मनी नहीं.....सबसे मित्रता या सम भाव रखने वाला गृह.....मन के हारे हार है..मन के जीते जीत है..मतलब चन्द्रमा ही चन्द्रमा सब जगह....जल का कारक गृह....पृथ्वी पे ७०% जल ..हमारे शारीर में ७०% जल......सब ग्रहों का के बल का बीज....सब ग्रहों के बल का वीर्य......पृथ्वी के सबसे समीप गृह....२७ नक्षत्रो का पति..कहते है चन्द्रमा के २७ रानिया है....जिसमे सबसे प्रिय इसको रोहिणी है.......महीने इसकी वजह से बने..तिथिया इसकी वजह से बनी....नक्षत्र पे इसका अधिकार..चन्द्र कुंडली ....चंद्रकला नाडी भी चन्

शारदीय नवरात्रि के 11 उपाय

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शारदीय नवरात्रि के 11 उपाय 〰️〰️🌸〰️🌼〰️🌸〰️〰️ नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र पर्व में माता के विभिन्न स्वरूपों की पूजा की जाती है और उन्हें प्रसन्न करने के लिए विभिन्न साधनाएं भी की जाती हैं। गुप्त नवरात्रि में मनचाही सफलता के लिए विशेष उपाय भी किए जाते हैं। वहीं तंत्र शास्त्र के अनुसार गुप्त नवरात्रि में किए गए उपाय जल्दी ही शुभ फल प्रदान कर सकते हैं। धन, नौकरी, स्वास्थ्य, संतान, विवाह, प्रमोशन आदि कई मनोकामनाएं इन 9 दिनों में किए गए उपायों से प्राप्त हो सकती है।   उपाय इस प्रकार हैं👇 〰️〰️🌸〰️🌸〰️〰️ 1👉 मनपसंद वर के लिए उपाय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ नवरात्रि के दौरान तृतीया पंचमी सप्तमी और नवमी के दिन अपने आस-पास स्थित किसी शिव मंदिर में जाएं। वहां भगवान शिव एवं मां पार्वती पर जल एवं दूध चढ़ाएं और पंचोपचार (चंदन, पुष्प, धूप, दीप एवं नैवेद्य) से उनका पूजन करें। अब मौली (पूजा में उपयोग किया जाने वाला लाल धागा) से उन दोनों के मध्य गठबंधन करें। अब वहां बैठकर लाल चंदन की माला से मंत्र का जाप 108 बार करें-मंत्र- हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया। तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त

venus mahadasha

✨Understanding Venus Mahadasha  Shukra Mahadasha remains for 20 years and usually indicates that personal relationships and finances will be the theme during the period. Venus is one of the most benefic planets, yet, it tends to give some turbulence and instability too. The overall result of Venus Mahadasha will depend on its placement.  The Overall Energy  Venus represents the devotional energy and passion to what we want to pursue in life, what do we love and hate, and it’s also a natural significator of love language and spouse. Venus is connected to our business, career, and finances as part of stability. Naturally, your Venus house placement, Taurus, and Libra house will get activated. Wherever Taurus house is governed in your chart, your effort and time will be poured into that particular house. In a sense, Taurus governs how we want to relax, spoil ourselves, how to show love, affection, and connection with family. Also our financial stability, wealth, and saving. You will notic

हिन्दू देवी देवताओं के नाम और काम 🌹🌹🌹🌹

   हिन्दू देवी देवताओं के नाम                     और काम        🌹🌹🌹🌹 सनातन धर्म में अनेक देवताओं का उल्लेख है उन देवताओ को किसी नाम विशेष से जाना जाता है। देवताओं का यह नामकरण उनके कार्य और गुण-धर्म के आधार पर किया गया है। हम यहाँ कुछ प्रमुख देवताओं के विषय में जाकारी प्राप्त करेगें। ब्रह्मा 〰️〰️〰️ ब्रह्मा को जन्म देने वाला कहा गया है। विष्णु 〰️〰️ विष्णु को पालन करने वाला कहा गया है। महेश 〰️〰️〰️ महेश को संसार से ले जाने वाला कहा गया है। त्रिमूर्ति 〰️〰️〰️ भगवान ब्रह्मा-सरस्वती (सर्जन तथा ज्ञान), विष्णु-लक्ष्मी (पालन तथा साधन) और शिव-पार्वती (विसर्जन तथा शक्ति)। कार्य विभाजन अनुसार पत्नियां ही पतियों की शक्तियां हैं। इंद्र 〰️〰️ बारिश और विद्युत को संचालित करते हैं। प्रत्येक मन्वंतर में एक इंद्र हुए हैं जिनके नाम इस प्रकार हैं- यज्न, विपस्चित, शीबि, विधु, मनोजव, पुरंदर, बाली, अद्भुत, शांति, विश, रितुधाम, देवास्पति और सुचि। अग्नि 〰️〰️〰️ अग्नि का दर्जा इन्द्र से दूसरे स्थान पर है। देवताओं को दी जाने वाली सभी आहूतियां अग्नि के द्वारा ही देवताओं को प्राप्त होती हैं। बहुत सी ऐसी आत्माएं है

ग्रहों से जुड़े कुछ ज्योतिष सुझाव ------

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ग्रहों से जुड़े कुछ ज्योतिष सुझाव ------ *1. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य नीच राशि में हो या राहु से पीड़ित हो तो ऐसे व्यक्तियों में आत्मविश्वास की बहुत कमी बनी रहती है ऐसे लोगो के लिए "आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ करना अमृत तुल्य कार्य करता है और आत्मविश्वास में वृद्धि करता है।* *2. यदि मंगल कुंडली में आठवे भाव में स्थित हो या कुंडली में मंगल राहु का योग हो तो ऐसे व्यक्तियों को वाहन चलते समय बहुत सावधानी रखनी चाहिए अष्टम मंगल दुर्घटनाएं अधिक कराता है।* *3. यदि कुंडली में केतु की दशा के समय जीवन में बाधाये अधिक आ रही हों तो गणेश जी की उपासना करें लाभ मिलेगा।* *4. यदि कुंडली में मंगल नीच राशि (कर्क) में हो, राहु के साथ हो या पाप भाव (6,8,12) में होने से पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को  प्रोपर्टी या जमीन जायदात से जुड़े कार्य नहीं करने चाहिए हानि होती है।* *5. यदि कुंडली में चन्द्रमाँ नीचस्थ या पाप प्रभाव में होने से मानसिक अस्थिरता और तनाव की स्थिति रहती हो तो चाँदी की एक ठोस गोली का लॉकेट सफ़ेद धागे के साथ गले में धारण करें लाभ होगा।* *6. यदि संतान सुख में कमी हो या स

In Vedic Jyotish shastras there are two planet

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🕉In Vedic Jyotish shastras there are two planet who are accorded with status of being Brahmana graha, mind you Brahmana here means teacher or the one who guide.   🚩All types of spirituality path have role of these planet. Technically there are two lobby of planet, in one lobby it have Jupiter,   sun moon, Mars   Other lobby have Venus, Saturn, mercury and Rahu  Ketu represent cosmis law which govern universal system, if we able to breach it we are able attained MOKSH.  🔥Sanathan Dharma have two major branch Nigama aka Vedic path which is represented by Brahaspati or JUPITER and Agama aka Tantriks path which is represented by Shukracharya or Venus  👉Check here Jupiter stand for vastness and bigger picture and Venus is expertise or pandityata  👉Both are independent path can do it alone but they balance and complete each other  ✅We humans have souls which is part of supreme soul, our God and we are send by God to experience his creation through us while he resides in us a