कुंडली
किसी भी कुंडली की मजबूती के लिए लग्न स्वामी अथवा लग्नेश का मजबूत होना ज़रूरी होता हैं लग्नेश का 3,6,8,12 भावो मे होना अशुभ माना जाता हैं क्यूंकी यह भाव हमेशा अशुभता प्रदान करते हैं लग्नेश भले ही पाप ग्रह हो उसका इन अशुभ भावो मे होना अशुभ ही होता हैं जबकि पाप ग्रहो का इन भावो मे होना शुभ माना जाता हैं लग्नेश का किसी भी प्रकार से 3,6,8,12 भावो से अथवा उनके स्वामियों से संबंध अशुभ ही होता हैं | यदि कुंडली मे सूर्य बली होतो जातक सामान्य कद काठी वाला,प्रभावी,सात्विक,सम्मानित परंतु चिड़चिड़े स्वभाव का होता हैं | यदि चन्द्र बली होतो जातक मीठा बोलने वाला,वात स्वभाव का रजोगुणी होता हैं | मंगल बली होतो साहसी,लड़ाकू,अस्थिर मानसिकता वाला,लाल आँखों वाला तमोगुणी होता हैं | बुध बली होतो जातक मनोहर रंग रूप वाला,बातुनी,बुद्दिमान,अच्छी याददाश्त वाला,पढ़ा लिखा व ज्योतिष से प्रेम करने वाला किन्तु तमोगुणी होता हैं | गुरु बली होतो जातक धार्मिक विचारो वाला,सदाचारी,वेदपाठी,पढ़ा लिखा व अच्छे चरित्रवाला सदगुणी होता हैं | शुक्र बली होतो जातक सांसारिक वस्तुओ व सांसारिक कलाओ की चाह रखने वाला,शौकीन मिजाज व रजोगुणी होता ह