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Showing posts from August, 2025

चलिए आज शनि देव की बात करते है

चलिए आज शनि देव की बात करते है जानते सब हैं ही क्योंकि उनकी दसा, साढ़े साती,ढया,से डरते हैं कोई पूछे न पूछे शनि क़ो जरूर पूछता हैं और जरुरी भी हैं,कहते की के शनि के फल देने की गति मंन्द होती हैं।👉🏼शनि को तीव्र ग्रह माना गया है,भले ही इनकी चाल मंद गति की है लेकिन इनके फल के परिणाम लम्बे चलते है और प्रभाव तीव्र है, सामान्यतः यह माना जाता है कि यह चिन्ता कारक ग्रह है। वास्तव में शनि चिन्तन कारक ग्रह है, जो कि मनुष्य को हर समय सोचने के लिए विवश करता रहता है। और ओ करें भी क्यों न शनि दोष होने पर व्यक्ति नशे का आदी बन जाता हैं, राहु नशे की ओर धकेलने के लिए हैं और पक्का आधी तामसिक शनि देता हैं ज़ब राहु शनि एक साथ हों तोह शुरू मे आदमी खूब ऊपर जाता हैं लेकिन फिर उसका घर गाड़ी फैक्ट्री विकवाके रोड पर ला देता हैं 👉आजकल मैंने अधिकतर की कुंडली मे शनि या बलहीन हैं या अस्त हैं और उनके नौकरी, काम काम स्वास्थ्य, सम्मान, सब खराबी मे हैं। शनि द्वारा दी चोट लम्बी चलती हैं रोग, ऋण, गरीबी,रोग अधिकतर जैसे कैंसर, हड्डी मे फैक्चर,, बार बार चोट लगना,और ज़ब भी ये केतु के साथ होगा और दोनों मेसे एक का समंध -8वें -1...

केन्द्राधिपति दोष

केन्द्राधिपति दोष सबसे पहले यह समझना होगा कि केंद्र क्या है सबको मालूम है.. 1, 4, 7 और 10 भाव केंद्र भाव हैं केंद्र भाव खुद में बहुत बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण भाव हैं  क्योंकि समझ लीजिए कि केंद्र भाव एक सेंट्रल ऑथोरिटी है जिसके पास यहां बहुत सारे कार्य हैं और मजबूत एवं ठोस मुद्दे हैं जो केंद्र की जिम्मेदारी है हर केंद्र के पास अपने अपने त्रिकोण हैं जैसे 1 के पास 5 और 9 4 के पास 8 और 12 7 के पास 3 और 11 और  10 के पास 2 और 6 अब सोचने वाली बात है जो ग्रह 1 केंद्र का स्वामी बना उसके पास जिम्मेदारी के लिहाज से कितने ज्यादा काम बढ़ गए हैं कितना ताना बाना बुनना पड़ेगा उसे क्योंकि अब वो केंद्र का तो ध्यान उसको रखना ही पड़ेगा साथ ही उस केंद्र से जुड़े त्रिकोण को भी अपने सामर्थ्य के अनुसार उसपर शक्ति खर्च करनी पड़ेगी उसमें भी अगर किसी केंद्र के अपने त्रिकोण में कोई बदमाश ग्रह होंगे तो टेंशन और बढ़ जाएगी। अब सच्चाई से देखो तो 1 के साथ जिस ग्रह को 2 केंद्र की जिम्मेदारी दे दी जाए उसमें भी 2 केंद्रों का स्वामी होकर कोई बहुत ही सौम्य सा ग्रह आकर केंद्र में ही बैठे तो उसके ऊपर तो समझिए पेनाल्टी...

काल स्पर्श दोष

क्या कोई जातक खुद से काल स्पर्श दोष की पूजा घर या मंदिर मै कर सकता है ❓  🔱 कालसर्प/कालस्पर्श दोष अगर किसी की कुण्डली में हो तो ज़रूरी नहीं कि हर किसी को बहुत भारी संकट ही देगा। असर जन्मकुण्डली की स्थिति, ग्रहों की दृष्टि और दशा-अन्तर्दशा पर निर्भर करता है। यदि कोई व्यक्ति आर्थिक रूप से महंगी पूजा नहीं करा सकता तो घर में या नजदीकी मंदिर में साधारण उपाय कर सकता है। शांति का सबसे मुख्य उद्देश्य मन को स्थिर करना, श्रद्धा रखना और ग्रहों को प्रसन्न करना है, न कि केवल बड़े-बड़े खर्चे करना। सरल उपाय (जो कोई भी कर सकता है): 1. रोज़ भगवान शिव का जलाभिषेक करें – घर में ही जल में थोड़ा दूध या गंगाजल मिलाकर "ॐ नमः शिवाय" का जाप करते हुए शिवलिंग पर चढ़ाएं। 2. राहु और केतु के लिए मंत्र जाप – राहु मंत्र: "ॐ रां राहवे नमः" (108 बार रोज़) केतु मंत्र: "ॐ कें केतवे नमः" (108 बार रोज़) 3. नाग पंचमी या संकष्ट चतुर्थी जैसे दिनों पर व्रत रखें और नाग-देवता या गणेश जी की पूजा करें। 4. तिल का तेल दीपक शनिवार और मंगलवार को पीपल या हनुमान जी के सामने जलाएं। 5. गरीबों को दान – काला ति...

ऐसे बनता है शनि का पाया, जानें स्थिति कब होती है शुभ

ऐसे बनता है शनि का पाया, जानें स्थिति कब होती है शुभ ● पाया” का अर्थ हिंदी में स्तंभ होता है, किसी व्यक्ति की जन्म राशि और चंद्रकुंडली के आधार पर, शनि की स्थिति के अनुसार पाया तय होता है, शनि का पाया निर्धारण चंद्रमा और शनि की स्थिति के आधार पर किया जाता है, और यह दर्शाता है कि जन्म के समय शनि किस भाव में स्थित था। ● ज्योतिष के अनुसार, शनि का पाया चार प्रकार का होता है, शनि के पाया के प्रकार और उनके प्रभाव निम्नलिखित हैं। ● स्वर्ण (सोना) का पाया - यदि शनि, जन्म राशि (चंद्रकुंडली) से 1, 6 या 11वें भाव में स्थित हो, तो इसे सोने का पाया कहा जाता है, यह पाया शुभ माना जाता है और व्यापार, नौकरी तथा जीवन में उन्नति लाता है हालांकि, परिणाम पूरी तरह सकारात्मक नहीं होते कुछ स्थितियों में मिलाजुला असर भी दे सकता है। ● चांदी का पाया - जब शनि 2, 5 या 9वें भाव में स्थित हो, तो यह चांदी का पाया कहलाता है, यह स्थिति बहुत शुभ मानी जाती है, व्यक्ति को धन लाभ, स्थिर आय और उच्च जीवनशैली प्राप्त होती है। ● तांबे का पाया - यदि शनि 3, 7 या 10वें भाव में हो, तो इसे तांबे का पाया कहते हैं, यह पाया सामान्य परिण...

जन्म कुंडली मे सबसे ज्यादा जिक्र और फिक्र 8वे भाव और 12वे भाव

👉जन्म कुंडली मे सबसे ज्यादा जिक्र और फिक्र 8वे भाव और 12वे भाव की होती है क्यूंकि ये सबसे बड़ा रोल अदा करते है, अब 8वा भाव जन्म, आयु, मृत्यु का है इसको पताल लोक भी बोलते है मतलब की गर्भ मे छुपा हुआ जातक की आयु, कस्ट, और मृत्यु का आकलन जिसके सिर्फ अनुमान लग भी जाते है और नहीं भी,जातक के साथ कौन सी घटना कब घटनी है इस भाव के स्वामी की स्थति और नछत्र की स्थति की गड़ना से है, इसका सीधा सम्बन्ध देखे तो 12वे भाव से है जो वेय स्थान है इन दोनों भाव पति व राशि स्वामी ज़ब एक दूसरे से षडाष्टक होंगे तो स्वास्थ्य हानि, कर्म हानि, धन हानि यानी की वेय होगा अब यदि राहु 12 मे है जोकि अधिक परेशान यही पर करता है तोह राहु क्या है आपके मन मे पल रही इच्छाये है की ऐसा करूंगा ओ होगा इतना वहां से निकलूंगा तब दूसरे को दूंगा मतलब की इच्छा की सीमा नहीं है राहु की और ये स्थान खर्च का है वेय जिसे बोलते है तोह यहाँ सिर्फ इच्छाओ का वेय होगा हासिल कुछ नी मतलब मन मे आया प्रयास किया हाथ मे कुछ नी जो भी दुसरो से धन लिया किसी को देने लिए उसको मन मे आयी नयी इच्छा के लिए खर्च कर दी समस्या वही की वही खड़ी है मतलब जिसको देने के ल...

कलयुग मैं भाग्य बदलने के अचूक वैदिक उपाय दुर्भाग्य से सौभाग्य तक कैसे और क्या करे??

कलयुग मैं भाग्य बदलने के अचूक वैदिक उपाय दुर्भाग्य से सौभाग्य तक कैसे और क्या करे?? ::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::::: यदि आप सच मै परेशान है तो करो ,आलस न करो, होता क्या है लोग पढ़ लेते है पर टाइम की कमी या आलस या कोई और रीजन से करते नहीं है और भाग्य को कोसते रहते है ऐसा न करे, करके देखिए लाभ मिलेगा पूर्ण आस्था से ।। कलियुग में जीवन संघर्षमय हो गया है। कई बार मेहनत करने के बाद भी सफलता नहीं मिलती, धन आते-आते रुक जाता है, विवाह में बाधाएँ आती हैं, और पारिवारिक जीवन में शांति भंग हो जाती है। लेकिन शास्त्रों में बताया गया है कि भाग्य को बदला जा सकता है!  श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं: सुखदुःखे समे कृत्वा लाभालाभौ जयाजयौ। ततो युद्धाय युज्यस्व नैवं पापमवाप्स्यसि।। अर्थात् सुख-दुःख, लाभ-हानि और जय-पराजय को समान मानकर कर्म करो, यही धर्म है और यही भाग्य निर्माण का मार्ग है। लेकिन, सिर्फ कर्म करने से ही भाग्य नहीं बदलता, जब तक हम आध्यात्मिक और वैदिक उपायों को अपने जीवन में लागू नहीं करते। तो आइए जानते हैं वे अद्भुत उपाय, जो कलियुग ...

श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा एवं विधि

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श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत कथा एवं विधि 〰️〰️🌸〰️〰️🌸🌸〰️〰️🌸〰️〰️ जन्माष्टमी का त्यौहार श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। मथुरा नगरी में असुरराज कंस के कारागृह में देवकी की आठवीं संतान के रूप में भगवान श्रीकृष्ण भाद्रपद कृष्णपक्ष की अष्टमी को पैदा हुए। उनके जन्म के समय अर्धरात्रि (आधी रात) थी, चन्द्रमा उदय हो रहा था और उस समय रोहिणी नक्षत्र भी था। इसलिए इस दिन को प्रतिवर्ष कृष्ण जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। श्री कृष्ण जन्माष्टमी व्रत विधि 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 1.  इस व्रत में अष्टमी के उपवास से पूजन और नवमी के पारणा से व्रत की पूर्ति होती है। 2.  इस व्रत को करने वाले को चाहिए कि व्रत से एक दिन पूर्व (सप्तमी को) हल्का तथा सात्विक भोजन करें। रात्रि को स्त्री संग से वंचित रहें और सभी ओर से मन और इंद्रियों को काबू में रखें। 3.  उपवास वाले दिन प्रातः स्नानादि से निवृत होकर सभी देवताओं को नमस्कार करके पूर्व या उत्तर को मुख करके बैठें। 4. मध्याह्न के समय काले तिलों के जल से स्नान कर देवकीजी के लिए 'सूतिकागृह' नियत करें। तत्पश्चात भगवान श्रीकृष्ण की...

shri krishna names

श्री कृष्ण जी के 51 नाम और उन के अर्थ 1 कृष्ण सब को अपनी ओर आकर्षित करने वाला.। 2 गिरिधर गिरी: पर्वत ,धर: धारण करने वाला। अर्थात गोवर्धन पर्वत को उठाने वाले। 3 मुरलीधर मुरली को धारण करने वाले। 4 पीताम्बर धारी पीत पिला, अम्बर:वस्त्र। जिस ने पिले वस्त्रों को धारण किया हुआ है। 5 मधुसूदन मधु नामक दैत्य को मारने वाले। 6 यशोदा या देवकी नंदन यशोदा और देवकी को खुश करने वाला पुत्र। 7 गोपाल गौओं का या पृथ्वी का पालन करने वाला। 8 गोविन्द गौओं का रक्षक। 9 आनंद कंद आनंद की राशि देंने वाला। 10 कुञ्ज बिहारी कुंज नामक गली में विहार करने वाला। 11 चक्रधारी जिस ने सुदर्शन चक्र या ज्ञान चक्र या शक्ति चक्र को धारण किया हुआ है। 12 श्याम सांवले रंग वाला। 13 माधव माया के पति। 14 मुरारी मुर नामक दैत्य के शत्रु। 15 असुरारी असुरों के शत्रु। 16 बनवारी वनो में विहार करने वाले। 17 मुकुंद जिन के पास निधियाँ है। 18 योगीश्वर योगियों के ईश्वर या मालिक। 19 गोपेश गोपियों के मालिक। 20 हरि : दुःखों का हरण करने वाले। 21 मदन सूंदर। 22 मनोहर मन का हरण करने वाले। 23 मोहन सम्मोहित करने वाले। 24 जगदीश जगत के मालिक। 25 पालनहार सब...

कर्ज

||#बहुत_कर्ज_है_कब_तक_उतरेगा_और_उपाय?||                   कर्ज(ऋण) कई तरह के होते है यहां बात करनी आर्थिक कर्ज की, रुपये पैसे की।कई जातक धन की कमी या धन सेविंग के कारण या मकान बनाने के कारण या किसी अन्य काम को पूरा करने के लिए जो पैसे से होता है उसके लिए बैंक, आर्थिक सरकारी संस्थाओं, या कही से आदि से कर्ज ले लेते है।अब कर्ज ले लेने के बाद क्या वह उतर पायेगा और क्या जिस काम के लिए कर्ज लिया गया है वह हो पायेगा और कर्ज से मुक्ति मिल पाएगी इसके क्या ग्रह योग होते है? अब उस पर बात करते है।।                                                                             जन्मकुंडली का छठा भाव कर्ज और दूसरा भाव धन का होता है।कर्ज लेकर आसानी से उतर सके और कर्ज से पूरी तरह मुक्ति मिले इसके लिए छठे भाव इस भाव के स्वामी और वर्तमान और भविष्य में चलने वाली दशाओ क...

लक्ष्मी स्तोत्र

॥श्री लक्ष्मी सूक्तम्‌॥ लक्ष्मी स्तोत्र कमल पुष्प पर विराजमान लक्ष्मी देवी का प्रमुख लक्ष्मी सूक्तम् जो क्रोध, लोभ, काम वृत्ति से मुक्ति दिला कर धान्य, धन, सुख-ऐश्वर्य की प्राप्ति दिलाता है। प्रस्तुत हैं बहुउपयोगी संस्कृत का हिन्दी में अनुवाद सहित स्तोत्र :-  श्री लक्ष्मी सूक्तम्‌ स्तोत्र  पद्मानने पद्मिनि पद्मपत्रे पद्मप्रिये पद्मदलायताक्षि। विश्वप्रिये विश्वमनोऽनुकूले त्वत्पादपद्मं मयि सन्निधत्स्व॥ - हे लक्ष्मी देवी! आप कमलमुखी, कमल पुष्प पर विराजमान, कमल-दल के समान नेत्रों वाली, कमल पुष्पों को पसंद करने वाली हैं। सृष्टि के सभी जीव आपकी कृपा की कामना करते हैं। आप सबको मनोनुकूल फल देने वाली हैं। हे देवी! आपके चरण-कमल सदैव मेरे हृदय में स्थित हों। पद्मानने पद्मऊरू पद्माक्षी पद्मसम्भवे। तन्मे भजसिं पद्माक्षि येन सौख्यं लभाम्यहम्‌॥ - हे लक्ष्मी देवी! आपका श्रीमुख, ऊरु भाग, नेत्र आदि कमल के समान हैं। आपकी उत्पत्ति कमल से हुई है। हे कमलनयनी! मैं आपका स्मरण करता हूं, आप मुझ पर कृपा करें। अश्वदायी गोदायी धनदायी महाधने। धनं मे जुष तां देवि सर्वांकामांश्च देहि मे॥ - हे देवी! अश्व, गौ,...

गुरु ग्रह .

गुरु ग्रह एक परिचय 〰️〰️🌼🌼〰️〰️ गुरु(बृहस्पति)👉 सत्वगुण प्रधान, दीर्घ और स्थूल शरीर, कफ प्रकृति, पीट वर्ण किंतु नेत्र और शरीर के बाल कुछ भूरा पन लिए हुए, गोल आकृति, आकाश तत्त्व प्रधान, बड़ा पेट, ईशान (पूर्वोत्तर) दिशा का स्वामी शंख के समान गंभीर वाणी, स्थिर प्रकृति, ब्राह्मण एवं पुरुष जाती,  तथा धर्म (आध्यात्म विद्या) का अधिष्ठाता होने से इन्हें देवताओ का गुरु माना जाता है। देवता ब्रह्मा तथा अधिदेवता इंद्र है। ये मीठे रस एवं हेमंत ऋतू के अधिष्ठाता है। गुरु धनु एवं मीन राशियों के स्वामी है। ये कर्क राशि के 5 अंश पर उच्च के तथा मकर राशि के 5 अंश पर नीच के माने जाते है। गुरु बृहस्पति राशि चक्र की एक राशि में 13 महीनो में पूरा चक्र लगा लेते है। गुरु से प्रभावित कुंडली के जातक के 16, 22, एवं 40 वे वर्ष में विशेष प्रभावकारी होते है। गुरु को 2, 5, 9, 10 एवं 11 वे भाव का कारक माना जाता है। गुरु के पर्यायवाची👉 देवगुरु, बृहस्पति, वाचस्पति, मंत्री, अंगिरा, अंगिरस, जीव आदि। कारकत्वादि👉 विवेक-बुद्धि, आध्यात्मिक व् शास्त्रज्ञान, विद्या, पारलौकिकता, धन, न्याय, पति का सुख(स्त्री की कुंडली में), ...

धन की प्राप्ति के लिए

धन की प्राप्ति के लिए (1) सोमवार को शिव-मंदिर में जाकर दूध मिश्रित जल शिवलिंग पर चढ़ाएं तथा रूद्राक्ष की माला से 'ऊँ सोमेश्वराय नम:' का 108 बार जप करें। साथ ही पूर्णिमा को जल में दूध मिला कर चन्द्रमा को अध्र्य देकर व्यवसाय में उन्नति की प्रार्थना करें, तुरन्त ही असर दिखाई देगा। (2) यदि बेहद कोशिशों के बाद भी घर में पैसा नहीं रूकता है तो एक छोटा सा उपाय करें। सोमवार या शनिवार को थोड़े से गेहूं में 11 पत्ते तुलसी तथा 2 दाने केसर के डाल कर पिसवा लें। बाद में इस आटे को पूरे आटे में मिला लें। घर में बरकत रहेगी और लक्ष्मी दिन दूना रात चौगुना बढऩे लगेगी। (3) घर में लक्ष्मी के स्थाई वास के लिए एक लोहे के बर्तन में जल, चीनी, दूध व घी मिला लें। इसे पीपल के पेड़ की छाया के नीचे खड़े होकर पीपल की जड़ में डाले। इससे घर में लक्ष्मी का स्थाई वास होता है। (4) घर में सुख-समृद्धि लाने के लिए एक मिट्टी के सुंदर से बर्तन में कुछ सोने-चांदी के सिक्के लाल कपड़े में बांधकर रखें। इसके बाद बर्तन को गेहूं या चावल के भर कर घर के वायव्य (उत्तर-पश्चिम) कोने में रख दें। ऐसा करने से घर में धन का कभी कोई अभाव...

चंद्र से बनने वाले योग

चंद्र से बनने वाले योग 1- मंगल और चंद्र की युति हो या दृष्टि संबंध हो तो लक्ष्मी योग बनता है इसमें व्यक्ति को  धन संपत्ति की प्राप्ति होती है कुंडली में मंगल और चंद्रमा का एक साथ होना, विशेष रूप से द्वितीय, नवम, दशम या एकादश भाव में, महालक्ष्मी योग बनाता है   चंद्रमा और बृहस्पति का युति या दृष्टि संबंध हो तो गज केसरी योग होता है उसको राजा के समान ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है यह योग व्यक्ति को करियर में सफलता, धन, समृद्धि, मान-सम्मान और सुखी जीवन प्रदान करता है।  चंद्रमा शनि की युति या दृष्टि संबंध हो शनि का योग हो तो विष यौग होता बनता है जिसकी वजह से आदमी को जिंदगी में धन की परेशानी मेंटल टेंशन मानसिक तनाव और ससुराल पद से भी तनाव होता  है विष योग क्योंकि शनि की नकारात्मकता चंद्रमा के सकारात्मक गुणों को प्रभावित करती है, जिससे जीवन में उदासी, निराशा और मानसिक अशांति आ सकती है।  चंद्र राहु की युति या दृष्टि संबंध ग्रहण योग मानसिक स्थिति कमजोर होना नींद की समस्या होना भी आता है इसी तरह चंद्र केतु का योग ग्रहण योग कहलाता है इसी तरह का फल प्रदान करता है बेतुके...

कन्या विवाह विवाह संबंधित शंका समाधान

ज्योतिष चर्चा 〰️〰️🔸〰️〰️ कन्या विवाह विवाह संबंधित शंका समाधान 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ विवाह कहां होगा  〰️〰️〰️〰️〰️ माता-पिता अपनी कन्या का विवाह करने के लिए वर की कुंडली का गुण मिलान करते हैं। कन्या के भविष्य के प्रति चिंतित माता-पिता का यह कदम उचित है। किंतु, इसके पूर्व उन्हें यह देखना चाहिए कि लड़की का विवाह किस उम्र में, किस दिशा में तथा कैसे घर में होगा? उसका पति किस वर्ण का, किस सामाजिक स्तर का तथा कितने भाई-बहनों वाला होगा? लड़की की जन्म लग्न कुंडली से उसके होने वाले पति एवं ससुराल के विषय में सब कुछ स्पष्टतः पता चल सकता है। ज्योतिष विज्ञान में फलित शास्त्र के अनुसार लड़की की जन्म लग्न कुंडली में लग्न से सप्तम भाव उसके जीवन, पति, दाम्पत्य जीवन तथा वैवाहिक संबंधों का भाव है। इस भाव से उसके होने वाले पति का कद, रंग, रूप, चरित्र, स्वभाव, आर्थिक स्थिति, व्यवसाय या कार्यक्षेत्र, परिवार से संबंध कि आदि की जानकारी प्राप्त की जा सकती है। यहां सप्तम भाव के आधार पर कन्या के विवाह से संबंधित विभिन्न तथ्यों का विश्लेषण प्रस्तुत है। ससुराल की दूरी: 〰️〰️〰️〰️〰️ सप्तम भाव में अगर वृष, सि...

ऋणी मुक्ति उपाय

ऋण मुक्ति के सरल उपाय 1.  मंगल एवं शुक्रवार के दिन प्रातः काल में कच्चे आटे की लोई में गुड भरकर पानी में बहायें। 2. पीली कौड़ी और हार सिंगार की जड़ को रोली, अक्षत, पुष्प, धूप, दीप से पूजन करके धारण करें, या अपने पास रखें तो ऋण से मुक्ति प्राप्त होगी। 3. सफ़ेद कपड़े में पांच गुलाब के फूल, चांदी का टुकड़ा, चावल और गुड, सफ़ेद कपड़े में रखकर 11 माला गायत्री मन्त्र का जप करें इसके बाद मन में।मोनोकामना बोलते हुए बहते जल में प्रवाहित करें। 4. केले के पेड़ की जड़ में रोली, चावल, फूल और जल अर्पित करें और नवमी वाले दिन केले के पेड़ की थोड़ी सी जड़ तिजोरी में रखें कर्ज से मुक्ति होगी नवरात्रि में यह उपाय अधिक लाभदायी रहेगा। 5. मंगल एवं गुरुवार को कर्ज ना ले मंगल एवं गुरूवार को चुका सकते है। 6. कर्जे से मुक्ति प्राप्त करने के लिए व्यक्ति सफेद वस्त्र, लाल वस्त्र पहनें या लाल रूमाल साथ रखें। भोजन में शक्कर की जगह गुड़ का उपयोग करें गन्ने का रस माँ त्रिपुर सुंदरी को भोग लगा कर प्रसाद स्वरूप पिए धन लाभ होगा कर्ज में कमी आएगी। 7. किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार को शिवलिंग पर दूध व जल के ...