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Showing posts from June, 2020

मोती

🚩सनातन वैदिक ज्ञान 🚩 🌊मोती (Pearl )🌊 ✍️मोती रत्न को अंग्रजी में पर्ल कहते हैं। यह चंद्रमा का रत्‍न है इसलिए इसे चंद्रमा संबंधी दोषों के निवारण के लिए पहनते हैं। ✍️ पुराने समय से ही मोती का उपयोग विभिन्‍न प्रयोजनों में किया जाता होगा इसलिए इसका वर्णन ऋगवेद में भी मिलता है। ✍️प्राचीन ग्रंथो के अनुसार शुद्ध मोती तारे के जैसे चमकता है। ज्‍योतिष में एकदम गोल मोती को सबसे श्रेष्‍ठ मानते हैं। इसमें न तो कोई रेखा होती हैं और न ही इन पर किसी किए हुए काम के निशान होते हैं। यह ज्ञान को बढ़ाने वाला व धन प्रदान करने वाला रत्‍न है। चंद्रमा का रत्‍न व्‍यक्ति के व्‍यवहार को शांत करता है। निर्बलता को दूर कर चेहरे पर कांति लाता है। ✍️यह चंद्रमा का रत्‍न है इसलिए जिसकी जन्‍मकुंडली में चंद्रमा क्षीण, दुर्बल या पीडि़त हो उन्‍हें मोती अवश्‍य धारण करना चाहिए।  ✍️यदि जन्‍मकुंडली में सूर्य के साथ चंद्रमा उपस्थित हो तो वह क्षीण होता है। इसके अलावा सूर्य से अगली पांच राशियों के पहले स्थित होने पर भी चंद्रमा क्षीण होता है। ऐसी स्थिति में Moti धारण करना चाहिए। ✍️केंद्र में चंद्रमा हो तो उसे कम प्रभाव वाला या अ

rahu

Lets talk about rahu mahasabha, For each mahadasha, the dasha lord is taken into consideration. For example Rahu Mahadasha, the placement of planet rahu is important.. The effects are mahadasha is determined with the placement of dasha lord in its own sign, friendly sign, exalted or debilitated.rahu mahasabha takes 18years. The aspect the dasha lord with other planets. It can be conjunction, square, opposition, benefic and malefic aspect by other planet, or mutually aspecting with other planet like parivarthana. Rahu is a evil planet and also doesn't have house.It bring result of the planets where it places in the birth chart. For example; if the planet Rahu is posited in the house of Saturn, then it will bring the result of Saturn.for come to any conclusion aspects of the rahu should also be considered. Rahu is debilitated in Scorpio and Sagittarius so it gives bad result but in tauras and Gemini it's exalted so it produce good result here.in 3th,6th,and 10th house rahu gives

रसोई घर के डिब्बे

हमारे रसोईघर के डब्बों में बन्द है  सभी ग्रहों का इलाज  नौ मसाले कौन कौन  से है और ये किस प्रकार ग्रहों का प्रतिनिधित्व करते है व इनके पीछे छिपी वैज्ञानिकता क्या है  ? 🍚1. नमक (पिसा हुआ) सूर्य 🌶2. लाल मिर्च (पिसी हुई) मंगल 🧀3. हल्दी,  (पिसी हुई ) गुरु 🌯4. जीरा (साबुत या पिसा हुआ) राहु केतु 🌯5. धनिया,  (पिसा हुआ) बुध 🌚6. काली मिर्च (साबुत या पाउडर) शनि 🥗7. अमचूर, (पिसा हुआ) केतु 🍲8. गर्म मसाला, (पिसा हुआ) राहु 🍲9. मेथी,,,,,,,,,,,.     मंगल....    👉मसाले के सेवन से अपने   स्वास्थ्य और ग्रहो को ठीक करे               👇👇👇 🥙 भारतीय रसोई में मिलने वाले मसाले सेहत के लिए तो अच्छे होते ही है ,पर साथ में उन के सेवन से हमारे ग्रह भी अच्छे होते है          🥙सौंफ🥙 सौंफ का जिक्र हम पहले भी कर चुके है की सौंफ खाने से हमारा शुक्र और चंद्र अच्छा होता है 🥙 इसे मिश्री के साथ ले या उस के बिना भी ले खाने के बाद , एसिडिटि और जी मिचलाने जैसी समस्या कम होने लगेंगी 🥙 सौंफ को गुड के साथ सेवन करें जब आप घर से किसी काम के लिए निकाल रहे हो , इस से आप का मंगल ग्रह आप का  पूरा काम करने में साथ देता

Saptarishi and their contributions to the world

♦️Saptarishi and their contributions to the world♦️ Saptarishi are the seven greatest sages of the Vedic realm. They have attained a semi-immortal status, that of an exceedingly long lifespan due to their yogic power and by the power of their penance. The seven holy sages were assigned to be present through the four great ages, to guide the human race. These seven sages or Sapta Rishis worked closely with Lord Shiva to maintain the balance on Earth. They are the seven mind-born sons of Brahma who live for a period of time known as a manvantara (306,720,000 Earth Years). During this period of time, they serve as representatives of Brahma and at the end of a manvantara, the universe gets destroyed and Saptarishi merge in God and the task of filling the Earth is given to newly appointed Saptarishi. All the Saptarishi are Brahmarishis which means they have completely understood the meaning of Brahman. Usually, one cannot rise to the level of a Brahmarishi through merit alone, since the ord

गुरु राहु

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|#गुरु_चांडाल_योग_किस_तरह_के_फल_देगा?|                                      गुरु चांडाल योग मतलब गुरु के साथ राहु या केतु का बैठना गुरु चांडाल योग बनाता है।गुरु के ऊपर नैसर्गिक पाप ग्रहों राहु केतु जैसे ग्रहो असर होने से राहु में भी थोड़ा पापत्व आ जाता है।अब गुरु चांडाल योग राजयोग, शुभ फल भी दे सकता है और बेहद अशुभ फल भी।यह दब निर्भर करेगा गुरु के साथ राहु या केतु का संबंध बन किस तरह का रहा है।इसी पर बात करते है जिन जातको की कुंडली मे गुरु चांडाल योग है उन्हें क्या यह शुभ फल देगा या अशुभ, सामान्य भाषा मे कहू तो जब राहु केतु के साथ गुरु शुभ स्थिति में बेठा होगा साथ ही गुरु की धनु या मीन राशि पर राहु या केतु का अशुभ प्रभाव नही होगा तब यह शुभ फल देगा, इसके विपरीत अशुभ फल देगा।अब इसे और आसान तरह से समझने के लिए उदाहरणो से समझते है।।                                                                                                        #उदाहरण:- सिंह लग्न अनुसार, सिंह लग्न की कुंडली मे गुरु 5वे भाव का स्वामी होने से कारक बनकर कुंडली का शुभ हो जाता है, अब गुरु की स्थिति यहाँ राहु क

अदरक

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आयुर्वेद के अनुसार अदरक के उपयोग  ☕🍵 अदरक एक ऐसी औषधि है, जो खाने में स्वाद बढ़ाने के साथ ही कई बीमारियों से दूर रखने में भी काफी मददगार है। ऐसे में आइए जानते हैं बदलते मौसम में आपके पेट को दुरुस्त रखने के अलावा अदरक सेहत के लिए कैसे वरदान है।  पेट के रोगों को ठीक करें अदरक- भोजन पचने में दिक्कत आए तो अदरक को पीसकर इसके रस को घी या शहद के साथ लेना चाहिए। कई बार भोजन ठीक से न पचने पर पेट में गैस के कारण पेट व सीने में दर्द, भारीपन, ऐंठन, एसिडिटी और दस्त जैसी समस्या हो जाती है। अदरक के सेवन से पाचन क्रिया ठीक होती है। अदरक, काली मिर्च और छोटी पीपली का चूर्ण बराबर भाग में मिलाकर दो ग्राम मात्रा में पुराने गुड़ के साथ मिलाएं। इसके सेवन से फेफड़ों और पेट के रोगों के उपचार में लाभ होता है। भोजन से पहले यदि अदरक का सेवन सेंधा नमक के साथ किया जाए, तो भूख भी बढ़ती है। सिरदर्द में राहत दिलाए- सिरदर्द होने पर अदरक के चूर्ण या इसके रस को गर्म पानी में मिलाकर हल्दी के साथ सिर पर इसका लेप करने से लाभ मिलता है। सर्दी के मौसम में पेट या दांत में दर्द होने पर अदरक को चबाकर खाने से

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जिस औरत ने भी इसे लिखा है कमाल लिखा है.👌👌 -  मुझे अच्छा लगता है मर्द से मुकाबला ना करना और उस से एक दर्जा कमज़ोर रहना -  मुझे अच्छा लगता है जब कहीं बाहर जाते हुए वह मुझ से कहता है "रुको! मैं तुम्हे ले जाता हूँ या मैं भी तुम्हारे साथ चलता हूँ "  मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझ से एक कदम आगे चलता है - गैर महफूज़ और खतरनाक रास्ते पर उसके पीछे पीछे उसके छोड़े हुए क़दमों के निशान पर चलते हुए एहसास होता है उसे मेरा ख्याल खुद से ज्यादा है,  मुझे अच्छा लगता है जब गहराई से ऊपर चढ़ते और ऊंचाई से ढलान की तरफ जाते हुए वह मुड़ मुड़ कर मुझे चढ़ने और उतरने में मदद देने के लिए बार बार अपना हाथ बढ़ाता है -  मुझे अच्छा लगता है जब किसी सफर पर जाते और वापस आते हुए सामान का सारा बोझ वह अपने दोनों कंधों और सर पर बिना हिचक किये खुद ही बढ़ कर उठा लेता है - और अक्सर वज़नी चीजों को दूसरी जगह रखते वक़्त उसका यह कहना कि "तुम छोड़ दो यह मेरा काम है "    मुझे अच्छा लगता है जब वह मेरी वजह से सर्द मौसम में सवारी गाड़ी का इंतज़ार करने के लिए खुद स्टेशन पे इंतजार करता है -  मुझे अच्छा लगता है जब वह मुझे ज़रूरत की ह

vastu

[1] मुख्य द्वार के पास कभी भी कूड़ादान ना रखें इससे पड़ोसी शत्रु हो जायेंगे | [२] सूर्यास्त के समय किसी को भी दूध,दही या प्याज माँगने पर ना दें इससे घर की बरक्कत समाप्त हो जाती है | [३] छत पर कभी भी अनाज या बिस्तर ना धोएं..हाँ सुखा सकते है इससे ससुराल से सम्बन्ध खराब होने लगते हैं | [४] फल खूब खाओ स्वास्थ्य के लिए अच्छे है लेकिन उसके छिलके कूडादान में ना डालें वल्कि बाहर फेंकें इससे मित्रों से लाभ होगा | [५] माह में एक बार किसी भी दिन घर में मिश्री युक्त खीर जरुर बनाकर परिवार सहित एक साथ खाएं अर्थात जब पूरा परिवार घर में इकट्ठा हो उसी समय खीर खाएं तो माँ लक्ष्मी की जल्दी कृपा होती है | [६] माह में एक बार अपने कार्यालय में भी कुछ मिष्ठान जरुर ले जाएँ उसे अपने साथियों के साथ या अपने अधीन नौकरों के साथ मिलकर खाए तो धन लाभ होगा | [७] रात्री में सोने से पहले रसोई में बाल्टी भरकर रखें इससे क़र्ज़ से शीघ्र मुक्ति मिलती है और यदि बाथरूम में बाल्टी भरकर रखेंगे तो जीवन में उन्नति के मार्ग में बाधा नही आवेगी | [८] वृहस्पतिवार के दिन घर में कोई भी पीली वस्तु अवश्य खाएं हरी वस्तु ना खाएं तथा बुधवार

सूर्य ग्रहण

सूर्य ग्रहण में क्या ना करें– 1. सूर्य ग्रहण के दौरान शुभ या नया कार्य नहीं करना चाहिए। 2. ग्रहण काल में भोजन पकाना या भोजन नहीं खाना चाहिए। यदि आपने भोजन किया तो जितने अन्न के दाने खाता है, उतने वर्षों तक नरक में वास कर पड़ता है। बूढ़े, बालक और रोगी एक प्रहर पूर्व खा सकते हैं। 3. मान्यताओ के अनुसार गर्भवती महिला हो कुछ सब्जी काटना, कपडे सिलना या पिलना नहीं चाहिए, इससे होने वाले बच्चे के शारीरक दोष होने के संभावना होती हैं। 4. ग्रहण के समय तेल लगाना, जल पीना, केश बनाना, संभोग करना, मंजन करना, वस्त्र नीचोड़ना, ताला खोलना आदि वर्जित हैं। 5 . ग्रहण के दौरान सोने नहीं चाहिए ऐसे करने से व्यक्ति रोगी होता है। मालिश या उबटन लगाने से कुष्ठ रोग और स्त्री प्रसंग से अगले जन्म में सूअर की योनि मिलती है। 6. ग्रहण के दिन पत्ते, लकड़ी और फूल नहीं तोड़ना चाहिए सूर्य ग्रहण में क्या करें- 1. ग्रहण समाप्त हो जाने पर स्नान करके उचित व्यक्ति को दान करने का विधान है। 2. ग्रहण के समय गुरुमंत्र, इष्टमंत्र अथवा भगवन्नाम जप अवश्य करें, न करने से मंत्र को मलिनता प्राप्त होती है। 3. ग्रहण के बाद पुराना पानी और अन्

moong daal pakode

#शनिवार #स्पेशल #रेसिपी #पोस्ट #में #हम #आपके #लिए #लाए #है    #मूंग #दाल #की #पकौड़ी 😋😋 ============= सामग्री:- एक छोटी कटोरी मूंग दाल एक बड़ा चम्मच लहसुन-अदरक का पेस्ट दो हरी मिर्च बारीक कटी हुई आधा छोटा चम्मच लाल मिर्च पाउडर आधा कप हरा धनिया बारीक कटा चुटकी भर हींग एक छोटा चम्मच गरम मसाला पाउडर नमक स्वादानुसार तेल जरूरत के अनुसार विधि:- सब से पहले मूंग दाल को साफ करके धो लें और इसे एक बर्तन में 7 से 8 घंटे के लिए पानी में भिगो कर रख दें. तय समय के बाद पानी निकाल कर मूंग दाल को अच्छे से पीस लें.  ध्यान रखें कि दाल का पेस्ट गाढ़ा हो. अब दाल के पेस्ट में हींग,  लाल मिर्च पाउडर,  गरम मसाला पाउडर, अदरक-लहसुन का पेस्ट,  हरी मिर्च,  हरा धनिया और नमक डालकर मिक्स कर लें. मीडियम आंच में एक पैन में तेल गरम करें. तेल के गरम होते ही दाल का मिश्रण लेकर गोलाकार में पकौड़े बनाते हुए तेल में डालें और सुनहरा होने तक तल लें. सभी पकौड़ों के तलने के बाद आंच बंद कर दें.  तैयार है मूंग दाल की पकौड़ी हरे धनिये की चटनी के साथ सर्व करें.

tips cooking

#शनिवार #स्पेशल #रेसिपी #पोस्ट #में #हम #लेकर #आए #हैं 🌹🌹#रसदार #जलेबी🌹🌹😋😋 ================= विधि:- - चाशनी बनाते वक्त पैन में केसर के साथ नींबू के एक छोटे टुकड़े को हल्का सा निचोड़ कर छिलके के साथ ही डाल दें.  - जलेबियों के लिए एक तार की चाशनी बनाएं.   - चाशनी के तैयार हो जाने के बाद नींबू के टुकड़े को निकाल दें.   - जलेबियां बनाने के लिए कॉर्न फ्लोर और उड़द दाल पाउडर को पानी के साथ कम से कम 10 से 15 मिनट तक अच्छे से फेंटते रहें.    - तलने के लिए तेल इतना डालें कि जलेबियां पूरी तरह से डूब जाएं और करारी बन पाएं.   - आप पेस्ट को किसी पिचकने वाली बोतल में डालकर या फिर कपड़े में बांधकर जलेबियां तैयार कर सकते हैं.   - जलेबियों के फ्राई होते ही इन्हें तुरंत चाशनी में डालें और 2 से 3 मिनट बाद जरूर निकाल लें.

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*भक्त गरीब क्यों होते हैं ?* एक बार नारद जी ने भगवान से प्रश्न किया कि प्रभु आपके भक्त गरीब क्यों होते हैं ? . भगवान बोले - "नारद जी ! मेरी कृपा को समझना बड़ा कठिन है।" . इतना कहकर भगवान नारद के साथ साधु भेष में पृथ्वी पर पधारे और एक सेठ जी के घर भिक्षा मांगने के लिए दरवाजा खटखटाने लगे। . सेठ जी बिगड़ते हुए दरवाजे की तरफ आए और देखा तो दो साधु खड़े हैं। . भगवान बोले - "भैया ! बड़े जोरों की भूख लगी है। थोड़ा सा खाना मिल जाए।" . सेठ जी बिगड़कर बोले "तुम दोनों को शर्म नहीं आती। तुम्हारे बाप का माल है ? कर्म करके खाने में शर्म आती है, जाओ-जाओ किसी होटल में खाना मांगना।" . नारद जी बोले - "देखा प्रभु ! यह आपके भक्तों और आपका निरादर करने वाला सुखी प्राणी है। इसको अभी शाप दीजिये।" . नारद जी की बात सुनते ही भगवान ने उस सेठ को अधिक धन सम्पत्ति बढ़ाने वाला वरदान दे दिया। . इसके बाद भगवान नारद जी को लेकर एक बुढ़िया मैया के घर में गए। . जिसकी एक छोटी सी झोपड़ी थी, जिसमें एक गाय के अलावा और कुछ भी नहीं था। . जैसे ही भगवान ने भिक्षा के लिए आवाज लगायी, बुढ़िया मै

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ग्रह कुपित हो तो क्या करे? किसी का सूर्य कुपित हो या नीच का हो के बुरे परिणाम दे रहा हो तो आदमी को नमक कम खाना चाहिए , गुड़ जरूर खाए ,विटामिन डी जरूर ले , सूर्य यदि 11वे भाव में हो और मांसाहार शराब खाता हो तो संतान का सुख बेहद कठिनाई से मिलता 11 वे भाव का सूर्य संतान से रिलेशन ख़राब कर देगा ,सूर्य 11वे भाव में है और यदि ख़राब है तो संतान होने के बाद भी यदि ऐसा व्यक्ति शराब और मांसाहार का सेवन करे तो उसके संतान के साथ संबंध बहुत ख़राब हो जाते है और उसकी संतान उससे बहुत दूर चली जाती है ,खास तौर पे यदि आप मांस मदिरा इत्यादि का सेवन करते है तो आपको अपने पुत्र से वियोग झेलना पड़ेगा ,तली हुई वस्तुए नहीं खानी चाहिये वरना नुकसान होगा! चंद्रमा कुपित हो के बुरे परिणाम देने लगे तो कभी भूलकर भी मांसाहार मत लीजियेगा जल पिये विटामिन c जरूर ले ,चंद्रमा जब भी ख़राब होगा शरीर में जल की कमी कर देगा और बहुत नुकसान देगा ,ऐसे में चंद्रमा की महादशा भी शुरू हो जाये तो ठंडी वस्तुओ का प्रयोग एक दम बंद कर दे ,और फ्रिज की रखी हुई चीज़े जिसमे केला आता है ,चावल आता है ,दही आता है ऐसी वस्तुओ का प्रयोग आपको एकदम बंद

સ્ટોરી

ચરિત્રહીન વ્યક્તિ પર ભરોસો ન કરો. જે વ્યક્તિ પોતાના એક પ્રેમ અથવા એક જીવનસાથી અથવા પોતાની કાર્ય-ફરજ પ્રત્યે નિષ્ઠાવાન ન રહી શકે તે વ્યક્તિ તમારા પ્રત્યે અથવા રાષ્ટ્ર પ્રત્યે કદી વફાદાર ન રહી શકે.  ચરિત્રહીન વ્યક્તિ પશુથી પણ બદતર છે, માટે આવા વ્યક્તિઓથી દૂર રહો.  'ચરિત્ર' શબ્દને માત્ર શારીરિક સંબંધો પૂરતો સીમિત રાખવામાં આવે છે જે એક ભ્રાંતિ છે.  ચરિત્રવાન હોવું એટલે પોતાના જીવનસાથી પ્રત્યે, પોતાના  માતાપિતા પ્રત્યે, પોતાની કાર્ય-ફરજ પ્રત્યે વફાદાર હોવું, સમર્પિત હોવું.  કોઈ નમાલો વ્યક્તિ પોતાના જીવનસાથી પ્રત્યે વફાદાર હોય પણ બિઝનેસ માં પોતાના પાર્ટનરને અથવા ગ્રાહકને છેતરતો હોય તો એ ચરિત્રહીન છે.  આવી જાણીજોઈને કરેલી છેતરપીંડી અથવા પાપને ધોવા માટે પુણ્યકાર્ય કરતો મનુષ્ય તો સૌથી મોટો પાપી છે, ઢોંગી છે.  કરોડ રૂપિયાનું નુકસાન જતું હોય તો એ જતું કરીને પણ આવા ચારિત્રહીન લોકોથી દૂર રહો.  ચરિત્રહીન લોકોએ પોતાના નામ ઇતિહાસ માં અંકિત કર્યા છે પણ રાષ્ટ્રને, સમાજને અને પ્રકૃતિને ભયંકર નુકશાન કર્યું છે.  ચારિત્ર્યવાન બનો. ચરિત્રના સુસંસ્કાર તમારા બાળકોમાં સ્થાપિત કરો. ઈશ્વર શૈવનૈ શતબુધ્ધિ આ

स्टोरी

पिता-बेटी पापा मैंने आपके लिए हलवा बनाया है 11 साल की बेटी अपने पिता से बोली जो कि अभी office से घर आये ही थे! पिता वाह क्या बात है ला कर खिलाओ फिर पापा को बेटी दौड़ती रसोई में गई और बड़ा कटोरा भरकर हलवा लेकर आई.. पिता ने खाना शुरू किया और बेटी को देखा.. पिता की आँखों मे आँसू थे... -क्या हुआ पापा हलवा अच्छा नही लगा पिता- नही मेरी बेटी बहुत अच्छा बना है और देखते देखते पूरा कटोरा खाली कर दिया इतने में माँ बाथरूम से नहाकर बाहर आई और बोली- ला मुझे भी खिला तेरा हलवा पिता ने बेटी को 50 रु इनाम में दिए बेटी खुशी से मम्मी के लिए रसोई से हलवा लेकर आई मगर ये क्या जैसे ही उसने हलवा की पहली चम्मच मुंह मे डाली तो तुरंत थूक दिया और बोली- ये क्या बनाया है ये कोई हलवा है इसमें तो चीनी नही नमक भरा है और आप इसे कैसे खा गये ये तो जहर हैं मेरे बनाये खाने मे तो कभी नमक मिर्च कम है तेज है कहते रहते हो और बेटी को बजाय कुछ कहने के इनाम देते हो... पिता-(हंसते हुए)- पगली तेरा मेरा तो जीवन भर का साथ है रिश्ता है पति पत्नी का जिसमें नोक-झोंक रूठना मनाना सब चलता है मगर ये तो बेटी है कल चली जाएगी मगर आज इसे वो एहसास

एक साल ऐसा भी

*एक साल ऐसा भी -* ना अचारों की खुशबू, ना बर्फ की चुस्की, ना गन्ने का रस, ना मटके की कुल्फी, *एक साल ऐसा भी..* ना ऑरेंज की कैंडी, ना केरी की लौंजी ना सैर या चौपाटी, ना गोलगप्पों की गिनती *एक साल ऐसा भी..* ना शादियों के कार्ड, ना लिफाफों पर नाम  ना तीये का उठावना,ना दसवें की बैठक *एक साल ऐसा भी..* ना साड़ी की खरीदारी, ना मेकअप का सामान, ना जूतों की फरमाइश, ना गहनों की लिस्ट *एक साल ऐसा भी..* ना ट्रेन की टिकट, ना बस का किराया ना फ्लाइट की बुकिंग,ना टेक्सी का भाड़ा  *एक साल ऐसा भी..* ना नानी का घर,ना मामा की मस्ती ना मामी का प्यार, ना नाना का दुलार *एक साल ऐसा भी..* ना पिता का आंगन,ना माँ का स्वाद ना भाभी की मनुहार,ना भाई का उल्लास *एक साल ऐसा भी..* ना मंदिर की घंटी,ना पूजा की थाली ना भक्तों की कतार, ना भगवान का प्रसाद *एक साल ऐसा भी..* *सदा रहेगा इस साल का मलाल* *जीवन में फिर कभी न आये ऐसा साल* 🙏🙏🌹🌹💐💐🙏🙏

कहानी

प्रभु से संबंध बनाकर तो देखिए.......... एक बार की बात है । एक बच्चा था उसका कोई भी नहीं था । वह बहुत दुखी था । एक दिन वह एक संत के पास आश्रम में गया ।  संत जी से कहने लगा- बाबा आप सबका ख्याल रखते है , लेकिन मेरा इस दुनिया में कोई भी नहीं है ,  क्या मैं आपके आश्रम में रह सकता हुं? बालक की बात सुनकर संत बोले बेटा तेरा नाम क्या है ? उस बालक ने कहा मेरा कोई नाम नहीं है। तब संत जी ने उसका नाम रामदास रखा और आश्रम के सारे काम करने लगा ।  उन संत की आयु 80  साल की हो गई थी । एक दिन उन्हें तीर्थ यात्रा पर जाना पड़ा और अपने शिष्यों को बुलाकर कहते है,” मुझे तीर्थ यात्रा पर जाना है मेरे साथ कौन-कौन चलेगा और आश्रम में कौन रुकेगा ?” संत की बात सुनकर सारे शिष्य बोले की हम आपके साथ चलेंगे.!  क्योंकि उनको पता था की यहां आश्रम में रुकेंगे तो सारा काम करना पड़ेगा। इसलिये सभी बोले की हम तो आपके साथ तीर्थ यात्रा पर चलेंगे। अब संत सोचने लगे की किसे साथ लेकर जाये और किसे आश्रम में छोड़ कर जाये।  क्योकि अगर सभी साथ चल दिए तो आश्रम में काम कौन करेगा , आश्रम पर किसी का रुकना भी जरुरी था । बालक रामदास संत के पास आय

एक साल ऐसा भी

*एक साल ऐसा भी -* ना अचारों की खुशबू, ना बर्फ की चुस्की, ना गन्ने का रस, ना मटके की कुल्फी, *एक साल ऐसा भी..* ना ऑरेंज की कैंडी, ना केरी की लौंजी ना सैर या चौपाटी, ना गोलगप्पों की गिनती *एक साल ऐसा भी..* ना शादियों के कार्ड, ना लिफाफों पर नाम  ना तीये का उठावना,ना दसवें की बैठक *एक साल ऐसा भी..* ना साड़ी की खरीदारी, ना मेकअप का सामान, ना जूतों की फरमाइश, ना गहनों की लिस्ट *एक साल ऐसा भी..* ना ट्रेन की टिकट, ना बस का किराया ना फ्लाइट की बुकिंग,ना टेक्सी का भाड़ा  *एक साल ऐसा भी..* ना नानी का घर,ना मामा की मस्ती ना मामी का प्यार, ना नाना का दुलार *एक साल ऐसा भी..* ना पिता का आंगन,ना माँ का स्वाद ना भाभी की मनुहार,ना भाई का उल्लास *एक साल ऐसा भी..* ना मंदिर की घंटी,ना पूजा की थाली ना भक्तों की कतार, ना भगवान का प्रसाद *एक साल ऐसा भी..* *सदा रहेगा इस साल का मलाल* *जीवन में फिर कभी न आये ऐसा साल* 🙏🙏🌹🌹💐💐🙏🙏

ચરિત્રહીન વ્યક્તિ પર ભરોસો ન કરો.

ચરિત્રહીન વ્યક્તિ પર ભરોસો ન કરો. જે વ્યક્તિ પોતાના એક પ્રેમ અથવા એક જીવનસાથી અથવા પોતાની કાર્ય-ફરજ પ્રત્યે નિષ્ઠાવાન ન રહી શકે તે વ્યક્તિ તમારા પ્રત્યે અથવા રાષ્ટ્ર પ્રત્યે કદી વફાદાર ન રહી શકે.  ચરિત્રહીન વ્યક્તિ પશુથી પણ બદતર છે, માટે આવા વ્યક્તિઓથી દૂર રહો.  'ચરિત્ર' શબ્દને માત્ર શારીરિક સંબંધો પૂરતો સીમિત રાખવામાં આવે છે જે એક ભ્રાંતિ છે.  ચરિત્રવાન હોવું એટલે પોતાના જીવનસાથી પ્રત્યે, પોતાના  માતાપિતા પ્રત્યે, પોતાની કાર્ય-ફરજ પ્રત્યે વફાદાર હોવું, સમર્પિત હોવું.  કોઈ નમાલો વ્યક્તિ પોતાના જીવનસાથી પ્રત્યે વફાદાર હોય પણ બિઝનેસ માં પોતાના પાર્ટનરને અથવા ગ્રાહકને છેતરતો હોય તો એ ચરિત્રહીન છે.  આવી જાણીજોઈને કરેલી છેતરપીંડી અથવા પાપને ધોવા માટે પુણ્યકાર્ય કરતો મનુષ્ય તો સૌથી મોટો પાપી છે, ઢોંગી છે.  કરોડ રૂપિયાનું નુકસાન જતું હોય તો એ જતું કરીને પણ આવા ચારિત્રહીન લોકોથી દૂર રહો.  ચરિત્રહીન લોકોએ પોતાના નામ ઇતિહાસ માં અંકિત કર્યા છે પણ રાષ્ટ્રને, સમાજને અને પ્રકૃતિને ભયંકર નુકશાન કર્યું છે.  ચારિત્ર્યવાન બનો. ચરિત્રના સુસંસ્કાર તમારા બાળકોમાં સ્થાપિત કરો. ઈશ્વર શૈવનૈ શતબુધ્ધિ આ

dadi पोती

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*दादी और पोती* 💞 *गजब लिखा है लिखने वाले ने।* *"अम्मा मैं सुषमा और डॉली के साथ मॉल जा रहा हूं तुम घर का ख्याल रखना* *" ठीक है बेटा.  तुम जाओ वैसे भी मेरे पैर में दर्द हो रहा है मैं मॉल में नही जाना चाहती तुम लोग जाओ*  *" दादी आपको भी मॉल चलना पड़ेगा" 10 साल की पोती डॉली बोली ...* *" तुम्हारी दादी मॉल में सीढियां नही चढ़ सकती उन्हें escalator चढ़ना भी नही आता.  और कयुंकि वहां कोई मंदिर नही है इसलिए दादी का मॉल जाने में कोई interest नही है वो सिर्फ मंदिर जाने में interested रहती हैं"  बहू सुषमा अपनी बेटी डॉली से बोली।*  *इस बात से दादी सहमत हो गई पर उनकी पोती डॉली जिद पर अड़ गई की वो भी मॉल नही जाएगी अगर दादी नही चली, यद्यपि दादी कह चुकी थीं कि वो मॉल जाने में interested नही है।* *अंत मे 10 साल की पोती के सामने दादी की नही चली और वो भी साथ जाने को तैयार हो गई, जिसपर पोती डॉली बहुत खुश हो गई* *पिता ने सबको तैयार हों जाने को कहा। इससे पहले की मम्मी पापा तैयार होते सबसे बुजुर्ग दादी और सबसे छोटी लड़की तैयार हो गए।*  *पोती दादी को बालकनी में ले गई और  पोती ने एक फिट

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⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜⚜ *"सेवक बन जाओ"* काशी के एक संत उज्जैन पहुंचे उनकी प्रशंसा सुन उज्जैन के राजा उनका आशीर्वाद लेने आए संत ने आशीर्वाद देते हुए कहा -  'सिपाही बन जाओ ।' यह बात राजा को अच्छी नहीं लगी । दूसरे दिन राज्य के प्रधान पंडित संत के पास पहुंचे । संत ने कहा -'अज्ञानी बन जाओ ।' पंडित नाराज होकर लौट आए इसी तरह जब नगर सेठ आया तो संत ने आशीर्वाद दिया -'सेवक बन जाओ ।' संत के आशीर्वाद की चर्चा राज दरबार में हुई । सभी ने कहा कि यह संत नहीं, कोई धूर्त है । राजा ने संत को पकड़ कर लाने का आदेश दिया संत को पकड़कर दरबार में लाया गया । राजा ने कहा तुमने आशीर्वाद के बहाने सभी लोगों का अपमान किया है, इसलिए तुम्हें दंड दिया जाएगा । यह सुनकर संत हंस पड़े । राजा ने इसका कारण पूछा तो संत ने कहा - इस राज दरबार में क्या सभी मूर्ख हैं ? ऐसे मूर्खों से राज्य को कौन बचाएगा ।' राजा ने कहा' क्या बकते हो ?' संत ने कहा 'जिन कारणों से आप मुझे दंड दे रहे हैं, उन्हें किसी ने समझा ही नहीं । राजा का कर्म है, राज्य की सुरक्षा करना । जनता के सुख दुख की हर वक्त चौकसी करना । सिपाह

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*आधुनिक सच* मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं सुबह आठ बजे नौकरियों  पर जाते हैं रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं अकेले रह कर वह कैरियर बनाते हैं कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं अपने नन्हे मुन्ने को पाल नहीं पाते हैं फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते हैं उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है केवल आया'आंटी' को ही पहचानता है दादा-दादी, नाना-नानी कौन होते है ? अनजान है सबसे किसी को न मानता है आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है यूनिफार्म पहना के स्कूल कैब में बिठाती है छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता है वीक एन्ड पर मॉल में पिकनिक मनाता है संडे की छुट्टी मौम-ड

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गधा पेड़ से बंधा था। शैतान आया और उसे खोल गया। गधा मस्त होकर खेतों की ओर भाग निकला और खड़ी फसल को खराब करने लगा। किसान की पत्नी ने यह देखा तो गुस्से में गधे को मार डाला। गधे की लाश देखकर मालिक को बहुत गुस्सा आया और उसने किसान की पत्नी को गोली मार दी।  किसान पत्नी की मौत से इतना गुस्से में आ गया कि उसने गधे के मालिक को गोली मार दी। गधे के मालिक की पत्नी ने जब पति की मौत की खबर सुनी तो गुस्से में बेटों को किसान का घर जलाने का आदेश दिया। बेटे शाम में गए और मां का आदेश खुशी-खुशी पूरी कर आए। उन्होंने मान लिया कि किसान भी घर के साथ जल गया होगा। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। किसान वापस आया और उसने गधे के मालिक की पत्नी और बेटों, तीनों की हत्या कर दी। इसके बाद उसे पछतावा हुआ और उसने शैतान से पूछा कि यह सब नहीं होना चाहिए था। ऐसा क्यों हुआ? शैतान ने कहा, 'मैंने कुछ नहीं किया। मैंने सिर्फ गधा खोला लेकिन तुम सबने रिऐक्ट किया, ओवर रिऐक्ट किया और अपने अंदर के शैतान को बाहर आने दिया। इसलिए अगली बार किसी का जवाब देने, प्रतिक्रिया देने, किसी से बदला लेने से पहले एक लम्हे के लिए रुकना और सोचना जरूर।' ध्य

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*आधुनिक सच* मियां-बीबी दोनों मिल खूब कमाते हैं तीस लाख का पैकेज दोनों ही पाते हैं सुबह आठ बजे नौकरियों  पर जाते हैं रात ग्यारह तक ही वापिस आते हैं अपने परिवारिक रिश्तों से कतराते हैं अकेले रह कर वह कैरियर बनाते हैं कोई कुछ मांग न ले वो मुंह छुपाते हैं भीड़ में रहकर भी अकेले रह जाते हैं मोटे वेतन की नौकरी छोड़ नहीं पाते हैं अपने नन्हे मुन्ने को पाल नहीं पाते हैं फुल टाइम की मेड ऐजेंसी से लाते हैं उसी के जिम्मे वो बच्चा छोड़ जाते हैं परिवार को उनका बच्चा नहीं जानता है केवल आया'आंटी' को ही पहचानता है दादा-दादी, नाना-नानी कौन होते है ? अनजान है सबसे किसी को न मानता है आया ही नहलाती है आया ही खिलाती है टिफिन भी रोज़ रोज़ आया ही बनाती है यूनिफार्म पहना के स्कूल कैब में बिठाती है छुट्टी के बाद कैब से आया ही घर लाती है नींद जब आती है तो आया ही सुलाती है जैसी भी उसको आती है लोरी सुनाती है उसे सुलाने में अक्सर वो भी सो जाती है कभी जब मचलता है तो टीवी दिखाती है जो टीचर मैम बताती है वही वो मानता है देसी खाना छोड कर पीजा बर्गर खाता है वीक एन्ड पर मॉल में पिकनिक मनाता है संडे की छुट्टी मौम-ड

tulsi

#Tips for #Tulsi  #तुलसी जी को तोडने के #नियम!! 1. तुलसी जी को नाखूनों से कभी नहीं तोडना चाहिए,नाखूनों के तोडने से पाप लगता है। 2.सांयकाल के बाद तुलसी जी को स्पर्श भी नहीं करना चाहिए । 3. रविवार को तुलसी पत्र नहीं तोड़ने चाहिए । 4. जो स्त्री तुलसी जी की पूजा करती है। उनका सौभाग्य अखण्ड रहता है । उनके घर सत्पुत्र का जन्म होता है । 5. द्वादशी के दिन तुलसी को नहीं तोडना चाहिए । 6. सांयकाल के बाद तुलसी जी लीला करने जाती है। 7. तुलसी जी वृक्ष नहीं है! साक्षात् राधा जी का अवतार है । 8. तुलसी के पत्तो को चबाना नहीं चाहिए। "तुलसी वृक्ष ना जानिये। गाय ना जानिये ढोर।। गुरू मनुज ना जानिये। ये तीनों नन्दकिशोर।। अर्थात- तुलसी को कभी पेड़ ना समझें गाय को पशु समझने की गलती ना करें और गुरू को कोई साधारण मनुष्य समझने की भूल ना करें, क्योंकि ये तीनों ही साक्षात भगवान रूप हैं।