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Showing posts from July, 2021

बुध

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बुध। बुध तो बड़ा मजेदार ग्रह है। जिसके साथ बैठ जाये वैसा बन जाये। वो गीता में भगवान बोलते है न कि तुम मुझे जिस रूप में ध्यावोगे उसी रूप में दर्शन दूंगा। बुद्ध प्रभावी व्यक्ति केबसाथ आप जैसा व्यवहार करोगे वो भी आपके साथ वैसा ही करेगा क्योंकि वो तो आपके रंग में रंग जाएगा। लेकिन अंदर से जातक अपने गुणों को बनाये रखेगा। बुद्ध ग्रहण करने की क्षमता है अतः विद्यार्थियों के लिए बुध या पंचम भाव बलि होना जरूरी। इसी लिए सभी शास्त्रो में पंचम में शुभ का बैठा बुद्ध बहुत जबरदस्त बुद्धि शाली ओर शुभ का बताया गया है।  वृषभ ओर कुम्भ लग्न में तो ये राजयोग बताना है। ऐसा जातक अपनी बुद्धि के बल पे कुल का नाम रोशन करता है। पंचम का शुभ का बुध हो तो जातक बिना गुरु के ही अपने आप को विकसित कर लेता है। क्योंकि जातक के बुद्धि , ग्रहण करने की क्षमता जबर दस्त होती है। यही बुध कालपुरुष में 3 ओर 6 भाव का भी मालिक। मतलब बुध भी कम नही है। बुध की दोनों रशिया भी द्विस्वभाव। त्रिक, trishadaayash, उपचय में आये। बुध तांत्रिक तंत्र भी तो है। दिमाग को चार्ज रखता है हमेशा। ओर सबसे बड़ी बात बुद्ध आदमी को adjustable बनाय

श्रावण मास

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श्रावण माह में पूजा-पाठ करते समय इन बातों का रखें ध्यान :- श्रावण माह में यदि सुबह जल्दी उठकर शिव मंदिर जाएं तो आपकी मनोकामनाएं जरूर पूरी होंगी। लेकिन शिव पूजा करते समय कुछ विशेष बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए। यदि इन बातों का ध्यान न रखा जाए तो शिव प्रसन्न होने की जगह, नाराज भी हो सकते हैं। ये ना चढ़ाएं- 1] भगवान शिव को केतकी का फूल न चढ़ाएं। ये फूल शिव पूजा में अशुभ माना गया है। 2] महादेव को नारियल अर्पित नहीं किया जाता और न ही नारियल के जल से अभिषेक किया जाता है। 3] हल्दी और सिंदूर का प्रयोग स्त्रियां सुंदरता बढ़ाने के लिए करती हैं इसलिए हल्दी का प्रयोग शिवलिंग पर नहीं किया जाता है। यह चढ़ाएं- 1] श्रावण में हर रोज 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ‘ऊं नम: शिवाय’ लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं। 2] शमी वृक्ष के पत्तों से पूजन करने पर मोक्ष प्राप्त होता है। 3] बेला के फूल से पूजन करने पर सुंदर व सुशील पत्नी मिलती है। 4] चमेली के फूल से पूजन करने पर वाहन सुख मिलता है। 5] तिल चढ़ाने से पापों का नाश हो जाता है। 6] जौ अर्पित करने से सुख में वृद्धि होती है। 7] गेहूं चढ़ाने से संतान वृद्धि होती

नक्षत्रों की लिस्ट में आज हम बात करेंगे उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र की

नक्षत्रों की लिस्ट में आज हम बात करेंगे उत्तर फाल्गुनी नक्षत्र की  उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र में जन्म लेने वाला व्यक्ति युद्ध विद्या में निपुण, लड़ाकू एवं साहसी होता है. आप देश और समाज में अपने रौबीले व्यक्तित्व के कारण पहचाने जाते हैं. उत्तराफाल्गुनी जातक दूसरों  का अनुसरण नहीं करते अपितु लोग उनका अनुसरण करते हैं. आपमें नेतृत्व के गुण जन्म से ही होते हैं अतः आप अपना कार्य करने में खुद ही सक्षम होते हैं. इस नक्षत्र में जन्मा जातक दूसरों के इशारों पर चलना पसंद नहीं करता . यह लोग सिंह की भाँती अकेले ही अपना शिकार खुद करते हैं. उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र जातक राजा समान भोगी एवं पर स्त्री में रूचि रखने वाले होते हैं. चन्द्रमा के प्रभाव में यदि हो तो जातक विद्या बुद्धि से युक्त धनी एवं भाग्यवान होता है. उत्तराफाल्गुनी  जातक मित्र बनाने के लिए  सदैव तत्पर रहते हैं.  मित्रों की सहायता करने तथा उनसे सहायता प्राप्त करने में भी यह संकोच नहीं करते. हैं. आप  मित्रों को बहुत महत्व देते हैं. मित्रता के सम्बन्ध में भी इनके साथ यह बातें लागू होती हैं, ये जिनसे दोस्ती करते हैं उसके साथ लम्बे समय तक मित्रता निभ

rahu mahadasha

✨Understanding Rahu Mahadasha Rahu Mahadasha can be the most interesting and unpredictable Dasha one can experience. Not only in Major time periods, but one can also experience unexpected circumstances in life. This article will include the overall energy of Rahu Mahadasha in different zodiac elements; Fire, Earth, Air, and Water sign. The core of the prediction Although Mahadasha is the main pillar when it comes to prediction, it can’t work solo, you should take into consideration the transits. Mahadasha/Antradasha/Pryantradasha along with Transits are the main core. So that means you should know the transit of MD/AD/PD in your chart in order to predict correctly. In other words, even if your Rahu is not well placed but you’re going through good AD & PD and through good transits, you will eventually manifest a good result.  Keep in mind that Rahu is 18 years long Mahadasha period, and because we have Antradasha and Pryantradasha (and other 3 sub-periods), it’s impossible you will

ब्याह में देरी हो रही है तो करें ये उपाय

ब्याह में देरी हो रही है तो करें ये उपाय ******************************* दूसरे घरों में शादी की शहनाई सुन आपका भी मन मचलता होगा कि आपके घर में मौजूद कुंवारे लड़के-लड़कियों की शादी हो जाए। अगर उनकी शादी में किसी वजह से परेशानी आ रही है तो हम आपको कुछ उपाय बता रहे हैं जिन्हें अपनाने से आपके घर में भी जल्दी शादी की शहनाई गूंजेगी। शादी में देर होने का कारण ================= कई बार लड़का-लड़की योग्य होने के बावजूद शादी होने में देर होती है इसके पीछे बहुत से कारण होते हैं। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार कुण्डली में दोष होने से शादी में अड़चन आती है। कई बार मंगल दोष या शनि की दशा खराब होना भी देर से विवाह का कारण बनता है। करें ये उपाय ========= अगर आप अपने जवान लड़के-लड़कियों की शादी के लिए मैरेज ब्यूरो और पंडित के चक्कर न लगाएं बल्कि इन आसान से उपायों को अपना कर घर में शहनाई बजवाएं। गाय को भोग जरूर लगाएं ================= अगर जल्दी शादी चाहते हैं तो बृहस्पतिवार को गाय की पूजा करें और भोग लगाएं। भोग में दो आटे के पेड़े पर थोड़ी हल्दी लगाकर थोडा गुड़ और चने की गीली दाल खिलाएं। बृहस्पति की पूजा से होग

पंचमहापुरुष योग,

दुनिया में हम सभी सफलता, यश और सम्मान चाहते है सामान्यत: प्रत्येक व्यक्ति में महत्वाकांक्षा की भावना देखी जा सकती है। सफल होना और केवल सफल होना, एक इसी भावना में रहकर लोग काम कर रहे है। सफलता अर्जित करने के लिए हर संभव प्रयास भी लोग कर रहे है। फिर वह प्रयास चाहे सही तरीके से किया जा रहा हो या गलत तरीके से किए जा रहा हो। आज सफलता प्राप्ति हेतु साध्य मुख्य हो गया है, साधन की सात्विकता आज गौण हो गई है। हम सफलता के उपासकों की दुनिया में रहते हैं। आज दुनिया में हर पल कई हजार लोग जन्म ले रहे है। इस प्रकार यदि हम विश्लेषण करें तो सारी दुनिया में प्रसिद्ध होने वाले लोगों का प्रतिशत १ से भी कम है। स्थिति यह हो गई है कि प्रत्येक व्यक्ति यह जानना चाहता है कि क्या वो सफल होगा? अगर सफल होगा तो कब होगा? और क्या वह धनी होगा? कुछ ऐसे ही प्रश्नों से आज का व्यक्ति घिरा रहता है। क्या ऐसे प्रश्नों का समाधान कुंडली से कैसे किया जा सकता है? आज इस आलेख में हम यही जानने का प्रयास करेंगे- कुंडली में पंचमहापुरुष योग, राजयोग, चंद्रादि योग, धन योग और अन्य शुभ योग होने का अर्थ भी यह नहीं है कि व्यक्ति सफल, धनी और

शनिदेव ओर उपाय

ॐ  बात  है न्याय ग्रहों के राजा शनिदेव उपाय पीपल में जोति जल परिक्रमा शनिदेवमान्यता के अनुसार, मनुष्य को उसके अच्छे-बुरे कामों का फल शनिदेव ही देते हैं, इसलिए अच्छे काम करने के साथ ही शनिदेव को प्रसन्न रखना भी आवश्यक है। जिस पर शनिदेव प्रसन्न हो जाएं, उसके सब कष्ट दूर हो जाते हैं। शनिदेव को प्रसन्न करने के उपाय इस प्रकार हैं, ये उपाय किसी भी शनिवार को कर सकते हैं- शनिदेव  ओर उपाय 1. शनिवार को इन 10 नामों से शनिदेव की पूजा करें- कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम :.  सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत: .. अर्थात: 1. कोणस्थ, 2. पिंगल, 3. बभ्रु, 4. कृष्ण, 5. रौद्रान्तक, 6. यम, 7. सौरि, 8. शनैश्चर, 9. मंद व 10 पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी दोष दूर हो जाते हैं। 2. शनिवार को पीपल के वृक्ष की पूजा विधि-विधान से करें। भागवत के अनुसार पीपल, भगवान श्रीकृष्ण का ही रूप है। शनि दोषों से मुक्ति के लिए पीपल की पूजा ऐसे करें ... नहाने के बाद साफ व सफेद कपड़े पहनें। पीपल की जड़ में केसर चंदन, चावल, फूल मिला पवित्र जल अर्पित करें। तिल के तेल का दीपक जलाएं। यहां लिखे मं

जानिए कुंडली में कर्ज के योग कर्ज में फंसने के योग

जानिए कुंडली में कर्ज के योग कर्ज में फंसने के योग* =================== कुंडली में षष्ठम, अष्टम, द्वादश भाव कर्ज का कारक भाव और मंगल ग्रह कर्ज का कारक ग्रह माना जाता है। जब कुंडली में मंगल ग्रह कमजोर हो या किसी अशुभ ग्रह के साथ युति में हो तो जातक कर्ज के नीचे दब जाता है। इसके अलावा मंगल के अष्टम, द्वादश, षष्ठम भाव में होने पर एवं मंगल के अशुभ स्‍थान में होने की अवस्‍था में व्‍यक्‍ति को कर्ज लेना पड़ जाता है। छठवां भाव और कर्ज की समस्या- हमारा जन्म होते ही हम सभी अपने प्रारब्ध के चक्र से बंध जाते हैं और जन्मकुंडली हमारे इसी प्रारब्ध को प्रकट करती है हमारे जीवन में सभी घटनाएं नवग्रह द्वारा ही संचालित होती हैं। आज के समय में जहाँ आर्थिक असंतुलन हमारी चिंता का एक मुख्य कारण है वहीँ एक दूसरी स्थिति जिसके कारण अधिकांश लोग चिंतित और परेशान रहते हैं वह है “कर्ज” धन का कर्ज चाहे किसी से व्यक्तिगत रूप से लिया गया हो या सरकारी लोन के रूप में ये दोनों ही स्थितियां व्यक्ति के ऊपर एक बोझ के समान बनी रहती हैं कई बार ना चाहते हुये भी परिस्थितिवश व्यक्ति को इस कर्ज रुपी बोझ का सामना करना पड़ता है वैसे

stars rising

Aries rising: Social relationships and friendships come in question for you. There is a dilemma going on between spending more time on things you like doing or spending more time with your friends. I know these two can get combined cause of the fun but today, you may question a lot how you spend your time in a day. That ofc happens cause the moon is placed in your 11th house and the sun in your 5th house (taking whole signs and not placidus cause that can change the houses). You have pushed a lot to the side what you love doing on your free time and focused a lot on your friends. Learn to make time for your own private pleasures and hobbies. Dont neglect your wants. Taurus rising: Carrer, ambitions and higher authotities are coming in question for you today. You feel like some stuff are out of your control and it irks you. You should remember you cant always have control over everything but i understand why it irritates you that your future is sometimes not on your own hands. There m

भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे !

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🔱भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे ! भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता हैं। 🔱शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं, तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शांत रहें। 🔱महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र, आकमद, धतूरा, गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं। 🔱शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता... 🔱भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है। 🔱 शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है। 🔱तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी। 🔱ध्यान दें कि हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है। 🔱जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है, वो तो चिर सनातन है। विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें।.. 🔱 आपको यह जानक

Importance of Rahu in astrology

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Importance of Rahu in astrology Why I love Rahu in astrology There has been a lot of resentment about Rahu in the minds of people who believe in astrology. As even the most benefice of planets like Venus, Jupiter, Mercury & Moon are capable of producing perverts, stalkers & murderers if afflicted in an horoscope, how can we reach the conclusion regarding Rahu without comparing its benevolent side. As we know Rahu & Ketu are the shadow planets which are also known as north & south nodes of the moon, which do not have any physical existence and are always placed 7 houses apart from each other. After observing its positive impact in my personal life & studying its effects in hundreds of charts i find it very disturbing to hear bad & vile things about it spread among ignored masses. So, lets know the better side of them which puts them a class apart from all the other planets Rahu has the potential to give mass fame, fortune, prestige & authority to

चतुर्माश

चातुर्मास विशेष- 〰️〰️🌼〰️〰️ चातुर्मास में वर्ष के चार महीने आते हैं  सावन, भादों, क्वार, कार्तिक।  (श्रावण, भाद्र,अश्विन, कार्तिक-मास)  एक दण्डी तथा त्रिदंडी सभी के लिए ही चातुर्मास व्रत करणीय है  अर्थात एक दंडी -ज्ञानीगण तथा त्रिदंडी भक्त गण  दोनों ही चातुर्मास व्रत का पालन करते हैं। श्री शंकर मठ के अनुयायियों में भी चातुर्मास व्रत की व्यवस्था है।  मनुष्य एक हजार अश्वमेध यज्ञ करके मनुष्य जिस फल को पाता है, वही चातुर्मास्य व्रत (20 जुलाई से नवंबर) के अनुष्ठान से प्राप्त कर लेता है।  आषाढ़ के शुक्ल पक्ष में एकादशी के दिन 20 जुलाई उपवास करके मनुष्य भक्तिपूर्वक चातुर्मास्य व्रत प्रारंभ करे।  इन चार महीनों में ब्रह्मचर्य का पालन, त्याग, पत्तल पर भोजन, उपवास, मौन, जप, ध्यान, स्नान, दान, पुण्य आदि विशेष लाभप्रद होते हैं।   व्रतों में सबसे उत्तम व्रत है – ब्रह्मचर्य का पालन। विशेषतः चतुर्मास में यह व्रत संसार में अधिक गुणकारक है। जो चतुर्मास में अपने प्रिय भोगों का श्रद्धा एवं प्रयत्नपूर्वक त्याग करता है, उसकी त्यागी हुई वे वस्तुएँ उसे अक्षय रूप में प्राप्त होती हैं। चतुर्मास में गुड़ का त्या

चंद्र और डिप्रेशन

{ डिप्रेशन DEPRESSION }     "मन के हारे हार है, मन के जीते जीत" मनुष्य की हार जीत उसके मन की दुर्बलता सबलता पर निर्भर है। जिसका मन हार जाता है, वह बहुत कुछ होने पर भी हार जाता है। मनुष्य की वास्तविक शक्ति मनोबल ही है। जीवन में पल-पल परिस्थितियां बदलती रहती हैं और हम जीवन की सभी घटनाओं पर नियंत्रण नहीं रख सकते,     प्रत्येक व्यक्ति समय-समय पर सीमित अवधि के लिए उदासी का अनुभव करता है। लेकिन जब लंबे समय तक लगातार नकारात्मक सोच, तनाव, चिंता, घबराहट और बेचैनी जैसे लक्षण सामने आने लगें तो यह डिप्रेशन हो सकता है। चंद्रमा मन का कारक होने के साथ–साथ बड़ा सौम्य एवं नाजुक ग्रह भी है और चंद्रमा सभी ग्रहों में से हमारी पृथ्वी के सबसे नजदीक है और बुध गृह बुद्धि का कारक है और बुद्धि मन पर काबू कर लेती है इसीलिए डिप्रेशन को कम या ज्यादा करने में भी बुध की बड़ी भूमिका होती है।  कुंडली का पहला भाव व्यक्ति के मन और मस्तिष्क का प्रतिनिधित्व करता है।   {1}कुंडली में यदि लग्नेश अशुभ भावों में स्थित हो या नीच राशि में हो।  {2}कुंडली में यदि चंद्रमा अशुभ भाव में हो या नीच राशि में हों। {3}कुंडली में

घर से बिमारी दूर करने के उपाय

घर से बिमारी दूर करने के उपाय  〰️〰️🔸〰️🔸〰️🔸〰️〰️ 1👉 महीने में एक बार मीठी रोटियां बनाकर कुत्तों को डाले ,रोटियों की संख्या आपके परिवार के कुल सदस्यों की संख्या में जितने मेहमान उस महीने में आपके घर में आये है उनको जोड़कर उस से चार अधिक रोटियां बनाकर डालनी है। 2👉  साल में एक बार अच्छी तरह पक्का हुआ कद्दू यानी पेठा किसी धर्मस्थान में दान किया करे। 3👉 जब भी किसी शमशान के पास से गुजरे वहां एक दो रूपए का सिक्का वहां गिरा दिया करे ऐसा माना गया है की इस से भी देवीय सहायता प्राप्त होती है। 4👉 मरीज के सिरहाने एक सिक्का रखकर सुबह उसे किसी हरिजन को दें ऐसा 43 दिन लगातार करे। 5👉 मुख्य रूप से गाय को रोटी देने ,, कुतों को रोटी खिलाने और कोवों को रोटी डालने से आप अधिकतर बुरे प्रभावों से बच सकते है। 6👉 अगर परिवार में कोई व्यक्ति बीमार है तथा लगातार औषधि सेवन के पश्चात् भी  स्वास्थ्य लाभ नहीं हो रहा है, तो किसी भी रविवार से आरम्भ करके लगातार 3 दिन तक गेहूं के आटे का  पेड़ा तथा एक लोटा पानी व्यक्ति के सिर के ऊपर से उसार कर जल को पौधे में डाल दें तथा पेड़ा गाय को  खिला दें। अवश्य ही इन 3 दिनों के अ

श्रीकृष्ण

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आज हम आप सभी को भगवान श्रीकृष्ण के मंत्र "हरे कृष्णा हरे कृष्णा" की जप विधि के विषय में जानकारी दे रहे हैं। प्रत्येक देवी देवता को प्रसन्न करने के लिए कुछ न कुछ विशेष विधि-विधान होता है और उसी विधि-विधान से की गई पूजा जप इत्यादि शीघ्र फलदायी होते हैं। श्रीकृष्ण के जप में ध्यान देने योग्य बातें निम्नलिखित हैं :- सर्वप्रथम यह ध्यान रखें कि जप ही मूल है।  1. तुलसी के बड़े मनकों की माला जिसमें 108 मनके हो। 2. माला रखने के लिए गोमुखी।  3. साक्षी माला जिसमें 20 मनके होते हैं। जिसे गोमुखी की डोरी पर बाधा जाता है। इसका उपयोग कितनी माला पूरी हुई यह जानने के लिए होता है।  4. महामन्त्र की एक माला पूरी होने में 7.5मिनट लगते है। 5. 16 माला करने में 2 घंटे का समय लगता है। 6. जिनकी अायु 60 वर्ष से अधिक है वे व्यक्ति 64 माला का जप करते हैं परन्तु इसका अर्थ यह नहीं है कि कम अायु वाले 64 माला का जप नहीं कर सकते। यह आपकी ईच्छा पर निर्भर करता है। जहाँ तक मूल नियम की बात करें तो 16 माला का जप प्रत्येक कृष्ण भक्त के लिए अनिवार्य है। 7. जिन भक्तों ने अभी आरंभ ही किया है वह 2 माला से आरं

क्यों देवी-देवताओं की सवारी होते हैं पशु-पक्षी!#प्रमुख_देवी_देवता_ओर_उनके_वाहन... ✍️

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*जानें: क्यों देवी-देवताओं की सवारी होते हैं पशु-पक्षी! #प्रमुख_देवी_देवता_ओर_उनके_वाहन... ✍️  शास्त्रों के मुताबिक हर देवी और देवता का एक वाहन होता है। खास बात ये है कि इनके वाहन के लिए पशु-पक्षियों को चुना गया है। क्या आप जानते हैं इसके पीछे क्या कहानी है क्यों देवी-देवता की सवारी के लिए पशु-पक्षियों को ही चुना गया। अध्यात्मिक, वैज्ञानिक और व्यवहारिक कारणों से भारतीय मनीषियों ने देवताओं के वाहनों के रूप में पशु-पक्षियों को जोड़ा। माना जाता है कि देवताओं के साथ पशुओं को उनके व्यवहार के अनुरूप जोड़ा गया है। अगर पशुओं को भगवान के साथ नहीं जोड़ा जाता तो शायद पशु के प्रति हिंसा का व्यवहार और ज्यादा होता। भारतीय मनीषियों ने प्रकृति और उसमें रहने वाले जीवों की रक्षा का एक संदेश दिया है। हर पशु किसी न किसी भगवान का प्रतिनिधि है, उनका वाहन है, इसलिए इनकी हिंसा नहीं करनी चाहिए। ज्ञान की देवी मां सरस्वती के लिए का वाहन हंस माना जाता है। हंस पवित्र, जिज्ञासु और समझदार पक्षी होता है। हंस अपने चुने हुए स्थानों पर ही रहता है। तीसरी इसकी खासियत हैं कि यह अन्य पक्षियों की अपेक्षा सबसे ऊंच

शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे चमत्कारी मंत्र,

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शिवजी को प्रसन्न करने का सबसे चमत्कारी मंत्र,जरूर करें इस मंत्र का जाप, दूर होते हैं कुंडली दोष ... भगवान शिव अपने भक्तों की भक्ति से जल्द प्रसन्न होकर उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए ऐसे कई मंत्र हैं, जिनका नित्य जाप कर मनोकामनाएं पूरी की जा सकती हैं। शिवपुराण में ऐसे बहुत से मंत्रों का वर्णन किया गया है, जो मानव कल्याण के लिए बेहद प्रभावी हैं। सावन माह शुरू हो गया है, तो यह मंत्र भगवान शिव को जल्द प्रसन्न करने का सरल उपाय है।  शिव को जल्द प्रसन्न करने का सबसे प्रभावशाली मंत्र है- महामृत्युंजय मंत्र। इस मंत्र का जाप करने से वैभव व ऐश्वर्य की कामना पूरी होती है।  महामृत्युंजय मंत्र- 'ऊं त्रयम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात्।'  ऐसा चमत्कारी मंत्र है, जिसके नित्य जाप से कुंडली में मौजूद दोष दूर हो जाते हैं।   इस मंत्र के जाप से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, बुरी नजर दोष, रोग, दुःस्वप्न, वैवाहिक जीवन की समस्याएं, संतान बाधा आदि समस्या भी दूर होती हैं।  जो जातक भक्तिपूर्वक इस मंत्र क

पुष्य नक्षत्र

नक्षत्रों की श्रेणी में आज हम बात करेंगे पुष्य नक्षत्र की  पुष्य का अर्थ है पोषण करने वाला, ऊर्जा व शक्ति प्रदान करने वाला. मतान्तर से पुष्य को पुष्प का बिगडा़ रूप मानते हैं। पुष्य का प्राचीन नाम तिष्य शुभ, सुंदर तथा सुख संपदा देने वालाहै। विद्वान इस नक्षत्र को बहुत शुभ और कल्याणकारी मानते हैं। विद्वान इस नक्षत्र का प्रतीक चिह्न गाय का थन मानते हैं। उनके विचार से गाय का दूध पृ्थ्वी लोक का अमृ्त है। पुष्य नक्षत्र गाय के थन से निकले ताजे दूध सरीखा पोषणकारी, लाभप्रद व देह और मन को प्रसन्नता देने वाला होता है। राशि में 3 डिग्री 20 मिनट से 16 डिग्री 40 मिनट तक होती है। यह क्रान्ति वृ्त्त से 0 अंश 4 कला 37 विकला उत्तर तथा विषुवत वृ्त्त से 18 अंश 9 कला 59 विकला उत्तर में है। इस नक्षत्र में तीन तारे तीर के आगे का तिकोन सरीखे जान पड़ते हैं। बाण का शीर्ष बिन्दु या पैनी नोंक का तारा पुष्य क्रान्ति वृ्त्त पर पड़ता है। पुष्य को ऋग्वेद में तिष्य अर्थात शुभ या माँगलिक तारा भी कहते हैं। सूर्य जुलाई के तृ्तीय सप्ताह में पुष्य नक्षत्र में गोचर करता है। उस समय यह नक्षत्र पूर्व में उदय होता है। मार्च महीन

नव ग्रह दोष

नवग्रह के दोष दूर करने के अचूक उपाय ज्योतिष की मानें तो हर कोई किसी न किसी ग्रह दोष से ग्रस्त रहता है. कई बार उसे पता नहीं चलता कि किस वजह से उसकी जिंदगी में तूफान थमने का नाम नहीं ले रही. किस वजह से जीना मुहाल हो रहा है. तो क्या हैं नवग्रह दोष के लक्षण और उससे निजात पाने के उपाय. 1. सूर्य दोष के लक्षण:  असाध्य रोगों के कारण परेशानी सिरदर्द, बुखार, नेत्र संबंधी कष्ट सरकार के कर विभाग से परेशानी, नौकरी में बाधा उपाय: भगवान विष्णु की आराधना करें ऊं नमो भगवते नारायणाय मंत्र का जप करे या  सूर्य ग्रह के वैदिक मत्रं का जप   सूर्य- ॐ आ कृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेशयन्नमृतं मर्त्यं च। हिरण्ययेन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन्   1 माला लाल चंदन की माला से जाप करें गुड़ खाकर पानी पीकर कार्य आरंभ करें बहते जल में 250 ग्राम गुड़ प्रवाहित करें सवा पांच रत्ती का माणिक तांबे की अंगूठी में बनवायें रविवार को सूर्योंदय के समय दाएं हाथ की मध्यमा अंगूली में धारण करें मकान के दक्षिण दिशा के कमरे में अंधेरा रखें पशु-पक्षियों के लिए पीने के पानी की व्यवस्था करें घर में मां, दादी का आशीर्वाद जरूर लें 2 चंद

क्यों "सोमवार" को ही भगवान शिव की पूजाकरना अधिक लाभदायक है?

क्यों "सोमवार" को ही भगवान शिव की पूजा करना अधिक लाभदायक है? 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ सप्ताह के सातों दिन किसी न किसी ईश्वर की पूजा, भक्ति और व्रत के लिए होता हैं पर सोमवार  का दिन हिन्दू धर्म  परमपराओं  के अनुसार भगवान शिव को समर्पित होता है. माना जाता है कि शिवजी की भक्ति हर पल ही शुभ होती है. सच्चे मन से पूजा की जाए तो शिव अपने भक्तों पर जल्द ही प्रसन्न हो जाते है. क्यों सोमवार को ही शिवजी की पूजा करना अधिक लाभदायक होता है? आइए जानते हैं इससे जुड़ी खास बातें- सोमवार के दिन रखा जाने वाला व्रत सोमेश्वर व्रत के नाम से जाना जाता है। इसके अपने धार्मिक महत्व होते हैं। इसी दिन चंद्रमा की पूजा भी की जाती है। हमारे धर्मग्रंथों में सोमेश्वर शब्द के दो अर्थ होते हैं। पहला अर्थ है – सोम यानी चंद्रमा चंद्रमा को ईश्वर मानकर उनकी पूजा और व्रत  करना सोमेश्वर शब्द का दूसरा अर्थ है- वह देव, जिसे सोमदेव ने भी अपना भगवान माना है। उस भगवान की सेवा-उपासना करना, और वह देवता हैं "भगवान शिव" पौराणिक मान्यता के अनुसार इस व्रत और पूजा से ही सोमदेव ने भगवान शिव की आराधना की. जिससे