वास्तु दोष
वास्तु दोष के साधारण ओर सरल ऊपाय क्या है गृह वास्तु दोष के लक्षण, कारण और उपाय - वास्तु पुरुष मंडल का अर्थ है – भवन में स्थित सर्वव्यापक आत्मा। वास्तु पुरुष का अर्थ है भवन के अंदर का निरंतर परिदृश्य; पुरुष का अर्थ है जो स्थाई है, सदा से है। किसी को उसके पैदा होने का रहस्य नहीं पता, पर फिर भी वह है। एक स्पेस जो भवन बनाते ही विकसित हो गया – भवन के भीतर का आकाश या भवन की आत्मा भी उसे कहा जाता है। यही वास्तु पुरुष है। वास्तु पुरुष की कहानी वास्तु शास्त्र में वास्तु पुरुष की एक कथा है। देवताओं और असुरों का युद्ध हो रहा था। इस युद्ध में असुरों की ओर से अंधकासुर और देवताओं की ओर से भगवान शिव युद्ध कर रहे थे। युद्ध में दोनों के पसीने की कुछ बूंदें जब भूमि पर गिरी तो एक अत्यंत बलशाली और विराट पुरुष की उत्पत्ति हुई। उस विराट पुरुष से देवता और असुर दोनों ही भयभीत हो गए। देवताओं को लगा कि यह असुरों की ओर से कोई पुरुष है। जबकि असुरों को लगा कि यह देवताओं की तरफ से कोई नया देवता प्रकट हो गया है। इस विस्मय के कारण युद्ध थम गया और अंत में दोनों उस विराट पुरुष को लेकर ब्रह्मा जी के पास