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Showing posts from November, 2021

वास्तु दोष

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वास्तु दोष के साधारण ओर सरल ऊपाय क्या है गृह वास्तु दोष के लक्षण, कारण और उपाय - वास्तु पुरुष मंडल का अर्थ है – भवन में स्थित सर्वव्यापक आत्मा। वास्तु पुरुष का अर्थ है भवन के अंदर का निरंतर परिदृश्य; पुरुष का अर्थ है जो स्थाई है, सदा से है। किसी को उसके पैदा होने का रहस्य नहीं पता, पर फिर भी वह है। एक स्पेस जो भवन बनाते ही विकसित हो गया – भवन के भीतर का आकाश या भवन की आत्मा भी उसे कहा जाता है। यही वास्तु पुरुष है। वास्तु पुरुष की कहानी वास्तु शास्त्र में वास्तु पुरुष की एक कथा है। देवताओं और असुरों का युद्ध हो रहा था। इस युद्ध में असुरों की ओर से अंधकासुर और देवताओं की ओर से भगवान शिव युद्ध कर रहे थे। युद्ध में दोनों के पसीने की कुछ बूंदें जब भूमि पर गिरी तो एक अत्यंत बलशाली और विराट पुरुष की उत्पत्ति हुई। उस विराट पुरुष से देवता और असुर दोनों ही भयभीत हो गए। देवताओं को लगा कि यह असुरों की ओर से कोई पुरुष है। जबकि असुरों को लगा कि यह देवताओं की तरफ से कोई नया देवता प्रकट हो गया है। इस विस्मय के कारण युद्ध थम गया और अंत में दोनों उस विराट पुरुष को लेकर ब्रह्मा जी के पास

देवी देवता को कोनसे फूल चढ़ाना चाहिए

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🌹🙏नमस्कार मित्रों🙏🌹 आज हम आपको बताएंगे किस देवी या देवता के पूजन में कौन सा फूल चढ़ाना चाहिए। कौन से मंत्र का जप करना चाहिए। दैवस्य मस्तकं कुर्यात्कुसुमोपहितं सदा।  अर्थता देवता का मस्तक या सिर हमेशा फूलों से सुशोभित रहना चाहिए।  पुष्पैर्देवां प्रसीदन्ति पुष्पै देवाश्च संस्थिता  न रत्नैर्न सुवर्णेन न वित्तेन च भूरिणा  तथा प्रसादमायाति यथा पुष्पैर्जनार्दन॥ अर्थता देवता रत्न, र्स्वण, द्रव्य, व्रत, तपस्या या अन्य किसी वस्तु से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना पुष्प चढ़ाने से होते हैं।  🚩 शिव प्रिय फूल:- भगवान शिव को धतूरे के फूल बहुत प्रिय होते हैं। इसके अलावा हरसिंगार, नागकेसर के सफेद पुष्प, कनेर, आक, कुश आदि के फूल भी भगवान शिव को चढ़ाने का विधान है। लेकिन कभी भी भगवान शिवजी को केवड़े का फूल और तुलसी दल न चढ़ाएं।  मंत्र- ॐ नमः शिवाय॥ ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनानत् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥ 🚩 विष्णु प्रिय फूल:- श्री हरि को कमल, जूही, कदम्ब, केवड़ा, चमेली, चंपा, वैजयंती के पुष्प विशेष प्रिय होते हैं। इसके अलावा भगवान विष्णु को तुलसी दल चढ़

बृहस्पति

💐💐 ज्योतिष के इस ग्रूप में सभी सदस्यों का स्वागत है !! 💐विशोंत्री महादशा  फल के ""क्रम "" में आज चर्चा करते है ## व्रहस्पति ## ग्रह के  महादशा -अंतर  दशा के विषय पर ! 💐ज्योतिष के सभी 9 ग्रहों में  व्रहस्पति को सबसे शुभ  ग्रह माना गया है इन्हें देवगुरु का दर्जा प्राप्त है । कुंडली का दूसरा, पांचवां, नौवां, दसवां और ग्यारहवां भाव देव गुरु के कारक भाव कहे गए हैं । लग्न भाव में गुरु को दिशाबाल प्राप्त है 💐  व्रहस्पति दो राशियों का स्वामी है इसकी मुख्य  राशि धनु है तथा दूसरी राशि मीन है " कर्क " राशि मे गुरु उच्च राशि के व मकर राशि मे  नीच के होते है 💐गुरू की दशा अपने आप में कई तरह के परिणाम देने वाली होती है। कुण्‍डली में गुरु की  स्थितियों के अनुसार ही फल प्रदान करती है 💐  विशोंत्री दशा क्रम में  जन्म से 6th दशा अशुभ फल देती है 💐 अगर व्रहस्पति नवम भाव का स्वामी होकर सप्तम भाव मे  हो तो ऐसे व्रहस्पति की  दशा में अपने पुरुषार्थ  से धन अर्जित करता है 💐 यदि किसी जातक किकुण्डली में शनि और व्रहस्पति का आपस मे सम्बंद हो तो शनि की दशा योग कारक होती है ! 💐 य

गुरुदेव बृहस्पति के विषम फल, कारण और निवारण

गुरुदेव बृहस्पति के विषम फल, कारण और निवारण (पुनः प्रेषित) 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ आज तक हम लोग गुरु को सौरमंडल का सिर्फ एक ग्रह तक ही सीमित कर पाए है, गुरु ग्रह नही बल्कि एक सकारात्मक आकर्षण होता हैं, जैसे शिखा बांधने का सकारात्मक प्रभाव पड़ता हैं, उसी तरह सिर पर पल्लू लेने का भी असर होता हैं, हम किसी भी बात का एक पहलू ही देख पाते हैं, दूसरा नही देखते, जैसे हम ये देखते की वो हीरोइन या वो महिला तो किसी के सामने सिर नही ढकती, या कम कपड़ो के रहती ,फिर वो तो सफल है या ऊंचाई पर है, पर क्या आपने उनकी पारिवारिक स्थिति देखी या आपने उनको नजदीक से देखा। उनके जीवन मैं तलाक, शराब, खुलापन कितना बढ़ गया। कब वो किसकी थी, किसकी हो जाती, बहुत सी बातें होती जो लेख मैं सम्भव नही।  ये बात सच है की आजादी के इस युग मैं मनचाहे कपड़े पहनने की आजादी हो गई, पर आजादी और संस्कार दोनों अलग अलग होते हैं। अब जींस, पेंट, टी शर्ट की दुनिया मैं सिर पर पल्लू , चुनरी आदि के संस्कार लुप्त प्रायः हो गए। जब लड़कियों को मन्दिर मैं आरती करते वक्त देखा जाता तो जीन्स पेंट पर बिना पल्लू, या बिना चुनरी ढके आरती करती है, आप खुद ह

वास्तु

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अधिकांश मित्रों की समस्याओं को देखते हुए मैने ये निर्णय लिया है की आज से फ़ेसबुक पर रोज एक वास्तु टिप्स पोस्ट करूँगा जिससे सभी को वास्तु के विषय में पर्याप्त जानकारी मिल सके और अपनी समस्याओं के सामाधान के लिए किसी को कहीं ओर भटकना नही पड़े।   इसी कड़ी में आज का ज्ञान.... क्रमांक 3.  किस दिशा में कितनी जगह छोड़कर घर बनाये  ( सेड बैक एरिया ) ...  किसी भी भवन का निर्माण करते समय ...वास्तु के हिसाब से  सबसे ज्यादा खुली जगह ...उत्तर दिशा में होनी चाहिए  उत्तर से कम...पुर्व दिशा में  पुर्व से कम...पश्चिम दिशा में  और पश्चिम से कम ...दक्षिण दिशा में हो तो ...ऐसे भवन सर्वश्रेष्ठ होते हैं  अर्थात सबसे ज्यादा उत्तर दिशा में और सबसे कम दक्षिण दिशा में सेड बैक एरिया छोड़कर घर बनाना ज्यादा शुभ होता है  परन्तु ये नियम बड़ी जगहों पर या फ़ार्म हाउस में तो लागु किया जा सकता है पर शहरों में जगह की कमी की वजह से संभव नही है क्योंकि यहाँ सरकारी नियमों के हिसाब से सेड बैक एरिया छोड़ना पड़ता है ....ऐसी स्थिति में वास्तु दोष कम करने के लिए ... उत्तर दिशा का फर्श लेवल सबसे नीचा रखें   पुर्व दिशा क

हनुमानजी तस्वीर

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हनुमान जी की पत्नी के साथ दुर्लभ फोटी कहा जाता है कि हनुमान जी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद घर में चल रहे पति पत्नी के बीच के सारे तनाव खत्म हो जाते हैं। आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में बना हनुमान जी का यह मंदिर काफी मायनों में खास है। यहां हनुमान जी अपने ब्रह्मचारी रूप में नहीं बल्कि गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान है। हनुमान जी के सभी भक्त यही मानते आए हैं की वे बाल ब्रह्मचारी थे और वाल्मीकि, कम्भ, सहित किसी भी रामायण और रामचरित मानस में बालाजी के इसी रूप का वर्णन मिलता है। लेकिन पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख है। इसका सबूत है आंध्र प्रदेश के खम्मम ज़िले में बना एक खास मंदिर जो प्रमाण है हनुमान जी की शादी का। यह मंदिर याद दिलाता है रामदूत के उस चरित्र का जब उन्हें विवाह के बंधन में बंधना पड़ा था। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि भगवान हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी नहीं थे। पवनपुत्र का विवाह भी हुआ था और वो बाल ब्रह्मचारी भी थे। कुछ विशेष परिस्थितियों के कारण ही बजरंगबली को सुवर्चला के साथ विवाह बंधन में बंधना पड़ा। दरअसल हनुमान जी ने भगवान स

pukhraj

पुखराज रत्न के चमत्कारी फायदे ? मित्रों पुखराज रत्न धारण करने के अनेकों चमत्कारी फायदे हैं तो चलिए उन सभी की और हम अपना ध्यान केंद्रित करते है। 1. पुखराज रत्न धारण करने से कीर्ति और मान - सम्मान की प्राप्ति होती है इसके अलावा शिक्षा और करियर के क्षेत्र में सफलता की प्राप्ति होती है । 2. पुखराज रत्न उन लड़कियों किए अत्यंत लाभकारी है जिनका विवाह नहीं हो रहा है इसे धारण करने से उन्हें मनचाहे वर की प्राप्ति होती है इसके अलावा इसे धारण करने से व्यक्ति के धर्म और कर्म के प्रति रुचि बढ़ती है। 3. शिक्षकों, प्रशासनिक अधिकारियों, वकीलों, न्यायधीशों, शिक्षकों और राजनेताओं को पुखराज अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से उन्हें अत्यंत लाभ मिलेगा। 4. इसे धारण करने से संतान सुख की प्राप्ति होती है और इससे जीवन में बिगड़े काम बनने लगते हैं, यदि जीवन में अधिक समस्याएं है तो उन सभी समस्याओं का निवारण होता है और इसके अलावा इसे धारण करने से भाग्य में वृद्धि होती है। 5. यदि आपके लीवर में परेशानी है, वह ढंग से कार्य नहीं कर रहा है और यदि आप हेपेटाइटिस जैसे रोगों से ग्रस्त है तो ऐसी स्तिथि में आपको धा

मूंगा रत्न धारण करने के चमत्कारी फायदे ?

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मूंगा रत्न धारण करने के चमत्कारी फायदे ? इस रत्न को चांदी, सोना या तांबें में धारण करने से बुरी नजर से छुटकारा मिलता है एवं भूत प्रेत आदि के भय हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं । मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से उन्हें अत्यंत लाभ प्राप्त होगा । मूंगा रत्न पहनने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है एवं दूसरों के प्रति ईर्ष्या समाप्त होती है। मानसिक थकावट एवं उदासी पर नियंत्रण पाने के लिए मूंगा अवश्य धारण करें । कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर इंजीनियर, हथियार बनाने वाले, सर्जन करने वाले, पुलिस, डॉक्टर, आर्मी आदि के लोगों को मूंगा धारण करने से विशेष प्रकार का लाभ मिलता है । यदि आप आलसी हैं तो आपको मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से आलस से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है। यदि किसी व्यक्ति को रक्त से संबंधित समस्याएं हैं तो उसे मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से अत्यंत लाभ मिलेगा । पीलिया एवं मिर्गी रोगियों के लिए मूंगा धारण करना अत्यधिक लाभकारी है। यदि आपके जीवन में अनेकों प्रकार की परेशानियां आ रहीं है और आप चाहते

10 House in Rahu

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10 House in Rahu ज्योतिष में माना जाता है कि यदि किसी जातक की कुंडली के दशम भाव में राहु देव विराजमान हो तो जातक अत्याधिक बलवान और निडर होता है। ऐसे जातक बुद्धिमान, परोपकारी और गर्वीले स्वभाव के होते हैं। यहां स्थित राहु जातक को कुछ प्रकार की चिंताएं देता है और जातक के घमण्ड को धीरे धीरे दूर करवाता है। दसवें भाव में राहु होने पर जातक की रुचि काव्य और कविताओं में होती है। ऐसे जातक अच्छे लेखक, पत्रकार या सम्पादक तक हो सकते हैं। दशम स्थान पर राहु होने पर जातक को जीवनकाल में सफलता, सम्मान और कीर्ति प्राप्त होती है। ऐसे जातक लोक समूह, गांव या नगर में किसी बड़े पद पर आसीन हो सकते हैं। राहु की यह स्थिति जातक को मंत्री या सेनापति भी बना सकती है। कर्मस्थान में राहु विराजमान होने पर जातक शत्रुहंता होता है ऐसे जातकों के शत्रु या तो नहीं होते और अगर होते भी हैं तो नष्ट हो जाते हैं। यहां स्थित राहु जातक को गंगा स्नान का लाभ प्रदान करवाता है और जातक समय समय पर यज्ञ आदि भी करता है। दशम स्थान में राहु विराजमान होने पर जातक व्यापार में निपुण होता है और ऐसा जातक अपने जीवन काल में कई प्रकार क

महामृत्युंजय मंत्र

महामृत्युंजय मंत्र भगवान शिव को प्रसन्न करने वाला खास मंत्र है। ये मंत्र ऋग्वेद और यजुर्वेद में भगवान शिव की स्तुती में लिखा है। रुद्राक्ष की माला से इस मंत्र का जप करना चाहिए। जिससे हर तरह की परेशानी और रोग खत्म हो जाते हैं। वहीं अकाल मृत्यु (असमय मौत) का डर भी दूर होता है। शिवपुराण के अनुसार, इस मंत्र के जप से मनुष्य की सभी बाधाएं और परेशानियां खत्म हो जाती हैं।   महामृत्युंजय मंत्र से होता है दोषों का नाश महामृत्युंजय मंत्र का जप करने से मांगलिक दोष, नाड़ी दोष, कालसर्प दोष, भूत-प्रेत दोष, रोग, दुःस्वप्न, गर्भनाश, संतानबाधा कई दोषों का नाश होता है।   1. दीर्घायु (लम्बी उम्र) - जिस भी मनुष्य को लंबी उम्र पाने की इच्छा हो, उसे नियमित रूप से महामृत्युजंय मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के प्रभाव से मनुष्य का अकाल मृत्यु का भय खत्म हो जाता है। यह मंत्र भगवान शिव को बहुत प्रिय है, इसका का जप करने वाले को लंबी उम्र मिलती है।   2. आरोग्य प्राप्ति - यह मंत्र मनुष्य न सिर्फ निर्भय बनता है बल्कि उसकी बीमारियों का भी नाश करता है। भगवान शिव को मृत्यु का देवता भी कहा जाता है। इस मंत्र के जप से र

गुरु चंडाल योग (राहू और गुरु की युति) के प्रभाव एवं समाधान

गुरु चंडाल योग (राहू और गुरु की युति) के प्रभाव एवं समाधान  (पूरा लेख पढ़ें) ज्योतिष शास्त्र बहुत ही गूढ़ शास्त्र है| यह व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्टों का बहुत ही सूक्षम अध्ययन कर सकता है| बस आवश्यकता है इसके सही ज्ञान और सही विशलेषण की| अक्सर हमने देखा है कि विपत्ति के समय बड़े से बड़ा विद्वान व्यक्ति की भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है| और कई बार हमने लोगों को कहते भ सुना है कि जब किसी पर बुरा समय आता है तो उसका नसीब तो साथ छोड़ ही देता है साथ में उसकी बुद्धि भी साथ नही देती| तो ऐसा क्या कारण है कि भाग्य साथ न देने से बुद्धि भी साथ छोड़ देती है| क्यों व्यक्ति बुरे समय में अपनी बुद्धि से काम नही ले पाता है| आइये इसे ज्योतिष के हिसाब से समझते है| ज्योतिष के अनुसार ज्ञान, बुद्धि, मष्तिष्क के लिए कौन सा ग्रह जिम्मेदार है? इसके लिए गुरु यानि बृहस्पति सबसे अधिक जिम्मेदार है| बृहस्पति (गुरु) यह देवताओं का भी गुरु है| गुरु की ज्ञान का कारक है| जब गुरु किसी दुष्ट ग्रह के प्रभाव में आ जाता तो यह बुद्धि सम्बन्धी कार्यों में बहुत अड़चन पैदा करने लगता है| यहाँ हम बात करेंगे गुरु और राहू की युति के बारे

जय श्री हनुमान

क्यों की जाती है मंगलवार के दिन हनुमान जी की पूजा ? कलयुग के देवता माने जाने वाले हनुमान जी की पूजा मंगलवार के दिन की जाती है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन की गई पूजा या व्रत से हनुमान जी प्रसन्न होते हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं लेकिन सवाल यह उठता है कि मंगलवार के दिन ही हनुमान जी पूजा-अर्चना क्यों की जाती है ?  मान्यताओं के अनुसार मंगलवार के दिन ही हनुमान जी का जन्म हुआ था और उन्हें मंगल ग्रह का नियंत्रक भी माना जाता है. इस दिन हनुमान जी की उपासना करने से साहस, आत्मविश्वास और शक्ति की प्राप्ति होती है. अगर मंगलवार की रात्रि में 100 बार हनुमान चालीसा का पाठ किया जाए तो सभी मनोकामना पूरी होती हैं. तुलसी भगवान विष्णु को अत्यंत प्रिय है और उनके अवतारों को भी चढ़ाई जाती है. तुलसी चढ़ाने से जब श्री राम अत्यंत प्रसन्न होते हैं. ऐसे में उनके परम भक्त हनुमान जी का प्रसन्न होना लाजमी है. अगर नित्य प्रातः हनुमान जी को तुलसी जल अर्पित किया जाए तो जीवन भर अन्न का अभाव नहीं होगा. महाभारत के युद्ध में हनुमान जी अर्जुन के रथ के ध्वज पर विराजमान थे और सारे युद्ध में उन्होंने पांडवों की रक्षा क

राहु के कारण बनने वाले अत्यंत शुभ योग

#राहु के कारण बनने वाले अत्यंत शुभ योग #अष्टलक्ष्मी योग राहु के कारण बनने वाला यह अत्यंत शुभ योग होता है। जब किसी व्यक्ति की जन्मकुंडली में राहु छठे भाव में हो और केंद्र स्थान (पहले, चौथे, सातवें, दसवें) में से किसी में बृहस्पति हो तो अष्टलक्ष्मी योग बनता है। कुछ विद्वान राहु के छठे और बृहस्पति के केवल दशम स्थान में होने पर अष्टलक्ष्मी योग बनना मानते हैं। यह योग जिस जातक की कुंडली में होता है, वह महा धनवान बनता है। ऐसे व्यक्ति को कभी धन की कमी नहीं रहती। बृहस्पति के प्रभाव से राहु शुभ फल देकर जातक को धनवान बनाता है। #परिभाषा योग जिस जातक की जन्मकुंडली में लग्न, तीसरे, छठे या ग्यारहवें भाव में राहु हो और उस पर शुभ ग्रहों की दृष्टि पड़ रही हो तो परिभाषा योग बनता है। इस योग के प्रभाव से जातक को पूरे जीवन आर्थिक लाभ होता रहता है। जातक या तो किसी धनी परिवार में जन्म लेता है या फिर अपने कर्म के कारण अत्यंत धनवान बनता है। इस योग में जन्मे व्यक्ति के जीवन में कभी बाधा नहीं आती और कठिन काम भी यह आसानी से पूरे कर लेता है। #लग्नकारक योग अपने नाम के अनुरूप यह योग लग्न के अनुसार बनता है। जिस जातक का

फिरोजा रत्न के फायदे:--

फिरोजा रत्न के फायदे:-- 🔰➖🔰➖🔰➖🔰➖🔰➖🔰➖🔰➖🔰 फिरोजा रत्न व्यक्ति को अंजान रास्ते पर भटकने से रोकता है और हानिकारक चीज़ों से बचाता है। फिरोजा रत्न को धारण करने के कोई नुकसान अभी तक नहीं जाने गए इसलिए इसे कोई भी पहन सकता है।  फिरोजा के कुछ और भी लाभ हैं, जो इस प्रकार हैं- 🔰 हमारे द्वारा अभिमंत्रित ईरानी फिरोजा रत्न प्राप्त कराया जाता है जिस भी सज्जन को हमारे द्वारा फिरोजा प्राप्त करना हो वह प्राप्त कर सकता है स्पीड पोस्ट के माध्यम से प्राप्त कराया जाएगा हमसे फिरोजा प्राप्त करने के लिए हमें व्हाट्सएप करें:- 9918779096 🔰 अभिमंत्रित ईरानी फिरोजा रत्न प्राइस ₹250 रुपए रत्ती (कैरेट) 🔰 1-पति पत्नी और प्रेमी प्रेमिकाओं के प्रेम को प्रगाढ़ करता है। 2-शनि और बृहस्पति के द्वारा उत्पन्न हो रही वैवाहिक समस्याओं जैसे विवाह विच्छेद, विवाह में रुकावट, विवाह में देरी, विवाह का टूटना इत्यादि चीजों में भी फिरोजा का अतुलनीय योगदान रहा है और इन चीजों की समस्याओं का निराकरण करता है। 3-फिरोजा के द्वारा इंसान के दुर्भाग्य छूट जाते हैं और भाग्य साथ देना शुरू कर देता हूं इंसान को लग्जरियस लाइफ लग्जरी सुख-स

गरुड़ पुराण:

*🚩🕉️गरुड़ पुराण: जब होने लगे ये 9 बातें तो समझ लें भगवान की कृपा है आपपर *🚩🌹कुछ लोगों पर भगवान की विशेष कृपा होती है और उन्हें भविष्य में होने वाली शुभ-अशुभ घटनाओं का आभास होने लगता है।*   *🚩🌹देवी-देवताओं की मनाने के लिए सभी लोग पूजा-पाठ करते हैं, मंत्रों का जाप करते हैं, उपाय करते हैं, लेकिन कुछ ही लोगों को भगवान की प्रसन्नता मिल पाती है।  कुछ ऐसी बातें जो भगवान की प्रसन्नता का संकेत देती हैं। जानिए ये संकेत कौन-कौन से हैं...* *1. 🚩🌹जिन लोगों पर भगवान की कृपा होती हैं, उन्हें पूर्वाभास होने लगता है। ऐसे लोगों को भविष्य में होने वाली घटनाओं का आभास पहले से ही हो जाता है।* *2. 🚩🌹अगर कोई व्यक्ति शिक्षित है और अपनी शिक्षा से पैसा कमा पा रहा है तो ये शुभ संकेत है, क्योंकि बहुत कम लोग अपनी शिक्षा का सही उपयोग कर पाते हैं।* *3. 🚩🌹जिन लोगों का स्वास्थ्य हमेशा अच्छा रहता है, वे भाग्यशाली होते हैं और ये भी भगवान की प्रसन्नता का ही संकेत है।* *4. 🚩🌹सुयोग्य जीवन साथी मिलना भी भगवान की कृपा का ही संकेत है।* *5. 🚩🌹अगर किसी व्यक्ति की संतान आज्ञाकारी है तो समझ लेना चाहिए उस पर भगवान

गोपाल अष्टमी विशेष :

✨गोपाल अष्टमी विशेष :-  गौ माता से जुड़ी कुछ रोचक जानकारी । 1. गौ माता जिस जगह खड़ी रहकर आनंदपूर्वक चैन की सांस लेती है । वहां वास्तु दोष समाप्त हो जाते हैं । 2. गौ माता में तैंतीस कोटी देवी देवताओं का वास है । 3. जिस जगह गौ माता खुशी से रभांने लगे उस देवी देवता पुष्प वर्षा करते हैं । 4. गौ माता के गले में घंटी जरूर बांधे ; गाय के गले में बंधी घंटी बजने से गौ आरती होती है । 5. जो व्यक्ति गौ माता की सेवा पूजा करता है उस पर आने वाली सभी प्रकार की विपदाओं को गौ माता हर लेती है । 6. गौ माता के खुर्र में नागदेवता का वास होता है । जहां गौ माता विचरण करती है उस जगह सांप बिच्छू नहीं आते । 7. गौ माता के गोबर में लक्ष्मी जी का वास होता है । 8. गौ माता के मुत्र में गंगाजी का वास होता है । 9. गौ माता के गोबर से बने उपलों का रोजाना घर दूकान मंदिर परिसरों पर धुप करने से वातावरण शुद्ध होता है सकारात्मक ऊर्जा मिलती है। 10. गौ माता के एक आंख में सुर्य व दूसरी आंख में चन्द्र देव का वास होता है । 11. गाय इस धरती पर साक्षात देवता है । 12. गौ माता अन्नपूर्णा देवी है कामधेनु है । मनोकामना पूर्ण करने वाली है

आवला अष्टमी

🌿अक्षय आँवला नवमी 2021🌿  12नवंबर 2021 को आँवला नवमी मनाई जाएगी, गोपाष्टमी से अगले दिन ही कार्तिक शुक्ल पक्ष की नवमी को आमला नौमी के नाम से मनाया जाता है. जैसा की नाम से ही स्पष्ट है इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा की जाती है. दीया व धूप जलाकर आँवले के वृक्ष की 108 बार परिक्रमा की जानी चाहिए. अपनी सामर्थ्यानुसार ब्राह्मण को दान दक्षिणा दी जाती है. इस दिन भोजन में आँवले का सेवन जरुर करना चाहिए.  आँवला नवमी की कहानी  प्राचीन समय में एक आँवलिया राजा था वह रोज एक मन सोने के आँवले दान करता था और उसके बाद ही भोजन करता था. एक बार उसके बहू-बेटे सोचने लगे कि अगर यह रोज इसी तरह दान करता रहा तो एक दिन सारा धन समाप्त हो जाएगा. एक दिन उसके एक पुत्र ने राजा से कहा कि आप आँवले का दान बंद कर दें नहीं तो सारा धन खतम हो जाएगा. यह सुनकर राजा व रानी महल छोड़ एक उजाड़ स्थान पर आ गए और आँवला दान ना करने की स्थिति में उन दोनों ने भोजन नहीं किया. यह देख भगवान सोचने लगे कि यदि हमने इसका मान नहीं रखा तो संसार में कोई हमें कैसे मानेगा ! भगवान ने राजा को सपने में कहा कि तुम उठो और देखो कि तुम्हारी पहले जैसी रसोई ह

शनि

*खराब शनि के लक्षण और साधारण उपाय* आपके जन्म चार्ट में शनि को समझने से आपको जीवन की पूरी क्षमता को अनलॉक करने में मदद मिलती है। यह आश्चर्य की बात नहीं है कि शनि को अक्सर कर्म ग्रह के रूप में संदर्भित किया जाता है। हमारे चार्ट में शनि का स्थान हमारे लंबित कर्मों को समझने की कुंजी है। जब आप शनि को अपना मित्र बनाना सीख जाते हैं, तो आप अपने जीवन की पूरी क्षमता को अनलॉक कर पाएंगे। शनि आपको बृहस्पति या शुक्र की तुलना में बहुत अधिक पुरस्कृत करने की क्षमता रखता है जिन्हें अक्सर सबसे बड़ा लाभकारी कहा जाता है। *कमजोर या नकारात्मक शनि के संकेत* 1. थकन - रात की अच्छी नींद के बाद भी दिन भर ऊर्जावान बने रहने में असमर्थता। - इसे ठीक करने का तरीका प्राणायाम या ब्रीदिंग एक्सरसाइज है। 2. ठंड लगना - अगर आपको ठंड लग रही है तो यह फिर से कमजोर शनि का संकेत है। इसे ठीक करने का एक तरीका है ठंडे पानी की बौछारें लेना और ठंड के मौसम को ध्यान से गले लगाना। 3. तनाव - यह फिर से एक कमजोर शनि का संकेत है। हम सभी कई बार तनाव महसूस करते हैं, लेकिन अगर आप लगातार तनाव महसूस करते हैं, तो आपको रुकने की जरूरत है, ब्रेक लें

करियर निर्माण में बृहस्पति या गुरु ग्रह की भूमिका।।

।।करियर निर्माण में बृहस्पति या गुरु ग्रह की भूमिका।। जिन व्यक्तियों की कुंडली में गुरु ग्रह बलवान स्थिति में होता है ऐसे व्यक्तियों के अंदर ज्ञान की कभी कोई कमी नहीं रहती है। साथ ही ऐसे व्यक्ति शिक्षा के क्षेत्र में बिना किसी बाधा और परेशानी के आगे बढ़ते हैं। जिस व्यक्ति की कुंडली में गुरु ग्रह या बृहस्पति ग्रह अनुकूल स्थिति में होते हैं ऐसे व्यक्तियों का करियर खराब से खराब परिस्थिति के बावजूद बृहस्पति की दशा अंतर्दशा में या अनुकूल गोचर होने पर करियर में सफलता अवश्य प्राप्त होती है। ज्योतिष में गुरु ग्रह को दर्शन, धर्म, ज्ञान, आदि का कारक माना गया है। यदि कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत स्थिति में स्थित हो तो ऐसे व्यक्ति वकील, बैंक मैनेजर, बड़ी कंपनी में डायरेक्टर, ज्योतिषी, शिक्षक, शेयर मार्केट में उच्च पद पर काम करने वाले, शिक्षा क्षेत्र में, शिक्षण संस्थानों के संचालक आदि बन सकते हैं कार्यों में मुद्रा का क्रय-विक्रय, कूटनीतिक सलाहकार, चिकित्सा, पुजारी तथा धर्म-कर्म के कार्य, प्रवक्ता, धार्मिक संस्थानों के अधिकारी व ट्रस्टी, संचालक, दार्शनिक, साहित्यकार, कैशियर, मंत्री और राजनीतिज्ञ