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Showing posts from April, 2023

बिल्व पत्र की विशेषता

बिल्व पत्र की विशेषता 〰️〰️🌼🌼🌼〰️〰️ भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र यानी बेल पत्र का विशेष महत्व है। महादेव एक बेलपत्र अर्पण करने से भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए तो उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है। बिल्व तथा श्रीफल नाम से प्रसिद्ध  यह फल बहुत ही काम का है। यह जिस पेड़ पर लगता है वह शिवद्रुम भी कहलाता है। बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है।  बेल के पत्ते शंकर जी  का आहार माने गए हैं, इसलिए भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें महादेव के ऊपर चढ़ाते हैं। शिव की पूजा के लिए बिल्व-पत्र बहुत ज़रूरी माना जाता है। शिव-भक्तों का विश्वास है कि पत्तों के त्रिनेत्रस्वरूप् तीनों पर्णक शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। भगवान शंकर का प्रिय 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ भगवान शंकर को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं। भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। शिवरात्रि के अवसर पर बिल्वपत्रों से विशेष रूप से शिव की पूजा की जाती है। तीन पत्तियों वाले बिल्व पत्र आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं, किंतु कुछ ऐसे बिल्व पत्र भी होते हैं जो दुर्लभ पर चमत्कारिक और अद्भुत होते हैं। ब

गायत्री मंत्र

गायत्री मंत्र यजुर्वेद में वर्णित यह मंत्र सूर्यदेव को समर्पित है और कलयुग में भी उतना प्रभावी है जितना बीते युगों में था, "शायद" कोई मंत्र कलयुग में इतनी जल्दी प्रभाव न दिखाए जितना जल्दी प्रभाव यह मंत्र दिखाता है,इस मंत्र के लाभ का तो कहना ही क्या अगर किसी को राजा जैसा पद चाहिए या राजा ही बनना है तो यह मंत्र एकदम सटीक है, परंतु इस मंत्र के नियम भी उतने ही प्रभावी है जितने बीते युगों में थे, अगर इस मंत्र के नियम का पालन नहीं किया तो लेने के देने पड़ जाते है ऐसे उदाहरण बहुत है,क्योंकि कलयुग में नियम कायदे का पालन करना मुश्किल है, न ही ज्ञान है न परिस्थिति है। परंतु फिर भी कलयुग के हिसाब से कुछ छूट दी गई है,वो में आपको बताता हूं, और कोन इस मंत्र का लाभ उठा सकता है और कोन इसका जाप नहीं कर सकता यह भी बताता हूं। जो झूठ नही बोलते, लोगों को गुमराह करके पैसा नहीं कमाते,या गैर जरूरी लाभ नहीं कमाते हो,ईमानदार रहते हो अपने प्रति भी और दूसरो के प्रति भी, गुस्सा नहीं करते जब तक बहुत आवश्यकता न हो, आलोचना या बुराई नहीं करते, गैर जरूरी कामुकता से बच के रहते हो उन्हें ही गायत्री मंत्र जप करन

pizza

Easy & Simple  Pizza Recipe Ingredients 3 cups all purpose flour 2 ½ tsp active yeast 1 ¼ cups warm water 1 tsp salt 2 tbsp olive oil 1-2 cups chilli gallic sauce shredded Mozzarella fresh veggies like bell peppers, onions, mushrooms, olives and etc pepperoni,chicken, or grounded beef Directions Step 1 In a small bowl, whisk together warm water and yeast, and set aside. The mixture should start to foam after a few minutes. In a large mixing bowl, combine flour, salt, and gluten if using. Stir well, then add the water/yeast mixture and olive oil. Stir until a ball forms. Use your hands to knead the dough for several minutes. Form the dough into a loose ball, drizzle a little olive oil on top, and cover the bowl with a clean dish towel. Let the dough rise for 2-3 hours. Step 2 When the first rise is finished, punch down the dough and cut the ball in half. Roll each piece of dough into a new ball, place them in separate bowls, and let them rise for another 30 minutes. Meanwhile, prehe

रामायण में छुपे दस रहस्य , जिनसे हम अपरिचित हैं

*┈┉सनातन धर्म की जय,हिंदू ही सनातनी है┉┈* रामायण में छुपे दस रहस्य , जिनसे हम अपरिचित हैं 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं , लेकिन इस महाकाव्य में रहस्य बनकर छुपी हैं कुछ ऐसी छोटी छोटी कथाएं जिनसे हम लोग परिचित नहीं हैं , तो आइये जानते हैं वे कौन सी दस बातें है। १. रामायण राम के जन्म से कई साल पहले लिखी जा चुकी थी | रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है। इस महाकाव्य में २४ हजार श्लोक, पांच सौ उपखंड तथा उत्तर सहित सात कांड हैं। २. वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को, पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में हुआ था। उस समय सूर्य, मंगल, शनि, गुरु और शुक्र ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान में विद्यमान थे तथा लग्न में चंद्रमा के साथ गुरु विराजमान थे। यह सबसे उत्कृष्ट ग्रह दशा होती है , इस घड़ी में जन्म बालक अलौकिक होता है। ३. जिस समय भगवान श्रीराम वनवास गए, उस समय उनकी आयु लगभग २७ वर्ष थी। राजा दशरथ श्रीराम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन वे वचनबद्ध थे। जब श्रीराम को रोकने का कोई उपाय नहीं सू

BUTTER COOKIES

BUTTER COOKIES Ingredients: 200 grams pomade butter (blend at room temperature) 120 grams of sugar 280 grams of wheat flour 1 teaspoon vanilla essence Preparation: 1. In a bowl start by mixing the butter with the sugar. Remember that butter must be at room temperature in order to work well with it. We blend in pretty well. 2. Once mixed, add in the teaspoon of vanilla essence. 3. We continue with the sifted flour. We run the flour through a sinker before putting it into the bowl. We blend in pretty well. 4. Now it's time to shape them up. The easiest thing is to make a roll as you see below with the help of paper film and put it in the fridge for 1 hour or so. From there on, we'll be "cutting slices" of more or less 1 cm and baking them. 5. Put them in a cut oven tray and bake them at 180° for about 11-12 minutes. The moment we see the edges starting to gold we take them out. If you see that they are soft don't leave them anymore because I once made that mistake,

रामायण में छुपे दस रहस्य , जिनसे हम अपरिचित हैं

रामायण में छुपे दस रहस्य , जिनसे हम अपरिचित हैं 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ रामायण की लगभग सभी कथाओं से हम परिचित ही हैं , लेकिन इस महाकाव्य में रहस्य बनकर छुपी हैं कुछ ऐसी छोटी छोटी कथाएं जिनसे हम लोग परिचित नहीं हैं , तो आइये जानते हैं वे कौन सी दस बातें है। 1. रामायण राम के जन्म से कई साल पहले लिखी जा चुकी थी | रामायण महाकाव्य की रचना महर्षि वाल्मीकि ने की है। इस महाकाव्य में 24 हजार श्लोक, पांच सौ उपखंड तथा उत्तर सहित सात कांड हैं। 2. वाल्मीकि रामायण के अनुसार भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को, पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में हुआ था। उस समय सूर्य, मंगल, शनि, गुरु और शुक्र ग्रह अपने-अपने उच्च स्थान में विद्यमान थे तथा लग्न में चंद्रमा के साथ गुरु विराजमान थे। यह सबसे उत्कृष्ट ग्रह दशा होती है , इस घड़ी में जन्म बालक अलौकिक होता है। 3. जिस समय भगवान श्रीराम वनवास गए, उस समय उनकी आयु लगभग 27 वर्ष थी। राजा दशरथ श्रीराम को वनवास नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन वे वचनबद्ध थे। जब श्रीराम को रोकने का कोई उपाय नहीं सूझा तो उन्होंने श्रीराम से यह भी कह दिया कि

श्री महाराणा प्रताप सिंह जी)

नाम - कुँवर प्रताप जी (श्री महाराणा प्रताप सिंह जी) जन्म - 9 मई, 1540 ई. जन्म भूमि - कुम्भलगढ़, राजस्थान पुण्य तिथि - 29 जनवरी, 1597 ई. पिता - श्री महाराणा उदयसिंह जी माता - राणी जीवत कँवर जी राज्य - मेवाड़ शासन काल - 1568–1597ई. शासन अवधि - 29 वर्ष वंश - सुर्यवंश राजवंश - सिसोदिया राजघराना - राजपूताना धार्मिक मान्यता - हिंदू धर्म युद्ध - हल्दीघाटी का युद्ध राजधानी - उदयपुर पूर्वाधिकारी - महाराणा उदयसिंह उत्तराधिकारी - राणा अमर सिंह अन्य जानकारी - महाराणा प्रताप सिंह जी के पास एक सबसे प्रिय घोड़ा था, जिसका नाम 'चेतक'🐎 था। राजपूत शिरोमणि महाराणा प्रतापसिंह उदयपुर, मेवाड़ में सिसोदिया राजवंश के राजा थे। वह तिथि धन्य है, जब मेवाड़ की शौर्य-भूमि पर मेवाड़-मुकुटमणि राणा प्रताप का जन्म हुआ। महाराणा का नाम इतिहास में वीरता और दृढ़ प्रण के लिये अमर है। महाराणा प्रताप की जयंती विक्रमी सम्वत् कॅलण्डर के अनुसार प्रतिवर्ष ज्येष्ठ, शुक्ल पक्ष तृतीया को मनाई जाती है। महाराणा प्रताप के बारे में कुछ रोचक जानकारी:- 1... महाराणा प्रताप एक ही झटके में घोड़े समेत🏇 दुश्मन सैनिक को काट डालते थे। 2

शादी के उपाय

शादी के लिए जरूरी उपाय। (१) श्वेत गणपति की प्रत्येक बुधवार को पूजा करें गणपति के माथे पर हल्दी से तिलक लगाएं बाद में अपने माथे पर भी हल्दी का तिलक लगाए हरि ताजा दोब चड़ाए और दूध से अभिषेक करें यह उपाय सात बुधवार करें भगवान गणेश जी से जल्दी विवाह कराने की प्रार्थना करे  (२) जिन कन्याओं की शादी में अड़चन आ रही है तो गुरुवार के दिन चने की दाल और पांच नींबू पंडित जी को या मंदिर में दान करें इससे बृहस्पति देव की कृपा प्राप्त होगी और शादी में आ रही दिक्कतें दूर होगी  (३) जिन लड़कों की शादी में अड़चन आ रही है तो रविवार के दिन मसूर की दाल और गुड पंडित जी को या मंदिर में दान करें इससे सूर्य देव की कृपा प्राप्त होगी और शादी में आ रही दिक्कतें दूर होगी   (४) उगते सूर्य को हल्दी मिश्रित जल चढ़ाने से शादी में देरी की समस्या दूर होती है और जल्द शादी के योग बनते हैं (५) वट वृक्ष और केले के पेड़ में जल चढ़ाएं वट वृक्ष और केले के पेड़ की 4-4 परिक्रमा करें ऐसा करने से विवाह के योग जल्दी बनते हैं।

अक्षय तृतीया

#अक्षय_तृतीया वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाई जाने वाली अक्षय तृतीया को हिंदू पंचांग के सबसे शुभ दिनों में से एक माना जाता है। अक्षय तृतीया को 'अखा तीज' भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, ऐसी मान्यता है कि इसी दिन भगवान परशुराम, नर-नारायण और हयग्रीव का अवतार हुआ था। इस बार अक्षय तृतीया शनिवार, 22 अप्रैल को मनाई जाएगी। इस दिन सूर्य और चन्द्रमा दोनों उच्च राशि में स्थित होते हैं. इसलिए इस दिन सोना खरीदना या नई चीजों में निवेश करना शुभ माना जाता है।  अक्षय तृतीया को सर्व सिद्ध मुहूर्त के नाम से भी जाना जाता है किस तिथि पर विवाह गृह प्रवेश नामकरण घर गाड़ी और बहनों की खरीदारी की खरीदारी करना शुभ माना जाता है। किस दिन पूर्वजों का किया गया तर्पण व पिंडदान सफल होता है इस दिन गंगा स्नान करना भी फलदाई होता है। अक्षय तृतीया पर त्रैतायुग का आरंभ हुआ था, अक्षय तृतीया पर विष्णु अवतार भगवान परशुराम जी और दशमहाविद्या में नवम देवी भगवती राजराजेश्वरी मातंगी का जन्मोत्सव मनाया जाता है।  इस दिन खरीदी गई वस्तु की लंबे समय समृद्धि प्रदान करती है, घर-परिवार के लिए में खुशहा

Mitai recipe:

Mitai recipe: Ingredients: 3 cups TAIFA All Purpose flour  1¼ cups (or less) water/ milk 1 tbsp yeast 1 tbsp margarine ½tsp baking powder ¼tsp ground cardamom powder ¼tsp #Sunsalt  #HalisiFry Preparation: - Mix well all ingredients in a bowl except water.  - Gradually add in water as you knead; to make a soft but firm dough ( not sticky).  - Make 2 or 3 balls, roll them out slightly, and cut out thick (about ¼inch) squares /diamonds.  - Cover the squares and set them aside for about 20mins to rise.  - Heat up Halisi Fry oil in a deep frying pan and deep fry the Mitai in medium- low heat to allow them to cook well inside.  - Once they achieve a golden tan on both sides, take them out of the oil to cool.   Sugar-Coating procedure: - Boil 1½ cup of sugar in 1 cup of water until the syrup achieves a two-thread consistency when stretched between two fingers.  - Add the Mitai to the syrup and turn the heat down to low.  - Hold the sufuria on both sides and start tossing the Mitai so that the

मकर लग्न

ज्योतिष चर्चा 〰️〰️🌼〰️〰️ मकर राशि एवं लग्न सम्पूर्ण परिचय 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ (भो, ज, जी खी खू, खे, ग, गी) यदि किसी जातक को अपने जन्म की तारीख वार समय आदि का विवरण ज्ञात नही है। तो वह अपने नाम के प्रथम अक्षर के अनुसार अपनी राशि निर्धारित कर सकते हैं। मृग वदने लग्नस्थे कृशगामो भीरुरेण वक्त्रश्च। वात व्याधिभिरार्त: प्रदीप्त चक्षु तुंगोग्र नास: स्यात।। धीरो विचक्षण: क्लेशी पुत्र वान्नृपति प्रिय:। कृपालु सत्य सम्पन्नों वदान्यो सुमगो लास:।। अर्थात मकर लग्न में उत्पन्न जातक दुर्बल एवं कृषि शरीर, कुछ डरपोक प्रकृति, हिरण के समान मुख वाला, वायु जनित रोग की संभावना अधिक, चमकीली आंखें, ऊंची नाक वाला, अल्प संतति, धैर्यवान, विभिन्न कलाओं एवं विधाओं का जानकार अर्थात सुपठित व्यक्ति होता है। ऐसा व्यक्ति सुप्रतिष्ठित, परोपकारी एवं पुत्र आदि संतान से युक्त, सत्य प्रिय एवं दान शील स्वभाव का होता है। शनि क्षीण हो तो जातक में आलसी होने की प्रवृत्ति भी होती है। आकाश मंडल में मकर राशि चक्र की दसवी राशि मानी जाती है। नक्षत्र मंडल में  मेश सम्पात बिंदु से इसका विस्तार 270 अंश से 300 अंश तक माना जाता है। मकर

गुरु

ओम शांति  पिछले दिनों मैंने गुरु 12 लग्नो के तीसरे घर मे क्या फल देगा बताया था ,वृचिक तक आज आगे के 2 लग्नो के बारे मे बताऊंगी 1, धनु लग्न में गुरु लग्नेश ओर 4th हाउस का स्वामी होता हैं लग्नेष का तीसरे घर मे होना जात्ताक को पराकर्मी बनाता है जातक अपने पराक्रम से कामयाबी पाता है ,जहा जात्ताक पराक्रम से ही सुख पाता है क्योंकि 4th से यह 12 वा हाउस है । जातक भगयेवान होता है और फ़िल्म लाइन मीडिया लाइन ,लेखक ,बन सकता है 2, मकर लग्न में गुरु तीसरे और बारवे भाव का स्वामी होता है जब यह तीसरे घर मे आता तो जातक पराकर्मी होता है ,अगर तीसरे भाव का स्वामी अगर पीड़ित हो तो जातक की छोटे भाई बहन से सम्बंद खराब होंगे, जक्तक का लेखन में खास रुचि होगी ।बृहस्पति के साथ एक व्यक्ति अपने काम के प्रति अधिक समर्पित होगा, जिससे उनके लक्ष्यों और महत्वाकांक्षाओं को पूरा करना आसान हो जाएगा।  इस प्रक्रिया में, इन जातकों को विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त करने या व्यवसाय से संबंधित यात्राओं पर या पेशेवर मामलों के लिए विदेश यात्रा करने का मौका मिल सकता है।  हालांकि, यदि बृहस्पति वक्री है, तो जातकों का आत्मविश्वास कम हो सकत

घर के पास पेड़

घर के आस पास कौन सा पेड़ या पौधे लगाने से क्या फायदा होगा और क्या नुकसान होगा जानिए नोट- मोटे और मजबूत तने वाले पेड़ घर के गमलों में न लगाएं बल्कि घर के आसपास कही लगाए,ऐसे पेड़ पौधे जो गमलों में अपनी अधिकतम अवस्था में पहुंच सकते है उन्ही पौधो को घर के चार दिवारी के भीतर लगाएं। नुकसान-  1.कदम्ब, केला और नींबू जिसके घर में उत्पन्न होता है उस घर का मालिक कभी विकास नहीं करता, क्योंकि इनकी ऊर्जाएं घर में बंध जाती है,और वो बंधी हुई ऊर्जाएं घरों में फैलने लगती है। 2.पाकर, गूलर, आम, नीम, बहेड़ा तथा कांटेदार वृक्ष, पीपल, अगस्त, इमली ये सभी घर के समीप निंदित कहे गए हैं, क्योंकि ये पेड़ निरंतर बढ़ी मात्रा में ऊर्जा विसर्जित करते है,और मानव अगर काफी लंबे समय तक ऊर्जाएं के, ऐसे वेग को झेलता है तो अधिक ऊर्जाएं के कारण समस्याएं और बाधाएं आती है। 3. पूर्व में पीपल, अग्निकोण में दुग्धदार वृक्ष, दक्षिण में पाकड़, निम्ब, नैऋत्य में कदम्ब, पश्‍चिम में कांटेदार वृक्ष, उत्तर में गुलर, केला, छाई और ईशान में कदली वृक्ष नहीं लगा चाहिए। 4.पूर्व में लगे फलदार वृक्ष से संतति की हानि, पश्चिम में लगे कांटेदार वृक्ष

हस्त रेखा

चारों तरफ से नाम मान सम्मान और पद प्रतिष्ठा प्राप्त होते हैं यदि आपके हाथों में मछली का निशान हो तो जाने अपने हाथों से क्या आप भी हैं भाग्यशाली .... हथेली में कई तरह की रेखाएं होती हैं। इनमें मुख्य रूप से जीवन, भाग्य, स्वास्थ्य, हृदय और धन संबंधी रेखाएं है। हथेली पर मौजूद धन रेखा से आपकी आर्थिक स्थिति कैसी रहेगी।  क्या आप अपनी कमाई से धनवान बनेंगे या कहीं से आपको अचानक धन की प्राप्ति होगी। आइए जानते हैं आपकी हथेली में धन की रेखा क्या कहती है। हस्तरेखा हथेली में धन रेखा जीवन रेखा की तरह हर व्यक्ति की हथेली में एक स्थान से शुरू नहीं होती है। हर व्यक्ति की हथेली में धन की रेखा अलग-अलग स्थानों से और अलग-अलग रेखाओं और पर्वतों से मिलकर बनी होती है।  आपकी हथेली में सूर्य पर्वत, शुक्र पर्वत और गुरु पर्वत उठा हुआ है तो यह संकेत है कि आपकी आर्थिक स्थिति अच्छी होगी और आप सुखी जीवन का आनंद लेंगे।  हस्तरेखा ज्योतिष के अनुसार शुक्र पर्वत भौतिक सुख को दर्शाता है, गुरु पर्वत नेतृत्व क्षमता और सूर्य पर्वत मान-सम्मान और प्रसिद्धि को दर्शाता है। हस्तरेखा: हथेली पर बना शुक्र पर्वत क्या-क्या देता है संकेत

श्री नारायण कवच 〰️〰️🌼🌼〰️〰️

श्री नारायण कवच  〰️〰️🌼🌼〰️〰️ ।।राजोवाच।। 〰️〰️〰️〰️ यया गुप्तः सहस्त्राक्षः सवाहान् रिपुसैनिकान्। क्रीडन्निव विनिर्जित्य त्रिलोक्या बुभुजे श्रियम्।।1 भगवंस्तन्ममाख्याहि वर्म नारायणात्मकम्। यथाssततायिनः शत्रून् येन गुप्तोsजयन्मृधे।।2 राजा परिक्षित ने पूछाः भगवन् ! देवराज इंद्र ने जिससे सुरक्षित होकर शत्रुओं की चतुरङ्गिणी सेना को खेल-खेल में अनायास ही जीतकर त्रिलोकी की राज लक्ष्मी का उपभोग किया, आप उस नारायण कवच को सुनाइये और यह भी बतलाईये कि उन्होंने उससे सुरक्षित होकर रणभूमि में किस प्रकार आक्रमणकारी शत्रुओं पर विजय प्राप्त की ।।1-2 ।।श्रीशुक उवाच।। 〰️〰️〰️〰️〰️ वृतः पुरोहितोस्त्वाष्ट्रो महेन्द्रायानुपृच्छते। नारायणाख्यं वर्माह तदिहैकमनाः शृणु।।3 श्रीशुकदेवजी ने कहाः परीक्षित् ! जब देवताओं ने विश्वरूप को पुरोहित बना लिया, तब देवराज इन्द्र के प्रश्न करने पर विश्वरूप ने नारायण कवच का उपदेश दिया तुम एकाग्रचित्त से उसका श्रवण करो ।।3 विश्वरूप उवाचधौताङ्घ्रिपाणिराचम्य सपवित्र उदङ् मुखः। कृतस्वाङ्गकरन्यासो मन्त्राभ्यां वाग्यतः शुचिः।।4 नारायणमयं वर्म संनह्येद् भय आगते। पादयोर्जानुनोरूर्वोरूदरे

naga mudra meditation

Naga Mudra and its potential benefits in Taoist Meditation. Naga Mudra is a hand gesture used in meditation practices that originated from ancient Indian yogic traditions and has also been adopted in Taoist meditation practices. It involves curling the fingers inwards towards the palm and interlocking them with the thumbs pointing towards the chest. According to Taoist tradition, the Naga Mudra is believed to enhance meditation by facilitating the flow of energy throughout the body. By forming this hand gesture, practitioners are said to activate the energy channels or meridians in their hands and arms, which can stimulate and balance the flow of Qi or life force energy throughout the body. Some of the potential benefits of Naga Mudra in Taoist meditation include: 1) Enhancing focus and concentration - Naga Mudra can help to calm the mind and improve focus during meditation, allowing practitioners to concentrate more deeply on their breath, visualization or inner awareness. 2) Reducing

firoza

फिरोजा रत्न के फायदे 1. फिरोजा रत्न धारण करने से लोगों को अपार यश और अपार धन की प्राप्ति होती है। यह प्रेम संबंधों के लिए भी फायदेमंद साबित होता है और दांपत्य जीवन की मुश्किलों को भी दूर करता है। यह रत्न आत्मविश्वास को बढ़ाता है। साथ ही यह सेहत में सुधार लाता है और आपके स्वभाव को आकर्षक बनाता है। 2. गहरे आसमानी रंग का पत्थर बृहस्पति ग्रह से संबंधित है। कहा जाता है कि धारण करने से कुंडली में बृहस्पति ग्रह की स्थिति को बल मिलता है। इसके अलावा फिरोजा स्टोन राहु केतु के दुष्प्रभाव को कम करने में भी सहायक होता है। 3. शास्त्रों के अनुसार इस रत्न को धारण करने से व्यक्ति के ज्ञान और आत्मविश्वास में वृद्धि होती है। साथ ही जो लोग लंबे समय से व्यापार और नौकरी में असफलता का सामना कर रहे हैं उन्हें भी फिरोजा रत्न पहनने की सलाह दी जाती है। 4. जेमोलॉजी के अनुसार फिरोजा स्टोन को सोने या तांबे की धातु से बना कर पहना जाना चाहिए। वहीं इस रत्न को धारण करने से पहले इसे दूध और गंगाजल के मिश्रण में डालकर शुद्ध करना चाहिए। इसके अलावा, ऐसा माना जाता है कि इस रत्न को पहनने के लिए गुरुवार और शुक्रवार को सबसे अच्