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Showing posts from May, 2023

rudraksh

Rudraksha Beads is Supreme God Shiva Himself. In Hindu Supreme Book and mostly all Script had mention Mantra for Rudraksha Types. The different holy spirtual types of Rudraksha is also known as Rudraksha Mukhi. So Rudraksha mukhi or each types Represent Different hindu god and goddess ,along with god shiva presence in every rudraksha types with its mantra.  Mantra is Process to recite or to please god.Mantra is sentence which is mostly found in ancient 1st hindu language which is also known as 'Sanskrit'. So here are different Hindu God and Goddess Mantra For Each Rudraksha types(Each Mukhi) 1 - First type Rudraksha - 1st type is known as One mukhi Rudraksha ,Rudraksha One mukhi is Direct form of god shiva. Mantra for One mukhi rudraksha are as follows - - Main Mantra - "Om nama shivaya" - Mantra from Padma Puran -' Om Rudra' - Mantra from Shiva puran - 'Om Hreem Namah' (So this above are different mantra for One mukhi rudraksha Described in Different ...

marraige

#No_Marriage_In_Kundali ------------------------------------------ 1. If Venus and Mercury join the 7th house being afflicted by other planets. Neither conjoined with nor aspected by any other benefic planet. they may deprive a native of marriage.  2. If Rahu is in 7th house and is either aspected by or conjoined with at least two malefic planets, one may not marry.  3. If the 7th house is in a sign owned by a malefic planet and if a malefic planet aspects or joins the same one, the native may be deprived of marriage. But if any benefic planet joins or aspects the same, the result may vary.  4. If the 7th house is a house owned by a malefic and if waning or afflicted Moon be there along with a malefic, one may be deprived of marriage.  5. If the 12th house is a house owned by a malefic planet and if waning or afflicted Moon be there along with a malefic, the result is likely to be similar.  6. If heavily afflicted Rahu joins the 9th house, the result may be the ...

व्यजंती माला

विशेष सूचना ध्यान पूर्वक पूरा पढ़ें निशुल्क गुरु भेंट स्वरूप स्वीकार करें। (7727015533 व्हाट्सएप ऐप के माध्यम से संपर्क करें) (अधिक से अधिक इस पोस्ट को शेयर करें जिससे अधिक से अधिक व्यक्ति यह माला धारण करने हेतु प्राप्त कर सकें इस शुभ मंगल कार्य का हिस्सा बन कर भी आप प्रभु श्री कृष्ण की कृपा प्राप्त कर सकते हैं) धारण विधि द्वारा प्रतिष्ठित कृष्ण चैतन्य मंत्रों द्वारा अभिमंत्रित वैजयंती माला धारण करने के लाभ पूर्ण रूप से बताने में शास्त्र भी असमर्थ है परंतु प्रयास करेंगे कि आपको इसके कुछ मुख्य लाभ अवश्य बता सकें। 1)शत्रु मित्रवत व्यवहार करने लगते हैं। 2) सम्मान में वृद्धि होती 3) कार्यों में सफलता प्राप्त होने लगती है 4) आकर्षण शक्ति व्यक्तित्व में उत्पन्न होती है 5) विवाह में आ रही बाधाओं का निवारण होता है 6) मानसिक सुख और शांति प्राप्त होती है 7) लक्ष्मी नारायण की कृपा प्राप्त होती है 10) व्यक्ति में श्री कृष्ण भक्ति उत्पन्न कर विशेष उद्धार करवाती है 11) प्रेम में सफलता प्राप्त होती है 12) वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है 13) लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है 14) जन्मपत्रिका में उपस्थित ग्रह ...

moti

🌪️मोती लग्न राशि के अनुसार🌪️ 🌻राशि के अनुसार उपयुक्तता मेष लग्न की कुण्डली में चन्द्र चतुर्थ भाव का स्वामी है। चतुर्थेश चन्द्र लग्नेश मंगल का मित्र है। अतः मोती धारण करने से मेष लग्न के जातक मानसिक शान्ति, मातृ-सुख, विद्या-लाभ, गृह-भूमि लाभादि प्राप्त कर सकते हैं। मोती चन्द्र की महादशा में विशेष रुप से शुभ फलप्रद होगा। मोती लग्नेश मंगल के रत्न मूंगे के साथ पहनने पर अधिक लाभकर होगा ।  🌻वृष लग्न की कुण्डली में चन्द्र तृतीय भाव का स्वामी है। इस लग्न के जातक को मोती कभी नहीं धारण । करना चाहिये।  🌻मिथुन लग्न में चन्द्र धन भाव का स्वामी है। चन्द्र की महादशा में इस लग्न का जातक मोती पहन सकता है, परन्तु यदि इसके बिना काम चला सके तो अच्छा होगा, क्योंकि चन्द्र मारकेश भी है। परन्तु कुण्डली में यदि चन्द्र द्वितीय का स्वामी होकर एकादश, दशम या नवम भाव में स्थित हो या द्वितीय ही में स्वराशि में हो तो चन्द्र की महादशा में मोती धारण करने से धन लाभ होगा।  🌻कर्क लग्न में चन्द्र लग्नेश है। अतः इस लग्न के जातको को आजीवन मोती धारण करना शुभ फलप्रद होगा। मोती उने स्वास्थ्य की रक्षा करेगा त...

Present Saturn in Satabhisha

🪐Present Saturn in Satabhisha reminds us that It is during tough times we are presented with an incredible opportunity—a chance to learn, grow, even stronger than before. By embracing the darkness, we can unlock the profound lessons that lie hidden within, lessons that hold the power to illuminate our path and free us from the woes that burden us. 🕉 In the depths of obscurity, there exists a guiding light—the wisdom of dharma. Dharma, a timeless and universal principle, offers profound insights into the nature of existence and the human experience. It serves as a beacon of knowledge, leading us towards understanding and enlightenment. Through the wisdom of dharma, we can navigate the shadows, find solace in our trials, and discover the transformative power they hold. 🪔 Moreover, the journey towards self-realization and growth is not merely about gaining intellectual knowledge but also about healing our subconscious blockages. These blockages, often hidden from our conscious awarenes...

कुंडली

कुंडली के छठे, आठवे या बारहवें भाव में कोई ग्रह ना हो या हो तो स्‍वराशि या उच्‍च राशि में हो तो वह व्‍यक्‍ति अपने प्रयासों से बहुत बड़ा व्‍यापारी बनता है। लग्‍नेश और भाग्‍येश अष्‍टम भाव में ना हों और शनि दशम या अष्‍टम में ना हो तो वह जातक अकेले अपना बिजनेस एंपायर खड़ा करता है। एकादश और एकादशेश जहां बैठा हो उस राशि की दिशा से लाभ होता है। सप्‍तम भाव से साझेदारी में व्‍यापार और दशम भाव से निजी व्‍यापार से लाभ होगा या नहीं, इसका पता लगाया जा सकता है। बुध संबंधित भाव एवं भावेश की स्थिति अनुकूल होने पर व्‍यापार में लाभ होता है। राहु और केतु जैसे छाया ग्रहों के साथ बृहस्पति , शनि और बुध अमीर लोगों के पतन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं क्योंकि ये ग्रह जब चार्ट में खराब होते हैं तो जीवन में भाग्य और समृद्धि की हानि कर सकते हैं। बहुत कम समय में। यदि द्वितीय भाव का स्वामी 12वें भाव में स्थित हो या इसके विपरीत हो तो यह दरिद्र योग का कारण बनता है। साथ ही यदि 11वें भाव का स्वामी 12वें भाव में या 12वें भाव का स्वामी 11वें भाव में स्थित हो तो यह दरिद्र योग भी बनाता है। नवमेश और पंचमेश आठवें या बारह...

योग

सावधान, ये 7 हैं कुंडली के सबसे बुरे योग.... अगर आपकी कुंडली में भी मौजूद हैं तो जल्द से जल्द करवाएं इनका निदान- 1. केमद्रुम योग- बुरे योगों में सबसे पहला नाम है केमद्रुम योग का, यह योग कुंडली में चंद्रमा के वजह से बनता है। जब चंद्रमा दूसरे या बारहवें भाव में होता है और चंद्र के आगे-पीछे के भावों में कोई अपयश ग्रह ना हो तो यह स्थिति केमद्रुम योग कही जाती है। जिस भी जातक की कुंडली में यह योग होता है उसे आजीवन धन की परेशानी झेलनी पड़ती है। उसका जीवन संकटों से घिरा रहता है। निदान- अगर आपकी कुंडली में ये योग है तो आपको भगवान गणेश और माता लक्ष्मी के पूजा करनी चाहिए। नियमित तौर पर हर शुक्रवार महालक्ष्मी को लाल गुलाब अर्पित करें। 2. ग्रहण योग- कुंडली में अगर किसी भाव में चंद्रमा और राहु या केतु साथ बैठे हों तो यह स्थिति ग्रहण योग कहलाती है। यदि इसमें सूर्य भी साथ हो जाए तो ऐसे व्यक्ति की मानसिक स्थिति बहुत ज्यादा खराब हो जाती है। वह एक जगह स्थित नहीं बैठता है, बारापनी जोब और स्थान में बदलाव करता ही रहता है। ऐसे व्यक्ति को पागलपन के दौरे भी पड़ते हैं। निदान- अगर आपकी कुंडली में भी ऐसे योग बनते ह...

काला धागा और नारियल दूर कर देगा आपकी पैसों की किल्लत⛔️:-

🔵काला धागा और नारियल दूर कर देगा आपकी पैसों की किल्लत⛔️:- ☣️माना जाता है कि हमारे सुख और दुख के पीछे ग्रहों की शुभ और अशुभ स्थिति होती है। कुंडली में स्थित नौ ग्रहों में यदि कोई एक ग्रह भी अशुभ फल देने वाला है तो व्यक्ति को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।  🟤सभी नौ ग्रहों में सर्वाधिक शनि को क्रूर ग्रह माना जाता है। शनि को न्यायाधीश का पद प्राप्त है और यही हमारे अच्छे-बुरे का फल प्रदान करता है। ये एक मात्र ऐसा ग्रह है जो एक साथ पांच राशियों पर सीधे-सीधे प्रभाव डालता है।  🕎तीन राशि पर साढ़ेसाती रहती है और दो राशियों पर ढैय्या रहती है। हस्तरेखा तज्ञ विनोद्जी के मुताबिक इन परिस्थितियों में यदि कोई व्यक्ति परेशानियों का सामना कर रहा है तो उसे शनिवार के दिन ये उपाय करना चाहिए- 🟠शनिवार के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठें और सभी नित्य कर्मों से निवृत्त होकर पवित्र हो जाएं। इसके बाद श्रीगणेश सहित इष्ट देवी-देवताओं का स्मरण करें। इसके बाद आपकी जितनी लंबाई है उतना ही काला धागा लें और इसे नारियल पर लपेट लें। 🔱इस दौरान शनि देव स्मरण करते रहे। धागा लपेटने के बाद नारियल का विधिवत ...

शरीर के विभिन्न अंगों पर तिलों का फल~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

शरीर के विभिन्न अंगों पर तिलों का फल ~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~ भारतीय ज्योतिष में सामुद्रिक शास्त्र में शरीर के विभिन्न अंगों पर पाए जाने वाले तिलों का सामान्य फल इस प्रकार है। १- ललाट पर तिल – ललाट के मध्य भाग में तिल निर्मल प्रेम की निशानी है। ललाट के दाहिने तरफ का तिल किसी विषय विशेष में निपुणता, किंतु बायीं तरफ का तिल फिजूलखर्ची का प्रतीक होता है। ललाट या माथे के तिल के संबंध में एक मत यह भी है कि दायीं ओर का तिल धन वृद्धिकारक और बायीं तरफ का तिल घोर निराशापूर्ण जीवन का सूचक होता है। २-  भौंहों पर तिल – यदि दोनों भौहों पर तिल हो तो जातक अकसर यात्रा करता रहता है। दाहिनी पर तिल सुखमय और बायीं पर तिल दुखमय दांपत्य जीवन का संकेत देता है। ३- आंख की पुतली पर तिल – दायीं पुतली पर तिल हो तो व्यक्ति के विचार उच्च होते हैं। बायीं पुतली पर तिल वालों के विचार कुत्सित होते हैं। पुतली पर तिल वाले लोग सामान्यत: भावुक होते हैं। ४-  पलकों पर तिल – आंख की पलकों पर तिल हो तो जातक संवेदनशील होता है। दायीं पलक पर तिल वाले बायीं वालों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील होते हैं। ५-  आंख पर तिल – दायीं ...

ग्रहों के धागे

कीमती रत्न नहीं पहन सकते हैं तो ग्रहों के रंग का धागा बांधें मिलेगी सफलता आपने  देखा होगा कि बच्चों के हाथों या गले में काला धागा बांधा जाता है जो उन्हें बुरी नजर से बचाता है उसी प्रकार अन्य रंग के धागे भी कई प्रकार की बाधाओं और मुसीबतों से रक्षा करते हैं कीमती रत्न नहीं पहन सकते तो ग्रहों के रंग का धागा बांधकर देखें मिलेगी सफलता   (१) हर जातक को अपने  ग्रहों की स्थिति के अनुसार ही रंग का चयन करना चाहिए     (२) शनि की कृपा प्राप्त करने के लिए नीले रंग का सूती धागा बांधना चाहिए   (३) बुध ग्रह के लिए हरे रंग का धागा बांधना चाहिए   (४) गुरु ग्रह के लिए हाथ में पीले रंग का रेशमी धागा बांधना चाहिए   (५) शुक्र ग्रह या लक्ष्मी की कृपा के लिए सफेद या क्रीम रेशमी धागा बांधना चाहिए   (६) चंद्र ग्रह के अच्छे प्रभाव के लिए सफेद और गुलाबी धागा बांधना चाहिए   (७) राहु ग्रह की कृपा के लिए काले रंग का धागा बांधना चाहिए  (८) केतु ग्रह की कृपा के लिए भूरे रंग का धागा बांधना चाहिए (९) मंगल ग्रह की कृपा के लिए लाल रंग का धागा हाथ में बांधना चाहिए ...

पूर्ण विवाह

पुनर्विवाह ऐसी ग्रहदशा कराती है एक से अधिक विवाह…… दाम्पत्य जीवन  में पड़ने वाले शुभ व अशुभ प्रभाव जन्मकुंडली का सप्तम स्थान दाम्पत्य जीवन से सम्बन्धित फल देता है। सप्तम स्थान पर पडने वाला शुभ व अशुभ प्रभाव का मिला जुला रूप एक से अधिक शादी के योग बनाता है। बहु विवाह के योग कैसे बनते है और ग्रहों की वह कौन सी स्थिति है जिसके द्वारा यह जाना जाये की दो शादी क्यों होती है आइये जाने- दूसरे विवाह का बन सकता है योग – सप्तम स्थान पर यदि दो पापी ग्रहों का प्रभाव हो तथा सप्तमेष की दृष्टी सप्तम स्थान पर पड रही हो तो व्यक्ति का एक विवाह टूटने के बाद दूसरे विवाह का योग बनता है। इस योग में जहां सप्तम स्थान पर अशुभ ग्रह विवाह से दूर रखते है वहीं सप्तमेश का सप्तम स्थान पर प्रभाव विवाह का सुख बना देता है। विवाह से पहले जरूर करें मैंच मेकिंग प्रथम विवाह में आ सकती है दिक्कत – सप्तमेष यदि दूसरे, छठें या बारहवें स्थान पर स्थित हो तथा सप्तम स्थान पर कोई पापी ग्रह बुरा प्रभाव बना रहा हो तो प्रथम विवाह में दिक्कत आती है। सप्तम स्थान पर अशुभ ग्रह का प्रभाव विवाह के सुखों से हीन करता है। जब सप्तमेष दूसरे स...

सूर्य शनि

शनि और सूर्य दसवें घर में  वैदिक ज्योतिष के अनुसार दसवें घर से कर्म, जय ,यश,जीविका , व्यापार और उच्च स्थान या पोजीशन ,आचार, हुकूमत आदि का विचार किया जाता है। इसे केंद्र स्थान भी कहा जाता है |  ज्योतिष में शनि ग्रह को आयु, दुख, कर्मचारी, सेवक,विज्ञान, तकनीकी, लोहा, खनिज तेल, जेल आदि का कारक माना जाता है। वंही सूर्य को ऊर्जा, पिता, आत्मा का कारक माना जाता है। सभी ग्रहों का राजा भी सूर्य है। व्यक्तित्व ,पिता,वैद,प्रतिष्ठा , सोना, ताम्बा ,युद्ध में विजय,सुख,राजसेवक,ताक़त,देवस्थान, जंगल,पहाड़, पित्त प्रकृति आदि का विचार सूर्य से किया जाता है | कुंडली के दसवें घर में शनि और सूर्य का योग व्यक्ति की महत्वाकांक्षाओं को विस्तार देता है और परिपक्वता भी। इसलिए ऐसा व्यक्ति नेतृत्व करने में आगे रहता है। व्यक्ति सरकार में , प्रशासन में या सार्वजनिक सेवक के रूप में सफलता प्राप्त कर सकता है। रिसर्च के कामों में रूचि ले सकता है , राजनीति के शिखर पर जा सकता है क्योंकि इनकी कार्यशैली बहुत ही कमाल की होती है और लोगों को प्रभावित करती है , लोग इनकी तरफ खींचे चले आते हैं। सरकार का हिस्सा बन सकते हैं य...

मूँगा लग्न राशि के अनुसार राशि के अनुसार उपयुक्तता -🌻

🌻मूँगा लग्न राशि के अनुसार राशि के अनुसार उपयुक्तता -🌻 🌻 मेष लग्न में मंगल लग्न का स्वामी होता है। अतः मेष लग्न के जातक को मूंगा आजीवन धारण करना चाहिए। उसके धारण करने से आयु में वृद्धि, स्वास्थ्य में उन्नति, यश, मान प्राप्त होगा तथा जातक हर प्रकार से सुखी रहेगा। 🌻 वृषभ लग्न में मंगल द्वादश और सप्तम का स्वामी होता है। अतः इस लग्न के जातक को मूंगा धारण नहीं करना चाहिए। 🌻 मिथुन लग्न में मंगल षष्ठ और एकादश का स्वामी है। यदि मंगल एकादश या षष्ठ में ही स्थित हो तो मंगल की महादशा में मूंगा धारण किया जा सकता है। हम तो यह सलाह देंगे कि मिथुन के जातक यदि मूंगे से दूर ही रहें तो अच्छा है, क्योंकि लग्नेश बुध और मंगल परस्पर मित्र नहीं हैं।  🌻कर्क लग्न के लिए मंगल पंचम और दशम भाव का स्वामी होने के कारण एक योग कारक ग्रह है। मूंगा सदा धारण करने से सन्तान सुख, बुद्धि बल, भाग्योन्नति, यश, मान, प्रतिष्ठा राज्य-कृपा तथा व्यवसाय में सफलता प्राप्त होती है। यदि लग्नेश के रत्न मोती के साथ मूंगा धारण किया जाये तो बहुत ही शुभ फलदायक होता है-विशेषकर स्त्रियों के लिए। मंगल की महादशा में इसका धारण करना पू...

चारों चरणों पर नवग्रह प्रभाव सूर्यअश्विनी (१)

चारों चरणों पर नवग्रह प्रभाव सूर्य अश्विनी (१) सूर्य पर मंगल की दृष्टि हो तो जातक क्रूर स्वभाव का होता है। उसके नेत्र बड़े एवं रक्तिम होते हैं। सूर्य पर बुध की दृष्टि हो तो जातक शांति से जीवन व्यतीत करता है। उसका व्यक्तित्व भी प्रशंसनीय रहता है। बृहस्पति की दृष्टि हो तो वह सत्तासुख भोगता है। शुक्र की दृष्टि हो तो वह अति भोगविलास में मग्न रहता है। यदि शनि की दृष्टि हो तो दरिद्र रहता है। प्रथम चरण में सूर्य स्थित हो तो जातक की आयु दीर्घ रहती है। वह मधुरभाषी, संतति द्वारा विशेष सुख एवं आनंद प्राप्त करनेवाला होता है। उसे पित्तवातादि रोगों का कष्ट रहता है। द्वितीय चरण में सूर्य स्थित हो तो जातक की स्थिति श्रेष्ठ नहीं होती। अपनी आयु के आठवें वर्ष तक उसे कई कष्टों से जूझना पड़ता है। अश्विनी नक्षत्र में सूर्य अच्छा फल प्रदान करता है किंतु यदि द्वितीय चरण में हो तो उसका अच्छा प्रभाव जातक पर दिखाई नहीं देता। ऐसे जातक को भूत-प्रेत बाधा का कष्ट रहता है। किसी के द्वारा प्रदत्त शाप के कारण भी कष्ट सहने पड़ते हैं। यह स्थिति उसे उच्च स्थान से नीचे लाने में समर्थ रहती है। सुसंपन्न व्यक्ति के जीवन में आ...

पितृदोष

👉  पितृदोष के लक्षण......  👉 पितृदोष के संबंध में ज्योतिष और पुराणों की अलग अलग धारणा है लेकिन यह तय है कि यह हमारे पूर्वजों और कुल परिवार के लोगों से जुड़ा दोष है। पितृदोष के कारण हमारा सांसारिक जीवन पग-पग पर कष्ट और रुकावटों का सामना करता है।।आध्यात्मिक साधना में भी बाधाएं उत्पन्न होती हैं।  👉  कारण-- ➖➖➖➖➖➖ 👉हमारे पूर्वजों का लहू, हमारी नसों में बहता है। हमारे पूर्वज कई प्रकार के होते हैं, क्योंकि हम आज यहां जन्में हैं तो कल कहीं ओर।   👉पितृ दोष के कई और भी कारण (प्रकार) होते हैं। पूर्वजों के कारण वंशजों को किसी प्रकार का कष्ट ही पितृदोष माना गया है। ऐसा नहीं है और भी कई कारणों से यह दोष प्रकट होता है। इसे पितृ ऋण भी कह सकते हैं। आओ जानते हैं कि पितृदोष और ऋण क्या होता है। जानने में ही समाधान छुपा हुआ है।  👉ज्योतिष के अनुसार पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली श्रापित कुंडली भी कही जाती है। 1--👉 अगर कुंडली में सूर्य, मंगल, लग्न, या पित्रभाव से राहू, केतू या शनी का योग बन रहा है तो उस कुंंडली में *पित्रदोष* माना जाता है।  👉प्रभाव-- ➖➖➖➖➖...

vish yog

विष योग किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली के किसी स्थान में शनि और चंद्र साथ में आ जाए तो विष योग बन जाता है। इसका दुष्प्रभाव तब अधिक होता है जब आपस में इन ग्रहों की दशा-अंतर्दशा चल रही हो। विष योग के प्रभाव से व्यक्ति जीवनभर अशक्तता में रहता है। मानसिक रोगों, भ्रम, भय, अनेक प्रकार के रोगों और दुखी दांपत्य जीवन से जूझता रहता है।   किस भाव में क्या फल देता है विष योग ?   1. लग्न स्थान में विष योग बन रहा हो तो ऐसा व्यक्ति शारीरिक तौर पर बेहद अक्षम रहता है। उसे पूरा जीवन तंगहाली में गुजारना पड़ता है। लग्न में शनि-चंद्र होने पर उसका प्रभाव सीधे तौर पर सप्तम भाव पर भी होता है। इससे दांपत्य जीवन दुखपूर्ण हो जाता है। 2. दूसरे भाव में शनि-चंद्र की युति होने पर व्यक्ति जीवनभर धन के अभाव से जूझता रहता है। 3. तीसरे भाव में बना विष योग व्यक्ति का पराक्रम कमजोर कर देता है और वह अपने भाई-बहनों से कष्ट पाता है। 4. चौथे भाव सुख स्थान में शनि-चंद्र की युति होने पर सुखों में कमी आती है और मातृ सुख नहीं मिल पाता है। 5. पांचवें भाव में यह दुर्योग होने पर संतान सुख नहीं मिलता और व्यक्ति की विवेकशीलत...

वास्तु

वास्तु, मंगल और दक्षिण दिशा      +++++++++++++++                वास्तु अनुसार दक्षिण दिशा मंगल से प्रभावित होती है, यह दिशा घर के पुरूष सदस्यों, घर के रिश्तेदारों, शत्रुता, कर्ज़ और बीमारी को प्रभावित करती है।                                                   यदि इस दिशा में रसोई घर हो तो घर में झगड़े, कलह का माहौल बनता है, परिवार में अशांति होती है, सदस्यों को पेट की खराबी के रोग परेशान करते हैं।                                        अगर इस दिशा में महिलाओं के शिंगार का सामान रखा हो तो इस से घर की आर्थिक स्थिति पर खराब प्रभाव आता है, खर्च आमदनी से ज़्यादा बने रहते हैं।                                      यदि ...

विष योग

जय श्रीराम ।।                      कुंडली में चंद्र शनि विष दोष      ================== ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में ग्रहों की स्थिति के आधार पर कई तरह के शुभ-अशुभ योग बनते हैं। शुभ योगों का फल भी शुभ ही होता है और अशुभ योगों के कारण जीवन में कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता हैं । इसे विष योग भी कहते हैं।    मृत्युतुल्य कष्ट देता है विष-योग  =====================   यह योग मृत्यु, भय, दुख, अपमान, रोग, दरिद्रता, दासता, बदनामी, विपत्ति, आलस और कर्ज जैसे अशुभ योग उत्पन्न करता है तथा इस योग से जातक (व्यक्ति) नकारात्मक सोच से घिरने लगता है और उसके बने बनाए कार्य भी काम बिगड़ने लगते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जिस व्यक्ति की कुंडली में विष कुंभ योग होता है, उसे कदम-कदम पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है। कई मामलों में सफलता मिलते-मिलते रह जाती है।  1. शनि और चंद्रमा की जब युति होती है तब यह योग बनता है। कुंडली में विष योग शनि और चंद्रमा के कारण बनता है। चंद्रमा के लग्न स्थान में एव...

वैदीक ज्योतिष के अनुसार कैसे बनता है जन्मकुंड़ली में अकाल मृत्यु लोग आइये विस्तार से जानें

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 वैदीक ज्योतिष के अनुसार कैसे बनता है जन्मकुंड़ली में अकाल मृत्यु लोग आइये विस्तार से जानें 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺   मृत्यु जीवन का अंतिम सत्य माना जाता है। यह एक ऐसा सच है जिसका सामना धरती पर मौजूद हर प्राणी को करना होता है। वहीं इसके लिए कोई उपाय, दवा आदि नही बनी है जिसकी सहायता से व्यक्ति इससे बच सकता है। साथ ही कोई भी व्यक्ति इस सच से किनारा नही कर सकता है। जिस जातक ने इस धरती पर जन्म लिया है उस जातक की मौत अवश्य ही होगी। यह सृष्टि का नियम है जिससे कोई अलग नही है। लेकिन कई बार कुछ लोग अकाल मृत्यु के शिकार हो जाते है, जिसके कारण उनके सभी परिजनों का इस बात पर यकीन कर पाना बेहद मुश्किल होता है। आपको बता दें कि ईश्वर ने सभी को एक तय उम्र दी है। और जिसमें आप अच्छे कर्म करके जन्म-जन्मांतर के चक्र से मुक्ती पा सकते है। साथ ही मौत जीवन का अटल सच है, जो कभी टाला नही जा सकता है। लेकिन ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अकाल मृत्यु को टाला जा सकता है। इसके लिए आपको कुछ ज्योतिष की मदद लेनी चाहिए। चलिए जानते है ज्योतिष शास्त्र के उपायों से कैसे अकाल मृत्यु को टा...

शनि और सूर्य आठवें घर में

शनि और सूर्य आठवें घर में  वैदिक ज्योतिष के अनुसार आठवें घर से आयु,मृत्यु , स्त्री का सौभाग्य (पति का जीवन), चिंता ,अपमान , पराजय , कष्ट , गहराई में छिपी चीजें अन्धकार , गुप्तता और गुदा आदि का विचार किया जाता है।  कुंडली के आठवें घर में शनि और सूर्य की युति के कारण ऐसे लोगों को तेल , पेट्रोलियम या जमीन के नीचे पैदा होने वाली चीजों से, खनन से अत्यधिक फायदा हो सकता है| बशर्ते कुंडली में अन्य ग्रहों का साथ मिल रहा हो।  व्यक्ति को काले जादू, टोने-टोटके या तंत्र में रूचि दे सकता है। जीवन के गहरे रहस्यों को समझने में मदद कर सकता है और एक अनूठी क्षमता दे सकता है ,ऐसे व्यक्तियों की अध्यात्म और ज्ञान से जुड़े हुए सारे विषयों में रूचि हो सकती है और नयी विधाओं को सीखने की क्षमता हो सकती है ऐसे लोग रिसर्च स्कॉलर हो सकते हैं, अच्छे वकील या शिक्षक हो सकते हैं ,वैज्ञानिक हो सकते हैं बहुत बड़े चिकित्सक हो सकते हैं, खासकर सफल सर्जन बन सकते हैं , गुप्तचर विभाग में उच्च पद पा सकते हैं ,खनन विभाग में या खनन से जुड़े हुए कारोबार में सफलता पा सकते हैं , कोई धातु विशेषज्ञ हो सकते हैं - क्योंकि इस ...

क्यो आवश्यक होता है पूजा करते समय सिर ढकना*

*क्यो आवश्यक होता है पूजा करते समय सिर ढकना* हिंदूू धर्म में अक्सर मंदिर जाने या पूजा-पाठ करते समय कपड़े से सिर ढकने की सलाह दी जाती है। इसे शुभ माना जाता है। कहते हैं कि इससे व्यक्ति को पूजन का पूरा लाभ मिलता है, लेकिन वास्तव में इसके पीछे क्या कारण है और इससे क्या फायदे होते हैं, आइए जानते हैं। 1.गरुण पुराण के अनुसार पूजन या किसी भी शुभ कार्य को करते समय सिर ढका हुआ हुआ होना चाहिए। क्योंकि इससे मन एकाग्र रहता है। माना जाता है कि जब सिर ढका हुआ होता है तब हमारा ध्यान इधर-उधर नहीं जाता है। जिसके चलते पूजा पर पूरा फोकस रहता है। इस नियम का पालन करने से व्यक्ति को भाग्य का साथ भी दोगुना मिलता है। 2.शास्त्रों के अनुसार पूजन के वक्त सिर ढकना भगवान को सम्मान देने का एक प्रतीक है। कहते हैं कि जैसे बड़े-बुजुर्गों के सामने सिर पर पल्ला रखा जाता है। वैसे ही ईश्वर के आदर के लिए भी सिर को ढका जाता है। 3. पूजा करते समय या मंदिर जाते समय सिर ढकने से हम नकारात्मक शक्तियों से बचे रहते हैं। क्योंकि बालों के जरिए नकारात्मकता हमें अपनी ओर खींचती है। जबकि सिर के ढके होने से मन में सकारात्मक विचार आते हैं।...

जीवन में यश और सफलता के लिए नीचे लिखी नौ आदतें जीवन में अवश्य ही अपनाये -

जीवन में यश और सफलता के लिए नीचे लिखी नौ आदतें जीवन में अवश्य ही अपनाये - आदत नम्बर 1... अगर आपको कहीं पर भी *थूकने की आदत* है तो यह निश्चित है कि यदि आपको यश, सम्मान मुश्किल से मिल भी जाता है तो कभी टिकेगा ही नहीं. आदत नम्बर 2... जिन लोगों को अपनी *जूठी थाली या बर्तन* खाना खाने वाली जगह पर छोड़कर उठ जाने की आदत होती है *उनकी सफलता,* कभी भी स्थायी रूप से नहीं मिलती. ऐसे लोगों को बहुत मेहनत करनी पड़ती है. आदत नम्बर 3... आपके घर पर जब भी कोई भी बाहर से आये, चाहे मेहमान हो या कोई काम करने वाला, उसे स्वच्छ पानी ज़रुर पिलाएं. ऐसा करने से हम राहु का सम्मान करते हैं जो अचानक आ पड़ने वाले कष्ट-संकट नहीं आने देते. आदत नम्बर 4... घर के पौधे आपके अपने परिवार के सदस्यों जैसे ही होते हैं, उन्हें भी प्यार और थोड़ी देखभाल की जरुरत होती है. *जो लोग नियमित रूप से पौधों को पानी देते हैं,* उन लोगों को Depression या Anxiety जैसी परेशानियाँ नहीं पकड़ पातीं. आदत नम्बर 5... जो लोग बाहर से आकर *घर में* *अपने चप्पल, जूते, मोज़े* इधर-उधर फैंक देते हैं, उन्हें उनके शत्रु बड़ा परेशान करते हैं. इससे बचने के लिए अप...

रसोई

*#रसोई में #भोजन बनाना छोड़ने का दुष्परिणाम* अमेरिका में क्या हुआ जब घर में खाना बनाना बंद हो गया ?  1980 के दशक के प्रसिद्ध अमेरिकी अर्थशास्त्रियों ने अमेरिकी लोगों को चेतावनी कि यदि वे परिवार में आर्डर देकर बाहर से भोजन मंगवाऐंगे तो देश मे परिवार व्यवस्था धीरे धीरे समाप्त हो जाएगी।  साथ ही दूसरी चेतावनी दी कि यदि उन्होंने बच्चों का पालन पोषण घर के सदस्यो के स्थान पर बाहर से पालन पोषण की व्यवस्था की तो यह भी बच्चो के मानसिक विकास व परिवार के लिए घातक होगा।  लेकिन बहुत कम लोगों ने उनकी सलाह मानी। घर में खाना बनाना लगभग बंद हो गया है, और बाहर से खाना मंगवाने की आदत (यह अब नॉर्मल है), अमेरिकी परिवारों के विलुप्त होने का कारण बनी है जैसा कि विशेषज्ञों ने चेतावनी दी थी। घर मे खाना बनाना मतलब परिवार के सदस्यों के साथ प्यार से जुड़ना। *पाक कला मात्र अकेले खाना बनाना नहीं है। बल्कि केंद्र बिंदु है, पारिवारिक संस्कृति का।* घर मे अगर कोई किचन नहीं है , बस एक बेडरूम है, तो यह घर नहीं है, यह एक हॉस्टल है। *अब उन अमेरिकी परिवारों के बारे में जाने जिन्होंने अपनी रसोई बंद कर दी और सोचा...

महाराणा प्रताप

#MaharanaPratapJayanti #नमन💐🙏 महाराणा हमारे भगवान🙏🚩🚩⚔️⚔️ प्रातः स्मरणीय🚩🇮🇳🇮🇳⚔️⚔️ ✍️शौर्य,पराक्रम,त्याग,बलिदान,वीरता,स्वाभिमान जैसे महान हृदय को गौरवान्वित करने वाले शब्दों को जोड़ने के बाद एक नाम बनता है वो नाम है महाराणा प्रताप। जिन्हे इतिहासकारों ने अपने अपने उल्लेखों में महाराणा प्रताप जी के नाम के आगे वैसे शब्दो को जोड़ कर उनके नाम को सुशोभित किये है।  (जैसे किसी मनुष्य के गले मे हीरे-मोतियों की हार लटकती हो) आज तक पूरे इतिहास के काल-खंड में किसी भी शूरवीर के नाम के आगे इतने सारे (हीरे मोतियों ) जैसे सुशोभित शब्द का इस्तेमाल नही हुआ। उस प्रत्येक शब्दों को ब्याख्या करना आज के इतिहासकारो के बस में नही। हिंदुजा सूरज,क्षत्रिय कुलभूषण, महाप्रतापी,महापराक्रमी, महाराष्ट्रभक्त, महायशश्वी,महास्वाभिमानी,महायोद्धा,महाशूरवीर,महासंघर्षकारी, मेवाड़ नरेश इत्यादि जैसे महान शब्दो को उनके नाम के आगे जोड़ा गया है। तो आइए आज उसी महाराणा प्रताप जी की जयंती के उपलक्ष्य में उनके गौरव गाथा को गुणगान करते है। पिता का नाम-महाराणा उदय सिंह माता का नाम-महारानी जयवंताबाई नाम-महाराणा प्रताप(बचपन मे क...