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Showing posts from August, 2023

शंख

सबसे सस्ता वेंटिलेटर - शंख 🐚 शंख बजाने से शरीर में ऑक्सीजन की कभी कमी नहीं होगी , फेफड़े रहेंगे स्वस्थ .... 🔸शंख बजाने के हैं अद्भुत फायदे .. भारतीय परिवारों में और मंदिरो में सुबह और शाम शंख बजाने का  प्रचलन था और है। इस पुरातन   सैद्धान्तिक परम्परा को शायद हम भूल गये या उस प्राचीन विज्ञान के रहस्य को भौतिकवाद ने भुला दिया ,अब शंख प्रदर्शनीय रह गया । अगर हम रोजाना शंख बजाते है, तो इससे हमें काफी लाभ हो सकता है। इसके लाभ बताना एक पोस्ट में संभव नहीं , यहाँ कुछेक लाभ के बारे में प्राप्त जानकारीयां प्रस्तुत हैं ― शंख बजाने से श्वांस लेने की क्षमता में सुधार होता है। इससे हमारी थायरॉयड ग्रंथियों और स्वरयंत्र का व्यायाम होता है और बोलने से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्याओं को ठीक करने में मदद मिलती है। शंख बजाने से झुर्रियों की परेशानी भी कम हो सकती है। जब हम शंख बजाते हैं, तो हमारे चेहरे की मांसपेशियां में खिंचाव आता है, जिससे झुर्रियां घटती हैं। शंख में सौ प्रतिशत कैल्शियम होता है। रात को शंख में पानी भरकर रखें और सुबह उसे अपनी त्वचा पर मालिश करें। इससे त्वचा संबंधी रोग दूर हो जाएंगे।

mother

I learned from my mother That women are strong That life can be difficult But we go on  She taught to be soft On those finding life hard To help protect those Who’ve already been scarred To work when I need to But otherwise play That night time’s for dreaming But so is the day  To be gentle with those Who are tough on themselves To share out my love But save some for myself To stand up to those Who would walk over me To hold up my head When I’m down and feel weak To only apologise When I am wrong To know that there’s always A place I belong To trust in my future And treasure my past To smash it each time That the ceiling is glass To find the lessons In relationships lost Because some things in life Are not worth what they cost But what she taught most About life and of worth Was that it is only The best I deserve And maybe your mother Has taught you the same But if she has not Well, then I’m here today To say that you too Deserve only the best To live out the life That exists in your h

हरियाली teej

.                            "हरियाली तीज"           सुहागिन महिलाओं के लिए हरियाली तीज का यह पर्व विशेष महत्व रखता है। हरियाली तीज के दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं। इस दिन महिलाएं श्रृंगार करती हैं और हाथों में मेहँदी लगाती हैं। ये वो समय होता है जब सावन में प्रकृति ने हरियाली की चादर ओढ़ी हुई होती है। यही वजह है कि इस त्यौहार को हरियाली तीज कहते हैं। सुहागिन महिलाओं के लिए ये व्रत बेहद महत्वपूर्ण माना गया है।           हरियाली तीज का ये खूबसूरत त्यौहार श्रावण मास में शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है। ये पर्व मुख्यतः उत्तर भारत में मनाये जाने का चलन है। उत्तर प्रदेश में इस दिन को कजली तीज के रूप में मनाया जाता है। प्रकृति के इस मनोरम क्षण का आनंद लेने के लिए महिलाएं झूले झूलती हैं, लोक गीत गाकर उत्सव मनाती हैं। हरियाली तीज के अवसर पर देशभर में कई जगह मेले लगते हैं और माता पार्वती की सवारी धूमधाम से निकाली जाती है। सौंदर्य और प्रेम का यह उत्सव भगवान शिव और माता पार्वती के पुनर्मिलन के उपलक्ष्

गांव की उस हवेली में आज story

गांव की उस हवेली में आज सारा गांव इकट्ठा था। घर की मालकिन जानकी देवी आज सुबह ही इस दुनिया से कुच कर गई थी। पर रीति रिवाज के मुताबिक इस शरीर का अंतिम संस्कार तो करना ही था, तो उसी का इंतजार हो रहा था। पूरा गांव तो इकट्ठा था, पर घर के सदस्य पता नहीं कौन से मुद्दे को लेकर बैठे हुए थे?भरा पूरा परिवार था जानकी जी का।  दो बेटे बहुए प्रदीप और मधु,केशव और राधा, एक बेटी दामाद मोहिनी और बृजेश ,पोते पोती, नाती नातिन। अभी घंटे भर पहले तक तो मुद्दा यह था कि बेटी दामाद आ रहे हैं, इसलिए उनका इंतजार कर रहे हैं। पर अब तो उनको आए हुए एक घंटा भी हो गया। अब क्या है? गांव वालों के बीच में यही बातचीत का मुद्दा था। अब अंतिम संस्कार में समय क्यों लग रहा है और परिवार के सभी सदस्य अंदर अम्मा के कमरे में बैठे क्या कर रहे हैं? जब गाँव के कुछ गणमान्य लोगों से रहा नहीं गया तो वे जानकी जी के देवर हरिप्रसाद जी के पास आए और पूछा, " बाऊजी अंतिम संस्कार में और कितना समय लगेगा? अब तो पूरा परिवार भी आ चुका है" हरिप्रसाद जी को भी समझ में नहीं आया कि क्या जवाब दें। आखिर उन्हें खुद भी नहीं पता था कि अंदर हो क्या रह

कौन सा ग्रह सरकारी नौकरी और पद प्रतिष्ठा दिलाता है आज हम जानते हैं

कौन सा ग्रह सरकारी नौकरी और पद प्रतिष्ठा दिलाता है आज हम जानते हैं  ज्योतिष में सूर्य को सरकार और सरकारी कार्यों का कारक माना गया है, अतः सरकारी नौकरी के लिये व्यक्ति की कुंडली में सूर्य की सबसे महत्वपूर्ण भूमिका है। इसके अलावा कुंडली का दसवां भाव हमारी आजीविका या कॅरियर की स्थिति को दिखता है और शनि आजीविका या नौकरी का नैसर्गिक कारक है। कुंडली का छटा भाव नौकरी या सर्विस को दर्शाता है। अतःकुंडली में सूर्य बली होने और उपरोक्त घटकों का सूर्य के साथ शुभ सम्बन्ध बनने पर सरकारी नौकरी की संभावनाएं होती हैं।  यदि सूर्य बलि होकर दशम भाव में बैठा हो या दशम भाव पर सूर्य की दृष्टि हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है। यदि कुंडली में सूर्य और शनि एक साथ शुभ स्थानों में हो या शनि पर सूर्य की दृष्टि पड़ती हो तो सरकारी नौकरी का योग बनता है। यदि सूर्य बलि होकर कुंडली के छटे भाव में हो तो भी सरकारी नौकरी का योग बनता है। सूर्य कुंडली के बारहवें भाव में हो तो भी सरकारी नौकरी की संभावनाएं होती हैं। यदि शनि "सिंह राशि" में हो और सूर्य ठीक स्थिति में हो तो भी सरकारी नौकरी का योग बनता है। यदि कुंडली में

vastu

भूखंड पर भवन निर्माण के लिए नींव की खुदाई और शिलान्यास शुभ मुहूर्त में किया जाना चाहिए। शिलान्यास का अर्थ है शिला का न्यास अर्थात् गृह कार्य निर्माण प्रारम्भ करने से पुर्व उचित मुहूर्त में खुदाई कार्य करवाना। यदि मुहूर्त सही हो तो भवन का निर्माण शीघ्र और बिना रुकावट के पूरा होता है। शिलान्यास के लिए उपयुक्त स्थान पर नींव के लिए खोदी गई गृहारंभ की नींव :- वैशाख, श्रावण, कार्तिक, मार्गशीर्ष और फाल्गुन इन चंद्रमासों में गृहारंभ शुभ होता है। इनके अलावा अन्य चंद्रमास अशुभ होने के कारण निषिद्ध कहे गये हैं। वैशाख में गृहारंभ करने से धन धान्य, पुत्र तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है। श्रावण में धन, पशु और मित्रों की वृद्धि होती है। कार्तिक में सर्वसुख।मार्गशीर्ष में उत्तम भोज्य पदार्थों और धन की प्राप्ति। फाल्गुन में गृहारंभ करने से धन तथा सुख की प्राप्ति और वंश वृद्धि होती है। किंतु उक्त सभी मासों में मलमास का त्याग करना चाहिए। भवन निर्माण कार्य शुरू करने के पहले अपने आदरणीय विद्वान पंडित से शुभ मुहूर्त निकलवा लेना चाहिए। भवन निर्माण में शिलान्यास के समय ध्रुव तारे का स्मरण करके नींव रखें। संध्य

श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰

श्री गणेश की दाईं सूंड या बाईं सूंड 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰  अक्सर श्री गणेश की प्रतिमा लाने से पूर्व या घर में स्थापना से पूर्व यह सवाल सामने आता है कि श्री गणेश की कौन सी सूंड होनी... चाइये ?                   क्या कभी आपने ध्यान दिया है कि भगवान गणेश की तस्वीरों और मूर्तियों में उनकी सूंड दाई या कुछ में बाई ओर होती है। सीधी सूंड वाले गणेश भगवान दुर्लभ हैं। इनकी एकतरफ मुड़ी हुई सूंड के कारण ही गणेश जी को वक्रतुण्ड कहा जाता है। भगवान गणेश के वक्रतुंड स्वरूप के भी कई भेद हैं। कुछ मुर्तियों में गणेशजी की सूंड को बाई को घुमा हुआ दर्शाया जाता है तो कुछ में दाई ओर। गणेश जी की सभी मूर्तियां सीधी या उत्तर की आेर सूंड वाली होती हैं। मान्यता है कि गणेश जी की मूर्त जब भी दक्षिण की आेर मुड़ी हुई बनाई जाती है तो वह टूट जाती है। कहा जाता है कि यदि संयोगवश आपको दक्षिणावर्ती मूर्त मिल जाए और उसकी विधिवत उपासना की जाए तो अभिष्ट फल मिलते हैं। गणपति जी की बाईं सूंड में चंद्रमा का और दाईं में सूर्य का प्रभाव माना गया है।  प्राय: गणेश जी की सीधी सूंड तीन दिशाआें से दिखती है। जब सूंड दाईं आेर घूमी होती है तो इसे प

जानिए क्यों पूजा जाता है स्वास्तिक

जानिए  क्यों पूजा जाता है स्वास्तिक 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 स्वास्तिक एक ऐसा प्रतीक चिन्ह है जिसे आदिकाल से सनातन धर्म में बहुत महत्व प्राप्त है। हमारे हर त्यौहार और उत्सवों पर हम स्वास्तिर चिन्ह जरूर लगाते हैं। स्वास्तिक की इतनी महिमा है कि इसे कई देशों और धर्मों के लोग प्रयोग में लेते हैं। आईये जानते हैं इसे पूजने के कुछ कारण :- 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 1👉 अनादिकाल से ऋषि-महर्षि, शास्त्रों के मर्मज्ञ विद्वान पूर्वाचार्य प्रत्येक कार्य का शुभारंभ ‘स्वस्ति’ वाचन से ही कराते चले आ रहे हैं। आज भी स्वस्तिवाचन से ही समस्त मांगलिक कार्य को शुरू किया जाता है। 2👉 स्वास्तिक चिह्न का सभी धर्मावलम्बी समान रूप से आदर करते हैं। बर्मा, चीन, कोरिया, अमेरिका, जर्मनी, जापान आदि अन्यान्य देशों में इसे सम्मान प्राप्त है। यह चिह्न र्जमन राष्ट्र ध्वज में भी सगौरव फहराता’ है। 3👉 पूजन हेतु थाली के मध्य में रोली के स्वास्तिक बनाकर अक्षत रखकर श्री गणेशजी का पूजन कराया जाता है। कलश में भी स्वास्तिक अंकित किया जाता है। भवन द्वार (चैखट) पर सतिया अंकित किया जाता है। जहां ऊँ, श्री, ऋद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ लिखा जाता है वहीं सतिया भी

parama ekadashi

🌹🌿Parama Ekadashi 2023: Date, Parana Time, Puja Vidhi and Significance 🌹 🌿 Parama Ekadashi is considered a highly auspicious Ekadashi that occurs after every three years during Adhik Maas. Celebrated on the 11th day of Krishna Paksha in the month of Sawan, it falls on August 12th, 2023. Devotees observe a strict fast on this day and offer prayers to Lord Vishnu for worldly prosperity and happiness. The fast is believed to help eradicate past bad karmas, and those who observe it religiously will receive blessings and love from Lord Vishnu always. Puja rituals entail waking up early, performing aarti, and offering food and water to the deity. 🌹 🌿 Parama Ekadashi 2023: Date, Parana Time, Puja Vidhi and Significance Parama Ekadashi 2023: Parama Ekadashi is considered one of the most auspicious Ekadashis that come after a gap of 3 years in Adhik Maas. Devotees observe fast and offer prayers to Lord Vishnu. This time, Parama Ekadashi falls on 11th day of Krishna Paksha in the month of

रह्यू मंगल

राहु और मंगल सातवें घर में  वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली के सातवें घर से विवाह ,पति-पत्नी, सेक्स, पार्टनरशिप , लीगल कॉन्ट्रैक्ट आदि का विचार किया जाता है |इस भाव को केंद्र स्थान और मारक भाव भी कहा जाता है  कुंडली के सातवें घर में राहु और मंगल का बलवान योग व्यक्ति को स्वतंत्र बनाता है | ये स्थिति करियर के लिए बहुत अच्छी हो सकती है व्यक्ति सरकार में उच्च अधिकारी हो सकता है। अक्सर देखने में आया है कि अगर कुंडली में बुध और शनि की दृष्टि इन पर हो या इनमे से किसी ग्रह का साथ मिल रहा हो तो कुशल व्यापारी बना सकता है तथा व्यवसाय से अथाह धन सम्पदा बना सकता है क्योंकि बुध या शनि व्यक्ति को व्यापारिक बुद्धि देते हैं और राहु और मंगल एक कुशल नेगोसिएटर बनाते है। ये कॉम्बिनेशन व्यक्ति को व्यापार में सफलता दिला देता है। ये योग व्यक्ति में अद्भुत नेतृत्व क्षमता दे सकता है एक चुम्बकीय व्यक्तित्व का धनी बना सकता है,जनता उसकी फॉलोवर बन जाती है ,उसके इशारे पर काम करती है। पार्टनरशिप या लीगल डाक्यूमेंट्स में ऐसा व्यक्ति बहुत ही चतुर हो सकता है एक कुशल नेगोसिएटर हो सकता है| ये योग आक्रामक नेता पैदा करता है

pitru dosh

🔰_________________________🔰  《 पितृदोष है क्या / क्यो पाया जाता है कुंडलियों में》          《पितृदोष के लक्षण और असरदार प्रभाव》                  🔰_________________________🔰 पितृ दोष और पितृ ऋण से पीड़ित कुंडली शापित कुंडली कही जाती है। ऐसे व्यक्ति अपने मातृपक्ष अर्थात माता के अतिरिक्त मामा-मामी मौसा-मौसी, नाना-नानी तथा पितृपक्ष अर्थात दादा-दादी, चाचा-चाची, ताऊ-ताई आदि को कष्ट व दुख देता है और उनकी अवहेलना व तिरस्कार करता है। जन्म पत्री में यदि सूर्य पर शनि राहु-केतु की दृष्टि या युति द्वारा प्रभाव हो तो जातक की कुंडली में पितृ ऋण की स्थिति मानी जाती है। इसके अलावा भी अन्य कई स्थितियां होती है।    🔰_______________________🔰 इसके अलावा व्यक्ति अपने कर्मों से भी पितृदोष निर्मित कर लेता है। विद्वानों ने पितर दोष का संबंध बृहस्पति (गुरु) से बताया है। अगर गुरु ग्रह पर दो बुरे ग्रहों का असर हो तथा गुरु 4-8-12वें भाव में हो या नीच राशि में हो तथा अंशों द्वारा निर्धन हो तो यह दोष पूर्ण रूप से घटता है और यह पितर दोष पिछले पूर्वज (बाप दादा परदादा) से चला आता है, जो सात पीढ़ियों तक चलता रहता है।

ग्रह

सूर्य कमजोर हो तो थोडा सा गुड हाथ से छुआ कर नदी या तालाब में प्रवाहित कराएं, तुलसी का पत्ता मुँह में रखें। गायत्री मन्त्र का जाप करें। पिता की सेवा करें  चन्द्र कमजोर हो तो खूब पानी पियें, खेलें, चाँद कि रोशनी में बैठें, चांदी के गिलास में दूध पियें, खिरनी का फल खाएं ,माँ की सेवा करें  बुध बुद्धि का कारक है अतः बुद्ध कमजोर हो तो हरी घास पर चलें, हरी सब्जियां खाएं , जंक फ़ूड से बचें  राहु का प्रभाव हो तो उड़द, चना, राजमा यानि बादी वाली चीजों से बचें  अगर शुक्र कमजोर हो तो सौंफ खाएं  जो लोग अपने शारीर में कम ऊर्जा महसूस करते हैं उन्हें प्रातःकाल सूर्य दर्शन अवश्य करना चाहिए जो लोग बिजली का कम करते हैं उन्हें जब भी मौका मिले मछलियों को दाना जरुर डालना चाहिए, ये उन्हें बिजली के झटके से बचाएगा  शत्रुओं से बचाव के लिए बजरंग बाण का पाठ करें  केले का पेड़ घर में नहीं लगाना चाहिए यह पितृ दोष उत्पन्न करता है। घर में क्लेश, रोग बढ़ जाते हैं और वंश वृद्धि भी रुक जाती है  मन निर्बल हो, हमेशा मन में एक अनजाना भय बना रहे तो "आदित्य हृदय स्तोत्र" का पाठ करें आत्मविश्वास बढ़ेगा और मनोबल ऊँचा होगा