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Showing posts from December, 2020

गुरुवार के दिन जन्मे लोगों का फलादेश -

गुरुवार के दिन जन्मे लोगों का फलादेश -  गुरुवार सप्ताह का पांचवा दिन है, गुरुवार के स्वामी देवता देवगुरु बृहस्पति मानें गए हैं. गुरुवार को जन्मे लोगो पर बृहस्पति ग्रह का प्रभाव होता है. गुरुवार को जन्मे लोग बहुत ही बुद्धिमान और साहसी होते हैं. ये लोग किसी भी मुश्किल का सामना बहुत साहस और समझदारी से कर लेते हैं. इस दिन जन्मे लोगो से लोग बहुत जल्दी प्रभावित हो जाते हैं. इनका व्यवहार अच्छा होने कारण से ही इनके दोस्त बहुत अच्छे और इनके प्रति समर्पित होते हैं। गुरुवार को जिन लोगो का जन्म होता है वे लोग सामान्य कद काठी,साफ़ रंग वाले और दिखने में बहुत आकर्षक होते हैं. इस दिन जन्मे जातक जीवन को हमेशा बड़े उत्साह के साथ जीते हैं, ये लोग कल परसों की बात छोड़कर आज में भरोसा करते हैं. ये खुशमिजाजी लोग होते हैं। गुरुवार को जन्मी स्त्रियां मानवता और ईश्वर के प्रति आस्थावान होती हैं. इस दिन जन्मी स्त्रियां या तो नए विचारों वाली होती हैं या फिर पुराने विचारों वाली होती हैं, धार्मिक प्रवृत्ति के होने के कारण ये लोग कभी किसी के लिए बुरा नहीं करते, किसी को धोखा नहीं देते. ये लोग कभी किसी दूसरे का हक़ नहीं मा

शीघ्र मनोकामना सिद्धि के लिए जप के नियम

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शीघ्र मनोकामना सिद्धि के लिए जप के नियम 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 हमारे पुराणों में मंत्रों की असीम शक्ति का वर्णन किया गया है। यदि साधना काल में नियमों का पालन न किया जाए तो कभी-कभी इसके बड़े घातक परिणाम सामने आ जाते हैं। प्रयोग करते समय तो विशेष सावधानी‍ बरतनी चाहिए। मंत्रों का प्रभाव मंदिर में प्रतिष्ठित मूर्ति के प्रभाव का आधार मंत्र ही तो है क्योंकि बिना मंत्र सिद्धि यंत्र हो या मूर्ति अपना प्रभाव नहीं देती। मंत्र आपकी वाणी, आपकी काया, आपके विचार को प्रभावपूर्ण बनाते हैं। मंत्र उच्चारण की जरा-सी त्रुटि हमारे सारे करे-कराए पर पानी फेर सकत‍ी है। मंत्र-साधक के बारे में यह बात किसी को पता नहीं चलना चाहिए कि वो किस मंत्र का जप करता है या कर रहा है। यदि मंत्र के समय कोई पास में है तो मानसिक जप करना चाहिए। भगवान राम ने माता शबरी के निवेदन पर उन्हें भक्ति का ज्ञान देते हुए कहा है कि 'मंत्र जप मम दृढ़ विश्वासा! पंचम भजन सो वेद प्रकाशा! अर्थात् मंत्र जप करना भी मेरी पांचवीं प्रकार की भक्ति है, ऐसा वेद भी कहते हैं। तात्पर्य यह है कि कोई भी प्राणी कल्याण कारक मंत्रों को उस मंत्र के य

बुधवार के दिन जन्मे जातक -

बुधवार के दिन जन्मे जातक -  बुधवार के दिन जन्मे जातकों पर बुध ग्रह का विशेष प्रभाव रहता है। यह ग्रह ज्ञान, बुद्धि और व्यावहारिकता का प्रतीक है। बुधवार के दिन पैदा हुए जातक  दूसरो के मन को आसानी से पढ़ सकते हैं।  बुध को संचार का एक ग्रह माना जाता है और इस शासक ग्रह के प्रभाव में, बुधवार के दिन जन्मे जातक अच्छे संचारक होते हैं। उनके भाषण आमतौर पर ज्ञानवर्धक बातों से भरे होते हैं। वे असली व्यावहारिक-जोकर और आम तौर पर समूह के आइस-ब्रेकर होते हैं। यह जातक मन की व्यावहारिक मोड़ को जिज्ञासा के साथ ऊंचाई देते हैं जो उन्हें हर बात का जवाब जानने के लिए मजबूर करता है। वे सटीक रूप से एक समय में दो चीजों पर भी ध्यान केंद्रित कर सकते हैं। इस दिन पैदा हुए जातक आम तौर पर अच्छा दिखने वाले और उच्च बौद्धिक क्षमता वाले होते हैं। ये हमेशा बैचेन रहने वाले प्राणी है जो कि हमेशा किसी न किसी कार्य में खुद को व्यस्त रखना पसंद करते है। यह यात्रा करना पसंद करते हैं, लेकिन ये केवल कम दूरी की यात्राओं के लिए उपयुक्त होते हैं क्योंकि लंबी यात्रा उन्हें किसी स्थान पर सीमित कर देती है। इन्हे अक्सर एक लापरवाह और असावधा

असली स्फटिक की पहचान-

असली स्फटिक की पहचान- मार्केट में स्फटिक के नाम पर कांच की या प्लास्टिक की मालाएं मिलती हैं। लेकिन स्फटिक एक शुद्ध चमकिला पत्थर है। हाथ में लेने पर यह भारी और एकदम ठंडा लगेगा। इसकी चमक कभी भी खतम नहीं होती है। जब इसे रगड़ेंगे तो इसमें स्पार्क होगा। इसके मोती एकदम से पारदर्शी नहीं होते हैं। यह कभी भी मटमेला नहीं होता। इसकी माला अंधेरे में लाइट मरने पर चमकती है। इसके मोती पूरी तरह से गोल नहीं होते। इसकी माला के हर मो‍तियों का साइज अलग-अलग हो सकता है। कोई छोटा तो कोई बड़ा। क्योंकि इसकी कोई कटिंग नहीं होती है। हां, डायमंड कट माला के मोती एक जैसे होते हैं लेकिन वह बहुत महंगे मिलते हैं।   स्फटिक का मंत्र- स्फटिक पंचमुखी ब्रह्मा का स्वरूप है। इसके देवता कालाग्नि हैं। माता लक्ष्मी की उपासना के लिए स्फटिक की माला शुभ मानी गई है। इसका मंत्र है- 'पंचवक्त्र: स्वयं रुद्र: कालाग्निर्नाम नामत:।।'     लाभ-  1.कहते हैं कि इसे पहनने से किसी भी प्रकार का भय और घबराहट नहीं रहती है। 2.इसकी माला धारण करने से मन में सुख, शांति और धैर्य बना रहता है। 3.ज्योतिष अनुसार इसे धारण करने से धन, संपत्ति, रूप,

नव वर्ष पर धन वृद्धि के ये उपाय आजमाकर देखिए, मां लक्ष्‍मी होंगी प्रसन्‍न...

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नव वर्ष पर धन वृद्धि के ये उपाय आजमाकर देखिए, मां लक्ष्‍मी होंगी प्रसन्‍न...     1-आइए जानते हैं क्‍या हैं ये उपाय खट्टे-मीठे अनुभव और तमाम उतार-चढ़ाव के बाद यह साल अब खत्‍म होने वाला है। कुछ लोगों को इस साल भारी आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा तो कुछ लोगों को व्‍यापार में काफी नुकसान उठाना पड़ा। अब नया साल शुरू होने वाला है और लोगों के मन में नए साल को लेकर नई उम्‍मीदें हैं। आपकी उम्‍मीदों पूरी होती रहें, इसके लिए आज हम आपको बताने जा रहे हैं नए साल में धन वृद्धि के उपाय जो आपको पूरे साल धन की कमी नहीं होने देंगे। आइए जानते हैं क्‍या हैं ये उपाय… 2-उत्‍तर-पूर्व में करें यह उपाय अपने घर के उत्‍तर-पूर्व कोने को गाय के गोबर से लीपें और लीपे हुए स्‍थान पर अनार की कलम से एक त्रिकोण बनाएं। इस त्रिकोण में अपने प्रतिष्‍ठान का नाम लिखकर उस सिंदूर चढ़ाएं और वहां पर गाय के घी का दीपक जलाएं। वहां पर आसन बिछाकर पूजा करें और लक्ष्‍मीजी का मंत्र जपें। इस उपाय को 9 दिन लगातार करें। ऐसा करने से आपको धन की तंगी नहीं होगी। 3-साल के पहले दिन करें यह उपाय अगर आपके आस-पास ऐसा कोई पेड़ हो जह

राशी के अनुसार पेड़ पौधों की जड़ अपने सीधे बाजू या गले मे धारण कर सकते है l

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यदि आपका समय प्रतिकूल (खराब ) चल रहा है तो अपनी नाम राशी के अनुसार पेड़ पौधों की जड़ अपने सीधे बाजू या गले मे धारण कर सकते है l जड़ से आपको लाभ ही होगा हानि नही I नीचे देख लें, किन राशि वालों को कौन सी ज़ड़ किस दिन किस कपड़े मे धारन करनी है I मेष व वृश्चिक....राशि वाले खैर की जड मंगलवार को लाल कपड़े मे बांधे I वृष व तुला....राशि वाले गूलर की जड शुक्रवार को सफेद कपड़े मे बांधे I मिथुन व कन्या .....राशि वाले अपामार्ग की ज़ड़ बुधवार को हरे कपड़े मे बांधे I कर्क .....फ्लास की ज़ड़ सोमवार को सफेद कपड़े मे बांधे I सिंह राशी  .....आक की ज़ड़ रविवार को लाल कपड़े मे बांधे I मकर व कुम्भ .....शमी की ज़ड़ शनिवार को काले कपड़े मे बांधे I धनु व मीन.....राशि वाले पीपल या केले के पेड़  की ज़ड़ गुरुवार को पीले कपड़े मे बांधे I राहु के लिए दूर्वा और केतु के कुश की ज़ड़ काले कपड़े मे बाजू या गले मे बांध सकते हैं I #नोट:- आपको जिस पेड़ की जड़ बांधनी है, पहले उस पेड़ को जल चढ़ाएं, और नमस्कार करें, फिर उस पेड़ की थोड़ी सी जड़ निकाल लें l फिर घर आकर ज़ड़ को गांगाजल से धोकर गुगल की धूपवती दिखाकर आपको जो भी जड़ बांधनी है, उस ज

राशि_के_अनुसार_सफलता_के_उपाय l

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#राशि_के_अनुसार_सफलता_के_उपाय l  यदि अपनी राशि के अनुसार दिये गये सुझावों का पालन करें तो लाभ संभव है। मेष राशि- मेष राशि के लोगों के आराध्य देव गणेश जी हैं। उन्हें उनका पूजन तो करना ही चाहिए साथ ही हर मंगलवार को हनुमान जी का प्रसाद चढ़ाएं और पूरा प्रसाद मंदिर में ही बांट दें। पहले हनुमान जी के पैर देखें फिर चेहरा। इसके अलावा वह बरकत के लिए मछलियों और पक्षियों को दाना दें तथा घर के सदस्यों से तनाव हो तो छेद वाले तीन तांबे के सिक्के बहते जल में प्रवाहित कर दें। उच्च शिक्षा के लिए लाल फूल का पौधा लगाएं। लाल रोली डाल कर सूर्य को जल चढ़ाएं। कोर्ट केस जीतने के लिए हरे रंग के कपड़े दान दें। इसके अलावा केसर वाला मीठा चावल कन्याओं को खिलाएं इससे तनाव दूर होगा। वृषभ राशि- इस राशि के लोगों को चाहिए कि संपत्ति के विवाद को सुलझाने के लिए गणपति का पूजन करें। पढ़ाई में परेशानी आ रही हो तो गाय को हरा चारा खिलाएं। मंगलवार के दिन हनुमान जी के मंदिर में शुद्ध घी का दोमुखी दीया जलाएं और लाल चंदन की माला चढ़ाएं इससे दांपत्य की परेशानी दूर होगी। काम शुरू हो कर बीच में अधूरा रह जाता हो तो 21 गुर

वेद किसे कहते है ?

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जय बाबा की,बहुत ही गौर से पढ़े 1-अष्टाध्यायी               पाणिनी 2-रामायण                    वाल्मीकि 3-महाभारत                  वेदव्यास 4-अर्थशास्त्र                  चाणक्य 5-महाभाष्य                  पतंजलि 6-सत्सहसारिका सूत्र      नागार्जुन 7-बुद्धचरित                  अश्वघोष 8-सौंदरानन्द                 अश्वघोष 9-महाविभाषाशास्त्र        वसुमित्र 10- स्वप्नवासवदत्ता        भास 11-कामसूत्र                  वात्स्यायन 12-कुमारसंभवम्           कालिदास 13-अभिज्ञानशकुंतलम्    कालिदास   14-विक्रमोउर्वशियां        कालिदास 15-मेघदूत                    कालिदास 16-रघुवंशम्                  कालिदास 17-मालविकाग्निमित्रम्   कालिदास 18-नाट्यशास्त्र              भरतमुनि 19-देवीचंद्रगुप्तम          विशाखदत्त 20-मृच्छकटिकम्          शूद्रक 21-सूर्य सिद्धान्त           आर्यभट्ट 22-वृहतसिंता               बरामिहिर 23-पंचतंत्र।                  विष्णु शर्मा 24-कथासरित्सागर        सोमदेव 25-अभिधम्मकोश         वसुबन्धु 26-मुद्राराक्षस               विशाखदत्त 27-राव

ग्रह बाधा होने से पूर्व मिलते हैं ये संकेत:

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ग्रह बाधा होने से पूर्व मिलते हैं ये संकेत: ग्रह अपना शुभाशुभ प्रभाव गोचर एवं दशा-अन्तर्दशा-प्रत्यन्तर्दशा में देते हैं । जिस ग्रह की दशा के प्रभाव में हम होते हैं, उसकी स्थिति के अनुसार शुभाशुभ फल हमें मिलता है । जब भी कोई ग्रह अपना शुभ या अशुभ फल प्रबल रुप में देने वाला होता है, तो वह कुछ संकेत पहले से ही देने लगता है ।इनके उपाय करके बढ़ी समस्याओं से बचा जा सकता है | ऐसे ही कुछ पूर्व संकेतों का विवरण यहाँ दिया है – सूर्य के अशुभ होने के पूर्व संकेत –           सूर्य अशुभ फल देने वाला हो, तो घर में रोशनी देने वाली वस्तुएँ नष्ट होंगी या प्रकाश का स्रोत बंद होगा । जैसे – जलते हुए बल्ब का फ्यूज होना, तांबे की वस्तु खोना ।           किसी ऐसे स्थान पर स्थित रोशनदान का बन्द होना, जिससे सूर्योदय से दोपहर तक सूर्य का प्रकाश प्रवेश करता हो । ऐसे रोशनदान के बन्द होने के अनेक कारण हो सकते हैं । जैसे – अनजाने में उसमें कोई सामान भर देना या किसी पक्षी के घोंसला बना लेने के कारण उसका बन्द हो जाना आदि ।           सूर्य के कारकत्व से जुड़े विषयों के बारे में अनेक परेशानियों का सामना करना प

शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं!

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शिवलिंग रेडियोएक्टिव होते हैं! शिवलिंग के ऊपर चढाये जल को लांघा नही जाता और शिव लिंग की परिक्रमा आधी की जाती है। शिवलिंग पर अर्पित नैवेद्य भी नही खाया जाता,उसे गऊ वंश को खिला दिया जाता है क्यों कि उनमें ही इसकी शक्ति की सहने की क्षमता होती है। भारत का रेडियो एक्टिविटी मैप उठा लें, हैरान हो जायेंगे ! भारत सरकार के न्युक्लियर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योतिर्लिंगों के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है। ▪️ शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्युक्लियर रिएक्टर्स ही तो हैं,तभी तो उन पर जल चढ़ाया जाता है, ताकि वो शांत रहें। ▪️ महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे कि बिल्व पत्र,आकमद,धतूरा,गुड़हल आदि सभी न्युक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं। ▪️ क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है इसीलिए तो जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता। ▪️ भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिवलिंग की तरह ही है। ▪️ शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिलकर औषधि का रूप ले लेता है। ▪️ तभी तो हमारे पूर्वज हम लोगों से कहते थे कि महादेव शिवशंकर अगर नाराज हो जाएंगे तो प्रलय आ जाएगी। महाकाल उज्जैन से शे

vastu sastra

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वास्तु शास्त्र में अशोक का पेड़ बहुत ही शुभ और लाभकारी माना गया है। इसे घर में लगाने से कई प्रकार के लाभ मिलते हैं। अशोक का पेड़ सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक माना जाता है। इसे घर के बाहर लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का घर में प्रवेश नहीं हो पाता है। अशोक का पेड़ घर की उत्तर दिशा में लगाना ज्यादा अच्छा माना जाता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार अशोक का पेड़ लगाने से घर में सकारात्मक ऊर्जा बनी रहती है और नकारात्मक ऊर्जा दूर रहती है। वास्तु के अनुसार अशोक का पेड़ घर की उत्तर दिशा में लगाना चाहिए उससे हर वक्त सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। अशोक का पेड़ लगाने से घर में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है और घर में किसी को अकाल मृत्यु का शिकार नहीं होना पड़ता। घर के बाहर अशोक का पेड़ लगाने से घर के प्रत्येक सदस्यों की शारीरिक और मानसिक ऊर्जा में भी वृद्धि होती है। इससे परिवार के लोगों को मानसिक तनाव के कारण पैदा होने वाली मुसीबतें परेशान नहीं करती हैं और लाभ पहुँचता है। घर की महिलाओं द्वारा नियमित रूप से अशोक के पेड़ को पानी दिया जाना चाहिए इससे उनका वैवाहिक जीवन अच्छा रहता है। अशोक का पेड

भगवान शिव के 19 अवतारों की ज्यादा चर्चा होती है जो कि इस प्रकार हैं

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हालांकि भगवान शिव के 19 अवतारों की ज्यादा चर्चा होती है जो कि इस प्रकार हैं:-   1. वीरभद्र अवतार:- वीरभद्र को भगवान शिव का गण माना जाता है। यह अवतार उनकी जटा से उत्पन्न हुआ था। जब भगवान शिव के श्वसुर राजा दक्ष द्वारा आयोजित यज्ञ में माता सती ने अपनी देह का त्याग कर दिया था तब क्रोधवश भगवान शिव ने अपने सिर से एक जटा उखाड़ी और उसे पर्वत के उपर पटक दिया। उस जटा के पूर्वभाग से महाभंयकर वीरभद्र प्रगट हुए। शिव के इस अवतार ने दक्ष के यज्ञ का विध्वंस कर दिया और दक्ष का सिर काटकर शिव के सामने रख दिया था। बाद में भगवान शिव ने राजा दक्ष के सिर पर बकरे का सिर लगा कर उन्हें जिंदा कर दिया था।   2. पिप्पलाद अवतार:- कथा है कि पिप्पलाद ने देवताओं से पूछा- क्या कारण है कि मेरे पिता दधीचि जन्म से पूर्व ही मुझे छोड़कर चले गए? देवताओं ने बताया शनिग्रह की दृष्टि के कारण ही ऐसा कुयोग बना। पिप्पलाद यह सुनकर बड़े क्रोधित हुए। उन्होंने शनि को नक्षत्र मंडल से गिरने का श्राप दे दिया। श्राप के प्रभाव से शनि उसी समय आकाश से गिरने लगे। देवताओं की प्रार्थना पर पिप्पलाद ने शनि को इस बात पर क्षमा किया कि शन

विशेष उपयोगी सामग्रियों द्वारा धन वृद्धि के उपाय

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विशेष उपयोगी सामग्रियों द्वारा धन वृद्धि के उपाय 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ धन प्राप्ति के लिये अनेक उपायों में विशेष प्रकार की सामग्रियों का प्रयोग किया जाता है। इन सामग्रियों के प्रभाव से आपकी समस्यायें कम होकर मनोकामनाओं की प्रति होती है। यह ऐसी सामग्रियां हैं जो आपके कार्यों में आने वाली बाधाओं को तुरन्त प्रभाव से दूर करती हैं। इन सामग्रियों के प्रयोग से आप अपनी धन सम्बन्धी समस्याओं को दूर कर सकते हैं। इस अध्याय में मैं आपको इन सामग्रियों के बारे में संक्षिप्त रूप में जानकारी देने का प्रयास कर रहा हूं। 1👉 काले घोड़े की नाल👉  शनि की साढ़ेसाती, ढैय्या एवं शनिकृत अनिष्ट की शांति, व्यापारिक बंधन, नजर बाधा, ऊपरी हवा, अभिचार कर्म की निवृत्ति हेतु काले घोड़े की नाल का प्रयोग अति उत्तम है। काले घोड़े के बायें तरफ के पिछले पैर की नाल इन समस्याओं से छुटकारा दिलाने हेतु विशेष प्रभावी है। शनिवार को यह नाल प्राप्त करके तिल के तेल में भिगो दें तथा 7 दिन तक उसमें ही पड़ा रहने दें। शनिवार को इस नाल को तेल से निकाल कर घर या दुकान के द्वार पर 7 बार उसार कर सिन्दूर का लेपन करें। सिन्द

मस्तिष्क रेखा

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*!!श्री हरि!!* 1. यदि मस्तिष्क रेखा दोहोरी हो अर्थात मस्तिक रेखा के साथ ही साथ दूसरी सहायक रेखा भी चल रही हो तो ऐसा व्यक्ति अत्यंत भागवान होता है।   2.यदि मस्तिष्क रेखा बीच में से कटी हुई हो तो ऐसा व्यक्ति असंतुलित मस्तिष्क का होता है  3 .यदि मस्तिष्क रेखा की आस पास छोटी-छोटी बारीक रेखाएं दिखाई दे तो वह जातक सदा मानसिक बेचैनी का शिकार रहता है    4. यदि मस्तिष्क रेखा घूमकर शुक्र पर्वत की ओर जाती हुई दिखाई दे तो वह जातक स्त्रियों में फ्री और सुख भोग करने वाला होता है यदि शुक्र पर्वत दशा हो तो कामुक वह नपुंसक होता है।  5. यदि मस्तिष्क रेखा पर सफेद बिंदु दिखाई दे तो वह व्यक्ति जीवन में पूर्ण सफलता प्राप्त करता है।   6.यदि लंबी उंगलियां हो और मस्तिक रेखा भी सीधी तथा स्पष्ट हो तो वह व्यक्ति सूक्ष्मदर्शी में बुद्धिमान होता है।   7.यदि बुध पर्वत विकसित हो परंतु मस्तिक रेखा कमजोर हो तो उसे जीवन में बड़े विश्वासघात से भारी मानसिक आघात लगता है।  8. मस्तिक रेखा के साथ-साथ सूर्य पर्वत भी स्ट्रांग होना चाहिए तभी व्यक्ति को सफलता मिलती है  9.यदि मस्तिष्क रेखा टेढ़ी-मेढ़ी हो तो वह व्यक्ति

सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला शिव गायत्री मंत्र -रुद्र गायत्री मंत्र

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सभी कष्टों से मुक्ति दिलाने वाला शिव गायत्री मंत्र -रुद्र गायत्री मंत्र । शिव गायत्री और रुद्र गायत्री मंत्र अलग अलग होते हैं। सामान्यतः शिव गायत्री मंत्र को ही रुद्र गायत्री मंत्र मान लिया जाता है। यदि कालसर्प, पितृदोष एवं राहु केतु तथा शनि से पीड़ा है, अथवा ग्रहण योग है ... जो जातक मानसिक रूप से विचलित रहते हैं जिनको मानसिक शांति नहीं मिल रही हो तो उन्हें भगवान शिव की गायत्री मंत्र से आराधना करना चाहिये। कालसर्प, पितृदोष के कारण राहु केतु को पाप पुण्य संचित करने तथा शनिदेव द्वारा दंड दिलाने की व्यवस्था भगवान शिव के आदेश पर ही होती है।  इससे सीधा अर्थ निकलता है कि इन ग्रहों के कष्टों से पीड़ित व्यक्ति भगवान शिव की आराधना करे तो महादेव उस जातक की पीड़ा दूर कर सुख पहुँचाते हैं।  भगवान शिव की शास्त्रों मे कई प्रकार की आराधना वर्णित है परंतु शिव गायत्री मंत्र का पाठ सरल एवं अत्यंत प्रभावशील है। इस मंत्र के शुभ परिणाम शीघ्र ही दिखाई देने लगते हैं, मेरा अनुभूत मंत्र है।  मंत्र निम्न है :-  " ॐ तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि तन्नो रुद्र: प्रचोदयात् "  इस मंत्र का विश

मध्यमा_उंगली_व्यक्ति_की_सच्चाई_एवं_अनुशासन_को_दर्शाती_है

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#मध्यमा_उंगली_व्यक्ति_की_सच्चाई_एवं_अनुशासन_को_दर्शाती_है। ✍️मध्यमा उंगली को शनि की उंगली भी कहा जाता है तथा यह व्यक्ति की सच्चाई, ईमानदारी एवं अनुशासन को दर्शाती है। यदि यह उंगली सामान्य लंबाई की होती है यानि अन्य उंगलियों से लंबी परंतु बहुत अधिक लंबी नहीं तो व्यक्ति जिम्मेदार एवं गंभीर व्यक्तित्व का धनी होता है एवं महत्वाकांक्षी होता है। यदि यह उंगली सामान्य से अधिक लंबी हो तो वह व्यक्ति अकेले में रहना पसंद करता है। तथा वह व्यक्ति किसी गलत कार्य मे भी फंस सकता है। जिस व्यक्ति कि मध्यमा उंगली छोटी होती है वह व्यक्ति लापरवाह एवं आलसी होता है। 👉यदि शनि की उंगली का प्रथम खंड लंबा हो तो व्यक्ति का झुकाव धार्मिक ग्रंथ और रहस्यवादी कला के अध्ययन की ओर होता है। 👉यदि मध्यमा का द्वितीय खंड लंबा हो तो व्यक्ति का व्यवसाय संपत्ति संबंधी, रसायन, जीवाश्म ईंधन या लोहा मशीनरी से संबंधित होता है।  👉यदि तीसरा खंड लंबा हो तो दर्शाता है कि व्यक्ति चालाक, स्वार्थी और दुराचार में युक्त रहता है।

तिलक

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#त्रिपुंड और तिलक ......... #सनातन संस्कार एक विज्ञान दृष्टिकोण..........  #ललाट अर्थात माथे पर भस्म या चंदन से तीन रेखाएं बनाई जाती हैं उसे त्रिपुंड कहते हैं। भस्म या चंदन को हाथों की बीच की तीन अंगुलियों से लेकर सावधानीपूर्वक माथे पर तीन तिरछी रेखाओं जैसा आकार दिया जाता है।  शैव संप्रदाय के लोग इसे धारण करते हैं। शिवमहापुराण के अनुसार त्रिपुंड की तीन रेखाओं में से हर एक में नौ-नौ देवता निवास करते हैं। त्रिपुंड के देवताओ के नाम इस प्रकार हैं-........... 1- अकार, गार्हपत्य अग्नि, पृथ्वी, धर्म, रजोगुण, ऋग्वेद, क्रियाशक्ति, प्रात:स्वन तथा महादेव- ये त्रिपुंड की पहली रेखा के नौ देवता हैं। 2- ऊंकार, दक्षिणाग्नि, आकाश, सत्वगुण, यजुर्वेद, मध्यंदिनसवन, इच्छाशक्ति, अंतरात्मा और महेश्वर- ये त्रिपुंड की दूसरी रेखा के नौ देवता हैं। 3- मकार, आहवनीय अग्नि, परमात्मा, तमोगुण, द्युलोक, ज्ञानशक्ति, सामवेद, तृतीयसवन तथा शिव- ये त्रिपुंड की तीसरी रेखा के नौ देवता हैं। त्रिपुंड का मंत्र-ॐ त्रिलोकिनाथाय नम: तिलक के प्रकार : .......… तिलक कई प्रकार के होते हैं - मृतिका, भस्म, चंदन, रोली, सिंदूर,