Posts

Showing posts from February, 2021

नवग्रहों को अनुकूल एवं बलि बनाने के कुछ आसान उपाय

Image
नवग्रहों को अनुकूल एवं बलि बनाने के कुछ आसान उपाय 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 सूर्य⭐ 🔹सूर्य को बली बनाने के लिए व्यक्ति को प्रातःकाल सूर्योदय के समय उठकर लाल पूष्प वाले पौधों एवं वृक्षों को जल से सींचना चाहिए। 🔹रात्रि में ताँबे के पात्र में जल भरकर सिरहाने रख दें तथा दूसरे दिन प्रातःकाल उसे पीना चाहिए। 🔹ताँबे का कड़ा दाहिने हाथ में धारण किया जा सकता है। लाल गाय को रविवार के दिन दोपहर के समय दोनों हाथों में गेहूँ भरकर खिलाने चाहिए। गेहूँ को जमीन पर नहीं डालना चाहिए। 🔹किसी भी महत्त्वपूर्ण कार्य पर जाते समय घर से मीठी वस्तु खाकर निकलना चाहिए। 🔹हाथ में मोली (कलावा) छः बार लपेटकर बाँधना चाहिए। 🔹लाल चन्दन को घिसकर स्नान के जल में डालना चाहिए। 🔹सूर्य के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे उपायों हेतु रविवार का दिन, सूर्य के नक्षत्र (कृत्तिका, उत्तरा-फाल्गुनी तथा उत्तराषाढ़ा) तथा सूर्य की होरा में अधिक शुभ होते हैं। चन्द्रमा⭐ 🔹व्यक्ति को देर रात्रि तक नहीं जागना चाहिए। रात्रि के समय घूमने-फिरने तथा यात्रा से बचना चाहिए। 🔹रात्रि में ऐसे स्थान पर सोना चाहिए जहाँ पर चन्द्रमा की रो

इच्छा पूरी करने वाला पिरामिड क्या है ?🏵️🏵️

Image
इच्छा पूरी करने वाला पिरामिड क्या है ?🏵️🏵️ (जिसे वास्तु शास्त्र पर बिस्वास नहीं है, वो इस पोस्ट को इग्नोर करे ) पिरामिड के आकार के साथ मानव शरीर का संपर्क अपार है।  पिरामिड की जमीन और उसके विकर्ण हाथ की बीच का कोण, और मानव शरीर के नाभि के निचले और ऊपरी हिस्से का अनुपात समान है ...1.618  पिरामिड के आकार के नीचे अच्छी ऊर्जा का संचार होता है।   उसके साथ मानवीय बंधन के कारण, यह इच्छाओं को पूरा कर सकता है।   🙏 इसलिए ,मंदिर का शीर्ष , पिरामिड के आकार का रखा जाता है।  'श्री यंत्र' की आकृति भी पिरामिड के आकार की है।   मिशर में लोगों की मृत्यु के बाद, उन्हें सुख, शांति और आत्मा की सारी इच्छाओं की पूर्ति के लिए पिरामिड के आकार के घर में रखा जाता था। 🙏 फेंग शुई और भारतीय वास्तु शास्त्र के में पिरामिड के आकार की वस्तुओं को घर में रखने के लिए कहा गया है। ऐसा कहा जाता है कि अगर पिरामिड को घर के दक्षिण-पश्चिम कोने में रखा जाता है और उसके नीचे कागज के एक टुकड़े पर कोई ' इच्छा लिखी जाती है, तो वह पूरी हो जाती है।  पिरामिड के आकार की वस्तुएं  ,बार-बार अच्छी खबर घर लाती हैं।  

जन्मकुंडली के ये है 10 घातक योग

जय श्रीराम ।।           जन्मकुंडली के ये है 10 घातक योग         ======================= ✍🏻जन्म कुंडली में 2 या उससे ज्यादा ग्रहों की युति, दृष्टि, भाव आदि के मेल से योग का निर्माण होता है। ग्रहों के योगों को ज्योतिष फलादेश का आधार माना गया है। अशुभ योग के कारण व्यक्ति को जिंदगीभर दु:ख झेलना पड़ता है। आओ जानते हैं कि कौन-कौन से अशुभ योग होते हैं।   *१.-चांडाल योग*  ============ कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु या केतु का होना या दृष्टि आदि होना चांडाल योग बनाता है। इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। जातक बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं।  *२.-अल्पायु योग*  ============= जब जातक की कुंडली में चन्द्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है। अल्पायु योग में जातक के जीवन पर हमेशा संकट मंडराता रहता है, ऐसे में खानपान और व्यवहार में सावधानी रखनी चाहिए।  *३.-ग्रहण योग*  ============ ग्रहण योग -  सूर्य ग्रहण व चन्द्र ग्र

बीमारी से मुक्ति के उपाय

बीमारी से मुक्ति के उपाय हर व्यक्ति चाहता है कि वह और उसके परिवार के सदस्य आरोग्य को प्राप्त करें अर्थात निरोगी बने रहे । लेकिन वर्तमान समय के रहन सहन, खान-पान , शरीरिक श्रम की कमी के कारण लोगो को रोग बहुत जल्दी घेर लेते है ।  इन बिमारियों से मुक्ति के लिए कई उपाय , कई टोटके बताये गए है जिन्हे ध्यान पूर्वक करने से रोगो से छुटकारा पाया जा सकता है । यहाँ पर हम रोग निवारण के कई आसान उपाय बता रहे है जिसे निरोगी काया पायी जा सकती है । जानिए बीमारी से रोग से छुटकारा पाने के उपाय  1. बाजार से कपास के थोड़े से फूल खरीद लें। रविवार शाम 5 फूल, आधा गिलास पानी में साफ कर के भिगो दें। सोमवार को प्रात: उठ कर फूल को निकाल कर फेंक दें तथा बचे हुए पानी को पी जाएं। जिस पात्र में पानी पीएं, उसे कहीं पर भी उल्टा कर के रख दें। कुछ ही दिनों में आश्चर्यजनक स्वास्थ्य लाभ अनुभव करेंगे ।  2. रात्रि के समय शयन कक्ष में कपूर जलाने से पितृ दोष का नाश होता है, घर में शांति बनी रहती है, बुरे स्वप्न नहीं आते है और सभी प्रकार के रोगों से भी छुटकारा मिलता है ।  3. पूर्णिमा के दिन रात्रि में घर में खीर बनाएं। ठंडी होने

सूर्य दसवें घर में

Image
सूर्य दसवें घर में (Sun in Tenth House) वैदिक ज्योतिष के अनुसार दसवें घर को कर्म स्थान भी कहा जाता है | जय, यश, इज्जत, जीवन यापन का क्षेत्र , रुचियाँ , आचार, हुकूमत का विचार दसवें घर से किया जाता है | इसे केंद्र स्थान भी कहा जाता है | वंही सूर्य ग्रह को ऊर्जा, पिता, आत्मा का कारक माना जाता है। सभी ग्रहों का राजा भी सूर्य है। व्यक्तित्व ,पिता,वैद,प्रतिष्ठा , सोना, ताम्बा ,युद्ध में विजय,सुख,राजसेवक,ताक़त,देवस्थान, जंगल,पहाड़, पित्त प्रकृति आदि का विचार सूर्य से किया जाता है | जातक की कुंडली में जब सूर्य की स्थिति मजबूत होती है तो उसे बहुत से फायदे मिलते हैं। उसे अच्छी नौकरी, सम्मान और उच्च पद प्राप्त होता है। वह जन्मजात लीडर होता है । कुंडली के दसवें घर में बैठा बलवान सूर्य व्यक्ति को राजनीति, सरकार या सार्वजनिक क्षेत्र में उच्च पद दिला सकता है। सूर्य का यंहा सबसे अच्छा प्लेसमेंट कहा जा सकता है क्योंकि ये घर करियर से सम्बन्ध रखता है। दसवें घर का बलवान सूर्य व्यक्ति के लिए वरदान साबित हो सकता है उसके लिए आशीर्वाद है। यंहा का सूर्य व्यक्ति को महत्वाकांक्षी बनाने के साथ साथ व्यक्

जय शनि देव

Image
🙏 जय शनि देव 🙏 🌺 नीलांजन समाभासं  रविपुत्रं  यमाग्रजम| छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम |🌺 🙏शनि देव को कैसे प्रसन्न करे  शनि, भगवान सूर्य तथा छाया के पुत्र हैं। ये क्रूर ग्रह माने जाते हैं। ब्रह्म पुराण के अनुसार इनकी दृष्टि में जो क्रूरता है, वह इनकी पत्नि के शाप के कारण हैं। पुराणों के अनुसार शनि देवता भगवान कृष्ण के परम भक्त थे, वे सदा उनकेे ध्यान में लीन रहते थे। व्यस्क होने पर इनका विवाह चित्ररथ की कन्या से हुआ। इनकी पत्नि सती-साध्वी व तेजस्विनी थी। एक रात इनकी पत्नि ऋतु स्नान करके पुत्र-प्राप्ति की इच्छा से इनके पास पहुंची पर ये श्री कृष्ण के ध्यान में निमग्न थे, इन्हे बाह्य संसार की सुध ही नहीं थी। पत्नि का ऋतुकाल निष्फल हो गया। इसलिये उसने क्रुध होकर शनि देव को शाप दिया कि आज से जिसे तुम देखोगे वह नष्ट हो जायेगा। बाद में पत्नि को अपनी भूल का पश्चात्ताप हुआ, परन्तु शाप का प्रतिकार करने की शक्ति उसमें न थी। तभी से शनि देव अपना सिर नीचा करके रहने लगे, क्योंकि वह नहीं चाहते कि उनके द्वारा किसी का अनिष्ट हो। शनि जातक में सांसारिक सुख, न्यायप्रियता, छत्र-सिंहासन

आपको,"त्रिदेवियों"' का रहस्य बतायेगें.........!

Image
🌹🌹🌹 आज मातारानी का दिन है। आज हम आपको,"त्रिदेवियों"' का रहस्य बतायेगें.........! सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती ये त्रिदेव की पत्नियां हैं। इनकी कथा के बारे में लोगों में बहुत भ्रम है। पुराणों में इनके बारे में भिन्न भिन्न जानकारियां मिलती है।   माता अम्बिका : - ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश को ही सर्वोत्तम और स्वयंभू मान जाता है। क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश का कोई पिता नहीं है? वेदों में लिखा है कि जो जन्मा या प्रकट है वह ईश्‍वर नहीं हो सकता। ईश्‍वर अजन्मा, अप्रकट और निराकार है। शिवपुराण के अनुसार उस अविनाशी परब्रह्म (काल) ने कुछ काल के बाद द्वितीय की इच्छा प्रकट की। उसके भीतर एक से अनेक होने का संकल्प उदित हुआ। तब उस निराकार परमात्मा ने अपनी लीला शक्ति से आकार की कल्पना की, जो मूर्तिरहित परम ब्रह्म है।  परम ब्रह्म अर्थात एकाक्षर ब्रह्म। परम अक्षर ब्रह्म। वह परम ब्रह्म भगवान सदाशिव है। एकांकी रहकर स्वेच्छा से सभी ओर विहार करने वाले उस सदाशिव ने अपने विग्रह (शरीर) से शक्ति की सृष्टि की, जो उनके अपने श्रीअंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी। सदाशिव की उस पराशक्ति को प

उपाय व्यपार

Image
उपयोगी टोने-टोटके            टाईम पास के लिए फोन कॉल ना करो जी  परीक्षा में सफलता हेतु :  परीक्षा में सफलता हेतु गणेश रुद्राक्ष धारण करें। बुधवार को गणेश जी के मंदिर में जाकर दर्शन करें और मूंग के लड्डुओं का भोग लगाकर सफलता की प्रार्थना करें। बिक्री बढ़ाने हेतु :  ग्यारह गोमती चक्र और तीन लघु नारियलों की यथाविधि पूजा कर उन्हें पीले वस्त्र में बांधकर बुधवार या शुक्रवार को अपने दरवाजे पर लटकाएं तथा हर पूर्णिमा को धूप दीप जलाएं। यह क्रिया निष्ठापूर्वक नियमित रूप से करें, ग्राहकों की संख्या में वृद्धि होगी और बिक्री बढ़ेगी।  पदोन्नति हेतु :  शुक्ल पक्ष के सोमवार को सिद्ध योग में तीन गोमती चक्र चांदी के तार में एक साथ बांधें और उन्हें हर समय अपने साथ रखें, पदोन्नति के साथ-साथ व्यवसाय में भी लाभ होगा। मुकदमे में विजय हेतु :  पांच गोमती चक्र जेब में रखकर कोर्ट में जाया करें, मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होगा। पढ़ाई में एकाग्रता हेतु :  शुक्ल पक्ष के पहले रविवार को इमली के २२ पत्ते ले आएं और उनमें से ११ पत्ते सूर्य देव को ¬ सूर्याय नमः कहते हुए अर्पित करें। शेष ११ पत्तों को अपनी कि

Number 5 people

Number 5 people must chant these names of lord Ganesh especially on Wednesday  > श्री गणेश के 108 नाम (108 Names of Lord Ganesha)    1) बालगणपति – Baalganapati 2) भालचन्द्र – Bhalchandra 3) बुद्धिनाथ – Buddhinath 4) धूम्रवर्ण – Dhumravarna 5) एकाक्षर – Ekakshar 6) एकदंत – Ekdant 7) गजकर्ण – Gajkarn 8) गजानन – Gajaanan 9) गजनान – Gajnaan 10) गजवक्र – Gajvakra 11) गजवक्त्र – Gajvaktra 12) गणाध्यक्ष – Ganaadhyaksha 13) गणपति – Ganapati 14) गौरीसुत – Gaurisut 15) लंबकर्ण – Lambakarn 16) लंबोदर – Lambodar 17) महाबल – Mahaabal 18) महागणपति – Mahaaganapati 19) महेश्वर – Maheshwar 20) मंगलमूर्ति – Mangalmurti 21) मूषकवाहन – Mushakvaahan 22) निदीश्वरम – Nidishwaram 23) प्रथमेश्वर – Prathameshwar 24) शूपकर्ण – Shoopkarna 25) शुभम – Shubham 26) सिद्धिदाता – Siddhidata 27) सिद्धिविनायक – Siddhivinaayak 28) सुरेश्वरम – Sureshvaram 29) वक्रतुंड – Vakratund 30) अखूरथ – Akhurath 31) अलंपत – Alampat 32) अमित – Amit 33) अनंतचिदरुपम – Anantchidrupam 34) अवनीश – Avanish 35) अविघ्न – Avighn 36) भीम – Bh

कुंडली_में_मारक_ग्रह_को_कैसे_जानें?🚩❄️

❄️🚩#कुंडली_में_मारक_ग्रह_को_कैसे_जानें?🚩❄️ ❄️👉हर व्यक्ति की कुंडली में तीन प्रकार के ग्रह होते हैं - शुभ, अशुभ और सामान्य, अशुभ ग्रहों में दो तरह के ग्रह होते हैं, एक जो नुकसान करते हैं, और एक, जो मारक होते हैं। मारक ग्रह कुंडली में समस्या और संघर्ष पैदा करते हैं, इन ग्रहों की दशा में व्यक्ति की या तो मृत्यु होती है या मृत्युतुल्य कष्ट होता है, हर लग्न के लिए अलग अलग ग्रह मारक होते हैं और इनकी दशाओं में सावधानी न रखने के परिणाम बहुत गंभीर होते हैं।🚩💥 🚩❄️ किन किन लग्नों के लिए कौन कौन से ग्रह मारक होते हैं💥 #मेष लग्न - शुक्र और बुध #वृष लग्न - बृहस्पति और मंगल  #मिथुन लग्न - गुरु और चन्द्र चन्द्र मारक नही होते पर परेसानी देते है,  #कर्क लग्न - शुक्र और शनि  #सिंह लग्न - शनि और बुध #कन्या लग्न - मंगल और गुरु #तुला - बृहस्पति और मंगल  #वृश्चिक - बुध और शुक्र  #धनु लग्न - शुक्र और, बुध  #मकर लग्न - गुरु और सूर्य चन्द्र मारक नही होते पर परेसानी देते ही है,  #कुम्भ लग्न - बृहस्पति, सूर्य मारते नही है पर परेसानी देते है दशा में, #मीन लग्न - शुक्र और शनि  ❄️कुछ सामान्य उपाय जो मार्केस क

बिल्व_पत्र_महात्म्य

🔹#बिल्व_पत्र_महात्म्य🔹 🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸 त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं च त्रिधायुतम्। त्रिजन्मपापसंहारं बिल्वपत्रं शिवार्पणम्॥ 🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸🔸 हे.. महादेव मेरे द्वारा अर्पित बिल्व पत्र स्वीकार करें..🙏 🌿भगवान शिव की पूजा में बिल्व पत्र यानी बेल पत्र का विशेष महत्व है।  महादेव एक बेलपत्र अर्पण करने से भी प्रसन्न हो जाते है, इसलिए तो उन्हें आशुतोष भी कहा जाता है। 🌿बिल्व तथा श्रीफल नाम से प्रसिद्ध  यह फल बहुत ही काम का है। यह जिस पेड़ पर लगता है वह शिवद्रुम भी कहलाता है। बिल्व का पेड़ संपन्नता का प्रतीक, बहुत पवित्र तथा समृद्धि देने वाला है।  🌿बेल के पत्ते शंकर जी  का आहार माने गए हैं, इसलिए भक्त लोग बड़ी श्रद्धा से इन्हें महादेव के ऊपर चढ़ाते हैं। शिव की पूजा के लिए बिल्व-पत्र बहुत ज़रूरी माना जाता है। शिव-भक्तों का विश्वास है कि पत्तों के त्रिनेत्रस्वरूप् तीनों पर्णक शिव के तीनों नेत्रों को विशेष प्रिय हैं। 🔸भगवान शंकर का प्रिय🔸 ⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️ 🌿भगवान शंकर को बिल्व पत्र बेहद प्रिय हैं।  🌿भांग धतूरा और बिल्व पत्र से प्रसन्न होने वाले केवल शिव ही हैं। 🌿 शिवरात

राहु शनि युति व नन्दी योग

जय श्रीराम ।।         राहु शनि युति व नन्दी योग       🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 *हमारी कुंडली में विभिन्न तरीकों से नकारात्मक योग या दोष होते हैं इन्हीं नकारात्मक योगों में से एक है, नंदी योग.. जिसके विषय में बहुत ही कम लोगों को जानकारी होती है। यह योग तब बनता है जब किसी भी जातक की कुंडली के एक ही भाव में राहु और शनि एक साथ बैठ जाएं। ये योग जीवन में तबाही लाने का काम भी कर सकता है।* *जिन लोगों की कुंडली में यह योग बनता है, वह कभी व्यापार में उन्नति नहीं कर पाता। उसके समक्ष हर इंसान अपना सिर उठाता है, फिर चाहे वह ओहदे में बहुत कम ही क्यों ना हो। ऑफिस या कोई भी अन्य व्यापारिक स्थल, हर समय वह सवालों के घेरे में रहता है और कोई भी उसे सम्मान नहीं देता।* *जिस जातक की कुंडली में यह योग होता है, उसके घर में भी अजीब-अजीब घटनाएं होती रहती हैं जो जादू-टोने की ओर इशारा करती हैं। समस्याएं हैं तो इसका निवारण भी है, इसलिए आज इस लेख के जरिए हम आपको बताएंगे कि कैसे आप अपनी राशि के आधार पर नंदी योग का निवारण कर सकते हैं।*    नन्दी योग ========= * मेष राशि के जातकों की,जिनके लिए यह योग व्यापारिक रूप से हानिकारक ह

रत्न एवं बीमारियों का समाधान

जय श्रीराम ।।           रत्न एवं बीमारियों का समाधान         =====================  पेट की बीमारियां दूर करने में असरदार हैं ये रत्‍न  -     प्रकृति ने हमें उपहारस्‍वरूप कुछ ऐसे रत्‍न दिए हैं जिनके प्रयोग से हम कई रोग दूर कर सकते हैं। इसी क्रम में कुछ रत्‍न ऐसे भी हैं जिनके प्रयोग से पेट के विकार और गैस की समस्‍या को दूर किया जा सकता है। आइए जानते हैं ऐसे 8 रत्‍न, जो दूर कर सकते हैं पेट की बीमारियां…  सोडालाइट-पेट में मरोड़ के लिए - ===================== सोडालाइट रत्‍न को धारण करने से आपको पेट में होने वाली मरोड़ की समस्‍या से निजात मिल सकती है। दर्द के स्‍थान पर सोडालाइट को रगड़ने से तुरंत आराम मिलता है।  नीलम-जी मिचलाने की समस्‍या - ===================== यदि आपको जी मिचलाने की समस्‍या अक्‍सर रहती है और खाना अक्‍सर ठीक से हजम नहीं हो पाता है तो आपके लिए नीलम पहनना लाभकारी हो सकता है। नीलम की अंगूठी को पहनने के साथ-साथ यदि आप इसे नाभि के पास रखेंगे तो आपको भविष्‍य में पेट के विकार से मुक्ति मिल जाएगी। फ्लोराइट- कब्‍ज की समस्‍या - ================== अगर आपको लगातार कब्‍ज की समस्‍या बनी

वास्तु पर आधारित कुछ सुझाव

!! वास्तु पर आधारित कुछ सुझाव  !!  ****************** ◆अपने बेडरूम से सटे टायलेट में सेंधा नमक ढेला, कांच के बाऊल में रखे तनाव व बैक्टिरिया कम होता चला जायेगा, प्रत्येक  सप्ताह के,  अंत में, बाउल का नमक बदल लें!  ◆मानव के घर की सम्पूर्ण जिम्मेदारी महिला के कंधे पर होती है, अपवाद छोड़ दें तो, वही घर का *ध्यान रखती*  है, इसलिए अर्धांगिनी का हमेशा अपने घर के *मुख्य द्वार*,को सुबह सुबह, जल डालने पर माता लक्ष्मी प्रसन्न होती है !  ◆घर के मुख्यद्वार के सामने या आस-पास कोई कूड़ेदान नहीं रखना चाहिए क्योंकि ऐसा करने से माता *लक्ष्मी* का घर में प्रवेश अवरुद्ध होता है और *पड़ोसियों* से भी रिश्ते खराब होते है। ◆यदि कभी भी सूर्यास्त के पश्चात बाहर का कोई व्यक्ति आपसे दूध या दही मांगने आता है तो उसे ये चीजें नहीं देना चाहिए, इन्हें देने से आपके घर की *लक्ष्मी* भी चली जाती है। ◆हमेशा किसी भी महिला को रात्रि के भोजन के पश्चात, अपनी *रसोई और बर्तन को साफ़* करके ही सोना चाहिए ऐसा करने से आपके घर में *सुख, समृद्धि* बनी रहती है। ◆महिलाओं को हमेशा अपने घर की झाड़ू दक्षिण-पश्चिम दिशा में *छुपाकर* रखना चाहिए। ◆कि

बुध

Image
बुध क्या गजब ग्रहः है। छोटा सा ग्रहः लेकिन सबसे तेज़ तरार। राहु मंगल इसकी राशियों के या तो कारक या उच्च स्वगृही। सूर्य का प्यार बच्चा। शुक्र का पड़ोसी। आपकी वाणी बताएगी आपका बिध कैसा है।  आपके ग्रहण करने की क्षमता बताएगी आपका बुध कैसा। गरमा गरम जलेबी की सुगंध दूर से आ जाये तो समझ लो बुध मस्त है। त्वचा भी तो बुद्ध ही है। रोगप्रतिरोधक क्षमता भी बुध। तुलसी बुध। इसीलिए तो रोज़ तिलसी खाने को कहते है बड़े बुजुर्ग। ओर हम लोग वैज्ञानिक बने घूमते है और मजाक में बात को टाल देते है। बहन, बुआ, बेटी से रिश्ता बता देगा कि बुद्ध कैसा है आपका। आपकी चमड़ी बता देगी बुध कैसा है आपका। आपका तांत्रिक तंत्र बता देता बुध कैसा है आपका। जिसका बुध बढ़िया उसको लकवा कैसे मारे। आप एक ही बात के एकदम गहराई तक जा रहे हो और जा ही रहे हो तो समझ लो बुध चन्द्र है साथ है। एक छोटे बच्चे के जैसे बैचैन रहते हो। वैसा स्वभाव है तो समझ जाओ बुध अकेला बैठा है कुंडली मे। भाई बच्चे को सम्हालने के लिए कोई न कोई बड़ा तो चाहिए न साथ मे। बिना गुरु के आपने अपने आप को विकसित कर लिया है तो समझ जाओ आपका  वृषभ  या कुम्भ लग्न है। आप नया नया रिसर्च क

वरुण ग्रह (नेप्च्यून) का 12 भावो में फल

जय श्रीराम ।।             वरुण ग्रह (नेप्च्यून) का 12 भावो में फल       ========================== ज्योतिष में जो कोई नही बताता वह भी हम बताते है । यह भी एक ग्रह है और इसका प्रभाव भी मैंने इंसानो पर पड़ता देखा गया है यह एक मैजिकल ग्रह है मेरी नज़र में । ज्योतिष की नज़र से वरुण ग्रह जलीय ग्रह है और यह ग्रह मीन राशि को प्रभावित करता है उस पर अपना अधिकार रखता है इस ग्रह से प्रभावित इंसान काफी माइंड का तेज होता है दुसरो की बातों को अच्छे से सुनता है उन पर विचार करता है अगर यह ग्रह कुंडली के भावों में हो कैसा फल देगा । यह ग्रह जिस भी ग्रह के साथ होता है उसकी पावर को बड़ा देता है अपनी सारी शक्ति उस गृह में मिला देता है शुभ ग्रहों के प्रभाव में जबरदस्त बढ़ोतरी करता है ।  प्रथम भाव ========  यह लगन में हो और गुरु के साथ हो या किसी शुभ ग्रह के साथ हो इंसान आध्यात्मिक पूजा पाठ करने सामाजिक कार्यो में उसको रूचि होती है । ऐसा इंसान लेखन कार्य बहुत बढ़िया करता है । उसकी हिम्मत विल पावर बहुत बढ़िया होती है ।  द्वितीय भाव ========= अगर यह हो इंसान बोलने में बढ़िया होगा जबरदस्त वाक् शक्ति होती है दुसरो को प्र

भगवान विष्णु के 24 वें अवतार

जब-जब पृथ्वी पर कोई संकट आता है तो भगवान अवतार लेकर उस संकट को दूर करते हैं। भगवान शिव और भगवान विष्णु ने कई बार पृथ्वी पर अवतार लिया है। भगवान विष्णु के 24 वें अवतार के बारे में कहा जाता है कि‘कल्कि अवतार’के रूप में उनका आना सुनिश्चित है। उनके 23 अवतार अब तक पृथ्वी पर अवतरित हो चुके हैं।  इन 24 अवतार में से 10 अवतार विष्णु जी के मुख्य अवतार माने जाते हैं। यह है मत्स्य अवतार, कूर्म अवतार, वराह अवतार, नृसिंह अवतार, वामन अवतार, परशुराम अवतार, राम अवतार. कृष्ण अवतार, बुद्ध अवतार, कल्कि अवतार। आइए जानें विस्तार से....      1- श्री सनकादि मुनि  : धर्म ग्रंथों के अनुसार सृष्टि के आरंभ में लोक पितामह ब्रह्मा ने अनेक लोकों की रचना करने की इच्छा से घोर तपस्या की। उनके तप से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने तप अर्थ वाले सन नाम से युक्त होकर सनक, सनन्दन, सनातन और सनत्कुमार नाम के चार मुनियों के रूप में अवतार लिया। ये चारों प्राकट्य काल से ही मोक्ष मार्ग परायण, ध्यान में तल्लीन रहने वाले, नित्यसिद्ध एवं नित्य विरक्त थे। ये भगवान विष्णु के सर्वप्रथम अवतार माने जाते हैं।   2- वराह अवतार : धर्म ग्रंथों क