Posts

Showing posts from May, 2021

नजर

4. कई बार हम देखते हैं, भोजन में नजर लग जाती है। तब तैयार भोजन में से थोड़ा-थोड़ा एक पत्ते पर लेकर उस पर गुलाब छिड़ककर रास्ते में रख दे। फिर बाद में सभी खाना खाएँ। नजर उतर जाएगी। 5. नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की सात पंखुड़ियाँ रखकर खिलाए। नजर लगा हुआ व्यक्ति इष्ट देव का नाम लेकर पान खाए। बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाएगा। 6. लाल मिर्च, अजवाइन और पीली सरसों को मिट्टी के एक छोटे बर्तन में आग लेकर जलाएँ। िफर उसकी धूप नजर लगे बच्चे को दें। किसी प्रकार की नजर हो ठीक हो जाएगी। नज़र बाधा 1. आप अपने नए मकान को बुरी नजर से बचाना चाहते हैं तो मुख्य द्वार की चौखट पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधकर लटकाने से समस्त ऊपरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है। 2. यदि आपने कोई नया वाहन खरीदा है और आप इस बात से परेशान हैं कि कुछ न कुछ रोज वाहन में गड़बड़ी हो जाती है। यदि गड़बड़ी नहीं होती तो दुर्घटना में चोट-चपेट लग जाती है और बेकार के खर्च से सारी अर्थ-व्यवस्था चौपट हो जाती है। अपने वाहन पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधने से आप इस बुरी नजर से बच सकेंगे, करके परेशानी से मुक्त हो जाएं। 3. यदि आपके घर पर रोज कोई न कोई आप

मंत्र

शूकर-दन्त वशीकरण मन्त्र “ॐ ह्रीं क्लीं श्रीं वाराह-दन्ताय भैरवाय नमः।” विधि- ‘शूकर-दन्त’ को अपने सामने रखकर उक्त मन्त्र का होली, दीपावली, दशहरा आदि में 108 बार जप करे। फिर इसका ताबीज बनाकर गले में पहन लें। ताबीज धारण करने वाले पर जादू-टोना, भूत-प्रेत का प्रभाव नहीं होगा। लोगों का वशीकरण होगा। मुकदमें में विजय प्राप्ति होगी। रोगी ीक होने लगेगा। चिन्ताएँ दूर होंगी और शत्रु परास्त होंगे। व्यापार में वृद्धि होगी। कामिया सिन्दूर-मोहन मन्त्र “हथेली में हनुमन्त बसै, भैरु बसे कपार। नरसिंह की मोहिनी, मोहे सब संसार। मोहन रे मोहन्ता वीर, सब वीरन में तेरा सीर। सबकी नजर बाँध दे, तेल सिन्दूर चढ़ाऊँ तुझे। तेल सिन्दूर कहाँ से आया ? कैलास-पर्वत से आया। कौन लाया, अञ्जनी का हनुमन्त, गौरी का गनेश लाया। काला, गोरा, तोतला-तीनों बसे कपार। बिन्दा तेल सिन्दूर का, दुश्मन गया पाताल। दुहाई कमिया सिन्दूर की, हमें देख शीतल हो जाए। सत्य नाम, आदेश गुरु की। सत् गुरु, सत् कबीर। विधि- आसाम के ‘काम-रुप कामाख्या, क्षेत्र में ‘कामीया-सिन्दूर’ पाया जाता है। इसे प्राप्त कर लगातार सात रविवार तक उक्त मन्त्र का 108 बार जप करें।

नारियल के 10 चमत्कारिक टोटके...

नारियल के 10 चमत्कारिक टोटके... ॥ नारियल देता है पूजा का पूरा फल ॥ जानिए इस शुभ फल के 10 अनसुने टोटके- भारतीय धर्म और संस्कृति में नारियल का बहुत महत्व है। वशीकरण मंत्र पर +पत्नी +पति को अपने वश में करने के लिए वशीकरण अपना खोया प्यार पाने के लिए  अपने दुश्मन को खत्म करने की इच्छा को पूरा करने के लिए लड़की या लडका का उपाय पूरा विशवाश शादी में अड़चन के ♈♈♈ मोहनी वशीकरण ♈♈शामकोर मोहनी     ऋ‍ण उतारने के लिए : एक नारियल पर चमेली का तेल मिले सिन्दूर से स्वस्तिक का चिह्न बनाएं। कुछ भोग (लड्डू अथवा गुड़-चना) के साथ हनुमानजी के मंदिर में जाकर उनके चरणों में अर्पित करके ऋणमोचक मंगल स्तोत्र का पाठ करें। तत्काल लाभ प्राप्त होगा। ********************************************** दूसरा उपाय शनिवार के दिन सुबह नित्य कर्म व स्नान आदि करने के बाद अपनी लंबाई के अनुसार काला धागा लें और इसे एक नारियल पर लपेट लें। इसका पूजन करें और उसको नदी के बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें। साथ ही भगवान से ऋण मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।   ♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈♈ व्यापार लाभ के लिए : कारोबार में लगातार घाटा हो रहा हो तो गुरुवार

शनि चतुर्थ भाव मे :-

शनि चतुर्थ भाव मे :- Saturn Sitting In 4th House 1:- पुराने घर या बिल्डिंग में जन्म,गुरु की दृष्टि हो तो आसपास कोई न कोई धार्मिक स्थान हो सकता है, 2:- माता को स्वास्थ्य सम्बन्धित समश्या, जॉइंट पेन,सर दर्द गुरु साथ हो या दृष्टि हो तो नियम में बदलाव निश्चित होगा 3:- खुशी में कोई न कोई मानसिक परेशानी होना  मतलब घर मे जब भी कोई न कोई मांगलिक कार्य होगा तो मानसिक समश्या,अवसाद,लड़ाई अवश्य होगी, 4th भाव हमारे सुख का भाव है एवं शनि दुःख का कारक 4:-घर मे बाहर जैसे ही जायेगा रिलेक्स महसूस करेगा,घर के अंदर आते ही मानसिक परेशानी या मानसिक स्थिति खराब हो जाएगी 6:-कमर या रीढ़ की हड्डी में समश्या बेक पेन  केतु साथ हो तो कन्फर्म हो जाती है L4/L5 में  7:-मकान एवम वाहन का सुख अवश्य मिलेगा कम से 2/3 का  परंतु केतु साथ होगा तो रुकावट आ जायेगी  फिर ये नियम लागू नही होने की स्थिति में रहेगा,     Note:-  ये एक सम्भावना जाहिर की है इसे अंतिम निर्णय ना माने कुंडली मे बहुत सारी कन्डीशन होती है सब कुछ कन्डीशन पर निर्भर है          जय श्रीराधे

History of 12th house.

History of 12th house.  When people started assigning significations to each and every house of the birth chart , then they finally came across the 12th house the last house of the birth chart and they thought what would be the man's final destination and many people said different views on 12th house and finally they couldn't able to come to the correct conclusion,the purpose of identifying the correct significations of 12th house is lost, So ultimately they considered this house of loss or misfortunes.Because this house is  beyond one's imagination and expectations where he might or might not achieve. Now let us see the results of different planets in 12th house.  1. Sun in 12th house is considered as maranakaraka sthana where it's core identity is lost and the soul tries to wander with out any futuristic goals as its karakatwa is lost .But nothing to worry ultimately if benefic aspects then the person can able to reach his spiritual destination under God grace. 2 . M

बिल्व_वृक्ष

#बिल्व_वृक्ष 1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते l 2.  3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है l 4. चार, पांच, छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है l  5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है एवं बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है। 6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है। 7. बेल वृक्ष को सींचने से पित्र तृप्त होते है। 8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे । 10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी जीव सभी पापों से मुक्त हो जाते है l 11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है। कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये । बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्षति न पहुचाएं l शिवजी की पूजा में ध्यान रखने योग्य बात l  #शिव_पुराण के अनुसार भ

अपने ऊपर तान्त्रिक प्रयोग का कैसे पता करें

अपने ऊपर तान्त्रिक प्रयोग का कैसे पता करें   ---------------------------------------------------- टोने -टोटके हैं या नहीं इन लक्षणों से जानें  --------------------------------------------------: अक्सर लोग सोचते हैं की किसी ने उनपर कोई जादू टोना या तांत्रिक प्रयोग कर दी है तो आईये जानते हैं – 1) रात को सिरहाने एक लोटे मैं पानी भर कर रखे और इस पानी को गमले मैं लगे या बगीचे मैं लगे किसी छोटे पौधे मैं सुबह डाले । 3 दिन से एक सप्ताह मे वो पौधा सूख जायेगा  । 2) रात्रि को सोते समय एक हरा नीम्बू तकिये के नीचे रखे और प्रार्थना करे कि जो भी नेगेटिव क्रिया हूई इस नीम्बू मैं समाहित हो जाये । सुबह उठने पर यदि नीम्बू मुरझाया या रंग काला पाया जाता है तो आप पर तांत्रिक क्रिया हुई है। 3) यदि बार बार घबराहट होने लगती है, पसीना सा आने लगता हैं, हाथ पैर शून्य से हो जाते है । डाक्टर के जांच मैं सभी रिपोर्ट नार्मल आती हैं।लेकिन अक्सर ऐसा होता रहता तो समझ लीजिये आप किसी तान्त्रिक क्रिया के शिकार हो गए है । 4) आपके घर मैं अचानक अधिकतर बिल्ली,सांप, उल्लू, चमगादड़, भंवरा आदि घूमते दिखने लगे ,तो समझिये घर पर तांत

राहु

राहु ग्रह व्यक्ति का भाग्य भी बदल देता है। यह राहु ग्रह ही है जो मंगल के साथ बैठता है तो उसका असर शून्य कर देता है। तो आइये जानते है राहु ग्रह के शुभ अशुभ प्रभाव के बारे में। 1) राहु ग्रह और चंद्रमा का प्रभाव  राहु और चंद्रमा के युति से जातकों की कुंडली पर अधिक प्रभाव पड़ता है। इस युति के होने पर मानसिक और शारीरिक परेशानियां बढ़ती है। इसकी वजह से व्यक्तियों पर तनाव भी बढ़ जाता है। राहु और चंद्रमा की युति का असर जिन व्यक्तियों पर होता है वे अगर घर से दूर रहते है तो उन्हें अधिक सफलता मिलती है।  2) राहु और सूर्य का प्रभाव सूर्य और राहु की युति से सूर्य ग्रहण लगता है। कुंडली के जिस भाव में यह योग बनता है, उस कुडंली से संबंधित शुभ फलों में यह न्यूनता देता है। ऐसा व्यक्ति लेकिन जिसकी कुंडली में सूर्य और राहु की युति हो वह सफल राजनेता भी होता है।   कुंडली में राहु और सूर्य का योग बनने से इसका प्रभाव नकारात्मक रहता है। सूर्य और राहु की युति से पिता और बेटे में विवाद भी पैदा होने लगती है। धार्मिक मान्यता भी है कि सूर्य ग्रहण के दौरान राहु सूर्य को ग्रास करता है। 3) राहु और मंगल का प्रभाव ज्योति

देव पूजा करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें" ~

समसामयिक प्रसंग :  "देव पूजा करते समय निम्न बातों का ध्यान रखें" ~  1--   घर में पूजा करने वाला एक ही मूर्ति की पूजा नहीं करें। अनेक देवी-देवताओं की पूजा करें। घर में दो शिवलिंग की पूजा ना करें तथा पूजा स्थान पर तीन गणेश नहीं रखें। 2--   शालिग्राम की मूर्ति जितनी छोटी हो वह ज्यादा फलदायक है। 3--   कुशा पवित्री के अभाव में स्वर्ण की अंगूठी धारण करके भी देव कार्य सम्पन्न किया जा सकता है। 4--   मंगल कार्यो में कुमकुम का तिलक प्रशस्त माना जाता हैं। पूजा में टूटे हुए अक्षत के टूकड़े नहीं चढ़ाना चाहिए। 5--   पानी, दूध, दही, घी आदि में अंगुली नही डालना चाहिए। इन्हें लोटा, चम्मच आदि से लेना चाहिए क्योंकि नख स्पर्श से वस्तु अपवित्र हो जाती है अतः यह वस्तुएँ देव पूजा के योग्य नहीं रहती हैं। 6--   तांबे के बरतन में दूध, दही या पंचामृत आदि नहीं डालना चाहिए क्योंकि वह मदिरा समान हो जाते हैं। 7--   आचमन तीन बार करने का विधान हैं। इससे त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु, महेश प्रसन्न होते हैं। दाहिने कान का स्पर्श करने पर भी आचमन के तुल्य माना जाता है। 8--   कुशा के अग्रभाग से देवताओं पर जल नहीं छिड़के।

आक की जड़ की अद्भुत फायदे

आक की जड़ की अद्भुत फायदे  छोटे बच्चों को अक्सर नजर लग जाती है। जिसके चलते कई उपाय किए जाते हैं। मगर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार महज एक पेड़ की जड़ से इस समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। साथ ही इससे धन संबंधित परेशानियों से भी बचा जा सकता है। 1.पं. रवि शास्त्री के मुताबिक आक की जड़ नजर दोष दूर करने के लिए सबसे कारगर साबित होती हैं। ये इतना प्रभावशाली है कि इसका इस्तेमाल तंत्र विद्या में किया जाता है। 2.बच्चे को नजर दोष से बचाने के लिए गणेश जी के पास सफेद आक की जड़ रख दें। अब 'ॐ गं गणपतये नमः' मंत्र के जाप से जड़ को अभिमंत्रित कर लें। अब इसे किसी ताबीज में भरकर हरे रंग की डोरी में लपेटकर बच्चे की गले में बांध दें। ऐसा करने से नजर नहीं लगेगी। 3.अगर बच्चा बार-बार बीमार हो जाता है तो बुधवार के दिन आक की जड़ को बच्चे के सिर से सात बार घुमाकर किसी नदी में प्रवाहित कर दें। इससे बीमारी दूर हो जाएगी। 4.अगर आप किसी को अपनी ओर आकर्षित करना चाहते हैं तो गुरु पुष्य या रवि पुष्य नक्षत्र में सुबह के समय आक की जड़ को साफ कर लें और इसे पानी के साथ पीस लें। फिर इस पेस्ट को रुई के साथ मिलाकर बत्ती

काले तिल के टोटके

Image
काले तिल के टोटके  🔸🔸🔹🔸🔹🔸🔸 कार्यों में आ रही परेशानियों और दुर्भाग्य को दूर करने के लिए ज्योतिष शास्त्र की किताबों में कई तरह के टोटके या उपाय बताए गए हैं उन्हीं में से एक है काले तिल के असरकार और चमत्कारिक उपाय। आप भी जानिए... 1👉 राहु-केतु और शनि से मुक्ति हेतु 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️          कुंडली में शनि के दोष हों या शनि की साढ़ेसाती या ढय्या चल रहा हो तो प्रत्येक शनिवार को बहते जल की नदी में काले तिल प्रवाहित करना चाहिए। इस उपाय से शनि के दोषों की शांति होती है।आप काले तिल भी दान कर सकते हैं। इससे राहु-केतु और शनि के बुरे प्रभाव समाप्त हो जाते हैं। इसके अलावा कालसर्प योग, साढ़ेसाती, ढय्या, पितृदोष आदि में भी यह उपाय कारगर है। 2.👉 धन की समस्या दूर करने हेतु    〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️  हर शनिवार काले तिल, काली उड़द को काले कपड़े में बांधकर किसी गरीब व्यक्ति को दान करें। इस उपाय से पैसों से जुड़ी समस्याएं दूर हो सकती हैं। धनहानि रोकने हेतु : मुठ्ठी भर काले तिल को परिवार के सभी सदस्यों के सिर पर सात बार उसारकर घर के उत्तर दिशा में फेंक दें, धनहानि बंद होगी|     3.👉

व्रज 84 कौस - 66 अरब तीर्थ

Image
🌼व्रज 84 कौस - 66 अरब तीर्थ🌼 वृंदावन, मथुरा, गौकुल, नँदगांव, बरसाना, गोवर्धन सहित वें सभी जगह जहाँ श्री कृष्ण जी का बचपन बीता और आज भी जहाँ उनको महसूस किया जा सकता है जैसे कि सांकोर आदि में वह सब बृज 84 कोस का हिस्सा है।  ब्रज चौरासी कोस की, परिक्रमा एक देत। लख चौरासी योनि के, संकट हरि हर लेत।। वृंदावन के वृक्ष कों, मरम ना जाने कोय। डाल-डाल और पात पे, श्री राधे-राधे होय।। आइए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से। वेद-पुराणों में ब्रज की 84 कोस की परिक्रमा का बहुत महत्व है, ब्रज भूमि भगवान श्रीकृष्ण एवं उनकी शक्ति राधा रानी की लीला भूमि है। इस परिक्रमा के बारे में वारह पुराण में बताया गया है कि पृथ्वी पर 66 अरब तीर्थ हैं और वे सभी चातुर्मास में ब्रज में आकर निवास करते हैं। कृष्ण की लीलाओं से जुड़े हैं 1100 सरोवरें ब्रज चौरासी कोस की परिक्रमा मथुरा के अलावा राजस्थान और हरियाणा के होडल जिले के गांवों से होकर गुजरती है। करीब 268 किलोमीटर परिक्रमा मार्ग में परिक्रमार्थियों के विश्राम के लिए 25 पड़ावस्थल हैं। इस पूरी परिक्रमा में करीब 1300 के आसपास गांव पड़ते हैं। कृष्ण की लीलाओं

बिल्व_वृक्ष

Image
#बिल्व_वृक्ष 1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते l 2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है l 3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है l 4. चार, पांच, छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्र पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है l  5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है एवं बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है। 6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है। 7. बेल वृक्ष को सींचने से पित्र तृप्त होते है। 8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे । 10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी जीव सभी पापों से मुक्त हो जाते है l 11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है। कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये । बिल्व पत्र के

बीमारी से बचने के उपाय

बीमारी से बचने के उपाय 1. एक देसी पान,गुलाब का फूल और ग्यारह बताशे बीमार व्यक्ति के ऊपर से 31 बार उतार कर किसी चौराहे पर रख दें ध्यान रहे कोई टोके नहीं ....व्यक्ति को शीघ्रता से स्वास्थ्य लाभ मिलने लगेगा ।  2. यदि कोई व्यक्ति तमाम इलाज के बाद भी बीमार रहता है तो पुष्य नक्षत्र में सहदेवी की जड़ उसके पास रखिये .....रोग दूर लगेगा ।  3. पीपल के वृक्ष को प्रातः 12 बजे के पहले, जल में थोड़ा दूध मिला कर सींचें और शाम को तेल का दीपक और अगरबत्ती जलाएं। ऐसा किसी भी वार से शुरू करके 7 दिन तक करें। बीमार व्यक्ति को आराम मिलना प्रारम्भ हो जायेगा।  4. किसी कब्र या दरगाह पर सूर्यास्त के पश्चात् तेल का दीपक जलाएं। अगरबत्ती जलाएं और बताशे रखें, फिर वापस मुड़ कर न देखें। बीमार व्यक्ति शीघ्र अच्छा हो जायेगा।  5. धोबी के घर से तुरंत धुलकर आये वस्त्रों को मन ही मन रोगी के अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हुए रोगी के शरीर से स्पर्श करा देने से बहुत जल्दी आराम मिलता है ।  6. हर माह के प्रथम सोमवार को सुबह सवेरे अपने ईष्ट देव का नाम लेते हुए थोड़ी सी पीली सरसों अपने सर पर से 7 बार घुमाकर घर से बाहर फ़ेंक दें

अगर आप महंगे रत्न धारण नही कर सकते तो उनकी जगह पेड़ पौधों की जड़ को धारण करे

Image
अगर आप महंगे रत्न धारण नही कर सकते तो उनकी जगह पेड़ पौधों की जड़ को धारण कर वही फल प्राप्त कर सकते हैं- आइये जानते हैं कौन-से पेड़-पौधे की जड़ किस ग्रह को प्रसन्न करने के काम आती है और उसका उपयोग कैसे करें। सूर्य- बेलमूल या आक की जड़ में सूर्य का वास माना गया है। मान-सम्मान, यश, कीर्ति, तरक्की की चाह रखने वालों को रविवार के दिन पिंक कपड़े में इसकी जड़ को बांधकर दाहिनी भुजा में बांधना चाहिए। सूर्य के बुरे प्रभाव नष्ट होकर शुभ प्रभाव में वृद्धि होती है। अपच, चक्कर आना, हार्ट और रीढ़ से संबंधित रोगों में इससे आराम मिलता है। मंत्र - ॐ ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः चंद्र- चंद्रमा से संबंधित बुरे प्रभाव कम करने के लिए पलाश या खिरनी की जड़ का प्रयोग किया जाता है। सोमवार के दिन सफेद कपड़े में हाथ में बांधने पर इसके शुभ प्रभाव मिलना प्रारंभ हो जाते हैं। चंद्रमा के बुरे प्रभाव के फलस्वरूप व्यक्ति कफ और लिवर संबंधी बीमारियों से हमेशा घिरा रहता है। मानसिक रूप से विचलित रहता है। मंत्र - ‘ॐ श्रां श्रीं श्रौं सः चन्द्रमसे नमः मंगल- अनंतमूल या खैर की जड़ में मंगल ग्रह का वास होता है। यह ज

चंद्र पंचम भाव मे

Image
ऋषि कहते हैं कि चन्द्र यदि पञ्चम भाव में हो तो जातक देवताओं को प्रसन्न करने में सफल होता है। टिप्पणी: पञ्चम भाव मन्त्र सिद्धि, उपासना, इष्टदेव आदि का भाव है। यदि आपका चन्द्र इस भाव सहित 10-11 से लिंक्ड हो तो आप सिद्धि आदि कार्यों में अवश्य सफल होंगे, जिसे यहाँ ईश्वर का प्रसन्न होना कहा गया है। ऋषि: जातक की पत्नी सुंदर होगी, किन्तु वह आशुक्रोधी (quick tempered) होगी, उसके स्तनों के मध्य एक जन्मजात चिन्ह होगा। टिप्पणी: पत्नी  विषयक ज्ञान हेतु सप्तम को यदि भार्या (spouse) का लग्न माना जाए तो आपका पञ्चम भाव, पत्नी का एकादश बनेगा, अतः चन्द्र का लिंक सप्तम से आरम्भ होकर एकादश के अतिरिक्त अन्य भाव 3-4-5-8 सहित शुक्र से हो तो वह सुंदर होगी। एकमात्र चन्द्र की स्थिति आशुक्रोधी या जातक की मनोवृत्ति (temper) जानने के लिए अपर्याप्त है। लग्न चाहे स्वयं का हो या पत्नी का, लग्न ही मनोवृत्ति का ज्ञान देता है। लग्न की राशि, नक्षत्र आदि की समीक्षा ही स्वभाव का रहस्य खोल सकती है। हमारे शरीर में चिन्ह आदि दो प्रकार से बनते हैं, पहला जन्मजात, दूसरा जन्म लेने के उपरांत, जो चोट, फोड़ा, ऑपरेशन आदि स

एक छोटा सा समाधान

Image
★●◆एक छोटा सा समाधान ●◆★ जिन्हें जो भी परेशानी हो वह यह पूजा करे । शाम ठीक 6 बजे पूजा स्थल पर नहा धोकर तैयार हो कर , चावल के ढेर पर 1 चौमुखी दिया सरसो तेल का जलाकर ,भैरवजी का पूजन कर अपनी समस्या उनके सामने कहे।भैरवमंत्र भैरवस्त्रोत,चालीस जिन्हें जो भी अच्छा लगे पाठ करे या 54 बार  "ॐ भ भैरवाय नमः " का पाठ करें। फिर दही या जलेबी का भोग लगाकर कपूर आरती करें । पुनः भैरव जी से अपनी समस्या कहे । यह कोई साधना नही अपितु दैनिक साधरण पूजा ही है ।यह आप हर अमावश व पूर्णिमा को भी कर सकते है । भैरवनाथ सबकी सुने

शादी के उपाय

कल पूर्णिमा पर करें यह उपाय तो जल्दी होगी शादी कुछ लोग ऐसे होते हैं जिनकी शादी में काफी मुश्किलें आती हैं। कई बार तो यह लोग काफी निराश हो जाते हैं। लेकिन उन्हें निराश होने की कोई जरुरत नहीं है, पूर्णिमा  के अवसर पर यदि वे नीचे लिखे उपाय विधि-विधान से करेंगे तो न सिर्फ उनका विवाह जल्दी होगा बल्कि उन्हें मनचाहा जीवन साथी भी मिलेगा। उपाय • गरीबों को अपने सामथ्र्य के अनुसार पीले फल जैसे, आम, केला आदि का दान करें। • इस दिन नया पीला रुमाल अपने साथ में रखें। • भगवान विष्णु के मंदिर में जाकर बेसन के लड्डू चढ़ाएं। लड्डू के साथ सेहरे की कलगी भी चढ़ाएं। यह शीघ्र विवाह का अचूक उपाय है। • केल (केले के पेड़) की पूजा करें। • इस दिन भोजन में केसर का उपयोग करें व केसर का तिलक लगाएं। • जरुरतमंदों को पीले वस्त्रों का दान करें। • गुरु बृहस्पति के मंदिर में जाएं। उन्हें पीली मिठाई, फल, फूल व वस्त्र अर्पण करें। • एक किलो चने की दाल के साथ सोने का कोई आभूषण दान करें। यदि लड़के की शादी नहीं हो रही है तो ब्राह्मण को दान करें और यदि लड़की की शादी नहीं हो रही है तो किसी कन्या को दान करें।

लौंग से वशीकरण टोना टोटका

लौंग से वशीकरण टोना टोटका शुक्ल पक्ष के रविवार के दिन 4 लौंग ले और अपने शरीर के उस स्थान से स्पर्श कराएं जहाँ पर पसीना आता है। अब इसके बाद इन लौंग को पीस कर चूर्ण बना ले और जिसको आपको वश में करना है तो उस चूर्ण चाय में या फिर दूध में मिलाकर पिला देने से उस पर आपका असर हो जायेगा और आप जैसा चाहते है वैसा करने में सफलता हासिल कर लेंगे। इसमे पती  पत्नी प्रेमिका प्रेमी  कोई भी कार्य कर सकता है  बस मन में भावना गलत ना हो    लड़की की शादी के लिए परेशान हैं तो ये टोटका करें कन्या का विवाह यदि सही समय पर न हो तो माता-पिता का चिंतित होना जरुरी है। वर्तमान समय में यह एक आम समस्या हो गई है। अगर आप चाहते हैं कि आपकी लड़की की शादी जल्दी किसी अच्छे घर में हो जाएं तो नीचे लिखा टोटका करने से आपकी यह समस्या दूर हो जाएगी। • टोटका शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार को सात केले, सात गौ ग्राम गुड़ और एक नारियल लेकर किसी नदी या सरोवर पर जाएं। अब कन्या को वस्त्र सहित नदी के जल में स्नान कराकर उसके ऊपर से जटा वाला नारियल ऊसारकर नदी में प्रवाहित कर दें। इसके बाद थोड़ा गुड़ व एक केला चंद्रदेव के नाम पर व इतनी ही सामग्री

शयन विधान*

Image
💐 *शयन विधान*💐 *सूर्यास्त के एक प्रहर (लगभग 3 घंटे) के बाद ही शयन करना।* *🌻सोने की मुद्राऐं:*              *उल्टा सोये भोगी,*             *सीधा सोये योगी,*            *दांऐं सोये रोगी,*            *बाऐं सोये निरोगी।* *🌻शास्त्रीय विधान भी है।*  *आयुर्वेद में ‘वामकुक्षि’ की बात आती हैं,*    *बायीं करवट सोना स्वास्थ्य के लिये हितकर हैं।* *शरीर विज्ञान के अनुसार चित सोने से रीढ़ की हड्डी को नुकसान और औधा या ऊल्टा सोने से आँखे बिगडती है।* *सोते समय कितने गायत्री मंन्त्र /नवकार मंन्त्र गिने जाए :-* *"सूतां सात, उठता आठ”सोते वक्त सात भय को दूर करने के लिए सात मंन्त्र गिनें और उठते वक्त आठ कर्मो को दूर करने के लिए आठ मंन्त्र गिनें।* *"सात भय:-"*  *इहलोक,परलोक,आदान,* *अकस्मात ,वेदना,मरण ,* *अश्लोक (भय)* *🌻दिशा घ्यान:-*  *दक्षिणदिशा (South) में पाँव रखकर कभी सोना नहीं चाहिए । यम और दुष्टदेवों का निवास है ।कान में हवा भरती है । मस्तिष्क  में रक्त का संचार कम को जाता है स्मृति- भ्रंश,व असंख्य बीमारियाँ होती है।* *✌यह बात वैज्ञानिकों ने एवं वास्तुविदों ने भी जाहिर की

हनुमान चालीसा में छिपे सूत्र

Image
📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖📖 🎯🎯हनुमान चालीसा में छिपे सूत्र...🎯🎯 ➡️✍️✍️कई लोगों की दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है...पर क्या आप जानते हैं ???कि श्री #हनुमान_चालीसा में 40 चौपाइयाँ हैं, ये उस क्रम में लिखी गई हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है। माना जाता है #तुलसीदास ने चालीसा की रचना मानस से पूर्व किया था। हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की। अगर आप सिर्फ हनुमान चालीसा पढ़ रहे हैं तो यह आपको भीतरी शक्ति तो दे रही है लेकिन अगर आप इसके अर्थ में छिपे जिंदगी के सूत्र समझ लें तो आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता दिला सकते हैं। ➡️हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाऐं इसके बाद ही लिखी गई। ✅✅✅हनुमान चालीसा की शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से आप अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं…. 🌹*शुरुआत गुरु से…*🌹 ✍️📚हनुमान चालीसा की शुरुआत *गुरु* से हुई है… ➡️श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि। ✅*अर्थ* - अपने #गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता ह

वैवाहिक समरसता के लिए कुछ विपरीत योग-

Image
वैवाहिक समरसता के लिए कुछ विपरीत योग- वैवाहिक समरसता के लिए कुछ विपरीत योग- * *1-यदि पुरुष की कुंडली में सप्तमेश अपनी नीचराशि या नीच नवांश पर हो, साथ ही* *( क )- किसी अशुभभाव में हो, या* *( ख )-अपने नैसर्गिक शत्रुग्रह की दृष्टि में हो, या* *( ग )-अपने नैसर्गिक शत्रुग्रह से किसी योग ( चतुर्विधि) में हो,तो या तो ऐसे जातक का विवाह ही नही होता या विवाह होकर भी वह एकाकी जीवन जीता है।* *2-यदि पुरुष की कुंडली में शुक्र अपनी नीचराशि या नीच नवांश पर हो और वह शुक्र कुंडली के सप्तमेश ( जैसे कि सूर्य, मंगल,बृहस्पति या चन्द्र ) का नैसर्गिक शत्रुग्रह हो तो यह स्थिति उसके वैवाहिक जीवन में समरसता के लिए अनुकूल नही।* *3-इसी क्रम में यदि किसी स्त्री की कुंडली का बृहस्पति अपनी नीचराशि या नीच नवांश पर हो और वह बृहस्पति जातिका के सप्तमेष का नैसर्गिक शत्रुग्रह हो (जैसे कि शुक्र, बुध या शनि ) तो यह योग भी वैवाहिक समरसता के लिए अनुकूल नही होगा।* *4-यदि किसी जातक का सप्तमेश अपने ही लग्नेश ग्रह से असाधारण रूप से बलवान है तो वह जातक अपने जीवनसाथी के पूर्ण प्रभाव में रहेगा। या कहे भयभीत रहेगा।* *5-यदि

शनि ग्रह पीड़ा निवारण 🍁

Image
🍁 शनि ग्रह पीड़ा निवारण 🍁 शनि 👇 🌟शनिवार के दिन पीपल वृक्ष की जड़ पर तिल्ली के तेल का दीपक जलाना चाहिऐ । 🌟शनिवार के दिन लोहे, चमड़े, लकड़ी की वस्तुएँ एवं किसी भी प्रकार का तेल नहीं खरीदना चाहिए। 🌟शनिवार के दिन बाल एवं दाढ़ी-मूँछ नही कटवाने चाहिए। 🌟 कड़वे / सरसौ के तेल का दान करना चाहिए। 🌟भिखारी को उड़द की दाल की कचोरी खिलानी चाहिए। 🌟किसी दुःखी व्यक्ति के आँसू अपने हाथों से पोंछने चाहिए , खुश करना चाहिऐ । 🌟घर में काला पत्थर लगवाना चाहिए।  🌟शनि के दुष्प्रभाव निवारण के लिए किए जा रहे टोटकों हेतु शनिवार का दिन, शनि के नक्षत्र (पुष्य, अनुराधा, उत्तरा-भाद्रपद) तथा शनि की होरा में अधिक शुभ होते हैं। धन्यवाद असफलता जीवन का एक हिस्सा है और निरंतर प्रयास करने से ही सफलता मिलती है। यदि आप भी ऐसे किसी बंधन में बंधे हैं जो आपको अपने सपने सच करने से रोक रहा है तो उसे तोड़ डालिए और सफलता पाने की और अग्रसर हो जाएं। सफलता उनको ही मिलती है जो कुछ करते हैं। कुछ पाने के लिए कुछ खोना नहीं बल्कि कुछ करना पड़ता है जैसे सुबह उठते ही सबसे पहले अपनी दोनों हथेलियों को जोड़कर उनका दर्शन करें

श्री तुलसी अष्टोत्तर शतनामावली ||*

*🎄🌱श्री तुलसी अष्टोत्तर शतनामावली ||* 🍃🌿 *1.ॐ श्री तुलस्यै नमः।* 2.ॐ नन्दिन्यै नमः। 3.ॐ देव्यै नमः। 4.ॐ शिखिन्यै नमः। 5.ॐ धारिण्यै नमः। 6.ॐ धात्र्यै नमः। 7.ॐ सावित्र्यै नमः। 8.ॐ सत्यसन्धायै नमः। 9.ॐ कालहारिण्यै नमः। 10ॐ गौर्यै नमः। *11.ॐ देवगीतायै नमः।* 12.ॐ द्रवीयस्यै नमः। 13.ॐ पद्मिन्यै नमः। 14.ॐ सीतायै नमः। 15.ॐ रुक्मिण्यै नमः। 16.ॐ प्रियभूषणायै नमः। 17.ॐ श्रेयस्यै नमः। 18.ॐ श्रीमत्यै नमः। 19.ॐ मान्यायै नमः। 20.ॐ गौर्यै नमः। *21.ॐ गौतमार्चितायै नमः।* 22.ॐ त्रेतायै नमः। 23.ॐ त्रिपथगायै नमः। 24.ॐ त्रिपादायै नमः। 25.ॐ त्रैमूर्त्यै नमः। 26.ॐ जगत्रयायै नमः। 27.ॐ त्रासिन्यै नमः। 28.ॐ गात्रायै नमः। 29.ॐ गात्रियायै नमः। 30.ॐ गर्भवारिण्यै नमः। *31.ॐ शोभनायै नमः।* 32.ॐ समायै नमः। 33.ॐ द्विरदायै नमः। 34.ॐ आराद्यै नमः। 35.ॐ यज्ञविद्यायै नमः। 36.ॐ महाविद्यायै नमः। 37.ॐ गुह्यविद्यायै नमः। 38.ॐ कामाक्ष्यै नमः। 39.ॐ कुलायै नमः। 40.ॐ श्रीयै नमः। *41.ॐ भूम्यै नमः।* 42.ॐ भवित्र्यै नमः। 43.ॐ सावित्र्यै नमः। 44.ॐ सरवेदविदाम्वरायै नमः। 45.ॐ शंखिन्यै नमः। 46.ॐ चक्रिण्यै नमः। 47.ॐ चारिण्यै नमः। 48.ॐ चप

त्रिदेवियों"' का रहस्य

"त्रिदेवियों"' का  रहस्य  सरस्वती, लक्ष्मी और पार्वती ये त्रिदेव की पत्नियां हैं। इनकी कथा के बारे में लोगों में बहुत भ्रम है। पुराणों में इनके बारे में भिन्न भिन्न जानकारियां मिलती है।   माता अम्बिका : - ब्रह्मा, विष्‍णु और महेश को ही सर्वोत्तम और स्वयंभू मान जाता है। क्या ब्रह्मा, विष्णु और महेश का कोई पिता नहीं है? वेदों में लिखा है कि जो जन्मा या प्रकट है वह ईश्‍वर नहीं हो सकता। ईश्‍वर अजन्मा, अप्रकट और निराकार है। शिवपुराण के अनुसार उस अविनाशी परब्रह्म (काल) ने कुछ काल के बाद द्वितीय की इच्छा प्रकट की। उसके भीतर एक से अनेक होने का संकल्प उदित हुआ। तब उस निराकार परमात्मा ने अपनी लीला शक्ति से आकार की कल्पना की, जो मूर्तिरहित परम ब्रह्म है।  परम ब्रह्म अर्थात एकाक्षर ब्रह्म। परम अक्षर ब्रह्म। वह परम ब्रह्म भगवान सदाशिव है। एकांकी रहकर स्वेच्छा से सभी ओर विहार करने वाले उस सदाशिव ने अपने विग्रह (शरीर) से शक्ति की सृष्टि की, जो उनके अपने श्रीअंग से कभी अलग होने वाली नहीं थी। सदाशिव की उस पराशक्ति को प्रधान प्रकृति, गुणवती माया, बुद्धि तत्व की जननी तथा विकाररहित बताया गया