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Showing posts from July, 2023

गुरु

देव गुरु बृहस्पति देवपूज्य बृहस्पति या गुरु दार्शनिक, आध्यात्मिक ज्ञान को निर्देशित करने वाला उत्तम ग्रह माना गया है। जिन्हें प्रसन्ना करने से जिदगी में धन अभाव नहीं रहता है। हिंदू धर्म में बृहस्पति देवताओं के गुरु माने गए हैं। वे धन समृद्धि, पुत्र प्राप्ति और शिक्षा के दाता हैं। उन्हें पीली वस्तुएं बेहद प्रिय है। देवगुरु शील और धर्म के अवतार हैं।  गुरुवार के दिन बृहस्पति देव का पूजन किया जाता है। सूर्य के बाद सबसे विशाल ग्रह बृहस्पति ही है।  देवपूज्य बृहस्पति या गुरु दार्शनिक, आध्यात्मिक ज्ञान को निर्देशित करने वाला उत्तम ग्रह माना गया है। जिन्हें प्रसन्नि करने से जिदगी में धन अभाव नहीं रहता है।  सूर्य उदय होने से पहले शुद्ध होकर केसर या हल्दी का तिलक मस्तक पर लगाएं। भगवान विष्णु के समक्ष गाय के शुद्ध देसी घी का दीपक जलाएं।  इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए संभव हो तो व्रत रखें। गुरुवार को खास कर पीला वस्त्र धारण करें और पीली चीजों का दान करें।पीले रंग का हार भगवान विष्णु को चढ़ाएं। भगवान  विष्णु पर पीले रंग के लड्डू अर्पित करें।  केले के पेड़ का पूजन करें अथवा केले का दान क

शिव

💦♦️🚩⚛️❣️💥🎯🕉️💝🔥🪔 🔥🪔🔯        शरभराज मूलमंत्र     🌹🚩⚛️💥🎯 ⚛️🚩🌹         शिवजी के अनेको दिव्यावतारों में से अत्यन्त उग्र, क्रोधयुक्त तथा विचित्रावतार भगवान् ‘शरभराज' हैं ।            इनकी विचित्र देह में पशु और पक्षि के विराट अंगों का अनूठा मिश्रण है।         अद्भुत एवं विशाल पंखों के कारण इन्हें 'पक्षिराज' भी कहा जाता है।            भगवान् शरभेश्वर समस्त देवताओं और प्राणियों को ऊर्जा प्रदान करने वाले स्रोत हैं।        इनकी उपासना से प्राप्त फल का शब्दों में वर्णन नहीं किया जा सकता है। संक्षेप में कहा जाये तो इनका उपासक प्रत्येक क्षेत्र में असाधारण सफलता प्राप्त कर परम सौभाग्य को अति शीघ्र सिद्ध कर सकता है।         इस महासाधना को सम्पन्न करने के पश्चात् मनुष्य को किसी और विद्या या मंत्र को सिद्ध करने की आवश्यकता नहीं रहती है।        तंत्रक्षेत्र और समाज में उपासक को आश्चर्यजनक लाभ होते हैं।        शैवग्रन्थों में शिवजी की महिमा बताते हुए लिखा है- कि           हिरण्यकशिपु का वध करने के पश्चात् जब भगवान् नृसिंह का क्रोध शान्त न हुआ और वे समस्त सष्टि का संहार करने ह

किसी भी बीमारी को नष्ट करने में असरकारक है यह नाम त्रय अस्त्र मंत्र!

🔥🔥किसी भी बीमारी को नष्ट करने में असरकारक है यह नाम त्रय अस्त्र मंत्र!   विष्णु भगवान के तीन नामों को महारोगनाशक अस्त्र कहा गया है। अर्थात् इस तीन नाम के जप से कैंसर, किडनी, पैरालाइसिस आदि जैसी बड़ी से बड़ी बीमारी का संकट भी टल जाता है।  जो पूरे विष्णु सहस्रनाम को पढ़ने में असमर्थ हैं और किसी भयंकर व्याधि से पीड़ित हैं तो साधना में बैठकर भगवान विष्णु जी के इन तीन नामों का कम से कम 108 बार जाप प्रतिदिन सुबह अथवा शाम में करें।  जप नहीं कर सकते तो कॉपी या डायरी लेकर इस मंत्र को प्रतिदिन 108 बार लिखें। लिखने के बाद कॉपी को इधर-उधर रखने की जगह अपने पूजा कक्ष में रखें। कोई बहुत बीमार है, और वो जाप नहीं कर सकता, लिख नहीं सकता, तो उनके परिवार का कोई सदस्य उनके सिरहाने बैठकर कम से कम 108 बार मंत्र जाप करे ताकि उनके कानों में मंत्र जाए। इस मंत्र के उदय की कथा:-  मां ललिता त्रिपुरा महासुन्दरी और भंडासुर के मध्य जब युद्ध हुआ उस समय व्याधिनाशक इस महाअस्त्र मंत्र का उदय हुआ था।  युद्ध में पराजय जानकर भंडासुर ने महारोगास्त्र का प्रयोग किया, जिसे मां त्रिपुरा सुंदरी ने इस नामत्रय अस्त्र मंत्र का निर

रवि प्रदोष व्रत परिचय एवं प्रदोष व्रत विस्तृत विधि 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️

रवि प्रदोष व्रत परिचय एवं प्रदोष व्रत विस्तृत विधि  〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ प्रत्येक चन्द्र मास की त्रयोदशी तिथि के दिन प्रदोष व्रत रखने का विधान है. यह व्रत कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों को किया जाता है. सूर्यास्त के बाद के 2 घण्टे 24 मिनट का समय प्रदोष काल के नाम से जाना जाता है. प्रदेशों के अनुसार यह बदलता रहता है. सामान्यत: सूर्यास्त से लेकर रात्रि आरम्भ तक के मध्य की अवधि को प्रदोष काल में लिया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि प्रदोष काल में भगवान भोलेनाथ कैलाश पर्वत पर प्रसन्न मुद्रा में नृ्त्य करते है. जिन जनों को भगवान श्री भोलेनाथ पर अटूट श्रद्धा विश्वास हो, उन जनों को त्रयोदशी तिथि में पडने वाले प्रदोष व्रत का नियम पूर्वक पालन कर उपवास करना चाहिए। यह व्रत उपवासक को धर्म, मोक्ष से जोडने वाला और अर्थ, काम के बंधनों से मुक्त करने वाला होता है. इस व्रत में भगवान शिव की पूजन किया जाता है. भगवान शिव कि जो आराधना करने वाले व्यक्तियों की गरीबी, मृ्त्यु, दु:ख और ऋणों से मुक्ति मिलती है। प्रदोष व्रत की महत्ता 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ शास्त्रों के अनुसार प्रदोष व्रत को रखने से दौ गायों को दान

जामुन एक ऐसा वृक्ष जिसके अंग अंग में औषधि है।*

*जामुन एक ऐसा वृक्ष जिसके अंग अंग में औषधि है।*🍇 🍇अगर जामुन की मोटी लकड़ी का टुकडा पानी की टंकी में रख दे तो टंकी में शैवाल, हरी काई नहीं जमेगी और पानी सड़ेगा भी नहीं।  🍇जामुन की इस खुबी के कारण इसका इस्तेमाल नाव बनाने में बड़ा पैमाने पर होता है। 🍇पहले के जमाने में गांवो में जब कुंए की खुदाई होती तो उसके तलहटी में जामून की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है जिसे जमोट कहते है।  🍇दिल्ली की निजामुद्दीन बावड़ी का हाल ही में हुए जीर्णोद्धार से ज्ञात हुआ 700 सालों के बाद भी गाद या अन्य अवरोधों की वजह से यहाँ जल के स्तोत्र बंद नहीं हुए हैं।  🍇भारतीय पुरातत्व विभाग के प्रमुख के.एन. श्रीवास्तव के अनुसार इस बावड़ी की अनोखी बात यह है कि आज भी यहाँ लकड़ी की वो तख्ती साबुत है जिसके ऊपर यह बावड़ी बनी थी। श्रीवास्तव जी के अनुसार उत्तर भारत के अधिकतर कुँओं व बावड़ियों की तली में जामुन की लकड़ी का इस्तेमाल आधार के रूप में किया जाता था। 🍇स्वास्थ्य की दृष्टि से विटामिन सी और आयरन से भरपूर जामुन शरीर में न केवल हीमोग्लोबिन की मात्रा को बढ़ाता। पेट दर्द, डायबिटीज, गठिया, पेचिस, पाचन संबंधी कई अन्य समस्याओ

उपाय

इस लेख को ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचाएं ताकि लोग जागरूक हो और लोगों का जीवन बर्बाद होने से बचे । अब तक कई ऐसे लोग मिले जिनकी कुंडली में राहु केतु से संबंधित बहुत ज्यादा परेशानी थी और उसके बाद भी  धारण कराया गया  था ।  💥राहु , केतु दो ऐसे ग्रह है ये  जिस भी राशि में यह विराजमान रहते हैं वहां से पांचवें , सातवें और नौवें स्थान पर अपनी दृष्टि डालते हैं । इस प्रकार से देखा जाए तो कुंडली के बारह भाव में से 6 भावों पर इनका प्रभाव रहता है ।  👉राहु में शनि के समान गुण विराजमान होते हैं एवं केतु में मंगल के समान गुण विराजमान होते हैं । परंतु यह दोनों ही ग्रह शनि मंगल के साथ विराजमान हो या उस पर दृष्टि डाल रहे हो तो जीवन में बहुत ज्यादा परेशानी के योग बनाते हैं । 👉अब यदि 6 भावों में कहीं भी सूर्य ,  चंद्रमा , मंगल या गुरु पर इनकी दृष्टि पड़ जाए या इनसे युति  बन जाए तो यह ग्रह जिस भाव के स्वामी होते हैं उस भाव से सुख से संबंधित परेशानी होती हैं एवं जिस भाव में युति बनती है उस भाव में भी परेशानी होती हैं । 💥♦️ बुध या शुक्र के घर में राहु विराजमान हो या दृष्टि डालें और किसी ग्रह को वहां पर

व्यपार में असफलता के योग

💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 वैदिक ज्योतिष में व्यापार के असफल होने के कारण और उपाय 🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺🌺 जीवन के प्रमुख एवं मूलभूल उद्देश्‍यों में से एक है पैसा कमाना और अपने परिवार की जरूरतों को पूरा करना। कुछ लोग इस जरूरत को पूरा करने के लिए नौकरी करते हैं तो कुछ अपना व्‍यवसाय करना पसंद करते हैं। हालांकि, हर व्‍यक्‍ति को अपने व्‍यवसाय में लाभ नहीं मिलता है। आप अपने जीवन में किस मार्ग और क्षेत्र में पैसा कमाएंगें ये आपकी जन्‍मकुंडली में स्‍पष्‍ट लिखा होता है। कुंडली से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि आप नौकरी करेंगें या बिजनेस या फिर एक व्‍यापारी के तौर पर आपको कितनी सफलता मिल पाएगी। तो चलिए जानते हैं जन्‍मकुंडली में व्‍यापार में सफलता के योग के बारे में। बुध है व्‍यापार का कारक ज्‍योतिष में बुध को व्‍यापार का प्रतिनिधि ग्रह बताया गया है। इस ग्रह की शुभ एवं अशुभ स्थिति से आपके व्‍यापारिक क्षेत्र का पता लगाया जा सकता है। कुंडली का दसवां भाव कर्म का भाव होता है। इस भाव में जो ग्रह बैठा हो उसके गुण और स्‍वभाव के अनुसार व्‍यक्‍ति के व्‍यापार का पता लगाया जा सकता है। व्‍यापार

सार्वभौम योग ♦️

♦️सार्वभौम योग ♦️  👉 पंचम और नवम भाव के स्वामी एक साथ किसी शुभ भाव में विराजमान हों तथा उनके साथ उनका एक और मित्रग्रह भी हो , तो सार्वभौम योग बनता है ।  सार्वभौम योग रखने वाला व्यक्ति बाल्यावस्था में निर्धन हो , परन्तु जीवन की मध्यावस्था एवं वृद्धावस्था में पूर्ण धनी और सुखी होता है तथा उसकी समस्त इच्छाएं पूर्ण हो जाती हैं ।  👉 इस कुण्डली में पंचमेश गुरु स्वराशि में विराजमान है एवं उसके साथ नवमेश चंद्रमा भी विराजमान है । इनका मित्र सूर्य एवं मंगल भी साथ में विराजमान है । 💥 कई बार कुंडली में अच्छे योग बनते हैं तो उसके साथ कुछ परेशानी के भी योग बन जाते हैं । जैसे कि इस योग में सूर्य एवं चंद्रमा पर शनि की दृष्टि है । दूसरा कि सूर्य चंद्रमा के साथ विराजमान है जो की अमावस्या का जन्म है चंद्रमा पक्ष बल में कमजोर है ।  इस प्रकार हम देख सकते हैं कि अच्छे योग बनने के बाद भी परेशानी के योग के कारण इसका पूर्ण फल प्राप्त नहीं होता है ।  ♦️ इस योग का श्रेष्ठ फल प्राप्त करने के लिए चंद्रमा  , सूर्य का मंत्र जाप करें शनि से संबंधित दान तथा उपाय करें ।  🔹🔹🔹🔹🔹 👉  एक ही ग्रह के फलादेश या एक ही
🌄श्री सनातन हिंदू पंचांग-21.07.2023🌄     🌞दैनिक पंचांग एवं दैनिक राशिफल🌞                                            🕉️शुभ शुक्रवार☀️☀️शुभ प्रभात्🕉️             74-30✴️75.00✴️75-30               (केतकी चित्रापक्षीय गणितानुसारेण निर्मितम्)             🕉️🌄✴️✴️🌞✴️✴️🌄🕉️    __________________________________               🌄✴️✴️☀️✴️✴️🌄 ___________________________________ _____________आज विशेष_____________  सनातन हिंदू धर्म की महत्वपूर्ण जानकारियां जो अधिकांश लोग नहीं जानते-जानना चाहिये  ___________________________________ __________दैनिक पंचांग विवरण_________          ✴️🌄✴️✴️🌞✴️✴️🌄✴️   ____________________________________ आज दिनांक.....................  21.07.2023     कलियुग संवत्.............................. 5125 विक्रम संवत................................ 2080 शक संवत.................................. .1945 संवत्सर.................................. श्री पिंगल अयन................................... दक्षिणायण  गोल............................................ उत्तर  ऋतु........

शिव मंत्र

श्रावण सोमवार पर कैसे करे शिव पूजा  〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸 सामान्य मंत्रो से सम्पूर्ण शिवपूजन प्रकार और पद्धति 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ देवों के देव भगवान भोले नाथ के भक्तों के लिये श्रावण सोमवार के साथ ही सम्पूर्ण श्रावण मास का व्रत विशेष महत्व रखता हैं।  इस दिन का व्रत रखने से भगवान भोले नाथ शीघ्र प्रसन्न होकर, उपवासक की मनोकामना पूरी करते हैं। इस व्रत को सभी स्त्री-पुरुष, बच्चे, युवा, वृद्धों के द्वारा किया जा सकता हैं। आज के दिन विधिपूर्वक व्रत रखने पर तथा शिवपूजन,रुद्राभिषेक, शिवरात्रि कथा, शिव स्तोत्रों का पाठ व "ॐ नम: शिवाय" का पाठ करते हुए रात्रि जागरण करने से अश्वमेघ यज्ञ के समान फल प्राप्त होता हैं। व्रत के दूसरे दिन ब्राह्मण को यथाशक्ति वस्त्र-क्षीर सहित भोजन, दक्षिणादि प्रदान करके संतुष्ट किया जाता हैं। त्रोयदशी और चतुर्दशी में जल चढ़ाने का विशेष विधान 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ श्रावण सोमवार व्रत में उपवास या फलाहार की मान्यता है। ऐसे में साधकों को पूरी तैयारी पहले ही कर लेनी चाहिए। सूर्योदय से पहले उठे। घर आदि साफ कर स्नान करें और साफ वस्त्र पहने। इसके

lपाप और पुण्य"

🥀🌷🪔 हरि ॐ नारायण ❣️ गोविंदा 🚩🪔🌷🥀 .                          "पाप और पुण्य"           एक महात्मा थे। जीवन भर उन्होंने भजन ही किया था। उनकी कुटिया के सामने एक तालाब था। जब उनका शरीर छूटने का समय आया तो देखा कि एक बगुला मछली मार रहा है। उन्होंने बगुले को उड़ा दिया। इधर उनका शरीर छूटा तो नरक गये। उनके चेले को स्वप्न में दिखायी पड़ा; वे कह रहे थे- "बेटा ! हमने जीवन भर कोई पाप नहीं किया, केवल बगुला उड़ा देने मात्र से नरक जाना पड़ा। तुम सावधान रहना।"           जब शिष्य का भी शरीर छूटने का समय आया तो वही दृश्य पुनः आया। बगुला मछली पकड़ रहा था। गुरु का निर्देश मानकर उसने बगुले को नहीं उड़ाया। मरने पर वह भी नरक जाने लगा तो गुरुभाई को आकाशवाणी मिली कि गुरुजी ने बगुला उड़ाया था इसलिए नरक गये। हमने नहीं उड़ाया इसलिए नरक में जा रहे हैं। तुम बचना!           गुरुभाई का शरीर छूटने का समय आया तो संयोग से पुनः बगुला मछली मारता दिखाई पड़ा। गुरुभाई ने भगवान् को प्रणाम कर कहा कि "भगवन् ! आप ही मछली में हो और आप ही बगुले में भी। हमें नहीं मालूम कि क्या झूठ है ? क्या सच है ? कौ

गुरु चंद्रमा का गजकेसरी योग

गुरु चंद्रमा का गजकेसरी योग वैदिक ज्योतिष के अनुसार हमारी कुंडली में या फिर कहें ग्रहों के द्वारा बहुत अच्छे अच्छे लोग भी बनते हैं। जिनके फलस्वरूप व्यक्ति धनवान भी बनता है सम्मान प्राप्त करने वाला भी बनता है समाज में उच्च पदवी भी प्राप्त करता है और लोगों के बीच में आकर्षण का केंद्र भी रहता है।  इसमें कुछ योग इस प्रकार हैं जैसे सूर्य बुध का सूर्य बुध आदि योग, मंगल चंद्रमा का अखंड लक्ष्मी योग, गुरु चंद्रमा का गजकेसरी योग आदि।  आज हम बात करेंगे गजकेसरी योग यानी कि गुरु और चंद्रमा के द्वारा बनाया गया योग। जैसे कि इसमें साफ दिख रहा है कि गुरु और चंद्रमा की युति से यह योग बनता है क्योंकि गुरु धन सम्मान विद्या आदि का कारक है और चंद्रमा मन मस्तिष्क के साथ-साथ माता का भी कारक है। गुरु आपको धन मान-सम्मान आदि दिलाएगा और चंद्रमा आपके मन और मस्तिष्क को स्थिर करके आपको अपने कार्य क्षेत्र में या कहे जिसमें आपकी रुचि हो उसमें आगे बढ़ाएगा और उसी में आगे बढ़ते हुए आप धन संपदा मान सम्मान के मालिक बनेंगे। गज केसरी योग में गज को हाथी से भी जोड़ा गया है जैसे पुराने समय में धनवान व्यक्तियों या फिर राजाओं के

गुरुवार

वैवाहिक जीवन में खुश रहने के लिए भगवान विष्णु की पूजा में इस मंत्र का करें जाप... हिंदू धर्म में गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा के लिए बेहद खास माना जाता है। कहते हैं सच्चे मन से उनकी पूजा करने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं भगवान विष्णु जरूर पूरा करते हैं। हिंदू धर्म शास्त्र के अनुसार गुरुवार को भगवान विष्णु की विधिवत पूजा करने से जीवन के सभी संकटों से छुटकारा मिलता है। भगवान विष्णु जगत के पालनहार कहलाते हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, गुरुवार के दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा करने से जीवन के कष्ट मिटते हैं। गुरुवार का व्रत करने और कथा सुनने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूरी और धन की कमी दूर होती है, बुद्धि और शक्ति बढ़ती है और ग्रह दोष दूर होते हैं। गुरुवार व्रत में भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उन्हें गुड़ और चने का प्रसाद अर्पित किया जाता है। आइए जानते हैं सुखी वैवाहिक जीवन के लिए कैसे करें भगवान विष्णु की पूजा। बृहस्पति देव की पूजा का महत्त्व हिंदू मान्यता के अनुसार बृहस्पति केवल एक ग्रह नहीं, बल्कि जीवन के विभिन्न पहलुओं को प्रभावित करने वाले देवता हैं। पूरे विधि-व

गृह कलह से मुक्ति के उपाय

गृह कलह से मुक्ति के उपाय कहा जाता है कि जिस घर में क्लेश होता है, वहां लक्ष्मी का वास नहीं होता। हर किसी की अपने गृहस्थ जीवन में सुख और शांति की कामना होती है। घर और जीवन की खुशहाली ही व्यक्ति को जीवन में प्रगति के मार्ग पर ले जाती है। परिवार में व्याप्त कलह यानी की क्लेश से व्यक्ति का जीवन कठिनाइयों से भर जाता है। गृह क्लेश से बचने या उसे कम करने के लिए ज्योतिष एवं वास्तु के मिश्रित रुप का आधार लेकर कई प्रकार के उपाय बताए गए हैं। हम आगे आपको ऐसे ही कुछ उपाय बता रहे हैं, जिनके इस्तेमाल से आपका जीवन सुखमय और खुशहाल बनाया जा सकता है। सोने की दिशा 🔸🔸🔸🔸 आप किस दिशा में सिर और पैर करके सोते हैं यह गृह कलह में काफी अहम भूमिका निभाता है। गृह कलह से मुक्ति के लिए रात को सोते समय पूर्व की और सिर रखकर सोए। इससे आपको तनाव से राहत मिलेगी। ऐसा करने से घर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। हनुमान उपासना 🔸🔸🔸🔸🔸 हनुमान जी की नियमित रूप से की गई उपासना आपको सभी प्रकार के संकट और गृह कलह से दूर रखता है। यदि कोई महिला गृह कलह से परेशान हैं तो भोजपत्र पर लाल कलम से पति का नाम लिखकर तथा ‘हं हनु

जेठ दुपहरी की चिलचिलाती धूप मे....

जेठ दुपहरी की चिलचिलाती धूप मे.... मैंने घर आकर जैसे ही फ्रिज खोला, इसमें से उठती भभक ने मेरे दिमाग को भभका दिया.... "इसे भी अभी खराब होना था...मै तिलमिलाया.... पानी की बोतल, जूस पैकेट सब उबल रहे थे.... मेरा गुस्सा सातवे आसमान पर चढ़ गया.... प्यास बुझाने के लिए किचन में से नोरमल पानी का गिलास उठा, होठों से सटाया... "छी..... कोई कैसे पी सकता है ऐसा गर्म पानी...  मुंह में भरा पानी बाहर पलट मैंने, गिलास पानी समेत सिंक में फेंका और दनदनाते हुए मैं लाले की दुकान के लिए निकल पड़ा .... "अंकल.... एक चिल्ड पानी की बोतल और एक चिल्ड कोल्ड्रिंक.. ... मैंने सौ का नोट दुकानदार की ओर बढ़ाया। "ठंडी नहीं है.... दरअसल इस एरिया में कल से बिजली बंद है.. नोरमल चलेगी क्या....  आगबबूला सा मैंने नोट वापस जेब में डाला और आगे बढ़ गया.... पसीने से लथपथ शायद मुझे आज ठंडे तरल पदार्थ की जिद सी मची हुई थी। दूसरे एरिया में जाने के लिए एक खुले मैदान से होकर जाना पड़ता था। चारों ओर से आती गर्म हवाएं मुझे भट्टी में झोंक देने जैसी प्रतीत हो रही थी।  नन्हे-नन्हे हाथों में कई खाली केन उठाए एक मासूम बच्च

श्रावण

सर्वदोष नाश के लिये रुद्राभिषेक विधि 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ रुद्राभिषेक अर्थात रूद्र का अभिषेक करना यानि कि शिवलिंग पर रुद्रमंत्रों के द्वारा अभिषेक करना। जैसा की वेदों में वर्णित है शिव और रुद्र परस्पर एक दूसरे के पर्यायवाची हैं। शिव को ही रुद्र कहा जाता है। क्योंकि- रुतम्-दु:खम्, द्रावयति-नाशयतीतिरुद्र: यानि की भोले सभी दु:खों को नष्ट कर देते हैं। हमारे धर्मग्रंथों के अनुसार हमारे द्वारा किए गए पाप ही हमारे दु:खों के कारण हैं। रुद्राभिषेक करना शिव आराधना का सर्वश्रेष्ठ तरीका माना गया है। रूद्र शिव जी का ही एक स्वरूप हैं। रुद्राभिषेक मंत्रों का वर्णन ऋग्वेद, यजुर्वेद और सामवेद में भी किया गया है। शास्त्र और वेदों में वर्णित हैं की शिव जी का अभिषेक करना परम कल्याणकारी है। रुद्रार्चन और रुद्राभिषेक से हमारे पटक-से पातक कर्म भी जलकर भस्म हो जाते हैं और साधक में शिवत्व का उदय होता है तथा भगवान शिव का शुभाशीर्वाद भक्त को प्राप्त होता है और उनके सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं। ऐसा कहा जाता है कि एकमात्र सदाशिव रुद्र के पूजन से सभी देवताओं की पूजा स्वत: हो जाती है। रूद्रहृदयोपनिषद में शिव के बारे