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Showing posts from October, 2020

शरद पूर्णिमा विशेष

शरद पूर्णिमा विशेष 🌼🌼👇🌼🌼👇🌼🌼 अश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा कहलाती है शरद पूर्णिमा की रात्रि में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से पूर्ण होता है इस बार शरद पूर्णिमा का पर्व 30 अक्टूबर शुक्रवार को मनाया जाएगा इस व्रत में रात्रि के प्रथम प्रहर अथवा सम्पूर्ण निशीथ व्यापनी पूर्णिमा ग्रहण करना चाहिए जो पूर्णिमा रात के समय रहे वहीं ग्रहण करना चाहिए। पूर्णिमा तिथि अक्टूबर 30, 2020 को 05:45 मिनट शाम से आरम्भ होकर अक्टूबर 31, 2020 को रात 08:18 मिनट पर समाप्त होगी। पूर्णिमा की पूजा, व्रत और स्नान शुक्रवार यानी 30 अक्टूबर को ही होगा। चन्द्रोदय 05:34 शाम को  शरद पूर्णिमा के व्रत को कोजागार व्रत भी कहते हैं क्योंकि लक्ष्मी जी को जागृति करने के कारण इस व्रत का नाम कोजागार पड़ा इस दिन लक्ष्मी नारायण महालक्ष्मी एवं तुलसी का पूजन किया जाता है। इस दिन श्री कृष्ण ने गोपियों के साथ महारास रचाया था। साथ ही माना जाता है कि इस दिन मां लक्ष्मी रात के समय भ्रमण में निकलती है यह जानने के लिए कि कौन जाग रहा है और कौन सो रहा है। उसी के अनुसार मां लक्ष्मी उनके घर पर ठहरती है। इसीलिए इस दिन सभी लोग जागत

YOUR PLANETS DECIDES YOUR FOOD HABITS.

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🍬YOUR PLANETS DECIDES YOUR FOOD HABITS. Food and astrology goes hand in hand.. ✨Sun and mars dominated folks will like spicy food ✨Moon dominant one cant drink hot beverages n love colddrinks n icecreams more.I ve seen them they hv even tea n coffee as per room temperature. ✨Mercury dominant one mostly adjust to all type of food. ✨Jupiter folks love sweets n ghee. ✨venus ppl love decoration n emphasise more on colour plus taste of the food plus crockery as well as dining deco. ✨saturn dominant ppl  have peculiar liking plus dont change their good habits easily n love simple traditional food. 🌼This is my just general and practical life observation.can vary individually.1st and 2nd house position decides about our foodpattern.plus desh kaal paristhiti also matters.Here is connection of type of food and planets.following  fwd says it all. 🌼Plus season too is very dominant factor to decide our food..monsoon we like fried n salty...summer is for cooling our body more of fruit

भगवान विष्णु के तीन नाम, करते हैं रोगों का नाश

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🌹🌷🚩ॐ नमो भगवते वासुदेवाय🌹🌷🚩 भगवान विष्णु के तीन नाम, करते हैं रोगों का नाश                  ॐ अच्युताय नम:       ॐ अनन्ताय, नम:                      ॐ गोविन्दाय नम: सभी रसायन हम करी नहीं नाम सम कोय।  रंचक घट मैं संचरै, सब तन कंचन होय।। सारा संसार आधिदैविक, आधिभौतिक और आध्यात्मिक रोगों से ग्रस्त है। कभी-कभी सभी प्रकार की दवाएं कर लेने पर भी रोग मिटता नहीं, डॉक्टर भी रोग को पहचान नहीं पाते हैं। ऐसी स्थिति में भगवान का नाम-जप ही वह रसायन (औषधि) है जो मनुष्य के शारीरिक व मानसिक रोगों का नाश कर काया को कंचन की तरह बना देता है। जैसे भगवान में अनन्त चमत्कार हैं, अनन्त शक्तियां हैं; वैसे ही अनन्त शक्तियों से भरे उनके नाम जादू की पिटारी हैं जो लौकिक रोगों की तो बात ही क्या, भयंकर भवरोग को भी मिटा देते हैं। भगवान धन्वन्तरि और नामत्रय मन्त्र भगवान धन्वन्तरि समुद्र-मंथन से प्रकट हुए। उन्होंने देवताओं व ऋषियों को औषधि, रोग-निदान और उपचार आदि के बारे में बताया। सभी रोगों पर समान और सफल रूप से कार्य करने वाली महौषधि (सबसे बड़ी दवा) के बारे में बताते हुए उन्होंने कहा- अच्युतानन्तगोविन्द नामोच्चा

➡️तांबे की अंगूठी

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➡️आपने अक्सर लोगो को महंगी महंगी अंगूठियां पहने देखा होगा. ▪️दूसरी ओर इनमें कई लोगो ने #तांबे की भी अंगूठी डाल रक्खी होती है ... ▪️अब सोचने वाली बात यह है कि .. 🚩सोना  🚩चांदी 🚩प्लेटिनम 🚩हीरा  🚩राशि रत्न  ▪️यह सब तोहः ठीक है तोहः फिर यह #तांबे_की_मामूली_अंगूठी ..क्यों ?? ▪️तोहः चलिये ..... ▪️करते है इस विषय पर चर्चा... ▪️सुनो ........👍 ➡️नाम तोहः सुना होगा मेरा 🚩 #आचार्य_सुमित_मदन_कुमार ▪️तांबे की अंगूठी और आभूषण पहनना प्राचीन भारत से चला आ रहा सिलसिला है।  ▪️यह सस्ती धातु है पर इसके फायदे बहुमूल्य हैं।  ▪️ज्योतिष में नौ ग्रह बताए गए हैं और सभी ग्रहों की अलग-अलग धातु है।  ▪️ग्रहों का राजा सूर्य है और मंगल को सेनापति माना गया है।  ▪️सूर्य और मंगल की धातु तांबा है।  ▪️हिन्दू धर्म में सोना, चांदी और तांबा, ये तीनों धातुएं पवित्र मानी गई हैं।  ▪️इसीलिए पूजा-पाठ में इन धातुओं का उपयोग सबसे ज्यादा उपयोग होता है।  ▪️इसके अलावा इनकी अंगूठी भी काफी लोग पहनते हैं।  ......... ➡️इससे कम होता है मानसिक तनाव और शांत रहता है मन ▪️आयुर्वेद के अनुसार तांबे के बर्तनों का उपयोग करने से

शनि..........और औषधि इलाज

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शनि..........और औषधि इलाज शनि  हमारे कर्म का कारक होता है। शनि दोष के कारण व्यक्ति का जीवन कष्टमय गुजरता है। शनि खराब हो तो जेब में लिक्विड मनी नही रहती। बस लिक्विड मनी की वजह से वह कई मामलों में जीवन में पीछे रह जाता है। शनि पूर्व जन्म के पापों की सजा तो देता ही है। लेकिन जिसका शनि खराब हो वह इस जन्म में भी हल्का सा वही पाप करेगा तो शनि उसी वक्त सजा देगा। जिसका  शनि खराब है एक तरह से वह पूर्व जन्म का  डिफाल्टर है न्यायधीश की नजर में। उस पर हमेशा नजर रहेगी इस जन्म की गलतियों पर शनि शनि सबसे ज्यादा अटैक करता है। पत्नी के अलावा अन्य स्त्री से संबंध, मास और शराब पर अपनी दशा आते ही शनि छोड़ेगा नहीं। अगर शनि का कमाल देखना है जिसका शनि खराब है वह किसी और की गाड़ी का पेट्रोल निकालकर उसे बिना बताए अपनी गाड़ी में डाल कर देखना तकरीबन 100 गुना ज्यादा गाड़ी पर कैस लग जाएगा। शनि की मार को कम करने का यह बहुत बहुत अच्छा उपाय तुरंत कर लीजिए धतूरे की जड़ का महत्व सामान्य रूप से शनि ग्रह अच्छा नहीं माना जाता है, परंतु यदि जीवन में इसकी कृपा दृष्टि बरसती है तो व्यक्ति के भाग्य खुल जाते हैं। इसलिए इसके बु

राहू_बुध_योग

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🔹#राहू_बुध_योग  नमस्कार मित्रों 🙏 आज हम बात करते हैं बुध राहू ग्रह योग की ✍️ 🔹#राहू एक विदेशी तथा छाया ग्रह है,समाज मे प्रचलित संस्कारो, नियम धर्म आदि से उल्टा आचरण करने वाला ग्रह है।विदेशी लोग,कीटाणु,भूत प्रेत आत्माये,फोटोग्राफी📱,धुंआ,धोखा,भ्रम,दिन के सपने आदि राहू के अंतर्गत आते 🍀 🔹#बुध की बात करें तो यह कोमल स्वभाव का , युवा लोगो का ग्रह है । इसके अंतर्गत बहिन बुआ मौसी मित्र राजकुमार बच्चे आदि आते है  बुध जिस ग्रह के साथ होता है वैसा ही व्यवहार करता है , कम्यूनिकेशन🔊,लिखा पढी,किताबे,मीडिया,बातचीत,संगीत🎹🎼 शिक्षा तर्कशक्ति का कारक है🍀 🔹जब जन्मकुंडली मे राहू की युति बुध ग्रह से बनती है तो ऐसे व्यक्ति को बाहरी चीजो,विदेशी लोगो या उनकी फैशन आदि की कोई ना कोई जानकारी होती है।यह व्यक्ति जुगाड़ का भी इस्तेमाल जानता है। इस ग्रह योग से बहुत तरह का व्यवहार,जानकारियां एक ही मनुष्य को मिल जाती है । ऐसे लोगो के विदेशी या गैर धर्म परम्परा वाले लोग भी मित्र बन जाते हैं  🔹अगर इस चीज का लाभ जातक ले तो उनकी मदद से विदेश भी जा सकता है ✈️  🔹यदि ये योग जातक की कुंडली मे हो तो उन्हे धोखे की भ

बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग

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बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग गूगुल की सुगन्धि देकर जिस घर में बगरंग बाण का नियमित पाठ होता है, वहाँ दुर्भाग्य, दारिद्रय, भूत-प्रेत का प्रकोप और असाध्य शारीरिक कष्ट आ ही नहीं पाते। समयाभाव में जो व्यक्ति नित्य पाठ करने में असमर्थ हो, उन्हें कम से कम प्रत्येक मंगलवार को यह जप अवश्य करना चाहिए। बजरंग बाण भौतिक मनोकामनाओं की पुर्ति के लिये बजरंग बाण का अमोघ विलक्षण प्रयोग , अपने इष्ट कार्य की सिद्धि के लिए मंगल अथवा शनिवार का दिन चुन लें। हनुमानजी का एक चित्र या मूर्ति जप करते समय सामने रख लें। ऊनी अथवा कुशासन बैठने के लिए प्रयोग करें। अनुष्ठान के लिये शुद्ध स्थान तथा शान्त वातावरण आवश्यक है। घर में यदि यह सुलभ न हो तो कहीं एकान्त स्थान अथवा एकान्त में स्थित हनुमानजी के मन्दिर में प्रयोग करें। हनुमान जी के अनुष्ठान मे अथवा पूजा आदि में दीपदान का विशेष महत्त्व होता है। पाँच अनाजों (गेहूँ, चावल, मूँग, उड़द और काले तिल) को अनुष्ठान से पूर्व एक-एक मुट्ठी प्रमाण में लेकर शुद्ध गंगाजल में भिगो दें। अनुष्ठान वाले दिन इन अनाजों को पीसकर उनका दीया बनाएँ। बत्ती के लिए अपनी लम्बाई

भाग्य (luck )को मजबूत करने के निम्न उपाय करने चाहिए।

भाग्य (luck )को मजबूत करने के निम्न उपाय करने चाहिए। बुध भाग्येश के उपाय :  1. तांबे का कड़ा हाथ में पहने ।  2. गणेश जी की आराधना करें।  3. गाय को हरा चारा दीजिये। शुक्र भाग्येश : 1. स्फटिक की माला से शुक्र के मत्र  का जप करें।  2.  चावल का दान करें।  3. लक्ष्मी जी की आराधना करें। चंद्र भाग्येश :  1.चंद्र के मत्र  का जप करें ।  2. चांदी के गिलास में जल पिना चाहिए।  3. शिव जी की आराधना करें। गुरु भाग्येश :   1. विष्णु जी की आराधना करें।  2. गाय को रोटी  खिलाएं। 3.  पीली वस्तुओं का दान  करना चाहिए ।  शनि भाग्येश :  1. काले वस्त्रों ,नीले वस्त्रों को कम  या न पहनें।  2. पीपल के वृक्ष के नीचे दीपक जलाएं।  3. शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए।  मंगल भाग्येश :  1. मजदूरों को मंगलवार को मिठाई खिलाना चाहिए ।  2. लाल मसूर का दान करना चाहिए । 3. मंगलवार को सुंदर कांड का पाठ करना चाहिए ।  सूर्य भाग्येश :  1. गायत्री मंत्र का जप करना चाहिए ।  2. सूर्य को नियमित जल देना चाहिए ।  3. सूर्य मंत्र  का जप करें।  कुंडली के लग्न के अनुसार  भाग्योदय :  कुंडली का प्रथम भाव लग्न होता है।  मेष लग्न : भ

हनुमान जी भगवा ध्वज

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*प्राचीन काल* में *एक मान्यता थी* कि *भगवा ध्वज में हनुमानजी का वास होता है,* अतः *इसको "भवन अथवा वाहन" पर लगाने से समस्त वास्तुदोषो का नाश होता है।* इसी मान्यता के आधार पर *प्राचीन भारतमें हर भवन अथवा वाहन पर भगवा ध्वज लगाया जाता था ।*  *आश्चर्य की बात है* कि *जब तक इस प्रथा का पालन होता रहा भारत विश्वगुरु बना रहा..*     यदि *आपके परिवार में दिन - रात झगड़े हो रहे, बरकत ख़तम हो रही है, तो समझ लीजिये* कि *घर में राहु केतु का प्रवेश हो चुका है।*      ज्योतिष के अनुसार *राहु को रोग, शोक व दोष का कारक माना जाता है।* ऐसी मान्यता है कि *घर के उत्तर पश्चिम* में *ध्वजा 🚩* लगाने से *घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है* और *घर की सुख व समृद्धि बढ़ती है।* *ध्वजा या झंडा* लगाने से *घर में रहने वाले सदस्यों के रोग, शोक व दोष का नाश होता है* और *घर की सुख व समृद्धि बढ़ती है।* - *वास्तु के अनुसार* भी *ध्वजा को शुभता का प्रतीक माना गया है।* माना जाता है कि *घर पर ध्वजा लगाने से नकारात्मक ऊर्जा का नाश तो होता ही है साथ ही घर को बुरी नजर भी नहीं लगती है।* *ध

शरद् पूर्णिमा

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सनातन धर्म में शरद् पूर्णिमा का बहुत महत्व है । अश्विन मास की पूर्णिमा ( सितंबर-अक्तूबर में किसी दिन ) को शरद् पूर्णिमा कहते हैं । शरद पूर्णिमा पर तीन शुभ योगों का निर्माण होता है :-- 1) शरद ऋतु 2) अश्विन नक्षत्र  3) 16 कलाओं से युक्त पूर्ण चन्दमा। यह तीनों ही दिव्य औषधियों को पोषण देने वाले हैं।  🕉केतु अर्थात सभी नक्षत्रों की  ध्वजा का वाहक जो अश्विन नक्षत्र का स्वामी ग्रह भी है उसे इन तीनों औषधीय शक्तियों के मिलन का सौभाग्य मिलता है  🕉पहला 33 कोटि देवताओं में अश्विनी कुमार जो औषधियों के ज्ञानी हैं 🕉 दूसरा 16 कलाओं से युक्त चन्द्रमा जो औषधियों का देवता है।  🕉तीसरा शरद ऋतु जिसमे सभी दिव्य औषधियाँ जैसे ब्राह्मी, आपामार्ग, अपराजिता, कीड़ा घास, संजीवनी आदि औषधीय गुणों को ग्रहण करती हैं। 🕉शरद ऋतु का आरंभकाल जिस काल से औषधियों का विकास तीव्र गति से होता है। ऐसे में पूर्ण चंद्रमा से युक्त आकाश अश्विनी नक्षत्र, शरद ऋतु और चन्द्रमा के शुभ योग के मिलन से अमृत तुल्य किरणों की वर्षा करता है और औषधियों को नवजीवन देता है। अश्विनी नक्षत्र का सीधा संबंध अश्विनी कुमारों से है जो वैद्य हैं और सूर्य

मुकदमें में विजय के कुछ खास उपाय

........    मुकदमें में विजय के कुछ खास उपाय  ..........    उपाय 1 यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट/कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा !  उपाय 2 पांच गोमती चक्र जेब में रखकर कोर्ट में जाया करें, मुकदमे में निर्णय आपके पक्ष में होगा।  उपाय 3 जब भी आप अदालत में जाएँ तो किसी भी हनुमान मंदिर में धूप अगरबत्ती जलाकर, लड्डू या गुड चने का भोग लगाकर एक बार हनुमान चालीसा और बजरंग बान का पाठ करके संकटमोचन बजरंग बलि से अपने मुकदमे में सफलता की प्रार्थना करें .........आपको निसंदेह सफलता प्राप्त होगी । उपाय 4 अपने अधिवक्ता को उसके काम की कोई भी वास्तु जैसे कलम उपहार में अवश्य ही प्रदान करें । उपाय 5 अपने कोर्ट के केस की फाइलें घर में बने मंदिर धार्मिक स्थान में रखकर ईश्वर से अपनी सफलता, अपनी रक्षा के लिए प्र

कुंडली में शुभ तथा अशुभ फल जानने के नियमो

ज्योतिष ग्रंथो मे, कुंडली में शुभ तथा अशुभ फल जानने के बहुत से नियमो का उल्लेख है।आइए जानते हैं कुछ नियमो के बारे म · नियम 1 - जो ग्रह उच्‍च, अपनी या अपने मित्र ग्रह की राशि में हो तो शुभ फल देगा। इसके विपरीत नीच राशि में या अपने शत्रु की राशि में हो तो ग्रह अशुभ फल देगा। · नियम 2 - जो ग्रह अपनी राशि पर दृष्टि डालता है वह देखे जाने वाले भाव के लिए शुभ फल देता है। · नियम 3 - जो ग्रह अपने मित्र ग्रहों और शुभ ग्रहों के साथ या मध्‍य हो वह शुभ फलदायक होता है। मध्‍य का मतलब अगली और पिछली राशि में ग्रह। · नियम 4 - जो ग्रह अपनी नीच राशि से उच्‍च राशि की ओर भ्रमण करे और वक्री न हो। शुभ फल देता है। · नियम 5 - जो ग्रह लग्‍नेश का मित्र हो। शुभ फल देता है। · नियम 6 - त्रिकोण के स्‍वामी (1,5,9) सदा शुभ फल देते हैं। तथा उपाच्य (3,6,11) के स्‍वामी सदा अशुभ फल देते हैं। · नियम 7 - केन्‍द्र का स्‍वामी शुभ ग्रह ( गुरु शुक्र ओर पूर्ण चंद्र) तो शुभ फल नही देते और कमजोर चन्द्र,पापयुत बुध, सूर्य शनि मंगल यदि केन्‍द्र का स्‍वामी हो तो अपने स्वभावानुसार पाप फल नही देते। · नियम 8 - उपाच्‍य भावों ( 3, 6, 11) में

केतू के कुछ सरल लेकिन सटीक उपाय:

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केतू के कुछ सरल लेकिन सटीक उपाय: प्रथम भाव में : प्रतिदिन भगवान गणेश जी के दर्शन एवं गणेश मंत्र का जाप। दूसरे भाव में : तिजोरी में लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति रखे। तीसरे भाव में : ऑफिस में गणेश जी की मूर्ति रखे। चौथे भाव में: घर में या entrance पर गणेश जी की मूर्ति रखें। पांचवे भाव में : Cat Eye  या लहसुनिया को कच्चे दूध में धोकर अपने पास रखें। मंदिर में मंगल या शनि को केले का दान करे। छटे भाव में : काले सफ़ेद कुत्ते की सेवा करे, उसे दूध पिलाये, रोटी खिलाये लेकिन कुत्ता पलना नहीं। सातवे भाव में :काले कुत्ते की सेवा, गणेश जी की पूजा एवं विकलांग को दान। आठवे भाव में : काले सफ़ेद कम्बल का दान, लहसुन प्याज को बहते पानी में बहाये। नौवें भाव में : घर के मंदिर में गणेश जी की मूर्ति अवश्य रखे, गणेश मंत्र का जाप, गणेश जी की दुर्बा चढ़ाये।  मंदिर में केले का दान करे। दसवे भाव में : ऑफिस में गणेश जी की मूर्ति, दीवार पर गणेश जी की फोटो लगा सकते है। ग्यारवे भाव में : गरीबो एवं विकलांगो, कोढ़ियो की सेवा, अपनी कमाई का थोड़ा सा हिस्सा उनकी सेवा एवं भोजन में लगाए, लहसुन प्याज का दान करे। बारवे भाव
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हर हर महादेव                     शनि ग्रह की अनुकूलता जांचने और प्राप्त करने के लिए नीलम का विकल्प - अक्सर कई योग्य ज्योतिषियों द्वारा शनि ग्रह की कृपा प्राप्ति हेतु नीलम रत्न धारण करने की सलाह दी जाती है जिसके माध्यम से शनि ग्रह की ऊर्जा जातक के आभामंडल में स्थापित हो और कुंडली में शनि से संबधित शुभ योग जातक के जीवन में फलित हो, परन्तु एक असली नीलम इतना मंहगा रत्न है कि अधिकतर लोग इसे धारण करने में सक्षम नहीं होते है, और अगर किसी तरह से नीलम पहन लिया और रत्न जातक को सूट नहीं किय़ा तो पैसे को नुक्सान भी झेलना पड़ता है क्योंकि कई बार कुंडली की अच्छे से जांच करने पर भी अगर नीलम पहन लिया जाए तो भी कई जातकों को नीलम सूट नहीं करता है। तो अब क्या?                     मै एक बहुत साधारण सा उपाय या कहिए प्रयोग बता रहा हूं जिसके माध्यम से आप नीलम के समान ही फल प्राप्त कर सकते है और यह भी जान सकते है कि नीलम आपको सूट करेगा या नहीं, और अगर किसी योग्य ज्योतिषि ने आपको नीलम पहनने की सलाह दी है परंतु आप आर्थिक तंगी के कारण नीलम नही पहन पा रहे तो आप यह अवश्य करिए क्योंकि इस प्रयोग से आपको वहीं फल प्राप

राहु: एक परिचय*

*राहु: एक परिचय* 1. राहु एक करामाती ग्रह है। 2. राहू वह धमकी है जिससे आपको डर लगता है | 3. जेल में बंद कैदी भी राहू है | राहू सफाई कर्मचारी है | 4. स्टील के बर्तन राहू के अधिकार में आते हैं। 5. हाथी दान्त की बनी सभी वस्तुए राहू रूप हैं | 6. राहू वह मित्र है *जो पीठ पीछे* आपकी निंदा करता है। 7. धोका भी राहू की देन होता है | 8. नशे की वस्तुएं राहू हैं | 9. दर्द का टीका राहू है | 10. राहू मन का वह क्रोध है जो कई साल के बाद भी शांत नहीं हुआ है, न लिया हुआ बदला भी राहू है | 11. शेयर मार्केट की गिरावट राहू है, उछाल केतु है | 12. बहुत समय से ताला लगा हुआ मकान राहू है | 13. बदनाम वकील भी राहू है | 14. मिलावटी शराब राहू है | 15. राहू वह धन है जिस पर आपका कोई हक़ नहीं है या जिसे अभी तक लौटाया नहीं गया है | ना लौटाया गया उधार भी राहू है। 16. *उधार ली गयी सभी वस्तुएं राहू खराब* करती हैं। 17. यदि आपकी कुंडली में *राहू अच्छा नहीं है तो किसी से कोई चीज़ मुफ्त में न लें क्योंकि हर मुफ्त की चीज़ पर राहू का अधिकार होता है* | 18. राहू ग्रह का कुछ पता नहीं कि कब बदल जाए जैसे कि आप कल कुछ काम करने वाले हैं

सिद्ध कुंजिका स्तोत्र विशेष

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#सिद्ध कुंजिका स्तोत्र विशेष जीवन में सफलता की कुंजी है "सिद्ध कुंजिका"     दुर्गा सप्तशती में वर्णित सिद्ध कुंजिका स्तोत्र एक अत्यंत चमत्कारिक और तीव्र प्रभाव दिखाने वाला स्तोत्र है। जो लोग पूरी दुर्गा सप्तशती का पाठ नहीं कर सकते वे केवल कुंजिका स्तोत्र का पाठ करेंगे तो उससे भी संपूर्ण दुर्गा सप्तशती का फल मिल जाता है। जीवन में किसी भी प्रकार के अभाव, रोग, कष्ट, दुख, दारिद्रय और शत्रुओं का नाश करने वाले सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ नवरात्रि में अवश्य करना चाहिए। लेकिन इस स्तोत्र का पाठ करने में कुछ सावधानियां भी हैं, जिनका ध्यान रखा जाना आवश्यक है। सिद्ध कुंजिका स्तोत्र पाठ की विधि,...🌹🌹 कुंजिका स्तोत्र का पाठ वैसे तो किसी भी माह, दिन में किया जा सकता है, लेकिन नवरात्रि में यह अधिक प्रभावी होता है। कुंजिका स्तोत्र साधना भी होती है, लेकिन यहां हम इसकी सर्वमान्य विधि का वर्णन कर रहे हैं। नवरात्रि के प्रथम दिन से नवमी तक प्रतिदिन इसका पाठ किया जाता है। इसलिए साधक प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नानादि दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपने पूजा स्थान को साफ करके लाल रंग के आसन

पष्टम भाव

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जय श्री बालाजी षष्टम भाव।  यह भाव सबसे ज्यादा रहष्य से भरा ही। त्रिक, तरी shad आयाश, उपचय भाव। क्या नाम दिया जाए इस भाव को। कर्म त्रिकोण में भी आये ये भाव। नवम भाव जो कि उच्च शिक्षया, लंबी यात्रा, पिता, स्वप्न, धर्म, उच्च कोटि की बुद्धि के भाव का दसम भाव भी है। काल पुरुष में बुध यानी कन्या । मंगल और शनि कारक इस भाव के। राहु यहाँ सबसे शुभ फल देता है यहाँ क्योंकि की काल पुरुष में कन्या राशि आती है जो कि राहु का अपना घर है। मतलब राहु महाराज यहाँ सबसे उत्तम फल यहां देते है मतलब कुछ न कुछ बात तो होगी ही इस भाव मे। कॉम्पिटिशन या प्रतियोगिता भी यही से निर्धारित होती है। लग्न का रोग, परिवार की विद्या या वाणी की विद्या या कर्म की विद्या की विद्या, पराक्रम का सुख, सुख का पराक्रम, विद्या का धन, जीवन साथ का नाश, मृत्यु से लाभ, धर्म का कर्म, कर्म का भाग्य, लाभ की मृत्यु, नाश का शत्रु। क्या इन सब के कारन यह भाव उच्च कोटि का है। इतनी सारी विशेषताओ के कारण। मंगल, शनि, राहु तीनो पाप ग्रह यहाँ प्रभाव दिखाते है। षष्टम भाव परिवार की योजनाओं का भाव है। परिवार की बुद्धि का भाव है। परिवार के लोग

ये सूर्य है

जय श्री बालाजी ये सूर्य है ये वही सूर्य है जिसके चारों तरफ ग्रह चक्कर लगाते रहते है। सोर मंडल का आधार है ये। सब ग्रह उपग्रह इसके प्यार में बंधे। सबका केंद्र बिंदु है ये। क्योंकि सूर्य है ये। जीवन डाता है ये क्योंकि सूर्य है ये। सब इसके गुरुत्व आकर्षण में बंधे है। इससे अलग हुए तो फिर व्रह्माण्ड में तैरते रह जाएंगे क्योंकि सूर्य है ये। सबसे शुद्ध है ये क्योंकि सूर्य है ये। ये तेरी आत्मा है क्योंकि सूर्य है ये। तेरे घर का मुखिया सूर्य ही तो है। तेरे गली का मुखिया सूर्य ही तो है। तेरे वार्ड का मुखिया सूर्य ही तो है। तेरे शहर का MLA सूर्य ही तो है। तेरी जिले का MP सूर्य ही तो है। तेरे राज्य का मुख्य मंत्री सूर्य ही तो है। तेरे देश का PM सूर्य ही तो है। तेरे ग्रह का मुखिया सूर्य ही तो है। तेरे ग्रहों का मुखिया वही सूर्य ही तो है। सूर्य तेरी हड्डियां है जिसके इर्द गिर्द सब मांस, नशे नाड़ियां लटकी रहती है। ये वही सूर्य है जोनतुझे जीवन देता है।  ये सूर्य अपने तेज़ से सबको चका चोंध कर देता है। सबको अस्त कर देता है। सिर्फ सूर्य ही सूर्य दिखाई देता है। इसके पास किसी भी ग्रह का कोइ आस्तित्व नही। सब ग

शारदीय नवरात्र में माँ के सिद्ध मंत्र

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🚩🚩 ||🌼श्री हरि:🌼|| || श्रीदुर्गादैव्यै  नमः || || ॐ नमश्चण्डिकाये || देवि प्रपन्नार्तिहरे प्रसीद प्रसीद मातर्जमतोsखिलस्य। प्रसीद विश्वेश्वरि पाहि विश्वं त्मीश्र्वरी देवि चराचरस्य।। 🌹🌼शारदीय नवरात्र में माँ के सिद्ध मंत्र 🌼🌹🙏 °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° माँ दुर्गा के इन मंत्रो का जाप प्रति दिन भी कर सकते हैं।  नवरात्र पर्व में जाप करने से शीघ्र प्रभाव देखा गया हैं। 🌹🌼 महामारी- नाश के लिये 🌼🌹 °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी । दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते।। ⚡ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नामों से जाने वाली देवी को नमस्कार है। 🌹🌼 बाधामुक्त होकर धन्य-पुत्रादि की प्राप्ति के लिये🌼🌹 °°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°°° सर्वाबाधाविनिर्मुक्तो    धनधान्यसुतान्वितः।  मनुष्यो  मत्प्रसादेन  भविष्यति  न  संशयः॥ ⚡मनुष्य मेरे प्रसाद से सब ""बाधाओं से मुक्त"" तथा धन, धान्य एवं पुत्र से सम्पन्न होगा- इसमें जरा भी संदेह न

वृषभ राशी के कारकत्व, गुण, स्वभाव इत्यादि।

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जय श्री बालाजी वृषभ राशी के कारकत्व, गुण, स्वभाव इत्यादि। काल पुरुष के दूसरे भाव को इंगित करती है अतः इसके सारे गुण होंगे जैसे भोजन, धन, वाणी, ज्योतिष, कर्म का ज्ञान, विद्या आदि आदि। लग्न में बैठेगी तो ये सब गुण देगी जातंक में। जिस भाव मे बैठेगी उस भाव मे रस भर देगी। प्रस्ठ उदय राशी है मतलब अंत मे अपना फल डेफि। शुभ नही मानी जायेगी। स्त्री राशी है मतलब सौम्य राशी। शुभ राशी। शालीनता सिखाएगी आपको। स्थिर राशी है। जहाँ बैठेगी उस भाव मे स्थिरता देगी। वैश्य राशी है मतलब पक्की बनिया वाली बूद्धि रहेगी। मूल राशी है मतलब पेड़ पौधे वाले गुण। उनके आगे पीछे घूमते रहोगे। एक बंगला बने न्यारा। हस्व राशी है मतलब छोटी राशी। जिस अंग में बैठेगी उसको छोटा करेगी। रात्रिबली राशी है मतलब रात में बलवान होती है। जातंक रात को बलवान होगा। पृथ्वी तत्व राशी है मतलब जातंक जमीन से जुड़ा रहेगा। अर्ध फलदायी राशी है मतलब जहा बैठेगी उसका आधा फल देगी। दक्षिण दिशा की राशी है मतलब दक्षिण में बलवान होगी। लाभ में बैठी तो दक्षिन दिशा से लाभ। कर्म में बैठी तो दक्षिण की तरफ जाके कर्म करो। चतुष्पाद राशी है दसम को चार चां

શબ્દ સમૂહ માટે એક શબ્દ

સાહિત્ય વિષયક  થોડી જાણકારી મિત્રોને  કયારેક ઉપયોગી થાય એ હેતુથી પ્રસ્તુત. . 👌🏼 *શબ્દ સમૂહ માટે એક શબ્દ*👌🏼 1. અંગૂઠા પાસેની આંગળી - તર્જની 2. ઇન્દ્રનો અમોઘ શસ્ત્ર - વજ્ર 3. કમળની વેલ - મૃણાલિની 4. કરિયાણું વેચનાર વેપારી - મોદી 5. ઘરની બાજુની દિવાલ - કરો 6. ઘરનો સરસામાન - અસબાબ 7. ઘી પીરસવા માટેનું વાસણ - વાઢી 8. ચંદ્ર જેવા મુખવાળી - શશીવદની 9. ચૌડ પાતાળમાંનું પાંચમું પાતાળ - રસાતલ 10. છાપરાનો છેડાવાળો ભાગ - નેવું 11. છોડી દેવા યોગ્ય - ત્યાજ્ય 12. જીત સૂચવનારું ગીત - જયગીત 13. જેનું મૂલ્ય આંકી ન શકાય તેવું - અણમોલ 14. જોઇ ન શકાય તેવું - અદીઠું 15. ઝાડની છાલનું વસ્ત્ર - વલ્કલ 16. દહીં વલોવવાથી નીકળતું સત્વ - ગોરસ 17. દિશા અને કાળનો સમૂહ - દિકકાલ 18. દેવોની નગરી - અમરાપુરી 19. દોઢ માઇલ જેટલું અંતર - કોશ 20. ધનુષ્યની દોરી - પણછ 21. નાશ ન પામે એવું - અવિનાશી 22. નિયમમાં રાખનાર - નિયંતા 23. પાણીનો ધોધ - જલધોધ 24. પ્રવાહની મધ્યધારા - મઝધારા 25. બીજા કશા પર આધાર રાખતું - સાપેક્ષ 26. બેચેની ભરી શાંતિ - સન્નાટો 27. ભંડાર તરીકે વપરાતો ભાગ - ગજાર 28. માથે પહેરવાનું વસ્ત્ર - શિરપાઘ 29. માથે બાં

यह पौधा पेट की लटकती चर्बी

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यह पौधा पेट की लटकती चर्बी, सड़े हुए दाँत, गठिया, आस्थमा, बवासीर, मोटापा, गंजापन, किडनी आदि 20 रोगों के लिए किसी वरदान से कम नही आज हम आपको ऐसे पौधे के बारे में बताएँगे जिसका तना, पत्ती, बीज, फूल, और जड़ पौधे का हर हिस्सा औषधि है, इस पौधे को अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) कहते है। अपामार्ग या चिरचिटा (Chaff Tree) का पौधा भारत के सभी सूखे क्षेत्रों में उत्पन्न होता है यह गांवों में अधिक मिलता है खेतों के आसपास घास के साथ आमतौर पाया जाता है इसे बोलचाल की भाषा में आंधीझाड़ा या चिरचिटा (Chaff Tree) भी कहते हैं-अपामार्ग की ऊंचाई लगभग 60 से 120 सेमी होती है आमतौर पर लाल और सफेद दो प्रकार के अपामार्ग देखने को मिलते हैं-सफेद अपामार्ग के डंठल व पत्ते हरे रंग के, भूरे और सफेद रंग के दाग युक्त होते हैं इसके अलावा फल चपटे होते हैं जबकि लाल अपामार्ग (RedChaff Tree) का डंठल लाल रंग का और पत्तों पर लाल-लाल रंग के दाग होते हैं।   इस पर बीज नुकीले कांटे के समान लगते है इसके फल चपटे और कुछ गोल होते हैं दोनों प्रकार के अपामार्ग के गुणों में समानता होती है फिर भी सफेद अपामार्ग(White chaff tree) श्रेष्ठ