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Showing posts from December, 2021

देवताओं की साधना करना चाहिए-

ज्योतिष अनुसार साधना चयन 🔹🔹🔸🔹🔸🔹🔸🔹🔹 जन्म कुंडली द्वारा लग्न पंचम, नवम स्थान में जिन ग्रहों का प्रभाव हो उन ग्रहों के बल अनुसार साधक को उन देवताओं की साधना करना चाहिए-  1. सूर्य- विष्णु, शिव, दुर्गा, ज्वालादेवी, ज्वालामालिनी, गायत्री, आदित्य, स्वर्णाकर्षण, भैरव की उपासना करें। 2. सूर्य शनि, सूर्य राहु- महाकाली, तारा, शरभराज, नीलकंठ, यम, उग्रभैरव, कालभैरव, श्मशान भैरव की पूजा करें। 3. सूर्य बुध, सूर्य मंगल- गायत्री, सरस्वती, दुर्गा उपासना। 4. सूर्य शुक्र- वासुदेव, मातडंगी, तारा, कुबेर,  भैरवी, श्रीविद्या की उपासना करें।  5. सूर्य केतु- छिन्नमस्ता, आशुतोष शिव, अघोर शिव। 6. सूर्य शनि राहु- पशुपतास्त्र तंत्र, मंत्र मरणादि षट्कर्म से व्यक्ति अधिकतर पीड़ित होगा। रक्षा के लिए काली, तारा, प्रत्यंगिरा, जातवेद दुर्गा की उपासना करें। 7. सूर्य, गुरु, राहु- बगलामुखी, बगलाचामुंडा, उचिष्ट गणपति, वीरभद्र। केवल बगलामुखी उपासना से सिद्धि मिले, परंतु या तो सिद्धि दूसरों के लिए नष्ट होगी या देवी नाराज होकर वापस ले लेंगी। 8. चन्द्रमा- लक्ष्मी, श्रीविद्या षोडशी, यक्षिणी, वशीकरणादि प्रयोग शिव, कामेश्व

ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?

ब्रह्म मुहूर्त में उठने की परंपरा क्यों ?  〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ रात्रि के अंतिम प्रहर को ब्रह्म मुहूर्त कहते हैं। हमारे ऋषि मुनियों ने इस मुहूर्त का विशेष महत्व बताया है। उनके अनुसार यह समय   निद्रा त्याग के लिए सर्वोत्तम है। ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या, बुद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। सूर्योदय से चार घड़ी (लगभग डेढ़ घण्टे) पूर्व ब्रह्म मुहूर्त में ही जग जाना चाहिये। इस समय सोना शास्त्र निषिद्ध है। ब्रह्म का मतलब परम तत्व या परमात्मा। मुहूर्त यानी अनुकूल समय। रात्रि का अंतिम प्रहर अर्थात प्रात: 4 से 5.30 बजे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहा गया है। *“ब्रह्ममुहूर्ते या निद्रा सा पुण्यक्षयकारिणी”।* (ब्रह्ममुहूर्त की निद्रा पुण्य का नाश करने वाली होती है।) सिख धर्म में इस समय के लिए बेहद सुन्दर नाम है--*"अमृत वेला"*, जिसके द्वारा इस समय का महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईश्वर भक्ति के लिए यह महत्व स्वयं ही साबित हो जाता है। ईवर भक्ति के लिए यह सर्वश्रेष्ठ समय है। इस समय उठने से मनुष्य को सौंदर्य, लक्ष्मी, बुद्धि, स्वास्थ्य आदि की प्राप्ति होती है। उसका म

आपकी हथेली में मच्छली का चिन्ह है तो आप बहुत भग्यवान है जाने अपने हस्तरेखा से ..

आपकी हथेली में मच्छली का चिन्ह है तो आप बहुत भग्यवान है जाने अपने हस्तरेखा से .. जिनके हाथ में भाग्य रेखा और शुक्र पर्वत के पास मच्छली का चिन्ह बने, वो लोग अपने जीवन का शुरू का आधा भाग भले ही सँघर्ष में निकाल लेते हैं, लेकिन आधी आयु के बाद उनके जीवन में सुख समृद्धि बढ़ती है। ऐसे लोग दूसरों पर डिपैण्ड नहीं रहते। भले ही चपरासी का काम कर लेंगे लेकिन इज्जत से रहेंगे। और काम इतना अच्छा करेंगे कि चपरासियों में भी लीडर बनेंगे। बात है गुण की। अगर ऐसा व्यक्ति डॉक्टर होगा तो डॉक्टर्स का भी लीडर बन जायेगा। मच्छली का सबसे बड़ा गुण है आपकी सम्मान देना और इज्जत से जीने के लायक बनाना।

विभिन्न कर्मानुसार मुद्रा ज्ञान और उपयोग (पुनः प्रेषित)〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️

विभिन्न कर्मानुसार मुद्रा ज्ञान और उपयोग (पुनः प्रेषित) 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ "मुद्रा प्रदर्शन से देवता (अणुजीवत्) प्रसन्न होते हैं और मुद्रा दिखाने वाले भक्त (साधक) पर मित्रवत् अणुजीवत् प्रसन्न होकर कृपा करते हैं। मुद्रा के प्रभाव से शत्रुवत् अणुजीवत् ( देवता) अनुकूल होकर दया करते हैं । मुद्रा दिखाकर भक्त अणुजीवत् (माइक्रोबाइटा) के समीप पहुंच जाता है। उसे देखकर वे पूर्ण प्रसन्न हो जाते हैं और पूजा मुद्रा प्रदर्शन से 'महापूजा' का रूप ले लेती है। मुद्राओं के बिना आसन, प्राणायाम, धारणा, ध्यान आदि रोगोपचार में या तो अनुकूल फलदायक नहीं होते या निष्फल हो जाते हैं। हमारी पांचों अंगुलियां क्रमशः आकाश (अंगुष्ठा), वायु (तर्जनी), अग्नि (मध्यमा), जल ( अनामिका) और भू (कनिष्टा) तत्त्व का प्रतिनिधित्व करती हैं। उनके सहयोग से बनी विभन्न मुद्राएं, उन तत्त्वों के मिश्रित प्रभाव शरीर और मन पर डालती हैं और मित्रवत् अणुजीवत् (देवता) को आकर्षित कर तथा शत्रुवत् अणुजीवत को अपने अनुकूल बना कर रोगों से छुटकारा दिला देती हैं। शास्त्रों ने तो मुद्रा प्रदर्शन से मृत्यु पर भी विजय प्राप्त करने

पितृदोष

ज्योतिष ज्ञान 📚📖📚📖 पितृ दोष है या नहीं स्वयं जानें 🔸🔸🔹🔸🔸🔸🔹🔸🔸 हिन्दू धर्म में ज्योतिष को वेदों का छठा अंग माना गया है और किसी व्यक्ति की जन्म-कुण्डली देखकर आसानी से इस बात का पता लगाया जा सकता है कि वह व्याक्ति पितृ दोष से पीडित है या नहीं क्यों कि यदि व्यक्ति के पितृ असंतुष्ट होते हैं,  वे अपने वंशजों की जन्म -कुण्डंली में पितृ दोष से सम्बंधित ग्रह-स्थितियों का सृजन करते हैं। भारतीय ज्योतिष-शास्त्रं के अनुसार जन्म-पत्री में यदि सूर्य-केतु या सूर्य-राहु का दृष्टि या युति सम्बंध हो, जन्म-कुंडली के प्रथम, द्वितीय, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम व दशम भावों में से हो, तो इस प्रकार की जन्म-कुण्डली वाले जातक को पितृ दोष होता है। कुंडली के जिस भाव में ये योग होता है, उससे सम्बंधित अशुभ फल ही प्राथमिकता के साथ घटित होते हैं।  उदारहण के लिए यदि सूर्य-राहु अथवा सूर्य-केतु का अशुभ योग- प्रथम भाव में हो, तो वह व्यक्ति अशांत, गुप्त चिंता, दाम्पत्य एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ होती हैं क्योंकि प्रथम भाव को ज्योतिष में लग्न कहते है और यह शरीर का प्रतिनिधित्व करता है। दूसरे भाव में हो, तो धन

शनिवार को ये उपहार ना दें🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸

शनिवार को ये उपहार ना दें 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 सनातन धर्म मे शनिदेव को न्यायधीश कहते है, अर्थात मनुष्य के अच्छे बुरे कर्मो का फल देना शनिदेव का काम है ! जिसकी कुण्डली मे शनिदेव प्रतिकुल संथान पर हो उसे जीवन मे परेशानीयों का सामना करना पडता है ! ज्योतिष मे शनिदेव को कर्म फल का प्रदाता कहते है ! शनि ही व्यक्ति को अच्छे बुरे कर्मो का फल प्रदान कर व्यक्ति के जीवन को सफल या दुश्वर बनाते है ! भारतीय ज्योतिष मे संसार कि हर वस्तु को उसके गुण धर्म के आधार पर नवग्रहो के अनुरुप के वर्गीकृत किया गया है ! गिफ्ट व्यक्ति के सामाजिक जीवन को समृद्ध बनाते है ! वैसे तो किसी भी वस्तु को खरीदकर उसे भेंट करने का समय उसकी जरुरत पर निर्भर करता है, परन्तु ज्योतिष शास्त्र मे भी इसके कुछ नियम बताए गए है ! ऐसा माना गया है की शनिवार को कुछ चीजे भेंट करने अथवा किसी को गिफ्ट करने से कुण्डली मे शनि का बल कमजोर पड जाता है, या कुण्डली मे शनि की अशुभता बढती है ! इस लेख मे हम आपको बताने जा रहे है की शनिवार को क्या गिफ्ट करने पर शनिदेव हो जाते है नाराज ?? १👉 चॉकलेट - शनिवार को चॉकलेट गिफ्ट करने पर व्यक्ति की मानसिक क्षमता मे

Magha nakshatra

Magha nakshatra important observations and most effective remedy.. If you have major planets (Sun.Moon, Ascendant, Ascendant Lord,Atmakaraka in Magha) 1-Interest to know their lineage, family heritage, ancestors. 2-Power hungry, tendency to think themselves as King/egoistic. 3-Play games where they get some special powers. 4-Connection with UK,Saudi Arabia, Belgium, Monaco or Burma,(Might visit or have some articles/watch from these countries. 5-Prominent results at age of 18(5th and 7th house also gets activated), 21st year 31st year (10th house also gets activated) 46/49/51/52/60 6-Love sitting on royal chair. 7-Some national level event will influence them. 8-Some story attached to their birth. 9-Near death experience/out of body experience is common to them. 10-Some issues with ancestral home/property. 11-Attention seekers if 4th lord in Magha their House/car catches attention. 12-If afflicted or connection with 6/8th house some genetic disorders is possible. 13-After age of 36 the

the moon

The Moon indicates qualities as faith, love, openness, humility and the ability to feel happiness. Through the Moon a person is granted with the benevolence of the female Divine aspect. When its position in an individual’s chart is strong and favorable, it awakens him to act for the good of other people and to obey the Divine laws. People susceptible to the spiritual influence of the Moon are benevolent, humane and are indeed as patient as angels. They are easygoing; they never criticize anyone and tend to see the good side of everything. The Moon in Goodness provides a calm mind and a sense of inner content. On the outside such a person can lead a very active  life but still be content with it, no external circumstances will upset his mental equilibrium; his attitude to hardships is “If something happens, that is the way it should be”. And nevertheless on an external level he will do his best to avoid negative events and their consequences.  Consumption of alcohol (including beer) and

Poornima - Purn (complete) + Arunima (light of Sun)

Poornima - Purn (complete) + Arunima (light of Sun) We take 7th house as the house of desire. Speaking of Moon, whatever is there in the opposite house i.e. 7th house, that becomes the objective of our mind, our biggest longing and desire  in life. Sun, the planet stands for our atma, dharma and righteousness in our karma. How we mature spiritually will be defined by the dignity of Sun in our horoscopes.  Today, on Poornima, the full moon night, Sun will be sitting opposition to Moon. This opposition principle makes the moon obsessed with desire for dharma and spirituality. Blessed are the souls born on a full moon, Poornima as it endows them with highest of the wealth, spiritual richness. Considering Sun as Shiva (5th house) and Moon as Gauri (4th house), there is no better teacher than Shiva and there is no better student than Devi Gauri. 5th house being 2nd from 4th, Sun becomes the resource of Moon and gives moon the knowledge which is represented by the gyan-ganga flowing from HIS

बुध

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बुध  बुध तो बड़ा मजेदार ग्रह है। जिसके साथ बैठ जाये वैसा बन जाये। वो गीता में भगवान बोलते है न कि तुम मुझे जिस रूप में ध्यावोगे उसी रूप में दर्शन दूंगा। बुद्ध प्रभावी व्यक्ति केबसाथ आप जैसा व्यवहार करोगे वो भी आपके साथ वैसा ही करेगा क्योंकि वो तो आपके रंग में रंग जाएगा। लेकिन अंदर से जातक अपने गुणों को बनाये रखेगा। बुद्ध ग्रहण करने की क्षमता है अतः विद्यार्थियों के लिए बुध या पंचम भाव बलि होना जरूरी। इसी लिए सभी शास्त्रो में पंचम में शुभ का बैठा बुद्ध बहुत जबरदस्त बुद्धि शाली ओर शुभ का बताया गया है। वृषभ ओर कुम्भ लग्न में तो ये राजयोग बताना है। ऐसा जातक अपनी बुद्धि के बल पे कुल का नाम रोशन करता है। पंचम का शुभ का बुध हो तो जातक बिना गुरु के ही अपने आप को विकसित कर लेता है। क्योंकि जातक के बुद्धि , ग्रहण करने की क्षमता जबर दस्त होती है। यही बुध कालपुरुष में 3 ओर 6 भाव का भी मालिक। मतलब बुध भी कम नही है। बुध की दोनों रशिया भी द्विस्वभाव। त्रिक, trishadaayash, उपचय में आये। बुध तांत्रिक तंत्र भी तो है। दिमाग को चार्ज रखता है हमेशा। ओर सबसे बड़ी बात बुद्ध आदमी को adjustable बनाये

किरायेदार से सम्पत्ति मुक्त करवाने के उपाय

किरायेदार से सम्पत्ति मुक्त करवाने के उपाय 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ आजकल के समाज में यह बहुत बड़ी समस्या बन गई है कि कोई व्यक्ति आवश्यकता होने पर किराये के लिये आपका मकान अथवा दुकान किराये से लेने के लिये जब आपके सामने आता है तो वह आपसे ऐसा व्यवहार करता है जिससे आपको ऐसा अनुभव होता है कि वह व्यक्ति बहुत ही सीधा, सरल और सज्जन है। आप उसके व्यवहार से प्रभावित होकर मकान अथवा दुकान उसे किराये से दे देते हैं। इसके बाद वह समय निकलने के बाद अथवा आपके कहने पर भी मकान अथवा दुकान खाली नहीं करता है। तब उसका असली चेहरा सामने आता है। उससे मकान अथवा दुकान खाली करवाना समस्या बन जाता है। यहां पर मैं आपको कुछ ऐसे सरल उपाय बता रहा हूं जिनके करने से आप अपनी समस्या से मुक्ति पा सकते हैं। उपाय 1 〰️〰️〰️ प्रथम शनिवार को आप कर्पूर को जला कर काजल बनायें और सरसों का तेल मिला कर काजल की स्याही जैसा बना लें। इस स्याही से केले के हरे पत्ते पर अपनी तर्जनी अंगुली से किरायेदार का नाम लिखें । अब किसी निर्जन स्थान पर आकर अपने दायें पैर से उस पत्ते को रगड़ते हुये किरायेदार का नाम लेकर अपशब्द कह कर मकान खाली करने का आ

किरायेदार से सम्पत्ति मुक्त करवाने के उपाय

किरायेदार से सम्पत्ति मुक्त करवाने के उपाय 〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️🌸〰️〰️ आजकल के समाज में यह बहुत बड़ी समस्या बन गई है कि कोई व्यक्ति आवश्यकता होने पर किराये के लिये आपका मकान अथवा दुकान किराये से लेने के लिये जब आपके सामने आता है तो वह आपसे ऐसा व्यवहार करता है जिससे आपको ऐसा अनुभव होता है कि वह व्यक्ति बहुत ही सीधा, सरल और सज्जन है। आप उसके व्यवहार से प्रभावित होकर मकान अथवा दुकान उसे किराये से दे देते हैं। इसके बाद वह समय निकलने के बाद अथवा आपके कहने पर भी मकान अथवा दुकान खाली नहीं करता है। तब उसका असली चेहरा सामने आता है। उससे मकान अथवा दुकान खाली करवाना समस्या बन जाता है। यहां पर मैं आपको कुछ ऐसे सरल उपाय बता रहा हूं जिनके करने से आप अपनी समस्या से मुक्ति पा सकते हैं। उपाय 1 〰️〰️〰️ प्रथम शनिवार को आप कर्पूर को जला कर काजल बनायें और सरसों का तेल मिला कर काजल की स्याही जैसा बना लें। इस स्याही से केले के हरे पत्ते पर अपनी तर्जनी अंगुली से किरायेदार का नाम लिखें । अब किसी निर्जन स्थान पर आकर अपने दायें पैर से उस पत्ते को रगड़ते हुये किरायेदार का नाम लेकर अपशब्द कह कर मकान खाली करने का आ

पूजा से सम्बंधित तीस आवश्यक नियम अवश्य पढ़ें और अनुसरण करें।

पूजा से सम्बंधित तीस आवश्यक नियम अवश्य पढ़ें और अनुसरण करें। 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️🌼  सुखी और समृद्धिशाली जीवन के लिए देवी-देवताओं के पूजन की परंपरा काफी पुराने समय से चली आ रही है। आज भी बड़ी संख्या में लोग इस परंपरा को निभाते हैं। पूजन से हमारी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, लेकिन पूजा करते समय कुछ खास नियमों का पालन भी किया जाना चाहिए।  अन्यथा पूजन का शुभ फल पूर्ण रूप से प्राप्त नहीं हो पाता है। यहां 30  ऐसे नियम बताए जा रहे हैं जो सामान्य पूजन में भी ध्यान रखना चाहिए। इन बातों का ध्यान रखने पर बहुत ही जल्द शुभ फल प्राप्त हो सकते हैं। ये नियम इस प्रकार हैं… 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 1👉 सूर्य, गणेश, दुर्गा, शिव और विष्णु, ये पंचदेव कहलाते हैं, इनकी पूजा सभी कार्यों में अनिवार्य रूप से की जानी चाहिए। प्रतिदिन पूजन करते समय इन पंचदेव का ध्यान करना चाहिए। इससे लक्ष्मी कृपा और समृद्धि प्राप्त होती है।                                                                                                                                                                                                 

स्त्रियां क्यों नहीं कर सकती साष्टांग प्रणाम*

*स्त्रियां क्यों नहीं कर सकती साष्टांग प्रणाम* वैसे आजकल पैरों को हल्का सा स्पर्श कर लोग चरण स्पर्श की औपचारिकता पूरी कर लेते हैं। कभी-कभी पैरों को स्पर्श किए बिना ही चरण स्पर्श पूरा कर लिया जाता है। मंदिर में जाकर भगवान की मूर्ति के सामने माथा टेकने में भी आजकल लोग कोताही बरतते हैं। खैर ये तो सब मॉडर्न तकनीक हैं, लेकिन कभी आपने उन लोगों को देखा है जो जमीन पर पूरा लेटकर माथा टेकते हैं, इसे साष्टांग दंडवत प्रणाम कहा जाता है। यह एक आसन है जिसमें शरीर का हर भाग जमीन के साथ स्पर्श करता है, बहुत से लोगों को यह आसन आउटडेटेड लग सकता है लेकिन यह आसन इस बात का प्रतीक है व्यक्ति अपना अहंकार छोड़ चुका है। इस आसन के जरिए आप ईश्वर को यह बताते हैं कि आप उसे मदद के लिए पुकार रहे हैं। यह आसन आपको ईश्वर की शरण में ले जाता है। इस तरह का आसन सामान्य तौर पर पुरुषों द्वारा ही किया जाता है। क्या आप जानते हैं शास्त्रों के अनुसार स्त्रियों को यह आसन करने की मनाही है, जानना चाहते हैं क्यों? हिन्दू शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक

વાર્તા

એક પ્રેમી કપલની વાત છે.  બંને દરિયા કિનારે ફરવા ગયાં હતાં. નાળિયેરીની નીચે બાંકડા પર બેઠાં હતાં ત્યારે તેણે નદીની રેત પર ધબકતું એક દૃશ્ય જોયું.  એક વૃદ્ધ કપલ એકબીજાનોહાથ પકડી ચાલતાં હતાં. બંનેના પગ ખુલ્લા હતા. ભીની રેતીનો અહેસાસ બંને માણતાં હતાં.  જોકે નક્કી કરી શકાય એવું ન હતું કે બંનેના ચહેરા પર જે કુમાશ હતી અને દિલમાં જે ટાઢક હતી એ ભીની રેતી પર પડતાં ખુલ્લા પગથી હતી કે પછી એકબીજાના પકડાયેલા હાથની ઉષ્માથી. પ્રેમિકા ઊભી થઇ અને એ એજેડ કપલ પાસે ગઇ. પ્રેમી પણ તેની પાછળ ગયો.  પ્રેમિકાએ એ બંનેને પૂછ્યું, અંકલ, પ્રેમ એટલે શું?  અંકલે કહ્યું, પ્રેમ એટલે સાથે બુઢ્ઢા થવાની મજા.  પત્નીનો હાથ ઊંચો કરીને કહ્યું કે  આ કરચલીવાળો હાથ છે એની દરેક સળ મેં જીવી છે.  અમારી ઊંડી ઊતરી ગયેલી આંખોમાં અમે એકબીજાને સંઘરી અને સાચવી રાખ્યાં છે.  અરે મેં તો એને પ્રપોઝ જ એવી રીતે કર્યું હતું કે, મારે તારી સાથે બુઢ્ઢા થવું છે. તને મારી સાથે ઘરડું થવું ગમશે? એણે હા પાડી અને જિંદગીની સુંદર સફર શરૂ થઇ.  હા, એ સમયે શરીરની ચામડી તંગ હતી. ચહેરા પર કુમાશ હતી.  આ દરિયાની રેતી પર અમે દોડતાં હતાં. સ્વિમિંગ કરતાં હતાં.  ધીમે

વાર્તા

એક ત્રીસ વરસનો દીકરો મારી પાસે આવ્યો અને મને કહેવા લાગ્યો મહેંદ્રભાઈ મારી પત્ની અને મારી મ્મમી  વચ્ચે રોજ કકળાટ  થાય છે.હું કંટાળી ગયો છું . ઓફિસે થી સાંજે ઘરે આવવાનું મન થતું નથી. હું શું કરુ એવું કોઈ યંત્ર આપો જે લગાવવા થી મારા ઘરમાં શાંતી રહે મારી મ્મમી અને મારી પત્ની પ્રેમ થી રહે.            દીકરાની વાત સાંભળીને  મેં દીકરા ને પુછયુ બેટા તું તારી પત્ની ને પ્રેમ કરે છે ?       મારી વાત સાંભળીને દીકરાએ મને કહ્યું  મહેંદ્રભાઈ હું મારી પત્ની ને બહુજ પ્રેમ કરુ છું.     મેં દીકરાને પુછયુ તું તારી મ્મમીને પ્રેમ કરે છે ?    મારી વાત સાંભળીને  દીકરાએ મને કહ્યું  મહેંદ્રભાઈ હું મારી મ્મમી ને ભગવાન માનું છું હું મારી મ્મમીને બહુજ પ્રેમ કરુ છું.     તારી મ્મમી ને તારી પત્ની પ્રેમ કરશે. તેમની સાથે સારું વર્તન કરશે પરંતુ તે માટે હું તને કહુ તેમ કરીશ .     મારી વાત સાંભળીને દીકરો મને કહેવા લાગ્યો  મહેંદ્રભાઈ  મારી મ્મમી માટે તમે કહેશો તેમ કરીશ.   દીકરાનો ઉત્સાહ દેખીને મેં દીકરાને કહ્યું બેટા તારી મ્મમી કરતા તારી પત્ની ને પહેલા સાચવજે . બેટા ઘરમાં શાંતિ જોઈતી હોય તો માતા- પિતા કરતા પહેલા પત્ની ને સ

ગુજરાતી સાહિત્યના અદભુત શેર*

*ગુજરાતી સાહિત્યના અદભુત શેર* મારી હસ્તી મારી પાછળ એ રીતે વિસરાઈ ગઈ, આંગળી જળમાંથી નીકળી ને જગા પૂરાઈ ગઈ. *- ઓજસ પાલનપુરી* અધીરો છે તને ઈશ્વર બધુંયે આપવા માટે, તું ચમચી લઈને ઊભો છે દરિયો માગવા માટે? *- અનિલ ચાવડા* દુનિયામાં મને મોકલી પસ્તાયો હતો તું, મૃત્યુનું બહાનું કરી આ પાછો ફર્યો લે. *– મરીઝ* જીવ હજી તો જભ્ભામાં છે, ફાટી ગઈ છે જાત કબીરા. *- ચંદ્રેશ મકવાણા* તારું કશું ન હોય તો છોડીને આવ તું, તારું જ બધું હોય તો છોડી બતાવ તું. *- રાજેશ વ્યાસ 'મિસ્કીન'* આભમાં કે દરિયામાં તો એક પણ કેડી નથી, અર્થ એનો એ નથી કે કોઈએ સફર ખેડી નથી. *- રાજેશ વ્યાસ 'મિસ્કીન'* આ અહીં પ્હોંચ્યા પછીથી એટલું સમજાય છે, કોઈ કંઈ કરતું નથી બસ આ બધું તો થાય છે. *- રાજેન્દ્ર શુક્લ* હું ક્ષણોના મ્હેલમાં જાઉં અને, કોક દરવાજો કરી દે બંધ તો! *- ચિનુ મોદી* જીવી શકું હું કઈ રીતે તમને સ્મર્યા વગર, પાંપણ કદીયે રહી શકે મટકું ભર્યા વગર? *- મનહર મોદી* પાનખર વીતી છતાં ખરતાં રહે છે પાંદડાને લાગી આવ્યું પાંદડાનું.  *- ઉદયન ઠક્કર* શ્વાસને ઈસ્ત્રી કરી મેં સાચવી રાખ્યા હતા, ક્યાંક અણધાર્યા પ્રસંગે જો જવાનું થાય તો! *- અ

પુરૂષોનું પિયર ક્યાં?

પુરૂષોનું પિયર ક્યાં? પિયરે ફરીને આવતી દરેક સ્ત્રીના ચહેરા પર એક અનેરી ચમક છવાઈ જતી હોય છે. બાળકોને સાથે લઈને કે તેમને લીધા વગર પિયર રહીને આવેલી સ્ત્રી આવનારા પાંચ-છ કે વધુ મહિનાઓ માટે રી-ચાર્જ થઇ જતી હોય છે. પિયરમાં તેની ખુબ સરભરા થાય છે. તેના બાળકોની જવાબદારી પિયરિયાં ઉપાડી લે છે અને સ્ત્રીને પુરેપુરો આરામ આપવાની કોશિશ કરે છે. તેનો સાસરિયાનો શારીરિક તેમ જ માનસિક થાક ઉતરી જાય તેની પૂરેપૂરી કાળજી પિયરમાં લેવાય છે. પરંતુ પુરૂષોનું શું? સાંસારિક જવાબદારીઓ વહન કરવાનો થાક પુરુષોનેય લાગતો હોય છે. પુરુષોનેય એમ થતું હોય છે કે કશેક જઈને રિલેક્સ થવું જોઈએ. પણ જાયેં તો જાયેં કહાં? પરણેલા પુરુષને તો તેના માતા-પિતા, પત્ની, સંતાનો વગેરે પરિવારજનોની ઝંઝાળ કાયમી વળગેલી હોય છે. કામ સિવાય બહારગામ જાય તોય પત્ની તો જોડે ને જોડે જ હોય. તો કરવાનું શું?  કદાચ એટલા માટે જ આજકાલ બોય્ઝ નાઈટ આઉટ અને બોય્ઝ વેકેશન આઉટની નવી પ્રથા શરુ થઇ છે. ક્યારેક ડિનર અને ડ્રિંક્સ માટે ફક્ત પુરુષો (પત્ની વગર) જ ભેગાં મળતાં હોય છે અને ખુલ્લા દિલથી હસી-મજાક કરી લેતાં હોય છે. વરસે એકાદવાર આવું મેન્સ ઓન્લી વેકેશન લેવાનો ટ્રેન્ડ પણ

ब्राह्मण_कौन_है?

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#ब्राह्मण_कौन_है?   ब्राह्मण वह है जो वशिष्ठ के रूप में केवल अपना एक दंड जमीन में गाड़ देता है, जिससे विश्वामित्र के समस्त अस्त्र शस्त्र चूर चूर हो जाते हैं और विश्वामित्र लज्जित होकर कह पड़ते हैं- धिग् बलं क्षत्रिय बलं, ब्रह्म तेजो बलं बलम्। एकेन ब्रह्म दण्डेन, सर्वास्त्राणि हतानि मे।। (क्षत्रिय के बल को धिक्कार है। ब्राह्मण का तेज ही असली बल है। ब्राह्मण वशिष्ठ के एक ब्रह्म दंड ने मेरे समस्त अस्त्र शस्त्र को निर्वीर्य कर दिया) ब्राह्मण वह है जो परशुराम के रूप में एक बार नहीं, 21 बार आततायी राजाओं का संहार करता है। जिसके लिए भगवान राम भी कहते हैं- विप्र वंश करि यह प्रभुताई। अभय होहुँ जो तुम्हहिं डेराई। ब्राह्मण वह है, जो दधीचि के रूप में अपनी हड्डियों से बज्र बनवाकर, वृत्तासुर का अंत कराता है। ब्राह्मण वह है, जो चाणक्य के रूप में, अपना अपमान होने पर धनानन्द को चुनौती देकर कहता है कि अब यह शिखा तभी बँधेगी जब तुम्हारा नाश कर दूंगा... और ऐसा करके ही शिखा बाँधता है। ब्राह्मण वह है जो अर्थ-शास्त्र की ऐसी पुस्तक देता है, जो आज तक अद्वितीय है। ब्राह्मण वह है जो पुष्य-मित्र-शुंग के

काल सर्प योग

💐काल सर्प योग 💐 के विषय पर ! 💐💐  काल सर्प दोष  प्रमाणिक है या काल्पनिक है  ज्योतिष में इस विषय पर ज्योतिषचार्य के विभिन्न मत है  💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 💐💐कालसर्प' दोष भी 'कर्तरी' दोष के समान ही है। वराहमिहिर ने अपनी संहिता 'जानक नभ संयोग' में इसका 'सर्पयोग' के नाम से उल्लेख किया है, 💐काल सर्पदोष नहीं। 💐वहीं, 'सारावली' म💐ें भी 'सर्पयोग' का ही वर्णन मिलता है। यहां भी काल और दोष शब्द नहीं मिलता। पुराने मूल या वैदिक ज्योतिष शास्त्रों में कालसर्प दोष का कोई स्पष्ट उल्लेख नहीं मिलता है।💐💐 💐हालांकि आधुनिक ज्योतिष में काल सर्प दोष को पर्याप्त स्थान मिला हुआ है। फिर भी विद्वानों की राय इस बारे में एक जैसी नहीं है। आधुनिक ज्योतिष मानता है कि मूलत: सूर्य, चंद्र और गुरु के साथ राहू के होने को कालसर्प दोष बनता है। 💐 💐राहू का अधिदेवता 'काल' है तथा केतु का अधिदेवता 'सर्प' है। इन दोनों ग्रहों के बीच कुंडली में एक तरफ सभी ग्रह हों तो 'कालसर्प' दोष कहते हैं। राहू-केतु हमेशा वक्री चलते हैं तथा सूर्य चंद्रमार्गी। 💐मानसागरी

मंगल शुक्र युति

ज्योतिष अनुसार कैसा रहेगा वैवाहिक जीवन 🌼🌼〰🌼🌼〰🌼🌼〰🌼🌼〰🌼🌼 जब एक स्त्री और पुरूष वैवाहिक जीवन में प्रवेश करते हें तब उनके कुछ सपने और ख्वाब होते हैं. कुण्डली में मौजूद ग्रह स्थिति कभी कभी ऐसी चाल चल जाते हैं कि पारिवारिक जीवन की सुख शांति खो जाती है. पति पत्नी समझ भी नही पाते हैं कि उनके बीच कलह का कारण क्या है और ख्वाब टूट कर बिखरने लगते हैं. वैवाहिक जीवन में मिलने वाले सुख पर गहों का काफी प्रभाव होता है.ज्योतिषशास्त्र के अनुसार सप्तम यानी केन्द्र स्थान विवाह और जीवनसाथी का घर होता है. इस घर पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर या तो विवाह विलम्ब से होता है या फिर विवाह के पश्चात वैवाहिक जीवन में प्रेम और सामंजस्य की कमी रहती है. इसके अलावे भी ग्रहों के कुछ ऐसे योग हैं जो गृहस्थ जीवन में बाधा डालते हैं। ज्योतिषशास्त्र कहता है जिस स्त्री या पुरूष की कुण्डली में सप्तम भाव का स्वामी पांचवें में अथवा नवम भाव में होता है उनका वैवाहिक जीवन सुखद नहीं रहता है. इस तरह की स्थिति जिनकी कुण्डली में होती है उनमें आपस में मतभेद बना रहता है जिससे वे एक दूसरे से दूर जा सकते हैं. जीवनसाथी को वियोग सह

शुक्र मणि लॉकेट की चमत्कारी शक्तियां ?

शुक्र मणि लॉकेट की चमत्कारी शक्तियां ? ज्‍योतिष के अनुसार मनुष्‍य के जीवन में शुक्र ग्रह बहुत ही महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। लक्ष्मी जी, माँ काली और गुरु शुक्राचार्य जी को शुक्र ग्रह से सम्बंधित माना गया है | अगर शुक्र ग्रह मज़बूत है तो वह व्‍यक्‍ति को सभी प्रकार के भौतिक सुख प्रदान करता है और सुख-सुविधाएं देता है। परन्तु अगर शुक्र कमज़ोर है तो इंसान रोग, शोक, पीड़ा से पीड़ित हो सकता है | शुक्र ग्रह की पीड़ा से बचने के लिए शुक्र मणि स्टोन (Shukra Mani Stone locket ) बहुत ही लाभदायक सिद्ध हो सकता है। शुक्र ग्रह का भाग्‍य रत्‍न डायमंड होता है जो कि बहुत महंगा आता है। इस वजह से हर कोई डायमंड नहीं पहन पाता है और शुक्र देव की कृपा से वंचित रह गया है वो व्यक्ति ऐसे में शुक्र मणि धारण कर सकता हैं। जिन लोगों का जन्‍म अप्रैल के महीने में हुआ है, वो व्यक्ति शुक्र मणि लॉकेट धारण कर सकता हैं। शुक्र मणि स्‍टोन हर तरह की बीमारियों एवं विकारों के इलाज में मदद करता है। मानसिक और शारीरिक व्‍याधियों से शुक्र मणि स्‍टोन आपको रक्षा प्रदान कर सकता है। चमत्‍कारिक शुक्र मणि सभी तरह की बुरी शक्‍तियों और ऊजाओं को

नारियल

नारियल का पौराणिक महत्व पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान विष्णु पृथ्वी पर अवतरित होते समय मां लक्ष्मी, नारियल का वृक्ष और कामधेनु को अपने साथ लाएं थे. नारियल के पेड़ को कल्पवृक्ष भी कहा जाता है. इस वृक्ष में ब्रह्मा, विष्णु और महेश का वास होता है. इसलिए पूजा- पाठ में नारियल का इस्तेमाल करना शुभ माना जाता है. वास्तु दोष को दूर करता है नारियल -  वास्तुशास्त्र के अनुसार घर में किसी जलीय जीव या जल युक्त वस्तु को रखने से वास्तु दोष दूर होते हैं. नारियल के शिखा में सकारात्मक ऊर्जा का भंडार होता है. इस कारण किसी भी शुभ कार्य मेंं कलश के ऊपर नारियल रखना आवश्यक माना गया है. नारियल के ऊपर चन्दन, केशर, रोली को मिलाकर तिलक लगाने से मन शांत रहता है और सभी कार्य सफल होते हैं. नारियल का औषधीय महत्व-  नारियल को श्रीफल भी कहा जाता है। यह कई तरह के औषधीय गुणों से भरपूर हैं। इसमें पोटैशियम, फाइबर, कैल्शियम व मैग्नीशियम भरपूर मात्रा में पाया जाता है। ये कई बीमारियों के इलाज में भी काम आता है। नारियल में वसा और कॉलेस्ट्रॉल नहीं होता है, इसलिए यह मोटापे से भी निजात दिलाने में मदद करता है। नारियल में कार्बोहाइड्

जन्म का पाया

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जन्म का पाया जन्म समय के अनुसार नक्षत्र और राशि के पाये को देखा जाता है नक्षत्र पाया शरीर और परिवार से जोडा जाता है राशि का पाया दिमागी सोच सांसारिक स्थान और कार्य विवाह आदि के लिये माना जाता है। पाये चार प्रकार के होते है - स्वर्ण पाया रजत पाया ताम्र पाया लौह पाया नक्षत्र का स्वर्ण पाया👉  सही माना जाता है लेकिन राशि का स्वर्ण पाया सही नही माना जाता है जो पाया स्त्री के लिये सुखकारी होता है वही पाया पुरुष के लिये हानिकारक माना जाता है। अगर राशि का पाया स्त्री का स्वर्ण है तो वह उत्तम माना जाता है और पुरुष केलिये स्वर्ण पाया राशि से खराब माना जाता है। पुरुष के स्वर्ण पाये मे जन्म लेने से या तो उसके जीवन में अल्प आयु का योग होता है या वह आजीवन अपने अहम और बुद्धिमान समझने के कारण आगे नही बढ पाता है इस कारण मे एक बात और भी देखी जाती है कि जातक को वास्तविक जीवन मे जाने के लिये माता पिता रोकते रहते है उसे गमले का पौधा समझकर पाला जाता है जातक का स्थानन्तरण होता रहता है इस प्रकार से व्यक्ति अपने सामाजिक पारिवारिक और व्यवहारिक जीवन को समझ नही पाता है फ़लस्वरूप वह एकान्त मे रहने वाला