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Showing posts from October, 2023

मंगल

वैदिक ज्योतिष : कुंडली के 12 भावों में मंगल का प्रभाव और आप पर असर मंगल को देवताओं का सेनापति माना जाता है। इसके कारक देव श्रीराम भक्त हनुमान माने गए हैं, वहीं सप्ताह में इसका दिन मंगलवार है। इस दिन श्री हनुमान के अलावा मां भगवती की पूजा का भी विधान है। वैदिक ज्योतिष में मंगल एक क्रूर ग्रह है। मनुष्य जीवन के लिए यह बड़ा प्रभावकारी ग्रह है। मंगल दोष के कारण लोगों के विवाह में कठिनाई आती है। इसके हमारी जन्म कुंडली में स्थित सभी 12 भावों में इसका प्रभाव भिन्न होता है। वहीं मंगल का रत्न मूंगा जबकि रंग लाल माना जाता है। मंगल के प्रमुख मंत्र... मंगल का वैदिक मंत्र : ॐ अग्निमूर्धा दिव: ककुत्पति: पृथिव्या अयम्। अपां रेतां सि जिन्वति।। मंगल का तांत्रिक मंत्र : ॐ अं अंङ्गारकाय नम:।। मंगल का बीज मंत्र : ॐ क्रां क्रीं क्रौं सः भौमाय नमः।। स्वभाव: राशियों से संबंध वैदिक ज्योतिष में मंगल ग्रह ऊर्जा, भाई, भूमि, शक्ति, साहस, पराक्रम, शौर्य का कारक होता है। मंगल ग्रह को मेष और वृश्चिक राशि का स्वामित्व प्राप्त है। यह मकर राशि में उच्च होता है, जबकि कर्क इसकी नीच राशि है। वहीं नक्षत्रों में यह मृगशिरा,

आप ने अलमारी को घर के किस कोने में रखा हैं,

आप ने अलमारी को घर के किस कोने में रखा हैं, अलमारी के अन्दर कौन कौन सा सामान हैं, अलमारी का रंग कौन सा हैं 1. घर की अलमारी के दरवाजे कभी भी दक्षिण दिशा में नहीं खुलने चाहिए. जिन अलमारियों के दरवाजे दक्षिण दिशा की ओर खुलते हैं वो पैसो के मामले में हमेशा खाली ही रहती हैं. 2. अलमारी को कभी भी डायरेक्ट जमीन पर नहीं रखना चाहिए. उसके नीचे लकड़ी के पटिए का टेका या स्टैंड लगा देना चाहिए. आप चाहे तो अलमारी के नीचे पेपर, पन्नी या कपड़ा भी बिछा सकते हैं. 3. घर के उत्तर – पूर्वी कोने में भूलकर भी अलमारी ना रखे. इस कोने में अलमारी रखना अशुभ माना जाता हैं. 4. घर के दक्षिण पश्चिम कौने या सिर्फ पश्चिम दिशा में अलमारी को रखना शुभ होता हैं. इस जगह रखी गई अलमारी में कभी भी धन की कमी नहीं होती हैं. 5. अलमारी के अन्दर बनी तिजोरी को कभी खाली ना रखे. इसके अन्दर कुछ ना कुछ पैसे और गहने अवश्य रखे. इस तरह घर में बरकत बनी रहती हैं. 6. अलमारी के अन्दर गणेश जी और लक्ष्मी जी की तस्वीर जरूर रखे. इसे आप अलमारी के अंदरूनी या बाहरी हिस्से में चिपका सकते हैं. ऐसा करने से अलमारी के अन्दर धन की वृद्धि होती हैं. 7. अलमारी के

BUTTER COOKIES

BUTTER COOKIES Ingredients: 200 grams pomade butter (blend at room temperature) 120 grams of sugar 280 grams of wheat flour 1 teaspoon vanilla essence Preparation: 1. In a bowl start by mixing the butter with the sugar. Remember that butter must be at room temperature in order to work well with it. We blend in pretty well. 2. Once mixed, add in the teaspoon of vanilla essence. 3. We continue with the sifted flour. We run the flour through a sinker before putting it into the bowl. We blend in pretty well. 4. Now it's time to shape them up. The easiest thing is to make a roll as you see below with the help of paper film and put it in the fridge for 1 hour or so. From there on, we'll be "cutting slices" of more or less 1 cm and baking them. 5. Put them in a cut oven tray and bake them at 180° for about 11-12 minutes. The moment we see the edges starting to gold we take them out. If you see that they are soft don't leave them anymore because I once made that mistake,

राहू केतु राशि परिवर्तन सिंह और कन्या राशिफल

राहू केतु राशि परिवर्तन सिंह और कन्या राशिफल राहू केतु का राशि परिवर्तन 30 अक्तूबर को होगा | राहू का गोचर मीन राशि और केतु का गोचर कन्या राशि में अगले 18 महीनो तक रहेगा | ज्योतिष में राहू को अचानक सफलता और यश का कारक बताया गया है और केतु मोक्ष और अध्यात्म का कारक ग्रह है | राहू का गोचर जिस भाव में होता है उस भाव के कार्यो को करने से जातक को अचानक यश और सफलता मिलते हैं , जबकि केतु का गोचर जिस भाव में हो उस भाव के कार्यो को करने से वैराग्य, अध्यात्म और मोक्ष की प्राप्ति होती है | राहू केतु राशि परिवर्तन सिंह राशिफल  राहू गोचर 8 भाव में  ज्योतिष में राहू को attachment of karma का कारक बताया गया है | यानि जिस भाव में राहू का गोचर होता है जातक उस भाव और भाव से जुड़े ग्रहों के कारक तत्वों की तरफ आकर्षित होता है, उन्ही कार्यो को करने के प्रयास करता है | उन कार्यो में सफलता मिलेगी या नहीं यह तो राहू नहीं बताता क्युकि कार्यो में सफलता का कारक ग्रह गुरु होता है | राहू के इस गोचर प्रभाव से सिंह राशि के जातक 8वे भाव से जुड़े कार्यो को करने के प्रयास करेगे जैसे कि अष्टम भाव जीवन में अचानक होने वाली घ

विवाह बाधा

राम राम, विवाह में बाधा पहुंचाने वाले कुछ योग:- * शनि सप्तम भाव में स्वगृही हो एवं सूर्य से सप्तमस्थ होने पर विवाह में बाधा अवश्य आएगी। * सूर्य एवं शनि की युति लग्न में हो तो विवाह विलंब से होगा।  * चंद्रमा सप्तम भाव में एवं शनि लग्न में हो या शनि एवं चन्द्रमा की युति सप्तम भाव में हो तो विवाह में विलंब अवश्य होगा। * छठे भाव में शनि हो, अष्टम् भाव में सूर्य हो एवं अष्टमेश निर्बल (पापक्रांत) हो तो विवाह नहीं होता या पर्याप्त विलंब संभव है। * यदि सूर्य सप्तम भाव में हो, शनि की उस पर दृष्टि हो अर्थात् शनि लग्न में, पंचम भाव में या दशमभाव में हो तो भी विवाह में विलंब सभव है। * यदि सूर्य, शनि के साथ हो या शुक्र सप्तमेश हो तो विवाह में देरी अवश्य होगी। * शुक्र, चन्द्रमा परस्पर शत्रु हैं। चंद्र एवं सूर्य दोनों ही शुक्र के शत्रु हैं अतः शुक्र तथा चन्द्रमा की सप्तम भाव में स्थिति भी चिंतनीय है।जिसके कारण विवाह का सुख न्यून होता है,ऐसी अवस्था में विवाह के बाद शीघ्र तलाक भी हो जाता है। * यदि मंगल और शनि एक दूसरे से सप्तम में हो तो निश्चित रूप से विवाह में विलंब होता है। * यदि शुक्र शत्रुराशिगत हो

6 th house

ओम शांति  कल हमने बात की थी छटा भाव क्या है उस से किन किन चीजों का विचार होता है तो आज बात करेंगे कौन कौन सा ग्रह छटे भाव मे क्या फल देगा । चलो आज शुरू करते है ।   1,सूर्ये  अगर छटे भाव मे सूर्ये हो तो यह प्रबल शत्रुहन्ता बनाता है कोई शत्रु इनके आगे टिक नही पता है ।मगर यह जात्ताक को हड्डियों का रोग देता है समाज मे इनका बेहद मान सन्मान होता है । और दूसरों को दिखाने के लिए यह खूब खर्च करते है । कभी कभी इनको आजिविका चुनने मे प्रॉब्लम अति है क्योंकि यह चयन कुछ करते है और काम कुछ । सही गलत का फैंसला नही कर पाते है । 2, अगर छटे भाव मे शनि हो जक्तक को यह भी शत्रु हन्ता बनाता है जात्ताक अपने शत्रु को कभी छोड़ता नही है । यह भोगी प्रविर्ती का भी होता है और कलाप्रेमी ओर कविताये लिखने का शौकीन होता है ऐसे जात्ताक को श्वास रोग का सामना करना पड़ता है ।ऐसे लोगो का ननिहाल पक्ष मे मामा की स्थिति अछि नही होती है । अगर भाग्येष कमजोर हो तो जीवन मे बेहद संघर्ष देते है । अगर भाग्येश ठीक है तो स्थिति बदल सकती है । अगर शनि निच अस्त ,या कमजोर हुए तो कस्ट देते है जात्ताक को । ऐसे लोगो के पैरों में कोई न कोई चोट ल

मंगल और अन्य ग्रह

अन्य ग्रह के नक्षत्र में मंगल 1- मंगल स्वराशि में होने पर दुर्घटना, रोग, सरकार से परेशानी जैसे बुरे प्रभाव देता है।  मेष राशि मे और वृचिक राशि से ज्यादा अच्छा फल देता है 2- बुध के नक्षत्र में मंगल जातक को व्यापार में निपुण बनाता है।  जातक का कला और संस्कृति के प्रति कुछ झुकाव होता है।  शुरुआती दिक्कतों के बाद अच्छे परिणाम मिलते हैं। बुध की राशि मे भी मंगल हाई सेक्सुअल desire रखता ओर बहुत लोगो से सम्बंद बनाता है । 3 - बृहस्पति के नक्षत्र में मंगल प्रारंभ में कुछ कठिनाइयाँ देता है और बाद में संतान सुख, संपत्ति, धन, यश और सम्मान देता है।  मूल निवासी सिंटेड है। अगर गुरु की राशि मे हो मीन से ज्यादा धनु मे  अछा फल देगा ,मीन मे हो अलसी बनाएगा 4- सूर्य के नक्षत्र में मंगल जातक को पराक्रमी और साहसी बनाता है।  जातक सभी कठिनाइयों से बहादुरी से लड़ता है और अंत में अच्छे परिणाम प्राप्त करता है।  सूर्ये की राशि मे भी बहुत अच्छा फल देता जमीन जयदाद का मालिक बनाता है 5 - शुक्र के नक्षत्र में मंगल कामवासना की ओर प्रवृति देता है।  जात्ताक   पिता महिलाओं और बीमार स्वास्थ्य के माध्यम से नुकसान उठ

ज्योतिष सूत्र ।

ज्योतिष सूत्र । 1, अगर किसी का लग्नेश 12 भाव में हो तो जातक पर झूठे इलाज़म लगते है ।  2 ,अगर लग्नेश 12 भाव मे हो जातक विदेश यात्रा करता या विदेश में सेटलमेंट होता है । 3, सूर्ये के साथ शुक्र युति मे हो तो पुरूष जातक की कुंडली में तो उसकी शारीरिक संबंध बनाने समय कम होता है । 4, अगर सप्तम में चन्द्र हो कुन्डली मे तो जातक के निजी अंगों मे प्रॉब्लम होती है । 5, शुक्र और चन्द्र साथ हो तो ऐसे लड़कियों की सास से कभी नही बनती है । ऐसे जातक मे कामुक्ता ज़्यादा होती है जिस वजह से इन पर इल्ज़ाम लगते है  6, सरकारी नोकरी के लिए सूर्ये का दुसरे भाव या भाव पति और दसवें के स्वामी या दसवे भाव से संबंद होना चाहिए साथ ही छटे भाव से भी । 7, किसी भी जातक के 4th हाउस में अगर सूर्ये मंगल राहु हो या इसका स्वामी सूर्ये मंगल राहु केतु के साथ हो ऐसे जातक की माता का स्वभाव बहुत झगड़ालु  किस्म की होती है । ऐसे जातक माता से डर कर रहते है । 8, अगर राहु दूसरे घर के स्वामी के साथ हो परिवार से धोखा ।4th हाउस के साथ हो तो माँ से धोखा ।5th हाउस के साथ प्यार और बच्चों से धोखा ।सातवे के स्वामी साथ हो पार्टनर से धोखा । 10th के स

ग्रह

जन्मकुंडली में व्यापार में सफलता के बनने वाले शुभ योग- 1- यदि कुंडली में सप्तमेश सप्तम भाव में हो या सप्तम भाव पर सप्तमेश की दृष्टि हो तो बिजनेस में सफलता मिलती है। 2- सप्तमेश स्व या उच्च राशि में होकर शुभ भाव (केंद्र-त्रिकोण आदि) में हो तो बिजनेस के अच्छे योग होते हैं। 3- यदि लाभेश लाभ स्थान में ही स्थित हो तो व्यापार में अच्छी सफलता मिलती है। 4- लाभेश की लाभ स्थान पर दृष्टि हो तो व्यापार में सफलता मिलती है 5- यदि लाभेश दशम भाव में और दशमेश लाभ स्थान में हो तो अच्छा व्यापारिक योग होता है। जन्मकुंडली में इस योग के बनते ही, नौकरी, व्यापार होने लगता है लाभ 6- दशमेश का भाग्येश के साथ राशि परिवर्तन भी व्यापार में सफलता देता है। 7- यदि धनेश और लाभेश का योग शुभ स्थान पर हो या धनेश और लाभेश का राशि परिवर्तन हो रहा हो तो भी व्यापार में सफलता मिलती है। 8- सप्तमेश यदि मित्र राशि में शुभ भावों में स्थित हो तो भी बिजनेस में जाने का योग होता है। 9- यदि सप्तमेश और दशमेश का राशि परिवर्तन हो अर्थात सप्तमेश दशम भाव में और दशमेश सप्तम भाव में हो तो भी बिजनेस में सफलता मिलती है। 10- बुध स्व या उच्च राशि

6th house

आज हम बात करेंगे 6 हाउस की , यह भाव से क्या किया देखा जाएगा और इस भाव के स्वामी जिस भाव मे बैठे क्या करेंगे जिस भाव पर दृष्टि डालेंगे तो क्या होगा ।जो ग्रह इस भाव मे बैठेगा क्या फल देगा । पहले हम जानेगे 6 हाउस है क्या ।  1 आपके शत्रु का घर है   2, कर्ज का घर   3 रोग का घर   4,लड़ाई झगड़े का घर  5 मुकाबले का घर   6 मानसिक परेशानी का घर  7शत्रु एक होगा या अनेक   8 नाम होगा या बदनामी होगी   9 रोग जल्दी ठीक होगा या लम्बा रोग होगा।  10 मित्र से धोखे से मारे जाना, मित्र से ही धोखा। यह भाव कुंडली का बहुत महत्वपूर्ण भाव है । इस भकव का स्वामी जिस भाव मे बैठता है उस भाव को खराब करता है इसके साथ जिस भाव पर दृष्टि डालता उस भाव को भी खराब करता है । अगर किसी भाव का स्वामी 6 हाउस में आकर बैठता है तो उसके कार्येत्व मे कमी तो आती ही है जिन भावो का वो स्वामी होता वो भाव भी कमजोर हो जाता है । कोई  भी ग्रह अगर 6 हाउस में बैठता है तो वो उस भाव की कमी को दूर करता है रोग ,कर्ज़ ,शत्रु से रक्षा करेगा मगर वो जिस भावो का स्वामी वो कमजोर हो जाएंगे । 1 शनि 6 हाउस का कारक है जातक शत्रुहन्ता होगा रोग कर्ज़ से रक्षा करे

rahu

सभी को एस्ट्रो पूर्णिमा बिष्ट का प्यार भरा नमस्कार . आज मैं आपको राहु केतु के बारे में बताने जा रहे हैं. 1]  ज्योतिष में इन दोनों ग्रहों को छाया ग्रह माना जाता है इनका खुद का अपना अस्तित्व नहीं है.  इनका प्रभाव अगर आपने समझना है तो पहले आपको यह देखना होगा कि यह किस राशि में बैठे हैं और कितने ग्रह के साथ युति बना कर बैठे हैं क्योंकि राहु केतु छाया ग्रह है और यह भ्रम पैदा करते हैं जिस ग्रह की राशि में यह बैठेंगे इस ग्रह के जैसा  फल देंगे और जिस ग्रह के साथ बैठेंगे उस ग्रह की तरह यह अपना स्वरूप बनाकर फलप्रदान करते हैं अर्थात इनका स्वरूप का कोई स्थिर प्रभाव नहीं है. 2] राहु केतु को पापी ग्रहों की श्रेणी में रखा जाता है और इनका प्रभाव व्यक्ति के ऊपर अकस्मात दिखाई देता है क्योंकि यह अकस्मात ग्रह है यदि कुंडली में उनकी स्थिति अच्छी होती है अर्थात कारक हो जाए मित्र राशि में बैठ जाएं तो अपनी महादशा में जातक को राजा बना देते हैं और यदि उनकी स्थिति कुंडली में खराब हो जाए अर्थात् नीच राशि में बैठ जाएं मंगल के साथ बैठ जाएं 6 8 12 भाव में बैठ जाएं तो अपनी महादशा में यहव्यक्ति को राजा से भिखारी बना द

पहले हम जानेगे 6 हाउस है

आज हम बात करेंगे 6 हाउस की , यह भाव से क्या किया देखा जाएगा और इस भाव के स्वामी जिस भाव मे बैठे क्या करेंगे जिस भाव पर दृष्टि डालेंगे तो क्या होगा ।जो ग्रह इस भाव मे बैठेगा क्या फल देगा । पहले हम जानेगे 6 हाउस है क्या  1 आपके शत्रु का घर है   2, कर्ज का घर   3 रोग का घर   4,लड़ाई झगड़े का घर  5 मुकाबले का घर   6 मानसिक परेशानी का घर  7शत्रु एक होगा या अनेक   8 नाम होगा या बदनामी होगी   9 रोग जल्दी ठीक होगा या लम्बा रोग होगा।  10 मित्र से धोखे से मारे जाना, मित्र से ही धोखा। यह भाव कुंडली का बहुत महत्वपूर्ण भाव है । इस भकव का स्वामी जिस भाव मे बैठता है उस भाव को खराब करता है इसके साथ जिस भाव पर दृष्टि डालता उस भाव को भी खराब करता है । अगर किसी भाव का स्वामी 6 हाउस में आकर बैठता है तो उसके कार्येत्व मे कमी तो आती ही है जिन भावो का वो स्वामी होता वो भाव भी कमजोर हो जाता है । कोई  भी ग्रह अगर 6 हाउस में बैठता है तो वो उस भाव की कमी को दूर करता है रोग ,कर्ज़ ,शत्रु से रक्षा करेगा मगर वो जिस भावो का स्वामी वो कमजोर हो जाएंगे । 1 शनि 6 हाउस का कारक है जातक शत्रुहन्ता होगा रोग कर्ज़ से रक्षा करेगा

remedies

_*Remedies according to zodiac sign*_ Aries-Offer water to peepal tree in the morning and light a lamp near it in the evening. Do seva of gurus and saintly persons. GEMINI: Help some needy ill person with medicines. Help in bearing expenses of marriage of a poor girl. Donate rice and milk in a place of worship. CANCER: Donate some products made of milk. You can also donate urad dal wadas. Light a ghee lamp and meditate asking forgiveness for the wrongs done by you and your ancestors.  VIRGO : Worship Lord Shiva. Recite the Bhagwad Geeta. Do recitation of Laghu Mahamrityunjaya Mantra - Mantra – ‘Om Jum Saha’ – ‘ॐ जूं सः’. Donate oil on Saturdays. LEO: Worship your kul devta and feed cows . Donate food and water these days to any needy.  LIBRA: You can donate things like sesame seeds (til), oil, iron utensils and urad  khichdi. SCORPIO : Do havan with lotus flower, ghee and 108 offerings of guggul. SAGITTARIUS : Feed at least one poor hungry person daily for 16 days of Pitra Paksha. Offe

गुरु

बृहस्पति (गुरु): हमारे सौर मंडल के सबसे बड़े ग्रह के रूप में, बृहस्पति ज्ञान, ज्ञान, आध्यात्मिकता और भाग्य का प्रतीक है। यह विकास, विस्तार और उच्च शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है।गुरु और राहु दोनों ज्योतिष में विशेष महत्व वाले ग्रह हैं। गुरु मनुष्य की प्रकृति में  रूपों पाया जाता है जो ज्ञान, धर्म, शिक्षा और वैदिक संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है। गुरु ज्ञान और आध्यात्मिकता का मूल स्तम्भ है। वह धर्मी गुणों, ईमानदारी और न्याय का प्रतिनिधित्व करता है।  2. राहु (चांडाल): राहु, सांसारिक इच्छाओं, भौतिकवाद, जुनून, भ्रम और गलत कार्यो के अनुभवों से जुड़ा है। यह अज्ञात, अपूर्ण और अपरंपरागत पथ का प्रतीक है।दूसरी ओर, राहु एक छाया ग्रह है जो ज्योतिष में भी महत्वपूर्ण है। राहु छल,धोखा अनुचित कार्यो  का प्रतिनिधित्व करता है। इसका मन और बुद्धि से उत्पन्न विचारों, भावनाओं और दृष्टिकोण पर प्रभाव पड़ता है। राहु मानसिक शक्ति, शारीरिक शक्ति और अद्भुतता का प्रतिनिधित्व करता है,क्योंकि राहु का स्वरुप सर (हेड) के रूप में किया जाता है।  गुरु चांडाल योग कैसे बनता है।  3. संयोजन या विरोध: गुरु चांडाल योग तब बनता

mulank

#Birth no 8 and Life no 1 मूलांक 8 और भाग्यांक 1 पर  शनि और सूर्य का प्रभाव रहता है। जिनका जन्म किसी भी महीने की 8, 17, 26 को होता है उनका मूलांक 8 बन जाता है । इसी तरह से पूरी Birth Date को अगर हम जोड़ करते हैं तो हमारा भाग्यांक निकलता है । 8 /06/ 1940 मूलांक - 8 भाग्यांक - 1 शनि और सूर्य का प्रभाव होता है। Number 8 The most important attribute of the number 8 lies in its shape.  Figure 8 is the symbol of cosmic balance and stability.  The symbol of infinity.  8 is associated with a continuous flow of energy and power, be it related to money, material wealth, health, or wisdom. Balance and stability. Continuous cycle. Abundance and prosperity. Responsibility and the ability to make decisions. Personal power and strength of will. Life no 1 proceed to  life of happiness. Number 1 people mainly determined and commanding in nature which make them the best and natural leaders.  They have a good controlling and leading power.  These people are full of confidence and powerful. Number  8 adds

सूर्य+मंगल...

सूर्य+मंगल... पहली बात... अत्यधिक ऊर्जा, अग्नि तत्व प्रधान रूप से विद्यमान.. यदि ये दोनों ग्रह एक साथ हैं तो लग्न में बैठे ग्रह को अवश्य ही जलाएंगे यानी तपाएंगे और ऐसे में कहीं गुरु लग्न में हो तो तप कर सोना जैसे कुंदन बन जाता है वैसा ये गुरु सोने से भी ऊपर का रेट वाला यानी ऐसे जातक की कीमत बहुत मूल्यवान.. जहां खड़ा हो जाए वो जगह चमकने लगे.. बुध हो जाए तो बुध का मूवमेंट बहुत तीव्र हो कर लगन को ही जलाने लग सकता है क्योंकि बुध लेंस है और यदि बुध पर राहु का प्रभाव रहा तो लगन पर आग लग जाएगी यानी जातक पर अचानक चोट पहुंचेगी दर्दनाक स्थिति से मृत्यु प्राप्त हो सकती है... सूर्य+मंगल जातक को निडर बनाते हैं बहादुर और निर्भीक होकर चलने वाला जैसे जंगल में शेर.. मान पर आ जाए तो हाथ उठाते देरी नही लगती.. पर कुंडली में चंद्र कितना नेक हो कर जातक में दया का संचार करता है और मंगल को नेक रखता है तो रहमदिल शासक की भांति होता है.. सूर्य मंगल एक साथ हैं तो जातक ज्यादा पॉलिटिकली नही लेकिन हिम्मत और ताक़त पर यकीन करने वाला जैसे कर्ण को शकुनी की बातें नही समझ आती थीं लेकिन आप कर्ण को सूर्य+मंगल का व्यक्ति मान