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Showing posts from April, 2022

स्फटिक क्या है?

स्फटिक को हार की बजाय माला के रूप में पहना जाता है। हालांकि कुछ लोग इसे ब्रेसलेट बनाकर भी पहन लेते हैं। बहुत से लोग स्फटिक की माला या अंगूठियां पहनते हैं। इसका शिवलिंग भी बना हुआ है। यह स्फटिक क्या है और इसे पहनने के क्या फायदे हैं आइए इसके बारे में जानते है ।। स्फटिक क्या है? दरअसल, स्फटिक एक रंगहीन, पारदर्शी, स्पष्ट पत्थर होता है, जो चमकदार सफेद रंग का दिखाई देता है। कांच की तरह दिखने वाले क्रिस्टलीय पत्थर से विशेष कटिंग बीड्स बनाकर भी मालाएं बनाई जाती हैं। यह देखने में बिलकुल फिटकरी की तरह होता है। बर्फीले पहाड़ों पर बर्फ के नीचे टुकड़ों के रूप में स्फटिक पाया जाता है। ऐसा कहा जाता है कि यह सिलिकॉन और ऑक्सीजन के परमाणुओं के सम्मिश्रण से बनता है। यह बर्फ की तरह पारदर्शी और सफेद होता है। स्फटिक माला के फ़ायदे ? इसे पहनने वाले जातक को किसी भी प्रकार का भय और घबराहट नहीं रहती। जिस किसी व्यक्ति के गले में इसकी माला होती है उसके मन में सुख, शांति और धैर्य बना रहता है। इसे धारण करने से धन, संपत्ति, रूप, बल, वीर्य और यश प्राप्त होता है तथा भूत-प्रेत आदि की बाधा से भी मुक्ति मिलती है। स्फटिक

ખાલી પેટ પર ફળ ખાવું*

*ખાલી પેટ પર ફળ ખાવું*  *આ તમારી આંખો ખોલશે!  અંત સુધી વાંચો અને પછી તમારી ઈ-સૂચિ પરના બધાને મોકલો.  મેં હમણાજ કર્યું !*  *ડૉ. સ્ટીફન માક કેન્સરની બીમારીના દર્દીઓની સારવાર "અન-ઓર્થોડોક્સ" રીતે કરે છે અને ઘણા દર્દીઓ સાજા થાય છે.*  *તે તેના દર્દીઓની બીમારીઓને દૂર કરવા માટે સૌર ઉર્જાનો ઉપયોગ કરતા પહેલા, તે બીમારીઓ સામે શરીરમાં કુદરતી ઉપચાર પર વિશ્વાસ રાખે છે.  નીચે તેમનો લેખ જુઓ.*  *તે કેન્સરને મટાડવાની એક વ્યૂહરચના છે.*  *મોડેથી, કેન્સરના ઈલાજમાં મારી સફળતાનો દર લગભગ 80% છે.*  *કેન્સરના દર્દીઓએ મરવું ન જોઈએ.  કેન્સરનો ઈલાજ પહેલેથી જ મળી ગયો છે - તે આપણે જે રીતે ફળો ખાઈએ છીએ.*  *તમે માનો કે ના માનો તે છે.*  *પરંપરાગત સારવાર હેઠળ મૃત્યુ પામેલા સેંકડો કેન્સરના દર્દીઓ માટે હું દિલગીર છું.*  *ફળ ખાવું*  *આપણે બધા વિચારીએ છીએ કે ફળો ખાવાનો અર્થ ફક્ત ફળો ખરીદવો, તેને કાપીને ફક્ત મોંમાં નાખવો.*  *તે એટલું સરળ નથી જેટલું તમે વિચારો છો.  ફળો કેવી રીતે અને ક્યારે ખાવા તે જાણવું અગત્યનું છે.*  *ફળ ખાવાની સાચી રીત કઈ છે?*  *તેનો અર્થ એ છે કે તમારા ભોજન પછી ફળ ન ખાવા!*  *ફળો ખાલી પેટ પર ખાવા

पीपल*

*पीपल* 💚अकेला ऐसा पौधा जो दिन और रात दोनो समय आक्सीजन देता है 💛पीपल के ताजा 6-7 पत्ते लेकर 400 ग्राम पानी मे डालकर 100 ग्राम रहने तक उबाले,ठंडा होने पर पिए ब्रर्तन स्टील और एल्युमिनियम का नहीं हो, आपका ह्रदय एक ही दिन में ठीक होना शुरू हो जाएगा 💛पीपल के पत्तो पर भोजन करे, लीवर ठीक हो जाता है 💛पीपल के सूखे पत्तों का पाउडर बनाकर आधा चम्मच गुड़ में मिलाकर सुबह दोपहर शाम खायेँ, किंतना भी पुराना दमा ठीक कर देता है 💛पीपल के ताजा 4-5 पत्ते लेकर पीसकर पानी मे मिलाकर पिलाये,1- 2 बार मे ही पीलिया में आराम देना शुरू कर देता है 💛पीपल की छाल को गंगाजल में घिसकर घाव में लगाये तुरंत आराम देता है 💛पीपल की छाल को खांड (चीनी )मिलाकर दिन में 5-6 बार चूसे, कोई भी नशा छूट जाता है 💛पीपल के पत्तों का काढ़ा पिये, फेफड़ो, दिल ,अमाशय और लीवर के सभी रोग ठीक कर देता है 💛पीपल के पत्तों का काढ़ा बनाकर पिये, किडनी के रोग ठीक कर देता है व पथरी को तोड़कर बाहर करता है 💛किंतना भी डिप्रेशन हो, पीपल के पेड़ के नीचे जाकर रोज 30 मिनट बैठिए डिप्रेशन खत्म कर देता है 💛पीपल की फल और ताजा कोपले लेकर बराबर मात्रा में लेकर पी

सुलेमानी हकीक के लाभ ?

रत्‍न शास्‍त्र में 84 रत्‍नों का उल्‍लेख किया गया है और इनमें से चमत्‍कारिक रत्‍न सुलेमानी हकीक भी एक है। प्रकृति द्वारा प्रदत्त अनुपम भेंट है ये रत्‍न। शनि, राहु और केतु के दोष को एकसाथ दूर करने वाला यह एकमात्र रत्‍न है। सुलेमानी हकीक के लाभ ?  सुलेमानी हकीक काले जादू और बुरी नज़र से आपकी रक्षा करता है। अगर आपको करियर या व्‍यापार में किसी भी तरह की परेशानी आ रही है तो आपको सुलेमानी हकीक जरूर धारण करना चाहिए। इस रत्‍न को धारण करने के बाद आपके अन्दर आकर्षण पैदा होने लगता है और लोग आपको महत्‍व देते हैं। अगर आपके व्‍यापार में बाधाएं उत्‍पन्‍न करने के लिए किसी ने जादू टोने का प्रयोग किया है तो उसे काटने के लिए आपको सुलेमानी हकीक धारण करना चाहिए। इस रत्‍न के प्रभाव से व्‍यापार में वृद्धि भी होती है। घर में बरकत और समृद्धि के लिए भी आप इस रत्‍न को धारण कर सकते हैं। शत्रुओं से छुटकारा पाने और जादू-टोने से बचाव के लिए भी सुलेमानी हकीक को पहना जाता है। इसके अलावा अगर आपको कोई लंबी बीमारी है या आपकी सेहत ज्‍यादातर खराब ही रहती है तो भी आपको सुलेमानी हकीक से फायदा होगा ।। कैसे धारण करे सुलेमानी ह

राहु संग अन्य ग्रहों के साथ युक्ति

राहु संग अन्य ग्रहों के साथ युक्ति राहू के साथ चंद्र माँ का सुख कम मिलता है अभाव रहता है राहू संग मंगल भाई का सुख कम रहता है अभाव या मतभेद राहू संग गुरु विद्या सुख कम करता है और गुरु का अपमान करना राहु संग सूर्य पिता का सुख कम होता और पिता का अनादर करना राहू-संग बुध बुआ या मौसी बहन सुख कम होता है राहू-शनि, -प्रेत श्राप होता है कारोबार नही चलता कामों में अड़चन आर्थिक नुकसान मानसिक परेशानियां  अच्छे रिश्ते नही होते और यदि राहू नीच का है तो कोर्ट कचहरी,मुकदमा जेल , ससुराल से परेशानी होती है कुंडली में.. (1)-- राहू-संग चन्द्र -- मातृ श्राप . (२)- राहू-संग मंगल -  अंगारक दोष (3) राहू-संग शनि -प्रेत श्राप (४)-- राहू-संग सूर्य -- पित्र श्राप (5) राहू संग -शुक्र -- स्त्री दोष होने से लक्ष्मी रूठी रहती है विवाहिक सुख कम मिलता है

आज मैंने सोचा कि आप सबको मैं अपने मसाले बनाना बताऊं

आज मैंने सोचा कि आप सबको मैं अपने मसाले बनाना बताऊं जो कि मैं स्वयं बनाती हूं और बाहर में कोई भी आता है तो यह स्वाद में सबसे अलग होता है जैसा उन्होंने खाया होता है कुछ को यह उनकी नानी के घर का कुछ को यह उनकी दादी के घर का लगता है और सबसे अनोखा संस्मरण इस मसाले की वजह से जो हुआ मुझे वह संस्मरण मैं यहां आप सबसे साझा करूंगी पर पहले मसाले की रेसिपी इसमें से जो ना हो वह आप छोड़ भी सकती हैं, हल्दी इसमें नहीं डली है वह अलग से डाल सकते है सामग्री १-धनिया एक पाव २-लाल मिर्च सौ ग्राम ३-मेथी पच्चीस ग्राम ४-हींग एक डिबिया बड़ी ५-अजवाइन पच्चीस ग्राम ६-जीरा पचास ग्राम ७-पीली सरसोंपचीस ग्राम ८-काली सरसों पचीस ग्राम ९-काली इलायची पांच बड़ी १०-दालचीनी चार बड़े टुकड़े श्री लंका वाली दालचीनी ११-तेज पत्ता दस १२-सौंफ पच्चीस ग्राम १३-जायफल एक बड़ा १४-कमर कस चार टुकड़े १५-गुलाब पंखुड़ियां एक मुठ्ठी १६-लौंग दस १७-मगरैल दो चम्मच १८-मीठी नीम पत्ती चार मुठ्ठी १९-पुदीना पत्ती एक मुठ्ठी १९- नींबू पत्ते पांच २०-तिल सफेद एक चम्मच २१-तिल काला एक चम्मच २२-तीसी दो चम्मच (अलसी) २३-पालक पत्ते एक पाव ताजा लेकर सुखा लें चू

शीघ्र विवाह के लिए अपनाये ये ना चूकने वाले टोटके-

शीघ्र विवाह के लिए अपनाये ये ना चूकने वाले टोटके- कई बार जन्मकुंडली में कई ऐसे योग होते हैं. जिनकी वजह से पुरुष या स्त्री विवाह की खुशी से वंचित रह जाते है. कई बार ये रूकावट बाहरी बाधाओं की वजह से भी आती हैं. उम्र लगातार बढती जाती है.  लाख प्रयास के बाद भी रिश्ते बन नहीं पाते हैं. मनचाहे रिश्तों का तो जैसे आकाल ही पड़ जाता है. इस प्रकार की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह (Without Delay Marriage) के उपाय करने में ही समझदारी है. इन उपाय को करने से शीघ्र विवाह (Without Delay Marriage) के मार्ग खुलते है. विवाह मार्ग की समस्त रुकावटें दूर होती है. यहाँ पर हम कुछ बहुत ही आसान किन्तु अचूक उपाय बता रहे है.  जिनको सच्चे मन से करने से वर एवं कन्या दोनों को ही निश्चित रूप से मनवांछित लाभ प्राप्त होगा. शीघ्र विवाह शीघ्र विवाह के लिए सोमवार को 1200 ग्राम चने की दाल व सवा लीटर कच्चे दूध का दान करें यह प्रयोग तब तक करते रहना है लेकिन जब तक कि विवाह न हो जाय. कन्या जब किसी कन्या के विवाह में जाये और यदि वहाँ पर दुल्हन को मेहँदी लग रही हो तो अविवाहित कन्या कुछ मेहँदी उस दुल्हन के हाथ से लगवा ले इससे विवाह क

इन योगों में जन्म लेने वाला व्यक्ति अवश्य ही धनवान बनेगा।

इन योगों में जन्म लेने वाला व्यक्ति अवश्य ही धनवान बनेगा। 💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐💐 1】धन योग ■■■■■■■ 👍2nd,5th,9th,11th भाव आपस मे सम्बनध बना रहे हो युती, दृष्टि,परिवर्तन तो धन योग होता है। 👌5th का परिवर्तन 2nd से या 11th से होतो धन योग होता है। 👌9th और 11th का परिवर्तन योग हो तो धन योग होता है।   ◆यदि शुक्र की राशि (बृषभ या, तुला,)पंचम भाव में हो और स्वयं शुक्र द्वारा शासित हो, जबकि मंगल लाभ भाव में हो, तो जातक को बहुत धन की प्राप्ति होती है। ◆  यदि बुध की राशि(मिथुन या कन्या) पंचम भाव में हो और स्वयं बुध द्वारा शासित हो, क्योंकि लाभ भाव पर चंद्र, मंगल और गुरु का कब्जा है, तो जातक बहुत समृद्ध होगा।   ◆यदि सिंह पंचम भाव में हो और स्वयं सूर्य के अधीन हो, जैसे कि शनि, चंद्र और गुरु लाभ भाव में हों, तो जातक बहुत समृद्ध होगा।  ◆यदि सूर्य और चंद्र लाभ भाव में हों, जैसे शनि पंचम भाव में अपने स्वयं के भाव  (मकर या कुंम्भ )के समान हैं, तो जातक बहुत समृद्ध होगा।   ◆यदि गुरु पंचम भाव में अपनी राशि में हो , और बुद्ध लाभ भाव में हों, तो जातक बहुत समृद्ध होगा।   ◆ यदि मंगल की राशि(मेष,बृश्

कहानी

 'भारत एक अद्भुत और रहस्यमई देश है' यह बात पूरा विश्व जानता है। आज भी यहां पर ऐसे अनेक तहखानों के बंद दरवाजे पड़े हैं जिनमें कोई ताला नहीं है, कोई जंजीर नहीं है ! सिर्फ मंत्रों की ताकत से बंधे अपने सीने में न जाने कितने अनजाने राज छुपाए हैं। कुछ इसी तरह की रहस्यमई किंवदंतियों के कारण भानगढ़ का किला हमेशा से चर्चा का विषय रहा है। भानगढ़ दुर्ग राजस्थान के अलवर जिले में सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान के पास में स्थित है। जिसका निर्माण राजा भान सिंह ने करवाया था। उन्होंने अपने पूरे शासनकाल तक यहां सुख पूर्वक शासन किया था। उनके बाद उनके पुत्र भगवंत दास ने गद्दी संभाली। भगवंत दास के भी दो पुत्र हुए... जिनका नाम मानसिंह व माधो सिंह था। माधो सिंह के 3 पुत्र हुए ...सुजान सिंह, छत्र सिंह और तेज सिंह.. माधो सिंह के बाद छत्र सिंह वहां के राजा बने।इसके बाद छत्र सिंह के पुत्र अजब सिंह हुए जिन्होंने मानगढ़ से दूर अजबगढ़ (अपने नाम पर) बसाया। इसके बाद अजब सिंह के दो पुत्र हुए...काबिल सिंह और हरि सिंह। काबिल सिंह अजबगढ़ में ही रह गए, लेकिन हरि सिंह ने पुनः भानगढ़ को स्वीकार किया।उसके बाद हरी सिंह के द

पितृ दोष कैसे पहचाने

किसी  की कुण्डली देखकर इस बात का पता लगाया जा सकता है कि उस  आदमी या औरत के पितृ दोष  है या नहीं।  यदि किसी  के पितृ नाराज होते हैं, वे अपने परिवार जनों की जन्म कुण्डंली में पितृ दोष की ग्रह-स्थिति बनाते है।  ज्योतिष के अनुसार कुंडली में यदि सूर्य-केतु या सूर्य-राहु एक साथ बैठे हो या एक दूसरे को देख रहें हो, कुंडली के पहले , दूसरे , चौथे , पांचवें , सातवें , नवे और दसवें भावों में से किसी एक भाव में हो, तो इस तरह की कुण्डली वाले व्यक्ति को पितृ दोष होता है। कुंडली के जिस भाव में ये योग होता है, उससे सम्बंधित अशुभ फल ही ज्यादा मिलेंगे।   जैसे यदि सूर्य-राहु अथवा सूर्य-केतु एक साथ पहले घर में हो, तो वह व्यक्ति को शांति नहीं मिलती। कोई गुप्त चिंता रहती है। , वैवाहिक  एवं स्वास्थ्य संबंधी परेशानियाँ होती हैं क्योंकि कुंडली का पहला घर लग्न कहा जाता है और यह शरीर को इंगित करता है।     दूसरे घर  में हो, तो धन संबंधी और कुटुंब  से संबंधित परेशानियाँ जैसे कि आपसी  कलह, मतभेद  व आर्थिक समस्या  होती हैं। तीसरे घर मे होने से  अपने परिश्रम का फल नहीं मिलता। पराक्रम में कमी आती है। भाई बहन से मतभेद

फलकथन करने से पूर्व विचार करने योग्य बातें :-

ज्योतिष ज्ञान  🔸🔸🔹🔹 फलकथन करने से पूर्व विचार करने योग्य बातें :- 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔸🔸 १. किसी भी ग्रह की महादशा में उसी ग्रह की अन्तर्दशा अनुकूल फल नहीं देती। २. योगकारक ग्रह की महादशा में पापी या मारक ग्रह की अन्तर्दशा आने पर प्रारंभ में शुभ फल तथा उत्तरार्द्ध में अशुभ फल देने लगता है। ३. अकारक ग्रह की महादशा में कारक ग्रह की अन्तर्दशा आने पर प्रारंभ में अशुभ तथा उत्तरार्द्ध में शुभ फल की प्राप्ति होती है। ४. भाग्य स्थान का स्वामी यदि भाग्य भाव में बैठा हो और उस पर गुरु की दृष्टि हो तो ऐसा व्यक्ति प्रबल भाग्यशाली माना जाता है। ५. लग्न का स्वामी सूर्य के साथ बैठकर विशेष अनुकूल रहता है। ६. सूर्य के समीप निम्न अंशों तक जाने पर ग्रह अस्त हो जाते हैं, (चन्द्र-१२ अंश, मंगल-१७ अंश, बुध-१३ अंश, गुरु-११ अंश, शुक्र-९ अंश, शनि-१५ अंश) फलस्वरूप ऐसे ग्रहों का फल शून्य होता है। अस्त ग्रह जिन भावों के अधिपति होते हैं उन भावों का फल शून्य ही समझना चाहिए। ७. सूर्य उच्च का होकर यदि ग्यारहवें भाव में बैठा हो तो ऐसे व्यक्ति अत्यंत प्रभावशाली तथा पूर्ण प्रसिद्धि प्राप्त व्यक्तित्व होता

चर्चित श्राप और उनकी कहानी

*चर्चित श्राप और उनकी कहानी.* *पौराणिक ग्रंथो में अनेको अनेक श्रापों का वर्णन मिलता है। हर श्राप के पीछे कोई न कोई घटना मिलती है।* *1. युधिष्ठिर का स्त्री जाति को श्राप.* महाभारत के शांति पर्व के अनुसार युद्ध समाप्त होने के बाद जब कुंती ने युधिष्ठिर को बताया कि कर्ण तुम्हारा बड़ा भाई था तो पांडवों को बहुत दुख हुआ। तब युधिष्ठिर ने विधि-विधान पूर्वक कर्ण का भी अंतिम संस्कार किया। माता कुंती ने जब पांडवों को कर्ण के जन्म का रहस्य बताया तो शोक में आकर युधिष्ठिर ने संपूर्ण स्त्री जाति को श्राप दिया कि – आज से कोई भी स्त्री गुप्त बात छिपा कर नहीं रख सकेगी।  *2. ऋषि किंदम का राजा पांडु को श्राप.* महाभारत के अनुसार एक बार राजा पांडु शिकार खेलने वन में गए। उन्होंने वहां हिरण के जोड़े को मैथुन करते देखा और उन पर बाण चला दिया। वास्तव में वो हिरण व हिरणी ऋषि किंदम व उनकी पत्नी थी। तब ऋषि किंदम ने राजा पांडु को श्राप दिया कि जब भी आप किसी स्त्री से मिलन करेंगे। उसी समय आपकी मृत्यु हो जाएगी। इसी श्राप के चलते जब राजा पांडु अपनी पत्नी माद्री के साथ मिलन कर रहे थे, उसी समय उनकी मृत्यु हो गई। तब ऋषि मा

कहानी

भारत से कोसों मील दूर नीडरलैंड के सबसे भूतहा जगहों में उस हवेली का नाम भी शुमार था', 'हवेली के चारों ओर घने जंगलों का डेरा था', 'यहां तक कि हवेली के ईंटों की बीच से भी कई छोटे छोटे पेड़ अपने जड़ों को फैलाने की कोशिश में लगे थे', 'हवेली की बनावट,उसकी नक्काशी,बाहर सामने की ओर लगी हुई टूटे फव्वारे और मूर्तियों के अवशेष चीख चीखकर जैसे बयां कर रहे हो किसी ज़माने में रही इस हवेली की खूबसूरती और भव्यता', "कहावत है कि 'मार्गरेट मैनर' में किसी औरत की रूह भटकती है", 'कई लोगों ने उस रूह की आह भरी सिसकियाँ रात के सन्नाटे में उस हवेली से आते सुना है', 'दिन के उजाले में वहां कोई हलचल नहीं होती', "लेकिन रात के तीन बजे से\xa0 सुबह के पांच बजे के बीच 'मार्गरेट मैनर' जैसे ज़िंदा हो उठती है", 'उस हवेली के पास जाने से तो सभी डरते है,पर रात से सुबह के बीच वहां से आने वाली एक औरत की दर्दनाक चीख सभी ने सुनी है', 'वो अनजान औरत की आवाज़ पहले तो चीखती चिल्लाती है', 'जैसे कोई उसे तड़पा रहा हो', "वो जोर जोर से

मूँगा रत्न

मूंगा रत्न धारण करने के 12 चमत्कारी फायदे ? 1. इस रत्न को चांदी, सोना या तांबें में धारण करने से बुरी नजर से छुटकारा मिलता है एवं भूत प्रेत आदि के भय हमेशा के लिए समाप्त हो जाते हैं । 2. मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को इसे अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से उन्हें अत्यंत लाभ प्राप्त होगा । 3. मूंगा रत्न पहनने से आत्मविश्वास में वृद्धि होती है एवं दूसरों के प्रति ईर्ष्या समाप्त होती है। 4. मानसिक थकावट एवं उदासी पर नियंत्रण पाने के लिए मूंगा अवश्य धारण करें । 5. कंप्यूटर सॉफ्टवेयर, हार्डवेयर इंजीनियर, हथियार बनाने वाले, सर्जन करने वाले, पुलिस, डॉक्टर, आर्मी आदि के लोगों को मूंगा धारण करने से विशेष प्रकार का लाभ मिलता है । 6. यदि आप आलसी हैं तो आपको मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से आलस से हमेशा के लिए छुटकारा पाया जा सकता है। 7. यदि किसी व्यक्ति को रक्त से संबंधित समस्याएं हैं तो उसे मूंगा अवश्य धारण करना चाहिए इसे धारण करने से अत्यंत लाभ मिलेगा । 8. पीलिया एवं मिर्गी रोगियों के लिए मूंगा धारण करना अत्यधिक लाभकारी है। 9. यदि आपके जीवन में अनेकों प्रकार की परेशानियां आ रह

सप्तम भाव प्रश्न -

सप्तम भाव प्रश्न - ✤ विवाह के प्रश्न मे , यदि सप्तम का स्वामी लग्नेश या चन्द्रमा से इत्थशाल योग हो तो प्रश्नकर्ता को मांग के विना दुल्हन मिलेगी । यदि लग्न का स्वामी या चन्द्रमा सप्तम भाव मे हो तो प्रयासो से दुल्हन सुरक्षित होगी ।  ✤ यदि लग्न का स्वामी चन्द्रमा से मुशरिफ योग मे हो या लग्नेश का सातवे के स्वामी से इत्थशाल हो तो प्रश्नकर्ता को बिना प्रयासो के दुल्हन मिलेगी । यदि वे ग्रह जिनका इत्थशाल हुआ है अस्त हो या अशुभ ग्रहो से पीडित हो तो प्रश्नकर्ता दुल्हन पाने में असफल होगा ।  ✤ यदि आठवे भाव का स्वामी अशुभ ग्रह हो तो दुल्हन को सुरक्षित रखने का उद्देश्य पराजित होगा । तीसरे या चौथे का स्वामी अशुभ ग्रह हो तो दुल्हन को सुरक्षित रखने का प्रयास भाई , पिता के कारण विफल होगा । प्रश्न कुण्डली मे संयोजन शुभ ग्रहो से प्रभावित हो तो उचित स्त्रोतो के माध्यम से वस्तु का एहशास होगा ।  ✤ प्रेम प्रसंग के प्रश्न मे यदि लग्न स्वामी का सातवे भाव के स्वामी से मुथसिला योग हो तो दोस्ती और प्रेम होगे । यदि ये दोनो स्वामी शत्रुतापूर्ण पहलू मे हो तो युगल हमेशा झगडते रहेगे । यदि इन दोनो मे से एक स्वामी का कम्

लाल किताब में लिखित उपाय देखने और पड़ने में सरल और छोटे लगते हैं,

लाल किताब में लिखित उपाय देखने और पड़ने में सरल और छोटे लगते हैं,  लेकिन ये अत्यंत ही शीघ्र प्रभाव देने वाले होते हैं। नीचे दिए गए लाल किताब के इन 100 उपायों में से एकाधिक उपाय को भी श्रद्धापूर्वक कम से कम 43 से 100  दिन तक किये जाये तो आश्चर्यजनक रूप से चमत्कारी एवं लाभकारी परिणामों की प्राप्ति होती ह नीचे दिए गए उपाय केवल जानकारी के लिए है इसमें से केवल एक या दो उपाय आपके  लाल किताब की विद्वान  से चर्चा करके अपनी कुंडली के अनुसार केवल उस उपाय को श्रद्धापूर्वक करें लाल किताब में लिखित उपाय देखने और पड़ने में सरल और छोटे लगते हैं, लेकिन ये अत्यंत ही शीघ्र प्रभाव देने वाले होते हैं। नीचे दिए गए लाल किताब के इन 100 उपायों में से एकाधिक उपाय को भी श्रद्धापूर्वक कम से कम 60 दिन तक किये जाये तो आश्चर्यजनक रूप से चमत्कारी एवं लाभकारी परिणामों की प्राप्ति होती है। 1- किसी भी महत्वपूर्ण कार्य को शुरू करने अथवा यात्रा पर निकलने से पूर्व थोड़ा गुड़ खाकर पानी पीयें। 2- घर में बड़ी बुजुर्ग महिलाओं (दादी माँ, चाची, बुआ आदि ) को समुचित सम्मान-सेवा द्वारा प्रसन्न रखें। 3- घर में गाय पालें और उसकी यथासंभव

जिसने चोंच दी है वो दाना भी देगा

जिसने चोंच दी है वो दाना भी देगा —————————————- कुछ दिनों से मेरे साथ तीन अजीब घटनाएँ घटित हुईं। जिन्हें कुंडली विश्लेषण करवाना होता है वह व्यक्ति व्हॉटस् एप नम्बर पर मैसेज़ करके शुल्क की जानकारी लेते है और शुल्क विवरण जानने बाद जो टिप्पणी करते है- १. किसी के पास इतना पैसा होता तो आपके पास क्यों आता?  २. शुल्क बहुत ज़्यादा है कम करे ऐसे तो कौन आएगा आपके पास।  ३. अग़र आप कुछ बता सकती है तो शुल्क दें बहुत ज़्यादा है। क्या है कुछ बता देती तो तलाशी हो जाती।  लगातार तीन दिन से यह घटनाएं घटी तब मैने कल एक पोस्ट करी थी कि हम संकुचित सोच के कारण ठगे जाते है।  १. क्या आप तनिष्क जूलरी शॉप पर जाते है तो उनको कहते है बहुत ज़्यादा रेट है? आप यदि तनिष्क की जूलरी नही खरीद सकते जो कि हालमार्क्ड है तो किसने रोका है नुक्कड़ पर आपके शहर में और भी होगें जूलरी शॉप वालें आप अपनी पॉकेट के अनुसार वहाँ से ले। तनिष्क की शॉप बंद नही होगी इसकी आप चिंता न करें।  २. शुल्क कितना लेना है यह मेरा निजी निर्णय है जैसे तनिष्क की मेकिंग चार्ज आदि डिसाइड करना उसके अधिकार में है। आप सुझाव न दे। और जिसकों समझ होगी कि यहाँ चौ

रामायण_में_वर्णित_मुख्य_स्थान ::

#रामायण_में_वर्णित_मुख्य_स्थान :: 1.#तमसानदी : अयोध्या से 20 किमी दूर है तमसा नदी। यहां पर उन्होंने नाव से नदी पार की।   2.#श्रृंगवेरपुरतीर्थ : प्रयागराज से 20-22 किलोमीटर दूर वे श्रृंगवेरपुर पहुंचे, जो निषादराज गुह का राज्य था। यहीं पर गंगा के तट पर उन्होंने केवट से गंगा पार करने को कहा था। श्रृंगवेरपुर को वर्तमान में सिंगरौर कहा जाता है।   3.#कुरईगांव : सिंगरौर में गंगा पार कर श्रीराम कुरई में रुके थे।   4.#प्रयाग: कुरई से आगे चलकर श्रीराम अपने भाई लक्ष्मण और पत्नी सहित प्रयाग पहुंचे थे। कुछ महीने पहले तक प्रयाग को इलाहाबाद कहा जाता था ।   5.#चित्रकूट : प्रभु श्रीराम ने प्रयाग संगम के समीप यमुना नदी को पार किया और फिर पहुंच गए चित्रकूट। चित्रकूट वह स्थान है, जहां राम को मनाने के लिए भरत अपनी सेना के साथ पहुंचते हैं। तब जब दशरथ का देहांत हो जाता है। भारत यहां से राम की चरण पादुका ले जाकर उनकी चरण पादुका रखकर राज्य करते हैं।   6.#सतना: चित्रकूट के पास ही सतना (मध्यप्रदेश) स्थित अत्रि ऋषि का आश्रम था। हालांकि अनुसूइया पति महर्षि अत्रि चित्रकूट के तपोवन में रहा करते थे, लेकिन सतना में &#

અદભૂત સ્ટોરી છે...*👌

*અદભૂત સ્ટોરી છે...*👌  *એકવાર અચૂક વાંચજો.* એક દિવસ એક શિક્ષિકાબહેને નવમા ધોરણના વિદ્યાર્થીઓને બે મોટા કાગળમાં પોતાના કલાસના વિદ્યાર્થીઓના નામ લખવા કહ્યું. દરેક નામની સામે તેમજ નીચે બે લીટી ખાલી રાખવાનું કહ્યું. વિદ્યાર્થીઓને નવાઈ લાગી.  થોડીક ઈંતેજારી પણ થઈ કે બહેન શું કરવા માંગે છે ? શિક્ષિકાબહેને ત્યાર બાદ દરેક વિદ્યાર્થીના નામની સામે જે-તે વિદ્યાર્થીના સૌથી સારા ગુણો વિશે બધાને જેટલું યાદ આવે તેટલું લખવાનું કહ્યું. દરેકદરેક વિદ્યાર્થીના સદગુણને યાદ કરીને લખવામાં બધા વિદ્યાર્થીઓને ખાસ્સી વાર લાગી. આવા નવતર પ્રયોગનો આનંદ પણ આવ્યો. કલાસનો બાકીનો સમય આ કાર્યમાં જ પૂરો થયો. શાળા છૂટ્યા બાદ દરેકે પોતાનું લખાણ શિક્ષિકાબહેનને સુપરત કરીને વિદાય લીધી. અઠવાડિયાના અંતે શિક્ષિકાબહેને દરેક વિદ્યાર્થીના નામવાળો એક એક કાગળ તૈયાર કર્યો. પછી તેના પર વર્ગના દરેક વિદ્યાર્થીએ તેના વિશે શું સરસ લખ્યું છે તેની યાદી કરી. સોમવારે ફરીથી કલાસ મળ્યો ત્યારે તેમણે દરેકને પોતાના નામવાળી યાદી આપી. દરેક વિદ્યાર્થી આશ્ચર્યમાં ગરકાવ થઈ ગયો. દરેકના મોઢેથી આનંદના ઉદ્દગારો સરી પડ્યા. ‘અરે ! ભગવાન ! બધા મારા વિશે આટલું

चन्द्र की महिमा और कर्म फल

चन्द्र की महिमा और कर्म फल  ✍️ मनोस्थिति और सुख कराक चन्द्र कलयुग में 85 से 95 % कुंडलियों में पीड़ित मिलता है जबकि चन्द्र ही वो डिलेवरी बॉय है जो दशा अंतर्दशा के माध्यम से भाग्य में लिखे फलों की डिलेवरी करता है  ✍️ आपके जन्म में समय चन्द्र जिस नक्षत्र में होता है वहीं आपके दशा क्रम को निर्धारित कर देता है जैसे पुष्य नक्षत्र में जन्म कालीन चन्द्र हो तो पहली दशा शनि की मिलती है । ✍️ चन्द्र ही सुख है जो लग्न अर्थात मंगल भोगता है श्री कृष्णा गीता में बोलते है हे पार्थ तू कर्म कर फल की आसक्ति से रहित होके कर्म कर यही कथन शनि की महिमा का वर्णन है सुख ( चन्द्र ) लग्न ( मंगल ) तब ही भोगेगा जब कर्म ( शनि ) करेगा । 🔱 चन्द्र ( मन ) के दो हिस्से राहु केतु ( माया ) ही तो है जो चन्द्र ( मन ) को पीड़ित करके दुखी करते है और जातक आसक्तियों में फस कर दुखी रहता है  🕉️ आपका चंद्र जितना मजबूत होगा आपके कर्म जितने सुदृढ होंगे आप उतने है सफल और सुखी होंगे आप यानि लग्न मतलब मंगल पार्थ 😊 कुछ समझे । ✍️ ये में हेमन्त थरेजा नहीं बोल रहा हूं ।  🍁 ये मेरे श्री कृष्णा बोलते है  गीता के माध्यम से 📿📿 नोट - काल

मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है?

*मकान की नींव में सर्प और कलश क्यों गाड़ा जाता है?* 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ *श्रीमद्भागवत महापुराण के पांचवें स्कंद में लिखा है कि पृथ्वी के नीचे पाताल लोक है और इसके स्वामी शेषनाग हैं। भूमि से दस हजार योजन नीचे अतल, अतल से दस हजार योजन नीचे वितल, उससे दस हजार योजन नीचे सतल, इसी क्रम से सब लोक स्थित हैं। अतल, वितल, सतल, तलातल, महातल, रसातल, पाताल ये सातों लोक पाताल स्वर्ग कहलाते हैं। इनमें भी काम, भोग, ऐश्वर्य, आनन्द, विभूति ये वर्तमान हैं। दैत्य, दानव, नाग ये सब वहां आनन्द पूर्वक भोग-विलास करते हुए रहते हैं। इन सब पातालों में अनेक पुरियां प्रकाशमान रहती हैं। इनमें देवलोक की शोभा से भी अधिक बाटिका और उपवन हैं। इन पातालों में सूर्य आदि ग्रहों के न होने से दिन-रात्रि का विभाग नहीं है। इस कारण काल का भय नहीं रहता है। यहां बड़े-बड़े नागों के सिर की मणियां अंधकार दूर करती रहती हैं। पाताल में ही नाग लोक के पति वासुकी* *आदि नाग रहते हैं। श्री शुकदेव के मतानुसार पाताल से तीस हजार योजन दूर शेषजी विराजमान हैं। शेषजी के सिर पर पृथ्वी रखी है। जब ये शेष प्रलय काल में जगत के संहार की इच्छ