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Showing posts from May, 2022

कुंभ लग्न में धन योग

कुंभ लग्न में धन योग  शुभ युति :- शुक्र + शनि अशुभ युति :- शनि + चन्द्र राजयोग कारक :- शुक्र व मंगल 1.कुंभ लग्न में शुक्र वृष, तुला या मीन राशि का हो तो जातक को अल्प प्रयत्न से अधिक धन की प्राप्ति होती है | ऐसा जातक धन के मामले में भाग्यशाली होता है | 2.कुंभ लग्न में बृहस्पति धनु, मीन या कर्क राशि में हो तो जातक बहुत धनपति होता है | भाग्यलक्ष्मी हमेशा उसका पीछा नहीं छोड़ती | 3.कुंभ लग्न में बृहस्पति शुक्र के घर में तथा शुक्र बृहस्पति के घर में परस्पर स्थान परिवर्तन योग करके बैठे हो तो व्यक्ति महाभाग्यशाली होता है | ऐसा व्यक्ति जीवन में खूब धन कमाता है | 4.कुंभ लग्न में बृहस्पति यदि मंगल के घर में एवं मंगल बृहस्पति के घर में स्थान परिवर्तन योग कर के बैठे हो तो जातक धन के मामले में बहुत भाग्यशाली होता है एवं धनवानो में अग्रगण्य होता है | 5.कुंभ लग्न में पंचम भाव में बुध हो, गुरु धनु राशि का लाभ स्थान में चंद्रमा या मंगल के साथ हो तो “महालक्ष्मी योग” बनता है | ऐसे जातक के पास अकूत लक्ष्मी होती है | वह अपने शत्रुओं को परास्त करते हुए अखंड राज्यलक्ष्मी को भोगता है | 6.कुंभ लग्न में मंगल यदि

जूते चप्पल को किस दिशा में रखना चाहिए ??*

*जूते चप्पल को किस दिशा में रखना चाहिए ??*   👉 आम तौर पर घरों में *जूता-चप्‍पल* सलीके से रखने में लोग लापरवाही बरतते हैं !! 👉 वास्तु शास्त्र  में घर की सभी चीजों को एक *निश्चित दिशा* एवं उचित स्थान पर रखना चाहिए !! 👉 अक्सर जूते-चप्पल को लोग घर की *वरांडा* पर ही उतार देते हैं. वहीं, कुछ लोग घर में जूते-चप्पल पहने रहते हैं !! 👆वास्‍तु शास्‍त्र की मानें तो ये दोनों तरीके *गलत हैं !!* 👉 आइए जानते हैं वास्‍तु के अनुसार घर में जूता-चप्‍पल  रखने के *सही तरीके :-* 👉घर में पुराने जूते-चप्पल रखने से *निगेटिव एनर्जी* पैदा होती है !! घर की समस्याएं खत्‍म होने का नाम ही नहीं लेती !! 👉जूते-चप्पल इधर-उधर पड़े होने से घर में *कलह बढ़ता* है और आपसी संबंध खराब होते हैं !! *किस दिशा में रखें :-* 👉 जूते चप्पल को दक्षिण ,पश्चिम ,वायव्य  या नैऋत्य कोण में रखना चाहिए !! *किस दिशा में ना रखें :-* 👉 जूते चप्पल को उत्तर ,पूर्व ,ईशान या ब्रम्ह स्थान में भूलकर भी ना रखें !! 👉 इधर-उधर पड़े जूते-चप्‍पल *नकारात्मक ऊर्जा* पैदा करते हैं. इसलिए इन्हें हमेशा एक कोने में रखना चाहिए !! 👉

अमावस्या

सोमवती अमावस्या 30 मई पर सौभाय प्राप्ति का विशेष अवसर 〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰🌼〰〰 सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या कहा जाता है। सोमवार चंद्र देवता कों समर्पित दिन है,भगवन चंद्र को मन का कारक माना जाता है अतः इस दिन अमावस्या पड़ने का अर्थ है की यह दिन मन सम्बन्धित दोषो को दूर करने के लिए उत्तम है।हमारे शास्त्रो में चंद्रमा को ही दैहिक,दैविक और भौतिक कष्टो का कारक माना जाता है,अतः यह पूरे वर्ष में एक या दो बार ही पड़ने वाले पर्व का बहुत अधिक महत्त्व माना जाता है।विवाहित स्त्रियों के द्वारा इस दिन पतियों की दीर्घ आयु के लिये व्रत का विधान है। सोमवती अमावस्या कलयुग के कल्याणकारी पर्वो में से एक है,लेकिन सोमवती अमावस्या को अन्य अमावस्याओं से अधिक पुण्य कारक मानने के पीछे भी पौराणिक एवं शास्त्रीय कारण है।सोमवार को भगवन शिव एवं चंद्र का दिन माना जाता है।सोम यानि चन्द्रमा अमावस्या और पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा यानि सोमांश या अमृतांश सीधे-सीधे पृथ्वी पर पड़ता है। शास्त्रो के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन चन्द्रमा का अमृतांश पृथ्वी पर सबसे अधिक पड़ता है। अमावस्या अमा और वस्या  दो शब्दों से म

सूर्यदेव के इन 12 मंत्रों में है इतनी शक्ति, जपते ही मिलता है मनचाहा वरदान

सूर्यदेव के इन 12 मंत्रों में है इतनी शक्ति, जपते ही मिलता है मनचाहा वरदान 1. ॐ हृां मित्राय नम: सूर्य देव के इस पहले मंत्र के उच्चारण से अच्छी सेहत और कार्य करने की क्षमता का वरदान मिलता है. वहीं, कहते हैं कि सूर्य देवता की कृपा से हृदय की शक्ति बढ़ती है. 2. ॐ हृीं रवये नम: सूर्य देव के सामने खड़े होकर इस मंत्र का जाप करने से क्षय व्याधि दूर होती है. शरीर में रक्त का संचार ठीक रहता है और कफ आदि से जुड़े रोग दूर होते हैं. 3. ॐ हूं सूर्याय नम: सूर्य देव के इस मंत्र जाप से मानसिक शांति मिलती है. साथ ही ज्ञान में वृद्धि होती है. 4. ॐ ह्रां भानवे नम: इस मंत्र को जपने से धातु पुष्टि उत्पन्न होती है. मूत्राशय से जुड़ी बीमारियों का शमन होता है और शरीर में ओजस नामक तत्व का विकास होता है. ये भी पढ़ेंः फरवरी माह में पड़ने वाले मुख्य त्योहार और तिथियां, कौन सी तिथि है किस देवता को समर्पित, जानिए इस माह का पंचांग 5. ॐ हृों खगाय नम: इस मंत्र को जपने से बुद्धि का विकास होता हैं और शरीर का बल बढ़ता है. इतना ही नहीं, मलाशय से संबंधित बीमारियां भी दूर होती हैं. 6. ॐ हृ: पूषणे नम: ज्योतिष के अनुसार इस म

rahu ketu

                   - - - - -RAHU KETU AXIS- - - - -              Rahu dev in the 5th house and Ketu dev                                          in the                                                   11th house Rahu dev is obsession.  Obsession creates anxiety.  Anxiety creates unrest.  This is the cycle of Rahu.  Obsession -> Anxiety -> Unrest  Rahu dev in the 5th house gives the individual an obsession with creativity, romance, early education. The individual wants to create. Why? Just because. There is a never ending desire to create something new. Rahu dev is never satisfied with the results. Rahu dev is a thrill seeker and seeks quick gratification. He or she is not interested in mundane, boring relationships. The individual wants to experience the thrill of a new romantic relationship and therefore keeps on moving from one romantic partner to the other. Rahu dev is not satisfied with the education system. He wants to get away from it. He wants to disrupt it and create som

मुलांक 8

*अंक ज्योतिष की बात मानें तो ये आदमी के मुलांक वाले अपना गाड़ी नम्बर के भाग्यांक के गाड़ी नही लेना चाहिए .* मान लें कि आपका मुलांक 1 है और गाड़ी नम्बर का कुल योग  8 आ रहा है तो दुर्घटनाओं की सम्भावना ज्यादा होती है.  *मान ले अगर आपका मुलांक  1* आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 1, 2, 3 या 5 रखना चाहिये.  8 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप पीले, सुनहरे, अथवा क्रीम रंग का वाहन खरीदें. नीले,भुरे, बैगनी या काले रंग की वाहन क्रय करने से बचें. *अगर आपका मुलांक  2* आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 1, 2, 3 या 5 रखना चाहिये. 4, 8 या 9 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप सफेद अथवा हल्के रंग का वाहन खरीदें. लाल अथवा गुलाबी रंग की वाहन क्रय करने से बचें. *अगर आपका मुलांक  3* आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 1, 3, या 5 रखना चाहिये. 6 या 9 नम्बर वाला वाहन ना रखें तो बेहतर होगा. आप पीले, बैंगनी , अथवा गुलाबी रंग का वाहन खरीदें. हल्के हरे सफेद ,भुरे रंग की वाहन क्रय करने से बचें. *अगर आपका मुलांक 4* आता है तो आपको गाड़ी नम्बर का कुल योग 3,5 या 7 रखना चाहिये. 2, 6 या 8 नम्बर

BEDROOM VASTU TIPS

BEDROOM VASTU TIPS  South-west corner of the home is ideal for the master bedroom. According to the vastu for bedroom, the ideal direction to build the master bedroom is the south-west corner of the home. Bedroom direction as per vastu says that you should never build the master bedroom in the north-east direction because it is reserved for the pooja room. Similarly, the south-east direction is not the ideal bedroom direction as per vastu as it is governed by Agni, leading to quarrels and misunderstandings between couples. 1. Avoid having bedrooms in the centre of the house Ensure you do not place a mirror exactly opposite the bed; this can cause health problems. 2. The master bedroom should ideally be located in the south-west corner of the home, as it is linked with good health, longevity and prosperity. 3. Bedrooms in the south-east or north-east corners must be avoided as these can lead to health issues and conflicts at home. 4. It is recommended that the bed be made of wood, and i

मंगल यंत्र

मंगल यंत्र नवग्रहों में मंगल को सबसे शक्तिशाली ग्रह माना जाता है। मंगल ग्रह शारीरिक ताकत और मानसिक शक्ति एवं मजबूती का प्रतिनिधित्व करता है। इसकी शुभ और अनुकूल स्थिति जातक को निडर और साहसी बनाती है। नवग्रहों में इसे सेनापति का पद मिला हुआ है। जिस जातक की कुंडली में मंगल उच्च स्थान पर होता है उनके द्वारा किया गया प्रत्येक कार्य सफलतापूर्वक पूरा होता है और समाज में उनके मान-सम्मान में वृद्धि होती है। वहीं अशुभ मंगल जीवन में अमंगल का विष घोल देता है। मेष एवं वृश्चिक राशि वालों को, मेष तथा वृश्चिक लग्न वालों को और जिनकी कुंडली में मंगल अशुभ रूप से कार्य कर रहे है तो उनकी अशुभता को कम करने के लिए मंगल यंत्र को धारण उत्तम माना गया है।  मंगल यंत्र के लाभ किसी कुंडली में मंगल के प्रभाव को अधिक बल प्रदान करने के लिए मंगल यंत्र (Mangal Yantra) को स्थापित किया जाता है।  यदि आपकी कुंडली में मंगल नकारात्मक और अशुभ हैं तो आपको मंगल रत्न धारण करने की बजाय मंगल यंत्र को स्थापित करना चाहिए।  मंगल यंत्र के द्वारा कुंडली में अशुभ मंगल द्वारा बनाए जा रहे मांगलिक दोष के निवारण के लिए मंगल यंत्र की सहायता ल

नर्मदा नदी के हर पत्थर में है शिव, आखिर क्यों ?”

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“नर्मदा नदी के हर पत्थर में है शिव, आखिर क्यों ?” नर्मदेश्वर शिवलिंग के सम्बन्ध में एक धार्मिक कथा है –भारतवर्ष में गंगा, यमुना, नर्मदा और सरस्वती ये चार नदियां सर्वश्रेष्ठ हैं। इनमें भी इस भूमण्डल पर गंगा की समता करने वाली कोई नदी नहीं है। प्राचीनकाल में नर्मदा नदी ने बहुत वर्षों तक तपस्या करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया। प्रसन्न होकर ब्रह्माजी ने वर मांगने को कहा। तब नर्मदाजी ने कहा–’ब्रह्मन्! यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो मुझे गंगाजी के समान कर दीजिए।’ब्रह्माजी ने मुस्कराते हुए कहा–’यदि कोई दूसरा देवता भगवान शिव की बराबरी कर ले, कोई दूसरा पुरुष भगवान विष्णु के समान हो जाए, कोई दूसरी नारी पार्वतीजी की समानता कर ले और कोई दूसरी नगरी काशीपुरी की बराबरी कर सके तो कोई दूसरी नदी भी गंगा के समान हो सकती है। ब्रह्माजी की बात सुनकर नर्मदा उनके वरदान का त्याग करके काशी चली गयीं और वहां पिलपिलातीर्थ में शिवलिंग की स्थापना करके तप करने लगीं। भगवान शंकर उन पर बहुत प्रसन्न हुए और वर मांगने के लिए कहा। तब नर्मदा ने कहा–’भगवन्! तुच्छ वर मांगने से क्या लाभ? बस आपके चरणकमलों में मेरी भक्ति

रूद्रास

रुद्राक्ष के महत्व, लाभ और धारण विधि 🔸🔸🔹🔸🔸🔹🔹🔸🔸🔹🔹🔹 एक मुखी रुद्राक्ष 〰️〰️〰️〰️〰️ इसके मुख्य ग्रह सूर्य होते हैं। इसे धारण करने से हृदय रोग, नेत्र रोग, सिर दर्द का कष्ट दूर होता है। चेतना का द्वार खुलता है, मन विकार रहित होता है और भय मुक्त रहता है। लक्ष्मी की कृपा होती है।* दो मुखी रुद्राक्ष 〰️〰️〰️〰️ मुख्य ग्रह चन्द्र हैं यह शिव और शक्ति का प्रतीक है मनुष्य इसे धारण कर फेफड़े, गुर्दे, वायु और आंख के रोग को बचाता है। यह माता-पिता के लिए भी शुभ होता है। तीन मुखी रुद्राक्ष 🔸🔸🔹🔸🔸 मुख्य ग्रह मंगल, भगवान शिव त्रिनेत्र हैं। भगवती महाकाली भी त्रिनेत्रा है। यह तीन मुखी रुद्राक्ष धारण करना साक्षात भगवान शिव और शक्ति को धारण करना है। यह अग्रि स्वरूप है इसका धारण करना रक्तविकार, रक्तचाप, कमजोरी, मासिक धर्म, अल्सर में लाभप्रद है। आज्ञा चक्र जागरण (थर्ड आई) में इसका विशेष महत्व है। चार मुखी रुद्राक्ष 🔸🔸🔹🔸🔸 चार मुखी रुद्राक्ष के मुख्य देवता ब्रह्मा हैं और यह बुधग्रह का प्रतिनिधित्व करता है इसे वैज्ञानिक, शोधकर्त्ता और चिकित्सक यदि पहनें तो उन्हें विशेष प्रगति का फल देता है। यह मान

पूर्व दिशा में दोष:

🔴पूर्व दिशा में दोष:- * यदि भवन में पूर्व दिशा का स्थान ऊँचा हो, तो व्यक्ति का सारा जीवन आर्थिक अभावों, परेशानियों में ही व्यतीत होता रहेगा  यदि पूर्व की दिवार पश्चिम दिशा की दिवार से अधिक ऊँची हो, तो संतान हानि का सामना करना पडता है.  अगर पूर्व दिशा में शौचालय का निर्माण किया जाए, तो घर की बहू-बेटियाँ अवश्य अस्वस्थ रहेंगीं.  बचाव के उपाय:- *पूर्व दिशा में पानी, पानी की टंकी, नल, हैंडापम्प इत्यादि लगवाना शुभ रहेगा.  * पूर्व दिशा का प्रतिनिधि ग्रह सूर्य है. इसके लिए पूर्वी दिवार पर 'सूर्य यन्त्र' स्थापित करें । * पूर्वी भाग को नीचा और साफ-सुथरा खाली रखने से घर के लोग स्वस्थ रहेंगें. धन और वंश की वृद्धि होगी तथा समाज में मान-प्रतिष्ठा बढेगी.  🔴पश्चिम दिशा में दोष:- * यदि पश्चिम भाग के चबूतरे नीचे हों, तो परिवार में फेफडे, मुख, छाती और चमडी इत्यादि के रोगों का सामना करना पडता है.  * यदि भवन का पश्चिमी भाग नीचा होगा, तो घर के पुरूष की रोग बीमारी पर व्यर्थ धन का व्यय होता रहेगा.   पडेगा.  * यदि भवन का मुख्य द्वार पश्चिम दिशा की ओर हो, तो अकारण व्यर्थ में धन का अपव्यय होता रहेगा. 

मोती

मोती रत्न के चमत्कारी फ़ायदे ?  सबसे खूबसूरत रत्नों में से एक मोती या मोती का संबंध चंद्रमा से है. यह मनुष्य में मानस का प्रतिनिधित्व करता है, निर्णय लेने को नियंत्रित करता है और इसे पहनने वाले के लिए प्रसिद्धि और भाग्य लाता है। मोती भावनाओं को नियंत्रण में रखता है, चेहरे का आकर्षण, सुंदरता, प्रसिद्धि प्रदान करता है और अच्छी याददाश्त को बढ़ावा देता है। यह नेत्र रोग, हिस्टीरिया, मिर्गी, सर्दी खांसी, दमा, तंत्रिका दुर्बलता, आंतों के विकार और गले की समस्याओं में भी लाभकारी है। जिस प्रकार चन्द्रमा की कोमलता और शांति का अनुभव होता है, उसी प्रकार मोती को पहनने वाले पर सुखदायक और शांत प्रभाव डालने के लिए जाना जाता है। मोती, विशेष रूप से सफेद किस्म, पवित्रता, ज्ञान, धन और अखंडता के प्रतीक हैं। मोती तनावग्रस्त मन में भावनात्मक संतुलन लाते हैं। वे अनिद्रा को ठीक करने, तनावग्रस्त नसों को शांत करने और क्रोध को नियंत्रित करने में भी मदद करते हैं। दरअसल जिन लोगों का मिजाज कम होता है उन्हें मोती धारण करने की सलाह दी जाती है। मोती चन्द्रमा के दुष्प्रभाव को दूर करता है और मन को मजबूत करता है। मोती आत्म

दैनिक जीवन की समस्या में छाया दान का उपाय -

दैनिक जीवन की समस्या में छाया दान का उपाय - अक्सर ऐसा होता है कि व्यक्ति का बिता हुआ काल अर्थात भुत काल अगर दर्दनाक रहा हो या निम्नतर रहा हो तो वह व्यक्ति के आने वाले भविष्य को भी ख़राब करता है और भविष्य बिगाड़ देता है। यदि आपका बीता हुआ कल आपका आज भी बिगाड़ रहा हो और बीता हुआ कल यदि ठीक न हो तो निश्चित तोर पर यह आपके आनेवाले कल को भी बिगाड़ देगा। इससे बचने के लिए छाया दान करना चाहिये। जीवन में जब तरह तरह कि समस्या आपका भुतकाल बन गया हो तो छाया दान से मुक्ति मिलता है और आराम मिलता है।  नीचे हम सामाजिक एवं पारिवारिक जीवन की विभिन्न समस्या अनुसार छाया दान के विषय मे बता रहे है। 1 . बीते हुए समय में पति पत्नी में भयंकर अनबन चल रही हो  〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ अगर बीते समय में पति पत्नी के सम्बन्ध मधुर न रहा हो और उसके चलते आज वर्त्तमान समय में भी वो परछाई कि तरह आप का पीछा कर रहा हो तो ऐसे समय में आप छाया दान करे और छाया दान आप बृहस्पत्ति वार के दिन कांसे कि कटोरी में घी भर कर पति पत्नी अपना मुख देख कर कटोरी समेत मंदिर में दान दे आये इससे आप कि खटास भरे भुत काल से मुक्ति मिलेगा। और

मंगल दोष

✍️ मांगलिक होना और मंगल दोष होना ये दोनों अलग अलग चीजें है बहुत सारे लोग मांगलिक और मंगल दोष को एक ही समझ लेते है जिससे भ्रांति बनती है कोई भी व्यक्ति जिससे पता लगता है वो मांगलिक है उसके मन में फालतू भय बन जाता है की वैवाहिक जीवन में परेशानी बनेगी तो आइये आज चर्चा करके भ्रांति को दूर करने का प्रयास करते है । 💎 कुण्डली के 1  4 7 8 12 भाव में मंगल विराजमान हो तो जातक मांगलिक होता है  💥 मांगलिक दोष केवल केवल तभी बनता है जब मंगल पीड़ित हो मंगल 1 4 7 8 12 भाव में  शनि /राहु/केतु के साथ युति में हो या अलगाववादी ग्रहों से दृष्टा होकर पीड़ित हो या मंगल कुण्डली के 6 8 12 भाव के स्वामी से बुरी तरह पीड़ित हौ या  मंगल अपने नैसर्गिक शत्रु के साथ बैठ कर पीड़ित हो या मंगल 1 4 7 8 12 भाव में नीच  या वक्री होकर पीड़ित हो । ✍️  मंगल की कंडीशंन को D9 और D60 वर्ग कुण्डली मैं जरूर देखना चाहिए । 🦚 कुछ कुण्डली में दूसरे भाव में बैठा मंगल भी वैवाहिक जीवन में कुछ तनाव से देता है अगर पीड़ित हो तो कारण मंगल की सातवीं दृष्टि अष्टम भाव पर होती है मंगल वाणी भाव से ससुराल भाव पर दृष्टि डालकर पीड़ित कर सकता है साउथ इं

10 योग कुंडली के

जन्म कुंडली में 2 या उससे ज्यादा ग्रहों की युति, दृष्टि, भाव आदि के मेल से योग का निर्माण होता है। ग्रहों के योगों को ज्योतिष फलादेश का आधार माना गया है। अशुभ योग के कारण व्यक्ति को जिंदगीभर दु:ख झेलना पड़ता है। आओ जानते हैं कि कौन-कौन से अशुभ योग होते हैं और क्या है उनका निवारण?   1. चांडाल योग * कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु या केतु का होना या दृष्टि आदि होना चांडाल योग बनाता है। * इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है। जातक बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं। * इस योग के निवारण हेतु उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें। माथे पर केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं। * संभव हो तो एक समय ही भोजन करें और भोजन में बेसन का उपयोग करें। अन्यथश प्रति गुरुवार को कठिन व्रत रखें। 2. अल्पायु योग * जब जातक की कुंडली में चन्द्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है।  * अल्पायु योग में जातक के जीवन पर हमेशा हमेशा संकट मंडरा

ग्रहों के भाव

ग्रहों के भाव ग्रहों के भाव ६ प्रकार के यथा नाम तथा गुण होते हैं। 1] जो ग्रह पञ्चम स्थान में राहु, केतु, सूर्य, मंगल और शनि में से किसी एक से भी युक्त हो वह लज्जित होता है। 2] प्रत्येक ग्रह अपने उच्च तथा मूल त्रिकोण में गर्वित होता है। 3] शत्रु राशि पर या शत्रु ग्रह से दृष्ट या युक्त होने पर वह ग्रह क्षुधित हो जाता है। 4] जलचर राशि पर कोई भी ग्रह अपने शत्रु से दृष्ट होने पर शुभ ग्रह से दृष्ट न होने पर तृषित होता है। 5] मित्र के घर में मित्र से दृष्ट युक्त या गुरु से दृष्ट युक्त होने पर मुदित होता है। 6] सूर्य के साथ होने पर ग्रह अस्त और पापग्रहों से दृष्ट होने पर क्षोभित हो जाता है। 1] जो ग्रह अपने लज्जित भाव में होता है उसको दशा में मनुष्य की बुद्धि क्षीण हो जाती है। स्त्री-वियोग तथा पुत्र को रोग, व्यर्थ की यात्रा या देशाटन करना पड़ता है। इष्ट-मित्रों से कलह, अशुभ कार्यों में रुचि बढ़ती है तथा शुभ कार्यों में इच्छा नहीं रहती। दशम स्थानगत लज्जित ग्रह मनुष्य को दरिद्री और पञ्चम स्थान-गत ग्रह पुत्र-हीन बनाता है। 2] गर्वित ग्रह का दशाफल मनुष्य को गर्वित बनाता है। धन और धान्य से पूर्ण करने

टाइगर eye

यह माला आपके आसपास की नेगेटिव एनर्जी को दूर करती है। इस माला का सम्बन्ध शनि और गुरु ग्रह से होता है तथा इनके अशुभ प्रभाव को कम करने और शुभ फलों की प्राप्ति के लिए इस माला को धारण किया जाता है। बुरे सपने या अदृश्य शक्तियों का डर आपके मन में हमेशा बना रहता है तो टाइगर आई माला जरुर धारण करनी चाहिए ऐसा करने से अदृश्य शक्तियों का डर या बुरे सपनों से धारण कर्ता को निजात मिलती है। इस माला के प्रभाव से जातक के अंदर उत्साह बढ़ता है तथा अपने लक्ष्य को प्राप्त करने की क्षमता बढती है। इस माला को धारण करने से शादी में आनेवाली रुकावटें अपने आप समाप्त होने लगती है और जातक बहुत ही जल्दी विवाह के बंधन में बंध जाता है। संतानहीन दंपत्ति को संतान सुख की प्राप्ति के लिए इस माला को अवश्य धारण करना चाहिए। इस माला में वह शक्ति होती है जो कामकाज में सफलता प्रदान करती है, दिमाग में नए-नए आईडिया उत्पन्न करती है। जो व्यक्ति लीडरशिप में सही प्रदर्शन नहीं कर पता उसको यह माला अवश्य धारण करनी चाहिए। कर्ज के दलदल में फंसे लोग भी इस माला को धारण कर सकते है, जल्द ही कर्ज से मुक्ति मिलती है। टाइगर आई माला को आध्यात्मिक और

नशा और घर में वास्तु दोष

नशा और घर में वास्तु दोष 1 -सबसे पहले यह देखना चाहिए कि दक्षिण या दक्षिण पश्चिम का भाग कटा नहीं होना चाहिए,  यहां ढलान नहीं होनी चाहिए और यह 90 डिग्री में ठीक से होना चाहिए।  यह विशेष क्षेत्र व्यक्ति की प्रसिद्धि और प्रतिष्ठा से जुड़ा होता है। 2 - आपका घर टी जोन में नहीं होना चाहिए। यह बिंदु आपकी छवि को खराब कर सकता है और आपके बच्चे घर से ही चीजें चुराने में लिप्त होने लगेंगे। 3- उत्तर-पूर्व का भाग काटा नहीं होना चाहिए और ऊंचा नहीं होना चाहिए, यह आपकी निर्णय शक्ति को छीन सकता है।  4- कमरे में नकारात्मक या जंगली जानवरों की तस्वीरें नहीं होनी चाहिए 5- कमरे में ग्रे, नीला, या काले रंग से पूरी तरह से बचना चाहिए।  नीरसता और नकारात्मकता को दूर रखने के लिए उचित प्रकाश और उचित हवा होनी चाहिए। . 6 - कमरा पूर्व दिशा में होना चाहिए। इस दिशा को सूर्य का सबसे अधिक लाभ मिलता है यह क्षेत्र ज्यादातर किसी भी बुरी ऊर्जा से मुक्त है। नशीली दवाओं का सेवन एक प्रक्रिया और दुष्चक्र है जिसे तोड़ने की जरूरत है।  पीड़ित का कमरा मेन गेट के पास नहीं होना चाहिए। हमारे सामने के गेट के पास का कमरा अच्छी और बुरी दोनो

लाजवर्त धारण करने के लाभ ?

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लाजवर्त धारण करने के लाभ ? लाजवर्त शनि और राहू-केतु के समस्त दोषों और बुरे प्रभावों को समाप्त करता है। यदि बार-बार दुर्घटनाएं हो रही हों तो लाजवर्त धारण करने से लाभ पहुंचता है। यह आकस्मिक रूप से होने वाली धन हानि, स्वास्थ्य समस्याओं से बचाव करता है। लाजवर्त बुरी नजर, जादू-टोना, नकारात्मक ऊर्जा को दूर करने में मदद करता है। राहू-केतु के कारण पितृ दोष का निर्माण भी होता है। लाजवर्त पहनने से पितृ दोष शांत होता है। व्यापार-व्यवसाय या नौकरी में बाधा आ रही हो तो लाजवर्त धारण करना उचित रहता है। यह दिमाग को शांत रखने का काम भी करता है। मानसिक स्थिरता लाजवर्त से आती है। इसे पहनने से आर्थिक तंगी दूर होती है, पैसों के आगमन में आ रही रूकावटें दूर होती हैं। जिनकी जन्म कुंडली में सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण दोष है उन्हें भी यह पहनना चाहिए। घर में बरकत नहीं रहती, सदस्यों को तनाव-डिप्रेशन रहता है तो लाजवर्त की माला को घर की पश्चिम दिशा में लटकाएं। लाजवर्त रत्न धारण करने से जीवन में सुख शांति आती है और जीवन की सभी परेशानियां जल्द ही समाप्त हो जाती है ।

शुकन अपशुकन

*# राम कृष्ण हरी#** शकुन व अपशकुन शास्त्र के 12 सूत्र,* घर में हर छोटी वस्तु का अपना महत्व होता है। कभी-कभी बेकार समझी जाने वाली वस्तु भी घर में अपनी उपयोगिता सिद्ध कर देती है। गृहस्थी में रोजाना काम में आने वाली चीजों से भी शकुन-अपशकुन जुड़े होते हैं, जो जीवन में कई महत्वपूर्ण मोड़ लाते हैं। शकुन शुभ फल देते हैं, वहीं अपशकुन इंसान को आने वाले संकटों से सावधान करते हैं। हम आपको घर से जुड़ी वस्तुओं के शकुनों के बारे में बता रहे हैं। 1-दूध का शकुन सुबह-सुबह दूध को देखना शुभ कहा जाता है। दूध का उबलकर गिरना शुभ माना जाता है। इससे घर में सुख-शांति, संपत्ति, मान व वैभव की उन्नति होती है। दूध का बिखर जाना अपशकुन मानते हैं, जो किसी दुर्घटना का संकेत है। दूध को जान-बूझकर छलकाना अपशकुन माना जाता है , जो घर में कलह का कारण है। 2-दर्पण का शकुन हर घर में दर्पण का बहुत महत्व है। दर्पण से जुड़े कई शकुन-अपशकुन मनुष्य जीवन को कहीं न कहीं प्रभावित अवश्य करते हैं। दर्पण का हाथ से छूटकर टूट जाना अशुभ माना जाता है। एक वर्ष तक के बच्चे को दर्पण दिखाना अशुभ होता है। यदि कोई नव विवाहिता अपनी शादी का जोड़ा पहन कर श

राहु अपनी #महादशा में शुभ तथा अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं

💐राहु अपनी #महादशा में शुभ तथा अशुभ दोनों प्रकार के फल देते हैं 💐 1️⃣.यदि कुंडली में राहु शुभ हो तो शुभ और अशुभ हो तो अशुभ फल देते हैं,💐 2️⃣.राहु की महादशा अठारह वर्ष की होती है जो बहुत लंबी है।यदि राहु अशुभ फल देने लगे तो अच्छे से अच्छा इंसान की जिंदगी भी नर्क बन जाता है💐  3️⃣.उसका आत्मविश्वास कभी सातवें आसमान पर रहेगा तो कभी शून्य हो जाएगा। 💐 4️⃣.खुद को बुद्धिमान समझने वाला व्यक्ति भी ऐसे ऐसे मूर्खतापूर्ण कार्य करेगा 💐 5️⃣.जिस पर उसे भी विश्वास नहीं होगा समाज में उसकी प्रतिष्ठा काम होने लगेगी सेक्स और ड्रग्स जुवा जैसे कर्मों से उसका विवेक तेज और धन नष्ट होने लगता है,💐 6️⃣.कभी कभी तो प्राण भी संकट में पड़ जाता है लेकिन किसी ना किसी तरह से बच भी जाता है 💐 । 7️⃣.व्यक्ति को खुद में भी विश्वास नहीं होता यूं कहें कि अशुभ राहु चरित्र को पूरी तरह से बर्बाद कर देता है।💐 8️⃣. सिर में चोट लगना मिथ्या आरोप पागलपन जेलयात्रा हमेशा शंका करते रहना और कल्पना लोक में जीना भी अशुभ राहु के लक्षण है 💐 9️⃣. राहु आदमी को इतना संघर्ष देता है कि इंसान को तोड़ कर रख देता है लेकिन वो संघर्ष केवल भोगन

शुक्र सप्तम भाव

शुक्र सप्तम भाव का कारक होता है लेकिन सप्तम भाव में अच्छा नहीं होता है  (वैसे तो सप्तम भाव का शुक्र अच्छा फल देता है लेकिन यहां पर टॉपिक के अनुसार चर्चा होगी)     🪔🪔🪔  सप्तम भाव दर्शाता है  🪔🪔🪔 👉 जीवनसाथी 👉 दूसरे लोग 👉 वैवाहिक जीवन 👉 यौन इच्छा 👉 व्यवसाय का दूसरा घर (दसम से दसम) 👉 व्यावसायिक साझेदार 👉 न्यायिक बंधन (legal bondage) 👉 साझेदारी 👉 प्रत्यक्ष शत्रु 👉 विरोधी 👉 युद्ध               ❤️❤️❤️  शुक्र  ❤️❤️❤️ 👉 प्रेम 👉 रोमांस 👉 यौनक्रिया 👉 महिला 👉 संगीत 👉 इत्र 👉 आभूषण 👉 फैशन 👉 बिस्तर का सुख (bed pleasure) 👉 धन 👉 भौतिकता 🔥 कालपुरुष की कुण्डली में सप्तम भाव में तुला राशि पड़ती है जो कि संतुलन को दर्शाती हैं, अगर जीवन में सबकुछ संतुलन मे हो तो अच्छा होता है और यदि असुंतलित हुआ तो समस्या हो जाती है और सप्तम भाव मजबूत शुक्र की स्थिति असंतुलन पैदा करती है। 🍎 पुरुष की कुण्डली में शुक्र पत्नी का कारक होता है जिसकी उपस्थिति सप्तम भाव में "कारका भाव नाशय" के कारण अच्छी नहीं होती है क्योंकि यह सप्तम भाव के कुछ करकत्व को नष्ट कर देता है। 🌷 पुरुष के लिए शुक्

saturn

Shani (Saturn) has moved in to Kumbha Rashi (Aquarius) on April 28th and will stay there until July 12, 2022 before it retrogrades back into Capricorn (July 12, 2022 until Jan 17, 2023).  Saturn will transit into Aquarius again  from - Jan 17, 2023 until March 29,  2025.  Remedies for Saturn in Aquarius  1. Saturn represents darkness and the Sun represents light. The Aditya (Sun God) of the sign Aquarius is Tvastr. You can chant the mantra “Aum Ghrini Tvastr Aditya” and worship the Sun God everyday.  2. Kumbha rashi is the natural badhaka sign of the Kala Purusha, so worship Lord Ganesha connected to the sign Aquarius with the mantra - Gajapataye Namah. 3. Offer Incense to Lord Shiva everyday , if that is not possible then do it on Saturdays.  4. Lord Shiva  deity of the sign Aquarius and the lord of Vayu Tattva (air element).  Shiva in his aspect as Vayu is worshiped as Kalahasteeswara at the Kalahasti temple. You can visit or make a donation to this temple on a Saturday. 5. Plant tre

akshay tritiya

कल 3 मई को है अक्षय तृतीया तो जानें पूजा विधि, महत्व, उपाय और शुभ मुहूर्त.......!!!!!!! अक्षय तृतीया या अखा तीज वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को कहते हैं। मान्यता है कि इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैँ उनका अक्षय फल मिलता है। इस कारण इसे अक्षय तृतीया कहते हैँ। इस दिन बिना कोई पंचांग देखे कोई भी शुभ और मांगलिक काम किया जा सकता है। अक्षय तृतीया में क्या करें- इस दिन कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य किया जा सकता है। जैसे- विवाह, गृह-प्रवेश, जमीन-जायदाद खरीदना, वस्त्र-आभूषण खरीदना आदि। इस दिन सारा दिन शुभ मुहुर्त ही रहता है। इस दिन किए गए जप, तप और दान का कई गुणा अधिक फल मिलता है। इस दिन किया गया जप, तप, हवन और दान अक्षय हो जाता है। इस दिन गंगा स्नान जरूर करे। आइए जानें अक्षय तृतीया का शुभ-मुहूर्त-: अक्षय तृतीया 3 मई 2022 अक्षय तृतीया प्रारंभ 3 मई को सुबह 5:18 से अक्षय तृतीया तिथि समाप्त 4 मई 2022 को सुबह 7:32 बजे तक अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त सुबह 5:39 बजे से 12:18 तक सोना खरीदने का शुभ समय - 05:38 से 6:15 तक रोहिणी नक्षत्र 3 मई सुबह 12:33 से 4 मई को सुबह 3:19 तक अक्षय तृतीया की पूज

26 आदतों से शनिदेव होते हैं प्रसन्न*

26 आदतों से शनिदेव होते हैं प्रसन्न* 👉🏼 *1. खुद को साफ सुथरा और पवित्र बनाकर रखें। समय समय पर नाखून, बाल काटते रहें।* 👉🏼 *2. पशु और पक्षियों के लिए अन्न जल की व्यवस्था करें।* 👉🏼 *3. हनुमान चालीसा का नित्य पाठ करते रहें।* 👉🏼 *4. काले कुत्ते को तेल लगाकर रोटी खिलाएं।* 👉🏼 *5. भैरव महाराज के मंदिर में कच्चा दूध या शराब अर्पित करें।* 👉🏼 *6.विधवाओं की सहायता करते रहें।* 👉🏼 *8. सफाईकर्मी को सिक्के दान करते रहें।* 👉🏼 *9. अंधों, कुष्ट रोगियों और लंगड़ों को भोजन कराते रहें।* 👉🏼 *10. गरीब या जरूरतमंदों को अन्न, जल या वस्त्र दान करें।* 👉🏼 *11. शनिवार के दिन छाया दान करते रहें। कांसे के कटोरे को सरसों या तिल के तेल से भरकर उसमें अपना चेहरा देखकर दान करें।* 👉🏼 *12. कौवों को रोटी खिलाते रहें।* 👉🏼 *13. श्राद्ध कर्म और तर्पण करते रहें।* 👉🏼 *14. तीर्थ क्षेत्र में स्नान या दान करते रहें। समुद्र स्नान से लाभ मिलेगा।* 👉🏼 *15. शनिवार को पीपल के वृक्ष में दीपक जलाएं और उसकी पूजा परिक्रमा करें।* 👉🏼 *16. गुरु, माता-पिता, धर्म और देवाताओं का सम्मान करें।* 👉🏼 *17. पारिवारिक भरण-पो

महादेव को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय ....

महादेव को प्रसन्न करने का रामबाण उपाय .... रुद्राभिषेक. ज्योतिष के जानकारों की मानें तो सही समय पर रुद्राभिषेक करके आप शिव से मनचाहा वरदान पा सकते हैं. क्योंकि शिव के रुद्र रूप को बहुत प्रिय है अभिषेक तो आइए जानते हैं, रुद्राभिषेक क्यों है इतना प्रभावी और महत्वपूर्ण.... रुद्राभिषेक की महिमा .. भोलेनाथ सबसे सरल उपासना से भी प्रसन्न होते हैं लेकिन रुद्राभिषेक उन्हें सबसे ज्यादा प्रिय है. कहते हैं कि रुद्राभिषेक से शिव जी को प्रसन्न करके आप असंभव को भी संभव करने की शक्ति पा सकते हैं तो आप भी सही समय पर रुद्राभिषेक करिए और शिव कृपा के भागी बनिए... - रुद्र भगवान शिव का ही प्रचंड रूप हैं. - शिव जी की कृपा से सारे ग्रह बाधाओं और सारी समस्याओं का नाश होता है. -शिवलिंग पर मंत्रों के साथ विशेष चीजें अर्पित करना ही रुद्राभिषेक कहा जाता है. - रुद्राभिषेक में शुक्ल यजुर्वेद के रुद्राष्टाध्यायी के मंत्रों का पाठ करते हैं. - सावन में रुद्राभिषेक करना ज्यादा शुभ होता है. - रुद्राभिषेक करने से मनोकामनाएं जल्दी पूरी होती हैं. - रुद्राभिषेक कोई भी कष्ट या ग्रहों की पीड़ा दूर करने का सबसे उत्तम उपाय है. कौ

दोस्तो आज बात करते हैं कुंडली की कुछ और महत्वपूर्ण बातो की।।

दोस्तो आज बात करते हैं कुंडली की कुछ और महत्वपूर्ण बातो की।।  १) शुक्र के साथ सूर्य हो पुरुष को  गुप्त रोग होने की अधिक संभावना होती।।शुक्र के बल को अधिक कीजिए और सूर्य के बल को कम।। २) नंगे पैर मत नहाए अन्यथा  शुक्र अशुभ फल देगा।। ३ यदि सूर्य के साथ राहु या केतु की युति समान अंशो पर हो तो ये दोष बहुत अधिक घातक होता।।उपाय अवश्य कीजिए कुंडली अनुसार।। ४) यदि मंगल राहु के साथ युति करके अशुभ हो और किसी शुभ ग्रह की दृष्टि न हो तो मीठा दूध बरगद की जड़ में पांच मंगलवार लगातार डाले।। ५ यदि नवम या द्वादश में गुरु को शनि देखता हो तो एक ताला हल्दी लगाकर पीपल पर रखे।।      कुंडली को समझिए और पहचाने और कुछ साधारण उपायों से अपने जीवन को सुखमय बनाए।।ग्रहों को समझे और उस अनुसार उनको बल दीजिए या शांत कीजिए।।कई बार कुंडली में सिर्फ एक या दो ग्रह की वजह से जीवन मुश्किल बन जाता।।उपायों से आप अपने जीवन को सुखमय बना सकते है।।कुंडली को समझे।।।रोजाना 30 मिनिट उपायों को देना आपका जीवन बदल सकता।।उसे समझे। हर मुश्किल का हल होगा।।

पूजा पाठ

*पूजा पाठ से जुड़ी हुईं महत्वपूर्ण बातें-* ★ एक हाथ से प्रणाम नही करना चाहिए। ★ सोए हुए व्यक्ति का चरण स्पर्श नहीं करना चाहिए।  ★ बड़ों को प्रणाम करते समय उनके दाहिने पैर पर दाहिने हाथ से और उनके बांये पैर को बांये हाथ से छूकर प्रणाम करें।  ★ जप करते समय जीभ या होंठ को नहीं हिलाना चाहिए। इसे उपांशु जप कहते हैं। इसका फल सौगुणा फलदायक होता हैं। ★ जप करते समय दाहिने हाथ को कपड़े या गौमुखी से ढककर रखना चाहिए।  ★ जप के बाद आसन के नीचे की भूमि को स्पर्श कर नेत्रों से लगाना चाहिए। ★ संक्रान्ति, द्वादशी, अमावस्या, पूर्णिमा, रविवार और सन्ध्या के समय तुलसी तोड़ना निषिद्ध हैं। ★ दीपक से दीपक को नही जलाना चाहिए। ★ यज्ञ, श्राद्ध आदि में काले तिल का प्रयोग करना चाहिए, सफेद तिल का नहीं।  ★ शनिवार को पीपल पर जल चढ़ाना चाहिए। पीपल की सात परिक्रमा करनी चाहिए। परिक्रमा करना श्रेष्ठ है,  ★ कूमड़ा-मतीरा-नारियल आदि को स्त्रियां नहीं तोड़े या चाकू आदि से नहीं काटें। यह उत्तम नही माना गया हैं।  ★ भोजन प्रसाद को लाघंना नहीं चाहिए। ★  देव प्रतिमा देखकर अवश्य प्रणाम करें। ★  किसी को भी कोई वस्तु या दान-दक्षिणा दाहिने ह